Sunday, April 27, 2014

बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--11

FUN-MAZA-MASTI

 बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--11


 जब थोड़ा नार्मल हुई तो अपना मुँह पोछकर मुझे एक थप्पड़ रशीद करते हुए बोली - मार ही डालोगे क्या ?
सौरी दीदी .........मै पागल हो गया था .....और दीदी के बगल में लेटकर उनके गालों को चुमते हुए उनकी चूंचियाँ मसलने लगा ........दीदी फिर उतेजित होने लगी .......दुसरे हाथ से मै दीदी के बुर में ऊँगली करना शुरू कर दिया .......पहले एक ऊँगली ....फिर दो ऊँगली एक साथ उनके बुर में अन्दर बाहर करने लगा ........दीदी पूरी मस्ती में थी .......
अब लंड डाल न ....कब तक ऊँगली करता रहेगा ......
अब मैंने दीदी के दोनों पैरों को फैलाया और लंड को बुर के मुहाने पर टिकाकर पेला ................
आँ.......आँ .............आँ ................दीदी कराही ..........सच मुच ......तुम्हारा .....ब...बहुत ....मोटा....है .....रे..... एक बात बताओ ......तुम्हारे दोस्त का भी इतना ही मो ...मोटा है क्या ?
मुझे नहीं पता .....मैंने उसका देखा थोड़े ही है ...............क्यूँ दीदी ?......तुम्हे मोटे लंड पसंद है ........
मोटे और लम्बे लंड तो हर औरत का सपना होता है ........लेकिन तुम्हारे जैसा लंड अगर उसका भी हुआ तो .....नहीं ......नहीं .....इतना मोटा दो दो लंड मै एक साथ कैसे सम्भालुंगी ............
अरे दीदी ......अपना लंड दीदी की बुर में पूरा पेलते हुए कहा ........मैंने एक साथ चोदने की बात कभी नहीं कहा ....और ना ही उसने ऐसी डिमांड रखी है ........लगता है तुम अपना गैंग- बैंग की कल्पना कर रही हो .........ऐसी बात है तो तुम्हारा सपना जरुर साकार होगा .......
अरे नहीं .....(दीदी का चेहरा शर्म और वासना से लाल हो चुका था ) मै तो इसलिए पूछ रही थी की अगर वो हरामी मुझे चोदेगा उस समय तुम खड़े खड़े देखोगे तो नहीं .....मै जानती हूँ ,तुम भी जरुर चोदोगे ...
अब तो जरुर चोदेंगे.......दीदी रानी ......सैंडबिच बनने के लिए तैयार रहो
अरे नहीं .......दीदी चिल्लाई .....बाद की बात बाद में ..........उई माँ ......हाय तेरा मूसल मेरे पेट में ठोकर मार रहा है .....आह.............उई ................छोड दे ....मत फाड़ मेरी बुर ............आह.........................


अब मै कहाँ रुकने वाला था .......दीदी की कराहट को नजरअंदाज करते हुए मै ताबड़तोड़ धक्का लगाए जा रहा था ....तभी दीदी अकड़ने लगी .....शायद झड रही थी ......भा......ई................जल्दी......से आ .............मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी ..............पर मै अभी झडनेवाला नहीं था .......पूरा कमरा फच ....फच ....की आवाज से गूंज रहा था .......मै दनादन पेलता रहा आधे घंटे तक .और फिर एक जबरदस्त हुंकार के साथ मेरा शारीर तनने लगा और मै झड़ने लगा .........इस दरम्यान दीदी लगभग ६ या ७ बार झड चुकी थी ......मल्टिपल ओर्गज्म का सुख शायद दीदी ने पहली बार भोगा था ......इसलिए मेरे झड़ते समय वो कसकर मुझे बांहों में भींच लिया और मुझे चूमने लगी .......नीचे मेरी पिचकारी दीदी के बुर में खाली हो रही थी .....फिर निढाल होकर मै दीदी के ऊपर से उतारकर बगल में लेट गया .........दीदी वैसे ही पड़ी रही ...

इसके बाद मैंने शीला दीदी को दो बार चोदा और एक बार गांड मारने का असफल प्रयास भी किया और फिर दोपहर की गाडी पकड़कर घर की ओर रवाना हो गया .....मेरे पास अपने कमाए चालीस हजार रूपये थे |

रास्ते में राहुल को फोन करके बता दिया कि उसका काम हो गया है और अगले सप्ताह ही उसका कुंवारापन समाप्त हो जाएगा | कालेज में गर्मियों की छुट्टी शुरू हो चुका था परन्तु माँ को तो ऑफिस जाना पड़ता था ....हमारे मजे ही मजे थे | अगले दिन माँ के कॉलेज जाने के तुरंत बाद ही राहुल मेरे पास आ गया ....वो बहुत उद्विग्न था ....मैंने उसे ऑडियो सुनाया ....वो तो पागल हो गया ......उसने मुझे गले लगाया और बोला - यार तुम तो सचमुच गुरु हो .....गुरूजी , अब आप ही मेरी नैया पार लगाओगे |गुरु , लेकिन एक बात बताओ ....दीदीजी मुझे कमीना क्यूँ कह रही थी .......

साले .....तू उसे चोदने की फिराक में है .....तो तुझे कमीना नहीं तो और क्या कहेगी ........

अबे साले ....अपनी बहन तू खुद चुदवा रहा है और कमीना मुझे कह रहा है ......राहुल हँसता हुआ बोला

हाँ.....अभी तू ठीक कह रहा है ....तेरी शालिनी दीदी की नमकीन चूत अभी मैंने देखा कहाँ है ......अब मै
हँसते हुए बोला

(राहुल की हँसी पर तुरंत ब्रेक लग गया )

थोड़ी देर बाद राहुल बोला - यार , जैसा तेरी दीदीजी ऑडियो में कह रही थी ....क्या तुम्हारा सचमुच बहुत बड़ा और मोटा है ?

मैंने तुरंत अपना लोअर नीचे कर अपना गदहलंड..... जो ऑडियो सुनकर और शालिनी की बात छेड़कर खडा था दिखाते हुए बोला ....पता नहीं यार , लेकिन लडकियां और औरते ऐसा ही कहती है ........

मेरा लंड देखकर राहुल सोंच में पड़ गया ...........

क्या सोंच रहा है राहुल ......अरे तेरी दीदी की फटेगी नहीं .....बल्कि उसे बहुत मजा आयेगा ....तू मत घबरा ....

अरे नही .....मै तो सोंच रहा था कि कहीं तेरी दीदी के सामने मेरी भद्द न पिट जाए ........( राहुल जल्दी से बोला )
(शायद मेरा लंड देखकर उसके अन्दर हीन भावना आ गया था )

मैंने कहा ......तू तो चोदने से पहले ही डर गया ....जो डर गया सो मर गया ......लंड छोटा बड़ा से कुछ नहीं होता ...बस चोदने आना चाहिए

(डर तो मै खुद गया था ....साला कहीं हमारे अदला बदली प्रस्ताव से मुकर न जाए और मेरे उसके घर जाने पर अपनी बहनों से चिपका न रहे ........लेकिन...........गुड्डी तो इसके बंधन में अब नहीं रह सकेगी ......शेरनी को प्रथम मानव गंध मिल चुका है .....बिना खाए अब क्या मानेगी वो ? .....)

न जाने किस सोंच में गुम राहुल ....अच्छा चलता हूँ ....कहकर घर से निकल लिया |


अभी उसके गए आधे घंटे भी नहीं बीते होंगे कि दरवाजे कि घंटी बजी .......गुड्डी आयी थी ........लेकिन साथ में शालिनी दीदी भी थी |
........एक तरफ जहां शालिनी को देखकर हार्दिक खुशी हुई , वहीँ इस बात का अफ़सोस........ की आज गुड्डी की चिकनी चूत देखने को नहीं मिलेगी |
हम दोनों यहीं पास में शौपिंग के लिए आयीं थी ....काफी दिन हो गए थे , सोंचा तुमसे मिलती चलूँ ......शालिनी की आवाज मेरे कानो में संगीत की तरह पड़ी |

मैंने ध्यान से देखा -शालिनी चुस्त सलवार सूट में थी और गुड्डी स्कर्ट -टॉप में .....काश ! आज मौक़ा मिल पाता |

मैंने औपचारिकतावश दोनों को ड्राइंग रूम में बिठाया और खुद चाय बनाने चला गया | थोड़ी देर बाद किचेन में किसी ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भरा .....बाहें भरी भरी और पीठ पर चुभती चुंचिया मांसल थी ......ये गुड्डी नहीं हो सकती .....तो शालिनी .................मै रोमांच से गनगना गया ...........

इतने दिनों से कहाँ थे .....आग लगाकर घर आना भी छोड़ दिया ......चार दिन से जल बिन मछली की तरह तड़प रही हूँ .....

मै तुरंत मुड़ा और शालिनी दीदी को अपने सीने से लगाते हुए उन्हें चूमने लगा .......मै शालिनी दीदी के होंटों को चूमने लगा ....फिर कोमल पंखुरिओं पर लगे हल्के लिपिस्टिक को चूसने लगा .......उसने भी मेरे होंटों को अपने होंटों से दबा रक्खी थी ......फिर मेरे मुंह में अपना जीभ ठेल दी , जिसे प्यार से मैंने चूसना शुरू कर दिया ....अब मेरे हाथ दीदी के पीठ से सरककर उनके उभरे नितम्बो पर जम गए थे , जिसे मै प्यार से हल्के हल्के दबा भी रहा था .....और नीचे मेरा लंड खडा होकर दीदी के बुर के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था ................तभी ........

मुझे दरवाजे पर गुड्डी नजर आयी .....मेरे मुंह से निकला .......................गुड्डी ........................और हडबडाकर दीदी से अलग होने लगा ......शालिनी भी मुड़कर देखी..........चेहरे पर क्रोध का जलजला लिए गुड्डी खड़ी थी .....थोड़ी देर हम दोनों को इसी तरह देखती रही ....फिर पैर पटकते हुए ड्राइंग रूम में चली गयी ......


गुड्डी को प्यार से समझाना पडेगा ......शालिनी बुदबुदाई .......

इधर मै चाय छानकर और ट्रे लेकर , दीदी के साथ ड्राइंग रूम में जाने लगा .......मन ही मन मै अप्रत्याशित हमले से बचाव की तैयारी कर रहा था ......

कमरे में निःशब्द ख़ामोशी छाई थी.....गुड्डी खिड़की के बाहर देख रही थी ......कोई कुछ नहीं बोल रहा था ....

चुप्पी को तोड़ते हुए दीदी बोली ....गुड्डी ...क्या हुआ हुआ ? .....तुम इतनी अपसेट क्यूँ हो गयी ??.....

( गुड्डी मुड़ी.....गुस्से में बोलने के लिए मुंह खोला...परन्तु बोल नहीं पायी ....उसके कानो के पास की गालों की हड्डियाँ उठ बैठ रही थी .....लगता था जैसे गुस्सा पीने की कोशिश कर रही हो ......फिर मुंह फेरकर दुबारा खिड़की की तरफ देखने लगी )

थोड़ी देर बाद मैंने कहा - गुड्डी चाय पी लो ठंडी हो रही है .......वो फिर मुड़ी .....फिर वही गुस्से से तमतमाया चेहरा ........

चाय तो ठंडी हो जाएगी .......अपना कलेजा कैसे ठंडा करूँ ?............गुड्डी सिंग मारते अंदाज में बोली

देखो गुड्डी .......(अपने शब्दों में भरसक मिठास घोलते हुए मैंने सच बोलने का फैसला किया .. ) तुमने जो देखा है वो सच है , मै शालिनी दीदी से बहुत प्यार करता हूँ ......मैंने अपना तन मन इन्ही को दिया है ......

और मेरे साथं क्या किया है .......................दीदी , इसकी बातों को जरा भी कान मत देना ........बहुत बड़ा जालसाज और फरेबी है .....इधर तुम्हारे साथ प्यार की पींगे बढ़ा रहा है और उधर मेरे साथ ............

( शालिनी की प्रश्वाचक दृष्टि मेरी तरफ उठी .........मैंने अपना गांड फटता हुआ महसूस किया .....मेरे दोनों पैर अलग अलग नावों पर सवार थे और दोनों नाव बिपरीत दिशा में भागी जा रही थी .............)

     
 गुड्डी ......मैंने तुम्हारे साथ कोई झूठा वादा नहीं किया है .......मैंने हडबडाते हुए तुरंत बोला .......तुम्हरे हाथ जो पत्र लगा था वो मैंने तुम्हे नहीं शालिनी दीदी को लिखा था ........और याद करो .......तुम्ही ने मुझे गले लगाकर मेरे ऊपर चुम्बनों की झड़ी लगा दी थी .....आखिर में मुझे प्रतिउत्तर में तुम्हारे साथ जुड़ना पडा था ...आखिर मै मर्द हूँ ....तुम मुझे चूम रही हो तो मै कबतक अलग थलग रह सकता हूँ .......
( गुड्डी का चेहरा उतर गया था ......लगता था जैसे आसमान से गिरी हो ....लेकिन सच यही था )
उसे चुप देख मेरा साहस बढ़ा .........लेकिन तुम इतना तो मानती हो न की इसके वावजूद मैंने तुम्हारे साथ सेक्स नहीं किया ......इसके लिए मुझे तुम्हारी दीदी की इजाजत लेनी थी .........

( इस एक ही तर्क से जहां मैंने गुड्डी को निरुत्तर कर दिया , वहीँ शालिनी के मन में अपने लिए प्यार के साथ सम्मान भाव भी जोड़ लिया )


 गुड्डी ....क्या ये सब सच है ? ( बेचारी गुड्डी क्या बोलती )........तुम्हे थोड़ा सब्र करना चाहिए ....तू अभी बच्ची है ........ शालिनी ने धीरे से कहा

मै अब बच्ची नहीं हूँ ....(गुड्डी अपना अविकसित सीना उभारते हुए बोली ).......और सब्र मुझे नहीं , तुम्हे करना चाहिए दीदी ......ये राहुल भईया के दोस्त हैं .....मेरे से ही थोड़े बड़े ....मै इनके साथ शादी करना चाहती हूँ ......पर तुम .......तुम तो आलरेडी शादीशुदा हो .....एक पति है तुम्हारा जिससे तुम जिस्म की ऐठन मिटा सकती हो .....मै कहाँ जाउंगी ...बोलो ...

( बहुत सटीक बोल रही थी गुड्डी .....मुझे लगा की शालिनी जबाब नहीं दे पाएगी .....लेकिन वो भी जबरदस्त हाजिरजबाब थी .....)

जिसे तुम जिस्म की ऐठन कहती हो .......उसे लड़कियां दबा कर रख सकती है , लेकिन तभी तक जब तक मर्द का संसर्ग न हो ........उसके बाद सिर्फ खाज ही खाज होती है .....जिसे मिटा भी मर्द ही सकता है ........हाँ मै शादीशुदा हूँ .....लेकिन कहाँ है मेरा पति ? ......कब तक आयेगा मेरा पति ??......दिनों में ....हफ़्तों में ....महीनो में ...सालों में .............गुड्डी मेरी बहन ......तू अभी मर्द संसर्ग से बंचित है ....तू अपनी भूख दबा सकती है .....मै कहाँ जाऊं ........इसलिय जब इसने मेरी तरफ हाथ बढाया तो मै खिंची चली आयी ..........

लेकिन मै तो इनसे शादी करना चाहती हूँ , इस तरह तो ....गुड्डी प्रतिवाद पर उतर आयी थी |

शादी ...शादी का रट क्यूँ लगा रही है ...दीदी उसकी बात बीच में काटते हुए बोली .......अभी तेरी उम्र नहीं है शादी करने की .....
अभी ढंग से पढाई लिखाई कर ....अपना कैरियर बना .....फिर जिससे मर्जी हो शादी कर लेना ........लेकिन हाँ , मै मौज मस्ती के लिए मना नहीं कर रही हूँ .....कुछ भी कर .......लेकिन ध्यान अपने कैरियर पर ही फोकस रख ......

सच दीदी ....मै मौज मस्ती कर सकती हूँ न ....गुड्डी थोड़ा उत्साहित होती हुई बोली....

हाँ री बावरी हाँ .......चाहे तो अभी से शुरुआत कर सकती है ........शालिनी मेरी तरफ इशारा करती हुई बोली


 अब मै गुड्डी की तरफ बढ़ते हुए बोला - गुड्डी ....अब तो दीदी ने भी इजाजत दे दी है .....आ मै तुझे मौज मस्ती कराता हूँ ...

ना बाबा ना ....गुड्डी सोफे से उठते हुए बोली .......मस्ती और आपके साथ ......आप बड़े शैतान हो ......नहीं .....और मुझसे बचते हुए भाग भागकर मुझे चिढाने लगी .....

और जब मै सोफे के पीछे जाकर उसे पकड़ने की कोशिश किया तो वो दरवाजे से बाहर भागी .....मै उसके पीछे भागा ....लड़की को स्कर्ट में भागते देख मेरा जूनियर पूरी ताकत से उठकर खडा हो गया था .....वो मेरे कमरे में घुस गई .....वहां उसने ज्यादा भागने की चेष्टा नहीं की ....फिर मैंने उसे पीछे से पकड लिया और बिस्तर पर गिरा कर उसके पीठ पर सवार हो गया .........और उसके बूब्स को दबाते हुए उसके गालों को पीछे से ही चूमने लगा और साथ ही अपना कमर हिलाकर उसके लगभग नंगी गांड के दरारों में अपना लंड अडजस्ट कर रहा था .........

वो मस्ती में हलके हलके कराहने लगी थी.......

मै उसके होंटों को अपने मुंह में भरकर चूसना चाहता था ......इसलिए उसके ऊपर से उतरकर मैंने उसे सीधा पीठ के बल लिटा दिया और उसके बगल में लेटकर उसके मुँह के ऊपर झुककर उसके होंटो को चूमने -चूसने लगा ....दाए हाथ से उसके बाल सहला रहा था और बाएं हाथ को उसके पेट से फिसलाते हुए बूब्स तक ले जाकर उन्हें धीरे धीरे दबा रहा था .......लगभग ५ मिनट मै गुड्डी के होंटो को मस्त चूसता रहा ........अचानक ...............उसने मेरे मुँह से अपना मुँह अलग किया और अपने होंटो को मादक ढंग से काटते हुए आँखे बंद करके मचलने लगी

.......आह............ओह..................माआआआआआआ............

मै असमंजस में पड़ गया ...अभी तो हौले -हौले सिर्फ मम्मे ही दबा रहा हूँ .....पर साली रांड... ऐसे मचल रही है , जैसे मैंने चूत की जड़ तक लंड पेल दिया हो .......फिर चूत का ख्याल आते ही मम्मे दबाना छोड़ मेरी निगाहें उसकी चूत की तरफ उठी .. अल्लाह .........मेरी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था .........


 शालिनी दीदी बेड के किनारे घुटनों के बल बैठी हुई थी और गुड्डी के स्कर्ट को उपर कर ....उसकी चड्डी को साइड में खिसकाकर उसकी चिकनी चूत पर आहिस्ते आहिस्ते जीभ से चाट रही थी .......

चूत में घुसेड़ने के बजाय चूत के कपोतों के चारो तरफ हलके से स्पर्श करते हुए दीदी अपनी जीभ चला रही थी

.....मै हतप्रद दीदी के कारनामे को देख रहा था ......अब मैंने दीदी के बालों में उँगलियाँ फिराई .......दीदी ने अपना सर उठाकर मेरी तरफ नशीली आँखों से देखते हुए फिर से अपनी लम्बी जीभ निकालकर गुड्डी की छोटी बुर की पूरी दरार में फिराया ....गुड्डी छट्पटाकर अपने मम्मे , टॉप के ऊपर से ही अपने दोनों हांथों से मसलने लगी .......उसकी सिसकी तेज हो रही थी और दीदी लगातार उसकी जांघो से लेकर बुर तक मेरी आँखों में देखते हुए अपनी जीभ से सहला रही थी .......फिर दीदी ने गुड्डी का स्कर्ट और पैंटी उतारकर उसे नीचे से नंगी कर दिया .........और मेरे देखते ही देखते दीदी ने बुर के उपरी दानो को अपनी जीभ से छेड़ना प्रारंभ कर दिया ....गुड्डी जोर से उछली और सिसकी .....उई माँ ...........
तब मैंने गुड्डी को फिर से पकड़ा और उसके मम्मे दबाते हुए उसके होंटों पर अपनी उँगलियाँ फिराने लगा ...फिर मैंने अपनी छोटी ऊँगली उसके मुंह में पेल दिया .....गुड्डी मजे लेकर जैसे लंड चूसते है , चूसने लगी ......मै गनगना गया .......ऊँगली चुस्वाने में भी इतना मजा आता है ...पहली बार महसूस किया ....सार शारीर रोमांच से भर गया 


तभी शालिनी दीदी ऊपर आकर , गुड्डी के मम्मों से मेरा दुसरा हाथ हटा कर उसकी उँगलियाँ अपने मुंह में लेकर चूसने लगी .......आह ....इतना आनंद मुझे कभी नहीं हुआ था ..........मजे से मेरी आँख भी मूंद गयी थी ......ऐसा कबतक रहा मुझे याद नहीं ...मै तो अलग दुनिया में था और वहां से तब बाहर आया ........जब दीदी ने मेरी उंगलियाँ चुसना छोड़ दिया .......फिर मैंने भी अपनी ऊँगली गुड्डी के मुंह से निकाली .......और गुड्डी के टॉप में ही पोंछ दिया ...........

तभी दीदी ने टोक दिया .....अरे नहीं.... टॉप ख़राब हो जाएगा .....इससे अच्छा है इसे निकाल दो .......फिर मैंने गुड्डी के टॉप को ऊपर खींचकर उसके सर से बाहर निकाल दिया ...और दीदी ने उसके ब्रा का हुक खोलकर उसे पूरी तरह नंगी कर दिया ..............अब गुड्डी के दोनों कबूतरी आजाद होकर अपने पंख फडफडाने लगे थे .......


 अब मै और दीदी गुड्डी के दोनों तरफ लेट गए और उसके एक एक मम्मे को पकड़कर निप्पलस को अपने मुंह से चूसने लगा........

तभी मैंने देखा दीदी निपल्स चूस नहीं रही थी बल्कि उसके चारो तरफ अपनी जीभ चला रही थी और मुझे देखे जा रही थी .......

फिर मैंने दुसरा निप्पलस छोड़ दिया और दीदी जिस निप्पलस से जीभ से खेल रही थी उसी निप्पल के चारो तरफ मैंने भी अपना जीभ घुमाना शुरू कर दिया .......बीच बीच में मै और दीदी दोनों निप्पलस को चुभलाते चुभलाते एक दुसरे की जीभ को चुसना शुरू कर देते .... दीदी ने अपना हाथ गुड्डी के बुर पर फेरती हुई उँगलियों से उसके बुर को खोद रही रही थी .....इसलिए मैंने भी अपना हाथ बढ़ाकर गुड्डी की चूत से खेलना शुरू कर दिया

परन्तु दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा ....ऊँगली अन्दर नहीं डालो.....सिर्फ दानो को छुओ और छेड़ो......

मै वैसा ही करने लगा .........

कमरे में गुड्डी की मादक सिसकारी फ़ैल रही थी

........इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.....

तभी पता नहीं दीदी ने क्या किया ..........

गुड्डी जोर से चींखी और अपने बुर पर फिसलती हमारे हांथो को जोर से पकड़ी और अपने बुर पर जोर से दबा कर रगड़ी और झटककर अपनी बुर से अलग कर दिया

.........मै उसकी चींख से घबराकर उसके मम्मे छोड़कर बगल से उठकर उसकी बुर की तरफ देखा

........गुड्डी के चरमानंद का मदनरस एक पतली धार का शक्ल ले उसकी चूत से निकला ............

ये मेरे लिए आश्चर्यजनक चीज था .....उत्तेजना से चूत को भींगते हुए देखा था .....परन्तु धार के रूप में कभी नहीं देखा ....

ये बात मैंने दीदी से पूछा ...........तब दीदी ने घोषणा किया की गुड्डी ने ' मूत ' दिया है ......

गुड्डी शरमाकर अपनी पैंटी उठाते हुए बाथरूम की तरफ भागी ........



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