Friday, April 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI ससुराल की पहली होली-1

FUN-MAZA-MASTI

 ससुराल की पहली होली-1

 "ओह भाभी प्लीज,…"

" क्या कह रही है तू ,…स्क्विज ,…ओ के " और ये कह के मैंने उसके टॉप फाड़ते किशोर उभारो को और जोर से दबा दिया। उसके खड़े निपल्स को भी मैंने पुल करना शुरू कर दिया।

" नहीं भाभी , छोड़िये न ," बड़ी शोख अदा और नाज से छुड़ाने की कोशिश करते उस किशोरी ने कहा।
और मैंने दूसरे जोबन को भी दबाना शुरू कर दिया और उसे चिढ़ाते हुए छेड़ने लगी ,

" अरी , अभी तो ऊपर से दबा रही हूँ। कल होली के दिन तो खोल के रगुंगी , रगड़ूंगी , मसलूँगी और अगर तुम्हारा मन करे न तो तुम्हारे उसे ' दिन में भैया और रात में सैयां ' वाले भाई से भी दबवा , मसलवा दूंगी। "

लाज से उसके गाल टेसू हो गए।



और जैसे ही मैंने उसे छोड़ा , एक पड़ोसन चालु हो गयीं ,
" अरे ननद रानी ये जवानी के हॉर्न , दबाने के लिए ही तो हैं। "

ये होली के पहले कि शाम थी , और हम लोग अपनी ननद मीता को छेड़ रहे थे।


वह ग्यारहवें में पढ़ती थी और उम्र का अंदाजा आप लगा लें। खूब लम्बी , सुरु के पेड़ कि तरह छरहरी , उभरते हुए टेनिस के गेंद कि साइज के उभार , और मचलते , छलकते , बलखाते नितम्ब , चोटियां लम्बी सीधे नितम्ब के दरारों तक पहुंचती … खूब गोरी , दूध में दो चार बूँद गुलाबी रंग के डाल दें बस वैसा रंग , भरे हुए गाल ,…

लेकिन शर्मीली कुछ ज्यादा ही थी।

ननद भाभियो में जो गालियां चलती हैं , बस वो चिढ जाती थी यहाँ तक की जीजा साली के खुले मजाक में भी। पिछली होली में उसके जीजा ने रंग लगाने के बहाने जब उसके जीजा ने फ्राक के अंदर हाथ दाल के उसके बड़े टिकोरे ऐसे जोबन दबा दिए , तो वो एकदम उछल गयी।


लेकिन मैंने तय कर लिया था की इस होली में इसकी सारी लाज शरम उतार के उसे होली का असली मजा दिलवाउंगी। आखिर एकलौती भाभी हूँ उसकी।

शादी के बाद ये मेरी दूसरी होली थी लेकिन ससुराल में पहली।

पिछली होली तो मेरे मायके में हुयी जब ये आये थे और क्या नहीं हुआ था वहाँ। रंग के साथ मेरी बहन रीमा को 'इन्होने ' अपनी मोटी पिचकारी का स्वाद भी चखाया। और सिर्फ रीमा ही नहीं , उसकी सहेलियों को भी। कोई नहीं बचीं। यहाँ तक की मेरी भाभी भी , अपनी सलहज को तो उन्होंने आगे और पीछे दोनों ओर का मजा दिया। और भाभी ने भी उनकी जबरदस्त रगड़ाई की थी।


लेकिन ये होली पूरी तरह मेरी होनी थी ससुराल में देवर ननदों के साथ रंग खेलने की , मजे लेने की।


और ननद के नाम पे यही मीता थी , इनकी ममेरी बहन , लेकिन सगी से भी ज्यादा नजदीक।


और देवर के नाम पे मीता का एक भाई रवी।

मेरी जिठानी , नीरा मुझसे दो चार साल ही बड़ी थी और हर मजाक में मेरा हाथ बटाती। और इस बार होली में साथ देने के लिए उनके गाँव की जो बनारस में ही था , वहाँ से उनकी भाभी भी आयी थी , चमेली भाभी। बिना गाली वाले मजाक के तो वो बोल नहीं सकती। कसी हुयी देह , खूब भरी भरे नितम्ब और गद्दर जोबन। ।और जब गारी गातीं तो किसी की भी पैंट , शलवार उतार देतीं।

जैसे मीता , मेरी नन्द शर्मीली थी वैसे ही मेरा देवर रवी। हम लोग तो कहते भी थे "

"तेरा पैंट खोल के चेक करना पड़ेगा देवर है कि ननद। … "

खूब गोरा , एकदम नमकीन और बात बात पे शर्माता , मीता से दो साल बड़ा था , उन्नीस का ,अभी बी एस सी में था।

उपफ मैंने अपने बारे में तो बताया नहीं। 

 जब मेरी शादी हुयी थी आज से डेढ़ दो साल पहले तो मैं रवी की उम्र कि थी , उन्नीस लगा ही था।

मैं छरहरी तो हूँ लेकिन दुबली पतली न हूँ न रही हूँ खास तौर पे खास जगहो पे।
मैं नवी दसवी में थी तभी , जब मेरे सहेलियों के टिकोरे थे मेरे उभार पूरे स्कूल में ,…

गोरी , भरे भरे गाल , रूप ऐसा जो दर्पण में ना समाये और जोबन ऐसा जो चोली में न समाये

और पतली कमर पे ३५ साइज के हिप्स भी खूब भरे भरे लगते ,

और राजीव तो मेरे उभारो के दीवाने , सबके सामने भी हिप्स पिंच कर लेते

" थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी " वाले ख्याल के थे वो , और मैं कौन होती उनको मना करने वाली।

२० दिन के हनीमून में उन्होंने पूरी सेंचुरी लगायी थी , मुख मिलन छोड़ के , और उनका ये जोश अभी भी जारी थी।


उपफ मैं भी न बजाय कहानी सुनाने के अपनी ही ले बैठी। चलिए तो तो अब ससुराल में अपनी पहली होली कि बात आगे बढ़ाती हूँ।

जैसा मैं बता रही थी होली के पहले वाले शाम की बात ,

मेरी ननद मीता आयी थी और थोड़ी देर बाद रवी भी आ गया मेरा छोटा देवर।

मैं , मेरी जेठानी नीरा भाभी , और उनकी भाभी , चमेली भाभी गुझिया बना रहे थे।

रवी , एकदम चिकना , नमकीन , मुस्करा के मैंने अपनी जेठानी से कहा ,
" दीदी , कच्ची कली "
" कच्ची कली या कच्ची कला " अपनी हंसी रोकते हुए वो बोलीं।

लेकिन चमेली भाभी को तो रोकना मुश्किल था , वो बोलीं ,
" अरे ई गाँव में होते न तो रोज सुबह शाम कबहुँ गन्ने के खेत में कबहुँ अरहर के खेत में , लौंडेबाज , निहुरा के इसकी गांड बिना मारे छोड़ते नहीं। "

होली का असर तो मुझ पे भी था मैं बोली ,

' अरे भाभी , गाँव शहर में कौन फरक , कल होली में तो ई पकड़ में आएगा न बस सारी कसर पूरी कर देंगे। मार लेंगे इसकी हम तीनो मिल के। "
" एकदम कल इसकी गांड बचनी नहीं चाहिए " चमेली भाभी बोली और अबकी खुल के मेरी जेठानी ने भी उनका साथ दिया।

रवि , मेरे देवर की किस्मत वो हम लोगो की ओर आ गया और मुझसे पूछ बैठा ,

" भाभी कल होली के लिए कितना रंग लाऊं "
और चमेली भाभी ने छूटते ही जवाब दिया ,

" आधा किलो तो तुम्हारी बहन मीता के भोंसड़े में चला जाएगा और उतना ही तुम्हारी गांड में "

शर्मा के बिचारा गुलाबी हो गया।

दूसरा हमला मैंने किया , इक वेसिलीन कि बड़ी सी शीशी उसे पकड़ाई और समझाया ,

" देवर जी ये अपनी बहन को दे दीजियेगा , बोलियेगा ठीक से अंदर तक लगा लेगी और बाकी आप लगा लेना , पिछवाड़े। फिर डलवाने में दर्द कल होली में थोडा कम होगा "

बिचारे रवी ने थोड़ी हिम्मत की और जवाब देने की कोशिश की

" भाभी डालूंगा तो मैं , डलवाने का काम तो आप लोगों का है "

और अबकी जवाब मेरी जेठानी ने दिया ,
" लाला , वो तो कल ही पता चलेगा , कौन डलवाता है और कौन डालता है। "

मैंने उसके गोरे चिकने गालों पे जोर से चिकोटी काटी और बोली ,
" देवर जी , कल सुबह ठीक आठ बजे , अगर तुम चाहते हो मेरे इन सलोने चिकने गालों पे सबसे पहले तुम्हारा हाथ पड़े "

" एकदम भाभी बल्कि उसके पहले ही आपका देवर हाजिर हो जाएगा। "

वो गया और हम देर तक खिलखिलाती रहीं।


 राजीव ,"मेरे वो "रात को सोने जल्दी चले गए।

होली के पहले की रात , बहुत काम था।

गुझिया , समोसे , दहीबड़े ( ये कहने की बात नहीं की आधे से ज्यादा भांग से लैस थे ) और ज्यादातर खाना भी। अगला दिन तो होली के हुडदंग में ही निकलना था।

नीरा भाभी , मेरी जिठानी और चमेली भाभी ने कड़ाही की कालिख अपने दोनों हाथों में पोत ली , अच्छी तरह रगड़ के और दबे पाँव राजीव के कमरे में गयी. वो अंटागफिल गहरी नींद में सो रहे थे ।

आराम से उनकी दोनों भाभियों ने उनके गाल पे कड़ाही की कालिख अच्छी तरह रगड़ी। नीरा भाभी ने फिर अपने माथे से अपनी बड़ी सी लाल बिंदी निकाली और राजीव के माथे पे लगा दी। वो चुटकी भर सिंदूर भी लायी थीं और उससे उन्होंने अपने देवर की मांग भी अच्छी तरह भर दी। चमेली भाभी तो उनसे भी दो हाथ आगे थीं , उन्होंने राजीव का शार्ट थोडा सरकाया और उनके उस थोड़े सोये थोड़े जागे कामदेव के तीर पे , रंग पोत दिया। मैं पीछे खड़ी मुस्करा रही थी।


और जब वो दोनों बाहर गयीं तो मेरा मौका था।


 पहले तो मैंने अपने कपडे उतारे।

राजीव ने तो सिर्फ शार्ट पहन रखा था। मैंने उसे भी सरका के अलग कर दिया। और अब मेरे। रसीले होंठ सीधे उनके लिंग पे थे। थोड़े ही देर चूसने के बाद लिंग एकदम तन्ना गया। मेरी जुबान उनके कड़े चर्मदंड पे फिसल रही थी. कितना कड़ा था।

मेरे रसीले गुलाबी होंठ उनके खूब बड़े पहाड़ी आलू ऐसे मोटे कड़े सुपाड़े को चाट रहे थे , चूम रहे थे चूस रहे थे। बीच बीच में मेरी जीभ की नोक उनके सुपाड़े के पी होल के छेद में सुरसुरी कर देती थी। अब वो पूरी तरह जग गए थे।


 मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और मेरा एक हाथ अब मेरे पति के बॉल्स को मादक ढंग से सहला रहा था दबा रहा था। यही नहीं , मेरी तर्जनी का नेल पालिश लगा लम्बा नाख़ून , बॉल्स से उनके पिछवाड़े के छेद तक स्क्रैच कर रहा था। और जब मैंने नाख़ून राजीव के पिछवाड़े के छेद पे लगाया , तो बस उनकी हालत खराब हो गयी।

वो मचल रहे थे , उछल रहे थे अपने हिप्स जोर जोर से पटक रहे थे। और हिप्स उठा उठा के अपना बित्ते भर लम्बा , मोटा मूसल , मेरे संकरे गले में ठूंस रहे थे।


मेरी भी हालत खराब थी। पूरा लंड हलक तक मेरे अंदर था। मेरे गाल फूले हुए थे ,आँखे बाहर निकल रही थीं। लेकिन मैं रुकी नहीं और पूरे जोर के साथ चूसती रही , चाटती रही. उनका लिंग फड़क रहा था और जब मैंने अपने जुबान पे प्री कम की कुछ बूंदो का स्वाद महसूस किया तभी मैं रुकी।

 मैंने धीमे धीमे उनका लिंग बाहर निकाला , आलमोस्ट सुपाड़े तक , लेकिन सुपाड़ा अभी भी मेरे मुंह के अंदर था।

कुछ देर रुक के मैंने उसे फिर चुभलाना चूसना शुरू कर दिया।

और अबकी मेरी शरारती उंगलियां और नटखट हो गयीं। कभी वो राजीव के बॉल्स को सहलाती , कभी हलके से तो कभी जोर दबा देतीं और फिर वो पिछवाड़े के छेद पे पहुँच। उंगली का टिप हलके हलके गोल गोल चक्कर कट रहा था कभी गुदा द्वार को दबा रहा था , नाख़ून से स्क्रैच कर रहा था।

राजीव उचक रहे थे , चूतड़ उठा रहे थे , लेकिन अब बिना रुके मैं जोर जोर से लंड चूस रही थी। मेरी जीभ लंड को नीचे से चाट रही थी , सहला रही थी। दोनों होंठ चर्मदण्ड से रगड़ रहे थे और गाल वैक्यूम क्लीनर से भी तेज चूस रहे थे। राजीव झड़ने के कगार पे थे।

लेकिन अबकी मैं नहीं रुकी और चूसने, की रफ्तार बढ़ा दी और साथ ही मेरी उंगली का जो टिप उनके पिछवाड़े , दबा रहा था , सहला रहा था , मैंने पूरे जोर के साथ टिप अंदर घुसा दी।

जिस तेजी से उन्होंने झड़ना शुरू किया मैं बता नहीं सकती। लेकिन मैं पिछवाड़े घुसी ऊँगली के टिप को गोल गोल घुमाती रही। हमेशा , मैं उनकी गाढ़ी थक्केदार मलायी घोंट लेती थी , लेकिन इस बार मैंने उनके लिंग कि सारी मलायी एक कुल्हड़ में गिरा दी। लेकिन मैं इतने पे ही नहीं रुकी। मैंने लंड के बेस को फिर से दबाया , बॉल्स को भींचा , और एक बार फिर लंड से गाढ़ी मलायी की पिचकारी फूट पड़ी। वो निकलता ही रहा , निकलता ही रहा और पूरा बड़ा सा कुल्हड़ भर गया।

और अब जब मैं उनके पास गयी उन्होंने मुझे कस के अपने चौड़े सीने पे भींच लिया।


 उनकी प्यार भरी उंगलियां मेरी पान सी चिकनी पीठ सहला रही थीं। 

 और कुछ ही देर में उनके भूखे नदीदे होंठो ने मेरे मस्ती से पागल कड़े निपल्स को गपुच कर लिया और जोर जोर से चूसने लगे। उनके होंठो का दबाव मैं अपने उभारों पे महसूस कर रही थी , और दांतों की चुभन भी। उनके दांतो के निशान के हार मेरे निपल्स के चारों ओर पड गए।



और साथ ही उनकी जीभ , कभी मेरे कड़े तने निपल्स को सहलाती , लिक करती नीचे से ऊपर तक। जोबन का रस लेना किसी को सीखना हो तो राजीव से सीखे। मस्ती से मेरी आँखे मुंदी पड रही थीं। 

मेरे हाथ अब राजीव के हिप्स को सहलाने लगे , दबोचने लगे। और मेरी प्रेम गली अब उनके कामदण्ड को दबा रही थी।

थोड़ी देर में उनका लिंग फिर तन्ना के उठ खड़ा हुआ।


अब राजीव से भी नहीं रहा गया और उन्होें मेरी गोरी गुलाबी केले के तने ऐसी चिकनी जांघो को पूरी तरह फैला दिया और वो मेरे ऊपर आ गए। चौदहवीं के चाँद की चांदनी पूरे कमरे में बिखरी पड़ रही थी। बाहर से फाग और कबीर गाने की आवाजें आ रही थी

अरे नकबेसर कागा लै भागा मोरा सैयां अभागा ना जागा।

लेकिन मेरा सैयां जग गया था , और उसका काम दंड भी। उ


न्होंने अपने खूब तन्नाये , बौराये लिंग को मेरे क्लिट पे रगड़ना शुरू कर दिया और उनका एक हाथ अब निपल्स को कभी फ्लिक करता तो कभी पुल करता। एक हाथ निपल्स और जोबन पे और दूसरा मेरे क्लिट पे , मैं पागल हो रही थी चूतड़ पटक रही थी। लेकिन वो तो यही चाहते थे।




थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे दोनों निचले होंठो को फैला के अपना सुपाड़ा , उसमे सेट कर दिया और साथ में दो उँगलियों से क्लिट को रोटेट करने लगे।

मैं बावरी हो गयी , नीचे से चूतड़ उठा उठा के कोशिश करने लगी कि वो लंड अंदर पेल दें। लेकिन वो मुझे तड़पा रहे थे , आखिर हार के मैं बोल ही पड़ी

" चोद दो मेरी चूत , डाल दो अपना मोटा लंड मेरे राजा , पेलो न प्लीज , चोदो न ," 


 और राजीव यही तो सुनना चाह रहे थे। और अब पागलों की तरह उन्होंने मेरी चुदाई शुरू कर दी। एक झटके में ही बित्ते भर का लंड मेरी कसी चूत के अंदर था। जैसे कोई धुनिया रुई धुनें बस उसी तरह , और मैं भी चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थी।

लेकिन राजीव का मन इतनी आसानी से भरने वाला कहाँ था। थोड़ी देर में उन्होंने मुझे कुतिया बना दिया , उनका फेवरिट आसन , और अब तो धक्को की ताकत और बढ़ गयी। उनके बॉल्स सीधे मेरे चूतड़ो से टकराते। और साथ में ही उनके हाथ पूरी ताकत से मेरे बूब्स निचोड़ रहे थे।



 कुछ देर में फिर उन्होंने पोज बदला और अब हम आमने सामने थे। चुदाई की रफ्तार थोड़ी मन्द पड़ गयी , लेकिन वो बिना रुके चोदते रहे।

मैं थक कर चूर हो गयी , पसीने से नहा गयी लेकिन राजीव का लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होता रहा। और फिर वो झड़े तो , झड़ते ही रहे , झड़ते ही रहे। साथ मैं मैं भी।

मैंने अपनी टांग उनके ऊपर कर ली। उनका लिंग मेरे अंदर ही था। और हम दोनों कब सो गए पता नहीं चला।
सोते समय उनके दोनों हाथ मेरे उभार पे थे , मेरी टांग उनके ऊपर और लिंग मेरी बुर में।

भोर के पहले पता नहीं कब हम दोनों की नींद खुली और कब चुदाई फिर से चालु हो गयी पता नहीं।

मैंने हलके हलके पहले कमर हिलायी , फिर चूत में उनके लंड को निचोड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने धक्को कि रफ्तार बढ़ायी , और अबकी जबी वो झड़ने वाले थे तो मैंने उनका लंड निकाल के सीधे कुल्हड़ के ऊपर किया और सारी मलायी कुल्हड़ में।

" ये क्या कर रही हो " मुस्करा के उन्होंने पुछा।

" एक स्पेशल रेसिपी के लिए " मैं भी मुस्करा के बोली।


सोने के पहले मैंने उन्हें एक ग्लास दूध दिया , रोज की तरह। लेकिन एक फर्क ये था की आज उसमें एक सिडेटिव था। और कुछ ही देर में उनकी अाँख लग गयी। तीन बार झड़ने के बाद वो थोड़े थक भी गए थे।

और जब मैं श्योर हो गयी की वो गाढ़े नींद में सो गए हैं , तो मैं हलके से उठी और बेड शीट को भी सरका दिया। और उनके कपड़ो के साथ ही उसे भी हटा दिया। अब वहाँ कुछ भी नहीं था जिससे अपने को वो ढक सकते। मैंने अपनी ब्रा और पैंटी उनके पास रख दी और साथ में मेरी लिपस्टिक से लिखा एक नोट भी रख दिया ,

" होली के लिए आपकी ख़ास ड्रेस "

दरवाजा मैंने बाहर से बंद कर दिया। .





हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator