Monday, August 17, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक परिवार ऐसा भी --2

FUN-MAZA-MASTI

 एक परिवार ऐसा भी --2
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक परिवार ऐसा भी का दूसरा
भाग लेकर हाजिर हूँ   
बॉब्बी अक्सर राज के साथ सुनीता के बारे मे बात करता था. पर
हमेशा वो अपनी हद मे रहकर ही बात करता था. पर ऐसा शुरुआत मे
ही था. गुज़रते समय के साथ दोनो काफ़ी पॉर्न फिल्म्स देखने लगे थे
और ज़्यादा से ज़्यादा राज शर्मा की चुदाई की कहानियाँ पढ़ने लगे थे. 
राज ने महसूस किया की अब बॉब्बी सुनीता के बारे मे सेक्सी बातें भी
 करने लगा था.

शुरू शुरू मे तो उसे बॉब्बी की बातें बुरी लगती थी, मगर उसने
महसूस किया कि बॉब्बी का सुनीता के बारे मे इस तरह बात करने से
उसके शरीर मे उत्तेजना बढ़ जाती थी. जब भी पॉर्न फिल्म की किसी
कलाकार की चुचियाँ या गान्ड की तुलना वो सुनीता से करता तो उसे
अच्छा लगता.

बॉब्बी भी इस बात का ख़याल रखता को वो हद के आगे ना जाए, कहीं
उसकी बातें उन दोनो की दोस्ती मे दरार ना डाल दे. पर राज था जो
खुद अब टीवी पर दिखने वाली लड़की को चुदते देख उसकी जगह सुनीता
को रख सपने देखने लगा था.

राज ने महसूस किया कि बॉब्बी जो भी फिल्म लगाता वो अक्सर इन्सेस्ट
कहानी पर ही होती. कभी बेहन भाई से चुदवा रही है तो कभी मा
बेटे से. कभी बाप बेटी को चोद रहा है.

एक दिन बॉब्बी ने राज से पूछा, "सुनीता अपने सुकून के लिए क्या करती
है?"

उस दिन वो दोनो बहुत ही मज़ेदार पॉर्न फिल्म देख रहे थे जिसमे एक मा
अपने एक बेटे के उपर चढ़ उसे चोद रही थी और दूसरा बेटा पीछे
से उसकी गान्ड मे लंड डाल उसकी गान्ड मार रहा था. उस औरत का पति
और दोनो बेटों का बाप एक कुर्सी पर बैठा अपनी बेटी के चुतड़ों को
संभाले हुए था जो उसकी गोद मे बैठ उसे चोद रही थी.

राज बड़ी उत्सुकता से टीवी पर हो रही उस सामूहिक चुदाई को देख रहा
था, "तुम कहना क्या चाहते हो?" उसने बॉब्बी से कहा.

"मेरा मतलब चुदाई से है यार. तुम्हारी बेहन लंड का स्वाद चख
चुकी है और उसकी चूत भी लंड के लिए तरस रही होगी." बॉब्बी ने
जवाब दिया.

राज बॉब्बी से पहले इस बात पर सोच चुका था, उसने अपनी गर्दन
झटकाई और कहा, "नही मालूम यार शायद अपनी उंगली से काम
चलाती होगी."

राज की बात सुन बॉब्बी जोरों से हँसने लगा और कहा, "यार तुम उसके
कैसे भाई हो? उसकी मदद करो………उसे चोद कर उसकी चूत की प्यास
बुझाओ."

अगर बॉब्बी ने ये बात कुछ महीनो पहेले कही होती तो शायद आज राज
उसे मार देता. पर चुदाई का ग्यान होने के बाद सुनीता को चोदने की
बात या कल्पना कोई बेमानी नही थी. हक़ीक़त मे कई बार वो ये
सपना देख चुका था और उसकी दिली ख्वाइश थी कि वो सुनीता को चोद
सके. जब भी वो स्क्रीन पर किसी लड़की की चुदाई देखता तो वो यही
कल्पना करता था कि उस लड़की जगह सुनीता है और वो अपना लंड उसकी
चूत के अंदर बाहर कर रहा है.

उस दिन के बाद दोनो के बीच और गरम और चुदाई भरी बातें होने
लगी. एक दिन जब राज ने पलट कर बॉब्बी को जवाब दिया कि वो पहले
अपनी मा को चोदे. राज की बात सुनकर बॉब्बी जोरों से हँसने लगा और
अपनी आँखों मे आए आसुओं को पोंछते हुए बोला, "यार ख़याल बुरा
नही है."

* * * * * * * * * *

एक दिन बॉब्बी ने उसे बताया कि उसके पास एक देसी मा बेटे की चुदाई
की फिल्म आई है.

राज उसकी बात सुनकर खुश हो गया. उसने आज तक देसी चुदाई की फिल्म
नही देखी थी.

फिल्म के शुरुआत होते ही राज समझ गया कि पूरी देसी है. फिल्म मे ना
तो टाइटल था और ना ही म्यूज़िक. ना ही फोटोग्रफी इतनी सुंदर थी. ना
ही कोई कहानी की शुरुआत, तभी उसने देखा कि एक औरत अपने हाथ मे
हॅंडी कॅम पकड़े उसे अपनी गंद पर फोकस किए हुए थी जहाँ एक लंड
उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.

फोटोग्रफी इतनी अच्छी नही थी और ना ही उसकी तस्वीरे सॉफ थी पर
सबसे ख़ासियत उस फिल्म मे थी उसकी आवाज़ जो सॉफ सुनाई दे रही थी.

"चोद हरामी…..और जोरों से चोद अपनी मा को……….मेने किसी लड़की को
जनम दिया है या किसी मर्द को." वो औरत बड़बड़ा रही थी.


"ले कुतिया ले मेरे लंड को और………आज में तेरी चूत को चोद चोद
कर फाड़ डालूँगा…….ले अपने बेटे का लंड और ले ले अपनी चूत मे."
वो मर्द कह रहा था.

राज बड़ी उत्सुकता से उस फिल्म को देख रहा था, फिल्म मे अभी तक चेहरे
दिखाई नही दे रहे थे फिर भी उसे लग रहा था कि जैसे कुछ जाना
पहचाना हो.

"ओह मम्मी! अपना मुँह खोलो जल्दी से, मम्मी ज़रा इधर घूमो." उस
मर्द ने जल्दी से कहा.

थोड़ी ही देर मे हॅंडी कॅम गायब सा हुआ और फिर राज ने उस औरत का
मुँह देखा जो बड़ी जोरों से उस जवान मर्द का लंड चूस रही थी.

तभी गहरी सांसो की आवाज़ आई और उस मर्द की आवाज़ सुनाई दी. "हाँ
चूस मेरा लंड कुतिया. हाँ पीलो मेरा सारा पानी……अहह
ओह."

राज हमेशा की तरह अपने लंड को पैंट के बाहर निकाल मसल रहा
था. 15 मिनिट की वो वीडियो को बहुत अच्छी फिल्म नही थी पर हिन्दी मे
डायलॉग सुन वो काफ़ी उत्तेजित हो गया था.

उस मर्द के लंड ने सारा वीर्य उस औरत के मुँह मे छोड़ दिया था. उस
औरत ने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और उसे हाथों मे पकड़
मुस्कुराने लगी.

"तुम्हारे लंड ने कितना पानी छोड़ा है, तुमने आज मूठ नही मारी क्या?"
वो औरत उस लंड को चाटते हुए बोली.

राज अचंभित नज़रों से उस चेहरे को देख रहा था और उसका लंड
ज़मीन पर पानी फैंक रहा था. अब उसकी समझ मे आया कि क्यों कुछ
जाना पहचाना लग रहा था. ये फिल्म बॉब्बी के कमरे मे खींची गयी
थी. उसके दीवार पर लगी तस्वीर अभी भी टीवी पर दीख रही थी और
वो औरत शोभा आंटी जैसी नही बल्कि शोभा आंटी ही थी.

जैसे ही टीवी पर सीन ख़त्म हुआ राज पलट कर बॉब्बी को देखने लगा
जो उसके पीछे बिस्तर पर बैठा था.

"हाँ मेरे भाई वो मेरी मा ही थी." बॉब्बी मुस्कुराते हुए बोला.

राज खामोशी से बॉब्बी को घूरता रहा. बॉब्बी ने उसे बताया कि किस
तरह वो अपने मा के साथ बरसों से चुदाई कर रहा है, सही मे
उसकी मा ने उसका कुँवारापन भंग किया था.

राज उत्सुकता उसकी बातें सुनता रहा और वो खुद अपनी मा और बहनो
को चोदने के सपने देखने लगा.

* * * * * * * * * * *

राज अपने बिस्तर पर लेटा सोच रहा था. वो झल्लाहट मे बगल मे
लेटे अपने बड़े भाई अजय को देखने लगा जो सिर्फ़ शॉर्ट्स पहने
खर्राटें भर रहा था.

अगर पिताजी इस समय आ जाते तो ज़रूर उसे कान से पकड़ कर इस तरह
सोने पर डाँटते. पिताजी पुराने ख़यालात के थे और नग्नता से उन्हे
काफ़ी चिढ़ थी. अगर उनका बस चले तो वो हर किसी से कहें कि
बाथरूम मे भी कपड़े पहन कर नहाओ.

राज ने किचन मे से आती अपनी मा की आवाज़ें सुनी. उसने घड़ी देखी
शाम के 5. बज चुके थे और सुनीता का भी बच्चे को दूध
पिलाने का समय हो चुका था. सुनीता ज़रूर हॉल मे बैठी अपने
ब्लाउस के बटन खोल बच्चे को दूध पिला रही होगी और बच्चा
बड़े मज़े से उसके निपल को चूस दूध पी रहा होगा.

उसने तुरंत अपने कपड़े बदले और हॉल मे आ गया.

जिस दिन से बॉब्बी ने उससे पूछा था कि सुनीता अपनी चूत की प्यास
बुझाने के लिए क्या करती है उसी दिन से राज उस पर नज़र रखने
लगा था. आख़िर मे एक दिन उसने सुनीता को बाथरूम मे देख ही लिया.
वो दीवार के सहारे खड़ी थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी
और अपनी सारी को उठाए अपनी चूत मे उंगली कर रही थी.

राज की बदक़िस्मती थी कि उसने अपने कपड़े नही उतारे हुए थे इसलिए
वो उसके नंगे बदन को नही देख पाया. वो उसे बाथरूम की खिड़की से
देखते हुए खुद मूठ मारता रहा.

इस द्रश्य ने बॉब्बी की बात की पुष्टि कर दी थी. सुनीता काफ़ी गरम
और चुदासि मिज़ाज़ की थी और कई महीनो से लंड ना मिलने की वजह से
उसकी चूत काफ़ी प्यासी और भूकि थी.

* * * * * * * * * *

जैसे ही राज हॉल मे आया सुनीता उसे देख मुस्कुरा पड़ी. राज हॉल मे
आया और उसके पास बैठ गया. सुनीता को रत्ती भर भी शरम नही
आई, उसने अपना ब्लाउस उठाया और अपना निपल अपने बच्चे के मुँह मे
दे दिया. अगर सच कहा जाए तो उसे मज़ा आ रहा था कि कोई मर्द
उसकी नग्न चुचि को देख रहा है चाहे वो उसका सगा भाई ही क्यों
ना हो.

सुनीता अपने भाई राज के चेहरे पर आए भावों को पढ़ने लगी. उसने
महसूस किया कि उसकी नग्न चुचि को देख उसके चेहरे पर वही भाव
आए थे जो उसके पति अमित के चेहरे पर आते थे. राज के पैंट मे बने
तंबू ने इस बात को और यकीन मे बदल दिया था कि उसकी नग्न
छातियों को देख वो गरम और उत्तेजित हो जाता था.

उसे ये भी पता था कि राज ही नही उसका दोस्त बॉब्बी भी उसे कामुक
और भूकि नज़रों से घूरता रहता था. वो उसकी नज़रों से घबराती
नही थी बल्कि उसे मज़ा आता था उनकी हालात देख कर.

राज और बॉब्बी के ख़याल ने उसे गरमा दिया था. उसे लगा कि उसकी
चूत गीली हो गयी है तो उसने अपनी टाँगे सिकोड ली और अपने निचले
होंठो को दाँतों से चबाने लगी.

उसी अच्छी तरह से पता था कि किसी गैर मर्द से चुदवाना नामुमकिन
है. इसलिए उसने कई बार सोचा क्यों ना अपने भाई को अपनी तरफ
आकर्षित करूँ और यही ख़याल करते हुए उसने कई बार उंगली से अपनी
चूत को ठंडा किया था.

एक तो बच्चे का निपल को चूसना और उपर से राज की कामुक निगाहें
उसे और गरमा रही थी. उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी उसे
बैठना मुश्किल हो रहा था. मन तो कर रहा था कि अभी सब लाज
शरम छोड़ राज के उपर चढ़ जाउ और उसके लंड को अपने चूत मे ले
लूँ.

चह महीने हो चुके थे उसकी चूत को लंड का स्वाद चखे. आज भी
उसे याद है वो आखरी रात जब उसके पति ने उसकी चूत की अलविदाई
चुदाई की थी. उस रात उसके पति ने उसे 5 बार चोदा था और उसकी
चूत की धज्जिया उड़ा थी. चाहे लाख मन मुटाव था दोनो के बीच
पर जब बात चुदाई की आती तो दोनो सब कुछ भूल जाते थे.

उसे अपनी सुहागरात अच्छी तरह याद है जब उसके पति ने उसका
कुँवारापन लिया था. जब उसके पति ने पहली बार की चुदाई के बाद
रक्त से सनी चादर को देखा तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी
थी, और जब उसके धक्को का उछाल उछाल कर साथ दिया तो उसकी खुशी
का ठिकाना ही नही था.

सुनीता के बच्चे का पेट भर गया था. उसने निपल को मुँह के बाहर
निकाल दिया था और गहरी नींद मे सो गया था. सुनीता ने बच्चे को
सोफे पर लिटा दिया और उसे थप थापा कर सुलाने लगी.

सुनीता अपने ख़यालों मे खोई हुई थी, उसे पता भी नही चला कि
कब उसके हाथ खुद बा खुद उसकी चुचियों को मसलने और रगड़ने
लगे. ये उसका नसीब था कि उसकी चुचियाँ ज़रूरत से ज़्यादा दूध
पैदा करती थी. जितनी उसके बच्चे को ज़रूरत होती उससे ज़्यादा ही
दूध भर जाता उसकी छातियों मे. कभी कभी तो सहन करना
मुश्किल हो जाता था.

वो अपने ख़यालों मे खोई अपनी चुचियों को मसल दूध को बाहर
निकालने की कोशिश करने लगी. जब राज ने हॉल के दरवाज़े को बंद
किया तो उसका ध्यान टूटा और उसे महसूस हुआ कि वो अपने भाई के
सामने क्या कर रही थी.

जैसे ही राज उसके पास आकर बैठा वो अपने ब्लाउस को दुरुस्त करने
लगी पर राज ने काँपते हाथों से उसकी एक चुचि को अपने हाथों मे
लिया और उसी तरह से मसालने लगा जिस तरह वो खुद मसल रही थी.

राज हैरत भरी नज़रों से अपनी बेहन की चुचि को देख रहा था
जिससे अब दूध चुह कर बाहर निकल रहा था. सुनीता भी अपने भाई की
इस हरकत पर हैरान थी पर उसकी हरकत ने उसे जो मज़ा दिया वो
कुछ कह नही पाई.

सुनीता ने देखा कि राज झुक कर उसके निपल से बहते दूध को चाट
रहा था पी रहा था. जैसे जैसे उसकी चुचि दूध के बोझ से
हल्की हो रही थी उसे काफ़ी आराम मिल रहा था.

तभी दोनो अपने स्वप्न लोक से बाहर आ गये. उनकी मम्मी की आवाज़ आई
कि आकर चाय ले जाओ.

राज ने घबडा कर सुनीता की चुचि छोड़ दी और खड़ा हो गया. उसका
लंड तन कर पैंट के अंदर खड़ा था और उसके अंडकोषों मे उठता
दर्द उससे सहन नही हो रहा था.

सुनीता ने खामोश नज़रों से अपने भाई का शुक्रिया किया. उसने अपनी
साडी को अड्जस्ट किया और उसे चाय लाने के लिए कहा. उत्तेजना मे उसकी
चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.

* * * * * * * * *

पूरा घर अंधेरे मे डूबा हुआ था. सारे इलाक़े की बिजली चली गयी
थी. रात के 11.00 बज रहे थे और सुनीता और राज ही घर पर थे.

पूरी शाम बड़ी मुश्किल से राज ने अपने आपको संभाला था. तब से अब
तक वो दो बार मूठ मार चुका था पर उसका लंड था कि शांत होने का
नाम ही नही ले रहा था. इस वक्त भी वो खुन्टे की तरह तन कर
खड़ा था.

वो और सुनीता घर की छत पर खामोश बैठे थे और आने वाली
ठंडी हवा का आनंद उठा रहे थे. घर के सभी सदस्य बगल के
बने पार्क मे गये थे जिससे इस भरी गर्मी मे खुली हवा का आनंद ले
सके. बच्चे के सोने का समय था इसलिए सुनीता उनके साथ नही गयी
थी.

जब सुनीता ने कहा था कि वो नही जा पाएगी तो राज ने एक शैतानी
मुस्कुराहट सुनीता के चेहरे पर देखी थी. सुनीता ने एक बार फिर
बच्चे को दूध पिलाया था पर बंद कमरे के अंदर कारण पिताजी घर
पर थे.

छत पर बिछि एक रज़ाई पर दोनो खामोशी से बैठे थे. सुनीता का
बच्चा मच्छरदानी से ढके पालने मे आराम से सो रहा था.

"दीदी?" राज ने कहा, "क्या में अपनी शर्ट उतार सकता हूँ, काफ़ी
गर्मी है?"

"हाँ उतार सकते हो, पापा घर पर नही है." सुनीता ने जवाब दिया.

राज ने एक आराम की सांस लेते हुए अपनी शर्ट उतार दी.

"क्या हुआ दीदी आप क्या सोच रही है, कुछ परेशानी है क्या?" राज ने
पूछा.

सुनीता ने जवाब दिया, "कुछ नही." और राज ने देखा कि सुनीता अपनी
चुचियों को मसल रही थी.

"लगता है तुम्हे दर्द हो रहा है?" राज ने पूछा. उसका लंड किसी खुन्टे की
तरह खड़ा था


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