FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--19
इस रात की सुबह नहीं
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आज के दिन का जरुर मेरी जिन्दगी से कोई गहरा नाता है …….दो साल पहले यही दिन था जब मैंने पहली बार किसी स्त्री को नग्न देखा था …..वो भी जबरदस्त ढंग से चुदते ….लाइव !
…..आज फिर से देखने का मौका मिल सकता है ….
मै बड़ी दीदी अनीता और राजन जीजाजी के घर उनके मुन्ने को देखने मम्मी के साथ आया हुआ हूँ …..
मैंने दीदी के बगल वाला कमरा लिया है ……. मेरे और दीदी के कमरे के बीच के दरवाजे के ऊपर शीशे वाले पोर्सन में दीदी के कमरे की तरफ से ही टॉम & जेरी की तस्वीर वाला पेपर चिपका हुआ है ……. मैंने मौक़ा देखकर टॉम की दोनों आँखों के पेपर खरोंच दिया है …..अब कुर्सी लगाकर मेरे कमरे से दीदी के कमरे का लगभग हर हिस्सा टॉम की आँखों से दिख रहा है
………..लेकिन मेरी आँखों के सामने दो साल पहले की तस्वीर घूम रहा है ....
सुनीता दीदी के शादी का दिन ……
अनीता दीदी और राजन जीजाजी अभी अभी आये थे ……..
देर से आने की सफाई देने के बाद से जीजाजी मेरे कमरे में मेरे साथ बैठकर बातें कर रहे थे की सुनीता दीदी मार्केट से लौटी और जीजाजी के आने की बात सुनते ही भागकर पहले अनीता दीदी से मिली फिर कुछ देर बाद मेरे कमरे में आते ही चहकी ……….
जीजा जी नमस्ते ! और जीजाजी के पाँव छुने के लिए जैसे ही झुकी …..जीजाजी ने बेड से उठे और उसके कंधे पकड़कर मेरी उपस्थिथि को नजरअंदाज करते हुए अपने सीने से लगाते हुए कहा
…………साली साहिब ! आपकी जगह चरणों में नहीं यहाँ है ……आप तो मेरी आधी घरवाली हो ….
( मैंने तुरंत दूसरी तरफ मुह फेर लिया ……..लेकिन तभी मेरी नजर सामने आलमारी पर पडा जिसके आगे लगे शीशे में दीदी और जीजाजी नजर आ रहे थे …….दीदी का पीठ दिख रहा था , जिसपर जीजा के हाथ कसे हुए थे )
हूँ ……फिर अभी आने की क्या जरुरत थी ? शादी के बाद आते ??.......दीदी शिकायती लहजे में बोली
नाराज क्यों होती हो मेरी जान ……..अब आ गया हूँ ना , आपकी सारी नाराजगी दूर कर दूंगा ……….कहते हुए जीजाजी ने दीदी को अपने सीने में भींचा …..
मेरे सारे शारीर में सिहरन दौड़ गया ……….
क्योंकि जीजाजी के हाथ पीठ से फिसलकर सुनीता दीदी के चुतरों पर जम गया था …….दोनों गोलाईयां जीजाजी की चौड़ी हथेली में समा चुकी थी ……और उनकी उँगलियाँ सलवार के ऊपर से दीदी की गांड के दरार में फिर रही थी …..जिसे दीदी अपने हाथ झटककर मेरी तरफ देखते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ……और जैसे ही वो कामयाब हुई , अपनी जीभ दिखाकर जीजाजी को चिढाते हुए कमरे से भाग गयी ...........
शादी की रात …….बारिश आने के पुरे आसार थे …..
एक बजे जब शादी समाप्त हुई तो बूंदा -बांदी शुरू हो चुकी थी ….दूल्हा –दुल्हन को सुहागकक्ष में भेज दिया गया और सारे लोग अपने सोने के लिए जगह ढूढने लगे …..
बुआजी पिछली तीन रातों की तरह कोमल भाभी के घर निकली ……
आज छत पर तो सोया नहीं जा सकता ……मैंने स्टोररूम में देखा , थोड़े एडजस्टमेंट से एक बिस्तर वहां लगाया जा सकता था …..
तभी माँ मुझे देखते ही बोली …तू बुआ को पहुंचाने नहीं गया ?, कोमल का घर दूर है और बारिश होने वाली है … जल्दी से उनके पीछे जा .. .
मै बाहर निकला …..V शेप वाले गाँव के अन्दर का रास्ता काफी लंबा था परन्तु शॉर्टकट वाले सीधे रास्ते में खेतों से होकर गुजरना पड़ता था ……रुक रूककर तेज बिजली चमक रही थी ……मैंने आगे तीन चार अजनबियों को खेतों की और जाते हुए देखा ….शायद बाराती थे और टॉयलेट के लिए उधर खेतों की तरफ जा रहे थे ……
मै भी उसी रास्ते पर बढ़ रहा था क्योंकि शॉर्टकट यही था ……थोड़ी देर में वो लोग अँधेरे में ओझल हो गए ……….
तभी तेज बारिश शुरू हो गयी ….मै तुरंत एक बड़े पेड़ के नीचे रुका ……. ……रुक रुक कर चमक रही बिजली में पगडण्डी से सटे पुराने स्कूल के खंडहर के बरामदे में मुझे कोमल भाभी और बुआ की झलक दिखाई पड़ी …..
मैंने चैन की सांस ली …….
दस मिनट बाद वो दोनों मुझे कहीं नजर नहीं आयी …..कहाँ चली गयी ? मै बडबडाया और उसी तेज बारिश में मै खंडहर की तरफ बढ़ने लगा ……….
स्कूल के अहाते में पहुँचते ही मेरे कदम ठिठक गए ……अन्दर से भाभी और बुआ की कराहने की आवाज आ रही थी ……मै अन्दर की ओर लपका …..टूटी खिड़की से जैसे ही मैंने अन्दर झंका , मै सन्न रह गया ……..
वाही चार अजनबी बाराती , जिन्हें मैंने आगे खेतों की ओर जाते देखा था , दो - दो के गुट में भाभी और बुआ को दबोचे हुए था ……
कोमल भाभी काफी मचल रही थी ….उसे एक ने पीछे से बुरी तरह जकड़ा हुआ था और दुसरा सामने से उनकी चुचियों को बेदर्दी से मसल रहा था ….
उधर बुआ को एक ने आगे से दबोचकर उनकी साडी और पेटीकोट को ऊपर उठा रखा था और दुसरा उनकी पैंटी को नीचे सरकाकर उनकी गांड की गोलाइयों को दांतों से काट रहा था ……
मेरा खून खौल उठा …..
मै उनसे भिड़ने के लिए आगे बढ़ा , पर तुरंत मेरे मस्तिस्क ने मुझे रोक दिया …..वो चार थे और मै अकेला , मेरा मार मारकर बुरा हाल कर देते , फिर मै भाभी और बुआ को कैसे बचाता ? ……..
मै तुरंत सहायता के लिए अपने घर की ओर भागा …….थोड़ी देर दौड़ने के बाद मुझे ख्याल आया की मै ये क्या कर रहा हूँ ?? ……….दस मिनट में घर पहुंचूंगा , पांच मिनट लोगों को इकठ्ठा करने में ओर उन सबको कम से कम दस मिनट यहाँ पहुँचने में लगेगा …….इतनी देर में तो वो लोग भाभी ओर बुआ के साथ सबकुछ कर चुके होंगे ….ओर फिर लोगो के सामने बदनामी होगी सो अलग , इसलिए मैंने निश्चय किया की जो मेरे साथ होगा …..देखा जाएगा ……जो करना है अब मुझे ही करना है ……मै खंडहर की ओर लौटने लगा ……….
खिड़की के पास पहुँच कर मैंने हमला करने के लिए रुका ……
उनका पोजीशन देखने के लिए अन्दर झांका ……आसमान में लगातार बिजली चमक रही थी …………अन्दर देखते ही 440 वोल्ट करंट मेरे शारीर में दौड़ने लगा ………..
बुआ बिलकुल नंगी अपने ही साडी पर लेटी थी ….एक आदमी अपना लंड निकालकर उनके मुंह में ठुंसा हुआ था और दुसरा उनकी जाँघों के बीच बैठकर उन्हें जोर जोर से चोद रहा था ….बुआ भी अपना कमर उचकाकर उसका साथ दे रही थी …..यानी अपनी बेरहम चुदाई को एन्जॉय कर रही थी ……
इधर कोमल भाभी की भी साडी खुलकर नीचे पड़ी थी ….. उनके ब्लोउज के सारे बटन टूट चुके थे और पीछेवाला आदमी खड़े खड़े उनकी ब्रा ऊपर कर उनकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था …..दुसरा आदमी उनकी पेटीकोट को गैप वाली जगह से फाड़कर उनके सामने घुटनों के बल बैठकर उनकी बुर को कुत्ते की तरह चाट रहा था ………भाभी उसका सर अपनी बुर पर दबाती हुई मस्ती में सिसिया रही थी ….यानी वो भी एन्जॉय कर रही थी …….
अब उन अजनबियों के साथ मारपीट करना फिजूल था ……वैसे भी भाभी और बुआ को नंगी देखकर मेरा लंड तम्बू बन चुका था ……मैंने उसे आजाद कर अपने हाथो से सहलाते हुए भाभी और बुआ को चुदते हुए देखने लगा ……..
तभी उस आदमी ने उठकर भाभी के पैरों को फैलाकर अपना फनफनाता लंड भाभी के बुर में पेल दिया …..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……………भाभी की सिसकारी गूंजी
उधर बुआ को चोद्नेवाला आदमी झड चुका था …….दुसरा आदमी बुआ को कुतिया बनाकर पीछे से पेल रहा था ……
इधर भाभी के गांड में भी दुसरे ने अपना लंड डाल दिया था और उनको सैंडबीच बनाकर खड़े खड़े दोनों तरफ से पेल रहा था …….
अन्दर बुआ और भाभी की कामुक कराहट लगातार गूंज रही थी …….
कोमल भाभी को तीन लोगों ने जबकि बुआ को दो लोगों ने बारी बारी पेला …….लेकिन सारे फिसड्डी निकले ….बीस मिनट में ही सारा कार्यक्रम समाप्त हो गया …. मै भी झड चुका था ……..
सारे अजनबी भाग गए …….
तभी बुआ साडी लपेटती हुई फुसफुसाई ……. कुत्तो ने सारे कपडे खराब कर दिए परन्तु ठीक से मजा भी नहीं दिया
इस मामले में अनीता बहुत भाग्यशाली है ……भाभी बोली
क्या कहती हो ? क्या उसके साथ भी ऐसा ……..बुआ उत्सुकतावश पूछी
नहीं बुआ ,…………वो राजन जीजाजी का बहुत तगड़ा है न ….बिलकुल घोड़े की माफिक ……
सच में ?….बुआ आश्चर्यमिश्रित स्वर में बोली …….तुमने लिया है ??
हाँ बुआ ,……मुझे तो दो लोगों से एक साथ चुदकर भी उतना मजा नहीं आया …..जितना अकेले जीजाजी के साथ
दोनों अब पगडण्डी पर पहुँच गयी
मै जीजाजी के बारे में सोचते हुए वापिस लौटने लगा ………………
घर पहुंचकर देखा तो सारे लोग अपना जगह पकड़ चुके थे
…..स्टोररूम में भी मेरे चुने हुए जगह पर बिस्तर लगा था ……जो भी था शायद बाथरूम ( जो स्टोररूम के ठीक सामने था ) गया था …..
कमरे में जीरो वाट का बल्ब जल रहा था और पंखा चल रहा था ……..
मैंने इधर –उधर देखा ……..खिड़की खुली थी लेकिन हवा नहीं आ रही थी क्योंकि सामने एक दीवाल से दूसरी दीवाल तक रस्सी बंधा पडा था जिसपर ढेर सारे कपडे टंगे पड़े थे ……मैंने कपडे हटाने के लिए आगे बढ़ा तो देखा वहां एक बेंच पडा था जिसपर दो बोरियां रखी थी
……मेरे सोने का जुगाड़ हो गया …..मैंने बोरियां उठाकर नीचे रखा ……गद्दे स्टोररूम में ही पड़े थे ……मैंने एक के ऊपर एक , दो गद्दे डालकर अपने भींगे कपडे निकाले और वहां चड्डी में ही बैठ गया ……
अपनी नग्नता छुपाने के लिए रस्सी पर पड़े कपड़ों को वैसे ही रहने दिया ........खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी …….कमरे में जीजाजी आकर बिस्तर पर लेट गए ....
मै चुपचाप वही सो गया ….फिर चूड़ियों की आवाज से ही मेरा नींद खुला ………घडी देखा ….चार बज रहे थे ……मुझे लगा अनिता दीदी जीजाजी से चुदने आयी होगी ........ मै रस्सी पर टंगे कपड़ो के बीच से झांका …….
मेरी सिसकारी निकलते निकलते रह गया ……….
दुल्हन के कपड़ों में सजी सुनीता दीदी सामने दीवाल से चिपकी खड़ी थी …..जीजाजी उनको दीवाल से सटाए हुए होतो को चूस रहे थे और हाथों से दीदी के ब्लोउज के बटन खोल रहे थे
……देखते ही देखते दीदी की चूचियां ब्रा से भी आजाद होकर बाहर उछल पड़ी ………
मस्त मांसल चुचियों के बीच निप्पल प्रत्याशा में खड़े अपने मर्दन का इन्तजार कर रही थी ………जीजाजी उसे मसलने लगे ……. फिर झुककर उसे चूसने लगे ……
दीदी अपना हाथ नीचे कर जीजाजी के लंड को मुठिया रही थी …….जीजाजी और झुके और दीदी की साडी –पेटीकोट को उठाकर दीदी के हाथ में पकड़ा दिया और खुद घुटने के बल बैठकर दीदी की पैंटी को निकाल दिया और उनकी नंगी बुर को चाटने लगे …………….
दीदी मचलने लगी …..
आअह्ह्ह्ह्ह …….मेरा दिल धार धार कर रहा था ………मै पहली बार पुरे प्रकाश में खुली बुर देख रहा था ….वो भी अपनी बहन का …..उसकी सुहागरात को ……अपनी पेटीकोट उठाये हुए अपने जीजा से बुर चट्वाती हुई …….. मस्ती में अपने होंट काटती हुई
फिर दीदी दीवाल से सटे ही बैठ गयी और जीजाजी का लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ……मोटा लुंड मुश्किल से उनके मुंह में समा रहा था ………
तभी जीजाजी ने पूछा ….तुम्हारे पति को कुछ पता चला ?………
नहीं ……. जीजाजी का लंड मुंह से निकालते हुए दीदी बोली …….एकदम अनारी हैं …… कुछ पता नहीं चला .......दो शॉट मारा और शांत ….जीजाजी मुझे आपकी बहुत याद आएगी …….
घबराओ मत …..मै हूँ ना …….तुम्हारी उबलती चूत को ठंडा करने के लिए …….
फिर जीजाजी ने दीदी को बेड पर चित लिटा दिया और उनकी नंगी जांघो के बीच आकर अपना मूसल बुर के छेद पर भिडाकर अन्दर ठेलने लगे ……
मेरी साँसे रुकने लगी ……इतना मोटा दीदी की छोटी सी बुर में जाएगा कैसे ?................
आखिरकार जीजाजी ने अन्दर पेल ही दिया ……दीदी की सिसकी कमरे में गूंजी ……..
इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स …………………………….
अब जीजाजी ने दीदी को धकाधक पलना शुरू किया ……….भींगा लंड बाहर आता और खच्च …की आवाज के साथ अन्दर घुस जाता ……….दीदी बेडशीट को जोर से पकडे थी ……..जीजाजी पेले जा रहे थे …. और दीदी अपनी कमर उचकाते हुए चुदवा रही थी ……..
मेरा लंड कच्छे से बाहर निकलकर लपलपा रहा था , मानो उसे दस वियाग्रा का डोज दे दिया गया हो ………दीदी को चुदते देख मै भी अपना लंड मसलने लगा ………….
उधर जीजाजी झड गए , इधर मै ………
तूफ़ान के गुजरने के बाद दीदी जीजाजी से लिपय्कर खूब रोई …….मनो सुबह के बजाय अभी ही उनकी विदाई हो ………
सुबह दीदी की विदाई के बाद धीरे धीरे सारे मेहमान भी जाने लगे ….पर बुआ नहीं गयी
आज पुरे दिन बुआ , जीजाजी की खातिरदारी में ही लगी रही …..
कई बार बुआ ने वेवजह झुककर जीजाजी को अपने हुस्न का दीदार करा चुकी थी और साथ में मुझे भी , क्योंकि आज मेरी नजर बुआ के इर्द -गिर्द ही घूम रही थी …….
रात को सोने के समय सुहागकक्ष दीदी -जीजाजी को मिला …..और मेरा कमरा महिलाओं के लिए …..लेकिन बुआ ने एलान किया की वो काफी थकी है इसलिए अकेली सोएगी ………
जीजाजी ने बुआ को स्टोररूम में जगह के बारे में बताया ………बुआ स्टोररूम में बिस्तर लगाकर खाना खाने चली गयी ….
मेरे बारे में किसी ने सोंचा ही नहीं ……..मै चुपचाप स्टोररूम में पुराने जगह को चुना और लेट गया …..
बुआ आते ही दरवाजा बंद की और चित लेट गयी ……फिर उन्होंने अपने घुटने मोड़कर अपनी साडी और पेटीकोट कमर तक खिसकाई …………
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………………बुआ की फूली बुर मेरे आँखों के सामने चमक रही थी ……
फिर उन्होंने एक लंबा बैगन निकाला और अपने मस्ताई बुर में घुसाने लगी ………
बुआ ने आँखे बंद कर रखी थी और ऊंह…यंह …..करते हुए पुरे बैगन को अपनी बुर में घुसेड़कर तेजी से अन्दर बाहर कर रही थी …….
वो ऐंठते हुए झड रही थी …..झड़ने के बाद बैगन फेंककर बैसे ही अपनी बुर नंगी रखकर सो गयी …..
बुआ की ऐसी चुदास देखकर मेरा मन कर रहा था की जाकर उसपर चढ़कर उनको हचक हचाककर चोदुं …….पर मन मसोसकर रुका रहा ….अगर कहीं गुस्सा हो जाती तो मै कहीं का नहीं रहता ….
एक घंटे बाद बाहर हलकी आवाज हुई ….बुआ झट से दरवाजे पर पहुंचकर झिर्री से बाहर झांकी और दरवाजा खोल दिया …..
जीजाजी बाथरूम जा रहे थे ….
जमाईजी …..लगता है कोई कीड़ा घुस गया है …..बुआ अपने बदन को खुजलाते हुए बोली …..बहुत तंग कर रहा है ……
जीजाजी अन्दर आकर धीमे से बोले …….बेड झाड लीजिये बुआजी ….
बुआ झुककर बेड झाड़ने लगी …….उनका हैवी चुतर जीजाजी के जांघो से टकरा रहा था ……
जीजाजी भी माहिर खिलाड़ी थे …… मौक़ा देखा और बुआ के पिछवाड़े से सट गए .....
आह्ह्ह ……………….लगता है कीड़ा मेरे कपड़ों में घुस गया है ……..अपनी चुतरों को जीजाजी के मूसल पर रगडती हुई बुआ खड़ी हुई ………
बुआजी …….आप अपने कपडे खोलकर झाड लीजिये ……जीजाजी ने धीमे कहा
दरवाजा तो बंद कर दीजिये , कोई देखेगा तो क्या कहेगा ? …….
जैसे ही जीजाजी दरवाजे की तरफ पलटे और दरवाजा बंद किया …….बुआ ने साडी खोलकर फेंकी …..और खिड़की की तरफ घूमकर , अपना पेटीकोट आगे से जांघो तक उठाकर झुठमुठ झुक के देखने लगी …………..
जीजाजी बुआ के पास आये और उनके पीछे चिपकते हुए बोले …….अच्छा कीड़ा वहां घुस गया है …..लाइए मै मसलकर मार दूँ ……और अपना हाथ आगे लाकर बुआ की बुर को मुठ्ठी में भींच लिया ……….
आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………बुआ सिसकी
जीजाजी अपनी ऊँगली बुआ के बुर में पेलकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगे ……..बुआजी , लगता है कीड़े ने आपको गीला कर दिया है ……
हाँ जी ,…………लेकिन वो ऐसे नहीं मरेगा …….उसे किसी मोटे डंडे से दबाकर मारिये ……..बुआ हस्की voice में बोली
अभी लीजिये ……..ये कहते हुए जीजाजी ने बुआ को बेड पर झुका दिया और उनका पेटीकोट पीछे से उठाकर अपनी लुंगी खोलकर फनफनाते मूसल को उनकी पनिआयी बुर में झटके से पेल दिया …..
ऊईईई …माँ …….मर गयी ………..बुआ हौले से कराही ……
लेकिन जीजाजी उनकी कराहट को नजरअंदाज करते हुए बिना रुके पेलते रहे ………
बुआ तकिये को दांतों से दबाये अपनी जिन्दगी की सबसे बेरहम दर्द भरी चुदाई का मजा लेने लगी और जब जीजाजी आधे घंटे बाद झाडे तो बुआ को खडा भी नहीं हुआ जा रहा था …..
हाँफते हुए वहीँ पेट के बल नंगी लेट गयी ……
इस बात को दो साल हो गए …….इस दौरान मैंने लाइव चुदाई नहीं देखा है ……
आज शायद मौक़ा मिले …….वैसे अभी मैंने अनीता दीदी की बुर तो देखा ही नहीं …….मै रात का इन्तजार करने लगा …..
रात को मै टॉम की आँखों से दीदी के कमरे में झांका …….
दीदी जीजाजी की तरफ घूमकर बच्चे को सुला रही थी और जीजाजी खिड़की ( जो आँगन में खुलता है ) के पास बिस्तर पर अधलेटे हुए लैपटॉप पर पोर्न मूवी देख रहे थे …….उन्होंने लैपटॉप दीदी की तरफ घुमाया और अपना मूसल लुंगी से बाहर निकाल लिया …….
वाह्ह्ह्ह्ह्ह …..ये तो पहले से भी विकराल लग रहा था ……
फिर उन्होंने दीदी की नाइटी कमर तक सरका दिया और उनकी बुर देखने लगे …..मुझे दीदी की बुर तो नहीं दिखी , पर उनकी बड़ी बड़ी गांड की गोलाइयां मेरी आँखों के आगे नाचने लगी …….
मुन्ना सो चूका था ……जीजाजी ने इशारा किया …… दीदी ने बच्चे को साइड कर हाथ बढ़ाकर मूसल पकड़ लिया और सहलाने लगी ……..फिर धीरे से मुंह में ले लिया …..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …………जीजाजी के मुंह से निकला और वो हाथ बढ़ाकर दीदी की चुतर सहलाते हुए पीछे से बुर me ऊँगली करने लगे …….
मुझे कमरे की भरपूर रौशनी में पहली बार अनिता दीदी की बुर की झलक मिली …..मेरे छोटे उस्ताद ने तुरंत उछालकर सलामी दी ….
तभी मै चौंका ……मुझे खिड़की के बाहर कोई साया हिलता महसूस हुआ ……कहीं कोई चोर तो नहीं ?……
मेरा खून सूखने लगा …..मै चिल्लाकर जीजाजी को बता भी नहीं सकता था …..फिर साया दिखना बंद हो गया …..
इधर जीजाजी दीदी को चित लिटाकर उनके ऊपर चढ़ चुके थे और हुमच हुमचकर चोद रहे थे …..
दीदी मस्ती में कराह रही थी …..
फिर जीजाजी रुक गए और बोले …..अनु , बच्चे के कारण तुम्हारी बुर थोड़ी फ़ैल गयी है मुझे मजा नहीं आ रहा है …..
लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा है , मेरे राजा …….दीदी अपनी बुर उचकाती हुई बोली …. थोड़ी देर और …..बस मै झाद्नेवाली हूँ ……….और जीजाजी से चिपककर झड़ने लगी ……….
जीजाजी ने अपना लंड निकाल लिया ….रोड की तरह ताना हुआ …….दीदी की चुतरस पीकर और खूंखार लग रहा था ……
अनु , अभी मेरा हुआ नहीं है …..प्लीज आज गांड मारने दो न ……..
दीदी की जगह मुझे घबराहट होने लगी ……बुर तो ठीक था ….वो होती ही है चुदने के लिए ….लेकिन इतना मोटा लंड गांड की छोटी सी छेद में कैसे घुसेगा ?.........
परन्तु आश्चर्यजनक ढंग से दीदी कुतिया की तरह बनकर अपनी गांड ऊपर उठा दी और लैपटॉप सामने रखकर चुदाई सीन देखने लगी …….
जीजाजी ने बच्चे की मालिश के लिए रखी तेल की कटोरी से दीदी की गांड के छेद पर तेल डाला और फिर अपना लंड गांड की मुहाने पर रखकर जोर लगाने लगे ……लंड अन्दर सरकने लगा ……..
मै मुंह बाए देख रहा था …….
तभी तेज हवा के कारण अधखुली खिड़की का पला धार से खुला और बंद हो गया ……शायद बाहर आंधी चलने लगी थी ……….
मै चौंका ……..खिड़की के पल्ले के नीचे कपड़ा का एक हिस्सा फंसा था …..मैंने ध्यान से देखा ………वो किसी साडी का पल्लू लग रहा था ………..
जीजाजी ने भी आवाज के कारण खिड़की की तरफ देखा ……उनके चेहरे पर भी चौकने के भाव आये …….
फिर उन्होंने हाथ बढ़ाकर कपडे को पकड़ लिया और उसके छोर को ऊँगली में लपेट लिया …….फिर आराम से अपना लंड दीदी की गांड में पेलने लगे ……
दीदी की कामुक कराहट कमरे में गूंज रही थी …….
मैंने देखा की जीजाजी की कपडे लपेटे ऊँगली कई बार खिंची …..लेकिन जीजाजी कपड़ा छोड़ने को तैयार नहीं थे ……अब मुझे पक्का विश्वास हो गया की दूसरी तरफ कोई है …..शायद कोई औरत ….लेकिन कौन ?...........मेरा दिल धडका ……..
मै टेबल से उतरकर बे -आवाज दरवाजा खोला और माँ के कमरे में देखा ……
दरवाजा खुला था ….मम्मी गायब थी ……..
मै टॉयलेट तक आया ….वो भी खाली था …..आँगनवाला दरवाजा सटा था ……लेकिन खुला था ……..
टॉयलेट के बाहर वॉशबेसिन के ऊपर खिड़की से उचककर आँगन में देखा …….मम्मी ही थी
………मेरा दिल बैठने लगा ……मम्मी फंस गयी थी ……
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बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--19
इस रात की सुबह नहीं
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आज के दिन का जरुर मेरी जिन्दगी से कोई गहरा नाता है …….दो साल पहले यही दिन था जब मैंने पहली बार किसी स्त्री को नग्न देखा था …..वो भी जबरदस्त ढंग से चुदते ….लाइव !
…..आज फिर से देखने का मौका मिल सकता है ….
मै बड़ी दीदी अनीता और राजन जीजाजी के घर उनके मुन्ने को देखने मम्मी के साथ आया हुआ हूँ …..
मैंने दीदी के बगल वाला कमरा लिया है ……. मेरे और दीदी के कमरे के बीच के दरवाजे के ऊपर शीशे वाले पोर्सन में दीदी के कमरे की तरफ से ही टॉम & जेरी की तस्वीर वाला पेपर चिपका हुआ है ……. मैंने मौक़ा देखकर टॉम की दोनों आँखों के पेपर खरोंच दिया है …..अब कुर्सी लगाकर मेरे कमरे से दीदी के कमरे का लगभग हर हिस्सा टॉम की आँखों से दिख रहा है
………..लेकिन मेरी आँखों के सामने दो साल पहले की तस्वीर घूम रहा है ....
सुनीता दीदी के शादी का दिन ……
अनीता दीदी और राजन जीजाजी अभी अभी आये थे ……..
देर से आने की सफाई देने के बाद से जीजाजी मेरे कमरे में मेरे साथ बैठकर बातें कर रहे थे की सुनीता दीदी मार्केट से लौटी और जीजाजी के आने की बात सुनते ही भागकर पहले अनीता दीदी से मिली फिर कुछ देर बाद मेरे कमरे में आते ही चहकी ……….
जीजा जी नमस्ते ! और जीजाजी के पाँव छुने के लिए जैसे ही झुकी …..जीजाजी ने बेड से उठे और उसके कंधे पकड़कर मेरी उपस्थिथि को नजरअंदाज करते हुए अपने सीने से लगाते हुए कहा
…………साली साहिब ! आपकी जगह चरणों में नहीं यहाँ है ……आप तो मेरी आधी घरवाली हो ….
( मैंने तुरंत दूसरी तरफ मुह फेर लिया ……..लेकिन तभी मेरी नजर सामने आलमारी पर पडा जिसके आगे लगे शीशे में दीदी और जीजाजी नजर आ रहे थे …….दीदी का पीठ दिख रहा था , जिसपर जीजा के हाथ कसे हुए थे )
हूँ ……फिर अभी आने की क्या जरुरत थी ? शादी के बाद आते ??.......दीदी शिकायती लहजे में बोली
नाराज क्यों होती हो मेरी जान ……..अब आ गया हूँ ना , आपकी सारी नाराजगी दूर कर दूंगा ……….कहते हुए जीजाजी ने दीदी को अपने सीने में भींचा …..
मेरे सारे शारीर में सिहरन दौड़ गया ……….
क्योंकि जीजाजी के हाथ पीठ से फिसलकर सुनीता दीदी के चुतरों पर जम गया था …….दोनों गोलाईयां जीजाजी की चौड़ी हथेली में समा चुकी थी ……और उनकी उँगलियाँ सलवार के ऊपर से दीदी की गांड के दरार में फिर रही थी …..जिसे दीदी अपने हाथ झटककर मेरी तरफ देखते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ……और जैसे ही वो कामयाब हुई , अपनी जीभ दिखाकर जीजाजी को चिढाते हुए कमरे से भाग गयी ...........
शादी की रात …….बारिश आने के पुरे आसार थे …..
एक बजे जब शादी समाप्त हुई तो बूंदा -बांदी शुरू हो चुकी थी ….दूल्हा –दुल्हन को सुहागकक्ष में भेज दिया गया और सारे लोग अपने सोने के लिए जगह ढूढने लगे …..
बुआजी पिछली तीन रातों की तरह कोमल भाभी के घर निकली ……
आज छत पर तो सोया नहीं जा सकता ……मैंने स्टोररूम में देखा , थोड़े एडजस्टमेंट से एक बिस्तर वहां लगाया जा सकता था …..
तभी माँ मुझे देखते ही बोली …तू बुआ को पहुंचाने नहीं गया ?, कोमल का घर दूर है और बारिश होने वाली है … जल्दी से उनके पीछे जा .. .
मै बाहर निकला …..V शेप वाले गाँव के अन्दर का रास्ता काफी लंबा था परन्तु शॉर्टकट वाले सीधे रास्ते में खेतों से होकर गुजरना पड़ता था ……रुक रूककर तेज बिजली चमक रही थी ……मैंने आगे तीन चार अजनबियों को खेतों की और जाते हुए देखा ….शायद बाराती थे और टॉयलेट के लिए उधर खेतों की तरफ जा रहे थे ……
मै भी उसी रास्ते पर बढ़ रहा था क्योंकि शॉर्टकट यही था ……थोड़ी देर में वो लोग अँधेरे में ओझल हो गए ……….
तभी तेज बारिश शुरू हो गयी ….मै तुरंत एक बड़े पेड़ के नीचे रुका ……. ……रुक रुक कर चमक रही बिजली में पगडण्डी से सटे पुराने स्कूल के खंडहर के बरामदे में मुझे कोमल भाभी और बुआ की झलक दिखाई पड़ी …..
मैंने चैन की सांस ली …….
दस मिनट बाद वो दोनों मुझे कहीं नजर नहीं आयी …..कहाँ चली गयी ? मै बडबडाया और उसी तेज बारिश में मै खंडहर की तरफ बढ़ने लगा ……….
स्कूल के अहाते में पहुँचते ही मेरे कदम ठिठक गए ……अन्दर से भाभी और बुआ की कराहने की आवाज आ रही थी ……मै अन्दर की ओर लपका …..टूटी खिड़की से जैसे ही मैंने अन्दर झंका , मै सन्न रह गया ……..
वाही चार अजनबी बाराती , जिन्हें मैंने आगे खेतों की ओर जाते देखा था , दो - दो के गुट में भाभी और बुआ को दबोचे हुए था ……
कोमल भाभी काफी मचल रही थी ….उसे एक ने पीछे से बुरी तरह जकड़ा हुआ था और दुसरा सामने से उनकी चुचियों को बेदर्दी से मसल रहा था ….
उधर बुआ को एक ने आगे से दबोचकर उनकी साडी और पेटीकोट को ऊपर उठा रखा था और दुसरा उनकी पैंटी को नीचे सरकाकर उनकी गांड की गोलाइयों को दांतों से काट रहा था ……
मेरा खून खौल उठा …..
मै उनसे भिड़ने के लिए आगे बढ़ा , पर तुरंत मेरे मस्तिस्क ने मुझे रोक दिया …..वो चार थे और मै अकेला , मेरा मार मारकर बुरा हाल कर देते , फिर मै भाभी और बुआ को कैसे बचाता ? ……..
मै तुरंत सहायता के लिए अपने घर की ओर भागा …….थोड़ी देर दौड़ने के बाद मुझे ख्याल आया की मै ये क्या कर रहा हूँ ?? ……….दस मिनट में घर पहुंचूंगा , पांच मिनट लोगों को इकठ्ठा करने में ओर उन सबको कम से कम दस मिनट यहाँ पहुँचने में लगेगा …….इतनी देर में तो वो लोग भाभी ओर बुआ के साथ सबकुछ कर चुके होंगे ….ओर फिर लोगो के सामने बदनामी होगी सो अलग , इसलिए मैंने निश्चय किया की जो मेरे साथ होगा …..देखा जाएगा ……जो करना है अब मुझे ही करना है ……मै खंडहर की ओर लौटने लगा ……….
खिड़की के पास पहुँच कर मैंने हमला करने के लिए रुका ……
उनका पोजीशन देखने के लिए अन्दर झांका ……आसमान में लगातार बिजली चमक रही थी …………अन्दर देखते ही 440 वोल्ट करंट मेरे शारीर में दौड़ने लगा ………..
बुआ बिलकुल नंगी अपने ही साडी पर लेटी थी ….एक आदमी अपना लंड निकालकर उनके मुंह में ठुंसा हुआ था और दुसरा उनकी जाँघों के बीच बैठकर उन्हें जोर जोर से चोद रहा था ….बुआ भी अपना कमर उचकाकर उसका साथ दे रही थी …..यानी अपनी बेरहम चुदाई को एन्जॉय कर रही थी ……
इधर कोमल भाभी की भी साडी खुलकर नीचे पड़ी थी ….. उनके ब्लोउज के सारे बटन टूट चुके थे और पीछेवाला आदमी खड़े खड़े उनकी ब्रा ऊपर कर उनकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था …..दुसरा आदमी उनकी पेटीकोट को गैप वाली जगह से फाड़कर उनके सामने घुटनों के बल बैठकर उनकी बुर को कुत्ते की तरह चाट रहा था ………भाभी उसका सर अपनी बुर पर दबाती हुई मस्ती में सिसिया रही थी ….यानी वो भी एन्जॉय कर रही थी …….
अब उन अजनबियों के साथ मारपीट करना फिजूल था ……वैसे भी भाभी और बुआ को नंगी देखकर मेरा लंड तम्बू बन चुका था ……मैंने उसे आजाद कर अपने हाथो से सहलाते हुए भाभी और बुआ को चुदते हुए देखने लगा ……..
तभी उस आदमी ने उठकर भाभी के पैरों को फैलाकर अपना फनफनाता लंड भाभी के बुर में पेल दिया …..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……………भाभी की सिसकारी गूंजी
उधर बुआ को चोद्नेवाला आदमी झड चुका था …….दुसरा आदमी बुआ को कुतिया बनाकर पीछे से पेल रहा था ……
इधर भाभी के गांड में भी दुसरे ने अपना लंड डाल दिया था और उनको सैंडबीच बनाकर खड़े खड़े दोनों तरफ से पेल रहा था …….
अन्दर बुआ और भाभी की कामुक कराहट लगातार गूंज रही थी …….
कोमल भाभी को तीन लोगों ने जबकि बुआ को दो लोगों ने बारी बारी पेला …….लेकिन सारे फिसड्डी निकले ….बीस मिनट में ही सारा कार्यक्रम समाप्त हो गया …. मै भी झड चुका था ……..
सारे अजनबी भाग गए …….
तभी बुआ साडी लपेटती हुई फुसफुसाई ……. कुत्तो ने सारे कपडे खराब कर दिए परन्तु ठीक से मजा भी नहीं दिया
इस मामले में अनीता बहुत भाग्यशाली है ……भाभी बोली
क्या कहती हो ? क्या उसके साथ भी ऐसा ……..बुआ उत्सुकतावश पूछी
नहीं बुआ ,…………वो राजन जीजाजी का बहुत तगड़ा है न ….बिलकुल घोड़े की माफिक ……
सच में ?….बुआ आश्चर्यमिश्रित स्वर में बोली …….तुमने लिया है ??
हाँ बुआ ,……मुझे तो दो लोगों से एक साथ चुदकर भी उतना मजा नहीं आया …..जितना अकेले जीजाजी के साथ
दोनों अब पगडण्डी पर पहुँच गयी
मै जीजाजी के बारे में सोचते हुए वापिस लौटने लगा ………………
घर पहुंचकर देखा तो सारे लोग अपना जगह पकड़ चुके थे
…..स्टोररूम में भी मेरे चुने हुए जगह पर बिस्तर लगा था ……जो भी था शायद बाथरूम ( जो स्टोररूम के ठीक सामने था ) गया था …..
कमरे में जीरो वाट का बल्ब जल रहा था और पंखा चल रहा था ……..
मैंने इधर –उधर देखा ……..खिड़की खुली थी लेकिन हवा नहीं आ रही थी क्योंकि सामने एक दीवाल से दूसरी दीवाल तक रस्सी बंधा पडा था जिसपर ढेर सारे कपडे टंगे पड़े थे ……मैंने कपडे हटाने के लिए आगे बढ़ा तो देखा वहां एक बेंच पडा था जिसपर दो बोरियां रखी थी
……मेरे सोने का जुगाड़ हो गया …..मैंने बोरियां उठाकर नीचे रखा ……गद्दे स्टोररूम में ही पड़े थे ……मैंने एक के ऊपर एक , दो गद्दे डालकर अपने भींगे कपडे निकाले और वहां चड्डी में ही बैठ गया ……
अपनी नग्नता छुपाने के लिए रस्सी पर पड़े कपड़ों को वैसे ही रहने दिया ........खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी …….कमरे में जीजाजी आकर बिस्तर पर लेट गए ....
मै चुपचाप वही सो गया ….फिर चूड़ियों की आवाज से ही मेरा नींद खुला ………घडी देखा ….चार बज रहे थे ……मुझे लगा अनिता दीदी जीजाजी से चुदने आयी होगी ........ मै रस्सी पर टंगे कपड़ो के बीच से झांका …….
मेरी सिसकारी निकलते निकलते रह गया ……….
दुल्हन के कपड़ों में सजी सुनीता दीदी सामने दीवाल से चिपकी खड़ी थी …..जीजाजी उनको दीवाल से सटाए हुए होतो को चूस रहे थे और हाथों से दीदी के ब्लोउज के बटन खोल रहे थे
……देखते ही देखते दीदी की चूचियां ब्रा से भी आजाद होकर बाहर उछल पड़ी ………
मस्त मांसल चुचियों के बीच निप्पल प्रत्याशा में खड़े अपने मर्दन का इन्तजार कर रही थी ………जीजाजी उसे मसलने लगे ……. फिर झुककर उसे चूसने लगे ……
दीदी अपना हाथ नीचे कर जीजाजी के लंड को मुठिया रही थी …….जीजाजी और झुके और दीदी की साडी –पेटीकोट को उठाकर दीदी के हाथ में पकड़ा दिया और खुद घुटने के बल बैठकर दीदी की पैंटी को निकाल दिया और उनकी नंगी बुर को चाटने लगे …………….
दीदी मचलने लगी …..
आअह्ह्ह्ह्ह …….मेरा दिल धार धार कर रहा था ………मै पहली बार पुरे प्रकाश में खुली बुर देख रहा था ….वो भी अपनी बहन का …..उसकी सुहागरात को ……अपनी पेटीकोट उठाये हुए अपने जीजा से बुर चट्वाती हुई …….. मस्ती में अपने होंट काटती हुई
फिर दीदी दीवाल से सटे ही बैठ गयी और जीजाजी का लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ……मोटा लुंड मुश्किल से उनके मुंह में समा रहा था ………
तभी जीजाजी ने पूछा ….तुम्हारे पति को कुछ पता चला ?………
नहीं ……. जीजाजी का लंड मुंह से निकालते हुए दीदी बोली …….एकदम अनारी हैं …… कुछ पता नहीं चला .......दो शॉट मारा और शांत ….जीजाजी मुझे आपकी बहुत याद आएगी …….
घबराओ मत …..मै हूँ ना …….तुम्हारी उबलती चूत को ठंडा करने के लिए …….
फिर जीजाजी ने दीदी को बेड पर चित लिटा दिया और उनकी नंगी जांघो के बीच आकर अपना मूसल बुर के छेद पर भिडाकर अन्दर ठेलने लगे ……
मेरी साँसे रुकने लगी ……इतना मोटा दीदी की छोटी सी बुर में जाएगा कैसे ?................
आखिरकार जीजाजी ने अन्दर पेल ही दिया ……दीदी की सिसकी कमरे में गूंजी ……..
इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स …………………………….
अब जीजाजी ने दीदी को धकाधक पलना शुरू किया ……….भींगा लंड बाहर आता और खच्च …की आवाज के साथ अन्दर घुस जाता ……….दीदी बेडशीट को जोर से पकडे थी ……..जीजाजी पेले जा रहे थे …. और दीदी अपनी कमर उचकाते हुए चुदवा रही थी ……..
मेरा लंड कच्छे से बाहर निकलकर लपलपा रहा था , मानो उसे दस वियाग्रा का डोज दे दिया गया हो ………दीदी को चुदते देख मै भी अपना लंड मसलने लगा ………….
उधर जीजाजी झड गए , इधर मै ………
तूफ़ान के गुजरने के बाद दीदी जीजाजी से लिपय्कर खूब रोई …….मनो सुबह के बजाय अभी ही उनकी विदाई हो ………
सुबह दीदी की विदाई के बाद धीरे धीरे सारे मेहमान भी जाने लगे ….पर बुआ नहीं गयी
आज पुरे दिन बुआ , जीजाजी की खातिरदारी में ही लगी रही …..
कई बार बुआ ने वेवजह झुककर जीजाजी को अपने हुस्न का दीदार करा चुकी थी और साथ में मुझे भी , क्योंकि आज मेरी नजर बुआ के इर्द -गिर्द ही घूम रही थी …….
रात को सोने के समय सुहागकक्ष दीदी -जीजाजी को मिला …..और मेरा कमरा महिलाओं के लिए …..लेकिन बुआ ने एलान किया की वो काफी थकी है इसलिए अकेली सोएगी ………
जीजाजी ने बुआ को स्टोररूम में जगह के बारे में बताया ………बुआ स्टोररूम में बिस्तर लगाकर खाना खाने चली गयी ….
मेरे बारे में किसी ने सोंचा ही नहीं ……..मै चुपचाप स्टोररूम में पुराने जगह को चुना और लेट गया …..
बुआ आते ही दरवाजा बंद की और चित लेट गयी ……फिर उन्होंने अपने घुटने मोड़कर अपनी साडी और पेटीकोट कमर तक खिसकाई …………
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………………बुआ की फूली बुर मेरे आँखों के सामने चमक रही थी ……
फिर उन्होंने एक लंबा बैगन निकाला और अपने मस्ताई बुर में घुसाने लगी ………
बुआ ने आँखे बंद कर रखी थी और ऊंह…यंह …..करते हुए पुरे बैगन को अपनी बुर में घुसेड़कर तेजी से अन्दर बाहर कर रही थी …….
वो ऐंठते हुए झड रही थी …..झड़ने के बाद बैगन फेंककर बैसे ही अपनी बुर नंगी रखकर सो गयी …..
बुआ की ऐसी चुदास देखकर मेरा मन कर रहा था की जाकर उसपर चढ़कर उनको हचक हचाककर चोदुं …….पर मन मसोसकर रुका रहा ….अगर कहीं गुस्सा हो जाती तो मै कहीं का नहीं रहता ….
एक घंटे बाद बाहर हलकी आवाज हुई ….बुआ झट से दरवाजे पर पहुंचकर झिर्री से बाहर झांकी और दरवाजा खोल दिया …..
जीजाजी बाथरूम जा रहे थे ….
जमाईजी …..लगता है कोई कीड़ा घुस गया है …..बुआ अपने बदन को खुजलाते हुए बोली …..बहुत तंग कर रहा है ……
जीजाजी अन्दर आकर धीमे से बोले …….बेड झाड लीजिये बुआजी ….
बुआ झुककर बेड झाड़ने लगी …….उनका हैवी चुतर जीजाजी के जांघो से टकरा रहा था ……
जीजाजी भी माहिर खिलाड़ी थे …… मौक़ा देखा और बुआ के पिछवाड़े से सट गए .....
आह्ह्ह ……………….लगता है कीड़ा मेरे कपड़ों में घुस गया है ……..अपनी चुतरों को जीजाजी के मूसल पर रगडती हुई बुआ खड़ी हुई ………
बुआजी …….आप अपने कपडे खोलकर झाड लीजिये ……जीजाजी ने धीमे कहा
दरवाजा तो बंद कर दीजिये , कोई देखेगा तो क्या कहेगा ? …….
जैसे ही जीजाजी दरवाजे की तरफ पलटे और दरवाजा बंद किया …….बुआ ने साडी खोलकर फेंकी …..और खिड़की की तरफ घूमकर , अपना पेटीकोट आगे से जांघो तक उठाकर झुठमुठ झुक के देखने लगी …………..
जीजाजी बुआ के पास आये और उनके पीछे चिपकते हुए बोले …….अच्छा कीड़ा वहां घुस गया है …..लाइए मै मसलकर मार दूँ ……और अपना हाथ आगे लाकर बुआ की बुर को मुठ्ठी में भींच लिया ……….
आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………बुआ सिसकी
जीजाजी अपनी ऊँगली बुआ के बुर में पेलकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगे ……..बुआजी , लगता है कीड़े ने आपको गीला कर दिया है ……
हाँ जी ,…………लेकिन वो ऐसे नहीं मरेगा …….उसे किसी मोटे डंडे से दबाकर मारिये ……..बुआ हस्की voice में बोली
अभी लीजिये ……..ये कहते हुए जीजाजी ने बुआ को बेड पर झुका दिया और उनका पेटीकोट पीछे से उठाकर अपनी लुंगी खोलकर फनफनाते मूसल को उनकी पनिआयी बुर में झटके से पेल दिया …..
ऊईईई …माँ …….मर गयी ………..बुआ हौले से कराही ……
लेकिन जीजाजी उनकी कराहट को नजरअंदाज करते हुए बिना रुके पेलते रहे ………
बुआ तकिये को दांतों से दबाये अपनी जिन्दगी की सबसे बेरहम दर्द भरी चुदाई का मजा लेने लगी और जब जीजाजी आधे घंटे बाद झाडे तो बुआ को खडा भी नहीं हुआ जा रहा था …..
हाँफते हुए वहीँ पेट के बल नंगी लेट गयी ……
इस बात को दो साल हो गए …….इस दौरान मैंने लाइव चुदाई नहीं देखा है ……
आज शायद मौक़ा मिले …….वैसे अभी मैंने अनीता दीदी की बुर तो देखा ही नहीं …….मै रात का इन्तजार करने लगा …..
रात को मै टॉम की आँखों से दीदी के कमरे में झांका …….
दीदी जीजाजी की तरफ घूमकर बच्चे को सुला रही थी और जीजाजी खिड़की ( जो आँगन में खुलता है ) के पास बिस्तर पर अधलेटे हुए लैपटॉप पर पोर्न मूवी देख रहे थे …….उन्होंने लैपटॉप दीदी की तरफ घुमाया और अपना मूसल लुंगी से बाहर निकाल लिया …….
वाह्ह्ह्ह्ह्ह …..ये तो पहले से भी विकराल लग रहा था ……
फिर उन्होंने दीदी की नाइटी कमर तक सरका दिया और उनकी बुर देखने लगे …..मुझे दीदी की बुर तो नहीं दिखी , पर उनकी बड़ी बड़ी गांड की गोलाइयां मेरी आँखों के आगे नाचने लगी …….
मुन्ना सो चूका था ……जीजाजी ने इशारा किया …… दीदी ने बच्चे को साइड कर हाथ बढ़ाकर मूसल पकड़ लिया और सहलाने लगी ……..फिर धीरे से मुंह में ले लिया …..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …………जीजाजी के मुंह से निकला और वो हाथ बढ़ाकर दीदी की चुतर सहलाते हुए पीछे से बुर me ऊँगली करने लगे …….
मुझे कमरे की भरपूर रौशनी में पहली बार अनिता दीदी की बुर की झलक मिली …..मेरे छोटे उस्ताद ने तुरंत उछालकर सलामी दी ….
तभी मै चौंका ……मुझे खिड़की के बाहर कोई साया हिलता महसूस हुआ ……कहीं कोई चोर तो नहीं ?……
मेरा खून सूखने लगा …..मै चिल्लाकर जीजाजी को बता भी नहीं सकता था …..फिर साया दिखना बंद हो गया …..
इधर जीजाजी दीदी को चित लिटाकर उनके ऊपर चढ़ चुके थे और हुमच हुमचकर चोद रहे थे …..
दीदी मस्ती में कराह रही थी …..
फिर जीजाजी रुक गए और बोले …..अनु , बच्चे के कारण तुम्हारी बुर थोड़ी फ़ैल गयी है मुझे मजा नहीं आ रहा है …..
लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा है , मेरे राजा …….दीदी अपनी बुर उचकाती हुई बोली …. थोड़ी देर और …..बस मै झाद्नेवाली हूँ ……….और जीजाजी से चिपककर झड़ने लगी ……….
जीजाजी ने अपना लंड निकाल लिया ….रोड की तरह ताना हुआ …….दीदी की चुतरस पीकर और खूंखार लग रहा था ……
अनु , अभी मेरा हुआ नहीं है …..प्लीज आज गांड मारने दो न ……..
दीदी की जगह मुझे घबराहट होने लगी ……बुर तो ठीक था ….वो होती ही है चुदने के लिए ….लेकिन इतना मोटा लंड गांड की छोटी सी छेद में कैसे घुसेगा ?.........
परन्तु आश्चर्यजनक ढंग से दीदी कुतिया की तरह बनकर अपनी गांड ऊपर उठा दी और लैपटॉप सामने रखकर चुदाई सीन देखने लगी …….
जीजाजी ने बच्चे की मालिश के लिए रखी तेल की कटोरी से दीदी की गांड के छेद पर तेल डाला और फिर अपना लंड गांड की मुहाने पर रखकर जोर लगाने लगे ……लंड अन्दर सरकने लगा ……..
मै मुंह बाए देख रहा था …….
तभी तेज हवा के कारण अधखुली खिड़की का पला धार से खुला और बंद हो गया ……शायद बाहर आंधी चलने लगी थी ……….
मै चौंका ……..खिड़की के पल्ले के नीचे कपड़ा का एक हिस्सा फंसा था …..मैंने ध्यान से देखा ………वो किसी साडी का पल्लू लग रहा था ………..
जीजाजी ने भी आवाज के कारण खिड़की की तरफ देखा ……उनके चेहरे पर भी चौकने के भाव आये …….
फिर उन्होंने हाथ बढ़ाकर कपडे को पकड़ लिया और उसके छोर को ऊँगली में लपेट लिया …….फिर आराम से अपना लंड दीदी की गांड में पेलने लगे ……
दीदी की कामुक कराहट कमरे में गूंज रही थी …….
मैंने देखा की जीजाजी की कपडे लपेटे ऊँगली कई बार खिंची …..लेकिन जीजाजी कपड़ा छोड़ने को तैयार नहीं थे ……अब मुझे पक्का विश्वास हो गया की दूसरी तरफ कोई है …..शायद कोई औरत ….लेकिन कौन ?...........मेरा दिल धडका ……..
मै टेबल से उतरकर बे -आवाज दरवाजा खोला और माँ के कमरे में देखा ……
दरवाजा खुला था ….मम्मी गायब थी ……..
मै टॉयलेट तक आया ….वो भी खाली था …..आँगनवाला दरवाजा सटा था ……लेकिन खुला था ……..
टॉयलेट के बाहर वॉशबेसिन के ऊपर खिड़की से उचककर आँगन में देखा …….मम्मी ही थी
………मेरा दिल बैठने लगा ……मम्मी फंस गयी थी ……
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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