FUN-MAZA-MASTI
घर का बिजनिस --4
तो ऋतु वापिस चल पड़ी और मैं उसकी छोटी और मस्त गाण्ड को घूरने लगा जो कि अभी बहुत छोटी थी। ऋतु थोड़ी ही देर में खाना लेकर मेरे रूम में आ गई और मुझे खाना देकर चली गई और मैं खाना खाने लगा। खाने के बाद मैं फिर से लेट गया और बुआ का इंतेजार करने लगा, जो कि रात 10:00 बजे के बाद मेरे रूम में दूध का गिलास लेकर आ ही गईं।
मैंने दूध का गिलास पकड़ लिया और पी गया तो बुआ ने गिलास के साथ बाकी बर्तन भी रूम से उठा लिया और कहा- “मैं ये बर्तन रखकर आती हूँ…” और मेरे रूम से निकल गई।
बुआ के जाते ही रात में होने वाली चुदाई जो कि मैंने बुआ के साथ की थी, याद करते ही मेरा लण्ड पूरा हार्ड हो गया और मैं फौरन उठा और फिर से एक चादर बाँधकर अपने कपड़े उतार दिए। बुआ जब रूम में आई तो मुझे इस तरह चादर में लेटा देखकर मुश्कुरा दी।
और रूम का दरवाजा लाक करके और लाइट बंद करके मेरे पास बेड पे आकर लेट गई और बोली- आलोक, आज तू ने ये चादर क्यों बाँध रखी है?
मैंने कहा- “बुआ, मैं तो रोजाना ऐसे ही सोता हूँ, बस कल अपने कपड़े पहनकर सोया था…”
बुआ ने कहा- अच्छा तो ये बात है? और सुनाओ मेरे भतीजे का दिन कैसा गुजरा?
मैंने कहा- दिन बहुत ही अच्छा गुजरा है बुआ। लेकिन बुआ अगर मैं आपसे कुछ पूछूं तो मुझे सच बताओगी?
बुआ ने कहा- “हाँ पूछ, तेरे बापू और अम्मी ने भी कहा है कि तुझसे कुछ भी ना छुपाया जाये…”
मैं थोड़ा चुप रहा।
तो बुआ ने कहा- “अब क्या हुआ? आलोक, चुप क्यों हो गये हो तुम?
मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- “बुआ, क्या दीदी भी आपके और अम्मी की तरह ये काम करती हैं?
मतलब… जो आप कल भी कर रही थी और आज भी?
बुआ ने कहा- “नहीं आलोक, लेकिन तेरे बापू ने कहा है कि काम को बढ़ाना है और इसके लिए तुम्हारी दीदी को भी तैयार करना होगा। क्योंकि तेरी अम्मी के तो अब कोई इतने पैसे देता नहीं है…”
मैंने कहा- बुआ, क्या दीदी इस काम के लिए तैयार हो जायेगी?
बुआ ने कहा- देखो आलोक, अब अगर जानना ही चाहते हो तो सुनो… कि अब तुम्हें ये दुकान छोड़नी होगी और बाहर कोई मकान लेना होगा जहाँ हमें कोई ना जानता हो…”
मैंने कहा- लेकिन बुआ, ये तो हमारा अपना घर है हम इसे छोड़कर कहीं और मकान क्यों लेने लगे?
बुआ ने कहा- आलोक, हम अभी यहाँ ही रहेंगे। लेकिन क्योंकि यहाँ सब हमें जानते हैं और ये काम जो हम कर रहे हैं, इसकी वजह से यहाँ बदनामी भी हो सकती है। इसलिए तुम्हें किसी और इलाके में जहाँ जरा बड़े लोग रहते हों, कोई मकान किराया पे लेना होगा, जहाँ हमें कोई ना जानता हो ताकि जिसने भी काम पे जाना हो वहाँ जाये और बाद में अपने घर आ जाये…”
मैंने कहा- बुआ, आपका मतलब है कि अब मुझे आपकी और बाकी सबके जिश्म की कमाई खानी होगी?
बुआ ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों पे एक किस की और बोली- आलोक, जरा सोच की जब भी तेरा अपना दिल करे, तेरे पास अपनी अम्मी और मैं और तेरी बहनें भी हों और तेरा जिसके साथ दिल करे प्यार करे और हमें और लोगों के साथ सुलाकर पैसे भी कमाए जिससे हम सब ऐश करें…”
मैंने कहा- “बुआ, मैं अभी इस बारे आपको कोई जवाब नहीं दे सकता। लेकिन हाँ कल तक मैं आपको कोई जवाब दे सकूंगा…”
बुआ ने कहा- “ठीक है, जिस तरह तुम्हारी मर्ज़ी है सुबह बता देना और अब आ जा मेरे राजा… आज मैं तुझे प्यार की इंतहा दिखाऊँ और एक औरत का असली रूप भी… कहीं भाग तो नहीं जाओगे ना डरकर…” इतना बोलते ही बुआ ने मेरे लण्ड को अपनी मुट्टी में जकड़ लिया और सहलाने लगी। बुआ बड़े प्यार से मेरा लण्ड सहला रही थी और मेरी आँखों में देख रही थी कि तभी बुआ ने अपना हाथ मेरे लण्ड से हटाया और लण्ड को चादर से बाहर निकाल दिया।
लण्ड जैसे ही चादर से बाहर निकला बुआ मेरे लण्ड को देखने लगी और फिर अचानक बुआ ने अपने होंठ मेरे लण्ड पे रख दिए और एक किस कर दी। बुआ की इस हरकत से जहाँ में हैरान हुआ वहीं मजे से पागल भी हो उठा और बुआ के सर को अपने लण्ड की तरफ पुश करने लगा।
लेकिन बुआ ने लण्ड को मुँह में नहीं लिया और उसे ऐसे ही चूमने लगी और हाथ से सहलाने लगी। बुआ की इन हरकतों से मेरे मुँह से- आअह्ह… बुआ आह्ह ये क्या कर रही हो आप?
बुआ ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और अंदर-बाहर करने लगी बुआ के मुँह की गर्मी और गीलापन मुझे और भी मजा देने लगा तो मैंने बुआ के सर को अपने लण्ड पे जोर से दबा दिया जिससे मेरा लण्ड बुआ के मुँह में 3” के करीब घुस गया।
कुछ देर इस तरह मेरे लण्ड को चूसने के साथ मेरे टट्टों को भी हाथ से सहलाती रही और फिर मेरे लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। लण्ड का बुआ के मुँह से बाहर निकालना था कि मैं तड़प उठा और बुआ से कहा- क्या हुआ बुआ? बस क्यों कर दिया आपने?
बुआ ने कहा- क्यों यहीं पे पानी निकालने का इरादा है क्या? और कुछ नहीं करेगा मेरा बच्चा?
मैंने कहा- “लेकिन बुआ, इसमें मुझे ज्यादा मजा आ रहा था। प्लीज़्ज़ …कुछ देर और करो ना…”
बुआ ने कहा- “बाद में करेंगे…” और बेड से उठकर खड़ी हो गई और अपनी ड्रेस भी निकाल दी और बेड पे बैठ गई और बोली- “आलोक, अपनी चादर भी खोल दो…”
मैंने फौरन चादर निकाल दी तो बुआ बेड पे चिट लेट गई और अपनी टाँगों को भी थोड़ा खोल दिया जिससे मुझे बुआ की फुद्दी नजर आने लगी क्योंकि रूम में बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी। जैसे ही मेरी नजर बुआ की साफ और चिकनी फुद्दी पे गई मैं आगे हुआ और अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी पे टिकाने लगा।
तो बुआ ने मुझे रोक दिया और बोली- क्यों अपनी बुआ को मजा नहीं देगा क्या?
मैंने सवालिया नजरों से बुआ की तरफ देखा।
तो बुआ ने कहा- चल थोड़ा पीछे हो जा और मेरी फुद्दी को अपनी जुबान से सहला और इसे अच्छे से चाटकर मुझे मजा दे… वरना आज मैं तुझे फुद्दी नहीं दूँगी। क्या समझे?
मैंने बुआ की तरफ देखा और कहा- “नहीं बुआ, प्लीज़्ज़… ये मुझसे नहीं होगा… आप यहाँ से पेशाब भी तो करती हो ना और अभी मुझे जुबान से चाटने को बोल रही हो…”
बुआ ने कहा- क्यों तू अपने लण्ड से पेशाब नहीं करता क्या? मैंने तो उसे चाट लिया ना अब तू क्यों नखरा कर रहा है? बुआ ने इतना बोलते ही अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल दिया।
तो मैं भी हिम्मत करके बुआ की फुद्दी पे झुक गया और अपनी जुबान को बुआ की फुद्दी के साथ लगा दिया जिसमें से हल्का साल्टी सा पानी रिस रहा था।
मेरी जुबान जैसे ही बुआ की फुद्दी को लगी बुआ ने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी फुद्दी पे दबा दिया और सिसकी- उन्म्मह… आलोक… हाँ बेटा… चाट ले अपनी बुआ की फुद्दी को… आअह्ह…”
अब मुझे भी बुआ की फुद्दी चाटने में मजा आने लगा था और मैं अपनी जुबान को बुआ की फुद्दी के होंठों में घुमाता जा रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे बुआ और भी तड़प जाती। अभी मुझे कुछ ही देर हुई थी बुआ की फुद्दी को चाटते हुये कि बुआ ने अपने हाथों और टाँगों के बीच मेरे सर को दबाकर अपनी फुद्दी से लगा दिया।
और बोली- “आअह्ह… आलोक बेटा, मैं गई… उन्म्मह… और तेज चाटो… आलोक मेरा होने वाला है… खा जाओ अपनी बुआ की फुद्दी को…” इसेक साथ ही बुआ के जिश्म को झटके लगने लगे और बुआ की फुद्दी से गाढ़े और साल्टी टेस्ट के पानी का सैलाब सा निकल आया और मेरे मुँह पे फैल गया जो कि बुआ ने अपनी फुद्दी के साथ दबा रखा था।
बुआ फारिग़ होते ही निढाल सी हो गई और मुझे छोड़ दिया लेकिन मैंने अपना मुँह बुआ की फुद्दी से नहीं हटाया और बुआ की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। अब मैं उठा और बुआ की टाँगों को अपने दोनों तरफ करके बीच में बैठ गया और अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी के मुँह के साथ लगाकर सेट किया और बुआ की टाँगों को पकड़कर एक झटका दिया जिससे मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी को खोलता हुआ गहराई की तरफ घुस गया।
लण्ड घुसते ही बुआ ने अपनी आँखें खोल दीं और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी।
तो मैंने एक और जोर का झटका दिया जिससे मेरा पूरा लण्ड बुआ की फुद्दी में समा गया और बुआ के मुँह से स्स्सी की आवाज निकल गई। बुआ की फुद्दी उस वक़्त अंदर से बड़ी गरम हो रही थी जिससे मेरे लण्ड को और भी मजा आ रहा था। अब मैं बुआ की फुद्दी में अपने लण्ड को आराम से अंदर-बाहर करने लगा था। जैसे ही मैंने अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी में अंदर-बाहर करना शुरू किया, बुआ ने अपनी टाँगों को मेरी कमर के साथ जकड़ लिया और अपनी गाण्ड को भी मेरे लण्ड की तरफ दबाने लगी।
बुआ के इस तरह करने से मैं समझ गया कि बुआ क्या चाहती है और मैंने अपने लण्ड को पूरा बुआ की फुद्दी से बाहर निकाला और एक ही जोरदार झटके के साथ फिर से घुसा दिया। जैसे ही मैंने अपने बड़े और मोटे लण्ड से इस तरह का झटका लगाया बुआ के मुँह से- “आअह्ह… आलोक, थोड़ा आराम से बेटा… तेरा बहुत बड़ा है… फट जायेगी मेरी फुद्दी…” निकला।
मैंने भी झटके लगाना जारी रखा और कहा- “नहीं फटेगी मेरी कंजरी बुआ… और पता नहीं कितने लण्डों से चुदवा चुकी है और मुझे बोलती है कि फट जायेगी… हाँ?”
अब बुआ भी मेरे जोरदार झटकों का साथ अपनी गाण्ड को हिलाकर दे रही थी और पूरे रूम में- “थप्प-थप्प और आअह्ह… हाँ आलोक कसम से आज मजा मिला है चुदाई का और जोर से चोदो फाड़ दो अपनी रंडी बुआ की फुद्दी को उन्म्मह… आलोक…”
बुआ उस वक़्त काफी जोर से चिल्ला रही थी जिससे मुझे डर भी लगा कि कहीं इन आवाज़ों को अम्मी और बापू के अलावा कोई और ना सुन ले। जिसका मैंने बुआ से भी कहा।
तो बुआ ने कहा- मुझे नहीं पता? आलोक कोई सुनता है तो सुन ले, बस तू चोद मुझे और फाड़ दे मेरी फुद्दी को और अपनी रंडी बना ले।
बुआ की बातों को सुनकर मैं और भी गरम हो रहा था और अपने अंत के करीब ही था और कहा- हाँ बुआ, आज मैं तेरी फुद्दी को फाड़ ही डालूंगा… ऊओ बुआ मैं गया… बुआ, आज के बाद तू मेरी रंडी ही बनकर रहेगी…” इसके साथ ही मैं बुआ की फुद्दी में फारिग़ हो गया और बुआ के ऊपर ही गिर गया।
बुआ भी क्योंकि मेरे साथ ही फारिग़ हो गई थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ चिपकके लेटे रहे और मैंने अपना लण्ड जो कि अब सो गया था बुआ की फुद्दी से भी बाहर नहीं निकाला और लेटा रहा और बुआ भी मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियां घुमाती रहीं।
कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे फिर मैं उठा गया और बुआ की बगल पे लेट गया जिससे मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी से बाहर निकल आया। जैसे ही मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी से बाहर निकला, बुआ की फुद्दी से मेरा पानी निकलने लगा जिसे बुआ ने कपड़े से साफ कर दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी। मैंने बुआ को कपड़े पहनते हो देखा तो बुआ का हाथ पकड़ लिया और कहा- बुआ, कहाँ जा रही हो आप?
बुआ- “अरे बेटा, अभी सोने के लिए अपने रूम में जा रही हूँ…”
मैं- “तो यहाँ ही सो जाओ ना बुआ मेरे पास…”
बुआ- “नहीं आलोक, अगर मैं यहाँ रही तो तुम फिर से शुरू हो जाओगे और मैंने दिन में भी चुदवाना होता है ताकि घर का खर्चा चल सके…”
मैंने बुआ का हाथ छोड़ दिया और कहा- “ठीक है बुआ, तुम जाओ कोई बात नहीं…”
बुआ के जाने के बाद मैंने रूम का दरवाजा लाक किया और सोने के लिए लेट गया और सोचने लगा कि बुआ सच में किसी रंडी खाने की गश्ती की तरह ही बन चुकी है। इन बातों को सोचते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। लेकिन अब क्या हो सकता था? क्योंकि बुआ तो जा ही चुकी थी और रात का टाइम होने की वजह से अम्मी के पास भी नहीं जा सकता था इसलिए सबर करके सो गया।
सुबह किसी के दरवाजा खटखटाने से मेरी आँख खुली देखा तो 7:30 का टाइम हो रहा था। मैं जल्दी से उठा और चादर बाँध ली क्योंकि रात को मैं नंगा ही सो गया था।
दरवाजा खोला तो सामने दीदी खड़ी हुई थी मुझे देखते ही बोली- “भाई, आप जल्दी से तैयार होकर नाश्ता कर लो फिर मुझे आंटी के घर छोड़ आना…”
मैंने हाँ में सर हिला दिया तो दीदी वापिस मुड़ गई और मैं वहीं खड़ा दीदी की गोल गाण्ड को निहारने लगा कि तभी अम्मी की नजर मेरे ऊपर पड़ गई और अम्मी ने हँसते हुये कहा- “चल बेटा, बाद में देख लेना अभी जल्दी से नहा ले…”
अम्मी की बात सुनते ही दीदी ने पलटकर मेरी तरफ देखा लेकिन तब तक मैं दीदी की गाण्ड से नजर हटा चुका था और अम्मी की तरफ देखने लगा था जिससे दीदी ये समझी की मैं अम्मी ही की तरफ देख रहा था। फिर मैंने रूम से अपने कपड़े उठा लिया और बाथरूम की तरफ चल पड़ा और नहाकर तैयार हो गया। फिर नाश्ता किया और दीदी को लेकर आंटी के घर की तरफ चल पड़ा जहाँ दीदी सिलाई का काम सीखती थी। सिलाई सीखना तो एक बहाना था कि दीदी को घर से कहीं बाहर रखा जा सके और घर में होने वाली चुदाई का पता दीदी को ना चल सके।
लेकिन अब बात दीदी तक भी आ पहुँची थी क्योंकि अम्मी और बापू अब खुद ये चाहते थे कि दीदी को भी इस काम में शामिल कर लिया जाये जिससे कि पैसे मिलेंगे।
रास्ते में दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई एक बात पूछूं?
मैं- हाँ पूछो, क्या बात है?
दीदी- भाई आप 2-3 दिन से काम पे नहीं जा रहे और घर में ही घुसे हुये हो, खैरियत है ना?
मैं- “हाँ दीदी, सब ठीक है। बस मैं अभी कहीं और दुकान का इंतजाम करना चाहता हूँ जहाँ कमाई भी ज्यादा हुआ करे…”
दीदी- भाई, फिर ये दुकान कौन चलाएगा?
मैं- “अरे दीदी, अब किराने की दुकान में कमाई कहाँ बची है बंद कर देंगे इसको…”
दीदी हैरानी से मेरी तरफ देखते हुये बोली- “तो फिर भाई, अब आप कौन सी चीज की दुकान खोलने लगे हो?
मैं- “दीदी, चमड़े की दुकान खोलने लगा हूँ। बापू बता रहे थे कि इसमें बड़ा मुनाफा है…”
दीदी- “चलो अच्छा है, हमारे घर की हालत भी सुधार जायेगी…”
मैं- दीदी आपसे एक बात पूछूं? बुरा तो नहीं मानोगी?
दीदी- हाँ भाई, पूछो क्या पूछना है?
मैं- दीदी, अगर दुकान में आपकी जरूरत पड़ी तो आप मेरा और घर का साथ दोगी?
दीदी- भाई, भला आपकी दुकान पे मेरा क्या काम?
मैं बात को बदलते हुये- देखो ना दीदी, बापू तो बाहर का काम करेंगे आर्डर और सेंपल दिखाना वगैरा और मैं दुकान पे बैठा करूंगा और माल सप्लाई किया करूंगा। इसमें कभी अगर आपकी भी जरूरत पड़ी तो क्या आप हमारी हेल्प करोगी?
दीदी- “अच्छा बाबा देखूंगी? अभी पहले काम तो शुरू कर लो…” और हल्का सा मुश्कुरा दी इसके बाद सारे रास्ते हमारे बीच और कोई बात नहीं हुई।
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तो ऋतु वापिस चल पड़ी और मैं उसकी छोटी और मस्त गाण्ड को घूरने लगा जो कि अभी बहुत छोटी थी। ऋतु थोड़ी ही देर में खाना लेकर मेरे रूम में आ गई और मुझे खाना देकर चली गई और मैं खाना खाने लगा। खाने के बाद मैं फिर से लेट गया और बुआ का इंतेजार करने लगा, जो कि रात 10:00 बजे के बाद मेरे रूम में दूध का गिलास लेकर आ ही गईं।
मैंने दूध का गिलास पकड़ लिया और पी गया तो बुआ ने गिलास के साथ बाकी बर्तन भी रूम से उठा लिया और कहा- “मैं ये बर्तन रखकर आती हूँ…” और मेरे रूम से निकल गई।
बुआ के जाते ही रात में होने वाली चुदाई जो कि मैंने बुआ के साथ की थी, याद करते ही मेरा लण्ड पूरा हार्ड हो गया और मैं फौरन उठा और फिर से एक चादर बाँधकर अपने कपड़े उतार दिए। बुआ जब रूम में आई तो मुझे इस तरह चादर में लेटा देखकर मुश्कुरा दी।
और रूम का दरवाजा लाक करके और लाइट बंद करके मेरे पास बेड पे आकर लेट गई और बोली- आलोक, आज तू ने ये चादर क्यों बाँध रखी है?
मैंने कहा- “बुआ, मैं तो रोजाना ऐसे ही सोता हूँ, बस कल अपने कपड़े पहनकर सोया था…”
बुआ ने कहा- अच्छा तो ये बात है? और सुनाओ मेरे भतीजे का दिन कैसा गुजरा?
मैंने कहा- दिन बहुत ही अच्छा गुजरा है बुआ। लेकिन बुआ अगर मैं आपसे कुछ पूछूं तो मुझे सच बताओगी?
बुआ ने कहा- “हाँ पूछ, तेरे बापू और अम्मी ने भी कहा है कि तुझसे कुछ भी ना छुपाया जाये…”
मैं थोड़ा चुप रहा।
तो बुआ ने कहा- “अब क्या हुआ? आलोक, चुप क्यों हो गये हो तुम?
मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- “बुआ, क्या दीदी भी आपके और अम्मी की तरह ये काम करती हैं?
मतलब… जो आप कल भी कर रही थी और आज भी?
बुआ ने कहा- “नहीं आलोक, लेकिन तेरे बापू ने कहा है कि काम को बढ़ाना है और इसके लिए तुम्हारी दीदी को भी तैयार करना होगा। क्योंकि तेरी अम्मी के तो अब कोई इतने पैसे देता नहीं है…”
मैंने कहा- बुआ, क्या दीदी इस काम के लिए तैयार हो जायेगी?
बुआ ने कहा- देखो आलोक, अब अगर जानना ही चाहते हो तो सुनो… कि अब तुम्हें ये दुकान छोड़नी होगी और बाहर कोई मकान लेना होगा जहाँ हमें कोई ना जानता हो…”
मैंने कहा- लेकिन बुआ, ये तो हमारा अपना घर है हम इसे छोड़कर कहीं और मकान क्यों लेने लगे?
बुआ ने कहा- आलोक, हम अभी यहाँ ही रहेंगे। लेकिन क्योंकि यहाँ सब हमें जानते हैं और ये काम जो हम कर रहे हैं, इसकी वजह से यहाँ बदनामी भी हो सकती है। इसलिए तुम्हें किसी और इलाके में जहाँ जरा बड़े लोग रहते हों, कोई मकान किराया पे लेना होगा, जहाँ हमें कोई ना जानता हो ताकि जिसने भी काम पे जाना हो वहाँ जाये और बाद में अपने घर आ जाये…”
मैंने कहा- बुआ, आपका मतलब है कि अब मुझे आपकी और बाकी सबके जिश्म की कमाई खानी होगी?
बुआ ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों पे एक किस की और बोली- आलोक, जरा सोच की जब भी तेरा अपना दिल करे, तेरे पास अपनी अम्मी और मैं और तेरी बहनें भी हों और तेरा जिसके साथ दिल करे प्यार करे और हमें और लोगों के साथ सुलाकर पैसे भी कमाए जिससे हम सब ऐश करें…”
मैंने कहा- “बुआ, मैं अभी इस बारे आपको कोई जवाब नहीं दे सकता। लेकिन हाँ कल तक मैं आपको कोई जवाब दे सकूंगा…”
बुआ ने कहा- “ठीक है, जिस तरह तुम्हारी मर्ज़ी है सुबह बता देना और अब आ जा मेरे राजा… आज मैं तुझे प्यार की इंतहा दिखाऊँ और एक औरत का असली रूप भी… कहीं भाग तो नहीं जाओगे ना डरकर…” इतना बोलते ही बुआ ने मेरे लण्ड को अपनी मुट्टी में जकड़ लिया और सहलाने लगी। बुआ बड़े प्यार से मेरा लण्ड सहला रही थी और मेरी आँखों में देख रही थी कि तभी बुआ ने अपना हाथ मेरे लण्ड से हटाया और लण्ड को चादर से बाहर निकाल दिया।
लण्ड जैसे ही चादर से बाहर निकला बुआ मेरे लण्ड को देखने लगी और फिर अचानक बुआ ने अपने होंठ मेरे लण्ड पे रख दिए और एक किस कर दी। बुआ की इस हरकत से जहाँ में हैरान हुआ वहीं मजे से पागल भी हो उठा और बुआ के सर को अपने लण्ड की तरफ पुश करने लगा।
लेकिन बुआ ने लण्ड को मुँह में नहीं लिया और उसे ऐसे ही चूमने लगी और हाथ से सहलाने लगी। बुआ की इन हरकतों से मेरे मुँह से- आअह्ह… बुआ आह्ह ये क्या कर रही हो आप?
बुआ ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और अंदर-बाहर करने लगी बुआ के मुँह की गर्मी और गीलापन मुझे और भी मजा देने लगा तो मैंने बुआ के सर को अपने लण्ड पे जोर से दबा दिया जिससे मेरा लण्ड बुआ के मुँह में 3” के करीब घुस गया।
कुछ देर इस तरह मेरे लण्ड को चूसने के साथ मेरे टट्टों को भी हाथ से सहलाती रही और फिर मेरे लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। लण्ड का बुआ के मुँह से बाहर निकालना था कि मैं तड़प उठा और बुआ से कहा- क्या हुआ बुआ? बस क्यों कर दिया आपने?
बुआ ने कहा- क्यों यहीं पे पानी निकालने का इरादा है क्या? और कुछ नहीं करेगा मेरा बच्चा?
मैंने कहा- “लेकिन बुआ, इसमें मुझे ज्यादा मजा आ रहा था। प्लीज़्ज़ …कुछ देर और करो ना…”
बुआ ने कहा- “बाद में करेंगे…” और बेड से उठकर खड़ी हो गई और अपनी ड्रेस भी निकाल दी और बेड पे बैठ गई और बोली- “आलोक, अपनी चादर भी खोल दो…”
मैंने फौरन चादर निकाल दी तो बुआ बेड पे चिट लेट गई और अपनी टाँगों को भी थोड़ा खोल दिया जिससे मुझे बुआ की फुद्दी नजर आने लगी क्योंकि रूम में बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी। जैसे ही मेरी नजर बुआ की साफ और चिकनी फुद्दी पे गई मैं आगे हुआ और अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी पे टिकाने लगा।
तो बुआ ने मुझे रोक दिया और बोली- क्यों अपनी बुआ को मजा नहीं देगा क्या?
मैंने सवालिया नजरों से बुआ की तरफ देखा।
तो बुआ ने कहा- चल थोड़ा पीछे हो जा और मेरी फुद्दी को अपनी जुबान से सहला और इसे अच्छे से चाटकर मुझे मजा दे… वरना आज मैं तुझे फुद्दी नहीं दूँगी। क्या समझे?
मैंने बुआ की तरफ देखा और कहा- “नहीं बुआ, प्लीज़्ज़… ये मुझसे नहीं होगा… आप यहाँ से पेशाब भी तो करती हो ना और अभी मुझे जुबान से चाटने को बोल रही हो…”
बुआ ने कहा- क्यों तू अपने लण्ड से पेशाब नहीं करता क्या? मैंने तो उसे चाट लिया ना अब तू क्यों नखरा कर रहा है? बुआ ने इतना बोलते ही अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल दिया।
तो मैं भी हिम्मत करके बुआ की फुद्दी पे झुक गया और अपनी जुबान को बुआ की फुद्दी के साथ लगा दिया जिसमें से हल्का साल्टी सा पानी रिस रहा था।
मेरी जुबान जैसे ही बुआ की फुद्दी को लगी बुआ ने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी फुद्दी पे दबा दिया और सिसकी- उन्म्मह… आलोक… हाँ बेटा… चाट ले अपनी बुआ की फुद्दी को… आअह्ह…”
अब मुझे भी बुआ की फुद्दी चाटने में मजा आने लगा था और मैं अपनी जुबान को बुआ की फुद्दी के होंठों में घुमाता जा रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे बुआ और भी तड़प जाती। अभी मुझे कुछ ही देर हुई थी बुआ की फुद्दी को चाटते हुये कि बुआ ने अपने हाथों और टाँगों के बीच मेरे सर को दबाकर अपनी फुद्दी से लगा दिया।
और बोली- “आअह्ह… आलोक बेटा, मैं गई… उन्म्मह… और तेज चाटो… आलोक मेरा होने वाला है… खा जाओ अपनी बुआ की फुद्दी को…” इसेक साथ ही बुआ के जिश्म को झटके लगने लगे और बुआ की फुद्दी से गाढ़े और साल्टी टेस्ट के पानी का सैलाब सा निकल आया और मेरे मुँह पे फैल गया जो कि बुआ ने अपनी फुद्दी के साथ दबा रखा था।
बुआ फारिग़ होते ही निढाल सी हो गई और मुझे छोड़ दिया लेकिन मैंने अपना मुँह बुआ की फुद्दी से नहीं हटाया और बुआ की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। अब मैं उठा और बुआ की टाँगों को अपने दोनों तरफ करके बीच में बैठ गया और अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी के मुँह के साथ लगाकर सेट किया और बुआ की टाँगों को पकड़कर एक झटका दिया जिससे मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी को खोलता हुआ गहराई की तरफ घुस गया।
लण्ड घुसते ही बुआ ने अपनी आँखें खोल दीं और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी।
तो मैंने एक और जोर का झटका दिया जिससे मेरा पूरा लण्ड बुआ की फुद्दी में समा गया और बुआ के मुँह से स्स्सी की आवाज निकल गई। बुआ की फुद्दी उस वक़्त अंदर से बड़ी गरम हो रही थी जिससे मेरे लण्ड को और भी मजा आ रहा था। अब मैं बुआ की फुद्दी में अपने लण्ड को आराम से अंदर-बाहर करने लगा था। जैसे ही मैंने अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी में अंदर-बाहर करना शुरू किया, बुआ ने अपनी टाँगों को मेरी कमर के साथ जकड़ लिया और अपनी गाण्ड को भी मेरे लण्ड की तरफ दबाने लगी।
बुआ के इस तरह करने से मैं समझ गया कि बुआ क्या चाहती है और मैंने अपने लण्ड को पूरा बुआ की फुद्दी से बाहर निकाला और एक ही जोरदार झटके के साथ फिर से घुसा दिया। जैसे ही मैंने अपने बड़े और मोटे लण्ड से इस तरह का झटका लगाया बुआ के मुँह से- “आअह्ह… आलोक, थोड़ा आराम से बेटा… तेरा बहुत बड़ा है… फट जायेगी मेरी फुद्दी…” निकला।
मैंने भी झटके लगाना जारी रखा और कहा- “नहीं फटेगी मेरी कंजरी बुआ… और पता नहीं कितने लण्डों से चुदवा चुकी है और मुझे बोलती है कि फट जायेगी… हाँ?”
अब बुआ भी मेरे जोरदार झटकों का साथ अपनी गाण्ड को हिलाकर दे रही थी और पूरे रूम में- “थप्प-थप्प और आअह्ह… हाँ आलोक कसम से आज मजा मिला है चुदाई का और जोर से चोदो फाड़ दो अपनी रंडी बुआ की फुद्दी को उन्म्मह… आलोक…”
बुआ उस वक़्त काफी जोर से चिल्ला रही थी जिससे मुझे डर भी लगा कि कहीं इन आवाज़ों को अम्मी और बापू के अलावा कोई और ना सुन ले। जिसका मैंने बुआ से भी कहा।
तो बुआ ने कहा- मुझे नहीं पता? आलोक कोई सुनता है तो सुन ले, बस तू चोद मुझे और फाड़ दे मेरी फुद्दी को और अपनी रंडी बना ले।
बुआ की बातों को सुनकर मैं और भी गरम हो रहा था और अपने अंत के करीब ही था और कहा- हाँ बुआ, आज मैं तेरी फुद्दी को फाड़ ही डालूंगा… ऊओ बुआ मैं गया… बुआ, आज के बाद तू मेरी रंडी ही बनकर रहेगी…” इसके साथ ही मैं बुआ की फुद्दी में फारिग़ हो गया और बुआ के ऊपर ही गिर गया।
बुआ भी क्योंकि मेरे साथ ही फारिग़ हो गई थी इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ चिपकके लेटे रहे और मैंने अपना लण्ड जो कि अब सो गया था बुआ की फुद्दी से भी बाहर नहीं निकाला और लेटा रहा और बुआ भी मेरे सर के बालों में अपनी उंगलियां घुमाती रहीं।
कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे फिर मैं उठा गया और बुआ की बगल पे लेट गया जिससे मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी से बाहर निकल आया। जैसे ही मेरा लण्ड बुआ की फुद्दी से बाहर निकला, बुआ की फुद्दी से मेरा पानी निकलने लगा जिसे बुआ ने कपड़े से साफ कर दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी। मैंने बुआ को कपड़े पहनते हो देखा तो बुआ का हाथ पकड़ लिया और कहा- बुआ, कहाँ जा रही हो आप?
बुआ- “अरे बेटा, अभी सोने के लिए अपने रूम में जा रही हूँ…”
मैं- “तो यहाँ ही सो जाओ ना बुआ मेरे पास…”
बुआ- “नहीं आलोक, अगर मैं यहाँ रही तो तुम फिर से शुरू हो जाओगे और मैंने दिन में भी चुदवाना होता है ताकि घर का खर्चा चल सके…”
मैंने बुआ का हाथ छोड़ दिया और कहा- “ठीक है बुआ, तुम जाओ कोई बात नहीं…”
बुआ के जाने के बाद मैंने रूम का दरवाजा लाक किया और सोने के लिए लेट गया और सोचने लगा कि बुआ सच में किसी रंडी खाने की गश्ती की तरह ही बन चुकी है। इन बातों को सोचते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। लेकिन अब क्या हो सकता था? क्योंकि बुआ तो जा ही चुकी थी और रात का टाइम होने की वजह से अम्मी के पास भी नहीं जा सकता था इसलिए सबर करके सो गया।
सुबह किसी के दरवाजा खटखटाने से मेरी आँख खुली देखा तो 7:30 का टाइम हो रहा था। मैं जल्दी से उठा और चादर बाँध ली क्योंकि रात को मैं नंगा ही सो गया था।
दरवाजा खोला तो सामने दीदी खड़ी हुई थी मुझे देखते ही बोली- “भाई, आप जल्दी से तैयार होकर नाश्ता कर लो फिर मुझे आंटी के घर छोड़ आना…”
मैंने हाँ में सर हिला दिया तो दीदी वापिस मुड़ गई और मैं वहीं खड़ा दीदी की गोल गाण्ड को निहारने लगा कि तभी अम्मी की नजर मेरे ऊपर पड़ गई और अम्मी ने हँसते हुये कहा- “चल बेटा, बाद में देख लेना अभी जल्दी से नहा ले…”
अम्मी की बात सुनते ही दीदी ने पलटकर मेरी तरफ देखा लेकिन तब तक मैं दीदी की गाण्ड से नजर हटा चुका था और अम्मी की तरफ देखने लगा था जिससे दीदी ये समझी की मैं अम्मी ही की तरफ देख रहा था। फिर मैंने रूम से अपने कपड़े उठा लिया और बाथरूम की तरफ चल पड़ा और नहाकर तैयार हो गया। फिर नाश्ता किया और दीदी को लेकर आंटी के घर की तरफ चल पड़ा जहाँ दीदी सिलाई का काम सीखती थी। सिलाई सीखना तो एक बहाना था कि दीदी को घर से कहीं बाहर रखा जा सके और घर में होने वाली चुदाई का पता दीदी को ना चल सके।
लेकिन अब बात दीदी तक भी आ पहुँची थी क्योंकि अम्मी और बापू अब खुद ये चाहते थे कि दीदी को भी इस काम में शामिल कर लिया जाये जिससे कि पैसे मिलेंगे।
रास्ते में दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई एक बात पूछूं?
मैं- हाँ पूछो, क्या बात है?
दीदी- भाई आप 2-3 दिन से काम पे नहीं जा रहे और घर में ही घुसे हुये हो, खैरियत है ना?
मैं- “हाँ दीदी, सब ठीक है। बस मैं अभी कहीं और दुकान का इंतजाम करना चाहता हूँ जहाँ कमाई भी ज्यादा हुआ करे…”
दीदी- भाई, फिर ये दुकान कौन चलाएगा?
मैं- “अरे दीदी, अब किराने की दुकान में कमाई कहाँ बची है बंद कर देंगे इसको…”
दीदी हैरानी से मेरी तरफ देखते हुये बोली- “तो फिर भाई, अब आप कौन सी चीज की दुकान खोलने लगे हो?
मैं- “दीदी, चमड़े की दुकान खोलने लगा हूँ। बापू बता रहे थे कि इसमें बड़ा मुनाफा है…”
दीदी- “चलो अच्छा है, हमारे घर की हालत भी सुधार जायेगी…”
मैं- दीदी आपसे एक बात पूछूं? बुरा तो नहीं मानोगी?
दीदी- हाँ भाई, पूछो क्या पूछना है?
मैं- दीदी, अगर दुकान में आपकी जरूरत पड़ी तो आप मेरा और घर का साथ दोगी?
दीदी- भाई, भला आपकी दुकान पे मेरा क्या काम?
मैं बात को बदलते हुये- देखो ना दीदी, बापू तो बाहर का काम करेंगे आर्डर और सेंपल दिखाना वगैरा और मैं दुकान पे बैठा करूंगा और माल सप्लाई किया करूंगा। इसमें कभी अगर आपकी भी जरूरत पड़ी तो क्या आप हमारी हेल्प करोगी?
दीदी- “अच्छा बाबा देखूंगी? अभी पहले काम तो शुरू कर लो…” और हल्का सा मुश्कुरा दी इसके बाद सारे रास्ते हमारे बीच और कोई बात नहीं हुई।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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