FUN-MAZA-MASTI
तीन मार्डन लडकियाँ--2
मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, “पहले शब्बो को तो निपटा दो।”
मैंने कहा- दोनों को साथ साथ चोदूँगा.. तेरी इस मादरचोदी शब्बो को भी थोड़ा रिलेक्स मिल जाएगा।
वो बोली- ठीक है.. पर जानूं मुझे जरा आहिस्ता से चोदना। मुझे बड़ा डर लग रहा है।
वो वहीं बगल में जगह बना कर लेट गई और अपनी टांगों को फैलाकर अपनी चूत की छटा बिखरने लगी।
मुझसे बोली- आ जाओ।
मैं जैसे ही अपना लंड शब्बो की बुर से खींचा उसका भीमकाय रूप देख कर सीमा डर गई।
मुझसे हकलाते हुए बोली- जानूं तुम्हारा ये मूसल मेरी जरा सी चूत में कैसे घुसेगा..? कहीं मेरी फाड़ तो नहीं दोगे..?
मैंने कहा- आज तक के इतिहास में किसी औरत की कितनी भी छोटी बुर क्यों न हो और मोटे से मोटा लंड भी उसकी चूत में क्यों न घुसा हो.. मैंने तो कभी नहीं सुना कि किसी की चूत फट गई हो। हाँ चूत की अन्दर की झिल्ली जिसे सील कहते हैं, वो जरूर फटती है। सो ये तो चूतों का भाग्य होता है कि और ये प्राकृतिक भी है कि उसको एक बार जरूर फटना या खुलना तुम जो भी कहो, होता है।
सीमा बोली- मैंने देखा था कि शबनम की चूत में तुमने जब घुसेड़ा था तो उसको बहुत दर्द हुआ था, पर जब तुमने उसके थन पिए तो उसका दर्द खत्म हो गया था, प्लीज तुम मेरे थन पहले दुह लो, ताकि मुझे शुरू से ही मजा मिले।
मैंने कहा- ठीक है सीमा रानी मैं ऐसा ही करता हूँ।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में लगाया और कहा- जरा शब्बो की मलाई चाट कर मस्त हो जा, फिर तेरी चुसाई और चुदाई दोनों करता हूँ।
उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसने करीब एक मिनट तक लंड को अपनी जुबान से चाट कर साफ दिया। अब मैंने उसके चूत पर अपना लंड टिकाया और अपने होंठो से उसके गुलाबी निप्पलों को चूसना चालू कर दिया।
मैंने उससे कहा- सुन माँ की लौड़ी अब अपनी चूत में मेरा लंड गटकने की कोशिश कर, नहीं तो मैं सूखा ही पेल दूँगा।
सीमा बोली- ठीक है मेरे हरामी चोदू.. मेरी चूची पी साले… मैं अपनी बुर मे तेरा लंड खाती हूँ और सुन शब्बो.. मेरे चोदू का लंड मेरी चूत से फिसले नहीं जरा ध्यान रखना।
शब्बो बोली- ठीक है मेरी जान आज तो पूरा अन्दर ही डलवा दूँगी तेरी चूत में… इस हरामी का डण्डा, फिर चाहे तेरी फट ही क्यों ना जाए।
तभी अचानक मेरे लौड़े ने अपनी म्यान खोज ली और धीरे से सीमा की गुलावी चूत में आधा पेवस्त हो गया। सीमा की एक जोर की चीख निकली और वो ऊपर को उठने को हुई, पर मैंने और शब्बो ने उसको लंड पर से उठने नहीं दिया।
शब्बो बोली- भागती किधर है कुतिया.. अब तो बाजा बजवा कर ही उठना।
मैं समझ गया कि लौंडिया सिर्फ बकचोदू ही है इनके बस की चुदाई नहीं है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और फिर मैंने नीचे से ही धक्के मारने चालू कर दिए।
सीमा के मुँह से दर्द भरी आवाजें निकलने लगी, “आए ….. हाए….मार दिया मादरचोद कुछ तो रहम कर मेरी चूत को बुलंद दरवाजा बना कर छोड़ेगा क्या?”
कुछ देर में ही सीमा को मजा मिलना शुरू हो गया और उसने सिसकारी भरते हुए मेरा सहयोग करना चालू कर दिया। उसके हाथ भी मेरी छाती पर टिक गए थे और वो अब पूरा मजा लेने लगी थी।
अब मेरा ध्यान फिर अपने प्लान पर गया और मैंने शब्बो से कहा- चल छिनाल अब तू एक ओवर डाल दे।
सीमा को उठाकर शब्बो ने मेरे लंड की सवारी गांठनी शुरू कर दी और सीमा मेरी छाती पर बैठ कर अपनी चूत को मेरे मुँह की ओर करके बैठ गई और बोली- ले राजा अपना रस पी ले मेरी चूत में छप गया है।
माँ की लौड़ी ने मुझे मेरा माल ही चटवा दिया। खैर और मैं इस प्रकार अपने मुँह और लंड दोनों से दो-दो चूतों का मजा लेने लग गया था।
इस तरह बारी-बारी से दोनों ने मेरे हथियार की 15 मिनट तक चुदाई की, अब सीमा का ओवर चल रहा था। उसने जोर-जोर से घस्से लगाना स्टार्ट कर दिए थे। धकाधक इंजन चल रहा था और लंड और चूत की शंटिग चल रही थी।
तभी सीमा हांफने लगी और बड़बड़ाने लगी, “सुनील मैं झड़ने वाली हूँ जरा नीचे से धक्का….मार …मेरे राजा….”
मैंने नीचे से उसकी चूत में टक्कर देनी चालू कर दीं और, “ले माँ की लौड़ी… ले साली… ले मेरा लंड गटक कुतिया…चुदैल …!”
“अब बस मैं गईइइइ….!” और सीमा का काम तमाम हो गया था पर मेरा पानी अभी नहीं छूटा था। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और शब्बो की पिच पर चौके-छक्के लगने लगे। मैं उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर कर आटे जैसा गूंथ रहा था।
“उई ई .. धीरे मसक कमीन साले .. रण्डी समझ रहा है क्या ?? मादरचोद मेरी अपनी चूचियाँ हैं किसी से किराए पर नहीं लीं कुत्ते ..!”
मैं मस्त था … धकाधक चुदाई चल रही थी.. बगल में सीमा अपनी चूत पोंछ रही थी और उसके बाद उसने उठ कर एक गिलास में रम भरी। मैंने देखा तो मेरा मन भी हुआ, पर सोच रहा था कि कहीं भांग के ऊपर रम कुछ हरकत न कर दे .. फिर मैंने सीमा से कहा- एक गिलास मुझे भी दे.. और एक सिगरेट और जला दे।
चुदाई रोक कर उससे रम का गिलास लिया और बड़ा सा घूँट खींचा तब तक सीमा ने सिगरेट जला कर मुझे थमा दी चखना की जगह सिगरेट भी खूब मजा देती है ..सो लम्बा सुट्टा मारा और ऊपर की तरफ मुँह करके हवा में धुआँ छोड़ दिया।
नीचे से शबनम ने अपनी कमर उचका कर मेरे लौड़े को टुनयाया, “अबे चोदू मुझे देना सिगरेट ..!”
मुझे उसकी सिगरेट मांगने की अदा पर बड़ी हँसी आई। मैं सोच रहा था कि आज कितनी बड़ी चुदक्कड़ लौंडियाँ मिलीं.. मजा आ गया।
लंबा सा कश खींच कर उसने मुझे सिगरेट बापस कर दी मैंने भी एक लम्बा कश खींचा और सीमा को दे दी। अब शब्बो की चूत में फिर से लौड़ा सटासट चलने लगा।
शब्बो बोली- अब तू नीचे आजा, मुझे घुडसवारी करने दे..!
मैं नीचे और शब्बो ऊपर.. लण्ड-चूत की कुश्ती जारी थी। मुझे रम ने हिला दिया था, साली रम मेरी खोपड़ी पर सवार हो चली थी, थकान-वकान तो कुछ थी ही नहीं सो नीचे से शब्बो की चूत में वो टापें पड़ रही थीं कि शब्बो की चूत ने रोना शुरू कर दिया था उसका बदन ऐंठने लगा था, “ ऊ ओ ..ईई.. गई मैं गई … !” और वो बिल्कुल निढाल हो कर मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई। मेरा लौड़ा भी पिघलने की कगार पर था.. सो नीचे से उठ कर, उसको नीचे किया, इस दौरान मेरा लौड़ा उसकी मुनिया में ही घुसा रहा। ऊपर आकर मैंने ताबड़-तोड़ 20-25 धक्के मारे… मेरी हर चोट पर शब्बो की चीखें निकल रही थीं ..। फिर मेरा लावा छूट गया… मेरे गरम रस से उसकी चूत भर गई..
एक पल के लिए मुझे नशा सा आया फिर मेरे चेहरे पर विजय की मुस्कान थी। शब्बो के ऊपर से उठा ही था कि दारु के नशे में टुन्न नीलू जो बगल में ही आ गई थी। उसने मेरे मुरझाए लवड़े को सीधे अपने मुँह में ले लिया, मुझे तब ध्यान आया कि अभी ये भी बाक़ी है ..
कुछ ही पलों में मैं आराम से सीट पर अपने पैर पसारे बैठा था और नीलू रानी मेरा लण्ड चचोर रही थी। सीमा ने मुझे और शबनम को पानी दिया फिर मैंने उससे एक स्माल पैग भी माँगा और उसने मुझे एक पैग और एक सिगरेट सुलगा कर दी.. मैंने मजे से दारू और सिगरेट के साथ लौड़ा चचुरवाने का आनन्द उठाना शुरू कर दिया। मैंने लौड़े के ऊपर से थोड़ी सी रम टपकाई तो नीलू के मुँह में भी रम की बूँदें जाने लगीं। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा एक बार फिर तैयार था। मैंने नीलू को अपनी गोद में ही बैठा लिया। उसकी नंगी छाती मसलने से मेरी उत्तेजना बढ़नी लगी।
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था।
मैंने नीलू को अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा। मैंने उसको ध्यान से देखा वो एक 20 साल की बछिया थी, बड़े-बड़े नयन, तीखी चितवन, गालों में डिंपल, सुराहीदार गर्दन, यौवन कलश ऐसे जैसे शहद से भरे दो प्याले हों, एकदम तने हुए, घने काले बाल, गाल टमाटर से लाल। मैंने धीरे से उसको खड़ा करके उसकी नंगा कर के देखने की सोची।
हय… चूत को ढकने के लिए एक पतली सी पट्टी-नुमा लंगोटी चिपकी थी, पानी से गीली लग रही थी।
मैंने नीलू की आँखों में झाँका तो वो नशीली आँखों से मानो मुझे कह रही हो कि उतार दो मेरी चड्डी, क्यों देर करते हो? मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चड्डी में फंसाईं और एक झटके में चड्डी घुटने तक आ गई।
सफाचट गुलाबी बुर सामने लिसलिसा रही थी, दाना ऐसे अकड़ रहा था जैसे मेरे लौड़े को जीभ चिड़ा रहा हो। मैंने उसकी बुर को अपनी ऊँगली से टच किया, वो भी गनगना गई साली की बुर प्रीकम से चिपचिपा थी। सो उसने खुद ही अपने पैर फैला दिए और मुझे मूक आमंत्रण दे दिया कि डाल लो ऊँगली। मैंने अपनी ऊँगली को शब्बो के रम के गिलास में डुबोया और उसकी बुर में ठूँस दी और फिर जल्दी से निकाल कर एक बार चूस कर देखी, मजा आ गया रम और रज का मिला-जुला शेक मेरी जुबान को नमकीन रम का मजा दे गया था।
मैंने बार-बार अपनी ऊँगली को रम से भिगो कर ऐसा किया तो शब्बो बोली- अबे चूतिया, ये क्या कर रहा है नीलू को नीचे लेटा और उसकी बुर में रम डाल, फिर चचोर .. देखना मजा आ जाएगा…!
शब्बो की बात में दम थी मैंने नीलू को नीचे लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर बुर की दरार में रम डाली, वो जरा सुरसुराई और फिर मैंने झुक कर उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। मजा आ गया साली नमकीन रम का स्वाद मिल रहा था। मुझे रम का मजा और नीलू को जीभ के स्पर्श से उत्तेजना का मजा मिल रहा था सो वो लगातार रिस रही थी और मुझे नमकीन रम का नशा चढ़ रहा था। अब नीलू कि तड़फन भी उफान ले रही थी, वो मचल रही थी।
नीलू- और कितनी चाटेगा .. अब क्या चोदना नहीं है?
मैं- मैं तो तेरी जुबान से कुछ सुनना चाहता था मुझे लगा तू गूंगी है .. चल तैयार हो जा रेलवे से सील तुड़ाई का भत्ता लेने को।
नीलू- मतलब ?
“अबे यार जब ट्रेन में कोई बच्चा पैदा होता है तो रेलवे उस बच्चे को आजीवन यात्रा पास देती है अब तू भी क्लेम कर देना कि तेरी सील ट्रेन में टूटी थी सो रेलवे तुमको भी आजीवन ट्रेन में चुदने का पास से देगी हा हा हा ..!”
मेरी बात सुन कर शब्बो और सीमा दोनों हँसने लगीं।
नीलू- साले मसखरी मत कर… लौड़ा डाल.. देख नहीं रहा है मेरी बुर कैसे लपलपा रही है?
मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा और शब्बो की तरफ एक इशारा किया और समझ गई कि नीलू को संभालना है। मैंने अपने लौड़े को अपने ही थूक से चिकना किया और पहले से लिसलिसी बुर की दरार पर लौड़े को टिका कर हल्का सा दबाब दिया.. मेरा सुपारा नीलू की बुर में ऐसे फंस गया गया जैसे कोई रबड़ की सील में पिस्टन का सिरा.. उसकी मुँह से घुटी सी आवाज निकली, “उई,” मैं थोड़ा रुका और नीलू की नारंगियों को अपने हाथ से सहला कर उसे बड़े प्यार से देखा और इशारे से पूछा तो उसने भी मूक स्वीकृति दी मैंने उसकी सहमति से एक ठाप और लगाई।
“उई ईईई.. माँ मर गई ई.. निकाल लो..!”
मेरे आधा मूसल उसकी अनचुदी ओखली में था और मैंने शब्बो को देखा वो तड़फती नीलू को सहला कर शान्त कर रही थी।
“बस हो गया .. कुछ नहीं होगा .. मैं हूँ ना ..! तुम्हें कुछ नहीं होगा …!”
मैंने एक पल रुक कर अपना घोड़ाऔर आगे बढ़ाया और अबकी बार लौड़े को थोड़ा बाहर खींचा तो उसकी बुर से रक्त की कुछ बूँदें मेरे मूसल पर लगी थी। मुझे खून देख कर एक झुरझुरी सी आई, मैंने आँख बन्द करके अपनी पूरी ताकत से शॉट मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर पेवस्त हो गया।
इधर लौड़े का घुसना हुआ और उधर नीलू की एक तेज चीख निकली, “ आई आयाआई .. मार दिया ऊ ऊ ई ई लग रही है ई ई मुझे छोड़ दो प्लीज़ .ज.. ज .. बहुत दर्द हो रहा..आ है..ई ई ..!”
मैं रुका और और उसकी चूचियों पर लगे गुलाबी निप्पलों को अपनी जीभ से खींचने लगा उधर शब्बो भी लगातार नीलू के सर को सहला रही थी, लगभग एक मिनट तक मैं शान्त पड़ा रहा फिर थोड़ा लंड को उसकी चूत में ही हल्के से हिलाया उसकी “ऊँ.. ऊँ” अभी जारी थी। लंड को हिलाने में कुछ और बढोत्तरी की अब जरा वो शान्त हो गई थी। मैंने फिर उसके चूत का बजा बजाना चालू कर दिया। लगभग दस मिनट बाद उसको भी आनन्द आने लगा और उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया।
लगभग 20 मिनट तक उसकी बुर में लौड़े ने हंगामा किया और फिर नीलू की तरफ देखा तो वो अकड़ने लगी थी और अपनी कमर ऊपर उचकाने की कोशिश कर रही थी। मुझे उसकी चूत में एक गरम रस की अनुभूति हुई और उसकी इस गरमी से मेरे लौड़े को भी पिघलन आ गई और तेज धक्कों के नीलू की चूत में मैं अपना पानी छोड़ दिया। हम दोनों ही ठक चुके थे। वो मुझसे लता सी लिपट गई और मैं भी उससे चिपक गया। फिर हम दोनों उठे। सीमा ने हमारे लिए पैग तैयार कर रखे थे। मैंने एक ही घूँट में रम का पैग खाली किया और सिगरेट के छल्ले उड़ाने का मजा लेने लगा।
इस ट्रेन की चुदाई के बाद हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने, और कुछ समय बाद मेरा स्टेशन आ गया मैं उन तीनों से गले लग कर विदा ली।
स्टेशन पर जब मैं उतरा तो बहुत नशे में था सो वहीं एक बेंच पर लेट गया और कब मेरी आँख लग गई मुझे होश ही नहीं था।
मेरी इस दास्तान को आप झूट नहीं समझना हाँ कहानी को कुछ रसीला बनाने के लिए कुछ गालियों और शब्दों का इस्तेमाल किया है। आपकी टिप्पणियों का स्वागत है।
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मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, “पहले शब्बो को तो निपटा दो।”
मैंने कहा- दोनों को साथ साथ चोदूँगा.. तेरी इस मादरचोदी शब्बो को भी थोड़ा रिलेक्स मिल जाएगा।
वो बोली- ठीक है.. पर जानूं मुझे जरा आहिस्ता से चोदना। मुझे बड़ा डर लग रहा है।
वो वहीं बगल में जगह बना कर लेट गई और अपनी टांगों को फैलाकर अपनी चूत की छटा बिखरने लगी।
मुझसे बोली- आ जाओ।
मैं जैसे ही अपना लंड शब्बो की बुर से खींचा उसका भीमकाय रूप देख कर सीमा डर गई।
मुझसे हकलाते हुए बोली- जानूं तुम्हारा ये मूसल मेरी जरा सी चूत में कैसे घुसेगा..? कहीं मेरी फाड़ तो नहीं दोगे..?
मैंने कहा- आज तक के इतिहास में किसी औरत की कितनी भी छोटी बुर क्यों न हो और मोटे से मोटा लंड भी उसकी चूत में क्यों न घुसा हो.. मैंने तो कभी नहीं सुना कि किसी की चूत फट गई हो। हाँ चूत की अन्दर की झिल्ली जिसे सील कहते हैं, वो जरूर फटती है। सो ये तो चूतों का भाग्य होता है कि और ये प्राकृतिक भी है कि उसको एक बार जरूर फटना या खुलना तुम जो भी कहो, होता है।
सीमा बोली- मैंने देखा था कि शबनम की चूत में तुमने जब घुसेड़ा था तो उसको बहुत दर्द हुआ था, पर जब तुमने उसके थन पिए तो उसका दर्द खत्म हो गया था, प्लीज तुम मेरे थन पहले दुह लो, ताकि मुझे शुरू से ही मजा मिले।
मैंने कहा- ठीक है सीमा रानी मैं ऐसा ही करता हूँ।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में लगाया और कहा- जरा शब्बो की मलाई चाट कर मस्त हो जा, फिर तेरी चुसाई और चुदाई दोनों करता हूँ।
उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसने करीब एक मिनट तक लंड को अपनी जुबान से चाट कर साफ दिया। अब मैंने उसके चूत पर अपना लंड टिकाया और अपने होंठो से उसके गुलाबी निप्पलों को चूसना चालू कर दिया।
मैंने उससे कहा- सुन माँ की लौड़ी अब अपनी चूत में मेरा लंड गटकने की कोशिश कर, नहीं तो मैं सूखा ही पेल दूँगा।
सीमा बोली- ठीक है मेरे हरामी चोदू.. मेरी चूची पी साले… मैं अपनी बुर मे तेरा लंड खाती हूँ और सुन शब्बो.. मेरे चोदू का लंड मेरी चूत से फिसले नहीं जरा ध्यान रखना।
शब्बो बोली- ठीक है मेरी जान आज तो पूरा अन्दर ही डलवा दूँगी तेरी चूत में… इस हरामी का डण्डा, फिर चाहे तेरी फट ही क्यों ना जाए।
तभी अचानक मेरे लौड़े ने अपनी म्यान खोज ली और धीरे से सीमा की गुलावी चूत में आधा पेवस्त हो गया। सीमा की एक जोर की चीख निकली और वो ऊपर को उठने को हुई, पर मैंने और शब्बो ने उसको लंड पर से उठने नहीं दिया।
शब्बो बोली- भागती किधर है कुतिया.. अब तो बाजा बजवा कर ही उठना।
मैं समझ गया कि लौंडिया सिर्फ बकचोदू ही है इनके बस की चुदाई नहीं है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और फिर मैंने नीचे से ही धक्के मारने चालू कर दिए।
सीमा के मुँह से दर्द भरी आवाजें निकलने लगी, “आए ….. हाए….मार दिया मादरचोद कुछ तो रहम कर मेरी चूत को बुलंद दरवाजा बना कर छोड़ेगा क्या?”
कुछ देर में ही सीमा को मजा मिलना शुरू हो गया और उसने सिसकारी भरते हुए मेरा सहयोग करना चालू कर दिया। उसके हाथ भी मेरी छाती पर टिक गए थे और वो अब पूरा मजा लेने लगी थी।
अब मेरा ध्यान फिर अपने प्लान पर गया और मैंने शब्बो से कहा- चल छिनाल अब तू एक ओवर डाल दे।
सीमा को उठाकर शब्बो ने मेरे लंड की सवारी गांठनी शुरू कर दी और सीमा मेरी छाती पर बैठ कर अपनी चूत को मेरे मुँह की ओर करके बैठ गई और बोली- ले राजा अपना रस पी ले मेरी चूत में छप गया है।
माँ की लौड़ी ने मुझे मेरा माल ही चटवा दिया। खैर और मैं इस प्रकार अपने मुँह और लंड दोनों से दो-दो चूतों का मजा लेने लग गया था।
इस तरह बारी-बारी से दोनों ने मेरे हथियार की 15 मिनट तक चुदाई की, अब सीमा का ओवर चल रहा था। उसने जोर-जोर से घस्से लगाना स्टार्ट कर दिए थे। धकाधक इंजन चल रहा था और लंड और चूत की शंटिग चल रही थी।
तभी सीमा हांफने लगी और बड़बड़ाने लगी, “सुनील मैं झड़ने वाली हूँ जरा नीचे से धक्का….मार …मेरे राजा….”
मैंने नीचे से उसकी चूत में टक्कर देनी चालू कर दीं और, “ले माँ की लौड़ी… ले साली… ले मेरा लंड गटक कुतिया…चुदैल …!”
“अब बस मैं गईइइइ….!” और सीमा का काम तमाम हो गया था पर मेरा पानी अभी नहीं छूटा था। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और शब्बो की पिच पर चौके-छक्के लगने लगे। मैं उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर कर आटे जैसा गूंथ रहा था।
“उई ई .. धीरे मसक कमीन साले .. रण्डी समझ रहा है क्या ?? मादरचोद मेरी अपनी चूचियाँ हैं किसी से किराए पर नहीं लीं कुत्ते ..!”
मैं मस्त था … धकाधक चुदाई चल रही थी.. बगल में सीमा अपनी चूत पोंछ रही थी और उसके बाद उसने उठ कर एक गिलास में रम भरी। मैंने देखा तो मेरा मन भी हुआ, पर सोच रहा था कि कहीं भांग के ऊपर रम कुछ हरकत न कर दे .. फिर मैंने सीमा से कहा- एक गिलास मुझे भी दे.. और एक सिगरेट और जला दे।
चुदाई रोक कर उससे रम का गिलास लिया और बड़ा सा घूँट खींचा तब तक सीमा ने सिगरेट जला कर मुझे थमा दी चखना की जगह सिगरेट भी खूब मजा देती है ..सो लम्बा सुट्टा मारा और ऊपर की तरफ मुँह करके हवा में धुआँ छोड़ दिया।
नीचे से शबनम ने अपनी कमर उचका कर मेरे लौड़े को टुनयाया, “अबे चोदू मुझे देना सिगरेट ..!”
मुझे उसकी सिगरेट मांगने की अदा पर बड़ी हँसी आई। मैं सोच रहा था कि आज कितनी बड़ी चुदक्कड़ लौंडियाँ मिलीं.. मजा आ गया।
लंबा सा कश खींच कर उसने मुझे सिगरेट बापस कर दी मैंने भी एक लम्बा कश खींचा और सीमा को दे दी। अब शब्बो की चूत में फिर से लौड़ा सटासट चलने लगा।
शब्बो बोली- अब तू नीचे आजा, मुझे घुडसवारी करने दे..!
मैं नीचे और शब्बो ऊपर.. लण्ड-चूत की कुश्ती जारी थी। मुझे रम ने हिला दिया था, साली रम मेरी खोपड़ी पर सवार हो चली थी, थकान-वकान तो कुछ थी ही नहीं सो नीचे से शब्बो की चूत में वो टापें पड़ रही थीं कि शब्बो की चूत ने रोना शुरू कर दिया था उसका बदन ऐंठने लगा था, “ ऊ ओ ..ईई.. गई मैं गई … !” और वो बिल्कुल निढाल हो कर मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई। मेरा लौड़ा भी पिघलने की कगार पर था.. सो नीचे से उठ कर, उसको नीचे किया, इस दौरान मेरा लौड़ा उसकी मुनिया में ही घुसा रहा। ऊपर आकर मैंने ताबड़-तोड़ 20-25 धक्के मारे… मेरी हर चोट पर शब्बो की चीखें निकल रही थीं ..। फिर मेरा लावा छूट गया… मेरे गरम रस से उसकी चूत भर गई..
एक पल के लिए मुझे नशा सा आया फिर मेरे चेहरे पर विजय की मुस्कान थी। शब्बो के ऊपर से उठा ही था कि दारु के नशे में टुन्न नीलू जो बगल में ही आ गई थी। उसने मेरे मुरझाए लवड़े को सीधे अपने मुँह में ले लिया, मुझे तब ध्यान आया कि अभी ये भी बाक़ी है ..
कुछ ही पलों में मैं आराम से सीट पर अपने पैर पसारे बैठा था और नीलू रानी मेरा लण्ड चचोर रही थी। सीमा ने मुझे और शबनम को पानी दिया फिर मैंने उससे एक स्माल पैग भी माँगा और उसने मुझे एक पैग और एक सिगरेट सुलगा कर दी.. मैंने मजे से दारू और सिगरेट के साथ लौड़ा चचुरवाने का आनन्द उठाना शुरू कर दिया। मैंने लौड़े के ऊपर से थोड़ी सी रम टपकाई तो नीलू के मुँह में भी रम की बूँदें जाने लगीं। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा एक बार फिर तैयार था। मैंने नीलू को अपनी गोद में ही बैठा लिया। उसकी नंगी छाती मसलने से मेरी उत्तेजना बढ़नी लगी।
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था।
मैंने नीलू को अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा। मैंने उसको ध्यान से देखा वो एक 20 साल की बछिया थी, बड़े-बड़े नयन, तीखी चितवन, गालों में डिंपल, सुराहीदार गर्दन, यौवन कलश ऐसे जैसे शहद से भरे दो प्याले हों, एकदम तने हुए, घने काले बाल, गाल टमाटर से लाल। मैंने धीरे से उसको खड़ा करके उसकी नंगा कर के देखने की सोची।
हय… चूत को ढकने के लिए एक पतली सी पट्टी-नुमा लंगोटी चिपकी थी, पानी से गीली लग रही थी।
मैंने नीलू की आँखों में झाँका तो वो नशीली आँखों से मानो मुझे कह रही हो कि उतार दो मेरी चड्डी, क्यों देर करते हो? मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चड्डी में फंसाईं और एक झटके में चड्डी घुटने तक आ गई।
सफाचट गुलाबी बुर सामने लिसलिसा रही थी, दाना ऐसे अकड़ रहा था जैसे मेरे लौड़े को जीभ चिड़ा रहा हो। मैंने उसकी बुर को अपनी ऊँगली से टच किया, वो भी गनगना गई साली की बुर प्रीकम से चिपचिपा थी। सो उसने खुद ही अपने पैर फैला दिए और मुझे मूक आमंत्रण दे दिया कि डाल लो ऊँगली। मैंने अपनी ऊँगली को शब्बो के रम के गिलास में डुबोया और उसकी बुर में ठूँस दी और फिर जल्दी से निकाल कर एक बार चूस कर देखी, मजा आ गया रम और रज का मिला-जुला शेक मेरी जुबान को नमकीन रम का मजा दे गया था।
मैंने बार-बार अपनी ऊँगली को रम से भिगो कर ऐसा किया तो शब्बो बोली- अबे चूतिया, ये क्या कर रहा है नीलू को नीचे लेटा और उसकी बुर में रम डाल, फिर चचोर .. देखना मजा आ जाएगा…!
शब्बो की बात में दम थी मैंने नीलू को नीचे लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर बुर की दरार में रम डाली, वो जरा सुरसुराई और फिर मैंने झुक कर उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। मजा आ गया साली नमकीन रम का स्वाद मिल रहा था। मुझे रम का मजा और नीलू को जीभ के स्पर्श से उत्तेजना का मजा मिल रहा था सो वो लगातार रिस रही थी और मुझे नमकीन रम का नशा चढ़ रहा था। अब नीलू कि तड़फन भी उफान ले रही थी, वो मचल रही थी।
नीलू- और कितनी चाटेगा .. अब क्या चोदना नहीं है?
मैं- मैं तो तेरी जुबान से कुछ सुनना चाहता था मुझे लगा तू गूंगी है .. चल तैयार हो जा रेलवे से सील तुड़ाई का भत्ता लेने को।
नीलू- मतलब ?
“अबे यार जब ट्रेन में कोई बच्चा पैदा होता है तो रेलवे उस बच्चे को आजीवन यात्रा पास देती है अब तू भी क्लेम कर देना कि तेरी सील ट्रेन में टूटी थी सो रेलवे तुमको भी आजीवन ट्रेन में चुदने का पास से देगी हा हा हा ..!”
मेरी बात सुन कर शब्बो और सीमा दोनों हँसने लगीं।
नीलू- साले मसखरी मत कर… लौड़ा डाल.. देख नहीं रहा है मेरी बुर कैसे लपलपा रही है?
मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा और शब्बो की तरफ एक इशारा किया और समझ गई कि नीलू को संभालना है। मैंने अपने लौड़े को अपने ही थूक से चिकना किया और पहले से लिसलिसी बुर की दरार पर लौड़े को टिका कर हल्का सा दबाब दिया.. मेरा सुपारा नीलू की बुर में ऐसे फंस गया गया जैसे कोई रबड़ की सील में पिस्टन का सिरा.. उसकी मुँह से घुटी सी आवाज निकली, “उई,” मैं थोड़ा रुका और नीलू की नारंगियों को अपने हाथ से सहला कर उसे बड़े प्यार से देखा और इशारे से पूछा तो उसने भी मूक स्वीकृति दी मैंने उसकी सहमति से एक ठाप और लगाई।
“उई ईईई.. माँ मर गई ई.. निकाल लो..!”
मेरे आधा मूसल उसकी अनचुदी ओखली में था और मैंने शब्बो को देखा वो तड़फती नीलू को सहला कर शान्त कर रही थी।
“बस हो गया .. कुछ नहीं होगा .. मैं हूँ ना ..! तुम्हें कुछ नहीं होगा …!”
मैंने एक पल रुक कर अपना घोड़ाऔर आगे बढ़ाया और अबकी बार लौड़े को थोड़ा बाहर खींचा तो उसकी बुर से रक्त की कुछ बूँदें मेरे मूसल पर लगी थी। मुझे खून देख कर एक झुरझुरी सी आई, मैंने आँख बन्द करके अपनी पूरी ताकत से शॉट मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर पेवस्त हो गया।
इधर लौड़े का घुसना हुआ और उधर नीलू की एक तेज चीख निकली, “ आई आयाआई .. मार दिया ऊ ऊ ई ई लग रही है ई ई मुझे छोड़ दो प्लीज़ .ज.. ज .. बहुत दर्द हो रहा..आ है..ई ई ..!”
मैं रुका और और उसकी चूचियों पर लगे गुलाबी निप्पलों को अपनी जीभ से खींचने लगा उधर शब्बो भी लगातार नीलू के सर को सहला रही थी, लगभग एक मिनट तक मैं शान्त पड़ा रहा फिर थोड़ा लंड को उसकी चूत में ही हल्के से हिलाया उसकी “ऊँ.. ऊँ” अभी जारी थी। लंड को हिलाने में कुछ और बढोत्तरी की अब जरा वो शान्त हो गई थी। मैंने फिर उसके चूत का बजा बजाना चालू कर दिया। लगभग दस मिनट बाद उसको भी आनन्द आने लगा और उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया।
लगभग 20 मिनट तक उसकी बुर में लौड़े ने हंगामा किया और फिर नीलू की तरफ देखा तो वो अकड़ने लगी थी और अपनी कमर ऊपर उचकाने की कोशिश कर रही थी। मुझे उसकी चूत में एक गरम रस की अनुभूति हुई और उसकी इस गरमी से मेरे लौड़े को भी पिघलन आ गई और तेज धक्कों के नीलू की चूत में मैं अपना पानी छोड़ दिया। हम दोनों ही ठक चुके थे। वो मुझसे लता सी लिपट गई और मैं भी उससे चिपक गया। फिर हम दोनों उठे। सीमा ने हमारे लिए पैग तैयार कर रखे थे। मैंने एक ही घूँट में रम का पैग खाली किया और सिगरेट के छल्ले उड़ाने का मजा लेने लगा।
इस ट्रेन की चुदाई के बाद हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने, और कुछ समय बाद मेरा स्टेशन आ गया मैं उन तीनों से गले लग कर विदा ली।
स्टेशन पर जब मैं उतरा तो बहुत नशे में था सो वहीं एक बेंच पर लेट गया और कब मेरी आँख लग गई मुझे होश ही नहीं था।
मेरी इस दास्तान को आप झूट नहीं समझना हाँ कहानी को कुछ रसीला बनाने के लिए कुछ गालियों और शब्दों का इस्तेमाल किया है। आपकी टिप्पणियों का स्वागत है।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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