Sunday, April 27, 2014

बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--13

FUN-MAZA-MASTI

 बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--13

 लौट कर देखा मिसेज मेहरा डाइनिंग हॉल के पास नहीं थी ...शायद इश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली थी | मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और ओने कमरे में आकर लेट गया |

आज जो हुआ वो होना नहीं चाहिए था ....मिसेज मेहरा का कोई भरोसा नहीं ...वो माँ को बोल भी सकती है ..........फिर मै उसके बारे में सोंचना शुरू कर दिया ...........................


हमारे पड़ोस वाला मकान, जिसका छत हमारी छत से जुडा हुआ था मेहरा परिवार ने साल भर पहले ही ख़रीदा था और पिछले छह सात महीने से रह रहे थे | मिसेज मेहरा कभी कभार शाम को माँ से मिलने आ जाया करती थी |

उनकी उमर तो कम से कम सैंतीस -अडतीस साल होनी चाहिए क्योंकि मुझसे एक साल बड़ा उनका बेटा है जो बी. टेक. फर्स्ट ईयर में है, परन्तु वो लगती तीस से ज्यादा नहीं थी ..अपने आपको काफी मेनटेन रखा था ....बाल बॉय हेयर-कट थे जो बस कंधे को छुते भर थे ... प्रायः साडी पहनती थी लेकिन ब्लाउज हमेशा स्लीवलेस और अपनी बगलों को हमेशा साफ़ रखती थी ...


तुमने अभी तक अपनी माँ का फोन नंबर नहीं दिया , वहाँ फोन के पास भी नहीं लिख रखा है ......इस आवाज को सुनते ही मेरी तन्द्रा भंग हुई और मैं चौंककर दरवाजे की तरफ देखा ....कहते है न चुड़ैल का नाम लो और चुड़ैल हाजिर ............

दरवाजे पर मिसेज मेहरा दोनों चौखटों पर हाथ डाले खड़ी थी .....


आप गयी नहीं ?.....मैंने धीमी आवाज में पूछा

तुम्हारी माँ को बताये बिना नहीं जाउंगी ........वो तेज स्वर में बोली ....घर को रंडीखाना बना दिया है

जाने भी दीजिए ...प्लीज , बात को मत बढाइए ....मै कसम खाता हूँ कि आज के बाद कभी किसी लड़की को यहाँ नहीं बुलाउंगा .....मैंने आहिस्ते से कहा


लेकिन ...बाहर जरुर रंगरेलियां मनाऊँगा.....मिसेज मेहरा शब्दों को चबाते हुए बोली ..........वाह रे आजकल के लड़के ! वाह ....कसम भी खाता है तो मार्जिन रख कर .....


नहीं ..ऐसा नहीं है .............मैंने लगभग मिमियाते हुए कहा


तो कैसा है ?......अपना पूरा रोब मुझपर डालती हुई मिसेज मेहरा बोली ....अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ....और वो लड़की ...लड़की क्या बच्ची है ......लेकिन करतब तो देखो .....हाय राम ! कैसे मुँह में लेकर चूस रही थी ?....छिनाल....... साथ में भईया..भईया भी बोल रही थी .........बोल कौन है वो लड़की जो तुझे भईया भी बोलती है और छिनाल .....नंगी होकर तेरा चूसती भी है .................


मै चुप ...आँखे जमीन में गडी हुई ......

बोल राजन , ........मै तुमसे पूछ रही हूँ

मेरे दोस्त की छोटी बहन है ......मैंने आँखे नीची किये ही बोला

शरम कर ....दोस्त की बहन अपनी बहन जैसी होती है .........पर तुमलोगों का क्या है ..तुम्हारा बस चले तो अपनी बहन को भी ...................मिसेज मेहरा ने कटाक्ष किया ...................नहीं ..नहीं ....तुम्हारी माँ को बताना ही पडेगा .........


अब बस भी कीजिए आंटी .....मै आपके हाथ जोड़ता हूँ ( मैंने वास्तव में अपने हाथ जोड़ लिए )

आंटी ?? .....मै क्या आंटी दिखती हूँ .......अब हाथ क्या .... पैर भी पड़ोगे तो भी, मै बता कर ही रहूंगी .........मिसेज मेहरा गुस्साते हुए मेरी स्टडी वाली आरामकुर्सी पर बैठती हुई बोली  


( मै मन ही मन अपने आपको कोसने लगा कि क्यों मेरे मुँह से आंटी शब्द निकल गया ......अब क्या करूँ ? फिर मैंने आंटी के पाँव पकड़कर माफ़ी मांगने का फैसला किया )


मिसेज मेहरा ....मुझे माफ़ कर दीजिए ......गलती से आंटी निकल गया .....प्लीज माँ को कुछ मत बताइये ..मै आपके पाँव पड़ता हूँ .....और ज्योंही मै सोनियाजी के पाँव छूने झुका उन्होंने तुरंत अपने दोनों पाँव खींचकर कुर्सी के ऊपर कर लिए और तेज स्वर में बोली ..... दूर रहो गंदे लड़के .....पहले गलती करता है और फिर माफ़ी माँगता है .....


( मिसेज मेहरा हड़बड़ी में अपने पैर उठाकर अपने हाथो से पकड़ तो ली थी लेकिन उन्हें पता नहीं था उनका ढीला साडी-पेटीकोट का आधा हिस्सा कुर्सी की सतह पर ही रह गया था और पैर उठ जाने के कारण उनकी जांघे अनावृत हो चुकी थी ....आह क्या चिकनी जांघे थी ....डर से सटके मेरे लंड ने एक जम्हाई लिया ...मन हुआ कि साली को यहीं पटककर चोद दूँ ...

.....इस विचार ने थोड़ा हौसला दिया .....आखिर वो भी तो नहीं जा नहीं रही थी ..उसके मन में भी कुछ जरुर होगा ...इसलिए मुझे ट्राई करना चाहिए ...जितनी बेइज्जती कर चुकी है उससे ज्यादा क्या करेगी ....ज्यादा हो -हल्ला करेगी तो मै माँ को फोन करके बता दूंगा कि मिसेज मेहरा मेरे कमरे में आकर मुझसे गलत काम करने को कह रही है ...उसे भी जबाब देना पडेगा कि वो मेरे कमरे में कैसे आयी और क्या कर रही थी ... रही बात गुड्डी की...तो मै सारा सेट कर लूंगा कि मेरे से कुछ पूछने आयी थी .......ऐसी स्थिति में माँ मेरा ही साथ देगी .....अब मै नए साहस के साथ मिसेज मेहरा की नंगी जांघो को खड़े खड़े देखने लगा....फिर लगा कि अगर मै थोडा झुक जाऊं तो शायद मिसेज मेहरा की पैंटी भी दिखाई दे जाए ...... )


गलती किया है इसीलिए तो माफ़ी मांग रहा हूँ .....कहते हुए मै मिसेज मेहरा के पैरों के पास घुटने के बल बैठा ...

मेरी नजर सीधे उनके आखिर तक दिखाई दे रहे जाँघों के जोड़ तक चली गयी ....मेरा हलक सुख गया ......मिसेज मेहरा पैंटी भी नहीं पहनी थी .....उनकी मस्तानी पाँवरोटी के सामान फूली बूर साफ़ दिखाई दे रही थी ......

आप कहें तो आपके पैरों पर नाक भी रगड़ने को तैयार हूँ ......कहते हुए मै अपना चेहरा उनके पैरों कि तरफ बढाया ....


नहीं..........दूर रहो ..........कहते हुए वो अपना पैर अपने हाथों से पकड़कर और ऊपर उठा दी .....फलस्वरूप मेरा मुँह जो उनके पैरों को स्पर्श भर कर पाया था , फिसलकर उनकी चिकनी जांघो से जा सटा ....मैंने मौक़ा हाथ से न गँवाते हुए अपनी जीभ निकालकर उनकी जांघो को चाटा.....


इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स..................मिसेज मेहरा की सिसकी निकली ........

ये क्या कर रहे हो गंदे लड़के ?...अरे मै तुम्हारी माँ की उमर की हूँ .......मेरी जांघ क्यों चाट रहे हो ??.....यह कहते हुए उसने अपने पैरों को छोड़कर अपने हाथों से साडी के ऊपर से ही मेरा सिर पकड़कर ठेलने लगी ....


सर के ऊपर पेटीकोट और साडी के आ जाने के कारण अन्दर अन्धेरा छा गया ....लेकिन मुझे मंजिल का पता था ...मै आगे सरकते और चाटते हुए जांघो के जोड़ तक पहुँच गया और सीधे उनकी मखमली बूर को मुँह लगा दिया .....अब मै अँधेरे में ही उनकी सलोनी बूर की दरारों को नीचे से ऊपर तक चाट रहा था ........


आ...आ....आ.....आहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...............ये क्या किया लड़के तूने ..........इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....
मेरी ......बू...........बूर चाट लिया.........मुझे ...लगा ही था...की.... तू.... पूरा .......चो.......चोदू.....है.....


मै अन्दर तेज गति से अपना जीभ चलाने लगा .......

थोड़ी ही देर में मिसेज मेहरा चरम सीमा पर थी......अब वो अपने हाथों से मेरे सर को जकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी और अपनी गांड उठा उठकर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी .....

मेरा दम घुटने लगा ...मै छटपटाकर बाहर निकलने की कोशिश करने लगा ...लेकिन मिसेज मेहरा मेरा सर कसकर पकडे थी .....फिर मिसेज मेहरा का शारीर ऐठने लगा और वो फलफलाकर झड़ने लगी .......

कामरस की फुहार के छींटे मेरे चेहरे को भींगा रही थी और मिसेज मेहरा का कसाव मेरे सर पर क्रमशः ढीला पड़ता जा रहा था .......


जब मै मिसेज मेहरा की साडी के नीचे निकला तो मेरा चेहरा पूरी तरह चुतरस से सना हुआ था ....मैंने जल्दी जल्दी लम्बी साँसे लेकर अपने घुटते दम को राहत पहुचाया .....थोडा सांस आने के बाद मैंने देखा मिसेज मेहरा कुर्सी पर पुश्त टिकाये आँखे बंद किये बैठी थी ....साडी कमर तक उठा हुआ था ...और उनकी फैली लपलपाती बूर अपने मर्दन का आमंत्रण दे रही थी .......


मेरा लंड चूत मिलने की आकांक्षा में तन्न्याया हुआ लोअर को फाड़ रहा था .....मैंने लोअर को निकाल दिया ....

तौलिये से अपना चेहरा पोछा.और अपने फनफनाते लंड को हिलाते हुए कहा .....ज़रा, इसका भी ख्याल कीजिए मिसेज मेहरा...ये देखिये, यह कैसे व्याकुल हो रहा है ?..........


मिसेज मेहरा ने अपनी आँखे खोली ......मेरे मोटे और लम्बे लंड को देखकर उनकी आँखों में चमक आयी .......

मेरी बू ..बूर चाट तो लिया .....अब क्या ?......


अब चोदूंगा......


चल हट .....बड़ा आया चोदनेवाला .....कुछ भी कर.. आज चोदने नहीं दूंगी.........मिसेज मेहरा नखरे करती हुई कुर्सी से उठी और जोरदार अंगराई ली .....


मैंने लपककर उन्हें बाहों में भर लिया ....वो मचलकर मेरे बंधन से निकलकर दूर जाने लगी ....मैंने उनकी साडी का पल्लू पकड़ लिया और खींचने लगा ..... आधी साडी खुलकर जमीन चूमने लगी ............ मिसेज मेहरा तेज आवाज में चिल्लाई ......छोड़ ......मेरी फट जाएगी

मै तो प्यार से उतारने की कोशिश कर रहा था ...आप ही खींचा-तानी कर रही है ...फटेगी ही ...कहते हुए मैंने उनकी साड़ी को जोर से खींचा .....उनकी बची-खुची साडी खुलकर जमीन पे आ पड़ी ...अब मिसेज मेहरा अर्धनग्न अवस्था में मेरे सामने पेटीकोट और ब्लोउज में खड़ी थी |


अरे मै साडी फटने की बात नहीं कर रही थी .....मिसेज मेहरा मुस्कुराते हुए बोली


तो किसकी ?....


इसकी ......अपने बूर की इशारा करते हुए बोली ..........तुम्हारा कितना मोटा है .... .और मेरे नजदीक आकर मेरा लंड पकड़ ली


ये तो पहले से ही फटी है ....अब और क्या फटेगी ....मैंने मिसेज मेहरा की बूर को पेटीकोट के ऊपर से ही मुट्ठी में भरा


ये तो पहले से ही फटी है ....अब और क्या फटेगी ....मैंने मिसेज मेहरा की बूर को पेटीकोट के ऊपर से ही मुट्ठी में भरा

तुम्हे मेरी फटी हुई लगती है ......पहले कभी चोदा है किसी को


नहीं .....मैने सफ़ेद झूठ बोला


फिर तुम्हे क्या पता की मेरी फटी है या सिली है ....


मेरे से बड़ा बेटा इससे निकाल दिया ...क्या वो फटने से बची होगी .... मैंने पेटीकोट उठाकर बुर पर अपनी हथेली फेरता हुआ बोला


अरे जब निकला था तो बड़ा नहीं छोटा था ....उसके बाद बुर अपने आप प्राकृतिक रूप से सिकुड़कर मर्द को मजे देने लायक बन जाती है ....तू मचल मत ...तुझे तो मै ऐसा मजा दूंगी जिसे तुमने सपने में भी नहीं सोंचा होगा .......कहते हुए मिसेज मेहरा मेरे सामने घुटने के बल बैठ गयी और मेरे लंड को पकड़कर आलू सरीखे सुपाडे पर अपनी जीभ फेरने लगी ....


आ........आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..........


मैंने उत्तेजना में उनका सर पकड़ लिया

मिसेज मेहरा तन्मय होकर मेरा लंड चुसे जा रही थी

धीरे धीरे वो मेरा पूरा लंड निगल चुकी थी ....आज पहली बार किसी ने मेरा पूरा लंड जड़ तक मुँह में भरा था लंड चूसने में जबरदस्त माहिर खिलाड़ी थी .....


मुझे लगा की अगर मैंने उन्हें चूसने से नहीं रोका तो मै बह जाउंगा .....मैंने मिसेज मेहरा का सर पकड़कर दूर धकेलने की कोशिश की परन्तु उन्होंने मेरा लंड छोड़ा नहीं .......


मै ऐठने लगा ......फिर भलभलाकर झड़ने लगा .... .मैंने अपनी आँखे मूंद ली ... मेरे अन्दर की अंतराग्नि पिघल पिघलकर मिसेज मेहरा के मुख में समाने लगा ...लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा.....थोड़ी ही देर में उनका मुँह मेरे रस से भर गया जिसे वो पूरा निगल गयी और मेरा लंड तब तक चूसती रही जब तक लंड अपनी कठोरता खोकर नरम नहीं पड़ गया ….


ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……………………वास्तव में यह एक सपना था …..मेरी हमेशा ही औरत के मुँह में झड़ने की चाहत थी लेकिन हमेशा ही मेरी पार्टनर मेरे झड़ने के समय अपना मुँह अलग कर लेती थी …
 
 
 
 
 



 ये क्या किया आपने ?…..मै मिसेज मेहरा के बालों को सहलाते हुए बोला ……आपको चोदने के लिए अब मुझे थोड़ा इन्तजार करना पडेगा ….. इसे खडा होने में टाइम लगेगा………


और इसे खडा होने की चिंता मत कर , बच्चे ....इसे तो मै दो मिनट में खडा कर दूंगी .......…..दरअसल तुम्हारे फौलाद को देखकर मुझसे रहा नहीं गया ....


अब मिसेज मेहरा उठकर बिस्तर पर बैठती हुई बोली ..........आज बरसों बाद ऐसा लंड देखने को मिला है ...मै अपने आपको रोक नहीं पायी ....


बरसों बाद ?.......मै उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलते हुए पूछा........क्या मिस्टर मेहरा आपको पेलते नहीं है ??


नहीं रे .....वो तो जब भी घर में होते है, बिना चोदे छोड़ते कहाँ है ...मुझे संतुष्ट भी करते हैं ....लेकिन ....


लेकिन क्या ? .....मैंने आहिस्ते से उनको पकड़कर लिटाते हुए और उनकी गाल से अपनी गाल रगड़ते हुए मदहोश स्वर में पूछा .....फिर मैंने एक हाथ से उनके ब्लॉउज के बटनों को खोलने लगा ....


लेकिन ....उनका तुम्हारे जैसा फौलाद नहीं है ....ऐसा तो लाखों में एक का होता है ...


मैडम ....लगता है आपने अपने पति के अलावा भी कईयों से चुदवाया है ....


चुप कर ....बड़ा चालाक बनता है ....अपना काम करता रह ......


( मै अबतक उनका ब्लाउज और ब्रा निकाल चुका था .....अब मिसेज मेहरा मादरजात नंगी मेरे बगल में लेटी थी और मै उनके बदन पर अपना एक हाथ नीचे जांघो से सहलाते हुए ऊपर बढ़ता .....बूर की दरारों में ऊँगली चलाता...फिर हाथ ऊपर ले जाकर उनकी बड़ी बड़ी चुचियों को दबाता ....फिर जांघ के जोड़ की तरफ बढ़ा देता ......और एक हाथ उनकी गर्दन के नीचे डालकर अपने होंटों से उनकी गालों और होंटो को चूस रहा था ......)


बोलिए न ....मुझे मजा आयेगा , तभी तो मै भी आपको मस्त करूंगा .....कितनो ने चोदा है आपको ?.......


मिसेज मेहरा चुप रही ...


चुप क्यों हो गयीं आप ?.....बताइये न कितने लंडो ने आपकी चूत का रसपान किया है ??........


मै गिनती थोड़े ही करती हूँ .....वो बड़बड़ाई ..


वाह ....लगता है कई लोगों ने आपको पेला है .....बताइये न ...कौन कौन लोगों ने आपको चोदा है .... सबसे ज्यादा मजा किसके साथ आया ...


मेरे बारे में जानकार क्या करोगे ?.....


हिनहिना कर घोड़े जैसा चोदुंगा आपको .....और क्या ?......और कुछ करवाने की ख्वाइश है तो वो भी कर दूंगा ...बस आप हुक्म कीजिए .....न ....न ...पहले बताइये ....किससे चुदवाकर आपको सबसे ज्यादा मजा आया ??.....

......

......

वो मुझे अपनी बांहों में कसती हुई मेरे कान में फुसफुसाई .......................पापा से ........

क्या ?........मै उछलकर बिस्तर पर बैठ गया ....


.... क्या कहा ??......पापा से ..........ओह माई गॉड...........सोनियाजी..... आपने अपने पापा से भी चुदवा लिया ...... आप तो कमाल की चुदक्कड निकली .....ये कहते हुए मैंने अपना हाथ उनकी बुर की तरफ बढ़ाते हुए दो उँगलियाँ एक साथ सीधे पापा की सोंच से पनियाई बुर में पेल दिया ......


आह...............क्या करते हो............दुखती है ........ऊँगली ही करना है तो धीरे धीरे घुसाकर पेल .....जैसे ..


जैसे ?................मैंने दुहराया


जैसे ..................मेरे पापा मुझे पेला करते थे .(अब वो खुलकर बोल रही थी )


खुद तो अपने पापा से चुदवा चुकी हो ..और मुझे दोस्त की बहन चोदने भी न दी ....क्यों मैडमजी ?....मैंने दुसरे हाथ से उनकी गदराई चूची मसलते हुए पूछा....


उस लड़की के भलाई के लिए .........अरे वह तो छोटी सी बच्ची है ...उसका काम तो छोटे मोटे नूनी से भी चल जाएगा .....ये ( मेरा लंड पकड़कर ) उसके लायक नहीं है .....अगर ऐसे लौड़े से उसकी चूत का उदघाटन होता तो जीवन भर उसे कोई दूसरा लंड संतुष्ट नहीं कर पाता....ये बात मेरे से ज्यादा कौन समझ सकता है
...






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