FUN-MAZA-MASTI
एक मज़बूर पति--4
राहुल ढेर सारा माल, रुचिका की चूत में ही छोड़ने लगा..
कम से कम, एक मिनट तक राहुल ने उसे ऐसे ही चिपकाए रखा आर फिर रुचिका की चूत में से, राहुल का माल बाहर आने लगा..
मुझे अहसास हुआ की रुचिका भी झड़ गई है और उसका भी पानी बाहर आ रहा है।
मैंने ऐसा नज़ारा, पहली बार देखा था.. ..
रुचिका के पूरे शरीर पर पसीना आ रहा था.. लेकिन, फिर थोड़ी देर में वो मस्ती से अपनी गाण्ड ऊपर नीचे करने लगी..
लकी और वीरू, दोनों मुझे ही देख रहे थे और ज़ोर ज़ोर से हंस रहे थे।
अब वीरू बोला की देख बे, मादार चोद.. !! लड़की को कैसे चोद्ते हैं.. !!
फिर, राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और खिसक कर बेड के किनारे लेट गया.. उसकी जगह, देव रुचिका के नीचे आ गया..
उसने प्यार से, रुचिका को घुमाया और रुचिका बड़े प्यार से घूम गई.. जैसे साली, मेरी बीवी ना हो कर उनकी रखैल हो..
अब रुचिका की चूत सामने की तरफ थी और गाण्ड नीचे।
देव नीचे से ही, रुचिका की गाण्ड में उंगली करने लगा, तब तक वीरू ने मेरे सामने ही मेरी बीवी की चूत में अपना लण्ड डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा..
विनोद भी, रुचिका की चुचि मुंह में लेकर चूसने लगा.. जबकि, राजू ने अपना लण्ड रुचिका के हाथ में दे दिया.. जिसे, रुचिका प्यार से हिलाने लगी..
फिर उसके बाद देव ने वीरू को इशारा किया और अपना लण्ड रुचिका की गाण्ड में डालने लगा..
रुचिका की गाण्ड, पहले से वीर्य से भीगी थी.. लेकिन, फिर भी उसे देव का लण्ड अंदर लेने मैं थोड़ी दिक्कत थी पर एक बार भी, रुचिका ने देव से कुछ नहीं कहा और ना ही उसे रोका.. बल्कि, अपनी गाण्ड हिला हिला कर पूरा लण्ड अंदर घुसेडवा लिया.. बस, रुचिका के चेहरे पर थोड़ी देर के लिए थोड़ा तनाव सा दिखा पर लण्ड अंदर घुसते ही, वो नॉर्मल हो गई..
मैंने आज तक रुचिका की गाण्ड नहीं मारी थी.. वैसे गाण्ड तो क्या मैं तो उसकी चूत भी, ठीक से नहीं मार पाया था..
अब फिर वीरू ने अपना लण्ड रुचिका की चूत में डाल दिया और फिर देव और वीरू दोनों, धक्के लगाने लगे।
2 मिनट बाद, दोनों ने अपनी पूरी रफ़्तार बड़ा दी.. जिससे, लकी और राजू भी किनारे से हट गये..
बस थोड़ी थोड़ी देर में, वो मेरी बीवी की चुचि मसल देते और बीच बीच में मेरी बीवी उनके लण्ड पकड़ कर हिलाने लगती।
अब रुचिका को जबरदस्त मस्ती छा रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेनी लगी…
पूरा रूम, उसकी चीखों से गूंजने लगा.. ..
वो चिला रही थी – फाड़ दो, मेरी चूत.. !! मार लो, मेरी गाण्ड.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ…। ऊ ई ई ई ई ई ई माआ आअ.. !! मर गाइई ई ई ई ई ई ई ई ई.. !! मज़ा आ गय्आ आअ.. !! साले, एक रात में ही, रंडी बना दिया.. !! कुतिया बना के, चोद डाअला आा आ रे.. !! आ आआ.. !!
रुचिका के मुंह से “रंडी, कुतिया” जैसे शब्द सुन कर, मुझे भी जोश आने लगा।
रुचिका के चेहरे से पसीना टपक रहा था और लण्ड अंदर बाहर जाने की “पक पक” की आवाज़ें आ रही थीं।
फिर लगभग 15 मिनट बाद, देव उसके अंदर ही झड़ गया.. !!
थोड़ी देर के लिए, वीरू भी रुक गया और फिर वो दुबारा धक्के लगाने लगा..
थोड़ी देर बाद, वो भी झड़ गया.. !!
दोनों ने, अपने लण्ड बाहर निकाल लिए, रुचिका की गाण्ड और चूत दोनों से वीर्य टपक रहा था।
दोनों ने, उसे बेड पर ही ऐसे बैठा दिया जैसे लोग “संडास” करते वक़्त बैठते हैं.. जिससे, उसके अंदर से वीर्य बाहर आने लगे..
फिर वीरेंद्र ने रुचिका से कहा, जिसे सुनकर मेरी तो गाण्ड ही फट गई..
रूचि अपने पति को अपना माल नहीं चटाऔगी.. !! जाओ, अपने पति के मुंह पर अपनी यह अनोखी क्रीम लगा कर आओ.. !! जिसके लिए, इस चुतिए की मां की इतनी गालियाँ खाई थीं.. !!
फिर रुचिका उठ कर मेरे पास आई.. उसकी पूरी जाँघ से ले कर, उसके घुटने तक वीर्य चू रहा था..
वो, बिल्कुल मेरे पास आ कर खड़ी हो गई।
अब जा के, मैंने रुचिका को करीब से देखा.. उसके पूरे चेहरे, चुचि और जाँघो पर लव मार्क्स थे.. उसके बालों तक में, वीर्य सूखा सा चिपका हुआ था.. बल्कि, पूरा बदन, जैसे वीर्य से सना हुआ था..
फिर, वीरू ने रुचिका से मुझे अपनी गाण्ड दिखाने को कहा।
रुचिका, मेरी तरफ अपनी गाण्ड करके मूड गई..
वीरू के इशारे से, वो थोड़ा नीचे झुकी.. जिससे, उसकी गाण्ड बिल्कुल मेरे सामने आ गई..
उसकी गाण्ड, बिल्कुल खुल चुकी थी.. उसके चुतड़ पर थोड़े थोड़े नाख़ून के निशान भी नज़र आ रहे थे.. शायद, गाण्ड मारते हुए थोड़ी “छी छी” भी बाहर आ गई हो..
तभी पिंकी उठी और रुचिका की चूत और गाण्ड के नीचे, अपना हाथ लगा कर वीर्य पोछने लगी।
थोड़ी ही देर में, पिंकी की पूरी हथेली वीर्य से भर गई..
पिंकी ने पहले हथेली प्यार से खुद सूँघी, फिर रुचिका को भी सूँघाई और फिर मेरी नाक के पास लगा दी..
बहुत ही, “मादक महक” थी.. !! .. !!
आदमी का वीर्य और औरत का पानी मिलकर, जो निर्माण करते हैं, ज़रा सोचिए उसकी महक कैसी होगी और फिर उसमें औरत की छी छी और पेशाब की भी महक भरी हुई हो, तो कहने ही क्या..
फिर उसके बाद, पिंकी ने अपनी हथेली चाट ली..
अब रुचिका की गाण्ड में, अंदर तक उंगली घुसेड कर इधर उधर घूमने लगी.. जैसे लोग जैम की डिब्बी में से उंगली से जैम निकालते हैं..
फिर जब पिंकी ने उंगली निकाली तो उसमें थोड़ा थोड़ा वीर्य लगा हुआ था।
मुझे यह देख कर, घिन आने लगी..
पिंकी ने अपनी उंगली, मेरी नाक पर सूँघाई और फिर रुचिका के मुंह में डाल दी..
जिसे, रुचिका ऐसे चाट गई जैसे उंगली पर जैम लगा हुआ हो।
यह देख कर, सब हँसने लगे।
एक मज़बूर पति की ये एक अजीबो गरीब कहानी, जारी रहेगी
एक मज़बूर पति--4
राहुल ढेर सारा माल, रुचिका की चूत में ही छोड़ने लगा..
कम से कम, एक मिनट तक राहुल ने उसे ऐसे ही चिपकाए रखा आर फिर रुचिका की चूत में से, राहुल का माल बाहर आने लगा..
मुझे अहसास हुआ की रुचिका भी झड़ गई है और उसका भी पानी बाहर आ रहा है।
मैंने ऐसा नज़ारा, पहली बार देखा था.. ..
रुचिका के पूरे शरीर पर पसीना आ रहा था.. लेकिन, फिर थोड़ी देर में वो मस्ती से अपनी गाण्ड ऊपर नीचे करने लगी..
लकी और वीरू, दोनों मुझे ही देख रहे थे और ज़ोर ज़ोर से हंस रहे थे।
अब वीरू बोला की देख बे, मादार चोद.. !! लड़की को कैसे चोद्ते हैं.. !!
फिर, राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और खिसक कर बेड के किनारे लेट गया.. उसकी जगह, देव रुचिका के नीचे आ गया..
उसने प्यार से, रुचिका को घुमाया और रुचिका बड़े प्यार से घूम गई.. जैसे साली, मेरी बीवी ना हो कर उनकी रखैल हो..
अब रुचिका की चूत सामने की तरफ थी और गाण्ड नीचे।
देव नीचे से ही, रुचिका की गाण्ड में उंगली करने लगा, तब तक वीरू ने मेरे सामने ही मेरी बीवी की चूत में अपना लण्ड डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा..
विनोद भी, रुचिका की चुचि मुंह में लेकर चूसने लगा.. जबकि, राजू ने अपना लण्ड रुचिका के हाथ में दे दिया.. जिसे, रुचिका प्यार से हिलाने लगी..
फिर उसके बाद देव ने वीरू को इशारा किया और अपना लण्ड रुचिका की गाण्ड में डालने लगा..
रुचिका की गाण्ड, पहले से वीर्य से भीगी थी.. लेकिन, फिर भी उसे देव का लण्ड अंदर लेने मैं थोड़ी दिक्कत थी पर एक बार भी, रुचिका ने देव से कुछ नहीं कहा और ना ही उसे रोका.. बल्कि, अपनी गाण्ड हिला हिला कर पूरा लण्ड अंदर घुसेडवा लिया.. बस, रुचिका के चेहरे पर थोड़ी देर के लिए थोड़ा तनाव सा दिखा पर लण्ड अंदर घुसते ही, वो नॉर्मल हो गई..
मैंने आज तक रुचिका की गाण्ड नहीं मारी थी.. वैसे गाण्ड तो क्या मैं तो उसकी चूत भी, ठीक से नहीं मार पाया था..
अब फिर वीरू ने अपना लण्ड रुचिका की चूत में डाल दिया और फिर देव और वीरू दोनों, धक्के लगाने लगे।
2 मिनट बाद, दोनों ने अपनी पूरी रफ़्तार बड़ा दी.. जिससे, लकी और राजू भी किनारे से हट गये..
बस थोड़ी थोड़ी देर में, वो मेरी बीवी की चुचि मसल देते और बीच बीच में मेरी बीवी उनके लण्ड पकड़ कर हिलाने लगती।
अब रुचिका को जबरदस्त मस्ती छा रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेनी लगी…
पूरा रूम, उसकी चीखों से गूंजने लगा.. ..
वो चिला रही थी – फाड़ दो, मेरी चूत.. !! मार लो, मेरी गाण्ड.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ…। ऊ ई ई ई ई ई ई माआ आअ.. !! मर गाइई ई ई ई ई ई ई ई ई.. !! मज़ा आ गय्आ आअ.. !! साले, एक रात में ही, रंडी बना दिया.. !! कुतिया बना के, चोद डाअला आा आ रे.. !! आ आआ.. !!
रुचिका के मुंह से “रंडी, कुतिया” जैसे शब्द सुन कर, मुझे भी जोश आने लगा।
रुचिका के चेहरे से पसीना टपक रहा था और लण्ड अंदर बाहर जाने की “पक पक” की आवाज़ें आ रही थीं।
फिर लगभग 15 मिनट बाद, देव उसके अंदर ही झड़ गया.. !!
थोड़ी देर के लिए, वीरू भी रुक गया और फिर वो दुबारा धक्के लगाने लगा..
थोड़ी देर बाद, वो भी झड़ गया.. !!
दोनों ने, अपने लण्ड बाहर निकाल लिए, रुचिका की गाण्ड और चूत दोनों से वीर्य टपक रहा था।
दोनों ने, उसे बेड पर ही ऐसे बैठा दिया जैसे लोग “संडास” करते वक़्त बैठते हैं.. जिससे, उसके अंदर से वीर्य बाहर आने लगे..
फिर वीरेंद्र ने रुचिका से कहा, जिसे सुनकर मेरी तो गाण्ड ही फट गई..
रूचि अपने पति को अपना माल नहीं चटाऔगी.. !! जाओ, अपने पति के मुंह पर अपनी यह अनोखी क्रीम लगा कर आओ.. !! जिसके लिए, इस चुतिए की मां की इतनी गालियाँ खाई थीं.. !!
फिर रुचिका उठ कर मेरे पास आई.. उसकी पूरी जाँघ से ले कर, उसके घुटने तक वीर्य चू रहा था..
वो, बिल्कुल मेरे पास आ कर खड़ी हो गई।
अब जा के, मैंने रुचिका को करीब से देखा.. उसके पूरे चेहरे, चुचि और जाँघो पर लव मार्क्स थे.. उसके बालों तक में, वीर्य सूखा सा चिपका हुआ था.. बल्कि, पूरा बदन, जैसे वीर्य से सना हुआ था..
फिर, वीरू ने रुचिका से मुझे अपनी गाण्ड दिखाने को कहा।
रुचिका, मेरी तरफ अपनी गाण्ड करके मूड गई..
वीरू के इशारे से, वो थोड़ा नीचे झुकी.. जिससे, उसकी गाण्ड बिल्कुल मेरे सामने आ गई..
उसकी गाण्ड, बिल्कुल खुल चुकी थी.. उसके चुतड़ पर थोड़े थोड़े नाख़ून के निशान भी नज़र आ रहे थे.. शायद, गाण्ड मारते हुए थोड़ी “छी छी” भी बाहर आ गई हो..
तभी पिंकी उठी और रुचिका की चूत और गाण्ड के नीचे, अपना हाथ लगा कर वीर्य पोछने लगी।
थोड़ी ही देर में, पिंकी की पूरी हथेली वीर्य से भर गई..
पिंकी ने पहले हथेली प्यार से खुद सूँघी, फिर रुचिका को भी सूँघाई और फिर मेरी नाक के पास लगा दी..
बहुत ही, “मादक महक” थी.. !! .. !!
आदमी का वीर्य और औरत का पानी मिलकर, जो निर्माण करते हैं, ज़रा सोचिए उसकी महक कैसी होगी और फिर उसमें औरत की छी छी और पेशाब की भी महक भरी हुई हो, तो कहने ही क्या..
फिर उसके बाद, पिंकी ने अपनी हथेली चाट ली..
अब रुचिका की गाण्ड में, अंदर तक उंगली घुसेड कर इधर उधर घूमने लगी.. जैसे लोग जैम की डिब्बी में से उंगली से जैम निकालते हैं..
फिर जब पिंकी ने उंगली निकाली तो उसमें थोड़ा थोड़ा वीर्य लगा हुआ था।
मुझे यह देख कर, घिन आने लगी..
पिंकी ने अपनी उंगली, मेरी नाक पर सूँघाई और फिर रुचिका के मुंह में डाल दी..
जिसे, रुचिका ऐसे चाट गई जैसे उंगली पर जैम लगा हुआ हो।
यह देख कर, सब हँसने लगे।
एक मज़बूर पति की ये एक अजीबो गरीब कहानी, जारी रहेगी
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