Friday, April 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI ससुराल की पहली होली-7

FUN-MAZA-MASTI

 ससुराल की पहली होली-7

 उन्होंने उसका टॉप पीछे से उठाया और मैंने आगे से , चमेली भाभी ने मीता की टीनेजर ब्रा निकाल कर, पलंग पे फ़ेंक दी। और टॉप उठा था ही , बस पीछे से मर्द की तरह जोर जोर से उसकी अब खुली हुयी चूंची दबा रही थीं।




मीता की पैंटी भी उन्होंने खींच के उतार दी थी और उसे भी ब्रा के पास , पलंग पे फ़ेंक दी थी।

मैंने भी एक नया मोर्चा खोल दिया था। नीचे की ओर।

मेरी हथेली अब दोनों जांघो के बीच थी और थोड़ी ही देर में सीधे उसकी गुलाबी परी पर।



बोर्डिंग से लेकर यूनिवर्सिटी तक लड़कियां मेरी उँगलियों की कायल थी , तो बिचारी ये कच्ची कली,… 

और कुछ ही देर में मेरी हथेलियों ने मसल मसल कर , रगड़ रगड़ कर उसकी बुलबुल को पागल बना दिया।

और जब उँगलियों की हरकत चालु हुयी , बहुत कसी थी कुँवारी कली लेकिन मेरी अनुभवी उंगली, …तर्जनी की टिप्स घुस ही गयी और जैसे ही वो गोल गोल घूमने लगी , थोड़ी देर में रस मलायी का रस निकलने लगा और वो बिचारी बोली ,
" भाभी , निकाल लो न। प्लीज , निकाल लो ना "

बस यही तो मैं चाहती थी। फिर मैंने वही बात पूछी ,

" अरे कहाँ से निकाल लूँ ननद रानी "


थोड़ी देर तक तो वो ना नुकुर करती रही लेकिन जब अंगूठे ने क्लिट को रगड़ना शुरू किया तो वो चिं बोल गयी।

पहले तो वो योनि , फिर वैजायना ,

लेकिन जब तक उसने चूत नहीं बोला। मैंने ऊँगली बाहर नहीं की , वो भी पांच बार जोर जोर से।

उसके बाद तो एक बार धड़क खुल गयी तो गांड , लंड , चुदाई सब उससे बुलवाया ही और कसम भी खिलायी की अब आगे से हम सब के साथ इसी तरह बोलेगी।



लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी , उसकी रगड़ाई की।


चमेली भाभी ने ऊपर का मोर्चा सम्हाला और मैंने नीचे का। 

क्या गौने की रात दुल्हन की रगड़ाई होती होगी , जैसे उसकी हुयी। चमेली भाभी , कभी उसके निपल खींचती , कभी फ्लिक करतीं , कभी दो उँगलियों में ले के रोल करतीं तो कभी. पिंच करती।


जितने खेली खायी औरतों ने न लिए होंगे वो चमेली भाभी ने उस नयी बछेड़ी को दिए और साथ में मैं नीचे।


अब मेरी तर्जनी का एक पोर अच्छी तरह उसकी रामपियारी में घुस चूका था। बस। मैं जोर जोर से गोल घुमाती , कभी उंगली मोड़ के उसके नकल ( kncukle ) से चूत की अंदुरनी दीवाल रगड़ती और साथ में अंगूठा , क्लिट को सहला , दबा रहा था।

वो बार बार झड़ने के कगार पे पहुंचती , और हम रुक जाते और थोड़ी देर में फिर , चमेली भाभी ने उससे सब कुछ कबूलवा लिया की उसकी चूत को लंड चाहिए , वो बहुत चुदवासी है , छिनार है।
 



 वो कुछ भी बोलने के लिए तैयार थी , बस हम उसे झाड़ दें।


तब तक नीचे घर में कुछ आवाजाही सुनायी दी। मुझे लगा की मेरी जेठानी और ' ये ' लौट आये हैं


 फिर मुझे याद आया की मैं एक चीज तो भूल गई गयी , वो कुल्हड़ , 'स्पेशल डिश ' जो मैंने ननद जी के लिए बनायी थी। मैंने चमेली भाभी को इशारा किया और अब नीचे का मोर्चा ही उनके हवाले था।



मैं वो कुल्हड़ निकाल के ले आयी ( जी हाँ , वही , जिसमें मैंने उनकी रात में दो बार गाढ़ी मलायी इकट्ठी की थी ).



उधर चमेली भाभी को भी लग गया था की राजीव लौट आये हैं और उन्होने चूत मंथन की रफ्तार बढ़ा दी।


 " मीता देख , तेरे लिए स्पेशल , रबड़ी गुलाब जामुन मैंने रखा है , मुंह खोल "

मैंने ननद से बोला।

और कुल्हड़ में 'उनके रस ' में ड़ूबे , दो गुलाब जामुन में से एक उसके मुंह में , और उसने गड़प कर लिया।

तब सीढ़ियों पे पैरों की आवाज सुनायी पड़ी और मैंने कुल्हड़ उसे पकड़ा दिया , और बोला बड़ी स्पेशल रबड़ी है एक बूँद भी बचनी नहीं चाहिए।


जी भाभी वो बोली

और फिर बस एक नदीदी की तरह उसने पहले तो गुलाब जामुन और फिर कुल्हड़ उठा के सीधे होंठो से लगा लिया और सब गड़प। फिर जीभ कुल्हड़ में डालके बचा खुचा वो चाट गयी।

मैं चमेली भाभी के साथ अपनी कुँवारी ननद की चूत सेवा में लगी थी , चमेली भाभी की मोटी ऊँगली तूफान मेल की तरह मीता की चूत में अंदर बाहर हो रही थी और मैं साथ में क्लिट को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया। 

 मीता बहुत जोर से झड़ने लगी। वो तेजी से सिसक रही थी , चूतड़ आगे पीछे कर रही थी , चूंचिया उसकी पत्थर हो रही थीं और निपल कांच के कंचे की तरह गोल और कड़क।




तभी दरवाजे पे खट खट हुयी और इनकी आवाज सुनायी पड़ी।

लेकिन चमेली भाभी की ननद की बिल में ऊँगली तेजी से आती जाती रही , औ फिर से मेरी छोटी ननद झड़ने लगी।

उसकी चूत एकदम रस से गीली हो गयी थी , चमक रही थी। 


मैं दरवाजा खोलने गयी और मीता को इशारा किया , ब्रा पैंटी फिर से पहनने का समय तो था नहीं , बस उसने झट से अपनी टॉप और स्कर्ट नीचे कर ली।
,
अंदर घुसते ही उनकी नजर मीता पे पड़ी , बल्कि सच कहूं तो बिना ब्रा के टॉप फाड़ती , मीता की गुदाज गोलाइयों पे जो साफ साफ दिख रही थीं। यहाँ तक की कबूतर की चोंचे भी साफ नजर आ रही थी।

और हम सब ने उनकी निगाह पकड़ ली और मुस्कराने लगे।

बात बदलने के लिए उन्होंने चमेली भाभी की ओर देखा।

उनकी तर्जनी चमक रही थी और उसमें कुछ गाढ़े शीरे जैसा लगा था। वो चमेली भाभी से बोलेजाती ,

" क्यों कुछ खाया पिया जा रहा था क्या "
" हाँ देवर जी जबरदस्त रसमलाई , अब आप लेट हो गए तो चलिए चासनी चाट लीजिये "


और पिछले १० मिनट से मीता की चूत में आती जाती , उसकी रस से गीली अँगुली , उन्होंने राजीव के मुंह में डाल दी और राजीव नदीदों की तरह उसे जोर जोर से चूसने , चाटने लगे।


शर्म से मीता के गाल दहक उठे। उसे तो मालुम ही था की वो ऊँगली अभी क्या कर रही थी और उस में क्या लगा है।

उंगली निकाल के चमेली भाभी ने पुछा ,

" क्यों देवर जी मीठ था न "

"एकदम भौजी , " अपने होंठो पे लगी 'चासनी ' का रस चाटते वो बोले।


" अउर चाहिए तो सीधे , रस मलायी से ही ले लो " ये बोलते हुए चमेली भाभी ने मीता की स्कर्ट दोनों हाथों से उठा दी।

अबकी मेरी ननद मीता के दोनों हाथ मैंने पीछे से पकड़ रखे थे। पैटी तो हमारे बेड पे पड़ी थी।

होली की शाम उनको 'रस मलायी ' के दरशन हो गए , चिकनी , रस से लिपटी , गुलाबी।

और तभी उनकी निगाह खाली कुल्हड़ पे पड़ी और वो समझ गए , और खिसिया के वो चमेली भाभी के पीछे पड़े।  

" हम तो आपकी रस माधुरी का रस लेंगे " वो बोले।

इधर मीता ने हाथ छुड़ा कर कहा , भाभी मैं नीचे चलती हूँ।

जब तक मैं रोकूँ रोकूँ , वो हिरनी दरवाजे के पार।

और मैं उसके पीछे , सीढ़ियों पे भागती ,


कमरे में से इनकी आवाज सुनायी पड़ी ,


" भौजी , लगता है दुपहरिया को मन नहीं भरा "

" एकदम नहीं एक बार में मन भर जाय तो भौजी कौन ," चमेली भाभी कौन थी अपने देवर से।

और फिर मेरे कमरे के दरवाजे बंद होने की आवाज।

मैं मुस्करायी , इसका मतलब देवर भाभी की होली शुरू।


मैं पीछे रह गयी थी और मीता आखिरी सीढ़ी पे , लेकिन तभी मैं मुस्करायी , वो आलमोस्ट कैच हो गयी। मेरा कजिन संजय वहीँ खड़ा था।

मेरे मन में फिर 'कुल्हड़ ' वाली बात आयी और मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी। ये ट्रिक मेरे मायके में गांव् की एक भाभी ने बतायी थी ,

" लाली , होली के दिन कौनो कुँवारी के लंड की मलायी खिलाय दो तो शर्तिया , तीन दिन के अंदर उसका भरतपुर लूट जायेगा। और उसके बाद ओकरे चूत में अस चींटी काटी , की दिन रात चुदवासी रही उ , नंबरी छिनार बन जाई। और जेकर मलायी खायी ओसे तो शर्तिया चुदवाई "

"भाभी , ओहमे हमार कौन फायदा होई " मुस्कराकर मैंने भौजी से पुछा था।

" अरे कुवांरी चूत को मजा देवाय से बड़ा पुण्य का काम कौन है , और जो पुण्य का काम करिहे तो तो फायदा होगा ही। " वो बोलीं।

एक बात तय थी कि मेरी ननद और मेरे उनका तो फायदा होना तय था.

मेरी निगाह मेरी ननद मीता और कजिन संजय पे पड़ी दोनों में छेड़छाड़ शुरू हो गयी थी।
 
 


 संजय मीता से दो -तीन साल बड़ा होगा। और मेरी शादी के बाद से ही दोनों को में खूब जम क छनती थी।

मेरी शादी में मेरी बहनो ने मीता को सारी गालियां , संजय के साथ ( हमरे खेत में सरसों फुलाये , मीता साल्ली संजय से चुदवाये , हमरे भैया से चुदवाये ), लगा के दी और शादी के बाद मीता ने खुद जब वो चौथी में आया तो उसे सूद ब्याज के साथ गालियां सुना के सारी कसर पूरी की।

मीता उसे हमेशा साले कह के बुलाती थी , ( आखिर वो था भी तो उस के भाई का साला) और वो भी बजाय बुरा मानने के साथ उसी टोन में उसे जवाब देता था।

संजय को देख के मीता रुक गयी और बोली ,

" क्यों साल्ले , मन नहीं माना , आ गए अपनी बहन से होली खेलने। "


 " एकदम होली में मन कैसे मानता , लेकिन बहन नहीं बहन की ननद से होली खेलने " वो उसके ब्रा विहीन टॉप से झांकते बूब्स को घूरते , छेड़ कर बोला।

" अच्छा , बड़ी हिम्मत हो गयी है साल्ले की। पहले पकड़ो , फिर आगे देखा जाएगा " और ये कह के मीता भाग खड़ी हुयी , हिरणी की तरह।

आगे आगे वो , पीछे पीछे संजय।


बिना ब्रा के उसके उरोज कसे टॉप में लसर पसर कर रहे थे।

मैं देख रही थी दोनो का खेल।

दौड़ने में मीता भी बहुत तेज थी , लेकिन संजय भी कम नहीं था।

घर के कोने में बने एक बाथ रूम में मीता घुस गयी और अंदर से दरवाजा बंद करने की कोशिश में लगी थी की संजय भी अंदर घुस गया और दरवाजा उसने बंद कर लिया।

पीछे पीछे मैं, एक छोटा सा छेद था उससे अंदर का हालचाल देख रही थी , साथ में चौकीदारी भी कर रही थी , की कहीं कोई आ ना जाये , और मेरी ननद की मेरी मेरी भाई के साथ चल रही होली में बाधा न पड़े।
और उन दोनों कि होली शुरू हो गयी थी।


मीता खिलखला रही थी , चिढ़ा रही थी और संजय मेरा भाई उस के टॉप में हाथ डाल के उस के किशोर उभारों में पेंट लगा रहा था ,

" हे जा के अपनी बहन के सीने पे रंग लगा , साल्ले , उन का मुझ से बड़ा है " वो बोल रही थी।

" मुझे तो तेरा ही पसंद है , एक बार दिखा न " वो बोला और जब तक वो कुछ टोकती , उस ने टॉप भी उठा दिया।

( ब्रा , पैंटी तो हम पहले ही उतार चुके थे )


और मेरी ननद के छोटे छोटे गदराते , जोबन सामने थे। और जब तक वो रोकती , निपल संजय के मुंह में।
संजय का रंग लगा हाथ अब स्कर्ट के अंदर उसकी चिड़िया को रंग रहा था। 

तब तक कुछ खड़बड़ हुयी और मैंने आँख हटा लिया।

और बाथरूम के सामने जा के खड़ी होगयी।

कोई आ रहा था लेकिन मुझे देख के वापस चला गया। .


मैंने फिर छेद पे आँख लगा लिया।

मीता नखड़े दिखा रही थी , बार बार न न कर रही थी।

और संजय का औजार , पैंट से बाहर निकला हुआ था। मस्त मोटा , एकदम तना।
और उसने वही किया जो मेरे भाई को मेरे ननद के साथ करना चाहिए , जबरदस्ती।

थोड़ी देर तक तो उसने मीता के गुलाब के पंखुड़ी की तरह होंठों पे अपना सुपाड़ा रगड़ा , और फिर एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दुसरे हाथ से जोर से मीता के गोरे भरे भरे गाल दबाये , और चिड़िया की तरह मीता ने होंठ खोल दिए , और सटाक से सुपाड़ा अंदर।




थोड़ी ही देर में नखड़ा भूल के मजे से वो मेरे भाई के लंड को चूम चाट रही थी , जोर जोर से चूस रही थी।

और मेरे भाई ने भी उसका सर पकड़ के जोर जोर से उसका मुंह चोदना शुरू कर दिया। 

" तेरे भाई , को भी साल्ला न बनाया तो कहना " मुंह चोदते हुए सन्जय बोला 
" कैसे ," मीता से नहीं रहा गया , और पल भर के लिए लंड मुंह से बाहर निकाल के उसने पुछा।

" अरे जानु , उस साल्ले की बहन को हचक के चोदुंगा तो वो साल्ला, मेरा साल्ला होगा कि नहीं। "

मीता खिलखिला उठी जैसे चांदी की हजार घंटियाँ बज उठी हों और हंस के बोली " बना देना न " और फिर दुबारा लंड चूसने लगी।



जिस तरह संजय उसके मुंह में धक्के मार रहा था , लग रहा था बस अब वो झड़ने वाला है। और वही हुआ।
 
 
 
 



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