Monday, August 17, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक परिवार ऐसा भी --5

FUN-MAZA-MASTI

एक परिवार ऐसा भी --5     


गतान्क से आगे......... 
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक परिवार ऐसा भी का पाँचवा
  भाग लेकर हाजिर हूँ आशा करता हूँ कि ये कहानी आपको पसंद 
आ रही होगी--- सुनीता के पिताजी, मिस्टर. अजय कौल एक शानदार व्यक्तित्व 
के मालिक थे. उनकी लंबाई करीब 6'2 थी, गठिला शरीर, चौड़े कंधे नीली
आँखे. 53 साल की उमर मे भी वो काफ़ी जवान दीखाई देते थे. उनकी
एक दवा की दुकान थी जो उनके घर के पास ही थी. उनके जितने भी
जान पहचान वाले थे सभी उनकी काफ़ी इज़्ज़त किया करते थे.

आज वो अपनी दुकान के काउंटर के पीछे खड़े हो एक पर्ची देख रहे
थे जिसे एक लड़कीं ने उन्हे अभी अभी पकड़ाई थी. वो इस लड़की को
पहचानते थे. ये मार्केट मे अक्सर दीखाई दिया करती थी और अक्सर
उसकी दुकान से दवाई या मेकप का समान खरीदने आया करती थी.

जब वो दुकान मे दाखिल हुई थी तो उन्होने उसे देखा था, उसने एक हल्के
नीले रंग का सलवार सूट पहन रखा था और एक काला दुपट्टा उसने
कंधे पर डाल रखा था. उसने काफ़ी भारी मेकप किया हुआ था और
होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी.

उस लड़की ने अजय को पर्ची पकड़ाई और मेक अप के समान वाले काउंटर
पर देखने लगी.

अजय ने अक्सर इस लड़की को इतराते हुए मार्केट मे देखा था. वो अपने
कूल्हे मटका मटका मार्केट मे घूमती थी. उसने कई बार उसे अलग अलग
गाड़ियों मे बैठ कर जाते देखा था. उसे पूरा विश्वास था की ये
लड़की धंधा करती है और पेशे से एक वैश्या है.

उस लड़की के बदन से उठती पर्फ्यूम की सुगंध वो महसूस कर रहा था
साथ ही उसकी लो कट के कमीज़ से उसकी चुचियों की दरार सॉफ
दीखाई दे रही थी और उसके निपल भी झीने कपड़े से बाहर को
निकलते दीख रहे थे. उसके पेशे मे ब्रा की क्या ज़रूरत है.

"बेटा," अजय ने कहा, "ये तुम्हारी पर्ची है."

उस लड़की को बेटा बुलाने पर एक बार तो गुस्सा आया फिर उसने हाँ मे
अपनी गर्दन हिला दी.

अजय उसके चेहरे को देख उसकी उमर का अंदाज़ा लगाने लगा. शायद 28-
29 साल की होगी, और देखने मे काफ़ी अच्छी लग रही थी.

अजय ने उसकी पर्ची मे लिखी दवाइयाँ निकाली और उसके हाथ मे पकड़ा
दी. जैसे ही वो पर्स से पैसे निकालने लगी अजय उसकी भारी भारी
छातियों को घूर्ने लगा. उसे पता था की अजय क्या देख रहा है
इसलिए वो इस अंदाज़ मे खड़ी हो गयी की अजय और अच्छी तरह उसकी
चुचियों को देख सके.

उस औरत ने पैसे पकड़ाते हुए उसके हाथ को छू लिया. अजय दुकान के
बाहर देखने लगा और अपने सूखे होठों पर ज़ुबान फिराने लगा.

"क्या चाहिए? शॉर्ट टाइम या फुल नाइट," उस लड़की ने उसका हाथ
पकड़ते हुए कहा.

एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए अजय ने कहा, "शॉर्ट टाइम."

दोनो ने पैसे तय किए और अजय ने उसे एक घंटे बाद आने को कहा
क्यों की वो दुकान बंद करने वाला था. वो लड़की एक हल्की सी मुस्कराहट
देते हुए दुकान से चली गयी. एक घंटे बाद अजय ने दुकान बंद की
और उसका इंतेज़ार करने लगा.

एक घंटे बाद वो आते हुए दीखी. अजय ने शटर उठा दिया और वो
अंदर आ गयी. अजय ने फिर से शटर गिरा कर बंद कर दिया.

अजय ने उसे पैसे दिए और उसके छोटे और गरम बदन को अपनी बाहों
मे भर लिया. वो उसके पीठ को सहलाते हुए उसके होंठ और गर्दन को
चूमने लगा.

"अच्छा भाई साहिब…." वो हंसते हुए बोली, "समय क्यों बर्बाद कर रहे
हो?"

"भाई साहेब चा चा बोलो" अजय अपने लंड को उसकी चूत पर
घिसने लगा. उसे थोडा झुक कर ऐसा करना पड़ रहा था कारण उसकी
लंबाई सिर्फ़ 5'2 थी और उसकी 6'2.

अजय ने उसकी कमीज़ उतार दी और झुक कर उसकी चुचियों को मसलने
लगा और उसके निपल चूसने लगा. उसने दूसरे हाथ से उसके सलवार का
नडा खोला और नीचे खिसका दिया और और उसकी नंगी गंद को सहलाने
लगा. उसने पैंटी नही पहन रखी थी.

उसने उस लड़की को काउंटर सामने रखे हुए बड़े से कार्ड बोर्ड बॉक्स पर
लिटा दिया जो उसने वाहा बिस्तर के रूप मे रखा था. वो इतना बेदर्दी
नही था कि उसे ठंडे फर्श पर नंगा लिटा देता.

अजय ने फिर अपनी सफेद कमीज़ उतारी. उसकी छाती भूरे बालों से
भरी हुई थी. उसने उठ कर अपनी पॅंट भी खोल कर उतार दी. अब वो
कार्टून पर लेती उस रॅंड के भरे शरीर को देख रहा था. पता नही
सुबह से कितने लंड वो ले चुकी होगी, शायद तीन या उससे भी ज़्यादा.

उस लड़की ने उसके भारी मूसल लंड को देखा तो देखती रह
गयी, "आराम से चा...चा."

वो सोच रहा था कि पता नही ये लड़की इस धंधे मे है, ये भी तो
किसी की बेटी होगी जैसे सुनीता और शीला उसकी बेटियाँ है.

"क्या नाम है तुम्हारा?" अजय अपने लंड को मसलते और अपने होठों
पर ज़ुबान फेरते हुए पूछा.

"क्या नाम चाहिए चा.चा." वो मादक मुस्कान के साथ बोली साथ ही
लेटे हुए अपनी एक टाँग दूसरी टाँग पर घिसने लगी.

"सुनीता," बिना सोचे उसके मुँह से निकाला.

अजय ने काउंटर पर रखे कॉंडम के डिब्बे मे से एक कॉंडम निकाला और
अपने 8' इंची लंड पर लगा लिया.

अजय उसकी टाँगो के बीच आ गया और देखने लगा की किस तरह वो
अपनी चूत को फैलाए हुए थी. उसकी गुलाबी चूत का अन्द्रुनी हिस्सा
सॉफ दिखाई दे रहा था. उसने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर
लगाकर हल्का सा धक्का दिया. फिर उसने उसकी टाँगो को उठा कर अपने
कंधे पर रख ली और एक ज़ोर का धक्का मार अपना लंड पूरा का पूरा
अंदर घुसा दिया.

"आराम से चा...चा दर्द होता है," वो दर्द से हल्के से चीख पड़ी.

अजय थोड़ी देर तक उसे जोरों से चोदता रहा और हर धक्के के साथ
अपने लंड को और अंदर तक पेल देता. उसकी चूत वैसे तो लंड लेने
की आदि थी फिर भी अजय को लगा की उसकी चूत की मांसपेशियाँ उसके
लंड को जकड़े हुए है.

"चाचा. कितना बड़ा लंड है तुम्हारा," उसने अपनी प्यारी आवाज़ मे
कहा.

"सुनीता," उसने अपनी आँखे बंद कर पूछा, "तुम्हारे साथ वो कार मे
कौन था?" वो उसकी गंद को मसल्ने लगा. और अपनी उंगली उसकी गान्ड मे
डालते हुए जोरों से धक्के मारने लगा.

"चाचा वो मेरा दोस्त था." उसने जवाब दिया.

"नही …….दोस्त नही……लड़का था." अब वो उसकी गान्ड मे उंगली अंदर बाहर
करने लगा.

"हाँ.लड़का था चाचा." वो भी उसके साथ खेलने लगी.

अजय कल्पना करने लगा की वो एक गाड़ी मे किसी लड़के साथ बैठी है
और अपनी टाँगे फैला रखी है और वो लड़का गाड़ी चलाते हुए उसकी
चूत को मसल रहा है, "और उसने तुम्हारे साथ क्या किया?" अजय ने
अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए पूछा.

वो कल्पना करने लगी कि गाड़ी की पिछली सीट पर वो लेटी हुई है
और वो लड़का उसकी चूत को चोद रहा है.

"ओह्ह चाचा उसने मेरे साथ बदतंमजी की." उसने कहा और अपनी टाँगे
अजय के कंधों से निकाल उसकी कमर से लपेट ली. अब वो अपनी कमर
हिला उसके धक्कों का साथ देने लगी.

"क्या किया उसने?" अजय ने पूछा, और उसकी एक चुचि को ज़ोर से
भीचने लगा और सुनीता की भारी चुचि की कल्पना करने लगा.

"मेरे मम्मे दबाए फिर….." जिस तरह से अजय उसे चोद रहा था वो
समझ गयी कि इस तरह की बातें अजय मे और जोश भर देती है.

"फिर…सुनीता" अजय उसके निपल को भींचते हुए बोला.

"फिर उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोला…..दबाओ" कहते
हुए उसने अपनी टाँगे उसकी कमर मे और कस ली.

"फिर क्या हुआ?" अजय ने पूछा.

"फिर उसने अपना हाथ मेरी टाँगो के बीच रखकर मेरी चूत से खेला
और अपनी उंगली से मेरी चूत को चोदा." उसने कहा, "फिर मुझे
पिछली सीट पर लेजाकर मेरी सलवार उतार दी और अपना लंड मेरी
चूत मे डालकर मुझे चोदा." वो गहरी साँसे लेते हुए बोली.

"मज़ा आया तुम्हे?" अजय ने पूछा. अब वो और ज़ोर से उसे चोदने लगा.
उसकी गोलियाँ उसकी गंद पर ठोकर मार रही थी. ये कल्पना उसे
बहुत मज़ा दे रही थी और वो एक नौजवान की तरह इस लड़की को
चोदना चाहता था.

"नही चाचा मुझे बहुत तकलीफ़ हुई," उसने कहा,

"लेकिन अब तो मज़ा रहा है ना…….सच सच बताओ झूठ मत बोलना……
अपने डॅडी को सच बोलो सुनीता." अजय उसे और जोरों से चोदते हुए
बोला.

उस छोटी सी दवाई की दुकान मे उन दोनो की गहरी साँसे और चुदाई की
आवाज़े गूँज रही थी.

"हन…पिताजी….बहुत मज़ाअ आ रहा है….लेकिन आपका लंड उसके लंड से
ज़्यादा लंबा और मोटा है…….आपके लंड से बहुत मज़ा मिल रहा है."
वो अपने अनुभव से समझ गयी की अजय का अब छूटने वाला है.

"क्या उसने अपना पानी तुम्हारी चूत मे छोड़ा था?" अजय का अब छूटने
वाला था.

"हां.अंदर डाला था……आप भी अपना पानी मेरी चूत के अंदर छोड़
दो, अपनी सुनीता की चूत को अपने वीर्य से भर दो." वो कूल्हे
उछालते हुए बोली.

यही तो वो सुन्नना चाहता था. वो कल्पना करने लगा कि ठीक इसी
तरह सुनीता उसके नीचे लेटे उससे चुदवा रही है और उसके लंड ने
कॉंडम मे अपना वीर्य छोड़ दिया.
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18 साल की शीला को बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था कि उसके भाई विजय
और राज उसकी बड़ी बेहन सुनीता की चुदाई करते है. और रोज़ करते
है. वो तो अपने ही ख़यालों मे खोई रहती थी. उसके घर मे इतनी
पाबंदी थी उसे बड़ी मुश्किल से घर से बाहर निकलने का मौका मिला
करता था.

उसे अपनी पढ़ाई पूरी किए आज 6 महीने हो गये थे. उस दिन से आज
तक वो सिर्फ़ तीन बार घर से बाहर जा सकी थी वो भी अपने माता
पिता के साथ. उसके पिताजी उसे वो आज़ादी नही देते थे जो उसकी बाकी
सहेलियों को मिलती थी.

कॉलेज के भी क्या दिन था. सहेलियों के साथ गॅप शॅप करना, लड़कों
की बातें करना, सेक्स पर चर्चा करना. उनके घर मे वीसीडी या डीवीडी
प्लेयर नही था इसलिए वो कोई पिक्चर वागरह भी नही देख सकती
थी. उसे पिक्चर्स के बारे मे पूरा ग्यान था.

बरसात का मौसम शुरू हो चुका था. आज सुबह से ही काफ़ी बारिश
हो रही थी. शीला हर नौजवान लड़के लड़की की तरह पहली बारिश
का मज़ा लेने अपने घर के आँगन मे खड़ी बारिश के नीचे भीग
रही थी.

उसके कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे. उसका सुडौल बदन, उसका
आकर्षक फिगर 36-26-34 बड़ा ही प्यारा लग रहा था. उसके भीगे
कपड़े उसके बदन से पूरी तरह चिपक गये थे.

शीला को अब ठंड लगने लगी थी. उसने अपने चेहरे से पानी को
पौंच्छा और एक मीठी मुस्कान के साथ अंदर जाने की तैय्यारि करने
लगी. तभी उसने विजय अपने भाई को देखा जो उसे अजीब नज़रों से
घूर रहा था. वो भी पूरी तरह भीग चुका था. उसके भी कपड़े
उसके शरीर से चिपके हुए था और उसका खड़ा लंड एक टेंट सा उसके
पैंट मे बनाए हुए था.

शीला की नज़र जैसे ही विजय के खड़े लंड पर पड़ी उसकी चूत मे
एक सर सराहट से दौड़ गयी. उसकी चूत मे जोरों की खुजली मचने
लगी.

शीला को पता था कि लंड क्या होता है. उसे ये भी पता था की लंड
किस मे इस्तेमाल होता है और वो कहाँ कहाँ घुस सकता है. सुनीता
ने उसे सब बताया था औरत और मर्द का क्या संबंध होता है और
मर्द एक औरत के साथ क्या क्या करता है. कॉलेज मे सहेलियाँ भी
अक्सर चुदाई की बातें करती थी और अपना अपना अनुभव शेर करती
थी.

शीला को भी कई लड़कों ने बाहर चलने को इन्वाइट किया था पर अपने
घर का महॉल और पिताजी के गुस्से की वजह से उसकी हिम्मत नही पड़ी.

करीब एक साल पहेले की बात है, वो विजय के कमरे मे कुछ
ढूँढने के लिए गयी थी. विजय बाथरूम मे शवर के नीचे स्नान
कर रहा था. बाथरूम का दरवाज़ा खुला था. बाथरूम का दरवाज़ा
खुला देख उसे अंदर झाँकने की इच्छा हुई.

शीला ने देखा की विजय उसकी ओर पीठ किए नहा रहा है. उसके
गोरे चुतताड और लंबी टाँगे देख उसके दिल मे हलचल सी मच गयी.
फिर विजय अपने बालों मे शॅमपू लगाते हुए उसकी ओर घूमा तब
शीला ने जिंदगी मे पहली बार हक़ीक़त मे लंड देखा. विजय का लंड
खुंते की तरह उसके सामने खड़ा था.

उसका बिना बालो का लंड पानी के नीचे चमक रहा था. उसके मुँहे
से कोई आवाज़ ना निकले इसलिए उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया. जब
तक उसमे हिम्मत थी वो खड़ी विजय को नहाते देखती रही. फिर दौड़
कर अपने कमरे मे जाकर बिस्तर पर लेट गयी. उसकी चूत मे आग लगी
हुई थी. वो जोरों से अपनी चूत को मसालने लगी थी.

उसने लंड को देखा था और उसने अपनी चूत को मसला था. उस दिन से
तो उसकी आदत सी हो गयी थी जब भी उसकी चूत गर्माती वो हाथों से
रगड़ और मसल कर अपनी चूत की गर्मी को शांत करती.

और आज वो दोनो बारिश मे भीगते हुए एक दूसरे को घूर रहे थे,
जैसे अक्सर हिन्दी पिक्चर मे होता है.

विजय की आँखों मे कुछ था जिसे देख कर उसका दिल धड़क रहा था.
उसके दिल की धड़कने तेज हो गयी थी. और उत्तेजना मे उसके निपल तन
कर खड़े हो गये थे. उसकी चूत मे अजीब सी खुजली मचने लगी
थी.

वो उसकी ओर देख कर मुस्कुरई और उसके बगल से निकली तो विजय के
मुँह से `फॅंटॅस्टिक' निकल गया.

शीला उसकी बगल से निकली तो विजय उसे देख रहा था, उसकी लंबाई
5'4 थी और फिगर भी काफ़ी मद मस्त था. गोल चेहरा और सिल्क जैसे
लंबे बाल. उसकी आँखे ठीक उनकी मा पर गयी थी, गहरी नीले रंग
की उसके गुलाबी होंठ काफ़ी भरे भरे थे.

विजय काम पर से घर आ गया था. उसका भाई राज कॉलेज गया हुआ
था और सुनीता मा के साथ बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास गयी थी
बच्चे को टीका लगवाने. पिताजी हमेशा की तरह दवाई की दुकान पर
थे. विजय और शीला आज अकेले थे घर मे.

विजय आज काफ़ी उत्तेजना मे था. सुनीता की माहवारी चल रही थी और
उसने तो लंड चूसने से भी इनकार कर दिया था. आज सुनीता को
तीसरा दिन था. राज और वो चोदने के लिए मरे जा रहे थे. अगर
और कोई दिन होता तो दोनो ने बाथरूम मे मूठ मार ली होती पर जब एक
दो दिन मे चूत मिलने वाली हो तो मूठ क्यों मारी जाए.

क्रमशः........................
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