FUN-MAZA-MASTI
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
मेरी दीदी की ननद --3
गतांक से आगे.............
मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.हिचकिचाती हुई वो बोली : म ---- मुझे च ---- चो --- दो.फिर क्या कहना था ? आधा लंड बाहर निकाल कर मैने फिर घुसा दिया. धीरे और लंबे धक्के से मैं पारो को चोद ने लगा: स र र र र बाहर, स र र र र अंदर. वो भी अपने नितंब हिला हिला कर इस तरह चुदवाती थी की लंड का मत्था चूत की अलग अलग जगह से घिस पाए. किताब में मैने क्लैटोरिस के बारे में पढ़ा था. मैं भी इस तरह धक्के देता था जिस से क्लैटोरिस रगडी जाए.तीन दिन के बाद ये पहली चुदाई थी पारो के लिए हम दोनो जल्दी एक्साइट हो गये लंड चूत में आते जाते ठुमक ठुमक करने लगा. योनी में स्पंदन होने लगे. पारो ज़ोरों से मुझ से लिपट गई. मेरे धक्के तेज़ और अनियमित हो गये मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ चोद ने लगा. एका एक पारो का बदन अकड गया और वो चिल्ला उठी, मेरी पीठ पर उस ने नाख़ून गाड़ दिए ज़ोर ज़ोर से चारों ओर नितंब घुमा कर झटके देने लगी चूत में फट फट फटाके होने लगे. अपने स्तन मेरे सीने से रगड दिए ओर्गाझम तीस सेकंड चला.ओर्गाझम के बाद भी वो मुझ से हाथ पाँव से जकड़ी रही. मैं झरने से क़रीब था इसी लिए रुका नहीं. धना धन धना धन धक्के लगता रहा, लंड कड़ा था और चूत गीली थी इसी लिए ऐसी घमासान चुदाई हो सकी. ज़ोरों के पाँच सात धक्के मार मैने पिचकारी छोड़ दी. मेरे वीर्य से उस की योनी छलक गयीकुछ देर तक हम होश खो बैठे. जब होश आया तो पता चला की पारो चिल्लई थी और हो सकता था की दीदी और जीजू ने चीख सुन भी ली हो. घबड़ा कर मैं झटपट उतरा और बोला : पारो, जलदी कर, चली जा यहाँ से. दीदी जीजू आ जाएँगे तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.पारो का जवाब सुन कर मैं हैरान रह गया, वो बोली : आने भी दे, तू डर मत. मैं ख़ुद भैया से कहूँगी की तेरा कसूर नहीं है मैं ही अपने आप चु ---- चु --- वो करवाने चली आई हूँ अब लेट जा मेरे साथ.हम दोनो एक दूजे से लिपट कर सो गये दीदी या जीजू कोई आया नहीं.सुबह पाँच बजे वो जागी और अपने कमरे में जाने तैयार हुई. मुँह पर किस कर मुझे जगाया और बोली : मैं चलती हूँ सुबह के पाँच बजे हें, तुम सोते रहो और आराम करो. रात फिर मिलेंगे.मैं लेकिन कहाँ उस को जाने देनेवाला था ? खींच कर उसे आगोश में ले लिया. वो ना नूं करती रही, मैं जगह जगह पर किस कर ता रहा. आख़िर उस ने पाजामा उतारा और जांघें फैलाई. मेरा लंड तैयार ही था. एक झटके में चूत की गहराई नाँपने लगा. इस वक़्त सावधानी की कोई जरूरत नहीं थी, धना धन फ़ास्ट चुदाई हो गयी तीन मिनिट तक दोनो साथ साथ झरे.मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.ूसरे दिन मैने दीदी से पूछा की आईने में देखते हुए चुदाई का मज़ा कैसा होता है वो बोली : शैतान, तुझे कैसे पता चला की हम ----- की हम ----- ?मैं दीदी को कोतरी में ले गया और सुराख दिखाई. वो समझ गयीशालिनी : तो तू ने आख़िर हमारी चुदाई देख ही ली.मैं : मैने नहीं, हम ने कहो.शालिनी : ओह, पारो भी साथ थी ?मैं : हाँ थी.शालिनी : तब तो तूने उसे ---- उसे ---- ?मैं : हाँ मैने उसे चोदा जी भर के.शालिनी : चूत भर के कहो. कैसी लगी उस की कँवारी चूत ?मैं : बहुत प्यारी. मेरा लंड भी कँवारा ही था ना ?शालिनी : अब क्या ? शादी करेगा उस से ?दोस्तो, आ गाये हम स्क्वेर ए पर मेरी समस्या. मैं दीदी के घर ज़्यादा रुका नहीं लेकिन जीतने दिन रहा इतने दिन रोज़ाना रात को पारो को चोदा. किताब में दिखाए आसनों में से कोई कोई ट्राय कर देखे. किताब के मुताबिक़ लंड चुस ना उस को सिखाया. अकेले मुँह को क्लैटोरिस से लगा कर मैने उसे ओर्गाझम दिए छुट्टियाँ ख़तम हो ने से पहले मैं घर लौट आया.सवाल अब ये है की मुझे पारो से शादी करनी चाहिए या नहीं. हम ने जो चुदाई की उस में प्यार शामिल नहीं था. वो लंड के लिए तरस रही थी और मेरी बहन को परेशन किए जा रही थी. मेरे दिमाग़ में बदले की भावना थी और मेरी बहन को सुखी करने का मेरा प्रयत्न था. यूँ कहो की दीदी के वास्ते ही मैने पारो को चोदा ---- पहली बार. बाक़ी की चुदाई हम आनंद के लिए करते रहे.दुसरी ओर मैं सोचता हूँ की जैसी हो वैसी पारो एक कँवारी मासूम लड़की थी जिस के साथ मिल कर हम दोनो ने हमारे कौमार्य का बलिदान दिया. मेरे लंड के वास्ते पारो की चूत पहली चूत थी और उन के लिए मेरा लंड पहला लंड था. और ये भी हक़ीकत है की हम दोनो ने जम कर चुदाई की और बहुत आनंद लिया. पारो और मैं एक दूजे के लिए 100% अनुकूल साबित हुए. हो सके की मेरी नयी पत्नी मुझ से और पारो का नया पति उन से इतने अनुकूल ना भी निकले. वैसे तो पारो अच्छी लड़की है उस के हॉर्मोन्स ने उसे उकसा दिया था. लेकिन पति पत्नी बीच जो प्यार का सीमेंट होना चाहिए वो नहीं है क्या करूँ मैं ?चुदाई का स्वाद चख ने के बाद मैं -- योग्य पात्र -- की रह देखने के मूड में नहीं हूँ मुझे चूत चाहिए पारो की है वैसी. कर लूं शादी पारो से ?और हाँ दीदी कहती थी की मुझ से शादी करने पारो राज़ी है दीदी और जीजा भी.समझ में नहीं आता मेरी. आप लोग राय दे कर मदद कीजिएगा, प्लीज़ये कहानी भी स्मापत हुई अपनें विचार प्रकट करें
समाप्त............
गतांक से आगे.............
मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.हिचकिचाती हुई वो बोली : म ---- मुझे च ---- चो --- दो.फिर क्या कहना था ? आधा लंड बाहर निकाल कर मैने फिर घुसा दिया. धीरे और लंबे धक्के से मैं पारो को चोद ने लगा: स र र र र बाहर, स र र र र अंदर. वो भी अपने नितंब हिला हिला कर इस तरह चुदवाती थी की लंड का मत्था चूत की अलग अलग जगह से घिस पाए. किताब में मैने क्लैटोरिस के बारे में पढ़ा था. मैं भी इस तरह धक्के देता था जिस से क्लैटोरिस रगडी जाए.तीन दिन के बाद ये पहली चुदाई थी पारो के लिए हम दोनो जल्दी एक्साइट हो गये लंड चूत में आते जाते ठुमक ठुमक करने लगा. योनी में स्पंदन होने लगे. पारो ज़ोरों से मुझ से लिपट गई. मेरे धक्के तेज़ और अनियमित हो गये मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ चोद ने लगा. एका एक पारो का बदन अकड गया और वो चिल्ला उठी, मेरी पीठ पर उस ने नाख़ून गाड़ दिए ज़ोर ज़ोर से चारों ओर नितंब घुमा कर झटके देने लगी चूत में फट फट फटाके होने लगे. अपने स्तन मेरे सीने से रगड दिए ओर्गाझम तीस सेकंड चला.ओर्गाझम के बाद भी वो मुझ से हाथ पाँव से जकड़ी रही. मैं झरने से क़रीब था इसी लिए रुका नहीं. धना धन धना धन धक्के लगता रहा, लंड कड़ा था और चूत गीली थी इसी लिए ऐसी घमासान चुदाई हो सकी. ज़ोरों के पाँच सात धक्के मार मैने पिचकारी छोड़ दी. मेरे वीर्य से उस की योनी छलक गयीकुछ देर तक हम होश खो बैठे. जब होश आया तो पता चला की पारो चिल्लई थी और हो सकता था की दीदी और जीजू ने चीख सुन भी ली हो. घबड़ा कर मैं झटपट उतरा और बोला : पारो, जलदी कर, चली जा यहाँ से. दीदी जीजू आ जाएँगे तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.पारो का जवाब सुन कर मैं हैरान रह गया, वो बोली : आने भी दे, तू डर मत. मैं ख़ुद भैया से कहूँगी की तेरा कसूर नहीं है मैं ही अपने आप चु ---- चु --- वो करवाने चली आई हूँ अब लेट जा मेरे साथ.हम दोनो एक दूजे से लिपट कर सो गये दीदी या जीजू कोई आया नहीं.सुबह पाँच बजे वो जागी और अपने कमरे में जाने तैयार हुई. मुँह पर किस कर मुझे जगाया और बोली : मैं चलती हूँ सुबह के पाँच बजे हें, तुम सोते रहो और आराम करो. रात फिर मिलेंगे.मैं लेकिन कहाँ उस को जाने देनेवाला था ? खींच कर उसे आगोश में ले लिया. वो ना नूं करती रही, मैं जगह जगह पर किस कर ता रहा. आख़िर उस ने पाजामा उतारा और जांघें फैलाई. मेरा लंड तैयार ही था. एक झटके में चूत की गहराई नाँपने लगा. इस वक़्त सावधानी की कोई जरूरत नहीं थी, धना धन फ़ास्ट चुदाई हो गयी तीन मिनिट तक दोनो साथ साथ झरे.मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.ूसरे दिन मैने दीदी से पूछा की आईने में देखते हुए चुदाई का मज़ा कैसा होता है वो बोली : शैतान, तुझे कैसे पता चला की हम ----- की हम ----- ?मैं दीदी को कोतरी में ले गया और सुराख दिखाई. वो समझ गयीशालिनी : तो तू ने आख़िर हमारी चुदाई देख ही ली.मैं : मैने नहीं, हम ने कहो.शालिनी : ओह, पारो भी साथ थी ?मैं : हाँ थी.शालिनी : तब तो तूने उसे ---- उसे ---- ?मैं : हाँ मैने उसे चोदा जी भर के.शालिनी : चूत भर के कहो. कैसी लगी उस की कँवारी चूत ?मैं : बहुत प्यारी. मेरा लंड भी कँवारा ही था ना ?शालिनी : अब क्या ? शादी करेगा उस से ?दोस्तो, आ गाये हम स्क्वेर ए पर मेरी समस्या. मैं दीदी के घर ज़्यादा रुका नहीं लेकिन जीतने दिन रहा इतने दिन रोज़ाना रात को पारो को चोदा. किताब में दिखाए आसनों में से कोई कोई ट्राय कर देखे. किताब के मुताबिक़ लंड चुस ना उस को सिखाया. अकेले मुँह को क्लैटोरिस से लगा कर मैने उसे ओर्गाझम दिए छुट्टियाँ ख़तम हो ने से पहले मैं घर लौट आया.सवाल अब ये है की मुझे पारो से शादी करनी चाहिए या नहीं. हम ने जो चुदाई की उस में प्यार शामिल नहीं था. वो लंड के लिए तरस रही थी और मेरी बहन को परेशन किए जा रही थी. मेरे दिमाग़ में बदले की भावना थी और मेरी बहन को सुखी करने का मेरा प्रयत्न था. यूँ कहो की दीदी के वास्ते ही मैने पारो को चोदा ---- पहली बार. बाक़ी की चुदाई हम आनंद के लिए करते रहे.दुसरी ओर मैं सोचता हूँ की जैसी हो वैसी पारो एक कँवारी मासूम लड़की थी जिस के साथ मिल कर हम दोनो ने हमारे कौमार्य का बलिदान दिया. मेरे लंड के वास्ते पारो की चूत पहली चूत थी और उन के लिए मेरा लंड पहला लंड था. और ये भी हक़ीकत है की हम दोनो ने जम कर चुदाई की और बहुत आनंद लिया. पारो और मैं एक दूजे के लिए 100% अनुकूल साबित हुए. हो सके की मेरी नयी पत्नी मुझ से और पारो का नया पति उन से इतने अनुकूल ना भी निकले. वैसे तो पारो अच्छी लड़की है उस के हॉर्मोन्स ने उसे उकसा दिया था. लेकिन पति पत्नी बीच जो प्यार का सीमेंट होना चाहिए वो नहीं है क्या करूँ मैं ?चुदाई का स्वाद चख ने के बाद मैं -- योग्य पात्र -- की रह देखने के मूड में नहीं हूँ मुझे चूत चाहिए पारो की है वैसी. कर लूं शादी पारो से ?और हाँ दीदी कहती थी की मुझ से शादी करने पारो राज़ी है दीदी और जीजा भी.समझ में नहीं आता मेरी. आप लोग राय दे कर मदद कीजिएगा, प्लीज़ये कहानी भी स्मापत हुई अपनें विचार प्रकट करें
समाप्त............
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment