FUN-MAZA-MASTI
मुझे मेरी बहनों पर पूरा भरोसा था--1
दोस्तो, छुट्टीयों के दिन थे और गर्मियों का मौसम चल रहा था।
मेरी मौसी की लडकी सुमन छुट्टियाँ मनाने के लिये हर साल हमारे घर आती थी, सो; इस साल भी वो आ गई थी।
आप तो जानते ही हैं, इधर मेरी दीदी ने मुझे चोदने का चस्का लगा रखा था!!
ऐसा एक भी दिन नहीं जाता था जब हम एक दूसरे को चोदे नहीं!! !!!
एक दिन खाना नहीं मिले तो चलेगा, मगर मुझे हर रोज चूत चाहिये थी… …
मैं भी अपनी बहनों की तरह ही “चुद्दक्कड” बन गया था… … ये सब मेरी दीदी कि मेहरबानी थी… मैं हर रोज मेरी दोनों बहनों को चोदता था!!! !!
कभी-कभी छोटी दीदी अपने लिये कोई नये लण्ड का इंतेजाम करती थी, पर मेरी बडी दीदी को अब सिर्फ़ मेरा लण्ड ही पसंद था। शायद उन्होंने मेरे सिवा किसी और का लण्ड ना लेने की कसम खा ली थी।
ऐसे देखा जाये तो उनकी ये बात एक दम सही भी थी की उन्हें जब चाहे घर में बडी आसानी से मेरा लण्ड मिल सकता था।
जिस दिन सुमन हमारे घर आई थी, उस दिन हमें पूरा दिन बिना चोदे गुजारना पडा, मैं मेरी किसी भी दीदी के मम्मे दबा सका और ना ही उनके मम्मे चूस सका।
दिन तो ऐसा ही गुजर गया। फ़िर रात में हम तीनों भाई- बहन ने खुब मजे लिये। पूरे दिन की कसर पूरी कर ली!! पर सब कुछ बिल्कुल चुप-चाप… ना कोई बात; ना कोई शोर्!! एक दम सन्नाटा… …
क्या करते सुमन सोने के लिये हमारे कमरे में जो आई थी। कुछ देर बाद स्वाती दीदी ने मेरे तरफ़ मुँह किया और मेरा हाथ पकडकर अपने मम्मे पर रख दिया।
मैं धीरे-धीरे उनके मम्मे मसलने लगा, कुछ देर बाद मैंने दीदी का एक मम्मा मुँह में लिया और चूसने लगा और एक हाथ से दूसरा मम्मा दबाने लगा…
उधर नेहा दीदी सुमन को बातों में उलझा रही थीं कि उसका ध्यान हमारी तरफ़ ना आये।
फ़िर मैंने मेरी एक उंगली स्वाती दीदी की चूत में डाल दी और उसे धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा… दीदी भी नीचे से गाण्ड हिलाकर मुझे सह्योग देने लगीं!!!
फ़िर मैंने दीदी की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर-बाहर करने लगा… स्वाती दीदी अब बहुत गरम हो गई थीं!! उनकी चूत लगातार पानी छोड रही थी… !!!
दीदी से अब रहा नहीं जा रहा था… … और तभी उसी करवट पर दीदी ने मेरा लण्ड अपनी हाथ में पकडकर अपनी चूत पर लगा डाला।
मैंने भी मेरा मुँह दीदी के मुँह पर रखा और अपना पूरा लण्ड दीदी की चूत में धकेल दिया… !! दीदी ने भी मेरा पूरा लण्ड अंदर ले लिया और कुछ देर तक उसे अंदर ही भिंच लिया और मेरा लण्ड अपनी टांगों के बीच दबाने लगीं… …। …
मुझे बहुत अच्छा महसुस हो रहा था; लेकिन मैं दीदी के ऊपर चढकर उसे जोर-जोर से चोदना चाहता था… …। लेकिन हमारे कमरे में सुमन के होने की वजह से हम ऐसी पोजीशन नहीं ले सकते थे… और मुझे दीदी को उसी पोज मे चोदना पड रहा था।
ऐसे चोदने में इतना मजा तो नहीं आ रहा था, लेकिन क्या करते हमारी मजबूरी थी।
आदमी को एक ही स्टाइल में भी क्या मजा आता है…?? लेकिन मजबुरी थी!!
मैंने दीदी से धीरे से कहा – दीदी, सुमन का कुछ तो बंदोबस्त करना पडेगा।
मेरे राजा तु उसकी भी चूत मारना चाहता है क्या…?? दीदी बोली।
ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था… …
मैंने कहा – दीदी क्या सुमन भी मुझसे चुदवा लेगी…?? तो, दीदी बोलीं – हाँ, मेरे राजा!! हर लड़की किसी ना किसी से चुदवा तो लेती ही है; लेकिन मुझे नहीं लगता है कि उसने अभी तक किसिसे चुदवाया है… … …
अब मैं बोला – दीदी, फ़िर वो मुझसे चुदवायेगी क्या…?? तुम कोशिश तो करके देखो ना…
दीदी बोलीं – मैं कुछ चक्कर चला कर देखती हूँ; अगर बात बनती है तो तूझे सुमन की भी चूत मिलेगी!!! !!
मैंने कहा – फ़िर तो दीदी कोशिश करके जरुर देखो, मुझे पूरा विश्वास है तुम उसे चुदने के लिये तैयार कर लॉगी!!! !!
तो दीदी बोलीं – हाँ मेरे बहन-चोद भैय्या, मुझे भी अलग-अलग स्टाईल से चुदवाने की आदत है!! ऐसे बिस्तर में चुदवाने में मुझे भी बिल्कुल मजा नहीं आ रहा है… और अगर सुमन को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी!! वो सबको बता देगी कि हम सगे भाई-बहन चुदाई करते हाँ; फ़िर क्या होगा…?? ये सोच कर, मुझे तो डर लग रहा है…
मैंने कहा – हाँ दीदी, तुम्हारी बात तो एकदम सही है… अगर सुमन हमारा साथ देती है; तो फ़िर कोई बात नहीं… कहते है ना, चोर-चोर मोसेरे भाई!!! !!
तु तो बहुत बडी-बडी बातें करता है रे – दीदी ने कहा।
मैं चुप हो गया और फिर से दीदी को चोदने लगा!!! …
थोडी देर बाद हमारा राउंड पूरा हो गया… …
हमारा काम होने के बाद मैं पेशाब करने बाथरुम में चला गया और स्वाती दीदी ने सुमन दीदी की तरफ़ मुँह फ़ेर लिया…
नेहा दीदी जान गई थी कि हमारी राउंड पूरा हो गया है!! अब मजे लेने का नंबर नेहा दीदी का था… … …
मैं बाथरुम से अंदर आ गया और सोने के लिये अपनी जगह गया तो स्वाती दीदी बोलीं – राज, तुम नेहा की साइड से सो जाओ, मुझे बहुत गर्मी हो रही है…
सच तो वो ये कहना चाहती थीं – राज, तुम अब नेहा की चुदाई करो!!! !!
मैं समझ गया… …
मेरे कुछ बात करने से पहले ही सुमन ने स्वाती दीदी के पेट पर हाथ रख कर सोने की कोशिश करने लगीं।
मैं नेहा दीदी के बाजु में जाकर बैठ गया और चद्दर के अंदर हाथ डाल कर दीदी के मम्मे ढूढ़ने की कोशिश करने लगा… …
मैंने पाया की दीदी चद्दर के अंदर एकदम नंगी सोयी थीं; मेरे लण्ड के इंतजार में…
अब मैं धीरे से उनके मम्मे सहलाने लगा तो वो बोलीं – पूरी पिच गीली है, तुम डायरेक्ट बैटिंग करो।
मैं दीदी के चद्दर में घुस गया और मैंने देखा उनकी चूत गीली हो गई थी!!! !!
हमारी (मेरी और स्वाती दीदी की) चुदाई का कार्यक्रम नेहा दीदी को मालुम था…
हमारे बिस्तर में होने वाली हल-चल उन्होंने महसुस की थी!! देर ना करते हुये नेहा दीदी ने मेरा लण्ड पकडा और सीधा अपने चूत के मुँह पर लगा दिया!!!
मुझे मेरी बहनों पर पूरा भरोसा था--1
दोस्तो, छुट्टीयों के दिन थे और गर्मियों का मौसम चल रहा था।
मेरी मौसी की लडकी सुमन छुट्टियाँ मनाने के लिये हर साल हमारे घर आती थी, सो; इस साल भी वो आ गई थी।
आप तो जानते ही हैं, इधर मेरी दीदी ने मुझे चोदने का चस्का लगा रखा था!!
ऐसा एक भी दिन नहीं जाता था जब हम एक दूसरे को चोदे नहीं!! !!!
एक दिन खाना नहीं मिले तो चलेगा, मगर मुझे हर रोज चूत चाहिये थी… …
मैं भी अपनी बहनों की तरह ही “चुद्दक्कड” बन गया था… … ये सब मेरी दीदी कि मेहरबानी थी… मैं हर रोज मेरी दोनों बहनों को चोदता था!!! !!
कभी-कभी छोटी दीदी अपने लिये कोई नये लण्ड का इंतेजाम करती थी, पर मेरी बडी दीदी को अब सिर्फ़ मेरा लण्ड ही पसंद था। शायद उन्होंने मेरे सिवा किसी और का लण्ड ना लेने की कसम खा ली थी।
ऐसे देखा जाये तो उनकी ये बात एक दम सही भी थी की उन्हें जब चाहे घर में बडी आसानी से मेरा लण्ड मिल सकता था।
जिस दिन सुमन हमारे घर आई थी, उस दिन हमें पूरा दिन बिना चोदे गुजारना पडा, मैं मेरी किसी भी दीदी के मम्मे दबा सका और ना ही उनके मम्मे चूस सका।
दिन तो ऐसा ही गुजर गया। फ़िर रात में हम तीनों भाई- बहन ने खुब मजे लिये। पूरे दिन की कसर पूरी कर ली!! पर सब कुछ बिल्कुल चुप-चाप… ना कोई बात; ना कोई शोर्!! एक दम सन्नाटा… …
क्या करते सुमन सोने के लिये हमारे कमरे में जो आई थी। कुछ देर बाद स्वाती दीदी ने मेरे तरफ़ मुँह किया और मेरा हाथ पकडकर अपने मम्मे पर रख दिया।
मैं धीरे-धीरे उनके मम्मे मसलने लगा, कुछ देर बाद मैंने दीदी का एक मम्मा मुँह में लिया और चूसने लगा और एक हाथ से दूसरा मम्मा दबाने लगा…
उधर नेहा दीदी सुमन को बातों में उलझा रही थीं कि उसका ध्यान हमारी तरफ़ ना आये।
फ़िर मैंने मेरी एक उंगली स्वाती दीदी की चूत में डाल दी और उसे धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा… दीदी भी नीचे से गाण्ड हिलाकर मुझे सह्योग देने लगीं!!!
फ़िर मैंने दीदी की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर-बाहर करने लगा… स्वाती दीदी अब बहुत गरम हो गई थीं!! उनकी चूत लगातार पानी छोड रही थी… !!!
दीदी से अब रहा नहीं जा रहा था… … और तभी उसी करवट पर दीदी ने मेरा लण्ड अपनी हाथ में पकडकर अपनी चूत पर लगा डाला।
मैंने भी मेरा मुँह दीदी के मुँह पर रखा और अपना पूरा लण्ड दीदी की चूत में धकेल दिया… !! दीदी ने भी मेरा पूरा लण्ड अंदर ले लिया और कुछ देर तक उसे अंदर ही भिंच लिया और मेरा लण्ड अपनी टांगों के बीच दबाने लगीं… …। …
मुझे बहुत अच्छा महसुस हो रहा था; लेकिन मैं दीदी के ऊपर चढकर उसे जोर-जोर से चोदना चाहता था… …। लेकिन हमारे कमरे में सुमन के होने की वजह से हम ऐसी पोजीशन नहीं ले सकते थे… और मुझे दीदी को उसी पोज मे चोदना पड रहा था।
ऐसे चोदने में इतना मजा तो नहीं आ रहा था, लेकिन क्या करते हमारी मजबूरी थी।
आदमी को एक ही स्टाइल में भी क्या मजा आता है…?? लेकिन मजबुरी थी!!
मैंने दीदी से धीरे से कहा – दीदी, सुमन का कुछ तो बंदोबस्त करना पडेगा।
मेरे राजा तु उसकी भी चूत मारना चाहता है क्या…?? दीदी बोली।
ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था… …
मैंने कहा – दीदी क्या सुमन भी मुझसे चुदवा लेगी…?? तो, दीदी बोलीं – हाँ, मेरे राजा!! हर लड़की किसी ना किसी से चुदवा तो लेती ही है; लेकिन मुझे नहीं लगता है कि उसने अभी तक किसिसे चुदवाया है… … …
अब मैं बोला – दीदी, फ़िर वो मुझसे चुदवायेगी क्या…?? तुम कोशिश तो करके देखो ना…
दीदी बोलीं – मैं कुछ चक्कर चला कर देखती हूँ; अगर बात बनती है तो तूझे सुमन की भी चूत मिलेगी!!! !!
मैंने कहा – फ़िर तो दीदी कोशिश करके जरुर देखो, मुझे पूरा विश्वास है तुम उसे चुदने के लिये तैयार कर लॉगी!!! !!
तो दीदी बोलीं – हाँ मेरे बहन-चोद भैय्या, मुझे भी अलग-अलग स्टाईल से चुदवाने की आदत है!! ऐसे बिस्तर में चुदवाने में मुझे भी बिल्कुल मजा नहीं आ रहा है… और अगर सुमन को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी!! वो सबको बता देगी कि हम सगे भाई-बहन चुदाई करते हाँ; फ़िर क्या होगा…?? ये सोच कर, मुझे तो डर लग रहा है…
मैंने कहा – हाँ दीदी, तुम्हारी बात तो एकदम सही है… अगर सुमन हमारा साथ देती है; तो फ़िर कोई बात नहीं… कहते है ना, चोर-चोर मोसेरे भाई!!! !!
तु तो बहुत बडी-बडी बातें करता है रे – दीदी ने कहा।
मैं चुप हो गया और फिर से दीदी को चोदने लगा!!! …
थोडी देर बाद हमारा राउंड पूरा हो गया… …
हमारा काम होने के बाद मैं पेशाब करने बाथरुम में चला गया और स्वाती दीदी ने सुमन दीदी की तरफ़ मुँह फ़ेर लिया…
नेहा दीदी जान गई थी कि हमारी राउंड पूरा हो गया है!! अब मजे लेने का नंबर नेहा दीदी का था… … …
मैं बाथरुम से अंदर आ गया और सोने के लिये अपनी जगह गया तो स्वाती दीदी बोलीं – राज, तुम नेहा की साइड से सो जाओ, मुझे बहुत गर्मी हो रही है…
सच तो वो ये कहना चाहती थीं – राज, तुम अब नेहा की चुदाई करो!!! !!
मैं समझ गया… …
मेरे कुछ बात करने से पहले ही सुमन ने स्वाती दीदी के पेट पर हाथ रख कर सोने की कोशिश करने लगीं।
मैं नेहा दीदी के बाजु में जाकर बैठ गया और चद्दर के अंदर हाथ डाल कर दीदी के मम्मे ढूढ़ने की कोशिश करने लगा… …
मैंने पाया की दीदी चद्दर के अंदर एकदम नंगी सोयी थीं; मेरे लण्ड के इंतजार में…
अब मैं धीरे से उनके मम्मे सहलाने लगा तो वो बोलीं – पूरी पिच गीली है, तुम डायरेक्ट बैटिंग करो।
मैं दीदी के चद्दर में घुस गया और मैंने देखा उनकी चूत गीली हो गई थी!!! !!
हमारी (मेरी और स्वाती दीदी की) चुदाई का कार्यक्रम नेहा दीदी को मालुम था…
हमारे बिस्तर में होने वाली हल-चल उन्होंने महसुस की थी!! देर ना करते हुये नेहा दीदी ने मेरा लण्ड पकडा और सीधा अपने चूत के मुँह पर लगा दिया!!!
No comments:
Post a Comment