Sunday, August 23, 2015

FUN-MAZA-MASTI करफ्यू का मजा

FUN-MAZA-MASTI



करफ्यू का मजा



हैल्लो दोस्तों मेरा नाम आर्यन है और में बरेली उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 22 साल, लम्बाई 5.7 इंच वजन 60 किलो आप मुझे स्मार्ट भी कह सकते हैं   यह बात कुछ दिन पहले की है जब बरेली में करफ्यू लगा और में दिल्ली अपने किसी इंटरव्यू के लिए आया हुआ था। तो दोपहर में घर से फोन आया कि किसी वजह से कुछ हिस्सों में करफ्यू लग गया है और हमारा कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं था इसलिए मुझे शाम की ट्रेन से ही बरेली वापस आना था.. लेकिन अब दिक्कत यह थी कि में स्टेशन से घर कैसे जाऊंगा क्योंकि हमारे इलाके में भी करफ्यू लगा था खैर हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती थी वो कुछ महीने पहले कहीं और शिफ्ट हो गयी थी और उनके एरिए में करफ्यू नहीं था। तो में उनके यहाँ पर चला गया उन आंटी का नाम निर्मला था और वो अपने पति अशोक के साथ रहती थी। आंटी की उम्र 40 साल थी और उनके फिगर का मुझे ज़्यादा पता नहीं था.. लेकिन इतना कह सकता हूँ कि वो एकदम मस्त माल थी अच्छा शरीर पतली कमर, बड़े बड़े सुडोल बूब्स के साथ और गांड जो हम जैसे किसी भी लड़के की आंख से नहीं बच सकती। फिर में जब उनके घर पर पहुंचा तो वो घर पर अकेली थी और मैंने उनसे अंकल के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वो भी फॅक्टरी में ही फँसे हैं.. अंकल किसी फॅक्टरी में सुपरवाईज़र थे।
तो रात बहुत हो चुकी थी और हम लोग खाना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर लेट गये उनका घर छोटा था.. तो में उनके ही बेड पर ही उनके साथ ही सो गया और में बहुत थका हुआ था तो मेरी जल्दी ही आँख लग गयी। फिर सुबह हम लोग नहा धोकर सोफे पर एक-दूसरे के सामने बैठकर नाश्ता कर रहे थे तब मेरी नियत उन पर खराब हुई क्योंकि में क्या बताऊँ दोस्तों वो द्रश्य ही इतना सेक्सी था? गुलाबी कलर की मेक्सी में लिपटा उनका हॉट, सेक्सी बदन.. ताज़ा ताज़ा नहाकर आने की मनमोहक खुश्बू और उनके खुले हुए और गीले बालों से टपकती हुई पानी की बूंदे.. दोस्तों मैंने उसी वक़्त सोच लिया कि अब तक मैंने जितनी भी कहानियाँ पड़ी हैं.. उन सबका अनुभव लगाकर इसे तो चोदना ही है और फिर ब्रेकफास्ट के बाद हम लोग बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे। तभी मैंने उनसे पूछा कि आंटी आपकी शर्मा अंकल से लड़ाई क्यों हुई थी? शर्मा अंकल हमारी ही कॉलोनी में रहते थे और एक बार उन्होंने आंटी को कुछ बोल दिया था जिसको लेकर आंटी ने अच्छा ख़ासा हंगामा किया था.. लेकिन मुझे पूरी बात पता थी फिर भी कुछ सेक्स की तरफ बात ले जाने के लिये मैंने यह पूछा।
तो शर्मा अंकल का नाम सुनते ही एकदम से वो लाल होते हुए बोली कि उस कुत्ते की नियत ही खराब थी वो तो इन्होने रोक लिया वरना उसके तो उस दिन चप्पलें ही पड़नी थी। फिर मैंने रिस्क लेते हुए बोला कि आंटी इसमे शर्मा अंकल की क्या ग़लती? आप तो हो ही इतनी अच्छी। तो वो हँसते हुए बोली कि अच्छा बेटा तुम भी चालू हो गये और में भी उनके जवाब में हंस दिया.. बस फिर क्या था मुझे तो एक मौका मिल गया फिर तो में हर बात में उनकी तारीफ करने लगा खाने और वैसे भी औरतें तो होती ही तारीफ की भूखी हैं इससे फायदा यह हुआ कि हम लोग एक अच्छे दोस्त बन गये। फिर अगले दिन सुबह आंटी ने मुझे किचन से ही आवाज़ लगाई कि आर्यन यहाँ आना.. में आँखें मसलता हुआ नींद में वहाँ पर पहुंचा और कहा कि क्या आंटी.. सुबह सुबह उठा दिया? तो वो बोली कि अरे तुम्हारे लिए ही तो में ढोकला बना रही हूँ.. लेकिन यह बेसन का डब्बा थोड़ा ऊपर रखा हुआ है और मुझसे उतर नहीं रहा प्लीज तुम उतार दो। तो में पूरी तरह से उठा हुआ नहीं था और नींद की खुमारी अभी भी हल्की सी थी तो में धीरे धीरे चलते हुए गया और ठीक उनके पीछे पहुंच कर खड़ा हो गया और उसी खुश्बू ने मेरा गुड मॉर्निंग किया और में और मेरा छोटू पूरी तरह से जाग उठे थे। फिर क्या था मेरे शैतानी दिमाग़ ने काम किया और में नींद में होने का बहाना करते हुए एकदम उनसे पीछे से चिपक गया और ऐसे ही मजाक में 1-2 डब्बा ऊपर से उठाकर उन्हे देने लगा एक तो वैसे ही सुबह उठो तो लंड खड़ा होता है ऊपर से आंटी का मादक जिस्म बिल्कुल मेरे पास था और मेरे छोटू का तो बुरा हाल था वो पूरी तरह से खड़ा होकर आंटी की मेक्सी को फाड़कर उनकी गांड में घुसने को बेचैन और में भी कमीना नींद का बहाना करके अंजान बनते हुए उन्हे डब्बा देता जा रहा था।
तो उन्हे भी अपनी गांड पर रगड़ते हुए इस छोटू का एहसास हो चुका था और चकित तो में इसलिए था कि वो कुछ कह नहीं रही थी बल्कि चुपचाप डब्बा लिए जा रही थी.. लेकिन फिर वो मनहूस बेसन का डब्बा मेरे हाथ में आया और मुझे उस मखमली गांड के पीछे से हटना पड़ा.. लेकिन जितनी देर उसे रगड़ा मुझे मज़ा आया। फिर नहाने के बाद में सोफे पर टावल में ही बैठा था और उनका बार बार मेरी जांघो की तरफ देखना मेरा हौसला और बड़ा रहा था। मुझे लग रहा था कि दिल्ली अब दूर नहीं में भी उनसे मज़े लेने के लिए कभी अपने पैर फैला रहा था और कभी पैर पास में कर रहा था। फिर मैंने एकदम से कहा कि क्या हुआ आंटी कुछ परेशान सी दिख रही हो? तो वो एकदम से हड़बड़ाई और बोली कि नहीं बस ऐसे ही कुछ नहीं है। तो मेरे थोड़ा और ज़ोर देने पर भी जब उन्होंने कुछ नहीं बोला तो मैंने ही मज़े लेते हुए बोला कि आंटी क्यों उदास हो रही हो? कुछ दिनों की ही बात है फिर करफ्यू खुल जाएगा और आपके वो आ जाएँगे तब तक में हूँ ना आपके लिए।
तो वो एकदम से मेरी बात का मतलब समझते हुए बोली कि क्या मतलब? और मैंने भी बात बदलते हुए कहा कि अरे आप अकेली बोर ना हो इसलिए तो में आया हूँ जिससे कि आपका भी मन लगा रहे। फ्रेंड्स मैंने इसलिए बात बदल दी क्योंकि में कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था जिससे कि बाद में कोई प्राब्लम हो क्योंकि वो हमारी फेमिली को पिछले 18 सालों से जानती थी और में नहीं चाहता था कि मेरी किसी भी हरकत की वजह से हमारे बीच का रिश्ता खराब हो। फिर आंटी बोली कि देखते हैं इन दिनों में अपनी आंटी का कितना ख़याल रखता हूँ? फिर क्या था फिर तो हमारी डबल मीनिंग बातें शुरू हो गयी। मैंने भी झट से जवाब दिया कि अरे कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा इतना ख़याल रखूँगा कि जितना अंकल ने भी नहीं रखा होगा। यह बात बोलकर एक बार तो मेरी फट गयी कि मैंने यह सब क्या बोल दिया? तो आंटी भी 1-2 सेकेंड तक चुप हो गयी और मुझे ध्यान से देखती हुई उन्होंने एक ठंडी, लंबी साँस ली और कहा कि तेरे अंकल ने तो कभी परवाह की नहीं तू क्या खाक करेगा? और फिर वो उठकर अंदर चली गयी मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि एक अच्छा ख़ासा मौका हाथ से निकल गया.. लेकिन सुबह की इन दो घटनाओ से यह तो साफ हो ही चुका था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है और बस डर की वजह से पहल कोई नहीं कर रहा था। फिर रात में आंटी कपड़े धो रही थी तो में भी उनके पास जाकर बैठ गया और ऐसे ही बोल दिया कि मेडम की क्या सेवा की जाए बंदा खिदमत में हाज़िर है? फिर आंटी ने पूछा कि क्यों तुम्हे कपड़े धोना आता हैं? दोस्तों अब कपड़े तो मैंने ज़िंदगी में कभी धोए नहीं और यह बात आंटी को भी पता थी इसलिए मैंने उनको बोल दिया कि धो नहीं सकता तो क्या कपड़े बाल्टी में से निकालकर मदद तो कर ही सकता हूँ और पानी से तो धो ही सकता हूँ आख़िर आपका ख़याल जो रखना है। तो आंटी बोली कि चल अब ज़्यादा बातें मत बना और कपड़े उठाकर दे और मैंने एक कपड़ा निकाला तो आंटी की वही सेक्स आग्रह वाली गुलाबी मेक्सी थी और मैंने अचानक बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया कि अरे आंटी इसे क्यों धो रही हो? इसमे तो आप इतनी अच्छी लगती हो। तो वो यह बात सुनकर मुझे घूर घूरकर देखने लगी और बोली कि क्या बात है तुझे बड़ा पता है कि में किसमे कितनी अच्छी लगती हूँ? तो मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए बोला कि अब क्या करें? पिछले दो दिन से आपके साथ रह रहे हैं तो यह सब तो पता चलना ही है। फिर इस पर उन्होंने बस एक स्माइल दी और कपड़े धोने लगी.. लेकिन मज़े की बात तो यह है कि उन्होंने मेरी बात मानते हुए उस मेक्सी को नहीं धोया बल्कि उसे अलग रख दिया.. लेकिन उस रात और कुछ नहीं हुआ।
तो अगले दिन दोपहर तक मेरी किस्मत ने मेरा कोई साथ नहीं दिया और बस जो चीज़ अच्छी थी वो था मौसम.. सुबह से ही ठंडी हवा चल रही थी जो मौसम को रोमॅंटिक बना रही थी और आंटी के साथ इतने सेक्सी मौसम में एक छत के नीचे रहने में मेरी हालत खराब हो रही थी। मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा था और में मुठ मारने बाथरूम में जा ही रहा था कि इतने में बारिश शुरू हो गयी और मुझे बारिश में नहाने में बहुत मज़ा आता है तो में झट से टी-शर्ट और जींस निकालकर नहाने चला गया और मैंने आंटी को भी नहाने को बुला लिया पहले तो मुझे केवल अंडरवियर में देखकर वो बहुत चकित हुई.. लेकिन फिर स्माइल पास करते हुए नहाने आ गयी दोस्तों गुलाबी कलर की मेक्सी में लिपटा उनका जिस्म पानी में भीगते ही कितना सेक्सी लग रहा था में शब्दों में बता भी नहीं सकता तुरंत ही मेरा छोटू उन्हे सलामी देने लगा और बारिश में भीगकर मेक्सी उनके बदन से बुरी तरह से चिपक गयी थी और उनका एक एक अंग मेरी आँखों के सामने था। फिर उनके निप्पल तनकर मेक्सी के बाहर से ही दिख रहे थे। उनकी सफेद कलर की ब्रा और सफेद पेंटी मेरी आँखों के सामने थी और मुझे उनकी गांड का पूरा आकार नज़र आ रहा था दोस्तों क्या बताऊँ वो क्या नज़ारा था? में तो उनमे खो ही गया था और जब मुझे लगा कि मुझसे और कंट्रोल नहीं होगा तो में एक कोने में बैठ गया और उन्हे नहाते हुये देखने लगा और तभी थोड़ी देर बाद जब उन्हे महसूस हुआ कि में उन्हे किन निगाहों से देख रहा हूँ।
तो वो थोड़ा सा शरमाई और मुझसे पूछा कि क्या हुआ? अभी तो बड़ा शोर मचा रहे थे कि आंटी जल्दी आओ बारिश में नहाते हैं और अब मेरे आते ही साईड में हो गये। फिर मैंने भी एक तीर छोड़ दिया और कहा कि आंटी में तो आपको देखकर ही नहा लिया और इतना कहकर में नीचे अपनी अंडरवियर की तरफ देखने लगा.. आंटी ने भी नीचे देखा और उनको मेरे छोटू की हालत मालूम हो गयी और वो बस इतना ही बोली कि हट पागल आ ना इधर देख कितना मज़ा आ रहा है? में फिर से उनके पास पहुंच गया और इस बार में रुका नहीं बल्कि उनके पास जाता रहा और एकदम उनके पास जाकर बोला कि एक डांस हो जाए और उनके कुछ बोलने से पहले ही मैंने उनकी कमर पर हाथ रखकर उनको अपने पास खींच लिया.. में तो यह सोचकर हैरान था कि मुझमे इतनी हिम्मत आ कहाँ से गयी और यह आंटी को क्या हो गया है यह भी मुझे रोक क्यों नहीं रही? खैर आंटी ने एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और एक मेरी छाती पर और शुरू हो गया हमारा रैन डांस। पहले तो मेरे दोनों हाथ आंटी की कमर पर ही थे.. लेकिन धीरे धीरे में अपने हाथ पीछे आंटी की गांड पर ले जाने लगा और में यह सब बहुत धीरे धीरे आराम से और प्यार से कर रहा था। तभी थोड़ी देर की मेहनत के बाद मेरे हाथों को उनकी मोटी मोटी कोमल गांड का भरपूर एहसास हो रहा था और मेरा मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ.. लेकिन कंट्रोल करते हुए केवल हाथ घुमा रहा था। तो उधर अब आंटी भी मेरी छाती में अपने हाथ चला रही थी में बार बार अपना एक हाथ उनकी गांड की लाईन पर ले जाता और फिर हटा लेता आख़िर मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उनकी गांड की लाईन पर रख ही दिया वो कुछ नहीं बोली और बस मेरी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी और अब मैंने एक हाथ उनके कंधे पर रख दिया और उनकी गर्दन पर हाथ से सहलाने लगा और वो मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थी.. उनके और मेरे बीच में बस उनका हाथ था जो मेरे सीने पर अपना काम कर रहा था।


तो मैंने अपना हाथ धीरे धीरे नीचे की और लाते हुए उनके बूब्स पर लगाया और फिर वापस हटा लिया.. लेकिन फिर मैंने सोचा कि मेरे पास यही मौका है अगर अभी नहीं तो कभी नहीं.. यह सोचकर मेरा जो हाथ उनकी गांड पर था वो उनकी गांड को दबाने लगा और एक हाथ से उनके बूब्स को सहलाने लगा.. उन्होंने कुछ कहा तो नहीं.. बस मुझसे और भी ज़्यादा चिपक गयी। मैंने उनके चेहरे पर देखा कि उनकी आँखें बंद थी और उनके गालों पर गिरती बारिश की बूंदे बहुत ही सेक्सी लग रही थी और बारिश की बूंदे उनके गालों से होती हुई उनकी गर्दन पर आ रही थी। तो मैंने वहीं से चाटना शुरू करते हुए ऊपर की तरफ आया और उनका गाल चाटने लगा। उनका एक हाथ जो मेरी पीठ पर था मुझे उनकी तरफ दबाने लगी। फिर मैंने जब उनकी तरफ को देखा तो उनकी आँखें खुली हुई थी और वो मुझे ही देख रही थी.. मैंने धीरे धीरे अपना चेहरा उनके चेहरे के पास किया और उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए मैंने उनका नीचे वाला होंठ अपने होंठो के बीच दबाया और चूसने लगा। वो भी मेरा ऊपर वाला होंठ चूसने लगी कभी उनकी जीभ मेरे मुहं के अंदर होती तो कभी मेरी जीभ उनके मुहं के अंदर.. कसम से दोस्तों यह मेरी लाईफ का पहला किस था.. कितना मज़ा आ रहा था कि पूछो मत। में तो उनके होंठ चूसे ही जा रहा था और एक दो बार तो में उनके होंठ को मसाज भी करने लगा।
फिर थोड़ी देर के बाद हम अलग हुए और वहीं नीचे बैठ गये मैंने उनकी गर्दन पर चाटना और चूसना जारी रखा और एक हाथ से उनके बूब्स भी दबाता जा रहा था और उनकी गर्दन पर बहती हुई बारिश की बूँदें जब मेरे होंठों को छूती तो क्या मज़ा आता दोस्तों उनकी चिकनी त्वचा को चाटने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उनको मेक्सी उतारने को बोला और उन्होंने उतार दी। अब वो मेरे सामने केवल सफेद कलर की ब्रा और सफेद कलर की पेंटी में थी। क्या मस्त माल लग रही थी? बारिश में भीगता हुआ उनका बदन बस दो छोटे से कपड़ो की क़ैद में मेरा हमेशा से बारिश में सेक्स करने का सपना था जो कि आज पूरा होने वाला था। पहले तो में ब्रा के ऊपर से ही उनका दूध पीता रहा.. लेकिन फिर उन्होंने अपनी ब्रा खोल दी.. वो बहुत खूबसूरत थी। उनके दूध एकदम नुकीले से और बीच में हल्की भूरी निप्पल.. में तो उन्हे देखकर पागल सा हो गया और पहले तो उन्हे लेटाया फिर ज़ोर ज़ोर से उनके बूब्स दबाने लगा और निप्पल उंगलियों के बीच में लेकर मसलने लगा। मैंने एक निप्पल पर मुहं लगाया और उसे चूसने लगा.. वाह चूसने में कितना मज़ा आ रहा था। फिर में तो जितना हो सके उतना उनके बूब्स को मुहं के अंदर ले जाकर चूस रहा था और कुछ देर सीधे वाले बूब्स को चूसने के बाद उल्टे वाले को चूसा फिर नीचे की तरफ बड़ते हुए उनका पेट चूसा चाटा फिर पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चाटा। फिर उन्होंने देर ना करते हुए अपनी पेंटी भी उतार दी और मेरी ज़िंदगी की पहली नंगी चूत मेरी आँखों के सामने थी और थोड़ी देर उसे ध्यान से देखने के बाद मैंने उनकी चूत की फांको को अलग अलग करते हुए एक उंगली अंदर डाल दी। तो मुझे ऐसा अहसास आया जैसे में किसी जेली में अपनी उंगली डाल रहा हूँ और फिर दो उंगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगा और वो भी उसी के साथ अपना शरीर हिलाने लगी। तो मैंने अपनी उंगलियाँ चूत से बाहर निकालकर चाटी तो मुझे उनकी चूत का स्वाद बहुत अच्छा लगा और क्या था? मैंने अपना मुहं नीचे किया और लपलप भूखे कुत्ते की तरह अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा और दोनों फाँकें अलग अलग करके अपनी जीभ अंदर तक घुसा दी और फिर उनकी पूरी चूत को मुहं में भरकर भी चूसा। दोस्तों सही में क्या मादक स्वाद था? फिर में उठा और उनको बोला कि अब आपकी बारी। तो वो मुस्कुराई और पहले तो उसने उठकर मेरे होंठ काफ़ी देर तक चूसे.. फिर मुझे नीचे लेटा दिया और मेरी अंडरवियर को भी निकाल दिया और अब छोटा आर्यन उनकी आँखों के सामने था।
तो उन्होंने उसे प्यार से पकड़ा और कुछ देर तो मेरी मुठ मारी.. फिर अपना मुहं नीचे करके उसे अपने मुहं में भर लिया आहह दोस्तों में बता नहीं सकता कि वो क्या अहसास था और इतना मज़ा आया कि बस पूछो ही मत.. उनके मुहं में एकदम गरम गरम सा लगा और वो कितने प्यार से मेरा लंड पूरा चूस रही थी.. नीचे तक अपने मुहं में लेकर बाहर निकालती और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी और में बस उन्हे निहार रहा था। फिर उन्होंने मुझे अंदर चलने का इशारा किया.. लेकिन मैंने उन्हे मना कर दिया और फिर से उन्हे वहीं लेटा दिया। वो मुस्कुराई और उन्होंने अपने पैर खोल दिए। तो मैंने अपना लंड उनकी चूत पर 3-4 बार रगड़ा और उन्होंने उसे अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूत के छेद पर रख दिया और मैंने एक धक्का मारा.. लेकिन बारिश के पानी की फिसलन के कारण वो अंदर नहीं गया।
तो उन्होंने दोबारा से अपने हाथ से उसे सेट किया.. लेकिन इस बार उन्होंने अपना हाथ नहीं हटाया एक बार फिर मैंने एक धक्का मारा.. लेकिन इस बार मेरा आगे का हिस्सा अंदर घुस गया और बस फिर क्या था 3-4 धक्को में मेरा पूरा छोटू उनकी चूत के अंदर और उस वक़्त मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी गरम गरम चीज़ में मेरा लंड घुस गया हो.. लेकिन आंटी तो खेली खाई थी। तो उनको कोई तकलीफ़ नहीं हुई.. उन्होंने अपने दोनों पैरों को मेरी कमर पर फँसा लिया और मुझे नीचे की तरफ खींचा में भी कभी उनके होंठ चूसते हुए और कभी उनका दूध पीते हुए धक्के मारने लगा.. लेकिन तभी मुझे अपने घुटनो में जलन का एहसास हुआ क्योंकि हम लोग ज़मीन पर थे और धक्के मारने की वजह से मेरे घुटने ज़मीन से रगड़ रहे थे और छिल रहे थे.. लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है इसलिए मैंने दर्द की परवाह ना करते हुए अपना काम जारी रखा।
दोस्तों हमे कितना मज़ा आ रहा था बारिश में भीगा हमारा जिस्म और हर धक्के पर ठप ठप की आवाज़.. कभी में हल्के धक्के मारता और कभी तेज़ तेज़.. आंटी हर धक्के का जवाब अपनी गांड उछाल उछालकर दे रही थी वो और हम दोनों ही मोन कर रहे थे और मस्ती की आवाज़ें निकाल रहे थे। तो इतने में वो बोली कि और तेज़ और तेज़ रुकना नहीं और मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और वो आहह की एक तेज़ आवाज़ के साथ झड़ गयी। उनके झड़ने के समय उनकी चूत की चमड़ी क्या हिल रही थी और उनकी चूत ने कसकर मेरे लंड को दबा लिया था एक अजीब सा अहसास आ रहा था और फिर उनके माल से मेरा लंड पूरी तरह भीग गया और में मन ही मन सोच रहा था कि आज का दिन कितना अच्छा है सारे के सारे मज़े एक साथ ही मिल गये। फिर झड़ने के बाद उन्होंने मुझे कसकर अपने से चिपका लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगी। इससे मुझे और भी जोश आया और में और भी ज़ोर ज़ोर से उनकी चुदाई करने लगा। उनका माल निकल गया था इस वजह से उनकी चूत एकदम चिकनी हो गयी थी और अब धक्के लगाने में और भी ज्यादा मज़ा आ रहा था इस कारण में कुछ ज़्यादा ही मज़े में झड़ने के करीब आ गया और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.. जब मेरी जाँघ उनकी जाँघ से टकराती तो ठप ठप की आवाज़ें आ रही थी और अब मेरे मुहं से भी तेज़ तेज़ आहह उहह की आवाज़ें निकलने लगी और में झड़ने लगा और मेरे साथ आंटी भी दोबारा झड़ने लगी। हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया और झड़ने का आनंद लेते रहे और कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे और फिर मैंने उनकी तरफ देखा हम दोनों हँसे और एक लंबे किस में खो गये ।।


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