FUN-MAZA-MASTI
मेरी जिंदगी--10
राजेश की गोद में बैठ कर या फिर वाइन के दोहरे असर से भावना पर एक डबल नशा सा चॅड रहा था दोनो ने धीरे धीरे वाइन की बोतल ख़तम कर डाली और भावना राजेश के कंधे पे सर रख के उसकी गोध में बैठी रही भावना के जिस्म से उठती हुई भीनी भीनी खुश्बू राजेश पे असर कर रही थी पर उसने खुद पे संयम रखा और बस भावना की पीठ सहलाता रहा.
अचानक भावना ने बोलना शुरू कर दिया.
'राज तू नही जानता मैने कितने मानसिक तनाव झेले हैं अपने बचपन से जवानी तक और आज भी जब उनकी याद आती है तो आत्मा तक कांप जाती है' आज पहली बार भावना ने राजेश को राज कह के संभोदित किया था. राजेश चुप रहा वो भावना को टोकना नही चाहता था.
'उस दिन जब मा ने मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने के लिए इज़ाज़त दे दी तो एक सकूँ सा मिला पर जब मेरा नाम भी बदल दिया भव्य से भावना वो मुझे अच्छा नही लगा पर मेरे पास भी कोई चारा नही था मेरा लिंग आम लोगो की तुलना में बड़ा था पर साथ ही मेरे उरोज़ भी विकसित हो रहे थे और इतने तो बड़े हो ही गये थे की ट्रैनिंग ब्रा की शुरूवात हो गई थी. रात को जब मा ने अपनी नाइटी पहनी और बिस्तर पे लेट गई तो पहली बार मुझे मा को देख कर उत्तेजना महसूस हुई और मैं खुद मा के पास चली गई और उनके होंठों को चूसने लग गई साथ ही साथ मैं अपने उरोज़ मा के उरोज़ के साथ रगड़ रही थी एक अजीब सी सनसनी मेरे जिस्म में फैलती जा रही थी. कुछ देर मैं मा के होंठ चुस्ती रही और फिर अल्ग हो कर अपने कपड़े उतार फेंके. मा ने भी अपनी नाइटी उतार डाली और मैं मा के उपर चॅड गई और मा के उरोज़ मसलने लगी मा भी मेरे उरोज़ दबाने लगी जिसका सीधा असर मेरे लिंग पर हो रहा था और वो तनता ही जा रहा था .हम दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते हुए एक दूसरे के उरोज़ दबाने लगे और निचोड़ने लगे.
और फिर मुझे पता भी नही चला की मेरा लिंग मा की योनि में घुसने लगा मा ने मेरे नितम पकड़ के ज़ोर लगाया और मा का इशारा समझ के मैने भी झटका लगा कर अपना लिंग मा की योनि में घुसा डाला और फिर जैसे जैसे मा सीखाती गई मैं करती गयी और जब दोनो का संखलन हो गया तो मैं पता नही कितनी देर मा के उपर पड़ी अपनी साँसे संभालती रही.
उस दिन पहली बार मुझे कुछ मज़ा आया था और स्त्री पुरुष के जिस्मानी संबंधों को थोड़ा समझने लगी थी. मैं कब सो गयी मुझे पता ही नही चला. अगले दिन मैने मा से पूछा की मेरे वक्ष क्यूँ उभर रहे हैं लड़कों के साथ तो ऐसा नही होता - तब मा ने समझाया की कुद्रत ने मुझे एक शी-मेल की तरहा जनम दिया है मेरे जिस्म के अंदर दोनो प्रकार के अंग हैं बस फराक ये रह गया की मेरी योनि विकसित नही हुई अंदर ही दबी रह गयी है और मेरा लिंग पूरी तरहा विकसित हो गया पर मेरे अंडकोष पूरी तरहा विकसित नही हुए.
क्यूंकी मेरे वक्ष उभरने लगे इसलिए मा ने मुझे लड़की का रूप दे दिया पर अभी भी मेरे पास लिंग ही था योनि नही- मुझे कुछ वक़्त और इंतेज़ार करना था ये जानने के लिए की मेरे कोन से अंग अच्छी तरहा विकसित होंगे फिर ये डिसाइड किया जाएगा की मेरा आगे का जीवन एक लड़के का रूप लेगा या फिर एक लड़की का.
कभी मैं एक लड़की की तरहा सोचती तो कभी एक लड़के की तरहा मैं कभी किसी को दोस्त नही बना सकी. मेरी सारी दुनिया मा से शुरू होती और मा पे ही ख़तम होती, हाँ दीदी भी मेरा बड़ा सहारा थी पर दीदी को मेरी समस्या के बारे में नही पता था और दीदी अभी डेड के साथ ही थी. मैं बहुत मानसिक तनाव में रहती थी.
मा मेरी हालत अच्छी तरहा समझती थी तभी मा ने मेरे लिए अपनी मर्यादा की सारी सीमाएँ तोड़ डाली थी जिसका पता डेड को कभी नही चला. मा मुझे ना संभालती तो शायद मैं आज जीवित नही होती' बोलते बोलते भावना चुप हो गई उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे जो राजेश के कंधे को भिगो रहे थे.
राजेश ने भावना को बिल्कुल नही छेड़ा बस प्यार से उसकी पीठ सहलाता रहा. जब देखा की भावना काफ़ी देर से चुप है तो राजेश हिल कर देखा की भावना ने अपनी आँखें मूंद रखी है.
अपनी गोद में भावना को उठा कर वो अंदर ले गया और बड़े आराम से उसे बिस्तर पे लिटा दिया और पास बैठ कर बस उसे निहारता रहा.
रात भर राजेश भावना के पास बैठा उसे निहारता रहा, भावना के चेहरे पे एक सकूँ था जैसे एक बोज़ जो कब से उसके सीने में दफ़न था वो निकल गया हो. यूँ लग रहा था जेसे राजेश उसके चेहरे से दर्द के हर निशान को सोकता जा रहा था जो दर्द कभी भावना के अंदर समाया हुआ था वो दर्द अब राजेश के अंदर घुसता जा रहा था वो पीड़ा जो भावना ने झेली थी उस पीड़ा का दर्द राजेश महसूस कर रहा था- वो दर्द अब राजेश की आत्मा को झकझोर रहा था और उसे उस प्रण को बार बार याद दिला रहा था की अब वो भावना की जिंदगी सिर्फ़ सुख और खुशी से भरपूर कर देगा और अब तो एक ज़िम्मेदारी और भी बॅड गयी थी सीमा की उसने भी तो दर्द भरा ही जीवन जिया था एक बेटे के खोने का दुख अब राजेश को उसका भव्य भी उसे वापस देना था
रात गुजरती रही और राजेश अपने प्रण को और मजबूत बनाता रहा दिल ही दिल में. एक बात वो समझ चुका था सीमा ने वाइन क्यूँ पिलाई - ये वाइन का सहारा ही था जिसने भावना को अपनी आपबीती सुनाने में हिम्मत दी थी.
आज फिर चलो यही सही और राजेश शाम का इंतेज़ार बेसब्री से करने लगा.
भावना जब सुबह उठी तो उसने राजेश को अपलक निहारते हुए पाया - राजेश के प्यार की गहराई को समझ भावना का दिल बाग बाग हो उठा और उसने राजेश को अपने उपर खींच लिया और पागलों की तरहा उसे चूमने लगी.
'इतना प्यार मत कर रे - झेल नही पाउंगी'
'मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा अब कोई नही आएगा' कह कर राजेश ने अपने होंठ भावना के होंठों से सटा दिए और दोनो फिर किसी और दुनिया में पहुँच गये - जहाँ सिर्फ़ वो दोनो थे और उनका प्यार था.
एक जनून सा छा गया था दोनो पर और भावना ने आज पहल कर ही डाली उसने राजेश के हाथ को अपने उरोज़ पर रख दिया.
दोनो एक दूसरे को चूमते रहे और राजेश बड़े प्यार से उसके उरोज़ को सहलाता रहा जिसका सीधा असर भावना की योनि पे हो रहा था उसके जिस्म में एक तूफान उठ चुका था - और वो तूफान राजेश से भरपूर प्रेम की माँग कर रहा था - वो प्रेम जो स्त्री और पुरुष को एक दूसरे में समा देता है - वो प्रेम जो श्रीष्टि की रचना का आधार है.
राजेश ने भावना के होंठों को छोड़ा और उसकी आँखों में देखने लगा जो कह रही थी, बहुत प्यासी हूँ मैं मुझे अपने प्यार का रस देदो, मेरी प्यास भुझा दो.
'लव मी' भावना ने राजेश से कहा और उसे अपने उपर खींच लिया.
'मेरी ज़मीन काफ़ी दीनो से प्यासी है उसपे अपने प्यार की बारिश कर दो - मुझे आज पूरा कर दो- किस मी- मेक लव तो मी'
'मैं तुम्हें कभी प्यासी नही रहने दूँगा' कह कर राजेश भावना के होंठों को चूसने लग गया और अपने दोनो हाथों से उसके दोनो उरोज़ को सहलाने लग गया
दोनो खो गये एक दूसरे में - भूल गये की दिन हो गया है सीमा कभी भी आ सकती है.
भावना के होंठों को अच्छी तरहा चूसने के बाद राजेश उसके गले को चूमने लगा और भावना ने अपनी नाइटी खोल डाली अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी उसके गुलाबी उरोज़ दो पर्वतों की तरहा राजेश के सामने आ गये और वो उनकी सुंदरता में खो गया, भावना ने राजेश के चेहरे को अपने हाथों में थम कर उसके होंठों को अपने निपल की तरफ किया और राजेश उसका इशारा समझ कर उसके निपल को चूसने लग गया.
आआआआआअ म्*म्म्ममममममममम
भावना सिसक पड़ी और उसने राजेश के सर को अपने उरोज़ पे दबा डाला. राजेश कभी उसके निपल को चूस्ता तो कभी अपने दाँतों से कुरेदता.
ऊऊऊऊऊऊओ म्*म्म्ममममममम हाए चूस ले पीले मेरा दूध उउफफफफफफफफफफफ्फ़
थोड़ी देर बाद भावना ने उसके सर को अपने दूसरे उरोज़ की तरफ मोड़ दिया और राजेश दूसरे उरोज़ को चूसने चाटने लग गया
'मोम!'
'नही राज अब तू अकेले में मुझे मोम कभी नही बुलाएगा - सिर्फ़ दुनिया और तेरे पापा के सामने मैं तेरी मोम हूँ पर अकेले में आज से मैं तेरी पत्नी हूँ - तू मुझे मेरे नाम से ही पुकारेगा'
'ओह भावना आई लव यू'
'आई लव यू टू'
'अब अपनी बीवी को प्यार कर'
'जो हुकुम मेरी जान का'
राजेश ने भावना को उसके कपड़ों से आज़ाद कर दिया और अपने भी कपड़े उतार डाले. भावना की नज़र जब राजेश के लंड पे पड़ी तो सिहर उठी उसका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था भावना को वो दिन याद आ गये जब उसके पास भी एसा ही लंड हुआ करता था - एक हुक सी दिल में उठी - पर जब राजेश फिर उसके जिस्म को चूमने लगा तो वो सब भूल कर राजेश के प्यार में खोती चली गयी.
भावना के जिस्म के एक एक हिस्से को राजेश चूम रहा था चाट रहा था और भावना उन उँचाइयों की तरफ जा रही थी जहाँ वो पहले कभी नही पहुँची थी.
भावना की नाभि पे जब राजेश ने अपनी जीब डाली तो वो सिहर उठी आआआआआआअ और एक जोरदार सिसकी उसके मुँह से निकल पड़ी.
तभी उनके रूम की बेल किसी ने बजाई और दोनो ने फटाफट अपने कपड़े पहने और राजेश ने दरवाजा खोला सामने सीमा खड़ी थी.
सीमा जब कमरे में आई तो भावना का चेहरा ही देख कर समझ गयी की कुछ देर पहले क्या हो रहा था.
सीमा ने अपने गले से सोने की चैन निकाली और राजेश को दी.
'इसे भावना के गले में पहना दो'
राजेश ने वो चैन भावना के गले में डाल दी और दोनो ने फिर झुक कर सीमा का आशीर्वाद लिया.
'हमेशा खुश रहो - बाकी रस्मे बाद में पूरी हो जाएँगी - मैं कुछ काम से जा रही हूँ यही बताने आई थी' कह कर सीमा वहाँ से चली गयी और भावना खुशी के मारे राजेश से लिपट गयी
'अब तो हमारे प्यार को मा की भी रज़ामंदी मिल गयी - आज मैं बहुत खुश हूँ - आज से मेरे दो पति हो गये हैं'
राजेश ने भावना को अपनी बाँहों में समेटा और उसके गालों को किस करते हुए बोला 'बेगम साहिबा फिर जल्दी किस बात की है पहले सारी रस्मे पूरी होने दो'
भावना का चेहरा उतर गया उसका जिस्म जल रहा था वो खुद को राजेश के अंदर बसा लेना चाहती थी.
राजेश उसके मन की हालत समझ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर उसके होंठों पे अपने होंठ रखते हुए बोला ' मैने कहा था ना तुम्हें अब हमेशा सिर्फ़ खुशियाँ ही खुशियाँ मिलेंगी'
तभी सीमा का फोन आता है भावना के मोबाइल पर - भावना कॉल लेती है और कुछ सुनने के बाद सिर्फ़ अच्छा हम रेडी मिलेंगे ' कह कर मोबाइल स्विच ऑफ कर देती है.
'मा ने कहा है दो घंटे बाद रेडी मिलना'
'ओके'
राजेश ने फिर भावना को अपनी बाँहों में खींच लिया दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और दोनो के होंठ एक दूसरे की तरफ खिचने लगे.
और फिर शुरू हो गया दोनो के बीच एक प्रगाद चुंबन.
अब राजेश ने खुद अपने हाथों से भावना की नाइटी नीचे सरका डाली जो भावना के पेरोन के पास गिर पड़ी और भावना ने उसे अपने पेरोन से दूर कर दिया दोनो अभी भी एक दूसरे को चूम रहे थे - भावना ने राजेश के वस्त्र उसके जिस्म से अलग कर दिए.
राजेश ने भावना को अपनी गोद में उठाया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया. फिर वहीं खड़ा हो कर उसकी खूबसूरती को निहारने लगा.
'एसे क्या देख रहे हो?'
'देख रहा हूँ तुम कितनी खूबसूरत हो'
'मत देखो एसे मुझे शर्म आ रही है' - और भावना ने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया . राजेश ने धीरे से उसके हाथ हटाए तो भावना ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया फिर राजेश ने उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और उसकी नशीली आँखों में देखने लगा.
भावना की चूत आँसू बहा रही थी उसकी सह्न शक्ति ख़तम होती जा रही थी और उसने राजेश को अपने उपर खींच लिया.
'लव मी अब नही सहा जा रहा'
राजेश का लिंग भी तनाव के कारण उसे दर्द पहुँचा रहा था उसने भी ज़यादा देर करना ठीक ना समझा क्यूंकी दो घंटे बाद दोनो को रेडी ही होना था.
वो भावना की झंघों के बीच मैं आ गया और भावना ने अपनी झांघें फैला कर उसका स्वागत किया और भावना ने सारी शर्म त्याग कर राजेश के लंड को थाम लिया और उसे अपनी चूत के मुँह से सटा दिया
राजेश ने एक धक्का मारा और उसके लंड का सूपड़ा भावना की चूत में घुस गया.
'आआआआअहहहह' भावना चीख से पड़ी क्यूंकी राजेश का लंड मोटा था और भावना की चुदाई बहुत कम होती थी.
राजेश को लगा जेसे उसका लंड किसी भट्टी के मुँह में फस गया है और तड़प्ते हुए उसने एक ज़ोर का धक्का और लगा डाला. अब राजेश का लगभग आधा लंड भावना की चूत में घुस चुका था और दर्द के मारे भावना की आँखों से आँसू तो निकले ही पर एक जोरदार चीख भी निकल पड़ी.
'म्*म्म्मममममममममममममममममममममममममम'
'ओह तुम कितनी टाइट हो'
'डाल दो पूरा अंदर मेरे दर्द की परवाह मत करो -------फक मी हार्ड'
और जोश में आ कर राजेश ने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड भावना की चूत में घुसा डाला.
'एम्म्मर्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई'
भावना ज़ोर से चीखी . अब राजेश के अंडकोष भावना की गांद से सॅट गये थे और भावना की चूत से खून निकलना शुरू हो गया था.
राजेश रुक गया और भावना के निपल चूसने लग गया. थोड़ी देर में जब भावना का दर्द कम हुआ तो उसने अपनी कमर को हरकत दे कर राजेश को इशारा किया और राजेश धीरे धीरे अपना लंड भावना की चूत के अंदर बाहर करने लगा.
भावना का मज़ा धीरे धीरे बॅड रहा था और वो राजेश की ताल के साथ ताल मिला रही थी उसके दोनो हाथ राजेश की पीठ सहला रहे थे और दोनो ने फिर एक दूसरे के होंठ चूसने शुरू कर दिए थे.
राजेश धीरे धीरे भावना को चोद रहा था और उसे उसके जिस्म में अंजानी तरंगों की बारिश कर रहा था. धीरे धीरे चुद्ने का अपना ही अलग मज़ा है ये अहसास भावना को आज हो रहा था - दो जिस्म की बंद लय में एक दूसरे से टकरा रहे थे और अपने आतीं पड़ाव की और बॅड रहे थे लगभग १५ मीं बाद भावना का जिस्म अकड़ना शुरू हुआ और उसका ओर्गेसम होने लगा वो बुरी तरहा राजेश से चिपक गयी और उसके नाख़ून राजेश की पीठ में धस गये.
जब भावना का ओर्गेसम शांत हुआ तो उसका जिस्म ढीला पॅड गया राजेश भी अब दूर नही था उसने अब अपनी गति तेज कर दी भावना फिर उसका साथ देने लगी और थोड़ी देर में राजेश का लंड भावना की चूत में फूलने लगा और उसके वीर्य की बारिश भावना के चूत को राहत पहुँचाने लगी. गरम गर्म वीर्य की बोचार ने भावना की चूत को सराबोर कर दिया और दोनो एक दूसरे से चिपक के अपनी साँसे संभालने लगे.
दो घंटे बाद राजेश और भावना रेडी हो कर सीमा का इंतेज़ार कर रहे थे. भावना के चेहरे पे बिल्कुल ऐसी चमक थी जो किसी दुल्हन के चेहरे पे होती है सुहाग रात के बाद.
सीमा जब आई तो भावना के चेहरे ने उसे सब कुछ बता दिया और सीमा को एक बहुत बड़े तनाव से मुक्ति मिल गयी अब उसकी बेटी को अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए तरसना नही पड़ेगा.
होटेल में नीचे पहुँच कर सीमा ने रिसेप्षन पे कुछ निर्देश दिए और दोनो को ले कर एक मंदिर में चली गयी जहाँ एक विवाह मंडप सज़ा हुआ था - राजेश और भावना हैरानी से उसे देखने लगे -
सीमा ने पंडित से पूछा - पंडित जी सब तयारि हो गई क्या? ये है मेरा बेटा और ये है मेरी होनेवाली बहू जिनकी शादी करनी है.
दोनो हक्के बक्के सीमा को देख रहे थे उनके कानो में हथोदे बज रहे थे. सीमा ने सब रिश्ते बदल डाले - इस से पहले की दोनो में से कोई कुछ बोलता सीमा ने उनको मंडप पे बिठा दिया और पंडित विधिवत विवाह के मंत्रों का उच्चारण करने लग गया.
जब फेरे हो गये राजेश ने भावना की माँग में सिंदूर भर दिया उसे मंगलसूत्र पहना दिया. जब भी दोनो में से कोई कुछ बोलने लगता सीमा अपनी आँखें तरेर कर उन्हें चुप करा देती.
विवाह सम्पन होने के बाद सब होटल पहुँचे और सीमा ने दोनो को अपने कमरे में बिठाया और राजेश का कमरा चेक करने चली गयी जिसे आज सुहाग कक्ष की तरहा सजाया जाना था. अभी काफ़ी काम बाकी रह गया था - सीमा ने होटल के स्टाफ को जल्दी करने को कहा और राजेश और भावना के पास चली आई.
'जैसे ही सीमा उनके पास बैठी तो - दोनो एक साथ बोल पड़े -'ये सब क्या?'
सीमा ने उन्हें आगे नही बोलने दिया -' मैं जानती हूँ तुम ये पूछना चाहते हो की मैने तुम दोनो की शादी क्यूँ करवाई?'
'मैं नही चाहती थी की जो रिश्ता तुम दोनो के बीच बन चुका है उसका कोई बोज़ तुम्हारी आत्मा पे पड़े - या कभी भी तुम्हें कोई ग्लानि हो - इस लिए मैंने तुम दोनो का विवाह करा दिया अब तुम दोनो पति पत्नी हो और रहोगे हन ये बात अलग है की भावना के दो पति रहेंगे - अगर द्रोप्दि के पाँच पति हो सकते थे तो भावना के दो क्यूँ नही! - हाँ ये रिश्ता राजेश के पिता और समाज के सामने छुपा रहेगा - जब तक मैं तुम दोनो को कोई निर्देश ना दूं - आज मुझे मेरा बेटा भी मिल गया और बहू भी'
दोनो की आँखों में आँसू थे और दोनो ने सीमा के चरण छू कर आशीर्वाद लिया- और भावना के चेहरे पे बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन की तरहा लज्जा के भाव आ गये - थोड़ी देर बाद कुछ लड़कियाँ भावना को आ कर ले गयी उसका शृंगार करने के लिए.
और कमरे में सीमा और राजेश ही रह गये .
'तू मुझ से नाराज़ तो नही?'
'नही मा - मैं तुम से कभी नाराज़ हो सकता हूँ क्या? बस यही सोच रहा हूँ - अगर कभी पापा को पता चल गया तो क्या होगा?'
'अगर उसे पता चल भी गया तब भी वो कुछ नही बोलेगा - उसकी सारी करतूत का कच्चा चिठठा मेरे पास है- अभी फिलहाल तुम सब कुछ भूल जाओ - वक्त आने पे तुम्हें सब मालूम पॅड जाएगा - तुम्हें बस मेरी भावना को हर हाल में खुश रखना है'
राजेश आगे कुछ नही बोलता - कुछ तो बात थी - क्या पापा ने कुछ एसा किया है या करते हैं जो नानी (अब मा) इस तरहा बोल रही थी और राजेश के दिल में बेचैनी बॅड जाती है सच्चाई तक पहुँचने की.
जब तक भावना दुल्हन की तरहा सजती स्वरती - सुहाग कक्ष रेडी हो चुका था और वो लड़कियाँ जो भावना को ले कर गयी थी उन्होंने भावना को उस कमरे में सुहाग सेज पर बिठा दिया और इसकी सूचना सीमा को देदी.
सीमा एक बार भावना से मिल कर आई दोनो के बीच कुछ बातें हुई और फिर सीमा ने राजेश को उस कमरे में बिल्कुल जेसे दूल्हे को अंदर धक्का सा देते है वही किया और कमरा बंद कर दिया फिर अपने कमरे में आ कर बिस्तर पे लेट गयी. आज उसे बड़े चैन की नींद आ रही थी.
राजेश धड़कते दिल के साथ भावना के पास पहुँचा उसे कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करे - जिस्मानी रिश्ता और प्यार का रिश्ता तो दोनो में सुबह ही हो गया था और अब उस रिश्ते को एक नाम भी मिल गया था.
वो भावना के पास जा कर बैठ गया जो घुँगट में मुँह छुपाए बैठी थी. जेसे ही राजेश ने भावना का घुँगट उठाया उसकी आँखें चोंधिया गयी भावना का ये सुंदर रूप उसने पहले कभी नही देखा था- वो बस भावना की सुंदरता में खो गया.
भावना के होंठ थरथरा रहे थे.
'तुम......'
इससे पहले राजेश कुछ और बोल पाता भावना बोल पड़ी - 'राज आज हमारी जिंदगी की नयी शुरूवात है और इसे शुरू करने से पहले मैं तुम्हें अपने अतीत के बारे में सब कुछ बता देना चाहती हूँ - केसे मैं एक शिमेल से औरत बनी - और क्या क्या हुआ मेरे साथ- आज मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगी'
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मेरी जिंदगी--10
राजेश की गोद में बैठ कर या फिर वाइन के दोहरे असर से भावना पर एक डबल नशा सा चॅड रहा था दोनो ने धीरे धीरे वाइन की बोतल ख़तम कर डाली और भावना राजेश के कंधे पे सर रख के उसकी गोध में बैठी रही भावना के जिस्म से उठती हुई भीनी भीनी खुश्बू राजेश पे असर कर रही थी पर उसने खुद पे संयम रखा और बस भावना की पीठ सहलाता रहा.
अचानक भावना ने बोलना शुरू कर दिया.
'राज तू नही जानता मैने कितने मानसिक तनाव झेले हैं अपने बचपन से जवानी तक और आज भी जब उनकी याद आती है तो आत्मा तक कांप जाती है' आज पहली बार भावना ने राजेश को राज कह के संभोदित किया था. राजेश चुप रहा वो भावना को टोकना नही चाहता था.
'उस दिन जब मा ने मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने के लिए इज़ाज़त दे दी तो एक सकूँ सा मिला पर जब मेरा नाम भी बदल दिया भव्य से भावना वो मुझे अच्छा नही लगा पर मेरे पास भी कोई चारा नही था मेरा लिंग आम लोगो की तुलना में बड़ा था पर साथ ही मेरे उरोज़ भी विकसित हो रहे थे और इतने तो बड़े हो ही गये थे की ट्रैनिंग ब्रा की शुरूवात हो गई थी. रात को जब मा ने अपनी नाइटी पहनी और बिस्तर पे लेट गई तो पहली बार मुझे मा को देख कर उत्तेजना महसूस हुई और मैं खुद मा के पास चली गई और उनके होंठों को चूसने लग गई साथ ही साथ मैं अपने उरोज़ मा के उरोज़ के साथ रगड़ रही थी एक अजीब सी सनसनी मेरे जिस्म में फैलती जा रही थी. कुछ देर मैं मा के होंठ चुस्ती रही और फिर अल्ग हो कर अपने कपड़े उतार फेंके. मा ने भी अपनी नाइटी उतार डाली और मैं मा के उपर चॅड गई और मा के उरोज़ मसलने लगी मा भी मेरे उरोज़ दबाने लगी जिसका सीधा असर मेरे लिंग पर हो रहा था और वो तनता ही जा रहा था .हम दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते हुए एक दूसरे के उरोज़ दबाने लगे और निचोड़ने लगे.
और फिर मुझे पता भी नही चला की मेरा लिंग मा की योनि में घुसने लगा मा ने मेरे नितम पकड़ के ज़ोर लगाया और मा का इशारा समझ के मैने भी झटका लगा कर अपना लिंग मा की योनि में घुसा डाला और फिर जैसे जैसे मा सीखाती गई मैं करती गयी और जब दोनो का संखलन हो गया तो मैं पता नही कितनी देर मा के उपर पड़ी अपनी साँसे संभालती रही.
उस दिन पहली बार मुझे कुछ मज़ा आया था और स्त्री पुरुष के जिस्मानी संबंधों को थोड़ा समझने लगी थी. मैं कब सो गयी मुझे पता ही नही चला. अगले दिन मैने मा से पूछा की मेरे वक्ष क्यूँ उभर रहे हैं लड़कों के साथ तो ऐसा नही होता - तब मा ने समझाया की कुद्रत ने मुझे एक शी-मेल की तरहा जनम दिया है मेरे जिस्म के अंदर दोनो प्रकार के अंग हैं बस फराक ये रह गया की मेरी योनि विकसित नही हुई अंदर ही दबी रह गयी है और मेरा लिंग पूरी तरहा विकसित हो गया पर मेरे अंडकोष पूरी तरहा विकसित नही हुए.
क्यूंकी मेरे वक्ष उभरने लगे इसलिए मा ने मुझे लड़की का रूप दे दिया पर अभी भी मेरे पास लिंग ही था योनि नही- मुझे कुछ वक़्त और इंतेज़ार करना था ये जानने के लिए की मेरे कोन से अंग अच्छी तरहा विकसित होंगे फिर ये डिसाइड किया जाएगा की मेरा आगे का जीवन एक लड़के का रूप लेगा या फिर एक लड़की का.
कभी मैं एक लड़की की तरहा सोचती तो कभी एक लड़के की तरहा मैं कभी किसी को दोस्त नही बना सकी. मेरी सारी दुनिया मा से शुरू होती और मा पे ही ख़तम होती, हाँ दीदी भी मेरा बड़ा सहारा थी पर दीदी को मेरी समस्या के बारे में नही पता था और दीदी अभी डेड के साथ ही थी. मैं बहुत मानसिक तनाव में रहती थी.
मा मेरी हालत अच्छी तरहा समझती थी तभी मा ने मेरे लिए अपनी मर्यादा की सारी सीमाएँ तोड़ डाली थी जिसका पता डेड को कभी नही चला. मा मुझे ना संभालती तो शायद मैं आज जीवित नही होती' बोलते बोलते भावना चुप हो गई उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे जो राजेश के कंधे को भिगो रहे थे.
राजेश ने भावना को बिल्कुल नही छेड़ा बस प्यार से उसकी पीठ सहलाता रहा. जब देखा की भावना काफ़ी देर से चुप है तो राजेश हिल कर देखा की भावना ने अपनी आँखें मूंद रखी है.
अपनी गोद में भावना को उठा कर वो अंदर ले गया और बड़े आराम से उसे बिस्तर पे लिटा दिया और पास बैठ कर बस उसे निहारता रहा.
रात भर राजेश भावना के पास बैठा उसे निहारता रहा, भावना के चेहरे पे एक सकूँ था जैसे एक बोज़ जो कब से उसके सीने में दफ़न था वो निकल गया हो. यूँ लग रहा था जेसे राजेश उसके चेहरे से दर्द के हर निशान को सोकता जा रहा था जो दर्द कभी भावना के अंदर समाया हुआ था वो दर्द अब राजेश के अंदर घुसता जा रहा था वो पीड़ा जो भावना ने झेली थी उस पीड़ा का दर्द राजेश महसूस कर रहा था- वो दर्द अब राजेश की आत्मा को झकझोर रहा था और उसे उस प्रण को बार बार याद दिला रहा था की अब वो भावना की जिंदगी सिर्फ़ सुख और खुशी से भरपूर कर देगा और अब तो एक ज़िम्मेदारी और भी बॅड गयी थी सीमा की उसने भी तो दर्द भरा ही जीवन जिया था एक बेटे के खोने का दुख अब राजेश को उसका भव्य भी उसे वापस देना था
रात गुजरती रही और राजेश अपने प्रण को और मजबूत बनाता रहा दिल ही दिल में. एक बात वो समझ चुका था सीमा ने वाइन क्यूँ पिलाई - ये वाइन का सहारा ही था जिसने भावना को अपनी आपबीती सुनाने में हिम्मत दी थी.
आज फिर चलो यही सही और राजेश शाम का इंतेज़ार बेसब्री से करने लगा.
भावना जब सुबह उठी तो उसने राजेश को अपलक निहारते हुए पाया - राजेश के प्यार की गहराई को समझ भावना का दिल बाग बाग हो उठा और उसने राजेश को अपने उपर खींच लिया और पागलों की तरहा उसे चूमने लगी.
'इतना प्यार मत कर रे - झेल नही पाउंगी'
'मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा अब कोई नही आएगा' कह कर राजेश ने अपने होंठ भावना के होंठों से सटा दिए और दोनो फिर किसी और दुनिया में पहुँच गये - जहाँ सिर्फ़ वो दोनो थे और उनका प्यार था.
एक जनून सा छा गया था दोनो पर और भावना ने आज पहल कर ही डाली उसने राजेश के हाथ को अपने उरोज़ पर रख दिया.
दोनो एक दूसरे को चूमते रहे और राजेश बड़े प्यार से उसके उरोज़ को सहलाता रहा जिसका सीधा असर भावना की योनि पे हो रहा था उसके जिस्म में एक तूफान उठ चुका था - और वो तूफान राजेश से भरपूर प्रेम की माँग कर रहा था - वो प्रेम जो स्त्री और पुरुष को एक दूसरे में समा देता है - वो प्रेम जो श्रीष्टि की रचना का आधार है.
राजेश ने भावना के होंठों को छोड़ा और उसकी आँखों में देखने लगा जो कह रही थी, बहुत प्यासी हूँ मैं मुझे अपने प्यार का रस देदो, मेरी प्यास भुझा दो.
'लव मी' भावना ने राजेश से कहा और उसे अपने उपर खींच लिया.
'मेरी ज़मीन काफ़ी दीनो से प्यासी है उसपे अपने प्यार की बारिश कर दो - मुझे आज पूरा कर दो- किस मी- मेक लव तो मी'
'मैं तुम्हें कभी प्यासी नही रहने दूँगा' कह कर राजेश भावना के होंठों को चूसने लग गया और अपने दोनो हाथों से उसके दोनो उरोज़ को सहलाने लग गया
दोनो खो गये एक दूसरे में - भूल गये की दिन हो गया है सीमा कभी भी आ सकती है.
भावना के होंठों को अच्छी तरहा चूसने के बाद राजेश उसके गले को चूमने लगा और भावना ने अपनी नाइटी खोल डाली अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी उसके गुलाबी उरोज़ दो पर्वतों की तरहा राजेश के सामने आ गये और वो उनकी सुंदरता में खो गया, भावना ने राजेश के चेहरे को अपने हाथों में थम कर उसके होंठों को अपने निपल की तरफ किया और राजेश उसका इशारा समझ कर उसके निपल को चूसने लग गया.
आआआआआअ म्*म्म्ममममममममम
भावना सिसक पड़ी और उसने राजेश के सर को अपने उरोज़ पे दबा डाला. राजेश कभी उसके निपल को चूस्ता तो कभी अपने दाँतों से कुरेदता.
ऊऊऊऊऊऊओ म्*म्म्ममममममम हाए चूस ले पीले मेरा दूध उउफफफफफफफफफफफ्फ़
थोड़ी देर बाद भावना ने उसके सर को अपने दूसरे उरोज़ की तरफ मोड़ दिया और राजेश दूसरे उरोज़ को चूसने चाटने लग गया
'मोम!'
'नही राज अब तू अकेले में मुझे मोम कभी नही बुलाएगा - सिर्फ़ दुनिया और तेरे पापा के सामने मैं तेरी मोम हूँ पर अकेले में आज से मैं तेरी पत्नी हूँ - तू मुझे मेरे नाम से ही पुकारेगा'
'ओह भावना आई लव यू'
'आई लव यू टू'
'अब अपनी बीवी को प्यार कर'
'जो हुकुम मेरी जान का'
राजेश ने भावना को उसके कपड़ों से आज़ाद कर दिया और अपने भी कपड़े उतार डाले. भावना की नज़र जब राजेश के लंड पे पड़ी तो सिहर उठी उसका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था भावना को वो दिन याद आ गये जब उसके पास भी एसा ही लंड हुआ करता था - एक हुक सी दिल में उठी - पर जब राजेश फिर उसके जिस्म को चूमने लगा तो वो सब भूल कर राजेश के प्यार में खोती चली गयी.
भावना के जिस्म के एक एक हिस्से को राजेश चूम रहा था चाट रहा था और भावना उन उँचाइयों की तरफ जा रही थी जहाँ वो पहले कभी नही पहुँची थी.
भावना की नाभि पे जब राजेश ने अपनी जीब डाली तो वो सिहर उठी आआआआआआअ और एक जोरदार सिसकी उसके मुँह से निकल पड़ी.
तभी उनके रूम की बेल किसी ने बजाई और दोनो ने फटाफट अपने कपड़े पहने और राजेश ने दरवाजा खोला सामने सीमा खड़ी थी.
सीमा जब कमरे में आई तो भावना का चेहरा ही देख कर समझ गयी की कुछ देर पहले क्या हो रहा था.
सीमा ने अपने गले से सोने की चैन निकाली और राजेश को दी.
'इसे भावना के गले में पहना दो'
राजेश ने वो चैन भावना के गले में डाल दी और दोनो ने फिर झुक कर सीमा का आशीर्वाद लिया.
'हमेशा खुश रहो - बाकी रस्मे बाद में पूरी हो जाएँगी - मैं कुछ काम से जा रही हूँ यही बताने आई थी' कह कर सीमा वहाँ से चली गयी और भावना खुशी के मारे राजेश से लिपट गयी
'अब तो हमारे प्यार को मा की भी रज़ामंदी मिल गयी - आज मैं बहुत खुश हूँ - आज से मेरे दो पति हो गये हैं'
राजेश ने भावना को अपनी बाँहों में समेटा और उसके गालों को किस करते हुए बोला 'बेगम साहिबा फिर जल्दी किस बात की है पहले सारी रस्मे पूरी होने दो'
भावना का चेहरा उतर गया उसका जिस्म जल रहा था वो खुद को राजेश के अंदर बसा लेना चाहती थी.
राजेश उसके मन की हालत समझ गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर उसके होंठों पे अपने होंठ रखते हुए बोला ' मैने कहा था ना तुम्हें अब हमेशा सिर्फ़ खुशियाँ ही खुशियाँ मिलेंगी'
तभी सीमा का फोन आता है भावना के मोबाइल पर - भावना कॉल लेती है और कुछ सुनने के बाद सिर्फ़ अच्छा हम रेडी मिलेंगे ' कह कर मोबाइल स्विच ऑफ कर देती है.
'मा ने कहा है दो घंटे बाद रेडी मिलना'
'ओके'
राजेश ने फिर भावना को अपनी बाँहों में खींच लिया दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और दोनो के होंठ एक दूसरे की तरफ खिचने लगे.
और फिर शुरू हो गया दोनो के बीच एक प्रगाद चुंबन.
अब राजेश ने खुद अपने हाथों से भावना की नाइटी नीचे सरका डाली जो भावना के पेरोन के पास गिर पड़ी और भावना ने उसे अपने पेरोन से दूर कर दिया दोनो अभी भी एक दूसरे को चूम रहे थे - भावना ने राजेश के वस्त्र उसके जिस्म से अलग कर दिए.
राजेश ने भावना को अपनी गोद में उठाया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया. फिर वहीं खड़ा हो कर उसकी खूबसूरती को निहारने लगा.
'एसे क्या देख रहे हो?'
'देख रहा हूँ तुम कितनी खूबसूरत हो'
'मत देखो एसे मुझे शर्म आ रही है' - और भावना ने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया . राजेश ने धीरे से उसके हाथ हटाए तो भावना ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया फिर राजेश ने उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया और उसकी नशीली आँखों में देखने लगा.
भावना की चूत आँसू बहा रही थी उसकी सह्न शक्ति ख़तम होती जा रही थी और उसने राजेश को अपने उपर खींच लिया.
'लव मी अब नही सहा जा रहा'
राजेश का लिंग भी तनाव के कारण उसे दर्द पहुँचा रहा था उसने भी ज़यादा देर करना ठीक ना समझा क्यूंकी दो घंटे बाद दोनो को रेडी ही होना था.
वो भावना की झंघों के बीच मैं आ गया और भावना ने अपनी झांघें फैला कर उसका स्वागत किया और भावना ने सारी शर्म त्याग कर राजेश के लंड को थाम लिया और उसे अपनी चूत के मुँह से सटा दिया
राजेश ने एक धक्का मारा और उसके लंड का सूपड़ा भावना की चूत में घुस गया.
'आआआआअहहहह' भावना चीख से पड़ी क्यूंकी राजेश का लंड मोटा था और भावना की चुदाई बहुत कम होती थी.
राजेश को लगा जेसे उसका लंड किसी भट्टी के मुँह में फस गया है और तड़प्ते हुए उसने एक ज़ोर का धक्का और लगा डाला. अब राजेश का लगभग आधा लंड भावना की चूत में घुस चुका था और दर्द के मारे भावना की आँखों से आँसू तो निकले ही पर एक जोरदार चीख भी निकल पड़ी.
'म्*म्म्मममममममममममममममममममममममममम'
'ओह तुम कितनी टाइट हो'
'डाल दो पूरा अंदर मेरे दर्द की परवाह मत करो -------फक मी हार्ड'
और जोश में आ कर राजेश ने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड भावना की चूत में घुसा डाला.
'एम्म्मर्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई'
भावना ज़ोर से चीखी . अब राजेश के अंडकोष भावना की गांद से सॅट गये थे और भावना की चूत से खून निकलना शुरू हो गया था.
राजेश रुक गया और भावना के निपल चूसने लग गया. थोड़ी देर में जब भावना का दर्द कम हुआ तो उसने अपनी कमर को हरकत दे कर राजेश को इशारा किया और राजेश धीरे धीरे अपना लंड भावना की चूत के अंदर बाहर करने लगा.
भावना का मज़ा धीरे धीरे बॅड रहा था और वो राजेश की ताल के साथ ताल मिला रही थी उसके दोनो हाथ राजेश की पीठ सहला रहे थे और दोनो ने फिर एक दूसरे के होंठ चूसने शुरू कर दिए थे.
राजेश धीरे धीरे भावना को चोद रहा था और उसे उसके जिस्म में अंजानी तरंगों की बारिश कर रहा था. धीरे धीरे चुद्ने का अपना ही अलग मज़ा है ये अहसास भावना को आज हो रहा था - दो जिस्म की बंद लय में एक दूसरे से टकरा रहे थे और अपने आतीं पड़ाव की और बॅड रहे थे लगभग १५ मीं बाद भावना का जिस्म अकड़ना शुरू हुआ और उसका ओर्गेसम होने लगा वो बुरी तरहा राजेश से चिपक गयी और उसके नाख़ून राजेश की पीठ में धस गये.
जब भावना का ओर्गेसम शांत हुआ तो उसका जिस्म ढीला पॅड गया राजेश भी अब दूर नही था उसने अब अपनी गति तेज कर दी भावना फिर उसका साथ देने लगी और थोड़ी देर में राजेश का लंड भावना की चूत में फूलने लगा और उसके वीर्य की बारिश भावना के चूत को राहत पहुँचाने लगी. गरम गर्म वीर्य की बोचार ने भावना की चूत को सराबोर कर दिया और दोनो एक दूसरे से चिपक के अपनी साँसे संभालने लगे.
दो घंटे बाद राजेश और भावना रेडी हो कर सीमा का इंतेज़ार कर रहे थे. भावना के चेहरे पे बिल्कुल ऐसी चमक थी जो किसी दुल्हन के चेहरे पे होती है सुहाग रात के बाद.
सीमा जब आई तो भावना के चेहरे ने उसे सब कुछ बता दिया और सीमा को एक बहुत बड़े तनाव से मुक्ति मिल गयी अब उसकी बेटी को अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए तरसना नही पड़ेगा.
होटेल में नीचे पहुँच कर सीमा ने रिसेप्षन पे कुछ निर्देश दिए और दोनो को ले कर एक मंदिर में चली गयी जहाँ एक विवाह मंडप सज़ा हुआ था - राजेश और भावना हैरानी से उसे देखने लगे -
सीमा ने पंडित से पूछा - पंडित जी सब तयारि हो गई क्या? ये है मेरा बेटा और ये है मेरी होनेवाली बहू जिनकी शादी करनी है.
दोनो हक्के बक्के सीमा को देख रहे थे उनके कानो में हथोदे बज रहे थे. सीमा ने सब रिश्ते बदल डाले - इस से पहले की दोनो में से कोई कुछ बोलता सीमा ने उनको मंडप पे बिठा दिया और पंडित विधिवत विवाह के मंत्रों का उच्चारण करने लग गया.
जब फेरे हो गये राजेश ने भावना की माँग में सिंदूर भर दिया उसे मंगलसूत्र पहना दिया. जब भी दोनो में से कोई कुछ बोलने लगता सीमा अपनी आँखें तरेर कर उन्हें चुप करा देती.
विवाह सम्पन होने के बाद सब होटल पहुँचे और सीमा ने दोनो को अपने कमरे में बिठाया और राजेश का कमरा चेक करने चली गयी जिसे आज सुहाग कक्ष की तरहा सजाया जाना था. अभी काफ़ी काम बाकी रह गया था - सीमा ने होटल के स्टाफ को जल्दी करने को कहा और राजेश और भावना के पास चली आई.
'जैसे ही सीमा उनके पास बैठी तो - दोनो एक साथ बोल पड़े -'ये सब क्या?'
सीमा ने उन्हें आगे नही बोलने दिया -' मैं जानती हूँ तुम ये पूछना चाहते हो की मैने तुम दोनो की शादी क्यूँ करवाई?'
'मैं नही चाहती थी की जो रिश्ता तुम दोनो के बीच बन चुका है उसका कोई बोज़ तुम्हारी आत्मा पे पड़े - या कभी भी तुम्हें कोई ग्लानि हो - इस लिए मैंने तुम दोनो का विवाह करा दिया अब तुम दोनो पति पत्नी हो और रहोगे हन ये बात अलग है की भावना के दो पति रहेंगे - अगर द्रोप्दि के पाँच पति हो सकते थे तो भावना के दो क्यूँ नही! - हाँ ये रिश्ता राजेश के पिता और समाज के सामने छुपा रहेगा - जब तक मैं तुम दोनो को कोई निर्देश ना दूं - आज मुझे मेरा बेटा भी मिल गया और बहू भी'
दोनो की आँखों में आँसू थे और दोनो ने सीमा के चरण छू कर आशीर्वाद लिया- और भावना के चेहरे पे बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन की तरहा लज्जा के भाव आ गये - थोड़ी देर बाद कुछ लड़कियाँ भावना को आ कर ले गयी उसका शृंगार करने के लिए.
और कमरे में सीमा और राजेश ही रह गये .
'तू मुझ से नाराज़ तो नही?'
'नही मा - मैं तुम से कभी नाराज़ हो सकता हूँ क्या? बस यही सोच रहा हूँ - अगर कभी पापा को पता चल गया तो क्या होगा?'
'अगर उसे पता चल भी गया तब भी वो कुछ नही बोलेगा - उसकी सारी करतूत का कच्चा चिठठा मेरे पास है- अभी फिलहाल तुम सब कुछ भूल जाओ - वक्त आने पे तुम्हें सब मालूम पॅड जाएगा - तुम्हें बस मेरी भावना को हर हाल में खुश रखना है'
राजेश आगे कुछ नही बोलता - कुछ तो बात थी - क्या पापा ने कुछ एसा किया है या करते हैं जो नानी (अब मा) इस तरहा बोल रही थी और राजेश के दिल में बेचैनी बॅड जाती है सच्चाई तक पहुँचने की.
जब तक भावना दुल्हन की तरहा सजती स्वरती - सुहाग कक्ष रेडी हो चुका था और वो लड़कियाँ जो भावना को ले कर गयी थी उन्होंने भावना को उस कमरे में सुहाग सेज पर बिठा दिया और इसकी सूचना सीमा को देदी.
सीमा एक बार भावना से मिल कर आई दोनो के बीच कुछ बातें हुई और फिर सीमा ने राजेश को उस कमरे में बिल्कुल जेसे दूल्हे को अंदर धक्का सा देते है वही किया और कमरा बंद कर दिया फिर अपने कमरे में आ कर बिस्तर पे लेट गयी. आज उसे बड़े चैन की नींद आ रही थी.
राजेश धड़कते दिल के साथ भावना के पास पहुँचा उसे कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करे - जिस्मानी रिश्ता और प्यार का रिश्ता तो दोनो में सुबह ही हो गया था और अब उस रिश्ते को एक नाम भी मिल गया था.
वो भावना के पास जा कर बैठ गया जो घुँगट में मुँह छुपाए बैठी थी. जेसे ही राजेश ने भावना का घुँगट उठाया उसकी आँखें चोंधिया गयी भावना का ये सुंदर रूप उसने पहले कभी नही देखा था- वो बस भावना की सुंदरता में खो गया.
भावना के होंठ थरथरा रहे थे.
'तुम......'
इससे पहले राजेश कुछ और बोल पाता भावना बोल पड़ी - 'राज आज हमारी जिंदगी की नयी शुरूवात है और इसे शुरू करने से पहले मैं तुम्हें अपने अतीत के बारे में सब कुछ बता देना चाहती हूँ - केसे मैं एक शिमेल से औरत बनी - और क्या क्या हुआ मेरे साथ- आज मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगी'
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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