FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--14
एक बात बताइये सोनियाजी ?.....
क्या ?........
आपकी कच्ची चूत का उदघाटन आपके पापा ने कैसे और कब किया .....मतलब आपकी उम्र क्या थी ??....
पंद्रह -सोलह साल .......लेकिन मेरी चूत का उदघाटन मेरे पापा ने नहीं किया ......
तो किसने .??........ परिवार के ही किसी और सदस्य ने ???.........
अरे नहीं .....मेरे परिवार में तो सिर्फ मै , दम्मे की बीमारी से ग्रसित मेरी माँ , पिताजी और बूढ़े दादाजी थे .....पिताजी रियल एस्टेट ब्रोकर एजेंट थे और आगरे में अपना काम करते थे ...हमारा गाँव आगरे के पास ही था ...पिताजी प्रायः शहर में ही रहते थे , पर बरसात में कारोबार के ऑफ़ सीजन में दो महीने घर रहते थे ......मै उस समय नवी कक्षा में पढ़ती थी और पुरे गाँव में सबसे सुन्दर थी .....
ये बात दशहरे के समय की है .....गाँव में रामलीला चल रहा था ..रात के आठ बजे से बारह बजे तक
..लेकिन ठण्ड के कारण न मेरी माँ खुद जाती थी और न अकेले मुझे जाने देती थी ......एक रात पड़ोस की सुखिया बुआ, माँ को मना के मुझे अपने साथ रामलीला दिखाने ले गयी .....
मै रामलीला देखने में तल्लीन थी ...लगभग एक घंटे बाद सुखिया बुआ ने मेरे कान में धीरे से बोली - मुझे पेशाब लगी है , मूतने जा रही हूँ ...तुझे चलना है तो चल ...मैंने इनकार में सर हिलाया और सीता स्वयंबर देखने लगी ....तभी मेरा माथा ठनका ...
.......बुआ आधे घंटे पहले ही तो मूत के आयी थी और उससमय भी मूतने में उसने काफी समय लिया था उसने ........
थोड़ी देर में मै भी उठकर चल पड़ी जिधर सुखिया गयी थी .......गली के मोड़ पर मेरे पाँव ठिठक गए क्योकि गली के आखरी घर में सुखिया घुस रही थी ......
बुआ गिरजा चाची के घर में क्यों घुस रही है ...गिरजा चाची तो रामलीला देख रही है ..........सुखिया कही चोरी तो नहीं ........नहीं ..ऐसा नहीं हो सकता क्योकि घर में चाची की बहु और फौजी भैया की बीबी कंगना भाभी तो होगी ही .......
अँधेरे में लपकते हुए मै घर के पास पहुँच गयी .......
तू फिर आ गयी ....अभी अभी तो मेरे चेले से मरवा के गयी थी ........ .....एक मर्दाना आवाज अन्दर से आया
आपका चेला तो आपके सामने पिद्दी है .......मालिक आप एक बार कर लो न .......मुझे आपसे मरवानी है .............पिछले दशहरे में तो रोज आप ही लेते थे मेरी ....अब इस कमीनी पर दिल आ गया .......................अन्दर से सुखिया की आवाज आयी
और तुझे उस बुढिया पर नजर रखने को कहा था न.......फिर वही आवाज
अन्दर क्या हो रहा है , ये देखने के लिए मै बेचैन हो उठी .......फिर घर के पीछे की तरफ गयी ....वहां हल्का उजाला था ...अन्दर से रौशनी खिड़की से छनकर आ रही थी .....खिड़की थोडा खुला था ....अन्दर से वासनामयी आहें ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......और ...चोदो......आ रही थी ...
मै अन्दर झाँकने लगी ..........
नजारा देखते ही मेरे सारे शारीर में चीटियाँ रेंगनी शुरू कर दी ......
खिड़की के पास ही नीचे जमीन पर एक जवान साधू लेटा था और पड़ोस गाँव की सब्जी बेचने वाली औरत उसके ऊपर चढ़कर उसे चोद रही थी और आहे भर रही थी ..........
कंगना भाभी नंगी बिस्तर पर पैर पटकते हुए छटपटा रही थी क्योंकि उसके ऊपर 'भगन्दर बाबा' ( जो हर साल दशहरे में ही हमारे गाँव में आते थे और किसी के भी यहाँ दस दिनों के लिए टिक जाते थे ....पिछली बार सुखिया के यहाँ टिके थे और इसबार गिरजा चाची के यहाँ ) चढ़कर हुमच हुमच कर पेल रहे थे ....सुखिया बुआ अपनी साडी -पेटीकोट एक हाथ से अपने पेट तक उठाकर दुसरे हाथ से अपने बुर को मसलती बाबा के सामने खड़ी अपनी बारी का इन्तजार कर रही थी .....
मै कमरे में नजर दौराइ.....और कोई नहीं था .....
पूरा कमरा ....... सिसकी ..आहों ...और फच...फच.....से गूंज रहा था .....
मै कामवासना में जलने लगी .........
मेरा हाथ स्वमेव ही मेरे टाईट पैजामी में घुस गए और मै अपनी अविकसित चुचियों को मसलते हुए दुसरे हाथ से अपनी चूत रगड़ने लगी .....
तभी मेरी गांड की दरार में कोई चीज चुभी और किसी ने मुझे पीछे से पकड़ा .....
मै तेजी से पलटी ..........मेरे सामने बड़ी बड़ी दाढ़ी और मुछों वाला इंसान खडा था .....पलटते ही मेरी चीख निकल गयी
क...क.... कौन है? ...बाबा की हड़बडाती आवाज आयी .....
बाबा नया माल है .....मुझे पकडे पकडे मेरी चुतरों की गोलाइयों को अपने हांथो से दबाते हुए आगंतुक जवान साधू ने जबाब दिया ....डर से मेरी घिग्घी बंध गयी थी.
फ़ौरन दरवाजा खुला .....चेला साधू जो मुझे पकडे था मुझे उठाकर अन्दर ले गया ....और खडा कर दिया ....और दरवाजा बंद कर दिया ...
कौन है तू? और यहाँ क्या कर रही है ??....भगन्दर बाबा ने कड़कदार आवाज में पूछा
.......मै डर कांपने लगी थी ... देखा तो सारे लोग अपने बदन को थोड़ा बहुत ढक चुके थे ...बाबा भी लंगोट में थे
तू यहाँ क्यों आयी ...सुखिया बुआ मुझे डांटते हुए बोली .......फिर बाबा की तरफ मुड़कर बोली ....ये मेरे साथ है ...इसे जाने दीजिए ...किसी से कुछ नहीं कहेगी |
आयी है तो थोडा प्रसाद लेकर ही जाएगी ....
जाने दीजिए अभी बच्ची है .....
कोई बात नहीं मैंने बहुत बच्चियों को भी प्रसाद दिया है .......हाँ मै किसी के इच्छा के बिना प्रसाद नही देता , ये बात तुम्हे मालुम होना चाहिए .....
मेरी जान में जान आयी ......
तुम लोग चालू हो जाओ ....मै थोड़ा भोग लगाता हूँ
अभी आये चेले ने सुखिया बुआ और सब्जी वाली दोनों को नंगा कर घुटनों के बल बिठाया और अपना लम्बा लौड़ा निकालकर दोनों के मुंह में बारी बारी से देने लगा
दुसरा चेला कंगना भाभी को पीछे से पकड़कर उनकी पेटीकोट को खोलकर नंगा कर दिया और भाभी की चुचियों को मसलते हुए उन्हें लेकर कुर्सी पर बैठ गया फिर कंगना भाभी की दोनों जांघो को फैलाकर कुर्सी के दोनों हत्थों पर चढ़ा दिया .....भाभी की फूली हुई बुर मेरे सामने फ़ैल गयी .....जिसमे वो चेला नीचे से हाथ डालकर भाभी के पिछवाड़े को रगड़ते हुए ऊँगली करने लगा ......
मै गनगना रही थी ......
बालिके !....भगन्दर बाबा ने एक हाथ प्यार से पीठ पर रखा .......
मेरे शारीर में आवेश का तरंग लहराया ......
चुदाई देखोगी ?..........कहते हुए बाबा ने अपना हाथ पीठ से सरकाकर मेरे गांड पर पैजामी के ऊपर टिकाया ..और हटाने से पहले दरारों को कपडे के ऊपर से ही हलके से रगडा .....
आउच .....मेरे मुंह से निकला ....
बाबा मुझसे हट के पीछे कुर्सी पर बैठ गए और सोमरस का पान करने लगे ....एक पैग पीने के बाद हुंकारे
.....चेलों चुदाई शुरू करो ....
दोनों चेलो ने तीनो औरतों को बारी बारी घचाघच घचाघच चोदने लगा .....
मै उत्तेजना में बहकने लगी ....
धीरे धीरे मै फिर अपने हाथों से अपनी कबूतरी दबा रही थी .....अब मै चाह रही थी की बाबा मुझे गोद में लेकर मेरे बोबे दबाये और मेरे शारीर से खेले .....
मेरे सारे बदन में चीटियाँ रेंग रही थी ....मेरे पैर थडथाडाने लगे थे ..... मेरा खडा रहना मुश्किल हो गया .........
मै झुक कर बिस्तर पर अपने दोनों हाथ की केहुनी टिका दिया और सामने कंगना भाभी और सुखिया बुआ की बुर में घुसते निकलते लंड को देखने लगी .....
तभी मेरे पिछवाड़े पर किसी मूसल का दबाब बना ....मै सिहर उठी .....मै समझ गयी बाबा ने मेरी पीड़ा समझ ली है और पीछे से ही आशीर्बाद दे रहें है .....
उनका मूसल पैजामी को समेटते हुए मेरे पिछवाड़े में घुसता जा रहा था ......लगभग दो तीन मिनट तक वो अन्दर ठेलते रहे...फिर अचानक पैजामी के ऊपर से ही मेरी गांड को चोदने लगे ......मेरा पूरा शारीर एक मीठी खाज से भरने लगा .............
मैंने दोनों हाथों से अपनी पैजामी की इलास्टिक पकड़कर पैंटी के साथ नीचे घुटनों तक सरका दिया ......
मेरा पिछवाड़ा नंगा हो गया ........
लेकिन बाबा ने अपने हथियार को मेरी नंगी गांड पर दबाने बजाय हटा लिया ......फिर पूछा .....पहले बोल तेरी मर्जी है ....
हाँ बाबा ......
क्या मर्जी है ?......
जो आपकी इच्छा है ...सब कर लो ...बाबा ....मै मना नहीं करुँगी....
फिर ये तो मेरी मर्जी हुई .......नहीं .....बोल तेरी मर्जी क्या है ...
आपसे करवाने की .....कहते हुए मैंने अपना मुंह बिस्तर में छुपा लिया .....अच्छा था बाबा की तरफ मेरी पीठ थी ..
क्या करवाने की ......साफ साफ बोल
चुदवाने की .....
क्या चुदवाने की ....और किससे......पूरा बोल बिटिया
बाबा मेरे साथ शब्दों का खेल खेल रहे थे .....मै चुदास से भर गयी थी ....
मैंने सीधा होते हुए कहा - बाबा .....मुझे अपनी बुर चुदवानी है ,आपसे .....प्लीज अपने लंड से मेरी बुर चोदिये ......
ये हुई न बात .......
और मेरी नंगी चूत पर हाथ फेरने लगे .....
फिर कमंडल से सोमरस मेरी चूत पर डाला और झुककर मेरी चूत चाटने लगे ....
मै उत्तेजना की पंखो पर सवार सातवें आसमान की सैर कर रही थी .....
बाबा अब चोदिए मुझे ......मेरे मुँह से निकला
अब बाबा ने मेरी पैजामी और पैंटी खींचकर निकाल दिया और मेरी टांगो को फैलाया ....धीरे धीरे एक ऊँगली मेरी चूत में डाला
मुझे दर्द होने लगा ......
बाबा ...दर्द हो रहा है ....मै सिसकी
बाबा ने मेरी गालों को चुमते हुए कहा ...एक बार थोडा दर्द तो होगा बिटिया ....पर उसके बाद बहुत मजा आएगा ..........................अब चोदूं....
ठीक है बाबा .....चो..चोदिए .....
बाबा ने अपना लंगोट निकाला....मै उनका लंड देखने के उठने का उपक्रम किया ...उन्होंने फिर मुझे लिटा दिया और मेरे जांघो के बीच पोजीशन लेकर अपना लंड मेरी छोटी चूत के मुहाने पर रखा ....और मेरे ऊपर आकर मुझे अच्छी तरह से जकड लिया ...
मै हिल भी नहीं पा रही थी ...बाबा ने अपना मुसल थोडा मेरे अन्दर सरकाया ......मै कसमसाई ....लगा जैसे गर्म लोहे का रॉड अन्दर घुसा
तभी बाबा ने एक जोर का झटका मारा ...मेरी चूत ककरी की तरह फट गयी .........
मै जोर से चिल्लाई ........आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....छोड़ दो बाबा ...मै मर जाउंगी ....
.
मेरी चींख सुनकर सभी चेले और औरते हमारे पास चारो तरफ इकट्ठे हो गए .....बाबा ने फ़ौरन मेरे मुँह को अपने होंटों से दबा दिया ...मै छटपटाने लगी ....
सुखिया बुआ मेरे बालों में हाथ फेरने लगी .....
बाबा मुझे दनादन चोदे जा रहे थे .....
थोड़ी देर बाद मुझे कुछ भी याद नहीं रहा ...मै बेहोश हो गयी ....
जब मुझे होश आया ....तो देखा सभी मेरे आसपास बैठे थे और बाबा कुर्सी पर चिलम पी रहे थे ......
मुझे अपनी चूत में तेज जलन महसूस हुआ ....नीचे देखा तो जांघो पर भी खून लगा हुआ था .....बाबा ने मेरी कच्ची चूत के चीथड़े उड़ा दिए थे ....
सोनिया की कहानी सुनकर मै गनगना गया था ......
मेरे लंड कुलाचे मारने लगा .....मै मिसेज मेहरा के ऊपर चढ़ गया और दन से अपना लौड़ा उनकी फैली ..पनिआइ बुर में पेल दिया .....
आउच ......आराम से .....तेरा भी कोई कम तगड़ा नहीं है ....
मै तूफ़ान गति से उनको चोद रहा था .....
मिसेज मेहरा की मादक सिसकी पुरे कमरे में फ़ैल रही थी ....
जब मै झड़कर शांत हुआ और उनके ऊपर से उतरा.......तो देखा मिसेज मेहरा अपने सूखे होंटो पर अपनी जीभ फेर रही थी ......
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--14
एक बात बताइये सोनियाजी ?.....
क्या ?........
आपकी कच्ची चूत का उदघाटन आपके पापा ने कैसे और कब किया .....मतलब आपकी उम्र क्या थी ??....
पंद्रह -सोलह साल .......लेकिन मेरी चूत का उदघाटन मेरे पापा ने नहीं किया ......
तो किसने .??........ परिवार के ही किसी और सदस्य ने ???.........
अरे नहीं .....मेरे परिवार में तो सिर्फ मै , दम्मे की बीमारी से ग्रसित मेरी माँ , पिताजी और बूढ़े दादाजी थे .....पिताजी रियल एस्टेट ब्रोकर एजेंट थे और आगरे में अपना काम करते थे ...हमारा गाँव आगरे के पास ही था ...पिताजी प्रायः शहर में ही रहते थे , पर बरसात में कारोबार के ऑफ़ सीजन में दो महीने घर रहते थे ......मै उस समय नवी कक्षा में पढ़ती थी और पुरे गाँव में सबसे सुन्दर थी .....
ये बात दशहरे के समय की है .....गाँव में रामलीला चल रहा था ..रात के आठ बजे से बारह बजे तक
..लेकिन ठण्ड के कारण न मेरी माँ खुद जाती थी और न अकेले मुझे जाने देती थी ......एक रात पड़ोस की सुखिया बुआ, माँ को मना के मुझे अपने साथ रामलीला दिखाने ले गयी .....
मै रामलीला देखने में तल्लीन थी ...लगभग एक घंटे बाद सुखिया बुआ ने मेरे कान में धीरे से बोली - मुझे पेशाब लगी है , मूतने जा रही हूँ ...तुझे चलना है तो चल ...मैंने इनकार में सर हिलाया और सीता स्वयंबर देखने लगी ....तभी मेरा माथा ठनका ...
.......बुआ आधे घंटे पहले ही तो मूत के आयी थी और उससमय भी मूतने में उसने काफी समय लिया था उसने ........
थोड़ी देर में मै भी उठकर चल पड़ी जिधर सुखिया गयी थी .......गली के मोड़ पर मेरे पाँव ठिठक गए क्योकि गली के आखरी घर में सुखिया घुस रही थी ......
बुआ गिरजा चाची के घर में क्यों घुस रही है ...गिरजा चाची तो रामलीला देख रही है ..........सुखिया कही चोरी तो नहीं ........नहीं ..ऐसा नहीं हो सकता क्योकि घर में चाची की बहु और फौजी भैया की बीबी कंगना भाभी तो होगी ही .......
अँधेरे में लपकते हुए मै घर के पास पहुँच गयी .......
तू फिर आ गयी ....अभी अभी तो मेरे चेले से मरवा के गयी थी ........ .....एक मर्दाना आवाज अन्दर से आया
आपका चेला तो आपके सामने पिद्दी है .......मालिक आप एक बार कर लो न .......मुझे आपसे मरवानी है .............पिछले दशहरे में तो रोज आप ही लेते थे मेरी ....अब इस कमीनी पर दिल आ गया .......................अन्दर से सुखिया की आवाज आयी
और तुझे उस बुढिया पर नजर रखने को कहा था न.......फिर वही आवाज
अन्दर क्या हो रहा है , ये देखने के लिए मै बेचैन हो उठी .......फिर घर के पीछे की तरफ गयी ....वहां हल्का उजाला था ...अन्दर से रौशनी खिड़की से छनकर आ रही थी .....खिड़की थोडा खुला था ....अन्दर से वासनामयी आहें ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......और ...चोदो......आ रही थी ...
मै अन्दर झाँकने लगी ..........
नजारा देखते ही मेरे सारे शारीर में चीटियाँ रेंगनी शुरू कर दी ......
खिड़की के पास ही नीचे जमीन पर एक जवान साधू लेटा था और पड़ोस गाँव की सब्जी बेचने वाली औरत उसके ऊपर चढ़कर उसे चोद रही थी और आहे भर रही थी ..........
कंगना भाभी नंगी बिस्तर पर पैर पटकते हुए छटपटा रही थी क्योंकि उसके ऊपर 'भगन्दर बाबा' ( जो हर साल दशहरे में ही हमारे गाँव में आते थे और किसी के भी यहाँ दस दिनों के लिए टिक जाते थे ....पिछली बार सुखिया के यहाँ टिके थे और इसबार गिरजा चाची के यहाँ ) चढ़कर हुमच हुमच कर पेल रहे थे ....सुखिया बुआ अपनी साडी -पेटीकोट एक हाथ से अपने पेट तक उठाकर दुसरे हाथ से अपने बुर को मसलती बाबा के सामने खड़ी अपनी बारी का इन्तजार कर रही थी .....
मै कमरे में नजर दौराइ.....और कोई नहीं था .....
पूरा कमरा ....... सिसकी ..आहों ...और फच...फच.....से गूंज रहा था .....
मै कामवासना में जलने लगी .........
मेरा हाथ स्वमेव ही मेरे टाईट पैजामी में घुस गए और मै अपनी अविकसित चुचियों को मसलते हुए दुसरे हाथ से अपनी चूत रगड़ने लगी .....
तभी मेरी गांड की दरार में कोई चीज चुभी और किसी ने मुझे पीछे से पकड़ा .....
मै तेजी से पलटी ..........मेरे सामने बड़ी बड़ी दाढ़ी और मुछों वाला इंसान खडा था .....पलटते ही मेरी चीख निकल गयी
क...क.... कौन है? ...बाबा की हड़बडाती आवाज आयी .....
बाबा नया माल है .....मुझे पकडे पकडे मेरी चुतरों की गोलाइयों को अपने हांथो से दबाते हुए आगंतुक जवान साधू ने जबाब दिया ....डर से मेरी घिग्घी बंध गयी थी.
फ़ौरन दरवाजा खुला .....चेला साधू जो मुझे पकडे था मुझे उठाकर अन्दर ले गया ....और खडा कर दिया ....और दरवाजा बंद कर दिया ...
कौन है तू? और यहाँ क्या कर रही है ??....भगन्दर बाबा ने कड़कदार आवाज में पूछा
.......मै डर कांपने लगी थी ... देखा तो सारे लोग अपने बदन को थोड़ा बहुत ढक चुके थे ...बाबा भी लंगोट में थे
तू यहाँ क्यों आयी ...सुखिया बुआ मुझे डांटते हुए बोली .......फिर बाबा की तरफ मुड़कर बोली ....ये मेरे साथ है ...इसे जाने दीजिए ...किसी से कुछ नहीं कहेगी |
आयी है तो थोडा प्रसाद लेकर ही जाएगी ....
जाने दीजिए अभी बच्ची है .....
कोई बात नहीं मैंने बहुत बच्चियों को भी प्रसाद दिया है .......हाँ मै किसी के इच्छा के बिना प्रसाद नही देता , ये बात तुम्हे मालुम होना चाहिए .....
मेरी जान में जान आयी ......
तुम लोग चालू हो जाओ ....मै थोड़ा भोग लगाता हूँ
अभी आये चेले ने सुखिया बुआ और सब्जी वाली दोनों को नंगा कर घुटनों के बल बिठाया और अपना लम्बा लौड़ा निकालकर दोनों के मुंह में बारी बारी से देने लगा
दुसरा चेला कंगना भाभी को पीछे से पकड़कर उनकी पेटीकोट को खोलकर नंगा कर दिया और भाभी की चुचियों को मसलते हुए उन्हें लेकर कुर्सी पर बैठ गया फिर कंगना भाभी की दोनों जांघो को फैलाकर कुर्सी के दोनों हत्थों पर चढ़ा दिया .....भाभी की फूली हुई बुर मेरे सामने फ़ैल गयी .....जिसमे वो चेला नीचे से हाथ डालकर भाभी के पिछवाड़े को रगड़ते हुए ऊँगली करने लगा ......
मै गनगना रही थी ......
बालिके !....भगन्दर बाबा ने एक हाथ प्यार से पीठ पर रखा .......
मेरे शारीर में आवेश का तरंग लहराया ......
चुदाई देखोगी ?..........कहते हुए बाबा ने अपना हाथ पीठ से सरकाकर मेरे गांड पर पैजामी के ऊपर टिकाया ..और हटाने से पहले दरारों को कपडे के ऊपर से ही हलके से रगडा .....
आउच .....मेरे मुंह से निकला ....
बाबा मुझसे हट के पीछे कुर्सी पर बैठ गए और सोमरस का पान करने लगे ....एक पैग पीने के बाद हुंकारे
.....चेलों चुदाई शुरू करो ....
दोनों चेलो ने तीनो औरतों को बारी बारी घचाघच घचाघच चोदने लगा .....
मै उत्तेजना में बहकने लगी ....
धीरे धीरे मै फिर अपने हाथों से अपनी कबूतरी दबा रही थी .....अब मै चाह रही थी की बाबा मुझे गोद में लेकर मेरे बोबे दबाये और मेरे शारीर से खेले .....
मेरे सारे बदन में चीटियाँ रेंग रही थी ....मेरे पैर थडथाडाने लगे थे ..... मेरा खडा रहना मुश्किल हो गया .........
मै झुक कर बिस्तर पर अपने दोनों हाथ की केहुनी टिका दिया और सामने कंगना भाभी और सुखिया बुआ की बुर में घुसते निकलते लंड को देखने लगी .....
तभी मेरे पिछवाड़े पर किसी मूसल का दबाब बना ....मै सिहर उठी .....मै समझ गयी बाबा ने मेरी पीड़ा समझ ली है और पीछे से ही आशीर्बाद दे रहें है .....
उनका मूसल पैजामी को समेटते हुए मेरे पिछवाड़े में घुसता जा रहा था ......लगभग दो तीन मिनट तक वो अन्दर ठेलते रहे...फिर अचानक पैजामी के ऊपर से ही मेरी गांड को चोदने लगे ......मेरा पूरा शारीर एक मीठी खाज से भरने लगा .............
मैंने दोनों हाथों से अपनी पैजामी की इलास्टिक पकड़कर पैंटी के साथ नीचे घुटनों तक सरका दिया ......
मेरा पिछवाड़ा नंगा हो गया ........
लेकिन बाबा ने अपने हथियार को मेरी नंगी गांड पर दबाने बजाय हटा लिया ......फिर पूछा .....पहले बोल तेरी मर्जी है ....
हाँ बाबा ......
क्या मर्जी है ?......
जो आपकी इच्छा है ...सब कर लो ...बाबा ....मै मना नहीं करुँगी....
फिर ये तो मेरी मर्जी हुई .......नहीं .....बोल तेरी मर्जी क्या है ...
आपसे करवाने की .....कहते हुए मैंने अपना मुंह बिस्तर में छुपा लिया .....अच्छा था बाबा की तरफ मेरी पीठ थी ..
क्या करवाने की ......साफ साफ बोल
चुदवाने की .....
क्या चुदवाने की ....और किससे......पूरा बोल बिटिया
बाबा मेरे साथ शब्दों का खेल खेल रहे थे .....मै चुदास से भर गयी थी ....
मैंने सीधा होते हुए कहा - बाबा .....मुझे अपनी बुर चुदवानी है ,आपसे .....प्लीज अपने लंड से मेरी बुर चोदिये ......
ये हुई न बात .......
और मेरी नंगी चूत पर हाथ फेरने लगे .....
फिर कमंडल से सोमरस मेरी चूत पर डाला और झुककर मेरी चूत चाटने लगे ....
मै उत्तेजना की पंखो पर सवार सातवें आसमान की सैर कर रही थी .....
बाबा अब चोदिए मुझे ......मेरे मुँह से निकला
अब बाबा ने मेरी पैजामी और पैंटी खींचकर निकाल दिया और मेरी टांगो को फैलाया ....धीरे धीरे एक ऊँगली मेरी चूत में डाला
मुझे दर्द होने लगा ......
बाबा ...दर्द हो रहा है ....मै सिसकी
बाबा ने मेरी गालों को चुमते हुए कहा ...एक बार थोडा दर्द तो होगा बिटिया ....पर उसके बाद बहुत मजा आएगा ..........................अब चोदूं....
ठीक है बाबा .....चो..चोदिए .....
बाबा ने अपना लंगोट निकाला....मै उनका लंड देखने के उठने का उपक्रम किया ...उन्होंने फिर मुझे लिटा दिया और मेरे जांघो के बीच पोजीशन लेकर अपना लंड मेरी छोटी चूत के मुहाने पर रखा ....और मेरे ऊपर आकर मुझे अच्छी तरह से जकड लिया ...
मै हिल भी नहीं पा रही थी ...बाबा ने अपना मुसल थोडा मेरे अन्दर सरकाया ......मै कसमसाई ....लगा जैसे गर्म लोहे का रॉड अन्दर घुसा
तभी बाबा ने एक जोर का झटका मारा ...मेरी चूत ककरी की तरह फट गयी .........
मै जोर से चिल्लाई ........आह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....छोड़ दो बाबा ...मै मर जाउंगी ....
.
मेरी चींख सुनकर सभी चेले और औरते हमारे पास चारो तरफ इकट्ठे हो गए .....बाबा ने फ़ौरन मेरे मुँह को अपने होंटों से दबा दिया ...मै छटपटाने लगी ....
सुखिया बुआ मेरे बालों में हाथ फेरने लगी .....
बाबा मुझे दनादन चोदे जा रहे थे .....
थोड़ी देर बाद मुझे कुछ भी याद नहीं रहा ...मै बेहोश हो गयी ....
जब मुझे होश आया ....तो देखा सभी मेरे आसपास बैठे थे और बाबा कुर्सी पर चिलम पी रहे थे ......
मुझे अपनी चूत में तेज जलन महसूस हुआ ....नीचे देखा तो जांघो पर भी खून लगा हुआ था .....बाबा ने मेरी कच्ची चूत के चीथड़े उड़ा दिए थे ....
सोनिया की कहानी सुनकर मै गनगना गया था ......
मेरे लंड कुलाचे मारने लगा .....मै मिसेज मेहरा के ऊपर चढ़ गया और दन से अपना लौड़ा उनकी फैली ..पनिआइ बुर में पेल दिया .....
आउच ......आराम से .....तेरा भी कोई कम तगड़ा नहीं है ....
मै तूफ़ान गति से उनको चोद रहा था .....
मिसेज मेहरा की मादक सिसकी पुरे कमरे में फ़ैल रही थी ....
जब मै झड़कर शांत हुआ और उनके ऊपर से उतरा.......तो देखा मिसेज मेहरा अपने सूखे होंटो पर अपनी जीभ फेर रही थी ......
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment