बदनाम रिश्ते--
हमारा छोटा सा परिवार--28
"अक्कू डैडी ने जैसे ज़ोर से अपना लंड मम्मी की चूत के घुसाया था उसी तरह से प्रयास करो। मेरे दर्द की बिलकुल परवाह नहीं
करना। तुम्हें मेरी कसम है अक्कू भैया," मैंने अपना निचला होंठ दातों से कस कर दबाते हुए कहा।
पर अक्कू का लंड मेरी नन्ही गांड में घुस ही नहीं पा रहा था। अक्कू ने विफलता से कुंठित से हो कर अपना लंड मेरी गांड से
हटा लिया और जब तक मैं कुछ बोल पाती अपने तर्जनी एक झटके में मेरी गांड के अंदर घुसा दी।
मैं बिलबिला कर चीख उठी अक्कू ने मेरे निर्देशानुसार मेरी चीख की उपेक्षा कर दी। मेरी आँखों में आंसू भर गए। मैं अभी अक्कू
के एक उँगली के दर्द से सम्भली भी नहीं कि अक्कू ने अपने मझली उँगली भी तरजनी के साथ मेरी गांड में एक झटके से घुसा दी।
मैं फिर से दर्द के आधिक्य से बिलबिला कर चीख उठी। अक्कू ने बिना मेरे दर्द की परवाह किये मेरी गांड को अपनी दो उँगलियों
से मारने लगा। मेरी गाड़ में दर्द के अलावा उसके छल्ले पर बेहद जलन भी हो रही थी। अक्कू ने अपनी पूरी उंगलियां गांड में ठूंस
दीं। मेरी गांड में दर्द के साथ साथ एक नया संवेदन भी जाग उठा। जब अक्कू की उँगलियाँ मेरी गांड के बहुत भीतर के भाग को
कुरेदती थीं तो मेरे पेट में अजीभ से कुलबुलाहट पैदा हो जाती थी।
मेरा दर्द अब कम होने लगा। मुझे दर्द के बीच में एक नये आनंद की अनुभूति भी होने लगी।
अक्कू ने दस पंद्रह मिनटों तक दो उंगलीओं से मेरी गांड मारी अब मुझे गांड में से अनोखा आनंद आने लगा जिसने दर्द के तूफ़ान
को मंद कर दिया।
"अक्कू अब मुझे समझ आया कि मम्मी गांड मारने का दर्द बर्दाश्त कर रहीं थीं। अक्कू मैं तुम्हारे लंड का अपनी गांड में घुसने
का इंतज़ार नहीं कर सकती ," मैं अब एक दूसरी ही की 'पीड़ा ' से कुलबुला रही थी।
अक्कू ने मेरे हृदय की पुकार सुन ली और अपनी उंगलियां बाहर निकाल कर उन्हें मुंह में भर कर चाट लीं ,"उफ़ अक्कू यह क्या
कर रहे हो ? गंदी उंगलियां क्यों मुंह में डालीं? " मैंने दिखावे के लिए अक्कू को झिड़की दी थी पर मेरा दिल अक्कू की क्रिया से
पुलकित हो गया था।
अक्कू ने मुस्करा कर कहा ," दीदी आपने स्वाद लिया होता तो मुझे नहीं डाँटतीं,"
अक्कू का लंड का वृहत सुपाड़ा एक बार फिर से मेरी गांड के छेद पर दस्तक देने लगा। इस बार अक्कू ने पूरी ताकत लगा कर
एक ज़ोर से झटके जैसा धक्का मारा और मेरी गांड का छेद यकायक खुल गया और मेरे छोटे भैया का सुपाड़ा मेरी गांड को
चीरता हुआ मेरे मलाशय में घुस गया।
"अक्कू मैं माआआअर गयीईईई। ....," मैं असहाय दर्द से बिलबिलाती हुई चीख उठी। मेरी आँखों से तुरंत आंसू बहने लगे। मैंने
फिर भी अक्कू के मज़बूत हाथों से छुड़ने का कोई प्रयास नहीं किया।
करना। तुम्हें मेरी कसम है अक्कू भैया," मैंने अपना निचला होंठ दातों से कस कर दबाते हुए कहा।
पर अक्कू का लंड मेरी नन्ही गांड में घुस ही नहीं पा रहा था। अक्कू ने विफलता से कुंठित से हो कर अपना लंड मेरी गांड से
हटा लिया और जब तक मैं कुछ बोल पाती अपने तर्जनी एक झटके में मेरी गांड के अंदर घुसा दी।
मैं बिलबिला कर चीख उठी अक्कू ने मेरे निर्देशानुसार मेरी चीख की उपेक्षा कर दी। मेरी आँखों में आंसू भर गए। मैं अभी अक्कू
के एक उँगली के दर्द से सम्भली भी नहीं कि अक्कू ने अपने मझली उँगली भी तरजनी के साथ मेरी गांड में एक झटके से घुसा दी।
मैं फिर से दर्द के आधिक्य से बिलबिला कर चीख उठी। अक्कू ने बिना मेरे दर्द की परवाह किये मेरी गांड को अपनी दो उँगलियों
से मारने लगा। मेरी गाड़ में दर्द के अलावा उसके छल्ले पर बेहद जलन भी हो रही थी। अक्कू ने अपनी पूरी उंगलियां गांड में ठूंस
दीं। मेरी गांड में दर्द के साथ साथ एक नया संवेदन भी जाग उठा। जब अक्कू की उँगलियाँ मेरी गांड के बहुत भीतर के भाग को
कुरेदती थीं तो मेरे पेट में अजीभ से कुलबुलाहट पैदा हो जाती थी।
मेरा दर्द अब कम होने लगा। मुझे दर्द के बीच में एक नये आनंद की अनुभूति भी होने लगी।
अक्कू ने दस पंद्रह मिनटों तक दो उंगलीओं से मेरी गांड मारी अब मुझे गांड में से अनोखा आनंद आने लगा जिसने दर्द के तूफ़ान
को मंद कर दिया।
"अक्कू अब मुझे समझ आया कि मम्मी गांड मारने का दर्द बर्दाश्त कर रहीं थीं। अक्कू मैं तुम्हारे लंड का अपनी गांड में घुसने
का इंतज़ार नहीं कर सकती ," मैं अब एक दूसरी ही की 'पीड़ा ' से कुलबुला रही थी।
अक्कू ने मेरे हृदय की पुकार सुन ली और अपनी उंगलियां बाहर निकाल कर उन्हें मुंह में भर कर चाट लीं ,"उफ़ अक्कू यह क्या
कर रहे हो ? गंदी उंगलियां क्यों मुंह में डालीं? " मैंने दिखावे के लिए अक्कू को झिड़की दी थी पर मेरा दिल अक्कू की क्रिया से
पुलकित हो गया था।
अक्कू ने मुस्करा कर कहा ," दीदी आपने स्वाद लिया होता तो मुझे नहीं डाँटतीं,"
अक्कू का लंड का वृहत सुपाड़ा एक बार फिर से मेरी गांड के छेद पर दस्तक देने लगा। इस बार अक्कू ने पूरी ताकत लगा कर
एक ज़ोर से झटके जैसा धक्का मारा और मेरी गांड का छेद यकायक खुल गया और मेरे छोटे भैया का सुपाड़ा मेरी गांड को
चीरता हुआ मेरे मलाशय में घुस गया।
"अक्कू मैं माआआअर गयीईईई। ....," मैं असहाय दर्द से बिलबिलाती हुई चीख उठी। मेरी आँखों से तुरंत आंसू बहने लगे। मैंने
फिर भी अक्कू के मज़बूत हाथों से छुड़ने का कोई प्रयास नहीं किया।
अक्कू ने बिना मेरी चीख पर ध्यान दिए एक और भयंकर धक्का मारा और उसका लंड कुछ और मेरी कुंवारी गांड के भीतर
घुस गया। अब मेरी चीखें हमारे कमरे में गूँज रहीं थीं। मैं सुबक सुबक कर रो रही थी पर अक्कू ने एक के बाद एक ताकत भरे
धक्कों से आखिरकार अपना पूरा लंड मेरी गांड में जड़ तक ठूंस दिया।
अक्कू ने मेरी कांपती पीठ को प्यार से सहलाया ," सॉरी दीदी, आपने ही मुझे कहा था पूरा लंड डालने को। "
मैं अक्कू को आश्वासन देना चाहती थी पर दर्द से सुबकते हुए मेरे से कोई शब्द ही नहीं बन पा रहे थे। अक्कू ने पूछा, "दीदी
मैं रुक जाऊं या गांड मारना शुरू कर दूं ?"
बेचारा अक्कू एक तरफ तो अपनी दीदी के रोने से दुखी था और दूसरी तरफ उसे मेरे हुए दिए निर्देश का पालन भी करना था।
मैंने बड़ी मुश्किल से अपना सर हिला कर उसे गांड मारने के लिए प्रोत्साहित किया। अक्कू ने अपना लंड बाहर निकाला और
उसकी घबराहट की सिसकी से मैं भी घबरा गयी। अक्कू को मेरी गांड में लंड घुसाते हुए लंड पर चोट तो नहीं लग गयी.
मैंने सुबकते हुए मुश्किल से फुसफुसा कर पूछा ," अक्कू, तुम्हारा लंड तो ठीक है ?"
"दीदी, आपकी गांड से खून निकल रहा है। मैं क्या करुँ ?" अक्कू की आवाज़ की घबराहट में मेरे लिए प्यार और मेरी
हिफाज़त की फ़िक्र थी।
"अक्कू मम्मी के भी गांड से खून निकला होगा पर डैडी ने तो उसका ज़िक्र भी नहीं किया। तुम मेरी गांड डैडी की तरह मारो।
मम्मी की तरह मेरी गांड भी कुछ देर में ठीक हो जायेगी, " मेरा अक्कू को दिया आश्वासन पर खुद मुझे उतना भरोसा नहीं
था।
अक्कू ने मेरे कांपते चूतड़ों को कस कर पकड़ कर अपना लंड डैडी की नकल करते हुए बेदर्दी से मेरी गांड में एक धक्के के
बाद दुसरे धक्का मारते हुए फिर से जड़ तक ठूंस दिया। मैं चीख उठी और मेरी सुबकियां और भी ज़ोर से कमरे में गूंजने लगीं।
पर इस बार मेरे छोटे भैया ने अच्छे बच्चे की तरह मेरे निर्देशों का पालन करते हुए अपना लंड जल्दी से बाहर निकाल कर पूरी
ताकत से मेरी गांड में वापस घुसा दिया।
अक्कू ने मेरी गांड मारनी शुरू की तो बिना रुके उसने अपने लंड को मेरी तड़पती फटी हुए गांड में अंदर बाहर करने लगा।
मेरी चीखें बहुत देर बाद मद्धिम हो गयी पर मेरे सुबकियां तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।
अक्कू का लंड मेरी जलती दर्द भरी गांड में तूफ़ान की तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था। मुझे दर्द से सुबकते हुए भी अपने नन्हे
भाई पर अभिमान आ रहा था कि कितनी जल्दी उसने डैडी की तरह मेरी गांड मारने की कला की दक्षता दिखाने में सफल हो
गया था।
दर्द और पीड़ा से मेरे माथे, ऊपर के होंठ पर पसीना आ गया था।
घुस गया। अब मेरी चीखें हमारे कमरे में गूँज रहीं थीं। मैं सुबक सुबक कर रो रही थी पर अक्कू ने एक के बाद एक ताकत भरे
धक्कों से आखिरकार अपना पूरा लंड मेरी गांड में जड़ तक ठूंस दिया।
अक्कू ने मेरी कांपती पीठ को प्यार से सहलाया ," सॉरी दीदी, आपने ही मुझे कहा था पूरा लंड डालने को। "
मैं अक्कू को आश्वासन देना चाहती थी पर दर्द से सुबकते हुए मेरे से कोई शब्द ही नहीं बन पा रहे थे। अक्कू ने पूछा, "दीदी
मैं रुक जाऊं या गांड मारना शुरू कर दूं ?"
बेचारा अक्कू एक तरफ तो अपनी दीदी के रोने से दुखी था और दूसरी तरफ उसे मेरे हुए दिए निर्देश का पालन भी करना था।
मैंने बड़ी मुश्किल से अपना सर हिला कर उसे गांड मारने के लिए प्रोत्साहित किया। अक्कू ने अपना लंड बाहर निकाला और
उसकी घबराहट की सिसकी से मैं भी घबरा गयी। अक्कू को मेरी गांड में लंड घुसाते हुए लंड पर चोट तो नहीं लग गयी.
मैंने सुबकते हुए मुश्किल से फुसफुसा कर पूछा ," अक्कू, तुम्हारा लंड तो ठीक है ?"
"दीदी, आपकी गांड से खून निकल रहा है। मैं क्या करुँ ?" अक्कू की आवाज़ की घबराहट में मेरे लिए प्यार और मेरी
हिफाज़त की फ़िक्र थी।
"अक्कू मम्मी के भी गांड से खून निकला होगा पर डैडी ने तो उसका ज़िक्र भी नहीं किया। तुम मेरी गांड डैडी की तरह मारो।
मम्मी की तरह मेरी गांड भी कुछ देर में ठीक हो जायेगी, " मेरा अक्कू को दिया आश्वासन पर खुद मुझे उतना भरोसा नहीं
था।
अक्कू ने मेरे कांपते चूतड़ों को कस कर पकड़ कर अपना लंड डैडी की नकल करते हुए बेदर्दी से मेरी गांड में एक धक्के के
बाद दुसरे धक्का मारते हुए फिर से जड़ तक ठूंस दिया। मैं चीख उठी और मेरी सुबकियां और भी ज़ोर से कमरे में गूंजने लगीं।
पर इस बार मेरे छोटे भैया ने अच्छे बच्चे की तरह मेरे निर्देशों का पालन करते हुए अपना लंड जल्दी से बाहर निकाल कर पूरी
ताकत से मेरी गांड में वापस घुसा दिया।
अक्कू ने मेरी गांड मारनी शुरू की तो बिना रुके उसने अपने लंड को मेरी तड़पती फटी हुए गांड में अंदर बाहर करने लगा।
मेरी चीखें बहुत देर बाद मद्धिम हो गयी पर मेरे सुबकियां तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।
अक्कू का लंड मेरी जलती दर्द भरी गांड में तूफ़ान की तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था। मुझे दर्द से सुबकते हुए भी अपने नन्हे
भाई पर अभिमान आ रहा था कि कितनी जल्दी उसने डैडी की तरह मेरी गांड मारने की कला की दक्षता दिखाने में सफल हो
गया था।
दर्द और पीड़ा से मेरे माथे, ऊपर के होंठ पर पसीना आ गया था।
अक्कू ने मेरी गांड मारने की रफ़्तार को बिलकुल धीमा नहीं होने दिया। मैंने अब सुबकना बंद कर दिया था। मुझे अभी
तक गांड से उस आनंद का आभास नहीं हो रहा था जैसे अक्कू की उँगलियों से होने लगा था। फिर भी मेरी गांड में अब
दर्द बर्दाश्त होने लगा था। मुझे पहले दर्द और फिर अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने इतना तल्लीन कर लिया था कि
समय का कोई अंदाज़ ही नहीं रहा। पर मुझे थोडा अंदाज़ा था कि अक्कू मुझे एक घंटे से चोद रहा था।
"दीदी मेरे लंड से पहले की तरह का पानी निकलने वाला है ," अक्कू ने दांत किसकिसा कर कहा।
"अक्कू तुम झड़ने वाले हो। जैसे मम्मे और डैडी झड़े थे, और तुम स्नानगृह में झड़े थे ," मुझे गांड मरवाते हुए भी बड़ी
बहन के छोटे भाई की शिक्षा के उत्तरदायित्व का पूरा ख़याल था।
अक्कू के लंड ने गरम द्रव्य की फ़ुहार मेरी गांड में खोल दी। पहले तो मैंने हर बौछार को गिना पर अक्कू रुकने का नाम
ही नहीं ले रहा था और मैं गिनती भूल गयी।
अक्कू ने हाँफते हुए मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया , " दीदी आप भी झड़ गयीं ?"
मैं शुरू के दर्द से आने की स्थिति में नहीं थी पर मुझे न जाने कैसे समझ आ गया था कि अक्कू को यह सुन कर दुख होगा
, "क्या तुम बहाने ढूंढ रहे हो और अपनी बहन की गाड़ न मारने के ? यदि मैं आ गयी तो तुम मेरी गांड मारना बंद कर
दोगे ?"
अक्कू ने मेरी पसीने से भीगी पीठ को प्यार से चूम कर कहा ," दीदी आपकी गांड मारना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि
मैं बता ही नहीं सकता। देखए मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा है। यदि आप थकी नहीं हो तो मैं दुबारा गांड मारना शुरू कर
दूं ?"
नेकी और पूछ पूछ। मैंने खुशी से लपक कर कहा ," अक्कू तुम मेरी गांड जितनी देर तक और जितनी बार मारना चाहो
मारो। मैं तो चाहूंगी कि तुम रोज़ मेरी गांड मारो और मैं तुम्हारा लंड भी चूसूंगी। "
"दीदी, आप मुझे अपनी चूत और गांड भी चूसने देंगीं ना ?" अक्कू ने जल्दी से आश्वासन मांगा।
"बिलकुल मेरे भोले भैया ," मेरी छोटी से हंसी निकल गयी और एक क्षण बाद ही मेरी चीख।
बात करते हुए अक्कू ने अपने लंड निकाल कर मेरी गांड मारने की तैयारी कर ली थी और दो तीन खुन्कार धक्कों से
अपना लंड मेरी गांड में ठूंस दिया।
इस बार मेरी चीख में दर्द के साथ विचित्र सा आनंद भी शामिल था ,"हाय अक्कू तुम्हारा लंड मेरी गांड में जाते हुए बहुत
अच्छा लग रहा है। भैया ज़ोर से अपनी बड़ी बहन की गांड मारो।
अक्कू ने अपनी बहन के निर्देश और निवेदन का अपने पूर्ण शक्ती से प्रतुत्तर दिया। अक्कू ने मेरी गांड का मर्दन भीषण
धक्कों से करना शुरू कर दिया। दर्द और आनंद के मिश्रित लहर मेरे शरीर में बिजली की तरह कौंध गयी। मेरी
सिस्कारियां मध्यम से तीव्र हो गयीं।
"अक्कू मेरे प्यारे भैया मेरी गांड और ज़ोर से मारो। अक्कू अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है, " मैं मम्मी के तरह
कामाग्नि से जल रही थी। हमारे अविकसित शरीर अब शारीरिक प्रेम की भूख से परिचित हो चले थे। थोड़े से ही अनुभव से
हम दोनों बहन-भाई उस भूख को भुजाने की तरतीब भी समझ गए थे।
अक्कू का लंड मेरी गांड में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। उसके लंड पर मेरे कुंवारी गांड की पहली चुदाई का खून,
उसका वीर्य और मेरे गांड के रस का मोटा सा लेप चढ़ चूका था। कमरे में मेरी गांड की मनोहर महक फ़ैल गयी थी।
हम दोनों उस सुगंध से और भी उत्तेजित हो गए।
"दीदी, दीदी, मुझे आपकी गांड मारना बहुत अच्छ .......... हुन ," अक्कू ने हचक कर अपना लंड निर्मम प्रहार से मेरी
गांड में जड़ तक डालते हुए कहा।
तक गांड से उस आनंद का आभास नहीं हो रहा था जैसे अक्कू की उँगलियों से होने लगा था। फिर भी मेरी गांड में अब
दर्द बर्दाश्त होने लगा था। मुझे पहले दर्द और फिर अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने इतना तल्लीन कर लिया था कि
समय का कोई अंदाज़ ही नहीं रहा। पर मुझे थोडा अंदाज़ा था कि अक्कू मुझे एक घंटे से चोद रहा था।
"दीदी मेरे लंड से पहले की तरह का पानी निकलने वाला है ," अक्कू ने दांत किसकिसा कर कहा।
"अक्कू तुम झड़ने वाले हो। जैसे मम्मे और डैडी झड़े थे, और तुम स्नानगृह में झड़े थे ," मुझे गांड मरवाते हुए भी बड़ी
बहन के छोटे भाई की शिक्षा के उत्तरदायित्व का पूरा ख़याल था।
अक्कू के लंड ने गरम द्रव्य की फ़ुहार मेरी गांड में खोल दी। पहले तो मैंने हर बौछार को गिना पर अक्कू रुकने का नाम
ही नहीं ले रहा था और मैं गिनती भूल गयी।
अक्कू ने हाँफते हुए मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया , " दीदी आप भी झड़ गयीं ?"
मैं शुरू के दर्द से आने की स्थिति में नहीं थी पर मुझे न जाने कैसे समझ आ गया था कि अक्कू को यह सुन कर दुख होगा
, "क्या तुम बहाने ढूंढ रहे हो और अपनी बहन की गाड़ न मारने के ? यदि मैं आ गयी तो तुम मेरी गांड मारना बंद कर
दोगे ?"
अक्कू ने मेरी पसीने से भीगी पीठ को प्यार से चूम कर कहा ," दीदी आपकी गांड मारना तो मुझे इतना अच्छा लगा कि
मैं बता ही नहीं सकता। देखए मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा है। यदि आप थकी नहीं हो तो मैं दुबारा गांड मारना शुरू कर
दूं ?"
नेकी और पूछ पूछ। मैंने खुशी से लपक कर कहा ," अक्कू तुम मेरी गांड जितनी देर तक और जितनी बार मारना चाहो
मारो। मैं तो चाहूंगी कि तुम रोज़ मेरी गांड मारो और मैं तुम्हारा लंड भी चूसूंगी। "
"दीदी, आप मुझे अपनी चूत और गांड भी चूसने देंगीं ना ?" अक्कू ने जल्दी से आश्वासन मांगा।
"बिलकुल मेरे भोले भैया ," मेरी छोटी से हंसी निकल गयी और एक क्षण बाद ही मेरी चीख।
बात करते हुए अक्कू ने अपने लंड निकाल कर मेरी गांड मारने की तैयारी कर ली थी और दो तीन खुन्कार धक्कों से
अपना लंड मेरी गांड में ठूंस दिया।
इस बार मेरी चीख में दर्द के साथ विचित्र सा आनंद भी शामिल था ,"हाय अक्कू तुम्हारा लंड मेरी गांड में जाते हुए बहुत
अच्छा लग रहा है। भैया ज़ोर से अपनी बड़ी बहन की गांड मारो।
अक्कू ने अपनी बहन के निर्देश और निवेदन का अपने पूर्ण शक्ती से प्रतुत्तर दिया। अक्कू ने मेरी गांड का मर्दन भीषण
धक्कों से करना शुरू कर दिया। दर्द और आनंद के मिश्रित लहर मेरे शरीर में बिजली की तरह कौंध गयी। मेरी
सिस्कारियां मध्यम से तीव्र हो गयीं।
"अक्कू मेरे प्यारे भैया मेरी गांड और ज़ोर से मारो। अक्कू अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है, " मैं मम्मी के तरह
कामाग्नि से जल रही थी। हमारे अविकसित शरीर अब शारीरिक प्रेम की भूख से परिचित हो चले थे। थोड़े से ही अनुभव से
हम दोनों बहन-भाई उस भूख को भुजाने की तरतीब भी समझ गए थे।
अक्कू का लंड मेरी गांड में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। उसके लंड पर मेरे कुंवारी गांड की पहली चुदाई का खून,
उसका वीर्य और मेरे गांड के रस का मोटा सा लेप चढ़ चूका था। कमरे में मेरी गांड की मनोहर महक फ़ैल गयी थी।
हम दोनों उस सुगंध से और भी उत्तेजित हो गए।
"दीदी, दीदी, मुझे आपकी गांड मारना बहुत अच्छ .......... हुन ," अक्कू ने हचक कर अपना लंड निर्मम प्रहार से मेरी
गांड में जड़ तक डालते हुए कहा।
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