FUN-MAZA-MASTI
ससुराल की पहली होली-5
तब तक सड़क पे फिर कुछ हुरियारों का शोर सुनायी पड़ा और लंड अंदर घुसेड़े , मुझे उठा के वो छज्जे से दूर छत पे ले गया और मुझे दुहरा कर के फिर चुदाई शुरू कर दी.
मुझे उसने आलमोस्ट दुहरा कर दिया था और हुमक हुमक कर चोद रहा था।
उसका घोड़े जैसा लंड चूत फाड़ते , चीरते सीधे बच्चेदानी पे धक्का मार रहा था। साथ ही लंड का बेस क्लिट पे रगड़ खा रहा था।
" पह्ले तो मैं सोचती थी सिर्फ मेरी सास ने ही , लेकिन अब लगता है की मेरी ससुराल की सारी औरतों ने गदहों , घोड़ों से घूम घूम के चुदवाया है , तभी तो ये गदहे , घोड़े जैसे लंड वाले लड़के जने । "
देवर की चौड़ी छाती पे अपनी चूंची पे लगा सारा रंग लपेटते , लगाते , जोर से उसकी पीठ पकड़ कर अपनी भींचते हुए मैंने चिढ़ाया।
जवाब जॉन के बित्ते भर के लंड ने दिया। आलमोस्ट निकाल के उसने एक ही धक्के में पूरा पेल दिया।
मेरी जान आलमोस्ट निकल गयी और देवर ने बोला "
अरे भाभी न होता तो आपको होली का मजा कैसे देता "
बात उसकी एकदम सही थी।
मैं भी मस्ती में चूतड़ उठा उठा के चुदा रही थी , बिना इस बात का ख्याल किये की मैं नीले गगन के खुली छत पे चुदा रही हूँ।
साथ में उसने फिर जोर जोर से मेरी चूंची मसलनी शुरू कर दी और एक निपल उसके मुंह में था।
मैं एक बार फिर झड़ने के कगार पे थी।
हाँ देवर जी और जोर से उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह क्या मजा, जॉन प्लीज ,…ऱुको मत ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह "
और जैसे ही मैं झड़ने लगी , उसने चुदायी और तेज कर दी। उसकी भी आँखे मुंदी जा रही थी।
और थोड़ी देर में मेरे उछलते गिरते चूतड़ों की थाप पर , सुर ताल पे ,
उसकी मोटी लम्बी पिचकारी ने रंग फेकना शुरू कर दिया।
गाढ़ा थक्केदार , रबड़ी , मलायी की तरह सफेद बिना रुके ,
और मैं चूतड़ उठा उठा के रोपती रही , लीलती रही , घोंटती रही ,… और फिर थक के लेट गयी।
लेकिन तब भी मेरे देवर कि पिचकारी ने रंग फेकना जारी रखा , होली का असली रंग जिसकी प्यास मेरी बुर को सुबह से थी।
और जब उस ने लंड बाहर निकाल तो भी , खूब मोटा कड़ियल ,
मैंने साडी ठीक की। छत पर गिरा ब्लाउज उठा के पहना , बटन तो सारे टूट गए थे , लेकिन तभी उसने रोक दिया ,
और मेरी खुली चूंचियों पे चेहरे पे अपने सुपाड़े पे लगे वीर्य को रगड़ मसल दिया। क्या मस्त महक थी।
मैंने उसे साफ करने की कोशिश की तो उसने मन कर दिया , नहीं भाभी , होली कि निशानी।
लाल , बैंगनी , नीले , रंगो के ऊपर गाढ़ा सफेद थक्केदार ,…
देवर की बात ,… मैं कौन होती थी टालने वाली। चून्चियों के ऊपर ब्लाउज बस लपेट लिया।
मैं ने आंगन की और देखा तो वहाँ होली का हंगामा ख़तम हो चूका था। बस दो चार लड़कियां बची थी , वो भी अब जा रही थीं।
मैं चलने को हुयी तो जान ने एक बार फिर पीछे से पकड़ लिया ,
" भाभी , आप को पीछे से देखता हूँ तो बस यही मन करता है इस कसर मसर करती गांड को मार लूँ "
मैंने अपनी गांड उसके शार्ट से झांकते , मोटे लंड पे कस के रगड़ दिया और मुस्करा के बोली ,
" अरे देवर जी अभी कौन सी होली ख़तम हुयी है। होली कि शाम बाकी है , फिर यहाँ तो होली पांच दिन चलती है। और मैं कौन सा गांड में ताला डाल के
रखूंगी। भौजाई तुम्हारी तो उसकी सब चीज तुम्हारी। "
और उसे दिखा के एक एक बार जोर से गांड मटकाई , और सीढ़ियों से धड़ धडाती हुए नीचे चल दी।
मैं सोच रही थी अभी , थोड़ी देर पहले मेरी एक ननद आयी थी , उसकी शादी भी मेरे साथ ही हुयी थी। उसकी पिछले साल पहली होली ससुराल में मनी।
वो बोल रही थी ,
" भाभी , पहली होली में ही मैंने 'हैट ट्रिक ' कर ली। सुबह सबसे पहले मेरे नंदोई ने होली खेलते हुए ही नंबर लगा दिया। फिर इनका एक कजिन देवर , छोकरा सा , इंटर में पढता था , और शाम को इनके एक फ्रेंड ने। रात में तो ये इन्तजार में थे ही "
मैं सोच रही थी चलो मेरा भी ससुराल की पहली होली का खाता तो खुल ही गया।
गनीमत थी नीरा भाभी किचेन में थी और , चमेली एक बार फिर से बाल्टी में रंग घोल रही थी।
मैं चुपके से आँगन में पहुँच गयी।
चमेली भाभी मुझसे कुछ पूछतीं , उसके पहले दरवाजा खुला और रंगे पुते ,मेरे 'वो ' राजीव दाखिल हुए , अपनी ममेरी बहन मीता के यहाँ से होली खेल कर।
' क्यों डाल आये मीता की बिल में , मजा आया " नीरा भाभी , मेरी जेठानी ने अपने इकलौते देवर को चिढ़ाया।
वो कुछ जवाब देते उसके पहले उनके कान में मैं फुसफुसाई ," नीरा भाभी और चमेली भाभी को छोड़ियेगा मत। देवर के रहते , होली में भाभी अनचुदी रह जाय बड़ी नाइंसाफी है। और फिर पिछले साल आप ने मेरी भाभी का भी तो अगवाड़ा पिछवाड़ा , कुछ भी नहीं छोड़ा था। "
मुस्करा के उन्होंने नीरा भाभी को पकड़ा और जब तक नीरा भाभी कुछ समझे उनका आन्चल , राजीव के हाथ में था और अगले झटके में पूरी साडी।
कुछ ही देर में चोली और ब्रा का भी वही हश्र हुआ।
लेकिन चमेली भाभी थी न , मेरी जेठानी का साथ देने। उन्होंने पल भर में राजीव के कपडे उतार फेंके।
लेकिन मैं थी न अपने पति का साथ देने वाली।
मैंने चमेली भाभी की साडी खींच दी और अगला झपट्टा ब्लाउज पे मारा। ब्रा उन्होंने पहना ही नहीं था और पेटीकोट ननदो ने न सिर्फ उतारा था बल्कि चिथड़े चिथड़े कर के फ़ेंक दिया था।
और जब मैंने मुड़ के नीरा भाभी की ओर देखा तो वो रंगो के बीच गिरी पड़ी थी और मेरे पति और उनके देवर , अपनी भौजाई के दोनों गदराये , बड़े बड़े खुले उरोजों को रंग से , रंगने में लगे थे।
अगले ही पल मेरी जेठानी की लम्बी गोरी टाँगे उनके कंधे पे , और उनकी फैली दूधिया जांघो के बीच में वो,… .एक धक्के में उनका बित्ते भर का लंड उनकी भाभी की रसीली बुर में ,…
और उधर चमेली भाभी अब मेरे पीछे पड़ गयीं। पल भर में मेरी साडी उनके हाथ में थी। पेटीकोट ब्रा तो ननदो ने कब का उतार दिया था , और ब्लाउज के बटन जान ने तोड़ दिए थे। मैं भी अब नीरा भाभी और चमेली भाभी की हालत में आ गयी थी। उन्होंने मुझे ललकारा
" जब तक तेरा साजन नीरा भाभी पे चढ़ाई कर रहा है , मैं तुम्हे मजा चखाती हूँ। "
चमेली भाभी से जितना आसान नहीं था। जल्द ही मैं उनके नीचे थी। उनकी 38 डी डी साइज की बड़ी बड़ी छातियाँ मेरी चूंचियों को रगड़ रही थी और बुर मेरे चूत पे घिस्से मार रही थी। मैं कौन पीछे रहने वाली थी।
कैंची मार के अपनी लम्बी टांगो से मैंने चमेली भाभी की पीठ जोर से दबोच ली और मैं भी नीचे से अपनी चूत उनकी बुर से रगड़ने लगी। और हम लोगों की 'लेस्बियन रेस्लिंग' देख के ' उनका जोश और बढ़ गया।
अपनी भौजाई को आँगन में हुमच हुमच कर चोदते हुए वो बोले ,
" भाभी आपका तो पिछले साल का भी उधार चुकाना है " ( पिछले साल की होली में वो मेरे मायके में थे )
और मेरी जेठानी भी कम नहीं थी। उनके हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा उठा के दे रही थी जैसे न जाने कितनी बार उनसे चुद चुकी हों।
नीचे से जोर से धक्का लगाते वो बोली ,
" अरे देवर जी आपके लिए एक बढ़िया इनाम है ", .
खुश होके उत्सुकता से उन्होंने पूछा
" क्या है भाभी , बताइये न "
" एक मस्त माल है , एकदम कच्ची कली , उठता हुआ अनछुआ जोबन , जांघो के बीच गुलाब की पंखुड़िया "
" नाम तो बताइये न " सोच के ही उनका मन खराब हो रहा था।
" सिर्फ इस शर्त पे नाम बताउंगी , की तुम ना सिर्फ उसकी लोगे बल्की खूब हचक हचक के चोदोगे। " मेरी जेठानी ने और आग लगायी।
" हाँ भाभी हाँ पक्का , नेकी और पूछ पूछ " वो बोले।
" मेरी ननद , तेरी ममेरी बहन और जिल्ला टॉप माल , मीता। एक बार चोद लोगे तो बार बार मांगोगे " हँसते हुए उनके साइन पे अपनी चूंचियों को रगड़ते मेरी जेठानी ने चिढ़ाया।
फिर तो ऐसी धकापेल चुदाई उन्होंने शुरू की…
उसी बीच मैंने चमेली भाभी साथ बाजी पलट दी थी।
अब मैं ऊपर थी और वो नीचे।
और मेरे हाथ में गुलाल भरा एक बड़ा सा कंडोम था जो , जब तक चमेली भाभी सम्हले , घचाक से मैंने उनकी बुर में पेल दिया।
मैंने राजीव ओर देखा और हम दोनों मुस्कराये।
अब हम दोनों जैसे बद कर , एक टेम्पो में हचक हचक चोद रहे थे थे।
वो अपनी भौजाई और मेरी जेठानी , नीरा भाभी को और मैं चमेली भाभी को , गुलाल भरे कंडोम डिल्डो से।
चमेली भाभी भी चूतड़ उछाल उछाल के मजे ले रही थीं और थोड़ी देर में वो तेजी से झड़ने लगी।
और यही हालत बगल में नीरा भाभी की हुयी। उनके झड़ने के साथ ही उनके देवर और मेरे ' वो ' भी तेजी से झड़ने लगे। मेरी जेठानी की बुर गाढ़ी सफेद थक्केदार , मलायी से भर गयी। यही नहीं राजीव का सफेद वीर्य , बुर से निकल कर उनकी दोनों जांघो पर भी बह रहा था।
दोनों निशचल पड़े थे।
मैंने राजीव से कहा ,
" अरे मेरी जेठानी की चूत को साफ कौन करेगा ".
राजीव से दूबारा बोलने कि जरूरत नहीं पड़ी। अपनी रसीली भाभी की दोनों जांघो को उन्होंने फैलाया और सेंटर में मुंह लगा के
लप लपालप , लप लपालप वो चाटने लगे। जैसे कोई मस्त रसमलाई चाट रहे हों। वो चाट रहे थे चूस रहे थे और बीच बीच में अपनी भाभी की गीली बुर में जीभ की नोक डाल के जुबान से चोद भी रहे थे।
मस्ती से चूर नीरा भाभी , नीचे से चूतड़ उछाल रही थीं , सिसक रही थी और उनका सर अपनी बुर पे पकड़ जोर जोर से रगड़ रही थीं।
और इस का असर राजीव के मस्त खूंटे पे भी हुआ। वो फिर से अंगड़ाई लेने लगा।उ
सका गोल मटोल , थोडा सोया थोडा जागा , लीची सुपाड़ा देख के मुझसे नहीं रहा गया और मेरे मुंह में भी पानी आने लगा।
उधर चमेली भाभी , वो भी उठ के बैठ गयी थीं। उन्होंने मुझे आँख मारी , अपनी मझली ऊँगली , तर्जनी के ऊपर रखी और अचानक दोनों ऊँगली , राजीव की गांड में पेल दी
मैं चमेली भाभी का तरीका ध्यान से देख रही थी। दोनों ऊँगली एक के ऊपर एक आराम से घुस गयीं , और अब उन्होंने दोनों उँगलियों को अलग किया गोल गोल गांड में घुमाया और फिर कैंची की फाल की तरह फैला दिया और सटासट आगे पीछे करने लगी।
इस का असर सीधे राजीव के लंड पे पड़ा और अब वो पूरी तरह तन के खड़ा हो गया।
मेरे लिए अपने को रोकना अब मुश्किल हो रहा था। मैंने उनके मोटे सुपाड़े को मुंह में भर लिया और लगी चुभलाने , चूसने।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा।
चमेली भाभी अब तीन उंगली से अपने देवर की गांड मार रही थी। उनके देवर और मेरे वो , अपनी भाभी की बुर चूस चाट रहे थे और मैं उनका लंड चूस रही थी।
चमेली भाभी ने पैंतरा बदला और फिर मेरी बुर पे हमला किया। उँगलियों से उन्होंने मेरी बुर को फैला रखा था और जोर जोर से चूस चाट रही थी। साथ में हलके से क्लिट को भी वो बाइट कर लेतीं।
लेकिन मैं भी , हाईस्कूल से बोर्डिंग में थी और ११वी से लेकर कालेज तक इस खेल में चैम्पियन थी।
थोड़ी देर में हम दोनों फिर 69 कि पोजिशन में थे , मैं ऊपर और वो नीचे.
और अपनी मस्ती में हम लोगो ने ध्यान नही दिया की नीरा भाभी , मेरे उनके चूत चाटने से कब झड गयीं।
वो और राजीव मेरे और चमेली भाभी के बगल में आके बैठ गए। राजीव का लंड एकदम तना , टनटना रहा था।
चमेली भाभी की चूत चाटते , चूसते मैंने दोनों हाथों से चमेली भाभी की जांघो को फैलाया और राजीव को इशारा किया।
बस फिर क्या था। राजीव का मोटा लंड चमेली भाभी की चूत में था और ऊपर से मैं चमेली भाभी की क्लिट चूस , चाट रही थी।
वो पहले ही एक बार मेरी जेठानी की बुर में झड़ चुके थे , इसलिए उन्हें टाइम तो लगना ही था।
जैसे कोई धुनिया रुई धुनें , बस उस तरह वो चमेली भाभी की चूत चोद रहे थे। और चमेली भाभी भी चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थीं।
बहुत देर कि चुदायी के बाद दोनों देवर भाभी साथ झड़े।
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ससुराल की पहली होली-5
तब तक सड़क पे फिर कुछ हुरियारों का शोर सुनायी पड़ा और लंड अंदर घुसेड़े , मुझे उठा के वो छज्जे से दूर छत पे ले गया और मुझे दुहरा कर के फिर चुदाई शुरू कर दी.
मुझे उसने आलमोस्ट दुहरा कर दिया था और हुमक हुमक कर चोद रहा था।
उसका घोड़े जैसा लंड चूत फाड़ते , चीरते सीधे बच्चेदानी पे धक्का मार रहा था। साथ ही लंड का बेस क्लिट पे रगड़ खा रहा था।
" पह्ले तो मैं सोचती थी सिर्फ मेरी सास ने ही , लेकिन अब लगता है की मेरी ससुराल की सारी औरतों ने गदहों , घोड़ों से घूम घूम के चुदवाया है , तभी तो ये गदहे , घोड़े जैसे लंड वाले लड़के जने । "
देवर की चौड़ी छाती पे अपनी चूंची पे लगा सारा रंग लपेटते , लगाते , जोर से उसकी पीठ पकड़ कर अपनी भींचते हुए मैंने चिढ़ाया।
जवाब जॉन के बित्ते भर के लंड ने दिया। आलमोस्ट निकाल के उसने एक ही धक्के में पूरा पेल दिया।
मेरी जान आलमोस्ट निकल गयी और देवर ने बोला "
अरे भाभी न होता तो आपको होली का मजा कैसे देता "
बात उसकी एकदम सही थी।
मैं भी मस्ती में चूतड़ उठा उठा के चुदा रही थी , बिना इस बात का ख्याल किये की मैं नीले गगन के खुली छत पे चुदा रही हूँ।
साथ में उसने फिर जोर जोर से मेरी चूंची मसलनी शुरू कर दी और एक निपल उसके मुंह में था।
मैं एक बार फिर झड़ने के कगार पे थी।
हाँ देवर जी और जोर से उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह क्या मजा, जॉन प्लीज ,…ऱुको मत ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह "
और जैसे ही मैं झड़ने लगी , उसने चुदायी और तेज कर दी। उसकी भी आँखे मुंदी जा रही थी।
और थोड़ी देर में मेरे उछलते गिरते चूतड़ों की थाप पर , सुर ताल पे ,
उसकी मोटी लम्बी पिचकारी ने रंग फेकना शुरू कर दिया।
गाढ़ा थक्केदार , रबड़ी , मलायी की तरह सफेद बिना रुके ,
और मैं चूतड़ उठा उठा के रोपती रही , लीलती रही , घोंटती रही ,… और फिर थक के लेट गयी।
लेकिन तब भी मेरे देवर कि पिचकारी ने रंग फेकना जारी रखा , होली का असली रंग जिसकी प्यास मेरी बुर को सुबह से थी।
और जब उस ने लंड बाहर निकाल तो भी , खूब मोटा कड़ियल ,
मैंने साडी ठीक की। छत पर गिरा ब्लाउज उठा के पहना , बटन तो सारे टूट गए थे , लेकिन तभी उसने रोक दिया ,
और मेरी खुली चूंचियों पे चेहरे पे अपने सुपाड़े पे लगे वीर्य को रगड़ मसल दिया। क्या मस्त महक थी।
मैंने उसे साफ करने की कोशिश की तो उसने मन कर दिया , नहीं भाभी , होली कि निशानी।
लाल , बैंगनी , नीले , रंगो के ऊपर गाढ़ा सफेद थक्केदार ,…
देवर की बात ,… मैं कौन होती थी टालने वाली। चून्चियों के ऊपर ब्लाउज बस लपेट लिया।
मैं ने आंगन की और देखा तो वहाँ होली का हंगामा ख़तम हो चूका था। बस दो चार लड़कियां बची थी , वो भी अब जा रही थीं।
मैं चलने को हुयी तो जान ने एक बार फिर पीछे से पकड़ लिया ,
" भाभी , आप को पीछे से देखता हूँ तो बस यही मन करता है इस कसर मसर करती गांड को मार लूँ "
मैंने अपनी गांड उसके शार्ट से झांकते , मोटे लंड पे कस के रगड़ दिया और मुस्करा के बोली ,
" अरे देवर जी अभी कौन सी होली ख़तम हुयी है। होली कि शाम बाकी है , फिर यहाँ तो होली पांच दिन चलती है। और मैं कौन सा गांड में ताला डाल के
रखूंगी। भौजाई तुम्हारी तो उसकी सब चीज तुम्हारी। "
और उसे दिखा के एक एक बार जोर से गांड मटकाई , और सीढ़ियों से धड़ धडाती हुए नीचे चल दी।
मैं सोच रही थी अभी , थोड़ी देर पहले मेरी एक ननद आयी थी , उसकी शादी भी मेरे साथ ही हुयी थी। उसकी पिछले साल पहली होली ससुराल में मनी।
वो बोल रही थी ,
" भाभी , पहली होली में ही मैंने 'हैट ट्रिक ' कर ली। सुबह सबसे पहले मेरे नंदोई ने होली खेलते हुए ही नंबर लगा दिया। फिर इनका एक कजिन देवर , छोकरा सा , इंटर में पढता था , और शाम को इनके एक फ्रेंड ने। रात में तो ये इन्तजार में थे ही "
मैं सोच रही थी चलो मेरा भी ससुराल की पहली होली का खाता तो खुल ही गया।
गनीमत थी नीरा भाभी किचेन में थी और , चमेली एक बार फिर से बाल्टी में रंग घोल रही थी।
मैं चुपके से आँगन में पहुँच गयी।
चमेली भाभी मुझसे कुछ पूछतीं , उसके पहले दरवाजा खुला और रंगे पुते ,मेरे 'वो ' राजीव दाखिल हुए , अपनी ममेरी बहन मीता के यहाँ से होली खेल कर।
' क्यों डाल आये मीता की बिल में , मजा आया " नीरा भाभी , मेरी जेठानी ने अपने इकलौते देवर को चिढ़ाया।
वो कुछ जवाब देते उसके पहले उनके कान में मैं फुसफुसाई ," नीरा भाभी और चमेली भाभी को छोड़ियेगा मत। देवर के रहते , होली में भाभी अनचुदी रह जाय बड़ी नाइंसाफी है। और फिर पिछले साल आप ने मेरी भाभी का भी तो अगवाड़ा पिछवाड़ा , कुछ भी नहीं छोड़ा था। "
मुस्करा के उन्होंने नीरा भाभी को पकड़ा और जब तक नीरा भाभी कुछ समझे उनका आन्चल , राजीव के हाथ में था और अगले झटके में पूरी साडी।
कुछ ही देर में चोली और ब्रा का भी वही हश्र हुआ।
लेकिन चमेली भाभी थी न , मेरी जेठानी का साथ देने। उन्होंने पल भर में राजीव के कपडे उतार फेंके।
लेकिन मैं थी न अपने पति का साथ देने वाली।
मैंने चमेली भाभी की साडी खींच दी और अगला झपट्टा ब्लाउज पे मारा। ब्रा उन्होंने पहना ही नहीं था और पेटीकोट ननदो ने न सिर्फ उतारा था बल्कि चिथड़े चिथड़े कर के फ़ेंक दिया था।
और जब मैंने मुड़ के नीरा भाभी की ओर देखा तो वो रंगो के बीच गिरी पड़ी थी और मेरे पति और उनके देवर , अपनी भौजाई के दोनों गदराये , बड़े बड़े खुले उरोजों को रंग से , रंगने में लगे थे।
अगले ही पल मेरी जेठानी की लम्बी गोरी टाँगे उनके कंधे पे , और उनकी फैली दूधिया जांघो के बीच में वो,… .एक धक्के में उनका बित्ते भर का लंड उनकी भाभी की रसीली बुर में ,…
और उधर चमेली भाभी अब मेरे पीछे पड़ गयीं। पल भर में मेरी साडी उनके हाथ में थी। पेटीकोट ब्रा तो ननदो ने कब का उतार दिया था , और ब्लाउज के बटन जान ने तोड़ दिए थे। मैं भी अब नीरा भाभी और चमेली भाभी की हालत में आ गयी थी। उन्होंने मुझे ललकारा
" जब तक तेरा साजन नीरा भाभी पे चढ़ाई कर रहा है , मैं तुम्हे मजा चखाती हूँ। "
चमेली भाभी से जितना आसान नहीं था। जल्द ही मैं उनके नीचे थी। उनकी 38 डी डी साइज की बड़ी बड़ी छातियाँ मेरी चूंचियों को रगड़ रही थी और बुर मेरे चूत पे घिस्से मार रही थी। मैं कौन पीछे रहने वाली थी।
कैंची मार के अपनी लम्बी टांगो से मैंने चमेली भाभी की पीठ जोर से दबोच ली और मैं भी नीचे से अपनी चूत उनकी बुर से रगड़ने लगी। और हम लोगों की 'लेस्बियन रेस्लिंग' देख के ' उनका जोश और बढ़ गया।
अपनी भौजाई को आँगन में हुमच हुमच कर चोदते हुए वो बोले ,
" भाभी आपका तो पिछले साल का भी उधार चुकाना है " ( पिछले साल की होली में वो मेरे मायके में थे )
और मेरी जेठानी भी कम नहीं थी। उनके हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा उठा के दे रही थी जैसे न जाने कितनी बार उनसे चुद चुकी हों।
नीचे से जोर से धक्का लगाते वो बोली ,
" अरे देवर जी आपके लिए एक बढ़िया इनाम है ", .
खुश होके उत्सुकता से उन्होंने पूछा
" क्या है भाभी , बताइये न "
" एक मस्त माल है , एकदम कच्ची कली , उठता हुआ अनछुआ जोबन , जांघो के बीच गुलाब की पंखुड़िया "
" नाम तो बताइये न " सोच के ही उनका मन खराब हो रहा था।
" सिर्फ इस शर्त पे नाम बताउंगी , की तुम ना सिर्फ उसकी लोगे बल्की खूब हचक हचक के चोदोगे। " मेरी जेठानी ने और आग लगायी।
" हाँ भाभी हाँ पक्का , नेकी और पूछ पूछ " वो बोले।
" मेरी ननद , तेरी ममेरी बहन और जिल्ला टॉप माल , मीता। एक बार चोद लोगे तो बार बार मांगोगे " हँसते हुए उनके साइन पे अपनी चूंचियों को रगड़ते मेरी जेठानी ने चिढ़ाया।
फिर तो ऐसी धकापेल चुदाई उन्होंने शुरू की…
उसी बीच मैंने चमेली भाभी साथ बाजी पलट दी थी।
अब मैं ऊपर थी और वो नीचे।
और मेरे हाथ में गुलाल भरा एक बड़ा सा कंडोम था जो , जब तक चमेली भाभी सम्हले , घचाक से मैंने उनकी बुर में पेल दिया।
मैंने राजीव ओर देखा और हम दोनों मुस्कराये।
अब हम दोनों जैसे बद कर , एक टेम्पो में हचक हचक चोद रहे थे थे।
वो अपनी भौजाई और मेरी जेठानी , नीरा भाभी को और मैं चमेली भाभी को , गुलाल भरे कंडोम डिल्डो से।
चमेली भाभी भी चूतड़ उछाल उछाल के मजे ले रही थीं और थोड़ी देर में वो तेजी से झड़ने लगी।
और यही हालत बगल में नीरा भाभी की हुयी। उनके झड़ने के साथ ही उनके देवर और मेरे ' वो ' भी तेजी से झड़ने लगे। मेरी जेठानी की बुर गाढ़ी सफेद थक्केदार , मलायी से भर गयी। यही नहीं राजीव का सफेद वीर्य , बुर से निकल कर उनकी दोनों जांघो पर भी बह रहा था।
दोनों निशचल पड़े थे।
मैंने राजीव से कहा ,
" अरे मेरी जेठानी की चूत को साफ कौन करेगा ".
राजीव से दूबारा बोलने कि जरूरत नहीं पड़ी। अपनी रसीली भाभी की दोनों जांघो को उन्होंने फैलाया और सेंटर में मुंह लगा के
लप लपालप , लप लपालप वो चाटने लगे। जैसे कोई मस्त रसमलाई चाट रहे हों। वो चाट रहे थे चूस रहे थे और बीच बीच में अपनी भाभी की गीली बुर में जीभ की नोक डाल के जुबान से चोद भी रहे थे।
मस्ती से चूर नीरा भाभी , नीचे से चूतड़ उछाल रही थीं , सिसक रही थी और उनका सर अपनी बुर पे पकड़ जोर जोर से रगड़ रही थीं।
और इस का असर राजीव के मस्त खूंटे पे भी हुआ। वो फिर से अंगड़ाई लेने लगा।उ
सका गोल मटोल , थोडा सोया थोडा जागा , लीची सुपाड़ा देख के मुझसे नहीं रहा गया और मेरे मुंह में भी पानी आने लगा।
उधर चमेली भाभी , वो भी उठ के बैठ गयी थीं। उन्होंने मुझे आँख मारी , अपनी मझली ऊँगली , तर्जनी के ऊपर रखी और अचानक दोनों ऊँगली , राजीव की गांड में पेल दी
मैं चमेली भाभी का तरीका ध्यान से देख रही थी। दोनों ऊँगली एक के ऊपर एक आराम से घुस गयीं , और अब उन्होंने दोनों उँगलियों को अलग किया गोल गोल गांड में घुमाया और फिर कैंची की फाल की तरह फैला दिया और सटासट आगे पीछे करने लगी।
इस का असर सीधे राजीव के लंड पे पड़ा और अब वो पूरी तरह तन के खड़ा हो गया।
मेरे लिए अपने को रोकना अब मुश्किल हो रहा था। मैंने उनके मोटे सुपाड़े को मुंह में भर लिया और लगी चुभलाने , चूसने।
थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा।
चमेली भाभी अब तीन उंगली से अपने देवर की गांड मार रही थी। उनके देवर और मेरे वो , अपनी भाभी की बुर चूस चाट रहे थे और मैं उनका लंड चूस रही थी।
चमेली भाभी ने पैंतरा बदला और फिर मेरी बुर पे हमला किया। उँगलियों से उन्होंने मेरी बुर को फैला रखा था और जोर जोर से चूस चाट रही थी। साथ में हलके से क्लिट को भी वो बाइट कर लेतीं।
लेकिन मैं भी , हाईस्कूल से बोर्डिंग में थी और ११वी से लेकर कालेज तक इस खेल में चैम्पियन थी।
थोड़ी देर में हम दोनों फिर 69 कि पोजिशन में थे , मैं ऊपर और वो नीचे.
और अपनी मस्ती में हम लोगो ने ध्यान नही दिया की नीरा भाभी , मेरे उनके चूत चाटने से कब झड गयीं।
वो और राजीव मेरे और चमेली भाभी के बगल में आके बैठ गए। राजीव का लंड एकदम तना , टनटना रहा था।
चमेली भाभी की चूत चाटते , चूसते मैंने दोनों हाथों से चमेली भाभी की जांघो को फैलाया और राजीव को इशारा किया।
बस फिर क्या था। राजीव का मोटा लंड चमेली भाभी की चूत में था और ऊपर से मैं चमेली भाभी की क्लिट चूस , चाट रही थी।
वो पहले ही एक बार मेरी जेठानी की बुर में झड़ चुके थे , इसलिए उन्हें टाइम तो लगना ही था।
जैसे कोई धुनिया रुई धुनें , बस उस तरह वो चमेली भाभी की चूत चोद रहे थे। और चमेली भाभी भी चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थीं।
बहुत देर कि चुदायी के बाद दोनों देवर भाभी साथ झड़े।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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