Wednesday, August 5, 2015

FUN-MAZA-MASTI मेरी बहन मेरी लुल्ली पर फीदा

FUN-MAZA-MASTI


 मेरी बहन मेरी लुल्ली पर फीदा


मेरा नाम माधव है। यह मेरा बदला हुआ नाम है…
मेरी उम्र पच्चीस साल है और मैं एक काफी अच्छे परिवार से हूँ।
दोस्तो, मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ और हाल ही में मेरी शादी हो गई है…
भगवान की दया से आज मेरा हँसता खेलता परिवार है।
मैं एम एस एस का बहुत बड़ा फैन हूँ और मुझे इस साईट का पता मेरे एक चचेरे भाई से चला था, वो अलग बात है कि उसने मुझे बताया नहीं।
हुआ कुछ यूँ कि एक दिन वो अपने कम्प्युटर पर कुछ देख रहा था कि तभी मैं वहाँ पर पहुँच गया और उसने वो साईट झट से बन्द कर दी।
मैंने उसे कोई काम बताया और वो चला गया। मुझे लगा कि ज़रूर वो कोई ब्लू-फिल्म देख रहा होगा।
सो, मैंने हिस्टरी चेक की और मुझे इस साईट का पता चला और तब से मैं यह साईट हमेशा देखता हूँ और नई कहानी की इंतजार करता हूँ।
मैंने इस साईट को पढ़ कर और अपने खुद के निज़ी तजुरबे से अब तक ये पता लगा लिया है कि आज-कल के इस कलयुग में कोई भी लड़की, पत्नी, भाभी या औरत सती सावत्री नहीं है।
सभी लड़कियाँ, और औरतें कहीं ना कहीं ज़रूर चुदती हैं… पकड़ी गईं तो चालु, नहीं तो सती सावत्री।
जो नहीं भी चुदती, ज़रूरी नहीं की वो शरीफ ही हैं… बस समझ लीजिए की उन्हें अब तक किसी गैर से चुदने का मौका नहीं मिला…
लड़कियों या औरतों की चुदने की अपनी एक जगह होती है, सबसे पहले अपने घर में… कभी-कभी तो सगा भाई, नहीं तो चाचा-ताऊ या मौसी-मामा का लड़का और कभी तो खुद चाचा या मामा। घर से बच गईं तो आस-पास या दूर की रिश्तेदारी में… रिश्तेदारी में बच गईं तो स्कुल में या कालेज में… या स्कूल और कॉलेज जाते समय रास्ते में इंतेज़ार करते आवारा सड़क छाप मजनुओ से… और अगर जो की असंभव है पर फिर भी वहाँ भी बच गईं तो ससुराल की रिश्तेदारी में… जिसमें सबसे ख़ास है – जीजा-साली या देवर-भाभी… दोस्तो, ख़ास बात यह है की चुदती सभी हैं… ये तो पक्का है,,,
दोस्तो, जिस भी लड़की या औरत को इस कड़वी सच्चाई पर गुस्सा आ रहा हो, वो एक बार अपने अंदर ज़रूर झाँक के देख ले…
सच बात तो ये है दोस्तो, लड़कियों और औरतों को भगवान ने ही साफ-साफ झूठ बोलने की जन्म-जात क़ाबलियत दी है…
आप में से कई लोगों ने मिर्च मूवी तो देखी होगी, जिन्होने नहीं देखी, उन्हें मेरी राय है की अगर औरत का एक असली त्रिया-चरीत्र देखना है तो यह मूवी ज़रूर देखें…
खैर दोस्तो, ऐसी ही एक कहानी है मेरी…
तो यह बात आज से लगभग पंद्रह साल पुरानी है…
मैं एक स्कुल में पढ़ता था और वहीं होस्टल में रहता था। हाँ, छुटियाँ मनाने के लिए मैं हमेशा बुआ जी के घर जाता था।
बुआ जी का घर स्कुल से कुछ ही किलो मीटर पर था और मुझे हमेशा एक ही बस पकड़नी होती थी…
उस वक़्त मैं छोटा था तो ज्यादा दूरी का सफर नहीं कर सकता था।
दोस्तो, तक तक मुझे सैक्स या चुदाई के बारे में ज्यादा ज्ञान नहीं था। मैं खेलता-कूदता और मस्त रहता था। जैसे आमतौर पर सभी बच्चे रहते हैं। मुझे जितना याद है तब मैं एक खुली सी निकर पहनता था और बच्चा होने के कारण नीचे से कुछ नहीं पहनता था।
तब जब मैं बैठता तो उसमें से मेरी लुल्ली बाहर निकल जाती थी। कभी-कभी तो उसको देखकर सभी हँसते थे, बुरा मुझे भी लगता था पर बच्चा होने के कारण कभी ध्यान नहीं दिया कि यह सब आख़िर क्यूँ हंस रहे हैं।
पर कोई था, जो उस लुल्ली पर भी फीदा था…
वो थी, मेरी बुआ जी की बड़ी लड़की…
मेरी बुआ जी की 3 लड़कियाँ हैं, बड़ी का नाम है – अंजलि। (बदला हुआ)
दोस्तो, आज तो वो शादीशुदा है और दो बच्चों की माँ है… उसका पति पुलिस में कार्य करता है।
तो हम वापस अपनी कहानी पर आते हैं, यक़ीनन दोस्तो, मुझे नहीं पता था कि कब से उसकी प्यासी नज़रें मेरे लण्ड पर थीं।
मैं रात को हमेशा उसी के पास सोता था, हर रात सही से गुजरती थी, पर एक रात वो हुआ जो मैं उस उम्र में सोच भी नहीं सकता था…
रात को लगभग तीन बजे थे, कहतें हैं कि तीन से पाँच बजे का टाईम रात में कुम्भकरण का टाईम होता है।
सो, सभी गहरी नींद मैं सोए हुए थे…
मैं भी बहुत गहरी नींद में सोया हुआ था पर कोई था, जो जग रहा था… वो थी – अंजलि!!!
सोते-सोते उस रात को मुझे थोड़ा सा आभास हुआ कि मैं उस के ऊपर था और मेरा छोटा सा लण्ड उसकी चूत में था…
उस उम्र में मुझे ये पता था कि ये गन्दी बात है।
कसम से मेरी तो तब फट ही गई थी। मुझे लगा बेटा जरा हिला भी तो ये गलत सोचेगी और मैं उस के ऊपर ही सो गया, कुछ टाईम बाद उसने मुझे ऊपर से हटा के साईड में सुला दिया।
उस के बाद मैं पूरी रात ये सोच कर डरता रहा था कि ये क्या सोचेगी? सुबह क्या कहेगी? वगेरह-वगेरह…
सबसे बड़ा डर तो यह था कहीं किसी को कुछ बता तो नहीं देगी और अगर कहीं बता दिया तो बेटा, तू तो बुरी तरह पिटेगा और बुआ जी भी पापा को सब बता देगी।
ले-दे के आख़िर सुबह हो गई और मैं बिस्तर से उठने का नाम ही नहीं ले रहा था। बुआ जी के डांट लगाने से मैं बिस्तर से उठ गया।
सारे दिन मैं अंजलि से दूर-दूर रहा, मैं उस से नज़रें नहीं मिला पा रहा था…
मन ही मन शर्मिन्दा था कि क्या सोचेगी वो मेरे बारे में।
लेकिन, उसने उस रात के बारे में मुझ से या किसी और से कुछ नहीं कहा, मैं थोड़ा हैरान था और थोड़ा परेशान।
खैर, अब रात को मेरा उसके साथ सोने का मन नहीं था पर रात होते ही उसने कहा – तुझे मेरे पास ही सोना है।
मैं मना भी नहीं कर सका, क्या कह कर करता…
रात काफ़ी हो गई और मुझे बिस्तर में नींद नहीं आ रही थी। मैंने मन ही मन सोचा – यदि आज भी वो कल वाली भुल हो गई तो तू तो गया, बेटे।
रात के लगभग दो बजे थे…
तभी मुझे महसुस हुआ कि कोई मेरी निकर खोल रहा है, वो कोई और नहीं मेरी बहन अंजली थी।
फिर उसने मेरी निकर को नीचे किया और मेरे लण्ड को पकड़ कर हाथों में लिया और अपना मुँह मेरे लण्ड के ऊपर रख कर धीरे-धीरे उसे चाटने लगी।
अचानक से वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर लालीपोप की तरह चूस रही थी, जिससे बच्चे की छोटी सी लुल्ली भी धीरे-धीरे लण्ड बनता चला गया…
उस वक्त वो लगभग अपनी पूरी अवस्था में आकर 4-5 इंच का तो हो गया होगा।
पर मैं फिर भी सोने का नाटक कर रहा था, अब मुझे समझ में आ गया था कि कल मुझ से गलती नहीं हुई। ये सब इसने ही किया था।
फिर उसने अपनी सलवार निकाली और मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत में डाल लिया…
जैसे ही मेरा लण्ड उसकी चूत में गया, ऐसे लगा जैसे कोई गरम भट्टी हो।
फिर उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी। मेरा लण्ड कभी उसकी चूत में जा रहा था तो कभी बाहर निकल रहा था…
जब भी वो बाहर निकलता, वो दोबारा मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत में डाल रही थी…
कुछ भी हो, पर आज मेरी फट नहीं रही थी, बल्कि बेहद मजा आ रहा था।
उसके नरम-नरम चुचे मेरे सिने से बार-बार टकरा रहे थे और फिर कुछ देर बाद मैं भी थोड़ा-थोड़ सा जोर लगाने लगा।
20-25 मिनट के बाद, मैं थकने लगा और कुछ देर में मेरे लण्ड से कुछ गरम-गरम सा पानी निकल कर उसकी चूत में रिसने लगा, उसके तुरंत बाद, वो भी झड गई।

फिर उसने मुझे अपने ऊपर से साइड में किया और मेरा निकर मुझे दोबारा पहना दिया।
उस रात मैं बहुत थक गया था और मैं आराम से सोया। सुबह में आराम से उठा।
जैसे ही हमारा सामना हुआ, वो मुझे देख कर मुस्कुराई।
फिर मैंने दिन में मौका देख कर उस से कहा कि उस ने रात को मेरी निकर क्यूँ निकाली? फिर मैने पूछा कि मुझे अपने ऊपर सुला कर आख़िर क्या कर रही थी?
पहले तो वो थोड़ा डर गई पर फिर मुझ से कहने लगी – किसी को बताना मत…
उसने फिर मुझे 5 रुपए दिये और कहा – जा, कुछ खा लेना पर याद रखना किसी को बताना मत…
मैंने भी किसी को कुछ नहीं बताया।
अब फिर एक बार रात हो गई और मुझे फिर नींद नहीं आ रही थी।
रोज़ की तरह वही रात के दो बजे, उसने मेरी निकर निकाल दी और मेरे लण्ड को चूसने लगी…
आज मैं जाग रहा था और मैंने धीरे से कहा – इसे चूस क्यूँ रही हो? यह गंदा है।
एक बार को तो वह डर गई, फिर अपना मुँह मेरे पास लाकर मेरे होंठों पर किस किया और कहने लगी – मज़ा आता है, तू भी करेगा?
मैंने कहा – पर मेरा तो मुँह ही नहीं जाता, मेरी लुल्ली तक।
उसने हँसते हुए कहा – तो तू, मेरी मुँह में लेले और उसने अपनी सलवार झट से निकाल दी और फिर कहा – अब चूस…
मैंने पहले उसकी चूत को अपने हाथों से टच किया, उस पर छोटे-छोटे बाल थे।
मुझे थोड़ा अजीब जरूर लगा पर उसके जोर देने से मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो बैचन सी हो गई।
उसने कहा – और जोर से चूस, बहन-चोद।
मैं उसकी चूत को जैसे आइसक्रिम चूसते हैं, वैसे ही चूस रहा था।
दोस्तो, जीभ को उसकी चूत के नीचले भाग से लेकर आता और अपनी जीभ को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसके गुलाबी दाने को अपनी जीभ से पकड़ने की कोशिश करता…
अब वो मेरे बालों को पकड़कर अपनी चूत में धकेलने की कोशिश कर रही थी। कुछ देर में उसकी चूत से चिकना-चिकना पानी सीधे मेरे मुँह के अन्दर ऐसे गया, जैसे किसी गुब्बारा में भरा पानी गुब्बारा फटने के बाद सीधे निकल जाता है।
उसने वैसे ही मेरे बालों को पकड़कर मेरे सिर को अपनी चूत में लगाए रखा और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी…
मैंने कहा – क्या हुआ? मुझे बहुत मजा आ रहा था, मुझे और चूसनी है… तो उसने कहा – रुक अभी, थोड़ी देर में चूसना…
उसके बाद मैं उसके साईड में लेट गया।
उसने अब अपना कुर्ता उतार दिया और अपनी नंगी चुचियों पर मेरा हाथ पकड़ कर रख दिया और बोली – ले अभी इनसे खेल…
एहसास, अब होता है दोस्तो, कमाल के चुचे थे उसके।
मैं अपनी छोटी-छोटी उंगलियों से धीरे-धीरे उसके निप्पलों को मसलने लगा।
10 मिनट ऐसे ही खेलने के बाद वो मुझसे बोली – पीएगा इन्हें, मैंने झट से हाँ भर दी और उसने मूड कर चुची सीधे मेरे मुँह में घुसेड दी…
मैं उन को अपने हाथों में पकड़कर लपा-लप पीने लगा और वो मेरी लुल्ली को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी…
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी लुल्ली पाँच इंच की हो गई।
अंजलि ने कहा – माधव, अब तू मेरे ऊपर आ जा…
मैं उसके ऊपर उसकी तरफ मुँह करके लेट गया, मेरे होंठ अब उसके होंठों को बार-बार छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को पकड़ा और अपने चहरे के पास लाकर मरे होंठों को चूसने लगी।
फिर कुछ देर बाद उसका एक हाथ पता नहीं कब धीरे-धीरे नीचे गया और मेरे लण्ड को पकड़ कर उसने अपनी चूत मे रखा और कहा – अपनी लुल्ली का धीरे-धीरे ऊपर-नीचे कर…
मैंने ऐसा ही किया।
मेरा लण्ड अब धीरे-धीरे उसकी चूत में आगे-पीछे हो रहा था। उस वक्त मुझे जो मजा आ रहा था, ये तो वही बता सकता है जिसने कभी प्यार से और फुरसत से चूत मारी है…
खैर, उसके बाद लगभग 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड अकडने लगा और मेरे धक्कों की स्पीड़ और तेज होने लगी और कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड से भी पानी निकल कर सीधे उसकी चूत में चला गया और पानी की गरमाहट से उसकी चूत से पानी रिस कर बिस्तर में गिरने लगा।
मेरा बदन बहुत हल्का हो गया था, कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ऐसे ही सोया रहा और बाद मैं उसके साईड में लेट गया।
उसने मेरे होंठों पर किस किया।
दोस्तो, आप को तो पता ही होगा, चूत मारने के बाद जो नींद आती है उसका मजा ही अलग होता है!!!
उसके बाद से आज तक कभी वो मेरे घर आती है और कभी मैं उसके घर जाता हूँ…
दोस्तो, मैं अब तक अपनी छीनाल बहन की जम कर चूत मारता हूँ क्यूंकी उसी रंडी ने मुझ एक नम्बर का चोदू बनाया था…
उस रात से लेकर आज तक मेरे लण्ड की आग नहीं बुझी…
आज तक मैंने पता नहीं कितनी ही भाभीयों, अपने दोस्तों की बीवियों, पड़ोसनों, मामी, मौसी, चाची, साली और अपनी बीवी की सहेलियों को अपने लण्ड का मजा दिया होगा पर दिल साला आज भी चाहता है कि जितनी चूत मिले उतनी ही कम।
आज मेरी बचपन की वो लुल्ली एक तगड़ा और मोटा लण्ड बन गई है, वो भी 9 इंच का!!!

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