Monday, April 28, 2014

बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--16

FUN-MAZA-MASTI

  बदनाम रिश्ते--राजन के कारनामे--16


 दलान पर पहुंचकर जैसे ही मै मेहमानखाने का दरवाजा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया ..... अन्दर से आती अजीब घुटी घुटी आवाज ने मुझे रोक दिया ....मैंने खिड़की की तरफ देखा ......खिड़की का निचला हिस्सा बंद था ...ऊपर वाला हिस्सा हल्का खुला था ......


जरुर कोई गड़बड़ था वरना इतनी गर्मी में भला कोई कैसे खिड़की- दरवाजा बंद करके रह सकता है ....मै इधर उधर नजर दौराई.... बाहर चिलचिलाती धुप में सन्नाटा पसरा था ....मै सावधानीपूर्वक खिड़की से कान लगाकर सुनने लगी ....


धीरे धीरे अन्दर की मद्धम आवाज अब स्पष्ट सुनाई दे रही थी .....


आह ....मामाजी ....बहुत ....मजा ...आ ...रहा ...है ........ऐसे ही ......चूसते ....रहिए....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...........


मेरी चूत फड़कने लगी .....


अन्दर पक्का चुदाई चल रही थी


ये क्या हो रहा है ?.....अन्दर कौन , किसको चोद रहा है ??.......मेरी उत्सुकता चरम पर थी .....


अब तो अन्दर देखना ही पडेगा .....खिड़की का उपरी हिस्सा मेरी पहुँच से ऊपर था .......मै बाहर पड़ी कुर्सी को आहिस्ते से खिड़की तक उठाकर रखी और उसपर चढ़कर खुले हिस्से से अन्दर झांकी .....जो देखा वो स्तब्ध करने वाला था .....


खिड़की से अन्दर की चौकी का साइड दिख रहा था ..... सुखिया बुआ की बेटी रीना, जो मुझसे केवल छह महीने ही बड़ी थी ....नीचे से बिलकुल नंगी लेटी थी और मेरे पापा रीना की फ्रॉक को ऊपर कर उसपर झुके हुए उसके मौसम्मी को चूस रहे थे और बाए हाथ से उसकी चूत सहला रहे थे ......



पापा लुंगी और बनियान में थे ....शुक्र था की उनकी पीठ खिड़की की तरफ था ......


ओह्ह....ओह्ह......ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............रीना की सिसकी पुरे कमरे में फ़ैल रही थी


कुतिया ......मैंने मन ही मन उसे गाली दी .....मेरे पापा से चुदवा रही है .....जैसी चुदैल इसकी माँ है ..हरामजादी बेटी तो उससे भी बड़ी छिनाल निकली ....


तभी पापा ने अपनी ऊँगली उसके चूत में पेल दिया और जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगे .....


इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स..................हरामजादी की सिसकियाँ तेज हो रही थी


मामाजी !.................


उंह .........................


अब ..चोदिये ...मुझे ....


पापा अब खड़े हो गए .....

उन्होंने अपनी बनियान निकाल दी और लुंगी खोलकर फेंक दिया .........उनका लंबा... तना हुआ लिंग रीना की कमसिन जवानी को चुनौती देता हुआ उसके चेहरे के सामने लहरा रहा था ..जिसका भरपूर आकार मुझे भी दिख रहा था .....


मेरी मुनिया गीली होने लगी .....मेरे हाथ स्वमेव ही घाघरे के नीचे चली गयी ....मैंने अपनी चड्डी साइड में खिसकाकर अपनी मुनिया को सहलाने लगी .....



रीना ....अब घूम जा .....आज तेरी पीछे से लूँगा ....


हरामजादी फ़टाफ़ट पलटकर कुतिया बनकर अपनी पुंछ उठा दी



पापा खड़े खड़े अपना लिंग उसकी चूत से रगड़ने लगे .....फिर हुमचकर एक झटके में पेल दिया .........


आउच.................कुतिया और मेरी मिश्रित सिसकी एक साथ निकली ....अंतर ये था की कुतिया की कराहट पुरे कमरे में गूंजी , वहीँ मेरी घुटी घुटी ..मुझ तक ही सिमटी हुई रह गयी ....



पापा आहिस्ते आहिस्ते अपना लिंग कुतिया के अन्दर इंच इंच घुसा रहे थे .........और मुझे लग रहा था की वो मेरे अन्दर सरक रहा है ....वस्तुतः मेरी उंगलियाँ मुनिया की गहराइयाँ नाप रही थी ....मेरी हथेली अपने ही रस से सन गयी .......मै कांप कर अकड़ने लगी ....मैंने घाघरे से अच्छी तरह अपनी मुनिया को पोछा और फिर अन्दर देखने लगी ....



पापा अब तेजी से कुतिया को पेल रहे थे .......हरामजादी भी मजे में आँखे बंद किये मादक दांग से कराह रही थी ....


मै स्पर्धा में जल रही थी .....अगर पापा अपनी बेटी की उम्र की भांजी को पेल सकते है तो मुझे क्यूँ नहीं ?..........जरुर पेलेंगे .....अब इस कुतिया को और आनंद अपने पापा से नहीं लेने दूंगी .......उसपर मेरा अधिकार है .....



पापा !........मै जोर से चिल्लाई


दोनों सकते में आ गए .....और चौककर खिड़की की तरफ देखा


पापा ...आप रीना को मार क्यों रहे है .......और आपलोग नंगे क्यों है ? मै फिर चिल्लाई ....


दोनों हडबडाकर अलग हुए .....रीना तुरंत उठकर खड़ी हो गयी ...लम्बी फ्रॉक ने तुरंत उसके नंगेपन को ढक लिया ......


पापा काफी डर गए थे ..उन्हें लगा कि अगर मुझे तुरंत चुप नहीं कराया तो अभी ही पूरा गाँव इक्कट्ठा हो जाएगा ....


पापा ने भी तुरंत झुककर अपनी लुंगी उठाई और अपने कमर में लपेटते हुए नरम स्वर में बोले ......बेटा ! वहां क्या कर रहे हो अन्दर आ जाओ ....और फिर धीरे से दरवाजा खोल दिया ...


इससे पहले कि मै अन्दर आती ......कुतिया छलांगे मारती बाहर भाग गयी |


पापा काफी डर गए थे ..उन्हें लगा कि अगर मुझे तुरंत चुप नहीं कराया तो अभी ही पूरा गाँव इक्कट्ठा हो जाएगा ....


पापा ने भी तुरंत झुककर अपनी लुंगी उठाई और अपने कमर में लपेटते हुए नरम स्वर में बोले ......बेटा ! वहां क्या कर रहे हो अन्दर आ जाओ ....और फिर धीरे से दरवाजा खोल दिया ...


इससे पहले कि मै अन्दर आती ......कुतिया छलांगे मारती बाहर भाग गयी |


अपनी सनसनाती चूत लेकर मै अन्दर चली गयी ....


पापा अबतक चौकी पर बैठ चुके थे |


बेटा ! आप कैसे आये ?.......पापा मुझे पुचकारते हुए बोले ..............जरुर बिटिया को कोई काम होगा .....


हाँ, काम तो था ..................मै थोडा झिझकी


बेधरक बोलो बेटा .............प्यार से मीठे अंदाज में पापा बोले ..........बोलो आपको क्या चाहिए ?


( मन तो हुआ बोल दूँ कि मेरी मुनिया को आपका लम्बा खम्भा चाहिए )


पापा मुझे कुछ पैसे चाहिए ....मुझे नए कपडे बनवाने है


बोलो बेटा ! .............कितना चाहिए ?


दो सौ रूपये .....


बस इतना ही ...............ये कहते हुए पापा ने अपने हैण्ड बैग से सौ सौ के पांच नोट निकालकर मुझे पकडाते हुए बोले .......सोनी बेटा ! बढ़िया कपडे बनवाना ...


मै खुशी से लपककर पैसे ले लिए .......मै अच्छी तरह समझ रही थी कि अतिरिक्त तीन सौ रूपये मुझे किस बात के मिले हैं ........मैंने जो अभी अभी फिल्म देखी थी , उसे अपने तक ही सीमित रखने का उनकी तरफ से मूक समझौता था .......


लेकिन इस समय मुझे पैसो से ज्यादा अपनी मुनिया के लिए पापा के मूसल की जरुरत थी ........


इसलिए मै भोली और मासूम ( जो सेक्स ज्ञान से बिलकुल अनजान हो ) बनते हुए पापा को अपनी बातो से घेरने लगी .........

लेकिन पापा.... एक बात मुझे समझ नहीं आयी कि रीना ने क्या गलती की है जो आप उसे नंगी करके पीट रहे थे ...बेचारी कितनी सिसक सिसक कर रो रही थी ........



क्या करोगी जानकार ?......पापा कसमसाये..........सोनी बेटा ! आप तो समझदार हो .....दूसरो की कुछ गलतियां बताई नहीं जाती ...



लेकिन मम्मी को तो बताना पडेगा ....आजकल वो हर बात में मुझे टोकती रहती ....ऐसा मत कर ..वैसा मत कर ...यहाँ मत जा ...वहां मत जा ............वैसे ही रीना को भी मम्मी उसकी गलती पर समझाएगी न ....नहीं मानेगी तो बुआ को बता देगी ....आप हमेशा थोड़े ही रहोगे उसे नंगी करके पीटने के लिए....



नहीं रीना बेटा ! .......पापा खौफ से उछल पड़े .....मम्मी को तो बिलकुल मत बताना .....उससे उसे कोई फायदा नहीं होगा


आप मुझे बताइये .....मै पापा को और घेरते हुए बोली .....अगर मम्मी को बताने वाली बात नहीं होगी ....तो मै नहीं बताउंगी


( पापा फिर कसमसाये ......वो असमंजस में थे ....फिर उन्हें लगा कि शायद वो मुझे झूठ-मुठ समझाकर बहला सकते है क्योंकि अभी सेक्स के बारे में मै अनजान हूँ )



देखो बेटा .....रीना ने कोई गलती नहीं की है .......दरअसल उसे एक समस्या है ..........पापा थोड़ा रुके .......समस्या क्या...... एक बिमारी है .....उसने जब अपनी बिमारी के बारे में मुझे बताया तो मुझे लगा की मै उसे ठीक कर सकता हूँ .......मै तो उसका इलाज कर रहा था .....


ओह हो ....मै अब समझी ..................मै अपने सर को सहमती में हिलाते हुए बोली मानो मुझे सब समझ में आ गया हो ....आप उसे नंगी करके पीछे से इंजेक्शन दे रहे थे , जैसा डॉक्टर लोग करते हैं ......और साथ में पीट भी रहे थे , जैसे झाड-फूंक वाले ओझा करते हैं .....



हाँ...हाँ.........पापा चहकते हुए बोले ( उन्हें बिना सोंचे ही एक्सक्यूज मिल गया था )......बिलकुल सही पकड़ा आपने सोनी बेटा .......आप इतनी समझदार हो गयी हो मैंने सोंचा भी न था ........पूरी बात सुने बिना आपने कैसे सारी बाते बिलकुल सही पकड़ लिया ...शाबाश !



आखिर बेटी भी तो आपकी ही हूँ .........मै झूठ-मुठ गर्व से अपना सीना तानकर उनके सामने उभारते हुए बोली .....( मन ही मन सोंच रही थी की देखिये कितने बड़े हो गए है ...)


पापा मेरे सर पे हाथ फेरते हुए बोले .....शाबाश
 
 


 वैसे रीना को हुआ क्या है , पापा ?............



बात बनाने की ख़ुशी से उद्दत पापा को झटका लगा .......वो थोडा गुस्सा होते हुए बोले ....क्या करेगी जानकार ?....हर बात जानना जरुरी है ?? अब जाओ यहाँ से ......



आप तो डांटने लगे पापा ....जाती हूँ ...लेकिन मम्मी को जरुर बताउंगी की मैंने रीना की बिमारी के बारे में पापा से पूछा तो वो मुझे डांट रहे थे ...



तुम समझती क्यूँ नहीं हो, सोनी बेटा ........अब मै आपको कैसे समझाऊं ?........पापा ढीले पड़ते हुए बोले



मुझे बताने में क्या हर्ज है .....मै तो आपकी बेटी हूँ



अपने हथियार डालते हुए पापा ने कहा .......देखो बेटा .....लडको के दाढ़ी -मूंछे आती है ..लड़कियों को नहीं ....अगर लड़कियों को बाल आते है तो तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए ....रीना को थोड़े थोड़े बाल आ गए है ......



अरे नहीं पापा ....दिन भर तो रीना मेरे साथ ही रहती है , उसकी दाढ़ी मूंछे कहाँ आयी है .......आप झूठ बोल रहे हो



नहीं बेटा ....मै झूठ क्यों बोलूंगा ......रीना को मुंह में नहीं ....नीचे ....कमर के नीचे और जांघो के ऊपर बाल आ गए है ...उसने मुझे खुद दिखाया .......चूँकि मै इलाज जानता था , इसलिए मै उसका इलाज कर रहा था



( पापा चूत के बालों की बात कर रहे थे ..पर 'चूत ' शब्द मेरे सामने बोलने से कतरा रहे थे .....मै मन ही मन सोंच रही थी की पापा मुझे कितना वेवकूफ समझ रहे है कि चूत के बाल को बिमारी बताकर मुझे टरका रहे है .....अब समय आ गया था कि पापा को सही लाइन पर लाया जाय )



मै समझ गयी पापा , रीना को सु-सु वाली जगह पर बाल आया होगा .......रीना ने ठीक ही किया कि मम्मी या बुआ को न बताकर आपको बताया .....आपने कम से कम इलाज तो कर दिया ......वर्ना, उनसे तो डांट ही पड़नी थी .....मै जानती हूँ .....क्योंकि मै खुद भी मम्मी से डांट खा चुकी हूँ ......



और एक झटके में अपनी कच्छी समेत घाघरा को खींचकर घुटनों के नीचे सरकाकर अपनी नंगी चूत पापा के सामने उचकाती हुई बोली..................


...........ये देखिये पापा .......मेरे इस पर भी बाल आ गए है .......मेरा भी इलाज कर दीजिये न ......


पापा एकदम सकते में आ गए ........


मै इतनी तेजी से और अचानक उनके सामने नंगी हुई थी कि उन्हें बात को घुमाने का मौक़ा ही नहीं मिला ......कुछ पल तो वो किंकर्तव्यविमूढ़ मेरी सनसनाई चूत को अपलक निहारते रहे ....फिर दूसरी तरफ अपना मुँह फेर लिया ........फिर धम्म से चौकी के किनारे बैठकर नीचे जमीन में देखने लगे .......



मै नंगी ही आगे बढ़ी .....और पापा के पास चौकी पर बैठ गयी ..........आप मेरा इलाज करेंगे न ?



बेटा ....मै कैसे आपका इलाज कर सकता हूँ ?..........पापा दूसरी तरफ देखते हुए लहरों में डूबती आवाज में कहा


क्यों नहीं कर सकते .......आप दूसरों का इलाज कर सकते है तो अपनी बेटी का क्यों नहीं ?..........अच्छा अब समझी ....आप मुझे पीटकर रुलाना नहीं चाहते ........पापा,आप बिलकुल मत घबराइये .....इलाज के लिए जैसे मर्जी मारिये ....


कहते हुए मै उनके पास लेट गयी और अपनी टाँगे फैला कर अपनी उभरी चूत के बालों को सहलाते हुए बोली ......आप ढंग से इलाज करेंगे तभी तो ये सारे निगोड़ी बाल ख़त्म होंगे ......



जांघो से ऊपर का हिस्सा चौकी पर था , नीचे का बाकी हिस्सा चौकी के किनारे से नीचे लटक रहा था



मेरी नजर पापा की पीठ पर थी .......बगल की नंगी चूत से निकलती आग की आंच अब पापा को महसूस होने लगा था ......अब वो थोडा थोडा अपनी नजरे तिरछी कर मेरी मुनिया को निहार लेते , फिर सामने देखने लगते .....



मै बेकरार होने लगी ...जी तो कर रहा था कि पापा को अपने ऊपर खींच लूँ और बोलूं कि क्यूँ तरपा रहे हो अपनी लाडली बेटी को ...चोद चोद कर फाड़ दो मेरी बूर...............लेकिन वस्तुतः मै ऐसा नहीं कर सकती थी .......



मैंने अपनी चूत सहलाते हुए कहा .......पापा ......करो न मेरा इलाज ...देर क्यों कर रहे है ....देखिये न ये निगोड़ी बाल चुभती भी है


ये कहते हुए मैंने अपनी हथेली को जोर से रगडा ......मेरी बूर का एक फांक काफी दूर तक हथेली से खींच गया .........मुझे पापा कि लम्बी सांस लेने कि आवाज सुनाई दी



पापा अभी भी मेरी चूत सीधे नहीं देखकर तिरछी नजरों से ही देख रहे थे ......मै जानती थी अब उनको मेरे साथ सेक्स करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था लेकिन , जबतक वो सीधी नजर से मेरी ओर नहीं देखेंगे तबतक मुझे चोदने की हिम्मत नहीं जुटा पायेंगे ..............


.इधर मेरी मुनिया गीली होने लगी थी ........तब मैंने एक चाल चली ......








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