Friday, April 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI ससुराल की पहली होली-6

FUN-MAZA-MASTI

 ससुराल की पहली होली-6

 फिर हम लोग नहा धो के फ्रेश हुए , होली का रंग तो एक दिन में छूटने वाला नहीं था।

खाना खाते समय मैने अपनी जेठानी से पुछा ,

" क्यों भाभी , होली हो ली। "


" अभी कहाँ , शाम की होली तो और जबरदस्त होगी। और अभी तो इनका मस्त माल , हमारी छिनार ननद मीता शाम को आएगी। जम के लेनी है उसकी। "

फिर मेरी जेठानी ने राजीव को छेड़ा ,

" क्यों देवर तो होली में उद्घाटन करवा दूँ , आपसे। आखिर कोई न कोई तो लेगा ही। "

वो बिचारे झेंप के रह गए।

थोड़ी देर की नींद के बाद मैं शाम को उठी।

और थोड़ी देर में हमारी ननद और इनकी मस्त माल कम ममेरी बहन , मीता आयी।


 मस्त खूब टाइट चिपका , सारे उभार कटाव दिखाता पीला टॉप , छोटी सी काली स्कर्ट ,

मक्खन सी चिकनी गोरी गोरी जांघ दिखाती , ललचाती। काली कजरारी बड़ी बड़ी सी आँखे , गोरे गुलाबी भरे भरे गाल , रसीले होंठ , और सबसे बढ़कर टाइट टॉप में मुश्किल से बंद , टेनिस बॉल्स के साइज के किशोर बूब्स जिसमें सिर्फ उभार और कटाव ही नहीं दिख रहा था , बल्कि निपल्स भी हलके हलके दिख रहे थे।


चेहरे पे एक भोलापन लेकिन साथ में आँखों में एक निमंत्रण ,…और देह पे आती हुयी जवानी के सारे निशान ,


 मैंने उसे जोर से से अपनी बाँहों में भींच लिया और अपनी बड़ी 36 डी साइज जोबन से उसके छोटे छोटे किशोर उभारों को दबाने , रगड़ने लगी, और छेड़ा ,

" रास्ते में कुछ छैले मिल गए थे क्या ननद रानी , जो इतना टाइम लग गया। "


" अरे हमारी ननद को देख के तो इसके मोहल्ले के गदहों का लंड खड़ा हो जाता है , तो बिचारे छैलों कि बात ही क्या है "
चमेली भाभी ने चिढ़ाया।

मेरा एक हाथ उसकी पीठ पे ब्रा स्ट्रैप को सहला , हलके से खीच रहा था और उसके कंधे पे हाथ रख के मैंने उसे ऊपर छत पे बेडरूम में सीधे ले गयी , और समझाया

" सुन यार नीचे अभी थोड़ी भीड़ है , वो कालोनी की ,… तो जरा मैं उनको निपटा के आती हूँ। तब तक तुम जरा ,....'

" एकदम भाभी , मैं कहीं जाने वाली नहीं हूँ। हाँ मैंने सूना है सुबह होली में आप लोगों ने खूब कपडे फाड़े सबके " मुझे बांहो में ले , वो किशोर सुनयना , मुस्करा के बोली।

चमेली भाभी को तो मौका चाहिए था , उन्होंने उसके गाल पे पिंच कर के कहा ,

" अरे ननद रानी , उनके तो कपडे ही फाड़े थे , आपका देखिये क्या क्या फटता है "

" भाभी , आप भी न , अरे ये बिचारी तो आयी ही डलवाने है। पहले जरा ननद रानी को कुछ खिलाइये , पिलाइये , फिर डालने डलवाने का काम तो होता ही रहेगा। " मैंने चमेली भाभी को बोला। 

 कुछ ही देर में , मेरा इशारा समझ के चमेली भाभी , गुझिया की प्लेट और ठंडाई का ग्लास ले आयीं। ये कहने की जरूरत नहीं की दोनों में भांग की डबल डोज पड़ी थी।

मैंने एक गुझिया अपने हाथ से उसके मुंह में डाला और बोला , " ये ठंडाई भी पी ले साथ में सट से गटक जायेगी। "

चमेली भाभी नीचे पडोसिनो को सम्हालने चली गयी थीं।

बिस्तर पे कुछ मस्तराम की किताबें पड़ी थी, सचित्र। मीता की निगाहें बार बार वहीँ जा रही थीं।

मैंने उसे उठा के एक किताब दे दिया और बोली " असल में तुम्हारे भैया की ये फेवरिट किताबे हैं , हम साथ साथ पढ़ते है और प्रैक्टिस भी करते है। अब तू भी बड़ी हो गयी है ले पढ़। "

किताब खोलते ही जो उसने पढना शुरू किया , उसके आँखों की चमक बता रही थी की क्या असर हो रहा है।

मैंने टीवी भी खोल दिया , उसमें पहले से ही एक ब्ल्यू फ़िल्म की सीडी लगी हुयी थी।

"तू य किताबे पढ़ , टी वी देख बस मैं १० मिनट में उन सब को निपटा के आती हूँ " मैंने बोला।

तब तक फ़िल्म शुरू हो गयी। एक जोड़ा चुम्मा चुम्मी कर रहा था। फिर लड़की के होंठ धीरे धीरे नीचे आये और पहले तो उसने बल्ज को होंठो से रगड़ा , और जिपर खोल दिया। स्प्रिंग कि तरह बड़ा लम्बा और मोटा लंड झटके से बाहर निकल आया। मीता की आँखे टी वी स्क्रीन पे चिपकी थीं।

लड़की ने पहले तो एक हाथ में पकड़ के लंड को आगे पीछे किया और फिर अपने होंठो के जोर से सुपाड़ा खोल दिया।


क्या मस्त मोटा सुपाड़ा था , मुश्किल से के मुंह में घुस पाया। लेकिन वो सपड़ सपड़ उसे चाटे चूसे जा रही थी।

तभी एक और लड़की आयी और उसने पहली वाली की स्कर्ट उठा के उसकी गुलाबी चूत चूसनी शुरू कर दी। यहाँ तक की उसकी चूत की दोनों फांको को फैला के अपनी जुबान अंदर घुसेड़ दी और जीभ से ही चोदने लगी।

मैं कनखियों से मीता पर उसका असर देख रही थी। उसके किशोर उरोज और पथरा रहे थे। अब टॉप से उस के कबूतरों की चोंचें झाँकने लगी थी। मेरी सेक्सी ननद की साँसे भी लम्बी हो रही थी।

वो हलके से बोली , " भाभी ".

मैं उठी और उससे कहा ,

" अरे अभी तो फ़िल्म शुरू हुयी है है। , तू ये गुझिया भी ख़तम कर दे तो मैं प्लेट ले जाऊं। निगाहें उसकी अभीः भी टीवी पर थीं , चेहरे से मस्ती झलक रही थी। बिना कुछ सोचे उसने गुझिया उठा के खा ली और मैं प्लेट ले के बाहर निकल आयी। मैंने बाहर से दरवाजा न सिर्फ बंद किया बल्कि बोल्ट भी कर दिया।

दो गुझिया और ठंडाई यानी स्ट्रांग भांग की तीन बड़ी बड़ी गोलियां अंदर , और साथ में मस्तराम और ब्ल्यू फ़िल्म में , दस मिनट में ननद रानी की चुन्मुनिया में चींटे रहे होंगे , मैंने सोचा।  

 कुछ देर बात करके पडोसिनो को मैंने टरकाया। राजीव , मेरी जेठानी के साथ कुछ यहाँ होली मिलने जा रहे थे। उनके जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया।

चमेली भाभी ऊपर चलने के लिए बेताब थीं लेकिन मैंने उन्हें रोका और बोली ,

" अरे , जरा ननद रानी पे भांग ठीक से चढ़ तो जाने दीजिये। "

हँसते हुए वो बोली," ठीक कह रही है , उस के बाद हम लोग चढ़ेंगे। "


 दस क्या पंद्रह मिनट के बाद हम लोग धड़धड़ाते हुए ऊपर चढ़े और चमेली भाभी के हाथ में स्पेशल गुलाल की एक प्लेट थी ( अंदर गाढ़े रंग और ऊपर पतली परत गुलाल की )

मैंने धीरे से दरवाजा खोला।


मीता की हालत खराब थी।


हलकी गुलाबी आँखे बता रही थीं , भांग का असर पूरा चढ़ चूका है। उसकी आँखे टीवी पे चिपकी थीं ,
जहाँ एक लड़की पे दो दो चढ़े थे ,एक का मोटा लंड इंजन के पिस्टन की तरह चूत में आगे पीछे हो रहा था। और दूसरा सटासट , गांड मार रहा था।

मेरी ननद की काली छोटी सी स्कर्ट आलमोस्ट पूरा ऊपर तक उठी थी और उसकी उँगलियाँ जाँघों के बीच थी।

"घबड़ाइए मत ननद रानी आपको भी एक साथ दो दो मिलेंगे ऐसे ही मोटे लम्बे। "


मैंने चिढ़ाया , और मेरी आवाज सुन के वो झटके से खड़ी हो गयी।


चमेली भाभी ने गुलाल की प्लेट टेबल पे रखी और मेरी ननद के छोटे छोटे उभारों को ललचायी निगाह से देखते , उन्होंने छेड़ा ,

" क्यों ननद रानी , पहले डालोगी , की डलवाओगी। "

" अरे भाभी , ये छोटी है पहले इसका हक़ बनता है। " मैं मीता, अपनी किशोर ननद की ओर से बोली।

और हिम्मत कर के एक चुटकी गुलाल , उस ने उठाया , और चमेली भाभी के गालों पे लगा दिया।

जब उसने हाथ उठाये , तो साइड से टाइट टॉप से , उसके किशोर उरोजों का उभार और साफ झलक रहा था और जानमारू लग रहा था।

फिर थोडा गुलाल , उसने मेरे गालों पे भी मला।

उन किशोर गदोरियों के गाल पे स्पर्श से ही मेरा शरीर दहक उठा। मेरी निगाहें उसके उठते उभारों को सहला रही थी।

अब बारी , हम भाभियों की थी। मैंने चुटकी में गुलाल लिया और सीधे उसकी मांग में , फिर मीता के रसीले गालो पे , जिसपे , सारे शहर के छैले दीवाने थे , काटते बोली ,

" ननद रानी , सिंदूर दान तो हो गया। अब सुहाग रात भी हो जाय। "

लाज से उसके गालों पे कितने पलाश खिल उठे। 

और उसके कुछ बोलने से पहले ही ढेर सारा गुलाल अपने हाथों में ले के मैंने उसके गुलाब से गाल पे , रगड़ने , मसलने लगी।

" अरे ननद रानी , जब छैलन से ई गाल मसलवइबू , रगड़वइबू , तब जवानी का मजा मिले असली। " चमेली भाभी ने छेड़ा। 


वो बार बार अपने हाथों से मेरे हाथों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। पर हम दो थे और वो भी खाये।

चमेली भाभी ने उसके दोनों हाथ पकड़ के उसकी पीठ के पीछे , मोड़ दिये। अब उसकी दोनों कलाइयां , चमेली भाभी के कब्जे में थी।

मेरे पास खुला मौका था। उसके उड़ने के लिए बेताब कबूतरों को टॉप के ऊपर से सहलाते , हलके से छेड़ते , मैंने चिढ़ाया ,

" ननद रानी , कब तक इन्हे छिपा के रखोगी। " और आराम से टॉप के बटन खोल दिए।

वो कसमसाती रही , मचलती रही , लेकिन चमेली भाभी की सँड़सी ऐसी पकड़ से आज तक कोई ननद निकल पायी है क्या ,जो वही निकलती।


और अब मैंने फिर एक मुट्ठी गुलाल उठाया और मेरे हाथ सीधे मीता मेरी ननद के टॉप के अंदर थे। मैं पहले तो हलके हलके छू रही थी , सहला रही थी , फिर मैंने जोर से रुई के फाहो की तरह , बस आ रहे , उन मुलायम उरोजों को पकड़ के दबाना , मसलना शुरू कर दिया। 


" क्या मस्त जोबन आये हैं ननद रानी तेरे , जिन छैलों को मिलेगा , रगड़ मसल के मस्त हो जायेंगे " मैंने उसे छेड़ा।

चमेली भाभी क्यों पीछे रहतीं। ऐसे नयी बछेड़ी की दोनों कलाइयां पकड़ने के लिए उनका एक हाथ बहुत था। और अब उनका दूसरा हाथ खाली हो गया। पीछे से मीता के टॉप के अंदर हाथ ड़ाल के उसकी टीन ब्रा के हुक उन्होंने खोल दिए।
 
 
 
 


 बस फड़फाते हुए कबूतर कैद से बाहर हो गए और मुझे और मौका मिल गया। अब मैं खुल के अपनी ननद के दनो जोबन मसल , रगड़ रही थी।

वो सिसक रही थी , मचल रही थी।

तब तक चमेली भाभी ने ढेर सारा गुलाल लेके टॉप को अच्छी तरह खोल के ऊपर से डाल दिया।

मेरे तो मजे हो गए।

गुलाल की नयी सप्लाई के साथ , मेरे हाथ दूने तेजी से मेरी ननद मीता के उभारों को रगड़ने मसलने लगे। गोरे , दूधिया कबूतरों के पंख , लाल , गुलाबी , हरे हो गए। और तभी मैंने जोर से उसके निपल रगड़े और चिढ़ाया ,

" अरे ननद रानी , अब जरा खुल के हार्न बजवाना शुरू करो। कब तक बिचारे छैलों को ललचाती रहोगी , अरे ये तो हैं ही दबवाने , मसलवाने , रगड़वाने के लिए। "

मैंने जोर से निपल पिंच किया तो सिसकियों के साथ चीख भी निकल गयी और वो बोली ,

" भाभी , प्लीज। "
गोल गोल निपल को रोल करती मैं बोली

" अरे मेरी प्यारी ननदिया , तेरे भैया तो इससे दूने जोर से मसलते हैं , ऐसे " फिर जैसे चक्की चले मेरी दोनों हथेलियां , उसके जोबन को मसल रगड़ रही थीं बिना रुके फूल स्पीड से।


 " उयीईईईईईई ओह्ह्ह , आह्ह्ह , ओह्ह्ह , नहींईईईईईई भाभी। " मस्ती से उसकी हालत खराब हो रही थी।

" अरे अभी तो ये मेरे हाथ हैं , ही एक दिन तेरे दिन में भैया , रात में सैयां से मसलवाऊंगी तेरे जोबन , तब असली मजा आएगा। " मैंने छेड़ा।

उधर चमेली भाभी ने पीछे से मीता का स्कर्ट उठा दिया था और उसके छोटे छोटे चूतड़ पे गुलाल मसल रही थीं। लगे हाथ चमेली भाभी की एक उंगली पिछवाड़े से पैंटी के अंदर घुस गयी और उन्होंने छेड़ा ,

" अरे नन्द रानी , जब ये मस्त चूतड़ मटका के चलती होगी तो छैलों की तो जान ही निकल जाती होगी।


इस दुहरे हमले से बिचारी की हालत खराब हो गयी।

और मैंने मीता की उठती चूंचियों को और जोर से से दबाना शुरू किया , और वो चिंचियाने लगी ,

" भाभी , छोडो न लगता है। "

जवाब में मैंने निपल की घुन्डियाँ और जोर से दबोचीं। मस्ती और दर्द दोनों से वो जोर से सिसकी और बोली ,

" भाभी , प्लीज छोडो न "

" क्या छोडूं , मेरी बांकी हिरनिया , एक बार अपने मुंह से दे बोल दे छोड़ दूंगी , जानु। " मैंने प्यार से उसे उभार दबाते हुए कहा।

छाती , सीना , ब्रेस्ट , जोबन वो सब बोल चुकी लेकिन जब तक उसने चूंची नहीं कहा , मैं उसके प्यारे प्यारे तने खड़े , निपल पिंच करती रही।


लेकिन चमेली भाभी इतनी आसानी से थोड़ी छोड़ने वाली थीं।

उन्होंने जोर से उसके चूतड़ दबोचते कहा ,

" जोर से बोल न मैंने नहीं सूना "

और खूब जोर जोर से मीता से हम दोनों ने चूंची बुलवाया।

और फिर इन गदराई टीन बूब्स का मजा , चमेली भाभी ने भी लेना शुरू कर दिया लेकिन अपनी स्टाइल से।
 



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