Sunday, April 27, 2014

बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--8

FUN-MAZA-MASTI
बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--8

 थोड़े दिनों बाद आंटी चुदने में आनाकानी करने लगी .....काफी जोर देने पर वो बोली - देखो राजन ! वरुण अब सुधर रहा है , मै नहीं चाहती की तुम वक्त -वेवक्त यहाँ आया करो , तुम्हे मेरे साथ देखकर कही वो फिर से न बिगड़ जाए |
मै हल्के गुस्से में बोला - तो यूँ कहो ना कि अपना बेटा ही तुमको आजकल चोद रहा है ......फिर बेटे के दोस्त से चुदवाने कि क्या जरूरत है | मेरे मन में आया कि मोबाइल में कैद विडियो के बारे में बताकर रंडी को रुला रुला के चोदता हूँ ...फिर सोंचा पहले धमकी देके ही देख लेता हूँ ,फिर मै बोला - ठीक है ......मादरचोद वरुण का ही गांड मारूंगा | वो दौड़कर मुझसे लिपटती हुई बोली - अरे बेटा नहीं .....मेरी गांड मार ले .....मेरी बुर चोद ले ......लेकिन प्लीज .....मेरे बेटे का नाम न ले ................................प्लीज | और तुरंत घोड़ी बनकर अपनी साडी और पेटीकोट कमर तक उठा ली , अब उनकी बुर और गांड दोनों मेरे सामने थी ...मरवाने को तैयार .......च्वाइस मेरी थी क्या मारूं ?...?


 हांलांकि इसमें आंटी कि चुदने कि ललक से ज्यादा मज़बूरी नजर आ रही थी ,पर फिर भी मैंने आंटी को अपनी समझ से आखिरी बार कसकर बजाया और फिर निकल आया |

एक दिन बाजार में घूमते समय मैंने अपने एक अन्य मित्र राहुल को एक बहुत ही खुबसूरत मॉडल टाइप लड़की के साथ शौपिंग करते हुए देखा | जब मैंने छुपकर पीछा किया तो देखा कि.... वह, लड़की के साथ अपने घर चला गया | जरुर वो रिश्तेदार होगी , मैंने सोंचा | जब मैंने राहुल से अगले दिन इसका जिक्र छेड़ा, तो पता चला कि वो तो उसकी अपनी बड़ी शादीशुदा बहन है जिसकी शादी अभी छह महीने ही हुई है और उसके पति को ( जो सॉफ्टवेयर इंजिनियर है ) अभी-अभी अमेरिका कम्पनी के प्रोजेक्ट पर एक साल के लिए जाना पड़ गया है ......इसलिए शालिनी अपने मायके आकर रह रही है |
मेरे शैतानी दिमाग ने अपना रंग दिखाना शुरू किया ......आह ..क्या माल है ...........
थोड़ी चुदी हुई ..............पर थी पूरी चुदासी,
थोड़ी लंड खाई हुई , अगले साल तक लंड की प्यासी |

चुदने को बिलकुल तैयार माल थी | जरुरत थी तो...... थोड़ी घनिष्ठता की .....अपने हलब्बी के दीदार कराने की .....और आखिर में थोड़े एकांत की ..............................मै पहले स्टेप पर चल पडा ...राहुल से दोस्ती बढाई और उसके घर आना जाना शुरू कर दिया |


 छोटा परन्तु थोडा संपन्न परिवार था , राहुल का | पापा बिजनेसमैन थे ..मोटर ऑटो पार्ट्स का दूकान था उनका , राहुल की मम्मी का तीन साल पहले गुर्दे के कैंसर के कारण निधन हो गया था | घर में राहुल , उसकी बड़ी दीदी शालिनी , उसकी छोटी बहन गुड्डी (जो राहुल से दो साल छोटी थी और दसवीं में पढ़ती थी) के अलावा केवल दादी(जो हमेशा घुटने के दर्द से परेशान रहती थी ) रहती थी | हालांकि गुड्डी भी सुन्दर थी लेकिन जबरदस्त माल तो उसकी बड़ी बहन शालिनी थी ...ये बड़ी-बड़ी आँखे ....लम्बे रेशमी सिल्की बाल ...भरे -भरे गाल, जिसमे हंसने पर गढ्ढे पड़ते थे ...कमल पंखुड़ी सा रसीले होंठ ( जिसे हमेशा चूसते रहने या चाटते रहने का मन करता था )....लम्बी सुराहीदार गर्दन ...उसके नीचे उसकी सुडौल ...एकदम परफेक्ट राउंड बूब्स ( जिसके गठिलेपन का एहसास कपड़ों के ऊपर से भी होता था )...उसके नीचे बिलकुल समतल पेट (जिसके मध्य स्थित मजेदार नाभी..जिसे मैंने देखा तो नहीं था पर हर रोज उसमे उन्लिपेलन की कल्पना करता था )....और अंत में उसके लम्बे लम्बे पैर...जिसके जोड़ पर स्थित उसकी मस्तानी ...चूत...जिसकी कल्पना करके मै पता नहीं कितनी बार सरका मार चूका था| कुल मिलाकर गजब की जानमारू थी |

मै हर रोज लगभग दो-दो तीन-तीन घंटे राहुल के घर गुजारता , वहां पढ़ाई के अलावा राहुल और उसकी बहनों के साथ कैरम ,लूडो और ताश खेलता | कॉलेज में मै राहुल को सेक्सी और गंदे-गंदे चुटकुले सुनाता | धीरे-धीरे उसका इंटरेस्ट भी सेक्स की तरफ बढ़ने लगा | एक दिन मैंने उसे मैंने मस्तराम की बुक ' बंद दरवाजे ' पढने को दिया , उसमे भाई बहन की सेक्स की कहानियाँ खुल्लम - खुल्ला लिखा हुआ था | अगले दिन ही वो बुक मुझे लौटाते हुए कहा - यार ! इसमें तो सारी हदे पार कर गई है | मै उसे एक और किताब देते हुए कहा - यार, उसमे तो कुछ भी नहीं है ...इसे पढो ....इसमें एक बेटा अपनी माँ को और एक बाप अपनी बेटी को कैसे चोद रहा है | वो तुरंत वो किताब अपने बुक्स बैग में रखते हुए घर चला गया | इसप्रकार वो भी कुछ दिनों में सेक्स किताबों का शौक़ीन बन गया | इधर धीरे धीरे मैंने उसके घर में पैठ बना लिया |

फिर एक दिन राहुल बोला - राजन यार ! सेक्स किताबों में तो काल्पनिक बाते लिखी रहती है , भला हिन्दुस्तान में भाई - बहन ... माँ -बेटा ...और बहु -ससुर जैसे सम्बन्ध संभव है ? नहीं यार ....पॉसिबल नहीं है ...लेकिन साला संबंधो का discription इतना उतेजक होता है कि पूछो मत ..यार , मै तो मुठ मार मार के थक चुका हूँ ...अब तो बस असली बुर चाहिए ....चलो किसी रंडी के पास चलते है , थोड़े पैसे ही तो लगेंगे ...मै दे दूंगा ...बस अब मुझे ' बुर ' दिला|
मैंने कहा - पागल हो गए हो क्या ? रंडीखाने जाकर बीमारियाँ मोल लेनी है क्या ?....सोंचना भी मत | हाँ , जहां तक चूत का सवाल है , वो मै दिला दूंगा | वो उत्साहित होता हुआ बोला- वाह यार ! तू तो कमाल कि चीज हो ...कोई पटा रक्खी है क्या ?
यार प्लीईईज ......मुझे भी दिलवा दो न....फिर वो मुझे खुशामद करने लगा |


मै थोड़ी देर चुप रहा , फिर बोला - अच्छा ये बता ! तुम्हे सेक्स कहानियों में बिलकुल सच्चाई नहीं लगती | उसने बोला - बिलकुल नहीं | मै बोला - नहीं यार , ऐसी बात नहीं है ....ये ठीक है कि सेक्स कहानियाँ प्रायः काल्पनिक होती है .....लेकिन पारिवारिक सम्भोग सम्बन्ध ( incest ) हिन्दुस्तान में निराली नहीं है ..... पश्चमी सभ्यता से प्रभावित भी नहीं है और ना ही नई है .....ये तो पुरातन युग से चली आ रही है ........ये होते थे ....आज भी होते है ......हाँ , ऐसी बाते ...ऐसे सम्बन्ध खुलकर सामने नहीं आते | राहुल बोला - तुम कहना क्या चाह रहे हो, मै समझ नहीं पा रहा हूँ |
मै बोला - मै कहना नहीं, समझाना चाहता हूँ ......अच्छा एक बात बताओ - जब तुम भाई बहन की सेक्स की कहानियां पढ़ते हो तो तुम मुठ मारने पर मजबूर हो जाते हो , क्यों ? आह ...भैया पेलो..... ..फाड़ दो मेरी बुर ...जैसे विवरण पढ़ते हो , तब कहानी की नायिका की जगह क्या तुम अपनी शालिनी दीदी को स्थापित नहीं कर रहे होते हो ...बोलो ... चुप क्यों हो गए ?


मैंने देखा राहुल का चेहरा तमतमाता हुआ लाल भभूका हो रहा था | फिर गुस्से से फूटता हुआ बोला - साले, तुम निहाइत ही गंदे किस्म के इंसान हो ....मेरी बहन पर गन्दी नजर रखता है ...सर फोड़ दूंगा साले ...समझ क्या रक्खा है ?(मै तो उसका चेहरा देखकर ही सकपका गया ....दांव उल्टा पड़ गया था ..अब मुझे फिर से संभालना था )
मैंने कहा - यार ! मैंने तो एक उदाहरण दिया था ...तुम हो गए आग बबूला | तुमने मुझे चूत दिलाने की बात कही थी ....मै तो चूत का पता बता रहा था |
वो फिर भड़का - तो क्या मै अपने घर में ....
नहीं यार , मेरे घर में -मै जल्दी से बोला (बोलते समय मेरे दिमाग में मेरी ममेरी बहन रागिनी दीदी घूम रही थी जिसे मै चोद चुका था और शायद मनुहार करने पर मेरे दोस्त को भी दे देती )


....क्या कहा तुम्हारे घर में ....राहुल चौंका - लेकिन घर में तो शायद.... केवल तुम्हारी माँ है
मैंने कहा - अबे बहनचोद .....साले , तू तो सीधा मादरचोद बनाने की ख्वाइश रखता है ....साले , मेरी एक ममेरी बहन है जिसे मै कई दफा चोद चुका हूँ, इसलिए मै तुझे पारिवारिक सम्भोग सुख की विस्तृत जानकारी दे रहा था क्योंकि मैंने खुद भी ये सुख लिया है ....तू कहे तो मै तुझे भी उसकी दिलवा दूंगा |
दिलवा दे यार ...दिलवा दे ...राहुल अब मेरी मिन्नते करने लगा |
लेकिन बेटा, मुफ्त में ही मेरी बहन चोदना चाहता है ....मुफ्त में इस दुनिया में कुछ भी नहीं मिलता |
तो तू क्या पैसे लेगा ....राहुल मेरी तरफ अजीब निगाहों से देखता बोला
नहीं बेटा , पैसा नहीं ....मै उसे लाइन पर आता देख झूमते हुए बोला - पैसा नहीं ....बहन के बदले बहन ......तू मेरी बहन चोदेगा तो मै तेरी शालिनी दीदी को चोदुंगा ...साले , जरा अपनी बहन पर तरस खा ...तेरा जीजा एक साल तक तो आने वाला तो है नहीं ...वो अपनी चूत की गर्मी कैसे शांत करती होगी ..ऊँगली डाल के या मोमबत्ती डाल के ....अच्छा भाई है तू |
राहुल फिर ऐंठा - यार तू तो अपनी बहन को कर चूका है इसलिए तुम्हे दिलवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी , लेकिन मै तो दीदी से ठीक से बात भी नहीं कर पाता.....तेरे लिए कैसे पटाउंगा |
मैंने कहा - तू उसकी चिंता मत कर ....अपने घर में ही मुझे किसी तरह उसके आस-पास रहने का मौक़ा बार - बार निकाल ... बाकी सब मै संभाल लूंगा .....जब ग्रीन सिग्नल होगा तो मुझे उसके साथ बिलकुल एकांत की व्यवस्था तुझे ही करनी पड़ेगी|
आस- पास रहने से तू दीदी को पटा लेगा ......राहुल के स्वर में अनिश्चितता का पुट था - अगर दीदी नहीं तैयार हुई या झिड़क दी तो मुझसे कुछ आशा मत करना ....लेकिन मुझे तेरी बहन की चूत तो मिलेगी न ?
मै बोला - तू निश्चिन्त रह .....पहले तू ही लेगा ......मुझे तेरी बहन की चूत मिलती है या नहीं ...ये मेरी किस्मत | 


अब राहुल के घर मै बेधड़क जाया करता और खेल में चाहे ताश हो या कैरम मै और गुड्डी पार्टनर बनते और आमने सामने बैठते और शालिनी दीदी को हमेशा मेरे बगल में बैठती | खेल -खेल में ही कई बार कई बार बॉडी पोज बदलने में कई बार जानबूझकर अपने हाथ -पैर से दीदी को स्पर्श करने का प्रयास करता और कई बार सफल भी रहता | जब भी मौका मिलता तो किसी न किसी बहाने उनकी सुन्दरता की तारीफ़ कर देता |

औरतों को भगवान ने अद्भुत शक्ति दी है ....वो आपके आँखों की भाषा और हरकतों से अपने प्रति पुरुषों की भावना समझ जाती है | शालिनी दीदी भी सब समझ रही थी ....

तभी वो एक दिन छत पर खेल के बाद जब शाम ढल गयी तो गुड्डी चाय बनाने गयी और राहुल जानबूझकर अपने कमरे में चला गया तो शालिनी दीदी ने मुझसे पूछा - तुम्हारी तो ढेर सारी गर्ल - फ्रेंड होगी ...बाते अच्छी बना लेते हो | मैंने निराशा जताते हुए कहा - एक भी नही

क्यों ?

कोई आप जैसा सुन्दर नहीं मिला न ..आप ही बन जाओ न मेरी गर्ल - फ्रेंड

अरे बुध्धू मै शादीशुदा हूँ ...

शादीशुदा है तो क्या हुआ ...मै आपको बहुत पसंद करता हूँ ....हमेशा आपके पास रहना चाहता हूँ (यह कहते हुए मै धीरे से उनके पास सरक गया)......आप है ही इतनी सुन्दर और मस्त कि...... खुदा भी रश्क करता होगा (यह कहते मैंने धीरे से उनका हाथ पकड़ लिया )



हूँ ...................मुझमे इतना भी क्या है जो तुम दीवाने हुए पड़े हो ...

ये आप मुझसे पूछ रही हैं ......आईने से पूछिए (अब मै बिल्कुल उनसे सटते हुए उनके कान में धीरे से बोला)
.......आपकी आँखे नशीली है ,आपके होंट रसीले है
आपकी गोलाईयां तीर कि तरह चुभती है
आपके प्यार कि बरसात में हम पुरे गीले हैं |

(ये कहते हुए उनके पकडे मुलाएम हाथ को अपने ठनकते जूनियर पर दबा दिया और दुसरे हाथ से उनके द्वय पृष्ठ उभारों में से एक को पकड़ कर दबा दिया)

आह..................(एक महीन मादक ध्वनि निकली और वो मेरा हाथ घुड़ाकर नीचे भाग गयी )

अपनी जल्दबाजी पर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था ...पर अब क्या कर सकता था ......हालांकि हाव भाव से लगता था कि वो नाराज नहीं थी , लेकिन औरतों का क्या भरोसा .....तभी मेरी नजर शालिनी दीदी के मोबाइल पर पडा जो ऊपर टेबल पर ही रह गया था ......मेरे मन में एक आशा जगी .....जो होगा देखा जाएगा , दीदी को अपना हथियार तो दिखाऊं .......फिर मैंने अपना एक मुठ मारता हुआ विडियो क्लिप अपने मोबाइल से उनके मोबाइल पर ब्लूट्रुथ से स्थान्नान्त्रित कर दिया और फिर घर चला आया |


मै फैसला कर चुका था ....आर या पार | मैंने एक कागज़ पर साफ़ साफ़ लिखा - मै तुम्हे बहुत चाहता हूँ , मुझे लगता है की तुम भी मुझे चाहती हो ...मै तुम्हे बाहों में भरना चाहता हूँ ....अगर सचमुच तुम भी मुझसे प्यार करती हो तो कल ११ बजे मेरे घर चली आना ...मेरा घर तो तुमने देखा ही है....तुम्हारे हुश्न का दीवाना राजन | शाम जब मै राहुल के घर पहुंचा तो बाहर एक पडोसी का बच्चा खेल रहा था , मुझे खुद जाकर शालिनी दीदी को 'प्रेम कम चुदाई निमंत्रण पत्र ' देने से अच्छा बच्चे के हाथ से भिजवाना ठीक लगा , इसलिए बच्चे को समझाकर पत्र को राहुल की बहन को देने के लिए उसके हाथ अन्दर भेज दिया और वापिस चला आया |

सारी रात टेंसन में गुजरी .....कल या तो शालिनी दीदी की चूत मिलने वाली थी या सदा के लिए उनके घर के दरवाजे मेरे लिए बंद थे |

अगले दिन सुबह से जैसे समय ही नहीं कट रहा था | जैसे ही मम्मी कॉलेज गयी , मैंने फ़टाफ़ट तैयारी शुरू कर दी | जैसे ही ११ बजने वाले थे मेरा दिल धडकने लगा ...क्या सचमुच शालिनी दीदी आएगी ...उसके जैसी सुन्दर और गदराई लड़की की चूत कैसी होगी ...कसी होगी या फटी होगी .......क्योंकि ऐसी औरत का पति बिना उसकी फाड़े मानेगा भला | मेरी कसमसाहट जारी थी कि दरवाजे पर बेल बजी ............     
 




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