Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--12

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--12

 २ जितने समय तक कामया रीमा से बात करती रही मदनलाल एक टक रीमा के चौसा आम देखता रहा .इतने बड़े संतरे वाली औरत को इतने पास से आज वो पहली बार देख रहे थे .एकदम खलिश नागपुरी संतरे थे .दोनो सहेलियाँ बातों मे लगी थी और मदनलाल बीच बीच मे रीमा के पर्वत शिखरो को देख रहा था ऐसा लगता था जैसे मक्खन के दो गोले हो और पास पास होने से दोनो के बीच एक खाई बन गई हो .कामया तो अपने मे मग्न थी लेकिन रीमा ने बहुत जल्दी ताड़ लिया कि बाबूजी उसके सन्तरो को देख रहे है कई बार दोनो की नज़रे भी मिली तो दोनो झेंप गये. रीमा के लिए ये सामान्य बात थी क्योंकि उसे अपने बूब्स के कारण हर जगह ऐसे हालात से रूबरू होना पढ़ता है . फिर कामया दोनो को गेस्ट रूम मे ले जाने लगी .मदनलाल ने देखा की रीमा चलते समय कुछ ज़्यादा ही मटकती है जब वो चलती तो दोनो तरफ हिलती थी और एक खास किस्म की ठसक उसकी चाल मे थी .मदनलाल मन ही मंन बोला "" साली गाँड ज़रूर मरवाती होगी तभी चाल मे इतनी धमक है ."". शाम तक रीमा ने कई बार बाबूजी को अपनी चुचि देखते पकड़ लिया .उसने सोचा एक और गया काम से .


एकांत समय मिलते ही कामया ने बाबूजी से कह दिया कि आज आप मेरे पास बिल्कुल भी नही आना ,अगर रीमा को ज़रा सा भी शक हो गया तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहेंगे .मदनलाल भी इस बात के लिए तैयार हो गया .आज उसका पाँचवा दिन भी सूखा जाने वाला था .रात को सब अपने अपने कमरे मे चले गये .कामया के लिए रात काटना मुश्किल होता जा रहा था .वैसे भी पीरियड के बाद औरत कुछ ज़्यादा गरम रहती है प्रकृति ने अपने हिसाब से शरीर विकसित किए है .वो कमरे मे लेटी लेटी अपनी चूत से खेल रही थी कुछ देर खेलने के बाद वो झड़ गई .हाथ धोने और पेशाब करने के किए वो उठी और जब लौट रही थी तो उसे रीमा के कमरे से सिसकारी की धीमी सी आवाज़ आई . आवाज़ सुनते ही वो चौकन्नी हो गई .ऐसी आवाज़ तो स्त्री तब निकालती है जब वो सेक्स कर रही हो .तो क्या रीमा अपने जेठ से .नही नही रीमा ऐसा नही कर सकती .वो तो हमेशा उन्हे भैया भैया कहती है .वो धीरे से उनके कमरे के समीप पहुँची अभी कुछ तय कर पाती कि फिर से आवाज़ आई "" उई मा धीरे करो .कोई सुन लेगा "".हे भगवान रीमा तो सकमूच अपने जेठ से लगी हुई है .कामया ने सोचा .एक बार तो उसका दिल किया कि अपने कमरे मे लौट जाए लेकिन जवान उम्र की हसरत और लाइव शो देखने का मोह ने उसे जाने नही दिया .वो कमरे मे झाँकने की जगह देखने लगी .और उसे जगह मिल भी गई .विंडो कूलर के बाजू से काफ़ी जगह थी उसने जैसे ही झाँका उसका रोम रोम गरम गरम हो गया .रीमा का .जेठ लेटा हुआ था और रीमा उसके उपर घुड़सवारी कर रही थी .उसने अपने हाथ जेठ के सीने पर रखा हुआ था और ज़ोर ज़ोर से उठा बैठक कर रही थी हर धक्के के साथ उसके विशालकाय बूब्स उपर नीचे उछल रहे थ जिन्हे जेठ जी अपने हाथ से पकड़ कर मसल्ने मे लगे हुए थे .चुचियाँ इतनी बड़ी थी कि एक हाथ मे समा नही पा रही थी .
कुछ देर तक उछल कूद के बाद रीमा ने जेठ जी से कुछ कहा शायद वो थक गई थी क्योंकि कहने के बाद वो उनके उपर से हट गई और चित लेट गई .. जेठ जी पलंग के नीचे उतर गये फिर उन्होने रीमा की गाँड को पलंग के किनारे तक खींच लिया और खड़े खड़े ही अपना लॅंड रीमा की चूत मे एक झटके से उतार दिया ,एक ही शॉट मे पूरा अंदर करने से रीमा फिर कराह उठी .इस बार कामया ने जेठ का पूरा लॅंड देखा वो एक साधारण सा लॅंड था .बाबूजी से तो काफ़ी कमतर था पर सुनील से बढ़ा था .कुल मिला कर सो सो था .चूत मे लॅंड पेलते ही जेठ ने रीमा के बूब को अपने मुँह मे भर लिया और किसी भूखे बच्चे की भाँति ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.
जेठ एक बूब चुसता तो दूसरा हाथ से मसलता .बारी बारी से वो दोनो बूब्स को बदल बदल कर ट्रीट कर रहा था .चुचियों पर उसकी मेहनत से लगता था कि वो बड़े बड़े बूब्स का दीवाना था .कामया ने सोचा शायद इन्ही चुचियों के कारण भैया रीमा पर फिदा हो गये होंगे क्योंकि रीमा की जेठानी एकहरे शरीर की थी और उपर से नीचे तक खड़ी दीवाल की तरह दिखती थी .उसके पास मर्दो को लुभाने के लिए पर्याप्त खिलोने नही थे .रीमा और उसके जेठ का खेल देख कर कामया एक बार फिर वासना के दलदल मे डूबने लगी .उसने अपनी जिंदगी मे चुदाई के बारे खूब सुना था ,वीडियो भी देखे थे ,खुद भी तीन साल से चुद रही थी पर किसी को अपने सामने चुद्ते वो पहली बार देख रही थी .रीमा भी किसी रंडी की तरह चुद रही थी जेठ के हर झटके पर वो भी अपनी कमर उपर को उछाल देती .चुदाई का ये लाइव शो देख कर कामया भीतर भीतर खुद भी सुलगने लगी .उसका मन तो कर रहा था कि धड़धड़ा के अंदर घुस जाए और जेठ से कहे क़ि "" मुझे चोदो .ये मेरा घर है अगर यहाँ कोई चुदेगि तो सिर्फ़ मैं"" .पर बेचारी ऐसा कर नही सकी .उधर जेठ अब घमासान धक्के लगाने लगा शायद अब उसका निकलने वाला था .अभी अभी झड़ी कामया का हाथ एक बार फिर अपनी पेंटी के अंदर चला गया और वो अपनी गुड़िया को मसलने लगी .जेठ ने अब अपने दोनो हाथो से रीमा के दोनो चौसा आम पकड़ लिए और भरपूर ताक़त से शॉट मारने लगा .और आख़िर मे जैसे ही उसका माल निकलने वाला था उसने अपना लॅंड बाहर निकाला और सारा माल रीमा के पेट और चुचियों मे बरसा दिया .रीमा के चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे उसने अपने शरीर पर हाथ फेरा और सारी मलाई हाथ मे लपेट कर चाट गई . जेठ के माल बाहर निकालने पर कामया के मुख से निकला "" साली सेफ गेम खेलती है एकदम रिस्क फ्री "". खेल ख़त्म होते ही कामया भी चुपके से अपने कमरे मे आ कर लेट गई .उसने लाइट ऑफ कर दी लेकिन उसकी खिड़की खुली हुई थी . थोड़ी देर बाद उसने महसूस किया की रीमा और उसका जेठ बारी बारी से बाथरूम जाकर लौटे हैं .कामया कमरे मे अभी देखी घटना के बारे मे ही सोच रही थी .""लगता है इस दुनिया मे मुझे छोड़ कर हर औरत अपने हिस्से का सुख भोग रही है चाहे वो सुख कहीं से भी मिले .""उसकी आँखों से नींद गायब थी .


कामया को पक्का यकीन था की रीमा एक राउंड और ज़रूर करेगी कि क्योंकि जिस तरह की धमा चोकड़ी वो मचा रही थी उससे तो लगता नही था कि एक बार मे उसका कुछ होने वाला है .पहले राउंड के लगभग आधे घंटे बाद कामया एक बार फिर चुपके से कमरे से बाहर निकली और रीमा की खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई .कामया का शक सही निकाला अंदर सेकेंड राउंड की तैयारी चल रही थी .थका हारा जेठ बिस्तर पर लेटा हुआ था किंतु रीमा उसकी कमर के पास बैठ कर उसके हथियार से ख़ेल रही थी .कभी वो उसको हिलाती तो कभी स्ट्रोक मारती कभी हेलिकॉप्टर के पंख के समान चारों तरफ घुमाती .कुछ देर मे ही उसकी तपस्या रंग लाने लगी और भोलानंद अपनी गर्दन उठाने लगा .जैसे ही भोलनंद मे थोड़ी जान आई रीमा ने अगला ट्रीटमेंट चालू कर दिया वो झुकी और भोले को अपनी होंठों के शिकंजे मे ले लिया .इस हमले से जेठ की कमर चार इंच उपर उठने लगी .रीमा जबरदस्त डीप थ्रोट सकिंग कर रही थी लॅंड पर तो ऐसे टूट पड़ी थी जैसे कोई बिल्ली चूहे पर टूट पड़ती है .जेठ बेचारा काम का मारा बिना सिंकारा पिए ही जोश से भर उठा .ऐसे सकिंग पाकर भला कौन अपने को रोक सकता है .उसका छोटू अब पूरी तरह से मोटू बन गया था .वो उठा रीमा को इशारे से कुछ बोला जिसे सुनकर रीमा तुरंत चौपाया बन गई .जेठ ने उसकी चौड़ी गाण्ड को कुछ देर सहलाया फिर तीन चार स्पेन्क लगाए जिससे रीमा और मूड मे आ गई .कामया दम साधे अंदर का दृश्य देख रही थी .कुतिया बनी रीमा की चुचियाँ नीचे तक लटक रही थी भारी भरकम चुचियाँ बिस्तर को छूने के करीब थी .कुछ देर रीमा के बस्टी बदन से खेलने के बाद जेठ ने अपना टूल उसकी गांड के टाइट छेद पर टिका दिया .गांड के छेद पर सुपाड़ा लगते ही कामया के मुख से निकला ""उई मा लगता है अब पड़ोसन का नंबर लग रहा है ."" जेठ ने अच्छी तरह से सुपाड़ा फिट किया और एक जबरदस्त शॉट दे मारा .शॉट इतना जोरदार था क़ी एक ही शॉट मे सुपाड़ा अंदर पहुँच गया .और इसी की साथ रीमा के मुख से घुटि घुटि सी चीख निकल गई .जेठ जी ने तुरंत उसके मुख पर अपना हाथ रख दिया .कुछ देर रुककर जेठ जी फिर दबाव बनाने लगे और अगले दो मिनिट मे पूरा लॅंड रीमा निगल गई थी .एक बार फिर इन एंड आउट की प्रक्रिया चालू हो गई हर धक्के के साथ अंदर का माहौल और गरम होता जा रहा था .रीमा ने अपना एक हाथ पीछे कर के अपनी चूत को सहलाना चालू कर दिया वो दुहरा मज़ा ले रही थी .कामया के लिए भी अब भयानक गर्मी सहना मुश्किल होता जा रहा था .उसकी उंगलियाँ अपने आप पेंटी के अंदर पहुँच गई और उधम मचाने लगी .


उधर मदनलाल बिस्तर मे लेटा अपने लॅंड को मसल रहा था .जब उस लगा ऐसे मे नींद आना मुश्किल है तो वो फारिग होने के लिए बाथरूम जाने की सोच उठ बैठा ..उसने धीरे से दरवाजा खोला और बाहर निकला .बाहर निकलते ही उसने जो देखा उसे देखकर उसका माथा ठनक गया .बाहर कामया गेस्ट रूम की खिड़की मे खड़ी होकर झाँक रही थी .उसका चेहरा वासना से लाल था और वो अपना हाथ अपने अंदर डाले चूत को मसल रही थी .सारा दृश्य देख कर अनुभवी मदनलाल तुरंत समझ गया कि अंदर ज़रूर रीमा का प्रोग्राम हो रहा है .वो चुपचाप आगे बड़ा और बहू के पीछे जाकर खड़ा हो गया .अंदर का दृश्य देख कर उसकी भी साँसे तेज़ हो गई .रीमा के बड़े बड़े फ़ाज़ली आम देख कर उसके मुँह मे पानी आ गया रीमा का आम देख आमदनलाल का केला तन गया जो सीधा कामया की पीठ मे जाकर लगा .पीछे कुछ अहसास होते ही कामया की घिघी बाँध गई वो चीखने ही वाली थी की मदनलाल ने उसके मुँह मे हाथ रखकर उसे रोक दिया और कहा "" चुप रहो हम हैं ."" बाबूजी की आवाज़ सुनकर उसकी जान मे जान आई लेकिन वो बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी क्योंकि वो रंगे हाथों लाइव शो देखते पकड़ी गई थी बाबूजी फिर धीरे से बोले
बाबूजी :-- साली के दूध कितने बड़े हैं .हमे सुबह इसको देखते ही समझ आ गया था क़ि ये गाण्ड ज़रूर मरवाती होगी .
कामया :-- आपको कैसे पता चला ?कामया ने फुसफुसा के पूछा
मदनलाल ने उसका जवाब देने से पहले थोड़ा झुक कर कामया की लेगिंग पेंटी समेत घुटनो तक खिसका दी .आज पहली बार बाबूजी ने कामया की पेंटी उतारी थी वो भी खुले आँगन मे .बाबूजी ने अपने को लण्ड एडजस्ट किया और अपना सुपाड़ा उसकी दरार मे फँसा दिया .नंगी गांद मे नंगा गरम लॅंड कामया के उपर कहर बनकर टूटा वो गनगना गई .वासना की अधिकता मे उसने भी अपने शरीर को पीछे एडजस्ट किया और सुपादे को चूत के मुँह पर टिका दिया .मदनलाल ने पेंटी ज़रूर उतारी थी पर वो कंट्रोल मे था उसने फिर बोलना चालू किया
बाबूजी :-- बहू जो औरते गांड मरवाती हैं उनकी चाल बिगड़ जाती है वो टांग फैला के चलती हैं चलते समय उनकी गाण्ड बहुत हिलती डुलती है और दोनो तरफ मटकती है .रीमा की गांड भी बहुत ठसक के साथ मटकती है इसीलिए हम समझ गये थे की ये अपने पति से ज़रूर गांड मरवाती होगी .लेकिन --- बोलते हुए मदनलाल चुप हो गया .
कामया :-- लेकिन क्या बाबूजी .?
बाबूजी :-- लेकिन हमे क्या मालूम था कि ये अपने जेठ से ही गांड मरवाती है और वो भी साली मेरे ही घर मे मरवा रही है .कहते हुए बाबूजी ने कुरती के अंदर हाथ डाल कर बूब्स मसलना चालू कर दिया .
उधर जेठ ने भी नीचे से हाथ डाल कर रीमा के दोनो पपीते पकड़ लिए और उन्हे बहुत ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा .रीमा का प्रोग्राम अब ख़तम होने वाला था क्योकि जेठ अब बहुत जल्दी जल्दी शॉट मारने लगा और फिर उसने अपना सारा माल उसकी गांड मे टपका दिया और रीमा को धकेल कर लिटा दिया और उसी के उपर पसर गया .
इधर बाबूजी ने फिर पूछा
बाबूजी :--- बहू तुम्हारे शहर के पानी मे कुछ खाश बात है .रीमा भी पिछवाड़े की शौकीन है .मधु भी पिछाड़ी की शॉकिन है .पिंकी तो शुभान अल्लाह है सुनील भी पीछे करता है क्या .?
कामया :-- छी बाबूजी आप चुप रहिए 



 मदनलाल :-- अच्छा चलो नीचे बैठो और हमारा काम कर दो .
कामया :-- बाबूजी यहाँ? उन लोगो हो गया है वो कभी भी बाहर आ सकते है .
मदनलाल :-- तुम उनकी चिंता छोड़ो .तुम्हारी सहेली ने उसे इतना थका दिया है कि वो दो घंटे तक हिलेगा भी नहीं
कामया :-- बाबूजी पर यहाँ खुले मे . आप कमरे मे चलिए ना .
मदनलाल :-- अरे फिर वही नाटक .तुम्हारी सहेली यहाँ दूसरे के घर मे दूसरे मर्द से चुदवा रही है .दूसरी मधु है जिसका ससुर उसे पूरे घर मे दौड़ा दौड़ा के चोदता है और तुम यहाँ नखरे दिखा रही हो .चलो जल्दी टॉनिक पी लो बहुत दिनो से तुमने टॉनिक पिया भी नही है .ऐसे मे तो तुम कमज़ोर हो जाओगी कहते हुए मदनलाल ने उसके कन्धे नीचे दबाने लगा
कामया :-- जी रहने दीजिए .हम नही कमज़ोर होने वाले और फिर वो नीचे बैठ गई बाबूजी का कोबरा उसकी नाक केसामने खड़ा था .जिसकी गंध उसे फिर से बहकाने लगी .. कामया ने बाबूजी का मूसल अपने नाज़ुक रसीले होंटो के भीतर ले लिया और चूसने लगी . जब उसे रीमा का चूसना याद आया तो उसने सोचा जब वो गले तक उतार सकती है तो हम उससे कोई कम हैं क्या और फिर उसने भी बाबूजी का लॅंड पूरे गले मे उतार लिया .अब वो बाबूजी को डीप थ्रोट सकिंग दे रही थी और बहुत वाइल्ड ही गई थी .उसके इस जंगली पने के लिए मदनलाल रीमा को धन्यवाद देने लगा .साली कुछ तो सीखा गई थी कामया को .कामया नीचे चूस रही थी और बाबूजी खिड़की से रीमा के बूब्स निहार रहा था साथ ही साथ उसका शातिर दिमाग़ कुछ प्लान भी कर रहा था .दो मिनिट मे ही कामया ने बाबूजी की सारी मर्दानगी निकाल दी दोनो अपने कमरे मे चले गये


.कमरे मे जाकर मदनलाल ने अपना मोबाइल निकाला और वापिस खिड़की मे पहुँच गया .अंदर दोनो जेठ बहू नींद मे थे लेकिन रीमा ने जेठ का लॅंड अपने हाथ मे ही पकड़ा हुआ था .मदनलाल ने तुरंत वीडियो बना ली .ये वीडियो अब उसे रीमा की भी दिलाने वाली थी .
दूसरे दिन सुबह कामया ने मदनलाल से कहा की आप रीमा को अक्टिवा मे सेंटर तक छोड़ आइए टीन घंटे बाद हम लेने चले जाएँगे .लेकिन मदनलाल ने कह दिया कि उसे शहर मे कुछ काम भी है इसलिए वो लौटते मे भी रीमा को ले आएगा .रीमा टेस्ट देने के लिए निकली तो उसने बहुत ही डीप कट कुर्ता और लेगिंग पहना था मानो फॅशन परेड मे जा रही हो . मदनलाल ने जैसे ही उसके संतरे देखा उसका दिमाग़ ही भन्ना गया .उसने मन ही मन बोला साली जैसे तू जा रही है वैसी लौटेगी नही . दोनो घर से चल दिए मदनलाल कुछ ज़्यादा ही ब्रेक लगा रहा था जिसे रीमा समझ रही थी और मज़े ले रही थी .मदनलाल का तड़पना उसे अच्छा लग रहा था .लेकिन वो ये नही जानती थी कि मदनलाल की पेंट मे वो आटम बॉम्ब है जो आज उसकी दुनिया बदलने वाला है .वोलोग आधा घंटे पहले ही स्कूल पहुँच गये और एक पेड़ के नीचे खड़े हो गये .मदनलाल ने अपना संकेत देने के लिए फिर उसके मालदा आम को घूरना चालू कर दिया .रीमा ने बोला
रीमा :-- बाबूजी स्कूल तो बहुत बड़ा है
मदनलाल : हाँ बहुत बड़े बड़े हैं .मदनलाल उसके संतरे को देखते हुए बोला .
रीमा :-- बाबूजी आपका ध्यान कहाँ है हम स्कूल की बात कर रहे हैं .रीमा ने इठलाते हुए बोला .
मदनलाल के पास ज़्यादा समय नही था उसे जो कुछ करना था अभी करना था इसलिए वो बोला
मदनलाल : -- रीमा तुम पूना क्यों नही रहती ?
रीमा :-- वो अभी ज़रा रहने की परेशानी है
मदनलाल :-- तुम्हारा हबी कब आता है .?
रीमा :-- जी वो साल मे एक बार आते हैं १५ दिन के लिए
मदनलाल :-- ओह शिट तभी तुमने जेठ जी को लाइन मे लगा दिया है
रीमा :-- क्या मतलब
मदनलाल :-- मतलब तभी तुमने अपने जेठ से संबंध बना लिया है .
रीमा :-- बाबूजी आप क्या उट पटांग बक रहे हैं .आपको शर्म आनी चाहिए
मदनलाल :-- रीमा शरम तो अब तुमको आएगी लो ये वीडियो देखो .
ऐसा कहकर मदनलाल ने अपना मोबाइल चालू कर दिया .ज्यों ज्यों वीडियो आगे बढ़ रहा था रीमा का चेहरा सफेद पड़ता जा रहा था .तीन मिनिट का वीडियो जब ख़तम हुआ तो रीमा का चेहरा पसीना पसीना हो गया .मदनलाल बोला
मदनलाल :-- ये बाद का वीडियो है जब तुम दोनो थक कर आराम कर रहे थे .पहले का एक्सन वाला वीडियो कामया के मोबाइल मे है .कामया का नाम सुन कर रीमा की हालत और खराब हो गई .उसने कहा
रीमा :--बाबूजी क्या कामया को भी पता है .
मदनलाल ने कांट छांट के कहानी बता दी कि कल रात जब वो बाहर निकाला तो कामया तुम्हारे कमरे की खिड़की मे खड़ी थी और अंदर झाँक रही थी उसके हाथ मे मोबाइल था जो रेकॉर्डिंग कर रहा था मुझे देख कर वो भाग गई तो बाद की रेकॉर्डिंग हमने कर दी .
मदनलाल :-- कामया तो कह रही थी कि अगर घर दीदी को पता चल गया तो तूफान आ जाएगा .जेठानी का नाम सुनते ही रीमा को साँप सूंघ गया वो हाथ जोड़ते हुए बोली .
रीमा :; बाबूजी प्लीज़ घर मे पता नही चलना चाहिए .नही तो हम बर्बाद हो जाएँगे .प्लीज़ बाबूजी घर मे मत बताना.
लोहा गरम देख मदनलाल ने एक और चोट कर दी
मदनलाल :-- बहू तो ये भी कह रही थी कि छोटे वाले भैया तो बहुत ग़ुस्सेल हैं अगर उनको पूना मे पता चल गया तो वो आकर खून ख़राबा कर देंगे . अपने पति का ज़िक्र सुनते ही रीमा पूरी तरह टूट गई उसकी आँखो मे आँसू आ गये .वो रुआंसीहोकर बोली
रीमा :-- बाबूजी प्लीज़ हमारे घर मे किसी को पता नही चलना चाहिए नही तो हमे मरना पड़ेगा .प्लीज़ बाबूजी हमे बचा लीजिए . उसके आँसू देख कर मदनलाल सोचने लगा अभी थोड़ी देर पहले तोड़ा चुचि देख रहा था तो अपने को हेरोइन समझने लगी थी निकल गई सब हेकड़ी .
मदनलाल :-- रीमा हम तो कुछ नही करेंगे मगर कामया से तुम्ही बात कर लेना ,
रीमा :-- हम कामया से बात नही कर पाएँगे .आप ही उससे बात करना .रीमा भी जानती थी औरत को मनाने से ज़्यादा आसान मर्द को मनाना है .
मदनलाल : -- रीमा ,हम तुम्हारे लिए इतना सब कुछ करेंगे बदले मे हमे क्या मिलेगा .
रीमा :-- बाबूजी आप हमें इस मुसिबत से बचा लीजिए बदले मे आप जो कहेंगे हम सब करने को तैयार हैं .
मदनलाल :-- ठीक है मगर हमे वही चाहिए जो तुम अपने जेठ को दे रही थी .
रीमा :-- बाबूजी ? ये कैसे हो सकता है .
मदनलाल ठीक है तो तुम जानो तुम्हारा काम शाम तक एक्सन वाला वीडियो भी हमारे पास आ जाएगा . फिर कुछ हो जाए तो हमे मत बोलना .
रीमा समझ गई कि अब वो फँस चुकी है अगर उसने ज़्यादा सयानपंथि दिखाने की कोशिश की तो बात हाथ से निकल सकती है इसलिए उसने तुरंत सरॅनडर होते हुए बोला
रीमा :- बाबूजी वो बात नही है हम आपको मना नही कर रहे हैं हम तो ये कह रहे थे कि घर मे कामया, मम्मी, जेठ जी सब हैं और हम को आज ही लौटना है फिर ये कैसे हो पाएगा .हां हम आपको एक प्रोमिस कर सकते हैं अगर आप किसी तरह से हमारे शहर आ जाएँ तो वहाँ आपका काम हो जाएगा वहाँ पूरी सुविधा है
मदनलाल :-- पूरी सुविधा मतलब
रीमा :-- जी वो दीदी स्कूल मे पढ़ाती है वो सुबह सात बजे चली जाती है तो दो बजे लौटती हैं और जेठ जी भी दस बजे दुकान चले जाते हैं .दस बजे से दो बजे तक पूरे चार घंटे हम अकेले रहते हैं आप किसी बहाने वहाँ आ जाइए तो जितना मन हो कर लेना .हम मना थोड़ी ना कर रहे हैं. लेकिन अभी तो कोई चान्स ही नही बन रहा .
मदनलाल :-- देखो रीमा कल जबसे हमने तुम्हारा सीना देखा है तब से ही हम उसी की बारे मे सोच रहे हैं फिर रात को तुम्हारा प्रोग्राम देखने के बाद तो हम सो ही नही पाए हैं .तुम हमारी स्थिति समझ सकती हो हमारे लिए तुम्हे नंगी देखने के बाद अपने को रोकना कितना मुश्किल हो रहा है
रीमा :-- हम आपकी हालात समझ रहे हैं इसलिए हमने ना थोड़ी ना बोला है लेकिन करना कैसे है आप जानिए .मदनलाल की हालत देख कर उसे इस मुसीबत मे भी अपने पर गर्व हो रहा था .
मदनलाल :-- एक काम करो अभी तो तुम टेस्ट दो .जब टेस्ट हो जाए तो हमे फ़ोन कर देना हम लेने आ जाएँगे .तब तक हम कुछ सोचते हैं.
रीमा के स्कूल जाने के बाद मदनलाल आइडिया लगाने लगा .एक आइडिया तो ये था कि अगर कामया इस बात के लिए मान जाए तो रीमा को यहीं रोका जा सकता था .तब तो बल्ले बल्ले हो जाती .लेकिन कामया से इस बारे मे बात करना मे ख़तरा था अगर वो नाराज़ हो गई तो दोनो चिड़िया हाथ से गई .तुलसी दास जी कह गये हैं "" नारी ना मोहे नारी के रूपा "" रीमा की कीमत पर कामया को नही खोया जा सकता था .रीमा तो चार दिन की चाँदनी थी लेकिन कामया तो सारी जिंदगी का जुगाड़ था .अभी तो खुद कामया ने अपनी टाँग नही खोली थी फिर दूसरे की उससे उम्मीद करना .बेमानी थी .आज पहली बार उसे कामया को अभी तक नही चोदने का मलाल हो रहा था .अगर कामया उससे चुद गई होती तो वो रीमको भी चुदवा देती कहावत है "" दबा बनिया दे उधार "" कामया की मदद से रीमा को चोदने का एक मतलब और भी था वो ये कि रीमा को ये शक भी हो जाता कि हमारा और बहू का चक्कर है .मदनलाल ने कामया की हेल्प का प्लान ड्रॉप कर दिया .अब उसके पास एक और जगह थी और वो था शहर के बीच नगर निगम का पार्क .वहाँ कई जोड़े आते रहते थे .हालाकी वहाँ गेम बजाने का इंतज़ाम नही था केवल चूमा चाटी हो पाती थी लेकिन मदनलाल के पास वहाँ एक दूसरा जुगाड़ था .पार्क के काफ़ी भीतर गार्ड का कमरा था जिसमे वो पहले भी कई बार गेम कर चुका था .कई बार वो मोहिनी की शादी के बाद मोहिनी को वहाँ ले जाकर पेल चुका था .इसके अलावा बाज़ारु माल को भी वहाँ ले जा चुका था . मदनलाल ने तय किया कि पेपर के बाद रीमा को वहीं ले जाएगा और एक क्वीकी करेगा .
इधर रीमा का भी बुरा हाल था एक तो उसने पहले ही कोई पढ़ाई नही की थी उपर से वीडियो देख कर तो जो आता था वो भी भूल गई .फिलहाल वो यही सोच रही थी कि किसी भी तरह बाबूजी को खुश करके बात यहीं ख़त्म करनी है .वो समय काटती रही और जैसे ही एक घंटा हुआ उसे पेपर जमा करने की इज़ाज़त मिल गई वो बाहर निकली और बाबूजी को फोन लगा दिया .
मदनलाल :-- हेलो कौन
रीमा :-- बाबूजी मैं रीमा .आप आ जाइए
मदनलाल :-- अरे तुम एक घंटे मे ही निकल आई अभी तो दो घंटे और बचे हैं .
रीमा :-- बाबूजी वो क्या है कि कुछ बन नही रहा था .

मदनलाल :-- चलो कोई बात नही वहाँ कुछ नही कर पाई तो हमारे साथ बहुत कुछ कर लेना .हम आ रहे हैं .
रीमा : -- अच्छा तो क्या सड़क पर करोगे ? रीमा ने इठलाते हुए कहा .
मदनलाल :-- हम आ रहे हैं फिर बताएँगे कि कहाँ पर करेंगे बस तुम करवाने के लिए तैयार रहना .
मदनलाल ने फटाफट एक गोली खाई और रीमा के पास पहुँचा .उसे बैठा के पार्क की ओर चल दिया .रीमा ने भी अपने को उससे चिपका दिया और अपना हाथ मदनलाल की जांघों पर रख दिया .पार्क मे पहुँचते ही द्वार बहादुर ने उसको सलाम ठोंका और बोला
बहादुर : सलाम साब .बहुत दीनो बाद आए .
मदनलाल ने एक पाँच सौ का नोट निकाल कर उसके हाथ मे रख दिया .नोट देख कर बहादुर की आँख मे चमक आ गई वो तुरंत बोला .
बहादुर :-- साब मैं जाकर कमरा खोल रहा हूँ .आप लोग अलग अलग गेप बना कर आना और कमरे मे चले जाना .और साब फोन साइलेंट मे रख देना .
मदनलाल :-- ठीक है तुम जाओ .
बहादुर :-- साब अपना जुगाड़ होगा क्या . वो धीरे से फुसफुसाया
मदनलाल :-- अबे ये बाज़ारु नहीं है ,मोहल्ले की है .बड़ी मुश्किल से आज तैयार हुई है .आज दोनो नही कर सकते .तू चिंता मत कर दो चार बार यहाँ ले आउन्गा तो फिर तेरा नंबर भी लग जाएगा .. रीमा के साथ अपने नंबर की उमीद से ही बहादुर खुश हो गया .थोड़ी देर बाद रीमा और बाबूजी एक एक कर कमरे मे पहुँच चुके थे .दोनो की नज़रे मिली तो रीमा ने नज़र झुकाली .उसे इतने बड़े आदमी के साथ यों आना अजीब लग रहा था .मदनलाल ने अपनी पेंट खिस्काई अपने मूसल बाहर निकल और रीमा को बोला
मदनलाल :-- चल डार्लिंग देख ले अपना हथियार .
मदनलाल के समान का आकर देख कर रीमा की आँखे चोडी हो गई .उसके मुख से निकला
रीमा :-- बाबूजी इतना मोटा .
मदनलाल :-- हाँ जानेमन आज तू असली लॅंड खाएगी चल चूस अब रहा नही जा रहा .
रीमा :-- बाबूजी ये तो पहले से ही तैयार है चूसूंगी तो पानी निकल जाएगा .
मदनलाल :-- बहन की लॉडी तू चूस आज तुझे पता चलेगा पानी किसका निकलता है .


 रीमा :-- बाबूजी ये आप किस तरह की भाषा बोल रहे हैं .आप तो ऐसे ना थे .
मदनलाल :-- सॉरी रीमा .दरअसल इस कमरे से हमारा पहला अनुभव ऐसा है कि ऐसे बोल निकल गये.
रीमा :-- बताइए ने बाबूजी क्या अनुभव है रीमा ने मदनलाल के औजार को मसलते हुए कहा .
मदनलाल ;-- एक बार हम संयोग से इस पार्क मे आए थे तो हमने देखा कि गार्ड एक जोड़े को कमरे के अंदर भेज रहा है हमने पीछे से घूम कर कमरे का मुआयना किया तो अंदर से आवाज़ आई ""बहन की लॉडी चल चूस"" वही हमसे ग़लती से निकल गया .सॉरी .और फिर मदनलाल ने रीमा के चौसा आम पकड़ लिए .आम मे हाथ पड़ते ही रीमा गनगॅना गई और बोली
रीमा :- लेकिन गार्ड तो आपको कह रहा था कि बहोत दिन बाद आए मतलब आप पहले भी यहाँ ये काम कर चुके हैं कहते हुए रीमा ने बाबूजी के लंड को स्ट्रोक करने लगी .
मदनलाल :-- वो क्या है कि फिर हमने गार्ड को अपना आर्मी वाला रूप दिखाया तो वो घबडा गया और बोला साब आप भी एंजाय कर लीजिए .यहाँ माल आते रहते हैं जब कभी मूड हो तो आ जाना .माल यहीं पार्क मे मिल जाएगा .और फिर मदनलाल ने रीमा को उपर से नंगी कर दिया .और बोला डार्लिंग थोड़ा चूस के गीला कर दे तो फिर शुरू करूँ .
रीमा :-- आपका बहुत बड़ा है हमारी फट जाएगी हमने इतना बड़ा कभी नही लिया .
मदनलाल :-- पगली बड़ा है तो बेहतर है फटेगी नही बल्कि असली मज़ा लेगी तुम्हारी मुनिया .आज तुम्हे असली मर्द का मज़ा मिलेगा .आज के बाद तुम्हे किसी और से चुदने मे वो मज़ा नही आएगा .जब भी कहीं चुदोगि तो हमारा ये याद आएगा .चल अब जल्दी चूस अब रहा नही जा रहा .रीमा ने भी देर किए बिना मदनलाल को डीप थ्रोट देना शुरू कर दिया .कुछ देर मे ही मदनलाल ने रीमा को दरी मे लेटा दिया और आव देखा ना ताव एक झटके मे ही रीमा के सुराख मे अपना ख़ूँटा पेल दिया .रीमा इस हमले के लिए तैयार नही थी इस लिए चीख पड़ी .उसकी चीख सुनके मदनलाल बोला
मदनलाल :-- पगली चीख मत .पूरा पार्क को बुलाना चाहती है क्या फिर शाम तक तू घर नही जा पाएगी .
रीमा :-- बाप रे कितना बड़ा है बहुत दर्द दे रहा है और आप ने भी इतना ज़ोर से झटका मार दिया .मदनलाल ::-- क्या करे डार्लिंग तुम्हारी जवानी हे ही ऐसी कि कंट्रोल नही होता और फिर मदनलाल धीरे धीरे पेलने लगा और साथ से संतरे भी मसलता जा रहा था .रीमा के चेहरे मे दर्द के भाव थे पर थोडी ही देर मे उसने अफ़गानी मूसल को अड्जस्ट कर लिया .अब वो भी बाबूजी के हर धक्के का मज़ा लेने लगी .ज्योही बाबूजी पुश करते वो नीचे से धक्का दे देती अब उसे फुल मस्ती चढ़ने लगी उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी और उसने ज़ोर से दरी को पकड़ लिया और बोली
रीमा :-- बाबूजी ऐसे ही पेलते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है .और हमारे संतरे भी पीजिए ना आपके किए ही तो हैं .
मदनलाल :-- हाँ डार्लिंग तुम्हारे संतरे हमारे लिए ही हैं और हमारे केला तुम्हारे लिए है .कैसा लग रहा है हमारा केला टेस्टी है ना .
रीमा :-- हाँ बाबूजी बहुत टेस्टी है ऐसा लग रहा है कि सारी जिंदगी खाते रहे .खिलाओगे ना हमेशा .
मदनलाल : - हाँ डार्लिंग जब बोलॉगी तब खिलाएँगे अच्छा ये तो बताओ अंदर कैसा फील हो रहा है हमारा केला .
रीमा :-- बहुत अंदर तक गया है पूरा भरा भरा लग रहा है पहले तो थोड़ा खाली भी लगता था आज से पहले इतना कभी नही भरा था .मदनलाल ::-- आज से पहले हमसे मिली होती तो कबका भर गया होता अब मदनलाल ने रीमा के बूब्स को चूसना चालू कर दिया .रीमा भी चरम की ओर पहुँचने वाली थी वो आँख बंद कर के मज़ा लेने लगी .मदनलाल कल से रीमा की जवानी को देख रहा था इसलिए अपने को ज़्यादा नही रोक पाया और तीन मिनिट मे ही रीमा के पोखर को लबालब भर दिया .रीमा ने भी बाबूजी के पानी मे अपना शहद मिला दिया और दोनो हाँफने लगे .कुछ देर मदनलाल ने ऐसे ही रीमा के नाज़ुक शरीर को दबा के रखा फिर साइड मे पलट गया .
रीमा .:-- बाबूजी घर चले .
मदनलाल :-- अरे अभी तो तुम्हारे पेपर मे ही एक घंटा बचा है अभी तो दो घंटे तक समय है एक राउंड और नही करोगी
रीमा : आपकी मर्ज़ी .मेहनत तो आपको करना है हमे तो सिर्फ़ फल खाना है .दोनो आधे घंटे लेटे रहे फिर मदनलाल ने रीमा को लंड चूसने के लिए बोला .रीमा तो इंतज़ार ही कर रही थी वो फिर शुरू हो गई पाँच मिनिट की मेहनत मे ही बाबूजी के कोबरा ने फिर अपना फन फैला दिया और बिल ढूँडने लगा .


इस बार मदनलाल ने रीमा की ऐसी बेंड बजाई कि वो बेचारी अपने पुरखों को पुकारने लगी पूरे पंद्रह मिनिट तक वो रीमा को अल्टा पलटा के पेलता रहा और रीमा केवल कराहती रही वो बार बार मदनलाल से जल्दी जल्दी करने को बोलति रही लेकिन मदनलाल तो जैसे पागल हो गया था .आख़िरी मे घोड़ी बनाके पेलते पेलते उसने एक बार फिर रीमा के पोखर मे मानसून की बौछार कर दी. रीमा पूरी तरह लस्त पस्त ही गई थी .जब कपड़े पहनने के लिए उठी तो उससे खड़ा होते भी नही बन रहा था .वो बोली
रीमा : बाबूजी आप आदमी नही सांड़ हैं सांड़ .ऐसे चढ़ गये हमारे उपर जैसे हम कोई गाय हैं .बाप रे आप ने तो हमारा कबाड़ा कर दिया .


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