FUN-MAZA-MASTI
हैलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग, उम्मीद करता हूँ कि सबको मिल रही होगी और जिसको नहीं मिल रही होगी.. उसको भी एक न एक दिन मिल ही जाएगी।
मैं एक प्राइवेट कंप्यूटर सेंटर में लैब टीचर (अध्यापक) हूँ। सभी बच्चे, बूढ़े, जवान, लड़कियाँ, लड़के, औरतें सभी तरह के लोग सीखने के लिए आते हैं।
वैसे तो एक अध्यापक और शिष्या के बीच सम्बन्ध बहुत गहरा होता है, पर अध्यापक अगर शिष्या से खुद ही दुर्व्यव्हार करे तो यह गलत है। आजकल ऐसी कई बात सामने आती हैं, जिसमें ये अध्यापक, शिष्या से या स्कूल के प्रधानाध्यापक लेडीज टीचर के साथ या किसी कार्यालय में अपनी सहकर्मी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, यद्यपि यह गलत है, किसी की मर्जी से करना बात अलग है लेकिन किसी की मज़बूरी या ख़ामोशी का फायदा उठाना ठीक नहीं है। इससे कितने घर बर्बाद हो जाते हैं और कितनी जानें भी चली जाती हैं। उनकी जिंदगी पर क्या बीतती है कोई यह जानता है? यह एक सन्देश था, आशा करता हूँ कि लोग इस पर ध्यान देंगे।
यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अब आप लोग कहेंगे कि मैं संदेश भी दे रहा हूँ और उसका खुद पालन नहीं कर रहा हूँ, मगर जब खुद दूसरी तरफ से खुला निमंत्रण मिले, तो आदमी एक बार मना करेगा.. दो बार मना करेगा… पर तीसरी बार खुद ही स्वीकार कर लेगा।
मेरे ही कंप्यूटर सेंटर में रुबीना सैफी नाम की एक मुस्लिम लड़की आती थी। स्कूल के बाद आखिरी क्लास में आती थी। उस समय के क्लास में 3-4 लड़कियाँ रहती थीं। वो कभी पैन्ट तो कभी स्कर्ट पहन कर आती थी।
पहले तो सब कुछ ठीक था पर नज़र का क्या ! कभी भी कहीं भी पड़ जाए !
वैसे कभी-कभार जब वो स्कर्ट में आती थी, उसकी गोरी-गोरी टाँगों और कभी छोटे-छोटे चूचों पर चली थी। खैर पुरुषों के लिए तो वो एक सामान्य सी बात है।
एक बार जब वो कुछ समझने के लिए मेरे केबिन में आई, मैं कुछ काम कर रहा था। वो आकर मेरे बगल में बैठ गई और पूछने लगी। उस समय वो कुछ ज्यादा ही पास बैठी हुई थी, जिससे मैंने अपनी कोहनी थोड़ी सी ही पीछे की, तो उसकी चूची से लग गया। उसकी तरफ से कुछ हरकत नहीं हुई मैंने हाथ आगे कर लिया।
फिर जब उसे समझा दिया तो उसने कहा- सर, मैं करूँ?
और आगे बढ़ कर माउस पकड़ लिया, आगे आने से और झुकने से उसकी चूचियाँ मेरे हाथ से लग गईं। उसके बार-बार हिलने से उसकी चूचियाँ मेरे हाथ पर रगड़ खा रही थीं, तो मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था और पसीना भी आ रहा था।
फिर वो कुछ ही देर में चली गई, मगर थोड़ी देर बाद फिर आई। कमबख्त लंड अभी बैठा भी नहीं था एक नई चीज़ और देखने को मिल गई, उसकी स्कूल यूनिफार्म में कमीज के ऊपर के दो बटन और खुले हुए थे।
इस बार वो और पास आकर बैठी हुई थी। फिर माउस हाथ में लेकर काम करने लगी। फिर उसकी चूचियाँ मेरे हाथ से रगड़ खाने लगी और थोड़ी चूचियाँ भी दिखने लगीं, जो उस समय ब्रा के अंदर थीं। कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ खींच लिया।
वो हँस-हँस कर बात भी कर रही थी और काम भी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो जानबूझ के कर रही थी या अनजाने में। कुछ देर बाद उसने अपना दूसरा हाथ मेरी जाँघों पर रख दिया, एकदम लंड के पास। मैंने जीन्स पहन रखी थी, इसलिए देखने में साफ़ मालूम चल रहा था कि मेरा लंड पूरा खड़ा है। उसकी हाथों की गर्माहट से हाल और बुरा हो गया था।
थोड़ी देर तक तो मैंने कण्ट्रोल किया, पर एकदम से अचानक मेरा हाथ उसके कन्धों पर चला गया और कंधे पर से उसकी पीठ पर आ गया। अब मैं कभी उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स पर हाथ फेर रहा था, तो कभी पूरे पीठ पर, उसे भी मजा आने लगा था।
मैंने उस से पूछा- समझ आ गया न रुबीना?
उसने कहा- सर रुबीना नहीं, आप मुझे अकेले में रूबी बुलाया कीजिये।
मैंने कहा- ठीक है रूबी !
इतने में समय हो गया बाहर से और लड़कियों की आवाज आई- रूबी चल.. समय हो गया !
रूबी के पास मेरी मेल आईडी तो थी ही। शाम को उसका संदेश आया ऑनलाइन आने के लिए। मैं ऑनलाइन आ गया। काफी देर बात की.. फिर वो ऑफलाइन हो गई। रात को 11 बजे वो फिर ऑनलाइन आई।
बातों-बातों में वह पूछने लगी- क्या आपकी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
मैंने ‘नहीं’ बोल दिया, मैंने भी उस से पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
वो हँसने लगी और कहने लगी- सर लड़कियों का बॉय-फ्रेंड होता है, गर्ल-फ्रेंड थोड़े होती है।
मैंने कहा- अच्छा..! क्या पता लड़की अगर समलिंगी हुई तो..!
उसने पूछा- समलिंगी मतलब क्या?
मैं सोचने लगा कि इसे अब क्या बोलूँ..!
मैंने कहा- जब लड़का-लड़के से और लड़की-लड़की से अपनी शरीर की जरूरतें पूरी करते हैं, उसे समलिंगी कहते हैं।
उसने पूछा- शरीर की जरुरत मतलब ! कैसी जरुरत !
तो मैंने कह दिया, “अभी तुम बच्ची हो सो जाओ। और फिर मैं भी सिस्टम बन्द करके सो गया।
अगले दिन उसके आने के समय पर बारिश होने लगी थी। सब बारिश होने का संकेत देख कर जल्दी ही चले गए.. बारिश शुरू हो गई।
मैंने देखा कि रूबी आ रही है। उसकी स्कूल यूनीफॉर्म की सफ़ेद कमीज़ बारिश से गीली हो गई थी और उसकी काली और पीले रंग की रंगीन ब्रा के दोनों कटोरे दिख रहे थे।
मैंने उससे कहा- अरे रुबीना इतनी तेज बारिश में आना क्या जरूरी था?
उसने कुछ कहा नहीं, बस मुस्कुरा दी.. फिर कहा- हाँ जरूरी तो था, कल के कुछ सवाल थे.. उनका जवाब चाहिए।
मैं भी समझ गया कि इसको कौन से सवाल के जवाब सता रहे हैं। उसने पहले अपना बैग रखा फिर टाई खोली और बाथरूम में चली गई। जब बाहर आई तो उसकी स्कर्ट थोड़ी और ऊपर थी और कमीज के दो बटन खुले थे और कमीज स्कर्ट से बाहर निकाल ली थी।
मैंने उसे काम बता दिया फिर मैं अपने केबिन में चला आया। मुझे पता था कि आज भी जरूर आएगी। अभी कुछ ही देर हुए थे कि वो आवाज लगाते हुए आ गई- सर…!
और आकर मेरे बगल में कल जैसे ही बैठ गई और पूछने लगी।
मैंने भी उसे बता दिया। इसके बाद उसने थोड़ा सा टेबल और आगे किया और मेरे पास आ गई फिर माउस पकड़ के वहीं काम करके देखने लगी और उसकी चूचियाँ फिर मेरे हाथ से रगड़ खाने लगी।
मैंने भी हाथ को घुमा लिया जिस से मेरे हाथों में उसकी चूचियाँ आ गई। उसने बाथरूम में जाकर ब्रा भी उतार दी थी। मैं उसके छोटे-छोटे चूचों को हल्के-हल्के दबाने लगा। वो बस माउस को हाथों में पकड़े हुए थी और आँखें बंद थीं, हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी।
मेरा लंड भी एकदम खड़ा हो चुका था।
अब रूबी ने माउस से हाथ हटा कर मेरी जाँघों पर हाथ रख दिया था, जिससे उसका हाथ मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से छू रहा था। मैं अब उसकी चूचियों को थोड़ा तेज-तेज दबाने लगा था। वो पूरी मस्ती में मदहोश सी हो गई थी। धीरे-धीरे उसने हाथ बढ़ाना शुरू किया और मेरे लंड पर हाथ रख दिया और हल्के-हल्के दबाने लगी।
मैंने उसके चेहरे को उठाया और पहले गालों पर और फिर उसके होंठों पे होंठ रख दिए। वो भी मेरा पूरा-पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसके सर को पकड़ा हुआ था और वो एक हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी और दूसरे से मेरे लंड को सहला रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे।
फिर कुछ देर बाद मैंने एक हाथ नीचे लाया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा,कभी दाईं तो कभी बायीं।
फिर मैं उस से अलग हुआ और उसकी कमीज़ के सारे बटन खोल दिए। मैंने फिर से उसके होंठों पे होंठ रख दिए और उसके छोटे-छोटे अंगूरों को मसलने लगा। फिर मैंने उसे दीवार के सहारे टिका दिया और उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को हाथ से मसलने लगा। फिर दूसरी चूची को मुँह में भर लिया और पहली को मसलने लगा। वो बस सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
इस वक्त वो इतनी तेज आवाज करने लगी थी कि अगर कंप्यूटर सेंटर का मालिक होता तो उसको सुनाई पड़ जाती। खैर उसकी चूचियाँ चूसते-चूसते मैंने एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया, जिससे उसकी आवाज कम हो गई। कुछ देर बाद उसे समझ आ गया कि मैंने उसके मुँह में हाथ क्यों रखा है तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और आवाज करना कम कर दिया।
उसके बाद मैंने उसको अपनी कुर्सी पर बिठा दिया और स्कर्ट उठा कर उसकी रंगीन पैन्टी एक साइड की, जिससे उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसमे मैंने जीभ लगा दी और चाटने लगा। वो पूरी गीली हो चुकी थी। उसने मेरा सर पकड़ रखा था और अपनी चूत की तरफ खींच रही थी, जैसे मेरा पूरा सर अपनी चूत में डाल देना चाहती हो।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में एक उंगली भी अंदर कर दी, जिससे यह पता लग गया कि वो कुंवारी तो है नहीं। कुछ देर ऐसे ही एक उंगली अंदर-बाहर करता रहा। फिर कुछ देर में दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी, वो भी आराम से चली गई। मैं साथ में जीभ से उसकी चूत को चाट भी रहा था। उसके मजे की सीमा ना रही।
फिर मैं खड़ा हुआ और चैन खोल कर अपना लंड निकाल दिया और उसका सर पकड़ के अपने लंड की ओर बढ़ाया, वो भी इशारा समझ गई और मेरा लंड ‘गप्प’ से मुँह में ले लिया। आधा लंड मुँह में लेकर अंदर-बाहर कर रही थी। फिर कुछ देर बाद लंड को मुँह से बाहर निकाल कर ऊपर से नीचे तक चाटने लगी। वो लौड़ा चूसने के साथ-साथ मेरे अन्डकोशों को भी सहलाने लगी, तो कभी लौड़ा छोड़ कर आँडों भी चाटने लग जाती।
जब मेरा लंड एकदम टाइट हो गया तो मैंने उसे खड़ा किया और खुद कुर्सी पर बैठ गया और उसकी स्कर्ट उठा कर पैन्टी वैसे ही साइड में करके, उसकी चूत पर अपना लंड सैट किया और उसे धीरे-धीरे बिठाने लगा। वो भी साथ देते हुए धीरे-धीरे बैठने लगी।
कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड रूबी अपनी चूत में डलवा चुकी थी। फिर वो हल्के-हल्के उछल रही थी। मैंने हाथ को आगे ले जाकर कभी उसकी चूचियाँ पकड़ कर मसल रहा था, तो कभी उसकी निप्पल को खींचता।
हम दोनों को 10 मिनट हो गए थे। रूबी आराम-आराम से कूद रही थी।
मैंने उससे कहा- जरा तेज उछलो न !
ये सब करते हुए मैंने पहले बार उस से कुछ बोल था। वो बिना कुछ बोले तेज-तेज कूदने लगी तो मैंने उसकी कमर पकड़ ली…5 मिनट बाद उसके मुँह से ‘आआअह… आआह्ह्ह… मर गई… आआस…स्स… स्स्स्स्स… आआ…आअह्ह्ह… या… अल्लाह… आअह्हह्ह… अम्मी… निकल रहा था और वो झड़ गई…
पर मेरा नहीं हुआ था।
मैंने उसे खड़ा किया और वो केबिन के प्लाई पर हाथ रख कर खड़ी हो गई। मेरा लंड उसकी चूत में अभी भी था, जिसे मैं सीधे धक्के देने लगा और दो मिनट बाद ही मैंने उसकी कमर तेज पकड़ ली। तेज स्पीड में ट्रेन चलाने लगा। फिर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। हम दोनों तेज तेज साँसें ले रहे थे। मैं उसे ऐसे ही लिए कुर्सी पर बैठ गया।
फिर कुछ देर बाद वो खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर कपड़े ठीक करके आ गई। मैंने भी लंड को अंदर किया और अपने को ठीक किया। वो आकर फिर मेरे बगल में बैठ गई।
कुछ देर में रूबी का जाने का समय हो गया और जाते-जाते वो बोल गई- देखा सर, मैं बच्ची नहीं हूँ।
मैं भी उसकी बातों पर मुस्कुरा दिया।
उसके बाद मैंने उसे कई बार वहीं पर उसकी चूची चूसता तो कभी होंठ चूसता तो कभी चूत में उंगली करता। वो भी मेरे लंड का ख्याल रखती थी, चूस-चूस कर, वहाँ पर चुदाई का दुबारा मौका नहीं मिला, इसलिए उसे 2-3 बार उसके घर पर चोदा था।
मेरे से पहले वो एक अपने चाचा से चुदवा चुकी थी और एक स्कूल के लड़के से भी अपनी खाज मिटवा चुकी थी, इसलिए उसकी सील टूटी हुई थी। उसकी चूत ने 6 महीने से लंड नहीं लिया था, इसलिए वो तड़प रही थी और मेरे लंड पर आकर बैठ गई।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह घटना।
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मैं एक प्राइवेट कंप्यूटर सेंटर में लैब टीचर (अध्यापक) हूँ। सभी बच्चे, बूढ़े, जवान, लड़कियाँ, लड़के, औरतें सभी तरह के लोग सीखने के लिए आते हैं।
वैसे तो एक अध्यापक और शिष्या के बीच सम्बन्ध बहुत गहरा होता है, पर अध्यापक अगर शिष्या से खुद ही दुर्व्यव्हार करे तो यह गलत है। आजकल ऐसी कई बात सामने आती हैं, जिसमें ये अध्यापक, शिष्या से या स्कूल के प्रधानाध्यापक लेडीज टीचर के साथ या किसी कार्यालय में अपनी सहकर्मी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, यद्यपि यह गलत है, किसी की मर्जी से करना बात अलग है लेकिन किसी की मज़बूरी या ख़ामोशी का फायदा उठाना ठीक नहीं है। इससे कितने घर बर्बाद हो जाते हैं और कितनी जानें भी चली जाती हैं। उनकी जिंदगी पर क्या बीतती है कोई यह जानता है? यह एक सन्देश था, आशा करता हूँ कि लोग इस पर ध्यान देंगे।
यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अब आप लोग कहेंगे कि मैं संदेश भी दे रहा हूँ और उसका खुद पालन नहीं कर रहा हूँ, मगर जब खुद दूसरी तरफ से खुला निमंत्रण मिले, तो आदमी एक बार मना करेगा.. दो बार मना करेगा… पर तीसरी बार खुद ही स्वीकार कर लेगा।
मेरे ही कंप्यूटर सेंटर में रुबीना सैफी नाम की एक मुस्लिम लड़की आती थी। स्कूल के बाद आखिरी क्लास में आती थी। उस समय के क्लास में 3-4 लड़कियाँ रहती थीं। वो कभी पैन्ट तो कभी स्कर्ट पहन कर आती थी।
पहले तो सब कुछ ठीक था पर नज़र का क्या ! कभी भी कहीं भी पड़ जाए !
वैसे कभी-कभार जब वो स्कर्ट में आती थी, उसकी गोरी-गोरी टाँगों और कभी छोटे-छोटे चूचों पर चली थी। खैर पुरुषों के लिए तो वो एक सामान्य सी बात है।
एक बार जब वो कुछ समझने के लिए मेरे केबिन में आई, मैं कुछ काम कर रहा था। वो आकर मेरे बगल में बैठ गई और पूछने लगी। उस समय वो कुछ ज्यादा ही पास बैठी हुई थी, जिससे मैंने अपनी कोहनी थोड़ी सी ही पीछे की, तो उसकी चूची से लग गया। उसकी तरफ से कुछ हरकत नहीं हुई मैंने हाथ आगे कर लिया।
फिर जब उसे समझा दिया तो उसने कहा- सर, मैं करूँ?
और आगे बढ़ कर माउस पकड़ लिया, आगे आने से और झुकने से उसकी चूचियाँ मेरे हाथ से लग गईं। उसके बार-बार हिलने से उसकी चूचियाँ मेरे हाथ पर रगड़ खा रही थीं, तो मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था और पसीना भी आ रहा था।
फिर वो कुछ ही देर में चली गई, मगर थोड़ी देर बाद फिर आई। कमबख्त लंड अभी बैठा भी नहीं था एक नई चीज़ और देखने को मिल गई, उसकी स्कूल यूनिफार्म में कमीज के ऊपर के दो बटन और खुले हुए थे।
इस बार वो और पास आकर बैठी हुई थी। फिर माउस हाथ में लेकर काम करने लगी। फिर उसकी चूचियाँ मेरे हाथ से रगड़ खाने लगी और थोड़ी चूचियाँ भी दिखने लगीं, जो उस समय ब्रा के अंदर थीं। कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ खींच लिया।
वो हँस-हँस कर बात भी कर रही थी और काम भी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो जानबूझ के कर रही थी या अनजाने में। कुछ देर बाद उसने अपना दूसरा हाथ मेरी जाँघों पर रख दिया, एकदम लंड के पास। मैंने जीन्स पहन रखी थी, इसलिए देखने में साफ़ मालूम चल रहा था कि मेरा लंड पूरा खड़ा है। उसकी हाथों की गर्माहट से हाल और बुरा हो गया था।
थोड़ी देर तक तो मैंने कण्ट्रोल किया, पर एकदम से अचानक मेरा हाथ उसके कन्धों पर चला गया और कंधे पर से उसकी पीठ पर आ गया। अब मैं कभी उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स पर हाथ फेर रहा था, तो कभी पूरे पीठ पर, उसे भी मजा आने लगा था।
मैंने उस से पूछा- समझ आ गया न रुबीना?
उसने कहा- सर रुबीना नहीं, आप मुझे अकेले में रूबी बुलाया कीजिये।
मैंने कहा- ठीक है रूबी !
इतने में समय हो गया बाहर से और लड़कियों की आवाज आई- रूबी चल.. समय हो गया !
रूबी के पास मेरी मेल आईडी तो थी ही। शाम को उसका संदेश आया ऑनलाइन आने के लिए। मैं ऑनलाइन आ गया। काफी देर बात की.. फिर वो ऑफलाइन हो गई। रात को 11 बजे वो फिर ऑनलाइन आई।
बातों-बातों में वह पूछने लगी- क्या आपकी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
मैंने ‘नहीं’ बोल दिया, मैंने भी उस से पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
वो हँसने लगी और कहने लगी- सर लड़कियों का बॉय-फ्रेंड होता है, गर्ल-फ्रेंड थोड़े होती है।
मैंने कहा- अच्छा..! क्या पता लड़की अगर समलिंगी हुई तो..!
उसने पूछा- समलिंगी मतलब क्या?
मैं सोचने लगा कि इसे अब क्या बोलूँ..!
मैंने कहा- जब लड़का-लड़के से और लड़की-लड़की से अपनी शरीर की जरूरतें पूरी करते हैं, उसे समलिंगी कहते हैं।
उसने पूछा- शरीर की जरुरत मतलब ! कैसी जरुरत !
तो मैंने कह दिया, “अभी तुम बच्ची हो सो जाओ। और फिर मैं भी सिस्टम बन्द करके सो गया।
अगले दिन उसके आने के समय पर बारिश होने लगी थी। सब बारिश होने का संकेत देख कर जल्दी ही चले गए.. बारिश शुरू हो गई।
मैंने देखा कि रूबी आ रही है। उसकी स्कूल यूनीफॉर्म की सफ़ेद कमीज़ बारिश से गीली हो गई थी और उसकी काली और पीले रंग की रंगीन ब्रा के दोनों कटोरे दिख रहे थे।
मैंने उससे कहा- अरे रुबीना इतनी तेज बारिश में आना क्या जरूरी था?
उसने कुछ कहा नहीं, बस मुस्कुरा दी.. फिर कहा- हाँ जरूरी तो था, कल के कुछ सवाल थे.. उनका जवाब चाहिए।
मैं भी समझ गया कि इसको कौन से सवाल के जवाब सता रहे हैं। उसने पहले अपना बैग रखा फिर टाई खोली और बाथरूम में चली गई। जब बाहर आई तो उसकी स्कर्ट थोड़ी और ऊपर थी और कमीज के दो बटन खुले थे और कमीज स्कर्ट से बाहर निकाल ली थी।
मैंने उसे काम बता दिया फिर मैं अपने केबिन में चला आया। मुझे पता था कि आज भी जरूर आएगी। अभी कुछ ही देर हुए थे कि वो आवाज लगाते हुए आ गई- सर…!
और आकर मेरे बगल में कल जैसे ही बैठ गई और पूछने लगी।
मैंने भी उसे बता दिया। इसके बाद उसने थोड़ा सा टेबल और आगे किया और मेरे पास आ गई फिर माउस पकड़ के वहीं काम करके देखने लगी और उसकी चूचियाँ फिर मेरे हाथ से रगड़ खाने लगी।
मैंने भी हाथ को घुमा लिया जिस से मेरे हाथों में उसकी चूचियाँ आ गई। उसने बाथरूम में जाकर ब्रा भी उतार दी थी। मैं उसके छोटे-छोटे चूचों को हल्के-हल्के दबाने लगा। वो बस माउस को हाथों में पकड़े हुए थी और आँखें बंद थीं, हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी।
मेरा लंड भी एकदम खड़ा हो चुका था।
अब रूबी ने माउस से हाथ हटा कर मेरी जाँघों पर हाथ रख दिया था, जिससे उसका हाथ मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से छू रहा था। मैं अब उसकी चूचियों को थोड़ा तेज-तेज दबाने लगा था। वो पूरी मस्ती में मदहोश सी हो गई थी। धीरे-धीरे उसने हाथ बढ़ाना शुरू किया और मेरे लंड पर हाथ रख दिया और हल्के-हल्के दबाने लगी।
मैंने उसके चेहरे को उठाया और पहले गालों पर और फिर उसके होंठों पे होंठ रख दिए। वो भी मेरा पूरा-पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसके सर को पकड़ा हुआ था और वो एक हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी और दूसरे से मेरे लंड को सहला रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे।
फिर कुछ देर बाद मैंने एक हाथ नीचे लाया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा,कभी दाईं तो कभी बायीं।
फिर मैं उस से अलग हुआ और उसकी कमीज़ के सारे बटन खोल दिए। मैंने फिर से उसके होंठों पे होंठ रख दिए और उसके छोटे-छोटे अंगूरों को मसलने लगा। फिर मैंने उसे दीवार के सहारे टिका दिया और उसकी एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को हाथ से मसलने लगा। फिर दूसरी चूची को मुँह में भर लिया और पहली को मसलने लगा। वो बस सिसकारियाँ लिए जा रही थी।
इस वक्त वो इतनी तेज आवाज करने लगी थी कि अगर कंप्यूटर सेंटर का मालिक होता तो उसको सुनाई पड़ जाती। खैर उसकी चूचियाँ चूसते-चूसते मैंने एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया, जिससे उसकी आवाज कम हो गई। कुछ देर बाद उसे समझ आ गया कि मैंने उसके मुँह में हाथ क्यों रखा है तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और आवाज करना कम कर दिया।
उसके बाद मैंने उसको अपनी कुर्सी पर बिठा दिया और स्कर्ट उठा कर उसकी रंगीन पैन्टी एक साइड की, जिससे उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसमे मैंने जीभ लगा दी और चाटने लगा। वो पूरी गीली हो चुकी थी। उसने मेरा सर पकड़ रखा था और अपनी चूत की तरफ खींच रही थी, जैसे मेरा पूरा सर अपनी चूत में डाल देना चाहती हो।
मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में एक उंगली भी अंदर कर दी, जिससे यह पता लग गया कि वो कुंवारी तो है नहीं। कुछ देर ऐसे ही एक उंगली अंदर-बाहर करता रहा। फिर कुछ देर में दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी, वो भी आराम से चली गई। मैं साथ में जीभ से उसकी चूत को चाट भी रहा था। उसके मजे की सीमा ना रही।
फिर मैं खड़ा हुआ और चैन खोल कर अपना लंड निकाल दिया और उसका सर पकड़ के अपने लंड की ओर बढ़ाया, वो भी इशारा समझ गई और मेरा लंड ‘गप्प’ से मुँह में ले लिया। आधा लंड मुँह में लेकर अंदर-बाहर कर रही थी। फिर कुछ देर बाद लंड को मुँह से बाहर निकाल कर ऊपर से नीचे तक चाटने लगी। वो लौड़ा चूसने के साथ-साथ मेरे अन्डकोशों को भी सहलाने लगी, तो कभी लौड़ा छोड़ कर आँडों भी चाटने लग जाती।
जब मेरा लंड एकदम टाइट हो गया तो मैंने उसे खड़ा किया और खुद कुर्सी पर बैठ गया और उसकी स्कर्ट उठा कर पैन्टी वैसे ही साइड में करके, उसकी चूत पर अपना लंड सैट किया और उसे धीरे-धीरे बिठाने लगा। वो भी साथ देते हुए धीरे-धीरे बैठने लगी।
कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड रूबी अपनी चूत में डलवा चुकी थी। फिर वो हल्के-हल्के उछल रही थी। मैंने हाथ को आगे ले जाकर कभी उसकी चूचियाँ पकड़ कर मसल रहा था, तो कभी उसकी निप्पल को खींचता।
हम दोनों को 10 मिनट हो गए थे। रूबी आराम-आराम से कूद रही थी।
मैंने उससे कहा- जरा तेज उछलो न !
ये सब करते हुए मैंने पहले बार उस से कुछ बोल था। वो बिना कुछ बोले तेज-तेज कूदने लगी तो मैंने उसकी कमर पकड़ ली…5 मिनट बाद उसके मुँह से ‘आआअह… आआह्ह्ह… मर गई… आआस…स्स… स्स्स्स्स… आआ…आअह्ह्ह… या… अल्लाह… आअह्हह्ह… अम्मी… निकल रहा था और वो झड़ गई…
पर मेरा नहीं हुआ था।
मैंने उसे खड़ा किया और वो केबिन के प्लाई पर हाथ रख कर खड़ी हो गई। मेरा लंड उसकी चूत में अभी भी था, जिसे मैं सीधे धक्के देने लगा और दो मिनट बाद ही मैंने उसकी कमर तेज पकड़ ली। तेज स्पीड में ट्रेन चलाने लगा। फिर मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। हम दोनों तेज तेज साँसें ले रहे थे। मैं उसे ऐसे ही लिए कुर्सी पर बैठ गया।
फिर कुछ देर बाद वो खड़ी हुई और बाथरूम में जाकर कपड़े ठीक करके आ गई। मैंने भी लंड को अंदर किया और अपने को ठीक किया। वो आकर फिर मेरे बगल में बैठ गई।
कुछ देर में रूबी का जाने का समय हो गया और जाते-जाते वो बोल गई- देखा सर, मैं बच्ची नहीं हूँ।
मैं भी उसकी बातों पर मुस्कुरा दिया।
उसके बाद मैंने उसे कई बार वहीं पर उसकी चूची चूसता तो कभी होंठ चूसता तो कभी चूत में उंगली करता। वो भी मेरे लंड का ख्याल रखती थी, चूस-चूस कर, वहाँ पर चुदाई का दुबारा मौका नहीं मिला, इसलिए उसे 2-3 बार उसके घर पर चोदा था।
मेरे से पहले वो एक अपने चाचा से चुदवा चुकी थी और एक स्कूल के लड़के से भी अपनी खाज मिटवा चुकी थी, इसलिए उसकी सील टूटी हुई थी। उसकी चूत ने 6 महीने से लंड नहीं लिया था, इसलिए वो तड़प रही थी और मेरे लंड पर आकर बैठ गई।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको यह घटना।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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