Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--16

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--16


गरम खुरदूरी जीभ का अपने अंदर स्पर्श पाते ही कामया बेकाबू हो गई वो एक बार ज़ोर से ऐंठी मुँह से एक हल्की सिसकारी निकाली और झर झर कर बहने लगी. मदनलाल उस अमृत को ऐसे लपर लपर पीने लगा जैसे जन्मो जन्मो का प्यासा हो और उसका जन्म बहू के इस अमृत को पीने के लिए ही हुआ हो .कुछ देर तक जवानी का रस छोड़ने के बाद कामया निढाल हो गई और ज़ोर ज़ोर से साँस लेकर अपने को संयत करने लगी .एक बार बहू को ऑर्गॅज़म दिलाकर मदनलाल कामया के बाजू मे आकर लेट गया .बहूरानी शरम के मारे आँख बंद किए लेटी हुई थी . कुछ देर तक वो कामया के अनावृत योवां को देखता रहा फिर उसने धीरे से कामया के एक संतरे को मुँह मे भर लिया और उसका रसपान करने लगा . उसका हाथ स्वतः ही बहू की मलाई जैसी जांघों पर फिरने लगा .इतने महीनो के अनुभव से वो कामया के बदन के हर कमज़ोर पॉइंट को पहचान चुका था उसे मालूम था क़ि बहू कहाँ कहाँ हाथ लगाने से आपा खो देती है .


मदनलाल ने संकल्प कर लिया था क़ि ""आज वो हर हालत मे बहू का गर्भधान संस्कार करके रहेगा और ये तो वो पहले से ही सोच चुका था क़ि लॅंड तो तभी अंदर डालेगा जब बहू गिड़गिडाएगी क़ि प्लीज़ करो ना अब बर्दास्त नही होता "" अनुभवी चोदु मदनलाल अपनी कला दिखाने लगा .जांघों के अंदुरूनी हिस्से की मालिश करते करते उसने अपनी एक उंगली सीधी बहू की पनियाई बुर मे डाल दी .बुर मे मोटी उंगली घुसते ही कामया तड़प उठी .एक तो बाबूजी पहले से ही उसकी संतरों का जूस पी रहे थे उपर से अब चुत मे उंगली जाते ही वही हुआ जैसा मदनलाल ने सोचा था कामया बुरी तरह गरम होने लगी .कामया की साँसे भारी होने लगी आँखे गुलाबी होने लगी ज्यों ज्यों मदनलाल उंगली अंदर बाहर कर रहा था त्यों त्यों कामया मदहोश होती जा रही थी . उंगली की मार जीभ से ज़्यादा भीतर तक थी इसलिए कामया और ज़्यादा गरम हुई जा रही थी .अचानक मदनलाल ने अपनी बीच की दोनो उंगली अंदर कर दी .
कामया :: उई माँ आह आ आह .मर गई हाय दैया!!! एक बार फिर कामया की मादक सिसकारी कमरे मे गूंजने लगी .
मदनलाल ने अपनी दोनो उंगली उपर की ओर की और ""जी स्पॉट"" पर हमला कर दिया .जी स्पॉट पर बाबूजी की उंगलियाँ लगते ही कामया उछल पड़ी .कामया के पुर शरीर मे चीटियाँ सी रेंग रही थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने फुलझड़ी जला कर उसकी लव टनल मे डाल दिया हो . कामया पाँच मिनिट मे एक बार फिर ऑर्गॅज़म की ओर बढ़ने लगी .यही तो कुदरत ने स्त्रियों को नेमत बख़्शी है "" मुल्टीपल ओर्गश्म "" इधर मदनलाल उंगली अंदर बाहर कर रहा था उतार कामया की कमर अपने आप कमान की तरह उपर उठती जा रही थी चरम की ओर बढ़ते ही कामया ने सोचा क़ि बाबूजी कही फिर उसे उंगली से ही पार ना पहुँचा दें लेकिन उसे इस बार बाबूजी का मूसल चाहिए था इसलिए बोल पड़ी
कामया :: बाबूजी प्लीज़ करिए ना
मदनलाल :: कर तो रहे जान
कामया :: उंगली से नही उस से करिए
मदनलाल :: किस से बताओ
अब बेचारी बहू अपने मुँह से क्या नाम लेती सो उसने अपना हाथ बढ़ाया और बाबूजी के मूसल को पकड़ कर बोली ""इससे करिए ना ""


कामया :: बाबूजी प्लीज़ करिए ना
मदनलाल :: कर तो रहे जान
कामया :: उंगली से नही उस से करिए
मदनलाल :: किस से करें बताओ
अब बेचारी बहू अपने मुँह से क्या नाम लेती सो उसने अपना हाथ बढ़ाया और बाबूजी के मूसल को पकड़ कर बोली ""इससे करिए ना ""
अब आगे ------
मदनलाल :; बोलो ना किस से करें
कामया :: बता तो रहे हैं इस से करिए ना
मदनलाल :: इसका नाम बताओ ना
कामया :: हमको नही मालूम इसका नाम वाम
मदनलाल :: इसको लॅंड बोलते हैं अब बोलो नाम लेकर क़ि किससे करे
कामया :: जी नही हम नाम नही लेंगे .नाम लेना ज़रूरी है क्या ?
मदनलाल :: जानू प्लीज़ नाम लो ना ,समझा करो सेक्स मे थोड़ा खुल के बोला जाए तो ज़्यादा मज़ा आता है
कामया :: क्यों अभी मज़ा नही आ रहा क्या ?
मदनलाल :: आ रहा है लेकिन हमे और मज़ा चाहिए ,चलो अब बोलो
कामया :: अरे यार आप बहुत जिद्दी हो ! अच्छा चलिए लॅंड से करिए
मदनलाल :: लॅंड से करिए नही लॅंड से चोदो कहो
कामया :; ओफ हो आप भी ना .ठीक है लॅंड से चोदो .बस अब तो खुश
मदनलाल :: अच्छे से सोच लो लॅंड से चोदने को बोल रही हो . फिर बाद मे मत कहना क़ि ""यू आर चीटर"" जैसे पहले कहती थी
कामया :: पहले की बात और थी अब बात और है अब हम चीटर नही बोल सकते
मदनलाल :: क्यों ?
कामया :: क्योंकि क़ि आप पहले सिर्फ़ ससुर थे लेकिन अब आप पति भी है अब आपका हक़ बनता है हमारे साथ करने का
मदनलाल :; फिर करने का ? चोदने का बोलो
कामया :: हे राम कैसे झल्ला आशिक़ मिला है?? ठीक है आपको हमे चोदने का हक़ है बस . अब चोदोगे भी या सिर्फ़ पूछते रहोगे रात भर
मदनलाल भी अब बहू को ज़्यादा परेशान करने के मूड मे नही था सच तो ये था क़ि खुद उसका मूसल अब उसके काबू मे नही था और उसे बहुत जल्दी रिलीफ चाहिए थी .मदनलाल ने बहू की टाँगो को फैलाया और अपने को बहू की टाँगो के अंदर सेट कर लिया !बहू ने आगे आने वाले दृश्य की कल्पना से ही अपनी आँखें बंद कर ली !मदनलाल ने अपने सूपाड़े को बहू की चुत के मुहाने पर लगाया और उपर नीचे रगड़ने लगा! लॅंड का नंगी चुत मे स्पर्श से बहू एक बार फिर झनजनाने लगी बाबूजी का लॅंड किसी गरम लोहे के पिंड जैसा सख़्त था लेकिन उसके बाद भी उसकी छुवन बहू को बहुत सुखदाई लग रही थी .बाबूजी के लॅंड के आगमन की खबर से ही बहू की बुर लार टपकाने लगी जो बह बह के नीचे की ओर आ रही थी ! अनुभवी मदनलाल ने जब देखा क़ि बहु की चुत अपने नये मेहमान के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है तो उसने कामया के नन्हे से छेद मे अपना सूपड़ा फिट कर दिया ! चिकनी मुलायम चुत की त्वचा मे बाबूजी के कठोर मर्दाने अंग का अहसास कामया मे कयामत ढा रहा था .कहाँ तो सुनील का कब आता और कब जाता था पता ही नही चलता था और कहाँ बाबूजी का अंग सिर्फ़ मुहाने मे लगा ही था क़ि बहू को ऐसा लग रहा था मानो उसका पूरा आस्तित्व ही ढक गया हो !कामया को बाबूजी के अंग की विशालता विचलित कर रही थी वो आने वाले दारद के अहसास से घबड़ाई हुई थी लेकिन उसका हाल ये था क़ि मानो आग का दरिया है और तैर के जाना है !. कहते है जवानी की आग जंगल के दावानल से भी भयानक होती है वही हाल बहूरानी का भी हुआ उसका शरीर अब अपने आप प्रतिक्रिया कर रहा था .!जब बाबूजी काफ़ी देर तक केवल उपर से रगड़ते ही रहे तो अनायास ही कामया की कमर उपर की ओर उठ गई जिससे मदनलाल का सूपाड़ा एक दम चुत के मुहाने मे धस गया !
बहू के बेताबी देख मदनलाल ने भी अब किले मे झंडा गाड़ने का फ़ैसला कर लिया .उसने सूपाड़े को अच्छे से ज्वालामुखी के मुहाने मे लगाया ,अपने बदन का बोझ अपनी दोनो भुजाओं मे डाला कमर को उठा कर अपने नितंबों मे तनाव पैदा किया और जैसे ही धक्का लगाने वाला थी उस कुछ याद आ गया !. मदनलाल ने तुरंत अपनी पोज़िशन छोड़ दी और बाजू मे बैठ गया! .दरअसल पिछली बार जब सुनील आया था तो उसने कामया की चुदाई देखी थी! सुनील उसे पीछे से चोद रहा था ,मोरनी बनी बहू का पिछवाड़ा इतना सेक्सी लग रहा था क़ि मदनलाल ने वहीं के वहीं डिसाइड कर लिया था क़ि बहू का उधघाटन मोरनी /डोगी /घोड़ी बना के ही करेंगे .बाबूजी को यों अलग हुआ देख कामया चकित सी रह गई ! कामग्नी मे जल रहा उसका जवान जिस्म अब कुछ भी रुकावट के लिए तैयार नही था उसने व्यग्रता से पूछा
कामया :: क्या हुआ? रुक क्यों गये ? करेंगे नही क्या ?
मदनलाल ::: करेंगे क्यों नही ? करने के लिए तो कब से तरस रहे हैं !
कामया : तो फिर रुके क्यों ?
मदनलाल :: पीछे से करेंगे !
कामया :: ओह हो !! अब ये क्या हुआ .ऐसे ही कर लो ना . बेकार मे देर क्यों कर रहे हो ?
बहू की लॅंड खाने की बेताबी देख ससुर की तबीयत हरी हो गयी ! उसने अपने मन की इच्छा मे भी कामया की हाँ को बड़े आइडिया से मिला लिया
मदनलाल :; बहू तुम तो जानती ही हो हमे तुम्हारी गांद कितनी पसंद है रात दिन हमारे सामने तुम्हारे ये गोल मटोल हाहकारी नितंब ही घूमते रहते हैं .बहुत पहले हमने एक बार ये तय किया था क़ि आपको पहली बार प्यार पीछे से ही करेंगे ताकि हमारी आँखों के सामने पहली चुदाई इनको देखते हुए हो .
कामया :: बाबूजी आप भी ना ! क्या क्या सोच के रखा है हमारे बारे मे ,कामया ने शरमाते हुए कहा .दोनो बाप बेटे बिल्कुल एक जैसे हो हाँ !
मदनलाल :: दोनो बाप बेटे बिल्कुल एक जैसे हो . ? मतलब ???
कामया :: मतलब ये क़ि आप के साहबजादे को भी पीछे से ही करना पसंद है .लगता है पूरे खानदान को यही बीमारी है !
मदनलाल :: जानु खानदान को कोई बीमारी नही थी .ये जो तुम्हारा पिछवाड़ा है ना इसी ने सब को बीमार कर दिया है देख देख के हम दोनो पागल हो जाते हैं .भगवान की बड़ी कृपा रही है तुम पर !
कामया :: भगवान की कृपा तो रही पर अब आप कब कृपा करेंगे ? क्या सारी रात बहस मे ही बितानी है ?
मदनलाल :: हम तो अभी कृपा कर देते है ! चलो ज़रा पलट कर तैयार हो जाओ .एक बार जी भर कर देख तो ले अपनी इस प्यारी प्यारी बहूरानी की जानलेवा गांद
कामया :: बहूरानी नही अभी हम आपकी बीवी है ! और कामया उठ के चौपाया हो गई .
मदनलाल :; जानू वहाँ नही यहाँ किनारे पर आओ हम नीचे से खड़े होकर करेंगे .मदनलाल के दिमाग़ मे वो लोकेशन अभी भी ताज़ी थी जो उसने खिड़की से देखी थी और वो कामया को उसी पोज़िशन मे चोदना चाहता था !
कामया उसकी बात सुनकर बेड के किनारे आ गई और मोरनी बनते हुए बोली
कामया :; आप मर्दों की भी ना पता नही क्या क्या फॅंटेसी रहती है अगर आपका बस चले तो औरतों को तो उठने बैठने ना दें सारा दिन लिटा के ही रखें .
मदनलाल :: डार्लिंग चिंता मत करो जिस दिन भी शांति घर मे नही रहेगी तुम्हे पूरे दिन नंगी ही रखूँगा जैसे मधु का ससुर मधु को रखता है
कामया :: आहा हा बड़े आए .न्यूड रखने वाले ! बहू हूँ आपकी? बेटा तो कभी न्यूड रखता नही पापा को ज़्यादा मस्ती चढ़ रही है ! कहते हुए कामया बेड के बिल्कुल किनारे आ कर लग गई उसने बेड मे अपने कंधे टिका दिए जिससे उसके नितंब और उपर की ओर उठ गये .इस मोरनी आसन मे कामया की गांद इतनी मनोहारी लग रही थी क़ि ऋषि मुनि और देवता भी ललचा जाएँ .मदनलाल को अब समझ आया क़ि क्यों देवराज इन्द्र शत्रु से लड़ाई करने क़ि बजाय अप्सरा से काम चला लेता था!.भला ऐसी खुली हुई सेक्सी और मलाईदर गांद देख कर कौन शत्रु राजा बिस्तर छोड़ युध के मैदान मे जाना चाहेगा .
बहू की चौड़ी चकली ,गोल मटोल नितंब देख कर मदनलाल एक बार फिर चाटने के मूड मे आ गया .वो घुटने के बाल बैठ गया और बहू की पूरी गांद को जीभ निकाल कर ऐसे चाटने लगा जैसे सांड़ गाय को चाटता है! बहू के दोनो तबलों को चाटने के बाद उसने एक बार फिर चुत मे मुँह रख दिया और उपर की ओर चाटता चला गया .जैसे ही जीभ गांद के छेद मे पहुँची कामया गनगॅना गई इधर मदनलाल भी मन ही मन बोला डार्लिंग तू भी चिंता मत कर हम अपने पड़ोसियों को भी प्यार करते हैं ! कामया एक बार फिर उत्तेजना के शिखर पर पहुँच गई थी इसलिए उसने फिर विनती की
कामया :: जानू प्लीज़ अब और मत तड़पाओ !.प्लीज़ करो ना सॉरी मेरा मतलब चोदो ना! .नाउ आइ नीड योर कॉक इनसाइड मी ! कम ऑन हनी फक मे हार्ड लाइक योर स्लट .लाइक आ बिच !! .टियर मी अपार्ट
मदनलाल ने बहू की गर्माहट देखी तो अपने लॅंड को बहू की चुत के छेद मे सेट कर दिया .कामया गरम और सख़्त माँस के उस खंबे को अपनी योनि मे महसूस कर तड़प उटी .मदनलाल ने बहू की कमर को पकड़ा और एक करारा शॉट दे मारा .शॉट के साथ ही बहू के मुख से एक चीख निकली और वो लड़खड़ा के बेड मे ही पट गिर पड़ी उसके चेहरे पर दर्द भरा हुआ था .घबडा कर बहू ने अपना हाथ अपनी चुत पर लगाया और चेक करने लगी क़ि ठीक है या फट गई है .उसके चेहरे पर भय व्याप्त हो गया था सहमते हुए वो बोली



कामया :; बाबूजी हमसे नही हो पाएगा !! हमारी जान निकल जाएगी ? बाप रे बाप कितना दरद दे रहा है !!हमको नही करवाना ! करवाएँगे तो हम तो मर ही जाएँगे !
ससुर इस नयी समस्या से परेशान हो गया .एक बात तो वो समझ गया क़ि कामया क़ि पहली चुदाई घोड़ी बना के करना असंभव है .बहू तो हर धक्के मे ऐसे ही सामने गिर जाएगी या आगे भाग जाएगी .पहली चुदाई तो बहू को अपने नीचे अच्छे से दबा के रखकर ही की जा सकती है ताकि बिल्कुल हिल डुल ना पाए जब तक क़ि पूरा घुस ना जाए .
मदनलाल को पुराने अनुभव याद आ गये .शांति और मोहिनी के अलावा भी वो चार पाँच लड़कियों का शील भंग कर चुका था .जिसमे उसके गाँव मे काम करने वाली नौकरानी की लड़की से लेकर खेत मे काम करने वाली मज्दुरने थी! एक बात जो पक्की थी वो उसे याद आई क़ि किसी कुँवारी लड़की का उससे चुदवाना किसी बुरे सपने से कम नही होता था .इसलिए अगर बहूरानी इतना हाय तौबा मचा रही है तो ये कोई ग़लत नही है .आख़िर वो भी टेक्निकली तो कुँवारी ही है .मदनलाल बहू को समझाते हुए बोला
मदनलाल :: जान इतना क्यों डर रही हो पहली पहली बार ऐसा होता है थोड़ी ही देर मे सब ठीक हो जाएगा !
कामया :: नही बाबूजी ? बहुत दरद हुआ था .हम कहीं मर ना जाए !
मदनलाल : धत पगली ! आज तक कहीं सुना है क़ि सुहाग रात को कोई औरत मरी है हमने तो इतनी बड़ी जिंदगी मे कभी नही सुना क़ि कोई पत्नी अपनी पति का प्यार पाते समय मर गई हो ! शांति को देखो कैसे मस्त रहती है .
कामया :: मगर बाबूजी आपका बहुत बड़ा है ! कहीं फट ना जाए
मदनलाल :: अरे मेरी जाने जिगर औरत की योनि इस प्रकार की बनी होती है क़ि हर साइज़ के अनुसार अड्जस्ट हो जाती है ! फटने से डर रही हो थोड़ी देर पहले तो बोल रही थी "" टियर मे अपार्ट "'. पॉज़िटिव सोचो ""बड़ा है तो बेहतर है ""!सौ ग्राम से डर रही हो तो तीन किलो का बच्चा कैसे पैदा करोगी! माँ बनना है क़ि नहीं ?
कामया :: मां तो हर हाल मे बनना है चाहे मरना क्यों ना पढ़े !
मदनलाल :: तो फिर डरो मत और फिर से हिम्मत करो .हम पर भरोसा करो हम तुम्हे कुछ नही होने देंगे !तुम तो हमारी जान हो
कामया :: ठीक है बाबूजी ! हम अपने आपको आपके भरोसे छोड़ रहे हैं .प्लीज़ धीरे धीरे करिए .और वो फिर से घोड़ी बनने के लिए आने लगी .तो मदनलाल तुरंत बोल पड़ा .
मदनलाल ::"" ना ना डार्लिंग वहीं लेटी रहो अब हम लिटा कर उपर चढ़ कर करेंगे !"" कामया वहीं पर लेट गई और उसने बाबूजी के लिए अपनी टाँग उठा दी और मुस्कराते हुए बोली !
कामया :: जानू ""करेंगे नही चोदेन्गे बोलिए ""



1 comment:

MOHIT said...

Awesome story


Mast Story h

Aage ke part post karo jaldi se jaldi ; jaldi ; fast

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