FUN-MAZA-MASTI
एक परिवार ऐसा भी --1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक नयी कहानी के साथ
हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी एक पारवारिक चुदाई की कहानी है
जिन दोस्तो को इस तरह की कहानी पसंद ना हो कृपया इसे ना
पढ़े . दोस्तो ये एक काल्पनिक कहानी है इसका मकसद सिर्फ़ और
सिर्फ़ मनोरंजन करना है दोस्तो राज महल एक दो मंज़िला खूबसूरत
सा मकान था जो साउत देल्ही मेबना हुआ था. चारों और उचे लंबे पेड़
और सामने बहुत ही बड़ा आँगन उस बंगले की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे.
राज महल पर सफेद रंग पुता हुआ था, कॉंपाउंड के चारों और उँची
दीवारें थी जिन पर तार लगे हुए थे, एक बड़ा सा गेट था जो हरे
रंग का था.
बीस वर्ष का राज आज कॉलेज से लेट घर आया था. उसने बाथरूम
मे जाकर स्नान किया और अपना नाइट सूयीट पहन बिस्तर पर लेट गया.
राज अपनी बड़ी बेहन सुनीता 23 साल जिसकी शादी हो चुकी थी और
एक 15 महीने के बच्चे की मा और छोटी बेहन शीला जो 18 साल की
थी के साथ रहता था. उसका बड़ा भाई एक सरकारी दफ़्तर मे उँचे पद पर
काम करता था.
अपने हाथों को अपने सिर के पीछे रख वो सीलिंग फ़ैन को घूर रहा
था. वो अपने साथ घटी पीछले दिनो की घटनाओ पर सोच रहा था.
आज कल वो कॉलेज से लेट घर आता था. कॉलेज के बाद वो अपने
दोस्त बॉब्बी के घर चला जाता था जो एक आलीशान बंगलो मे रहता
था.
बॉब्बी उसके कॉलेज का दोस्त था और काफ़ी अमीर खानदान से था. अपने
खानदान की एकलौती औलाद होने की वजह से उसे काफ़ी छूट मिली हुई
थी. उसे अपने मा बाप से पूरी आज़ादी मिली हुई थी, वो जो चाहे कर
सकता था.
आज से छः महीने पहले की बात है जब बॉब्बी ने पहली बार उसे अपने
घर बुलाया था. बॉब्बी की गाड़ी मे बैठ जब वो उसके घर पहुँचे
थे तो पहली बार बॉब्बी ने उससे पूछा था उसे उसकी (बॉब्बी की ) मा
कैसी लगती है.
कुछ सालों की दोस्ती मे राज बॉब्बी की मा से कई बार मिल चुका था.
और उनके लिए उसके विचार काफ़ी अच्छे थे.
"आंटी बहुत अच्छी और स्वीट है," राज ने जवाब दिया.
"नमकीन भी है," बॉब्बी ने मुस्कुराते हुए कहा.
राज बॉब्बी की बात पर चौंक गया था और सोच मे पड़ गया की उसने
ऐसा क्यों कहा.
बूबी के मा शोभा आंटी ने उन दोनो का स्वागत किया और बॉब्बी की
ओर झुकते हुए उसके होठों को चूम लिया. ये कोई प्रेमी प्रेमिकाओं
वाला चुंबन नही था पर फिर भी राज ये देख कर चौंक पड़ा था.
उसने आज तक किसी को चूमते हुए नही देखा था.
राज बॉब्बी के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. कमरे मे आते ही
बॉब्बी ने टीवी ऑन कर दिया और केबल पर म्यूज़िक चॅनेल लगा दिया.
राज एक कुर्सी पर बैठ गया और टीवी पर नाचती अर्ध नग्न लड़कियों को
देखने लगा. उसे पता था की उसके पिताजी उसे घर मे इस तरह के
प्रोग्राम नही देखने देंगे.
उन अर्ध नग्न लड़कियों को इस तरह नाचते देख राज का लंड उसकी पैंट
मे पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था. उसकी पैंट मे एक तंबू सा
बन गया था. उसने स्क्रीन पर देखा कि छोटी बिकनी पहने दो लड़कियाँ
आपस मे अपनी गान्ड टकराकर नाच रही थी.
"यार!" तभी बॉब्बी ने कहा, "इस लड़की की गांद देख…….क्या सेक्सी गान्ड
है उसकी."
राज बड़ी उग्रता से स्क्रीन पर देखने लगा. उसका हाथ खुद बा खुद
उसके लंड पर चला गया और वो पैंट के उपर से अपने लंड को मसलने
लगा.
"यार मे तुम्हे एक चीज़ दिखाता हूँ," कहकर बॉब्बी ने रिमोट कंट्रोल
उठाया और बटन दबा दिया.
राज ने जो स्क्रीन पर देखा, वो देख कर उसे लगा कि उसका लंड उसी
वक़्त पानी छोड़ देगा.
उसने देखा कि एक मोटा और लंबा लंड एक बालों से भारी चूत के
अंदर बाहर हो रहा है. उसने कई बार पॉर्न मॅगज़ीन्स मे चूत और
लंड देखे थे पर जो मज़ा उसे टीवी स्क्रीन पर देखने मे आ रहा था
वो मज़ा उसे कभी हासिल नही हुआ था.
वहाँ उस कलर टीवी पर एक मर्द एक औरत की चुदाई कर रहा था.
स्टिल फोटोग्रॅफ देखने मे और टीवी पर देखने ने काफ़ी अंतर है. राज
ने आज तक चुदाई देखी नही थी और सही मे उसके सामने टीवी पर वो
चुदाई देख रहा था.
बॉब्बी ने टीवी का वॉल्यूम बढ़ा दिया था जिससे कमरे मे उन कलाकारों के
सिसकने की आवाज़ें गूँज रही थी.
तभी उस मर्द ने अपना लंड उस चूत के बाहर निकाला और अपने हाथों
मे पकड़ मसलने लगा. थोड़ी ही देर मे उसने सफेद रंग का गाढ़ा
वीर्या उस औरत की झांतों और चूत पे छोड़ दिया. वो मर्द सारा वीर्य
झाड़ने के बाद अपना लंड उस चूत पर रगड़ रहा था तभी उस औरत
का एक हाथ दिखाई दिया जो अपनी उंगली उस गिरे वीर्य से भर रही
थी.
वो लोग जो भी भाषा मे बात कर रहे हो पर एक शब्द जो राज ने सॉफ
सुना था वो था "मम्मी".
राज ने चौंकते हुए बूबी की तरफ देखा, "क्या उस मर्द ने अभी अभी
उस औरत को अपनी मा कहा?" उसने पूछा.
बॉब्बी ने अपना लंड अपनी पैंट के बाहर निकाला हुआ था और मुठिया
रहा था. उसने अपने होठों मे एक सिगरेट फँसा रखी थी और उसके
कश ले रहा था.
बॉब्बी ने अपनी गर्दन हिला दी, "हाँ दोनो मा बेटा है."
बॉब्बी की बात सुनकर राज के लंड ने पैंट मे ही पानी छोड़ दिया.
"ये ना मुमकिन है यार! ऐसा नही हो सकता." राज थोड़ा विचलित होकर
बोला.
बॉब्बी राज की बात सुनकर हँसने लगा और उसके हैरत भरे चेहरे को
देखने लगा. "यार ये लोग कलाकार है. इनसे जो कहा जाएगा वो ये
करेंगे और कहेंगे. सवाल है इन्सेस्ट कहानी का……तुम्हे पता है ना……
मादरचोद.,,,बहनचोद."
राज और गौर से उस फिल्म को देखने लगा जो जिस पर अब एक डिन्नर टेबल
का सीन आ रहा था जहाँ एक जवान लड़की किसी 60 साल के मर्द से
चुदवा रही थी.
"देखो," बॉब्बी ने कहा, "ये उस लड़के के पिताजी और बेहन है. पिताजी
पहले ही अपनी बेटी की दो बार चुदाई कर चुके है. तुम कहो तो मे
फिल्म रीवाइंड कर देता हूँ."
"ये सिर्फ़ एक फिल्म है, में सही कह रहा हूँ ना?" राज ने धीरे से
पूछा. (बाप और बेटी? मा और बेटा?)
बॉब्बी ने अपना सिर हिलाया और कहा, "दूसरे सीन मे बेहन बाथरूम
मे शवर के नीचे अपने भाई से चुदवाती है और वो भी गान्ड मे."
राज वो फिल्म देखता रहा जहाँ दोनो भाई बेहन शवर के नीचे एक
दूसरे से खेल रहे थे और एक दूसरे के अंगों को मसल रहे थे.
राज ने देखा कि बेहन अब घोड़ी बन गयी थी और अपने दोनो हाथों से
अपने चुतड़ों को फैला अपनी गान्ड दिखा रही थी.
भाई ने बिना कोई समय गँवाए अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर रखा
और अपना लंड पूरा अंदर तक घुसा दिया. उसके बाद तो ऐसे कई सीन
आए. जब बॉब्बी उसे घर छोड़ने जा रहा था तो उसका लंड एक डंडे
की तरह उसकी पैंट मे खड़ा था.
"पर ये सब बातें हक़ीक़त मे नही होती………क्या होती है?" राज ने
पूछा.
"यार!" बॉब्बी थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला, "आज के संसार मे सब कुछ
होता है. जब आदमी काम वासना मे गरम होता है तो रिश्ते नाते
कुछ दिखाई नही देता वो किसी की भी चूत चोद्ने को तय्यार रहता
है चाहे वो मा बेहन बेटी ही क्यों ना हो."
राज बॉब्बी की बात सुनकर काफ़ी देर तक सोचता रहा फिर अपनी गर्दन
हिला दी, "नाही यार में नही मानता. अपने हिन्दुस्तान मे तो नही हो
सकता, बिल्कुल भी नही."
बॉब्बी एक शैतानी मुस्कुराहट से अपने दोस्त की ओर देख रहा था, फिर
उसने कहा, "मेरे दोस्त अपने इंडिया मे भी सब कुछ होता है. बात सिर्फ़
इतनी है कि तुम्हे पता नही है. तुम बड़े नादान और भोले हो."
* * * * * * * * * *
ये बॉब्बी ही था जिसने राज को उसकी बेहन सुनीता की सुंदरता और सेक्सी
बदन के बारे मे बताया था. बॉब्बी अक्सर राज को कॉलेज के बाद अपनी
नई गाड़ी मे उसके घर छोड़ता था. जब भी वो उसके घर आता तो चाय
या ठंडा ज़रूर पी कर जाता था.
जब बोब्बि ने राज को घर छोड़ना शुरू किया तो सुनीता को वहाँ आए
एक हफ़्ता हो चुका था.
सुनीता अपने हाथों मे एक ट्रे लिए कमरे मे दाखिल हुई. बड़े ध्यान
से चलते हुए उसने ट्रे को थाम रखा था जिसपर कोका कोला की बॉटल
और कुछ नाश्ता था. बड़ी नाज़ुकता से वो चलती हुई बॉब्बी के पास
आए थी और उसे इज़्ज़त से भाई कहते हुए कोका कोला पेश किया था.
सुनीता ने अपनी नज़रें बॉब्बी से नही मिलाई और इस दरमियाँ उसने
अपना सिर ज़मीन की ओर झुका रखा था.
राज ने देखा कि बूबी सुनीता को घूर रहा था, और जब वो कमरे से
चली गयी तो उसके होठों पर वही मुस्कान थी जो कॉलेज मे अक्सर
सुंदर लड़कियों को देख कर आती थी या फिर राह चलती किसी जवान
लड़की को देख कर आती थी.
राज ने सुनीता को कमरे के बाहर जाते देखा तो पहली बार उसने
महसूस किया कि उसकी बेहन एक सुंदर लड़की है और एक कातिलाना जिस्म
की मल्लिका भी. बस उसी दिन से उसकी बेहन का चुंबकिया आकर्षण उसके
मन को हिलाने लगा. जब वो चलती थी तो उसके मटकते कूल्हे और जब
वो गहरी सांस लेती थी तो उपर नीचे होते उसके उर्रोज उसे अपने मोह
जाल मे फाँस लेते.
राज ने महसूस किया कि बॉब्बी अब ज़्यादा से ज़्यादा समय उसके घर पर
बिताने लगा था. अगर उसकी मा उसे किसी काम से सहर के बाहर भी
भेजती तो वो उसके घर आने के लिए वक्त निकाल ही लेता था.
राज ने ये भी देखा कि जब भी बॉब्बी घर पर होता तो सुनीता भी
ज़्यादा वक़्त उन दोनो के नज़दीक रहने की कोशिश करती और बड़े कामुक
अंदाज़ मे घूमती रहती थी. जिस तरह बॉब्बी उसे देख रहा था शायद
उसे भी अच्छा लग रहा था.
सुनीता की शादी उसके पिताजी के दोस्त के बेटे के साथ हुई थी. पर
पति पत्नी मे काफ़ी अन बन रहती थी. तब सुनीता के ससुराल वालों ने
ये फ़ैसला किया कि शायद थोड़े दिनो के लिए ये दोनो एक दूसरे से
अलग रह ले, शायद उनकी अनबन मिट जाए. इसीलिए उसे कुछ दिनो के
लिए उसके मैके वापस भेज दिया गया था.
मात्रत्व ने उसकी सुंदरता को और चार चाँद लगा दिए थे. अब उसका
शरीर पहले से काफ़ी गठीला और गोरा हो गया था. गाल भी सेव की
तरह फूले फूले थे. अब वो शादी के पहले की दुबली पतली और सपाट
छातियों वाली सुनीता नही था. अब उसकी चुचियाँ भी काफ़ी बड़ी और
भारी भारी हो गयी थी. सुनीता अब एक सेक्सी बदन 38-26-35 की सेक्सी
महिला था. और जहाँ भी जाती मर्दों को आकर्षित करती.
सुनीता अपने 15 महीने के बच्चे को अपनी छाती का दूध भी पिलाती
थी. राज ने पहली बार देखा कि सुनीता ने अपने ब्लाउस के बटन खोले
और दूध से भरी चुचि अपने बच्चे के मुँह पर लगा दी. वो भूका
बच्चा उसके निपल को मुँह मे ले दूध पीने लगा.
ये सब देख राज के शरीर मे एक सिरहन सी दौड़ गयी. उसे अपने शरीर
मे पसीना छूटता महसूस हुआ और उसका लंड एक ही झटके मे तन कर
खड़ा हो गया. सुनीता ने उसे अपनी ओर देखते हुए देखा तो मुस्कुरा दी
और कहा, "तुम्हे इस तरह मुझे नही देखना चाहिए अगर पिताजी ने
देख लिया तो काफ़ी नाराज़ होंगे."
उस दिन के बाद राज के दिमाग़ पर कहर के दिन शुरू हो गये. अब वो
हर मौका ढूँढने लगा कि सुनीता बच्चे को दूध पिलाते दिख जाए
और उसे उसकी नग्न चुचियों के दर्शन हो जाए. उसकी पूरी रात यही
सीन देखते हुए कटती और हर रात के बाद सुनीता को पाने की तमन्ना
उसके मन मे और बढ़ती गयी.
* * * * * * * * * * *
क्रमशः।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ।।।
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एक परिवार ऐसा भी --1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक नयी कहानी के साथ
हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी एक पारवारिक चुदाई की कहानी है
जिन दोस्तो को इस तरह की कहानी पसंद ना हो कृपया इसे ना
पढ़े . दोस्तो ये एक काल्पनिक कहानी है इसका मकसद सिर्फ़ और
सिर्फ़ मनोरंजन करना है दोस्तो राज महल एक दो मंज़िला खूबसूरत
सा मकान था जो साउत देल्ही मेबना हुआ था. चारों और उचे लंबे पेड़
और सामने बहुत ही बड़ा आँगन उस बंगले की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे.
राज महल पर सफेद रंग पुता हुआ था, कॉंपाउंड के चारों और उँची
दीवारें थी जिन पर तार लगे हुए थे, एक बड़ा सा गेट था जो हरे
रंग का था.
बीस वर्ष का राज आज कॉलेज से लेट घर आया था. उसने बाथरूम
मे जाकर स्नान किया और अपना नाइट सूयीट पहन बिस्तर पर लेट गया.
राज अपनी बड़ी बेहन सुनीता 23 साल जिसकी शादी हो चुकी थी और
एक 15 महीने के बच्चे की मा और छोटी बेहन शीला जो 18 साल की
थी के साथ रहता था. उसका बड़ा भाई एक सरकारी दफ़्तर मे उँचे पद पर
काम करता था.
अपने हाथों को अपने सिर के पीछे रख वो सीलिंग फ़ैन को घूर रहा
था. वो अपने साथ घटी पीछले दिनो की घटनाओ पर सोच रहा था.
आज कल वो कॉलेज से लेट घर आता था. कॉलेज के बाद वो अपने
दोस्त बॉब्बी के घर चला जाता था जो एक आलीशान बंगलो मे रहता
था.
बॉब्बी उसके कॉलेज का दोस्त था और काफ़ी अमीर खानदान से था. अपने
खानदान की एकलौती औलाद होने की वजह से उसे काफ़ी छूट मिली हुई
थी. उसे अपने मा बाप से पूरी आज़ादी मिली हुई थी, वो जो चाहे कर
सकता था.
आज से छः महीने पहले की बात है जब बॉब्बी ने पहली बार उसे अपने
घर बुलाया था. बॉब्बी की गाड़ी मे बैठ जब वो उसके घर पहुँचे
थे तो पहली बार बॉब्बी ने उससे पूछा था उसे उसकी (बॉब्बी की ) मा
कैसी लगती है.
कुछ सालों की दोस्ती मे राज बॉब्बी की मा से कई बार मिल चुका था.
और उनके लिए उसके विचार काफ़ी अच्छे थे.
"आंटी बहुत अच्छी और स्वीट है," राज ने जवाब दिया.
"नमकीन भी है," बॉब्बी ने मुस्कुराते हुए कहा.
राज बॉब्बी की बात पर चौंक गया था और सोच मे पड़ गया की उसने
ऐसा क्यों कहा.
बूबी के मा शोभा आंटी ने उन दोनो का स्वागत किया और बॉब्बी की
ओर झुकते हुए उसके होठों को चूम लिया. ये कोई प्रेमी प्रेमिकाओं
वाला चुंबन नही था पर फिर भी राज ये देख कर चौंक पड़ा था.
उसने आज तक किसी को चूमते हुए नही देखा था.
राज बॉब्बी के पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया. कमरे मे आते ही
बॉब्बी ने टीवी ऑन कर दिया और केबल पर म्यूज़िक चॅनेल लगा दिया.
राज एक कुर्सी पर बैठ गया और टीवी पर नाचती अर्ध नग्न लड़कियों को
देखने लगा. उसे पता था की उसके पिताजी उसे घर मे इस तरह के
प्रोग्राम नही देखने देंगे.
उन अर्ध नग्न लड़कियों को इस तरह नाचते देख राज का लंड उसकी पैंट
मे पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था. उसकी पैंट मे एक तंबू सा
बन गया था. उसने स्क्रीन पर देखा कि छोटी बिकनी पहने दो लड़कियाँ
आपस मे अपनी गान्ड टकराकर नाच रही थी.
"यार!" तभी बॉब्बी ने कहा, "इस लड़की की गांद देख…….क्या सेक्सी गान्ड
है उसकी."
राज बड़ी उग्रता से स्क्रीन पर देखने लगा. उसका हाथ खुद बा खुद
उसके लंड पर चला गया और वो पैंट के उपर से अपने लंड को मसलने
लगा.
"यार मे तुम्हे एक चीज़ दिखाता हूँ," कहकर बॉब्बी ने रिमोट कंट्रोल
उठाया और बटन दबा दिया.
राज ने जो स्क्रीन पर देखा, वो देख कर उसे लगा कि उसका लंड उसी
वक़्त पानी छोड़ देगा.
उसने देखा कि एक मोटा और लंबा लंड एक बालों से भारी चूत के
अंदर बाहर हो रहा है. उसने कई बार पॉर्न मॅगज़ीन्स मे चूत और
लंड देखे थे पर जो मज़ा उसे टीवी स्क्रीन पर देखने मे आ रहा था
वो मज़ा उसे कभी हासिल नही हुआ था.
वहाँ उस कलर टीवी पर एक मर्द एक औरत की चुदाई कर रहा था.
स्टिल फोटोग्रॅफ देखने मे और टीवी पर देखने ने काफ़ी अंतर है. राज
ने आज तक चुदाई देखी नही थी और सही मे उसके सामने टीवी पर वो
चुदाई देख रहा था.
बॉब्बी ने टीवी का वॉल्यूम बढ़ा दिया था जिससे कमरे मे उन कलाकारों के
सिसकने की आवाज़ें गूँज रही थी.
तभी उस मर्द ने अपना लंड उस चूत के बाहर निकाला और अपने हाथों
मे पकड़ मसलने लगा. थोड़ी ही देर मे उसने सफेद रंग का गाढ़ा
वीर्या उस औरत की झांतों और चूत पे छोड़ दिया. वो मर्द सारा वीर्य
झाड़ने के बाद अपना लंड उस चूत पर रगड़ रहा था तभी उस औरत
का एक हाथ दिखाई दिया जो अपनी उंगली उस गिरे वीर्य से भर रही
थी.
वो लोग जो भी भाषा मे बात कर रहे हो पर एक शब्द जो राज ने सॉफ
सुना था वो था "मम्मी".
राज ने चौंकते हुए बूबी की तरफ देखा, "क्या उस मर्द ने अभी अभी
उस औरत को अपनी मा कहा?" उसने पूछा.
बॉब्बी ने अपना लंड अपनी पैंट के बाहर निकाला हुआ था और मुठिया
रहा था. उसने अपने होठों मे एक सिगरेट फँसा रखी थी और उसके
कश ले रहा था.
बॉब्बी ने अपनी गर्दन हिला दी, "हाँ दोनो मा बेटा है."
बॉब्बी की बात सुनकर राज के लंड ने पैंट मे ही पानी छोड़ दिया.
"ये ना मुमकिन है यार! ऐसा नही हो सकता." राज थोड़ा विचलित होकर
बोला.
बॉब्बी राज की बात सुनकर हँसने लगा और उसके हैरत भरे चेहरे को
देखने लगा. "यार ये लोग कलाकार है. इनसे जो कहा जाएगा वो ये
करेंगे और कहेंगे. सवाल है इन्सेस्ट कहानी का……तुम्हे पता है ना……
मादरचोद.,,,बहनचोद."
राज और गौर से उस फिल्म को देखने लगा जो जिस पर अब एक डिन्नर टेबल
का सीन आ रहा था जहाँ एक जवान लड़की किसी 60 साल के मर्द से
चुदवा रही थी.
"देखो," बॉब्बी ने कहा, "ये उस लड़के के पिताजी और बेहन है. पिताजी
पहले ही अपनी बेटी की दो बार चुदाई कर चुके है. तुम कहो तो मे
फिल्म रीवाइंड कर देता हूँ."
"ये सिर्फ़ एक फिल्म है, में सही कह रहा हूँ ना?" राज ने धीरे से
पूछा. (बाप और बेटी? मा और बेटा?)
बॉब्बी ने अपना सिर हिलाया और कहा, "दूसरे सीन मे बेहन बाथरूम
मे शवर के नीचे अपने भाई से चुदवाती है और वो भी गान्ड मे."
राज वो फिल्म देखता रहा जहाँ दोनो भाई बेहन शवर के नीचे एक
दूसरे से खेल रहे थे और एक दूसरे के अंगों को मसल रहे थे.
राज ने देखा कि बेहन अब घोड़ी बन गयी थी और अपने दोनो हाथों से
अपने चुतड़ों को फैला अपनी गान्ड दिखा रही थी.
भाई ने बिना कोई समय गँवाए अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर रखा
और अपना लंड पूरा अंदर तक घुसा दिया. उसके बाद तो ऐसे कई सीन
आए. जब बॉब्बी उसे घर छोड़ने जा रहा था तो उसका लंड एक डंडे
की तरह उसकी पैंट मे खड़ा था.
"पर ये सब बातें हक़ीक़त मे नही होती………क्या होती है?" राज ने
पूछा.
"यार!" बॉब्बी थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला, "आज के संसार मे सब कुछ
होता है. जब आदमी काम वासना मे गरम होता है तो रिश्ते नाते
कुछ दिखाई नही देता वो किसी की भी चूत चोद्ने को तय्यार रहता
है चाहे वो मा बेहन बेटी ही क्यों ना हो."
राज बॉब्बी की बात सुनकर काफ़ी देर तक सोचता रहा फिर अपनी गर्दन
हिला दी, "नाही यार में नही मानता. अपने हिन्दुस्तान मे तो नही हो
सकता, बिल्कुल भी नही."
बॉब्बी एक शैतानी मुस्कुराहट से अपने दोस्त की ओर देख रहा था, फिर
उसने कहा, "मेरे दोस्त अपने इंडिया मे भी सब कुछ होता है. बात सिर्फ़
इतनी है कि तुम्हे पता नही है. तुम बड़े नादान और भोले हो."
* * * * * * * * * *
ये बॉब्बी ही था जिसने राज को उसकी बेहन सुनीता की सुंदरता और सेक्सी
बदन के बारे मे बताया था. बॉब्बी अक्सर राज को कॉलेज के बाद अपनी
नई गाड़ी मे उसके घर छोड़ता था. जब भी वो उसके घर आता तो चाय
या ठंडा ज़रूर पी कर जाता था.
जब बोब्बि ने राज को घर छोड़ना शुरू किया तो सुनीता को वहाँ आए
एक हफ़्ता हो चुका था.
सुनीता अपने हाथों मे एक ट्रे लिए कमरे मे दाखिल हुई. बड़े ध्यान
से चलते हुए उसने ट्रे को थाम रखा था जिसपर कोका कोला की बॉटल
और कुछ नाश्ता था. बड़ी नाज़ुकता से वो चलती हुई बॉब्बी के पास
आए थी और उसे इज़्ज़त से भाई कहते हुए कोका कोला पेश किया था.
सुनीता ने अपनी नज़रें बॉब्बी से नही मिलाई और इस दरमियाँ उसने
अपना सिर ज़मीन की ओर झुका रखा था.
राज ने देखा कि बूबी सुनीता को घूर रहा था, और जब वो कमरे से
चली गयी तो उसके होठों पर वही मुस्कान थी जो कॉलेज मे अक्सर
सुंदर लड़कियों को देख कर आती थी या फिर राह चलती किसी जवान
लड़की को देख कर आती थी.
राज ने सुनीता को कमरे के बाहर जाते देखा तो पहली बार उसने
महसूस किया कि उसकी बेहन एक सुंदर लड़की है और एक कातिलाना जिस्म
की मल्लिका भी. बस उसी दिन से उसकी बेहन का चुंबकिया आकर्षण उसके
मन को हिलाने लगा. जब वो चलती थी तो उसके मटकते कूल्हे और जब
वो गहरी सांस लेती थी तो उपर नीचे होते उसके उर्रोज उसे अपने मोह
जाल मे फाँस लेते.
राज ने महसूस किया कि बॉब्बी अब ज़्यादा से ज़्यादा समय उसके घर पर
बिताने लगा था. अगर उसकी मा उसे किसी काम से सहर के बाहर भी
भेजती तो वो उसके घर आने के लिए वक्त निकाल ही लेता था.
राज ने ये भी देखा कि जब भी बॉब्बी घर पर होता तो सुनीता भी
ज़्यादा वक़्त उन दोनो के नज़दीक रहने की कोशिश करती और बड़े कामुक
अंदाज़ मे घूमती रहती थी. जिस तरह बॉब्बी उसे देख रहा था शायद
उसे भी अच्छा लग रहा था.
सुनीता की शादी उसके पिताजी के दोस्त के बेटे के साथ हुई थी. पर
पति पत्नी मे काफ़ी अन बन रहती थी. तब सुनीता के ससुराल वालों ने
ये फ़ैसला किया कि शायद थोड़े दिनो के लिए ये दोनो एक दूसरे से
अलग रह ले, शायद उनकी अनबन मिट जाए. इसीलिए उसे कुछ दिनो के
लिए उसके मैके वापस भेज दिया गया था.
मात्रत्व ने उसकी सुंदरता को और चार चाँद लगा दिए थे. अब उसका
शरीर पहले से काफ़ी गठीला और गोरा हो गया था. गाल भी सेव की
तरह फूले फूले थे. अब वो शादी के पहले की दुबली पतली और सपाट
छातियों वाली सुनीता नही था. अब उसकी चुचियाँ भी काफ़ी बड़ी और
भारी भारी हो गयी थी. सुनीता अब एक सेक्सी बदन 38-26-35 की सेक्सी
महिला था. और जहाँ भी जाती मर्दों को आकर्षित करती.
सुनीता अपने 15 महीने के बच्चे को अपनी छाती का दूध भी पिलाती
थी. राज ने पहली बार देखा कि सुनीता ने अपने ब्लाउस के बटन खोले
और दूध से भरी चुचि अपने बच्चे के मुँह पर लगा दी. वो भूका
बच्चा उसके निपल को मुँह मे ले दूध पीने लगा.
ये सब देख राज के शरीर मे एक सिरहन सी दौड़ गयी. उसे अपने शरीर
मे पसीना छूटता महसूस हुआ और उसका लंड एक ही झटके मे तन कर
खड़ा हो गया. सुनीता ने उसे अपनी ओर देखते हुए देखा तो मुस्कुरा दी
और कहा, "तुम्हे इस तरह मुझे नही देखना चाहिए अगर पिताजी ने
देख लिया तो काफ़ी नाराज़ होंगे."
उस दिन के बाद राज के दिमाग़ पर कहर के दिन शुरू हो गये. अब वो
हर मौका ढूँढने लगा कि सुनीता बच्चे को दूध पिलाते दिख जाए
और उसे उसकी नग्न चुचियों के दर्शन हो जाए. उसकी पूरी रात यही
सीन देखते हुए कटती और हर रात के बाद सुनीता को पाने की तमन्ना
उसके मन मे और बढ़ती गयी.
* * * * * * * * * * *
क्रमशः।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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