FUN-MAZA-MASTI
अतिथि कब चोदोगे--1
दोस्तों, कहते है की अतिथि भगवान का रूप होता है.
लाबोदर चाचा इलाहाबाद के रहने वाले थे और जब से पप्पू से मिल के आये थे मुंबई से तब से अपने गांव में एक ही चर्चा करते थे की देखो कितने संस्कार दिए है पप्पू को पुतानी ने.
जब हम मुंबई गए रहे तो हमारे सामने कभी भी अपनी पत्नी मुनमुन को चोदे नहीं रहे. कितना सेवा संस्कार किये रहे हमारा मुंबई में.
लेकिन गजोधर, जब से हमने उसकी पत्नी को देखा है बस मत पुछो बस मन में उसकी का ख्याल आता है. कितनी सुन्दर, सुशिल और सदाचारी पत्नी पी है पप्पू ने. लेकिन का करे गजोधर जब से सरला मरी है तबसे मैंने चुदाई के तरफ से ध्यान हटा दिया है. आज सरला जिन्दा होती तो हम भी चुदाई का आनंद उठा रहे होते.
इतना कह कर लाबोदर रोने लगे. तो गजोधर ने कहा की भैया कहे रोते हो. नयी शादी कर लो या कोई गर्ल फ्रेंड बना लो. फिर जितनी बार चुदाई करनी है कर लेना तुम्हे कौर रोकता है.
अरे का बताये गजोधर, जब हम मुंबई गए रहे न घूमने तो का लड़की देखे रहे जुहू बिच पे. ससुरी खुले आम चुदाई का आनंद लूटे रहे. भैया बस मन में एक ही ख्वाइश है की एक बार फिर से मुंबई चले जाये और पप्पू की पत्नी मुनमुन की हाथ का बना हुआ खाना फिर खाए.
गजोधर बोला भैया मुझे तो तुम्हारी नियत ठीक नहीं लग रही है. कही तुम्हारा दिल पप्पू की पत्नी मुनमुन पे तो नहीं आ गया है. गजोधर ने अपने कान पकडे और बोला की राम राम का बोलते हो गजोधर अब अपनी उम्र तो पचास पर करने वाली है. पप्पू तो जवान है, सुन्दर है वो पप्पू से न चुदायेगी तो क्या इस बुढ्ढे चाचा से चुदवाएगी. और हम तो उसके चाचा लगते हो. सरला यदि ऊपर से देखेगी तो कितनी कोसेगी हमको की हम चाचा होके अपने बेटी सामान बहु पर गन्दी नजर रखते है. न बाबा न ऐसी बात तो सोचना भी पाप है.
गजोधर बोला अरे चाचा अब जमाना बदल गया है और कितनी ही बहुए अपने ससुर से चुदवाती है. अब देखो आदमी काम से पीछे इतना परा हुआ है की किसको फुर्सर है चुदाई करने की. तुम ये बात मन से निकल दो और की मुनमुन का मन नहीं होगा चुदवाने का. बस तुम एक काम करना की तुम अपनी धोती के निचे लगोट या अपना कच्छा मत पहनना और किसी तरह अपना १० इंच का लंड उसको दिखा देना फिर देखना की कैसे वो तुमसे चुदवाने के लिए बेताब हो जाती है. हाँ बस ये बात पप्पू को मत पता चलना चाहिए.
अगले ही दिन लाबोदर ने तत्काल का टिकट कराया भागलपुर दादर एक्सप्रेस में और २ दिन के सफर के बाद पहुच गए उसी अपार्टमेंट के पास जहाँ पे आखरी बार वो पप्पू से मिले थे.
जैसे ही लम्बोदर चाचा लिफ्ट के पास पहुचे की फिर उसी चौकीदार से उसकी मुलाकात हो गई जिसको लम्बोदर ने थप्पर मरकर सीधा किया था.
‘राम राम चाचा जी! और घर में सबकुछ ठीक है. बहुत दिनौ के बाद मुलाकात हुई. सब खौरियत से तो है’ चौकीदार ने पूछा .
लम्बोदर ने झट से एक थप्पर रसीद किया चौकीदार के गाल पे और बोला की बुरबक भूल गए की सरला तो मर गई है और हम घर में अकेले है तो घर का हाल चल पूछ के सरला की याद काहे दिला देते हो बुरबक कही का. अभी पापा का नंबर दो फोन करते है.
माफ कर दो चाचा जी गलती हो गई. हम भूल गए थे. चौकीदार लम्बोदर के पैर पे गिर पड़ा.
लाबोदर ने झट से चौकीदार को सामान उठा के पप्पू के घर पे ले चलने को कहा. बेचारे ने झट से चाचा जी का सामान उठाया और चल पड़े पप्पू के फ्लेट में.
उधर पप्पू और मुनमुन की जिंदगी काफी बदल गयी थी. अब पप्पू कहानी लेखक नहीं रहा, फिल्म निर्देशक बन गया था और मुनमुन ने एक कंपनी बना ली थी फैशन हाउस की. अब वो उस कंपनी की सीईओ थी. उसका बेटा जो पांचवी में पढता था अब उसके साथ नहीं रहता था. पप्पू ने उसे शिमला के एक बोअर्डिंग स्कूल में भर्ती करा दिया था. इसके दो कारण थे. पहली तो ये की अब पप्पू और मुनमुन काफी ब्यस्त रहते थे और अपने बेटे को ठीक से टाइम नहीं दे पाते थे दूसरी उसके चलते वो दोनों चुदाई नहीं कर पाते थे. जाहिर है वो साथ ही सोता था और दोनों बेचारे पप्पू और मुनमुन चुदाई के लिए तरस तरस के रह जाते थे. इसलिए दोनों ने ये प्लान बनाया और अपने बेटे को शिमला के बोअर्डिंग स्कूल में दाखिला करा दिया. अब दोनों अकेले थे और जम के एन्जॉय कर लेते थे. फिर भी काम का काफी दबाव था दोनों पर और बड़ी मुश्किल से दोनों एक दूसरों को समय दे पाते थे.
लम्बोदर ने दरवाजे पे कॉल बेल बजायी और मुनमुन ने दरवाजा खोला. उस समय सुबह के ७ बज रहे थे. इसलिए दोनों ड्यूटी पे नहीं गए थे.
‘अरे चाचा जी, प्रणाम कैसे है. बहुत दिन के बाद दर्शन दिए है. बड़ी खुशी हुयी आपके फिर से दर्शन हुए.’ मुनमुन ने चाचा जी के चरण स्पर्श किये.
लाबोदर तो मुनमुन को देख के दंग रह गया. अब मुनमुन का चेहरा और शारीर दोनों काफी खिल गए थे. गाल ज्यादा शुर्ख लग रहे थे और देखने में बिलकुल अप्सरा लग रही थी.
‘खुश रहो बिटिया और जुग जुग जियो. जी किया की बहुत दिन तो हो गए बहु से मिले हुए इसलिए फिर चला आया. बेटी पप्पू नहीं दिखाई दे रहा है.’ बस इनता ही कह पाया था लम्बोदर.
‘अंदर आएये न चाचाजी. पप्पू जी तो अभी सो रहे है. अभी जगाए देती हूँ. आप तब तक फ्रेश हो जाईये ना.
‘ठीक है बिटिया जैसी तुम्हारी मर्जी’ ऐसा कहते ही लामोदर चाचा ने बड़े जोर की पाद लगायी. पूरा कमरा चाचा जी की पादने ने गमक उठा.
बेचारी मुनमुन ने झट से रूम फ्रेशनर लगाया.
चाचाजी तो चले गए नहाने के लिए और मुनमुन गयी पप्पू के पास जो अभी तक घोड़े बेच के सो रहा था.
‘अजी सुनते हो! उठो न जी !’ मुनमुन ने पप्पू के कान में आवाज दी’
पप्पू अभी सो रहा था. लेकिन मुनमुन की आवाज सुनकर अन्मनाते हुए उठा और मुनमुन की चूची को दबतें हुए बोला की डार्लिंग आओना एक बार चुदाई करतें है. रात को मन नहीं भरा था. और इतना कह कर झट से मूनमून के होठ को चूमने लगा.
‘मुनमुन ने अपने चेहरे हो दूर करतें होए बोला की ये जी देखो एसा न करो. आपके इलाहबाद वाले चाचा जी पधारे है और गुसलखाने में नहा रहे है. कही उसने देख लिया तो क्या सोचेंगे’
पप्पू को तो जैसे जोर का झटका धीरे से लगा. उसे लगा की मुनमुन मजाक कर रही है. उसने इस बार मुनमुन की चूची को जोर से दबाया और उसके निप्पल को अपने अंगूठे में दबाते हुए बोला की जरुर तुम मजाक कर रही हो.
मुनमुन बोली की मैं मजाक नहीं कर रही हो. आपको बिस्वास नहीं होता तो आप गुसलखाने में जाके देखिये न और उनका सामन भी तो सोफे के पास रखा हुआ है.
पप्पू को फिर भी बिस्वास नहीं हुआ और वो जैसे ही सोफे के पास पंहुचा और चाचाजी का सामान देख कर मानो बेहोश ही हो गया. और सोचने लगा की बड़ी मुश्किल से तो अपने बेटे को शिमला भेजा ताकि अपनी मून के साथ जम के चुदाई कर सके और ये चाचाजी भी फिर से बिन बुलाए मेहमान की तरह आ धमके.
खैर, अब चाचा जी आ चुके है तो उनका स्वागत तो करना ही पड़ेगा. पप्पू सोचने लगा की एसा क्या किया जाये जिससे चाचा जी जल्दी ही घर छोड़ के वापस अपने गांव चले जाएँ.
जब चाचा जी नहा के बाहर निकले तो पप्पू ने उसे प्रणाम किया और हमेशा की तरह चाचा जी ने उसे ढेर सारा आशीर्वाद दिया.
पप्पू और मुनमुन दोनों अपने अपने काम पे चलने के लिए तैयार हुए. हमेशा की तरह चाचाजी ने खाने की रंग बिरंगी फरमाइश की और मून को वो सारा चीज बनाना पड़ा.
जब वो दोनों अपने काम पे जाने लगे तो चाचाजी ने बोला की बेटे मैं ट्रेन में काफी थक गया हुआ हूँ इसलिए आज जी भर के आराम करूँगा. तुमलोग मेरी चिंता मत करो और मजे से काम के लिए जाओ.
पप्पू रास्ते भर यही सोचता रहा की क्या किया जाये. फिर मन में उसे एक ख्याल आया की क्यों न चाचाजी को परेशान करते है. चाचाजी तो ठहरे गांव के रहने वाले और चाची तो कब की मर चुकी है. सेक्स से बढ़िया और बोरिंग चीज उसके लिए क्या होगी. अब उनकी उम्र भी बहुत हो गई इसलिए सेक्स का ख्याल तो उनके मन में आता नहीं होगा उलटे इससे नफरत करते होंगे. उसने सोचा की रात को मून को जम के चोदुंगा और इनता जम के चोदुंगा की मुनमुन की चीख निकल जाये चुदते वक्त. जब मुनमुन की सेक्स में तडपते हुए आवाज दो तीन तक चाचाजी के कान में पड़ेंगे तो खुद की उकता कर अपने गांव की ओर प्रस्थान कर देंगे. ये ख्याल दिमाग में आते ही वो काफी खुश हुआ और फिर उसका पूरा दिन मजे से काम में गुजरा.
उधर मुनमुन ये सोच रही थी की अब रात को चुदाई कैसे करेंगे. जब पप्पू चोदेगा तो उसकी मस्ती भरी चीख कही चाचाजी के कानो में न पर जाये. फिर उसने सोचा की वो पप्पू को कहेगी की वो धीरे धीरे और प्यार से उसे चोदे ताकि उसकी कोई आवाज चाचाजी के कानो में न पड़ने पाए. फिर वो ये सोच के काफी खुश हुयी और उसका भी पूरा दिन मजे से गुजरा.
उधर मून और पप्पू के अपने अपने काम से घर से बहार चले जाने के बाद चाचा जी ने जम के सोने का आनंद उठाया. फिर जब वो २ बजे उठा तो सोचने लगा की यहाँ क्या क्या करूँगा. उसका ध्यान अपने लंड पे गया और सोचने लगा की इसकी प्यास कैसे बुझाउ. फिर वो सोचने लगा की कुछ दिन जब तक की कोई लड़की नहीं पट जाती मुठ मार के काम चला लेगा. फिर वो सोचने लगा की किसके नाम की मुठ मारूंगा. अब सरला के नाम से तो नहीं मार सकता. वो बेचारी क्या सोचेगी की मन में. वो सोचने लगा. फिर मन में अचानक एक ख्याल आया और वो खुशी से उछल पड़ा.
उसने सोचा की अपनी मूनमून कितनी सुन्दर लग रही है. क्यों न इसके नाम की मुठ मर लूँ. फिर दूसरे मन में ख्याल आया की नहीं ये गलत है. बहु के बारे में एसे नहीं सोचना चाहिए. फिर पहले मन ने कहा की तू उसके साथ कोई चुदाई थोड़े न कर रहा है. बस मुठ ही तो मार रहा है. क्या फर्क पड़ता है. आजकल के लड़के फिल्म हेरोइन के नाम से मुठ मारते है. कई कई हेरोइन तो मुठ मरने वाले की उम्र से दोगुने उम्र के होते है. जैसे की यदि कोई काजोल के नाम की मुठ कोई १७ साल का लड़का मारे तो. काजोल है ३४ साल की और ये १७ साल का . ये तो लगभग दोगुनी उम्र हो गयी न. मेरी उम्र है ५० साल और मुनमुन की यही कोई २२-२३ होगी. तो ये भी लगभग वही बात हुई. कोई बात नहीं मुठ मारने में कोई गलत बात नहीं है.
फिर लम्बोदर ने सोचा की मैं मुठ मरते वक्त क्या सोचूंगा. क्या मैं ये सोचूंगा की मैं मून की चुदाई कर रहा हूँ. नहीं ये बात गलत है. हाँ मैं मन में ये सोच सकता हूँ की मैं ही पप्पू हूँ और मून की योनि चोद रहा हूँ. हाँ ये ठीक रहेगा. फिर उसके मन में एक और जबरदस्त ख्याल आया और फिर वो एक बार और खुशी से उछल पड़ा.
उसने सोचा की मुनमुन और पप्पू रात में चुदाई तो अवस्य करते होंगे. यदि इनदोनो की चुदाई को अपने आँखों से देखने का मौका मिल जाये तो बहुत अछ्छा होगा. फिर उसने सोचा की क्यों न दिवार में या दरवाजे में एक छेद बनाया जाय. जिससे की उसकी चुदाई बड़े ही सरलता के साथ देखि जा सकती है.लाबोदर बड़े ही शातिर दिमाग का था और हमेशा अपने साथ पेचकश और नट लिए चलता था. फिर उसने दो छेद किये. एक हल्का सा सुराख़ बनाया दरवाजे पे, बिलकुल छोटा सा इतना छोटा की सरलता से दिखाई न पड़े की यहाँ पे कोई छेद है. और फिर एक कोने में दिवार पे भी एक छोटा सा छेद बना दिया. हाँ दिवार पे छेद बनाने में थोड़ी मुश्किल जरुर हुई पर वो कामयाब रहा. अरे गांव में तो उसे कितनी ही एसी समस्याओ का सामना करना पड़ता था. जब दोनों छेद बन गए तो उसके मन में ये ख्याल आया की कही पप्पू ने मेरा रूम बदल दिया तो बड़ी मुश्किल हो जायेगी और पुरे प्लान की माँ चुद जायेगी. फिर उसने दूसरे रूम के दरवाजे पे भी वही किया. अब पप्पू और मून ज्यादा कमाते थे इसलिए अब दोनों कमरे में AC लगा लगा हुआ था. फिर चाचा जी बाहर गए और बिलकुल दरवाजे और दीवाल के ही रंग का रंगीन कपडा ख़रीदा और गम की सहायता से और पिन की सहायता से चारो छेद को ढक् दिया. अब सब कुछ पहले जैसा नोर्मल लग रहा था.
फिर लम्बोदर रसोई घर में गया और जो सुबह का खाना बचा हुआ था उसको जम के खाया. ५ बज गए थे. अभी भी उन दोनों को आने में कम से कम २ घंटे बचे थे. लम्बोदर ने सोचा की क्या किया जाये. फिर वो टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद उसके मन में ख्याल आया की क्यों न कोई अच्छी सी सीडी से फिल्म देखू. ससुरी टीवी पे प्रचार बहुत आता है और फिल्म देखने का मजा बिलकुल खराब हो जाता है. फिर वो सर्च करने लगा. उसे एक कोने में ४-५ सीडी का एक पैक मिला जोकि बड़ी ही शानदार तरीके से पैक किया हुआ था. उसने एक सीडी निकाली और सीडी प्लयेर में लगा दिया. जैसे ही फिल्म चालू हुआ तो लम्बोदर के होश उड़ गए. ये तो एक ब्लू फिल्म थी. लम्बोदर ने ब्लू फिल्म तो बहुत देखि थी गांव में लेकिन ये बिलकुल अलग किस्म की थी. इसमें तो एक इंडियन लड़की जोकि किसी हेरोइन से कम नहीं लग रही थी अपने किसी बॉय फ्रेंड के साथ मस्ती के मुद् में लग रहे थे. अरे बाबा क्या फिल्म थी. पहले दोनों ने फ्रेंच किस की फिर लड़की लड़के का लंड चूसने लगी. बिलकुल ओरिजिनल लग रहा था. लग रहा था की किसी ने चुपके से कैमरा लगा दिया था जब दोनों चुदाई कर रहे थे. एक बेडरूम था बिलकुल घर जैसा और दोनों मजे से फोर प्ले कर रहे थे. जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ रही थी लम्बोदर के शारीर में से कपडे भी कम हो रहे थे. अब फिल्म में लड़का लड़की की चुत में लंड घुसा के पेलने की तयारी कर रहा था. लड़की मस्ती में सिसक रही थी. जब लंड अंदर घुसा तो लम्बोदर ने अपना लंड अपने हाथ में लिया और ऊपर निचे हिलाने लगा. लम्बोदर ने मन में सोचा की इस लड़के के जगह पर वो ही इस लड़की की चुत मार रहा है. फिर जब लड़का जम के चुदाई करने लगा तो लम्बोदर ने भी अपना हाथ जोर से हिलाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर के बाद लड़के ने अपना लंड बाहर निकला और लड़की को अपना लंड चूसने के लिए बोला. लड़की झर चुकी थी इसलिए बड़े ही तेजी से उसका लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद लड़के ने अपना लंड उसके मुह से बहार निकला और लड़की के चेहरे पे अपना पूरा वीर्य भर दिया. लड़की के गाल, नाक, गला, कान सब जगह वीर्य से तर हो चूका था. थोडा सा वीर्य उसकी सुनहरे बाल और उसकी चूची पे भी गिर गया था. ये दृश्य देख कर लम्बोदर पागल हो गया और अपना आपा खो बैठा और अपना वीर्य सोफे पे ही डाल दिया. जब गर्मी पूरी शांत हुई तो लम्बोदर बहुत पछताया. सोफा उजले रंग का था और उसकी वीर्य का दाग सोफे पे लग गया था. लेकिन अब वो क्या कर सकता था. लेकिन उसे मजा बहुत आया था. पहली बार इतना ओरिजिनल ब्लू फिल्म देखा था और मस्त हो गया था. फिर उसने उस सीडी को वही पर बिलकुल उसकी तरह से रख दिया जहा से उसने उसे निकाला था. फिर उसे फर्श को साफ करने वाला एक क्रीम मिला और और उसने बड़ी मुश्किल से अपने वीर्य का दाग छुडाया. फिर भी पूरी तरह से नहीं छूट पाया था. लेकिन अब कोई यदि ध्यान से उसे देखेगा तभी वो दाग नजर आयेगी. इसलिए लम्बोदर ने थोड़ी राहत की साँस ली और चल पड़ा नहाने के लिए. उसने जम के नहाया और अपने लंड को सरसों तेल से मालिश किया. अब उससे लग रहा था की अब तो बिना चुदाई के रहा नहीं जायेगा. इसलिए अब वो अपने लंड की खाश हिफाजत करने लगा. उसे जल्द ही वो रौनक नजर आने लगी जो उस सीडी में वो लड़का उठा रहा था.
वो नहा के वापस निकला और सोफे पे बैठा ही था की कॉल बेल बजी. जैसे ही लम्बोदर ने दरवाजा खोला की पप्पू और मुनमुन सामने खड़े थे. पप्पू रोज मुनमुन को उसके ऑफिस से आते वक्त पिक कर लिया करता था.
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अतिथि कब चोदोगे--1
दोस्तों, कहते है की अतिथि भगवान का रूप होता है.
लाबोदर चाचा इलाहाबाद के रहने वाले थे और जब से पप्पू से मिल के आये थे मुंबई से तब से अपने गांव में एक ही चर्चा करते थे की देखो कितने संस्कार दिए है पप्पू को पुतानी ने.
जब हम मुंबई गए रहे तो हमारे सामने कभी भी अपनी पत्नी मुनमुन को चोदे नहीं रहे. कितना सेवा संस्कार किये रहे हमारा मुंबई में.
लेकिन गजोधर, जब से हमने उसकी पत्नी को देखा है बस मत पुछो बस मन में उसकी का ख्याल आता है. कितनी सुन्दर, सुशिल और सदाचारी पत्नी पी है पप्पू ने. लेकिन का करे गजोधर जब से सरला मरी है तबसे मैंने चुदाई के तरफ से ध्यान हटा दिया है. आज सरला जिन्दा होती तो हम भी चुदाई का आनंद उठा रहे होते.
इतना कह कर लाबोदर रोने लगे. तो गजोधर ने कहा की भैया कहे रोते हो. नयी शादी कर लो या कोई गर्ल फ्रेंड बना लो. फिर जितनी बार चुदाई करनी है कर लेना तुम्हे कौर रोकता है.
अरे का बताये गजोधर, जब हम मुंबई गए रहे न घूमने तो का लड़की देखे रहे जुहू बिच पे. ससुरी खुले आम चुदाई का आनंद लूटे रहे. भैया बस मन में एक ही ख्वाइश है की एक बार फिर से मुंबई चले जाये और पप्पू की पत्नी मुनमुन की हाथ का बना हुआ खाना फिर खाए.
गजोधर बोला भैया मुझे तो तुम्हारी नियत ठीक नहीं लग रही है. कही तुम्हारा दिल पप्पू की पत्नी मुनमुन पे तो नहीं आ गया है. गजोधर ने अपने कान पकडे और बोला की राम राम का बोलते हो गजोधर अब अपनी उम्र तो पचास पर करने वाली है. पप्पू तो जवान है, सुन्दर है वो पप्पू से न चुदायेगी तो क्या इस बुढ्ढे चाचा से चुदवाएगी. और हम तो उसके चाचा लगते हो. सरला यदि ऊपर से देखेगी तो कितनी कोसेगी हमको की हम चाचा होके अपने बेटी सामान बहु पर गन्दी नजर रखते है. न बाबा न ऐसी बात तो सोचना भी पाप है.
गजोधर बोला अरे चाचा अब जमाना बदल गया है और कितनी ही बहुए अपने ससुर से चुदवाती है. अब देखो आदमी काम से पीछे इतना परा हुआ है की किसको फुर्सर है चुदाई करने की. तुम ये बात मन से निकल दो और की मुनमुन का मन नहीं होगा चुदवाने का. बस तुम एक काम करना की तुम अपनी धोती के निचे लगोट या अपना कच्छा मत पहनना और किसी तरह अपना १० इंच का लंड उसको दिखा देना फिर देखना की कैसे वो तुमसे चुदवाने के लिए बेताब हो जाती है. हाँ बस ये बात पप्पू को मत पता चलना चाहिए.
अगले ही दिन लाबोदर ने तत्काल का टिकट कराया भागलपुर दादर एक्सप्रेस में और २ दिन के सफर के बाद पहुच गए उसी अपार्टमेंट के पास जहाँ पे आखरी बार वो पप्पू से मिले थे.
जैसे ही लम्बोदर चाचा लिफ्ट के पास पहुचे की फिर उसी चौकीदार से उसकी मुलाकात हो गई जिसको लम्बोदर ने थप्पर मरकर सीधा किया था.
‘राम राम चाचा जी! और घर में सबकुछ ठीक है. बहुत दिनौ के बाद मुलाकात हुई. सब खौरियत से तो है’ चौकीदार ने पूछा .
लम्बोदर ने झट से एक थप्पर रसीद किया चौकीदार के गाल पे और बोला की बुरबक भूल गए की सरला तो मर गई है और हम घर में अकेले है तो घर का हाल चल पूछ के सरला की याद काहे दिला देते हो बुरबक कही का. अभी पापा का नंबर दो फोन करते है.
माफ कर दो चाचा जी गलती हो गई. हम भूल गए थे. चौकीदार लम्बोदर के पैर पे गिर पड़ा.
लाबोदर ने झट से चौकीदार को सामान उठा के पप्पू के घर पे ले चलने को कहा. बेचारे ने झट से चाचा जी का सामान उठाया और चल पड़े पप्पू के फ्लेट में.
उधर पप्पू और मुनमुन की जिंदगी काफी बदल गयी थी. अब पप्पू कहानी लेखक नहीं रहा, फिल्म निर्देशक बन गया था और मुनमुन ने एक कंपनी बना ली थी फैशन हाउस की. अब वो उस कंपनी की सीईओ थी. उसका बेटा जो पांचवी में पढता था अब उसके साथ नहीं रहता था. पप्पू ने उसे शिमला के एक बोअर्डिंग स्कूल में भर्ती करा दिया था. इसके दो कारण थे. पहली तो ये की अब पप्पू और मुनमुन काफी ब्यस्त रहते थे और अपने बेटे को ठीक से टाइम नहीं दे पाते थे दूसरी उसके चलते वो दोनों चुदाई नहीं कर पाते थे. जाहिर है वो साथ ही सोता था और दोनों बेचारे पप्पू और मुनमुन चुदाई के लिए तरस तरस के रह जाते थे. इसलिए दोनों ने ये प्लान बनाया और अपने बेटे को शिमला के बोअर्डिंग स्कूल में दाखिला करा दिया. अब दोनों अकेले थे और जम के एन्जॉय कर लेते थे. फिर भी काम का काफी दबाव था दोनों पर और बड़ी मुश्किल से दोनों एक दूसरों को समय दे पाते थे.
लम्बोदर ने दरवाजे पे कॉल बेल बजायी और मुनमुन ने दरवाजा खोला. उस समय सुबह के ७ बज रहे थे. इसलिए दोनों ड्यूटी पे नहीं गए थे.
‘अरे चाचा जी, प्रणाम कैसे है. बहुत दिन के बाद दर्शन दिए है. बड़ी खुशी हुयी आपके फिर से दर्शन हुए.’ मुनमुन ने चाचा जी के चरण स्पर्श किये.
लाबोदर तो मुनमुन को देख के दंग रह गया. अब मुनमुन का चेहरा और शारीर दोनों काफी खिल गए थे. गाल ज्यादा शुर्ख लग रहे थे और देखने में बिलकुल अप्सरा लग रही थी.
‘खुश रहो बिटिया और जुग जुग जियो. जी किया की बहुत दिन तो हो गए बहु से मिले हुए इसलिए फिर चला आया. बेटी पप्पू नहीं दिखाई दे रहा है.’ बस इनता ही कह पाया था लम्बोदर.
‘अंदर आएये न चाचाजी. पप्पू जी तो अभी सो रहे है. अभी जगाए देती हूँ. आप तब तक फ्रेश हो जाईये ना.
‘ठीक है बिटिया जैसी तुम्हारी मर्जी’ ऐसा कहते ही लामोदर चाचा ने बड़े जोर की पाद लगायी. पूरा कमरा चाचा जी की पादने ने गमक उठा.
बेचारी मुनमुन ने झट से रूम फ्रेशनर लगाया.
चाचाजी तो चले गए नहाने के लिए और मुनमुन गयी पप्पू के पास जो अभी तक घोड़े बेच के सो रहा था.
‘अजी सुनते हो! उठो न जी !’ मुनमुन ने पप्पू के कान में आवाज दी’
पप्पू अभी सो रहा था. लेकिन मुनमुन की आवाज सुनकर अन्मनाते हुए उठा और मुनमुन की चूची को दबतें हुए बोला की डार्लिंग आओना एक बार चुदाई करतें है. रात को मन नहीं भरा था. और इतना कह कर झट से मूनमून के होठ को चूमने लगा.
‘मुनमुन ने अपने चेहरे हो दूर करतें होए बोला की ये जी देखो एसा न करो. आपके इलाहबाद वाले चाचा जी पधारे है और गुसलखाने में नहा रहे है. कही उसने देख लिया तो क्या सोचेंगे’
पप्पू को तो जैसे जोर का झटका धीरे से लगा. उसे लगा की मुनमुन मजाक कर रही है. उसने इस बार मुनमुन की चूची को जोर से दबाया और उसके निप्पल को अपने अंगूठे में दबाते हुए बोला की जरुर तुम मजाक कर रही हो.
मुनमुन बोली की मैं मजाक नहीं कर रही हो. आपको बिस्वास नहीं होता तो आप गुसलखाने में जाके देखिये न और उनका सामन भी तो सोफे के पास रखा हुआ है.
पप्पू को फिर भी बिस्वास नहीं हुआ और वो जैसे ही सोफे के पास पंहुचा और चाचाजी का सामान देख कर मानो बेहोश ही हो गया. और सोचने लगा की बड़ी मुश्किल से तो अपने बेटे को शिमला भेजा ताकि अपनी मून के साथ जम के चुदाई कर सके और ये चाचाजी भी फिर से बिन बुलाए मेहमान की तरह आ धमके.
खैर, अब चाचा जी आ चुके है तो उनका स्वागत तो करना ही पड़ेगा. पप्पू सोचने लगा की एसा क्या किया जाये जिससे चाचा जी जल्दी ही घर छोड़ के वापस अपने गांव चले जाएँ.
जब चाचा जी नहा के बाहर निकले तो पप्पू ने उसे प्रणाम किया और हमेशा की तरह चाचा जी ने उसे ढेर सारा आशीर्वाद दिया.
पप्पू और मुनमुन दोनों अपने अपने काम पे चलने के लिए तैयार हुए. हमेशा की तरह चाचाजी ने खाने की रंग बिरंगी फरमाइश की और मून को वो सारा चीज बनाना पड़ा.
जब वो दोनों अपने काम पे जाने लगे तो चाचाजी ने बोला की बेटे मैं ट्रेन में काफी थक गया हुआ हूँ इसलिए आज जी भर के आराम करूँगा. तुमलोग मेरी चिंता मत करो और मजे से काम के लिए जाओ.
पप्पू रास्ते भर यही सोचता रहा की क्या किया जाये. फिर मन में उसे एक ख्याल आया की क्यों न चाचाजी को परेशान करते है. चाचाजी तो ठहरे गांव के रहने वाले और चाची तो कब की मर चुकी है. सेक्स से बढ़िया और बोरिंग चीज उसके लिए क्या होगी. अब उनकी उम्र भी बहुत हो गई इसलिए सेक्स का ख्याल तो उनके मन में आता नहीं होगा उलटे इससे नफरत करते होंगे. उसने सोचा की रात को मून को जम के चोदुंगा और इनता जम के चोदुंगा की मुनमुन की चीख निकल जाये चुदते वक्त. जब मुनमुन की सेक्स में तडपते हुए आवाज दो तीन तक चाचाजी के कान में पड़ेंगे तो खुद की उकता कर अपने गांव की ओर प्रस्थान कर देंगे. ये ख्याल दिमाग में आते ही वो काफी खुश हुआ और फिर उसका पूरा दिन मजे से काम में गुजरा.
उधर मुनमुन ये सोच रही थी की अब रात को चुदाई कैसे करेंगे. जब पप्पू चोदेगा तो उसकी मस्ती भरी चीख कही चाचाजी के कानो में न पर जाये. फिर उसने सोचा की वो पप्पू को कहेगी की वो धीरे धीरे और प्यार से उसे चोदे ताकि उसकी कोई आवाज चाचाजी के कानो में न पड़ने पाए. फिर वो ये सोच के काफी खुश हुयी और उसका भी पूरा दिन मजे से गुजरा.
उधर मून और पप्पू के अपने अपने काम से घर से बहार चले जाने के बाद चाचा जी ने जम के सोने का आनंद उठाया. फिर जब वो २ बजे उठा तो सोचने लगा की यहाँ क्या क्या करूँगा. उसका ध्यान अपने लंड पे गया और सोचने लगा की इसकी प्यास कैसे बुझाउ. फिर वो सोचने लगा की कुछ दिन जब तक की कोई लड़की नहीं पट जाती मुठ मार के काम चला लेगा. फिर वो सोचने लगा की किसके नाम की मुठ मारूंगा. अब सरला के नाम से तो नहीं मार सकता. वो बेचारी क्या सोचेगी की मन में. वो सोचने लगा. फिर मन में अचानक एक ख्याल आया और वो खुशी से उछल पड़ा.
उसने सोचा की अपनी मूनमून कितनी सुन्दर लग रही है. क्यों न इसके नाम की मुठ मर लूँ. फिर दूसरे मन में ख्याल आया की नहीं ये गलत है. बहु के बारे में एसे नहीं सोचना चाहिए. फिर पहले मन ने कहा की तू उसके साथ कोई चुदाई थोड़े न कर रहा है. बस मुठ ही तो मार रहा है. क्या फर्क पड़ता है. आजकल के लड़के फिल्म हेरोइन के नाम से मुठ मारते है. कई कई हेरोइन तो मुठ मरने वाले की उम्र से दोगुने उम्र के होते है. जैसे की यदि कोई काजोल के नाम की मुठ कोई १७ साल का लड़का मारे तो. काजोल है ३४ साल की और ये १७ साल का . ये तो लगभग दोगुनी उम्र हो गयी न. मेरी उम्र है ५० साल और मुनमुन की यही कोई २२-२३ होगी. तो ये भी लगभग वही बात हुई. कोई बात नहीं मुठ मारने में कोई गलत बात नहीं है.
फिर लम्बोदर ने सोचा की मैं मुठ मरते वक्त क्या सोचूंगा. क्या मैं ये सोचूंगा की मैं मून की चुदाई कर रहा हूँ. नहीं ये बात गलत है. हाँ मैं मन में ये सोच सकता हूँ की मैं ही पप्पू हूँ और मून की योनि चोद रहा हूँ. हाँ ये ठीक रहेगा. फिर उसके मन में एक और जबरदस्त ख्याल आया और फिर वो एक बार और खुशी से उछल पड़ा.
उसने सोचा की मुनमुन और पप्पू रात में चुदाई तो अवस्य करते होंगे. यदि इनदोनो की चुदाई को अपने आँखों से देखने का मौका मिल जाये तो बहुत अछ्छा होगा. फिर उसने सोचा की क्यों न दिवार में या दरवाजे में एक छेद बनाया जाय. जिससे की उसकी चुदाई बड़े ही सरलता के साथ देखि जा सकती है.लाबोदर बड़े ही शातिर दिमाग का था और हमेशा अपने साथ पेचकश और नट लिए चलता था. फिर उसने दो छेद किये. एक हल्का सा सुराख़ बनाया दरवाजे पे, बिलकुल छोटा सा इतना छोटा की सरलता से दिखाई न पड़े की यहाँ पे कोई छेद है. और फिर एक कोने में दिवार पे भी एक छोटा सा छेद बना दिया. हाँ दिवार पे छेद बनाने में थोड़ी मुश्किल जरुर हुई पर वो कामयाब रहा. अरे गांव में तो उसे कितनी ही एसी समस्याओ का सामना करना पड़ता था. जब दोनों छेद बन गए तो उसके मन में ये ख्याल आया की कही पप्पू ने मेरा रूम बदल दिया तो बड़ी मुश्किल हो जायेगी और पुरे प्लान की माँ चुद जायेगी. फिर उसने दूसरे रूम के दरवाजे पे भी वही किया. अब पप्पू और मून ज्यादा कमाते थे इसलिए अब दोनों कमरे में AC लगा लगा हुआ था. फिर चाचा जी बाहर गए और बिलकुल दरवाजे और दीवाल के ही रंग का रंगीन कपडा ख़रीदा और गम की सहायता से और पिन की सहायता से चारो छेद को ढक् दिया. अब सब कुछ पहले जैसा नोर्मल लग रहा था.
फिर लम्बोदर रसोई घर में गया और जो सुबह का खाना बचा हुआ था उसको जम के खाया. ५ बज गए थे. अभी भी उन दोनों को आने में कम से कम २ घंटे बचे थे. लम्बोदर ने सोचा की क्या किया जाये. फिर वो टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद उसके मन में ख्याल आया की क्यों न कोई अच्छी सी सीडी से फिल्म देखू. ससुरी टीवी पे प्रचार बहुत आता है और फिल्म देखने का मजा बिलकुल खराब हो जाता है. फिर वो सर्च करने लगा. उसे एक कोने में ४-५ सीडी का एक पैक मिला जोकि बड़ी ही शानदार तरीके से पैक किया हुआ था. उसने एक सीडी निकाली और सीडी प्लयेर में लगा दिया. जैसे ही फिल्म चालू हुआ तो लम्बोदर के होश उड़ गए. ये तो एक ब्लू फिल्म थी. लम्बोदर ने ब्लू फिल्म तो बहुत देखि थी गांव में लेकिन ये बिलकुल अलग किस्म की थी. इसमें तो एक इंडियन लड़की जोकि किसी हेरोइन से कम नहीं लग रही थी अपने किसी बॉय फ्रेंड के साथ मस्ती के मुद् में लग रहे थे. अरे बाबा क्या फिल्म थी. पहले दोनों ने फ्रेंच किस की फिर लड़की लड़के का लंड चूसने लगी. बिलकुल ओरिजिनल लग रहा था. लग रहा था की किसी ने चुपके से कैमरा लगा दिया था जब दोनों चुदाई कर रहे थे. एक बेडरूम था बिलकुल घर जैसा और दोनों मजे से फोर प्ले कर रहे थे. जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ रही थी लम्बोदर के शारीर में से कपडे भी कम हो रहे थे. अब फिल्म में लड़का लड़की की चुत में लंड घुसा के पेलने की तयारी कर रहा था. लड़की मस्ती में सिसक रही थी. जब लंड अंदर घुसा तो लम्बोदर ने अपना लंड अपने हाथ में लिया और ऊपर निचे हिलाने लगा. लम्बोदर ने मन में सोचा की इस लड़के के जगह पर वो ही इस लड़की की चुत मार रहा है. फिर जब लड़का जम के चुदाई करने लगा तो लम्बोदर ने भी अपना हाथ जोर से हिलाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर के बाद लड़के ने अपना लंड बाहर निकला और लड़की को अपना लंड चूसने के लिए बोला. लड़की झर चुकी थी इसलिए बड़े ही तेजी से उसका लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद लड़के ने अपना लंड उसके मुह से बहार निकला और लड़की के चेहरे पे अपना पूरा वीर्य भर दिया. लड़की के गाल, नाक, गला, कान सब जगह वीर्य से तर हो चूका था. थोडा सा वीर्य उसकी सुनहरे बाल और उसकी चूची पे भी गिर गया था. ये दृश्य देख कर लम्बोदर पागल हो गया और अपना आपा खो बैठा और अपना वीर्य सोफे पे ही डाल दिया. जब गर्मी पूरी शांत हुई तो लम्बोदर बहुत पछताया. सोफा उजले रंग का था और उसकी वीर्य का दाग सोफे पे लग गया था. लेकिन अब वो क्या कर सकता था. लेकिन उसे मजा बहुत आया था. पहली बार इतना ओरिजिनल ब्लू फिल्म देखा था और मस्त हो गया था. फिर उसने उस सीडी को वही पर बिलकुल उसकी तरह से रख दिया जहा से उसने उसे निकाला था. फिर उसे फर्श को साफ करने वाला एक क्रीम मिला और और उसने बड़ी मुश्किल से अपने वीर्य का दाग छुडाया. फिर भी पूरी तरह से नहीं छूट पाया था. लेकिन अब कोई यदि ध्यान से उसे देखेगा तभी वो दाग नजर आयेगी. इसलिए लम्बोदर ने थोड़ी राहत की साँस ली और चल पड़ा नहाने के लिए. उसने जम के नहाया और अपने लंड को सरसों तेल से मालिश किया. अब उससे लग रहा था की अब तो बिना चुदाई के रहा नहीं जायेगा. इसलिए अब वो अपने लंड की खाश हिफाजत करने लगा. उसे जल्द ही वो रौनक नजर आने लगी जो उस सीडी में वो लड़का उठा रहा था.
वो नहा के वापस निकला और सोफे पे बैठा ही था की कॉल बेल बजी. जैसे ही लम्बोदर ने दरवाजा खोला की पप्पू और मुनमुन सामने खड़े थे. पप्पू रोज मुनमुन को उसके ऑफिस से आते वक्त पिक कर लिया करता था.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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