Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--14

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--14



 मदनलाल उपर जाकर टहलने लगा उसका दिल धड़क रहा था उसे पूरा विश्वास था क़ि बहू ज़रूर हाँ बोलेगी इतने दिनो मे वो इतने करीब आ गये थे कि कामया के ना बोलने का कोई उम्मीद ही नही थी लेकिन फिर भी थोड़ा नर्वस था .आख़िर फ़ैसला तो बहू को ही करना था वो उस पर दबाव नही डाल सकता था अंत मे जब वो बहुत परेशान हो गया तो मन को तसल्ली देते हुए बुदबुदाया "" बहू मानेगी कैसे नही जब हमारा माल पी सकती है तो गर्भ मे भी ज़रूर लेगी .पीने मे तो ज़्यादातर औरतें नखरे करती हैं जबकि अक्सर औरते बोलती हैं कि माल अंदर ही गिराना "" उसे पुराने दिन याद आने लगे .उसकी साली मोहिनी का पति भोला भी सुनील ही की तरह चवन्नी कम था .इसी कारण मोहिनी शादी के बाद भी अक्सर उससे चुदवाती रहती थी .और चुदते समय हमेशा बोलती रहती थी ""जीजू प्लीज़ अपना बीज हमारे अंदर ही गिराना हमे आपसे बच्चा चाहिए और वो तो अक्सर कहती भी थी की दोनो बच्चे आप ही के हैं"' हालाकी मदनलाल इस पर पूरा भरोसा कभी नही कर सका क्योंकि उसे पता था कि मोहिनी का अपने शहर मे कई लोगो से संबंध हैं .भोला के ऑफीस के कई दोस्त उसे ठोक जाते थे .यहाँ तक कि मोहल्ले के एक दो कॉलेज स्टूडेंट भी उसे निपटा चुके थे .मोहिनी की याद आते ही उसने सोचा पता नही क्यों भगवान अच्छी सुंदर सेक्सी गदराई हुई मस्तानी स्त्रियों के पल्ले गान्डू टाइप लड़के बाँध देते हैं .सब पूर्व जन्मो का फल है जो उन औरतों को भोगना पड़ता हैं हमने भी पिछले जन्म मे कोई पुण्य किया होगा जो हमे मोहिनी और कामया जैसी मदमस्त जवानी मिली .उधर कामया बिस्तर मे लेटी हुई थी लेकिन उसके पास सोचने के लिए कुछ नही था .इस दिन का तो वो कब से इंतज़ार कर रही थी कि कब बाबूजी उसकी सूखी जिंदगी मे सावन बन कर बरस जाए .मदनलाल को तो उसने केवल तड़पाने के इए सोचने का नाटक किया थ.जिस दिन पहली बार उसने बाबूजी का हथियार बाथरूम से बाहर आते वक्त देखा था उसी दिन वो उस पर अपना दिल लूटा बैठी थी बाबूजी के लॅंड को पाना अब उसका एक मात्र मिशन बन गया था पहले कभी कभी उसका मन बदल जाता पर रीमा और मधु कांड ने अब उसे ठोस बना था बाबूजी के जाने के बाद वो उठी उसने अपना एकमात्र पहना हुआ कपड़ा भी उतार दिया और फिर चादर लपेट कर लेट गई कामया लेटे लेटे आने वाले सुखद समय की कल्पना मे डूब गई अब मदनलाल उसका होने वाला था .वो सोचने लगी जब बाबूजी अपनी इतनी बड़ी बन्दूक से फाइरिंग करेंगे तो वो तो शायद पहली बार मे ही माँ बन जाएगी आख़िर उनकी बंदूक मे है भी तो कितना सारा बारूद. कितना तो बड़ा है बाबूजी का पता नही पहली बार मे हमारा क्या हाल होगा .खैर जो भी होगा लेना तो अब है ही चाहे जान ही क्यों ना निकल जाए . वो सुखद कल्पना मे डूब गई आँख बंद करके वो देख रही थी कि वो बिस्तर मे टाँग उठा के पड़ी है और बाबूजी उसका बाजा बजा रहे हैं और वो बाबूजी को खूब प्यार कर रही है .उधर मदनलाल भी उपर अपनी कल्पना मे खोया हुआ था .अब कामया उसकी होने वाली थी .उसने एक तीर से दो शिकार कर लिए थे उसे ना केवल कामया की कामुक मादक जवानी भोगने को मिलने वाली थी बल्कि इस बुढ़ापे मे फिर से बाप बनने का मौका भी मिल रहा था .बाप बनने की बात से ही उसके पूरे शरीर मे अजीब सी लहर उठ रही थी .वो कल्पना कर रहा था क़ि बच्चा मेरे जैसा होगा या कामया जैसा सुंदर .उसका हाल ऐसा ही था जैसे शादी हुई नही और कोई बधावा देने पहुँच जाए शेख चिल्ली के सपनो की तरह उसे पता ही नही चला क़ि पंद्रह मिनिट की बजाय आधा घंटा हो चुका है और वो उपर ही टहल रहा है .उसका ध्यान मोबाइल की घंटी से भंग हुआ देखा तो जानेजिगर कामया का फोन था
मदनलाल :; हाँ जान बोलो
कामया :: बाबूजी उपर ही सो गये हो क्या .आधा घंटा हो गये हैं आप आए नही .
मदनलाल :: जी बहू हम सोच रहे थे क़ि तुम पूरी तस्सली से सोच लो इस लिए टाइम दे रहे थे .
कामया :: हमने अच्छी तरह से सोच लिया है
मदनलाल :: तो बहू फिर क्या फ़ैसला किया है .?
कामया :: आप बताइए आप को क्या लगता है . हम क्या फ़ैसला किए होंगे .
मदनलाल :; हमे तो पूरा भरोसा है क़ि आप हमारी बात मान लेंगी
कामया :: क्यों ऐसा भरोसा क्यों है .?
मदनलाल :: जान हम तुमसे प्यार करते हैं और हम ये भी जानते हैं क़ि आप को भी हमसे प्यार हो गया है इसलिए कह रहे हैं .बोलो क्या फ़ैसला की हो ?
कामया :: जब आपको अपने प्यार पर भरोसा है तो फिर हमसे क्यों पूछ रहे हो?
मदनलाल :; जान आख़िर एक बार आपके मुख से सुनना चाहते हैं .
कामया :: बाबूजी ये हमारा भी घर है और हम भी हमेशा इस घर की भलाई ही चाहेंगे और फिर इस घर को अगली पीढ़ी देना भी हमारा ही फ़र्ज़ है इसी लिए तो हमे यहाँ लाया गया है .जो आपने चाहा है वैसा ही होगा आप को जो उचित लगे आप करिए हम आपके हर फ़ैसले मे आपके साथ हैं .मदनलाल :: बस जान तुमने ये फ़ैसला कर के हमारे दिल का बहुत बड़ा बोझ हटा दिया .तुम्हे मालूम नही लेकिन शांति कई दिनो से हमसे कह रही थी कि एक बच्चा हो जाता फिर चाहे बहू कितना भी आराम कर लेती .लेकिन वो तुम से बोल नही पा रही थी .आज तुमने इस घर पर बहुत बड़ा उपकार किया है .
कामया :: उपकार की क्या बात है बाबूजी ये तो हमारा कर्तव्य है हमने तो सुना है कई बार ऐसी स्थिति मे कई औरतें बाहरी आदमी का बच्चा पैदा कर अपने परिवार को धोका दे देती हैं . हम तो ख़ुसनशीब हैं कि हमे ऐसा कुछ नही करना पड़ रहा है .सुनील और आप मे कोई अंतर थोड़ी है वो भी तो आपका ही खून है आपका ही बीज है अगर हम आप के द्वारा माँ बन भी गये तो वंश वृक्ष तो एक ही होगा, बच्चे मे डी एन ए तो इसी घर का होगा . बाबूजी हमारा फ़ैसला तो सही है ना
मदनलाल :: हाँ बहू तुम्हारा फ़ैसला बिल्कुल सही है .अब करना क्या है बोलो ?
कामया :; अब जो करना है वो फोन पे तो नही हो सकता ना उसके लिए तो आपको नीचे आना पड़ेगा . नीचे नही आना क्या? उपर ही रहना है क्या ?
मदनलाल :; नीचे भी आना है और उपर भी रहना है .
कामया :: ये क्या बात हुई? हम कुछ समझे नही . हमको कन्फ्यूज़ क्यों कर रहे हो ?
मदनलाल :; जान हम ये बताना चाह रहे हैं क़ि हमे नीचे तो आना है लेकिन तुम्हारे उपर ही रहना है .
कामया :: धत बदमाश कहीं के!! आप बहुत गंदे हो ! लड़कियों से कोई ऐसी बात करता है क्या ? जाओ हम आप से बात नही करते मदनलाल खुशी खुशी नीचे उतरने लगा कामया के शब्दों ने उसके तनबदन मे आग लगा दी थी बहू कितना साफ बोली थी कि ""अब जो करना है उसे करने के लिए आपको नीचे आना पड़ेगा .एकदम खुला चुदाई का निमंत्रण था ये तो .""कामया की बातों ने इस उम्र मे भी उसके जज्बातो को ऐसा भड़का दिया था कि अभी अभी झड़ा मदनलाल एक बार फिर अपने लॅंड मे झुरजुरी महसूस करने लगा .""हे भगवान ये बहू पता नही अब हमारा बुढ़ापे मे क्या हाल करेगी .इस उमर मे भला इस जवान औरत की काम वासना हम शांत कर भी पाएँगे क़ि नही .बहू तो बिल्कुल ज्वालामुखी बन चुकी है ""मदनलाल बुदबुदाया .रात मे एक या दो बार तक तो ठीक है लेकिन अगर ये अपनी कमसिन उम्र की ज़रूरत के मुताबिक चार पाँच बार करने के लिए बोलने लगे तो हमे तो भागने का रास्ता ढूँढना पड़ेगा ! नीचे कामया अपनी क्लिट को रगड़ रही थी उसे पूरा यकीन था क़ि जब बाबूजी उसे इस तरह बेपर्दा देखेंगे तो सीधा ही चढ़ाई कर देंगे .बाबूजी का अब रुकना मुश्किल ही नही नामुमकिन था .वो आने वाले सुनहरे पल को याद कर गीली हो गई थी .उसे थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि बाबूजी का बहुत बड़ा था अगर कहीं कोई प्राब्लम हो गई या कोई एमर्जेन्सी वाला केस हो गया तो वो मांजी को क्या बताएगी .फिर उसने मन ही मन कहा की डरने की कोई ज़रूरत नही है क्योंकि "" डर के आगे जीत है "".
बाबूजी कमरे के अंदर आए तो कामया चुपचाप लेटी रही और छत की ओर देख रही थी .उसके चेहरे मे बाबूजी के मूसल के आकर के कारण थोड़ा डर सा था जिसे बाबूजी ने कुछ और समझा और कहा
मदनलाल :: बहू कुछ उदास हो .अगर अंदर से इच्छा नही है तो कोई बात नही कोई मज़बूरी नही है .
कामया :: नही बाबूजी इच्छा वाली कोई बात नही हैं हम कुछ सोच रहे थे . मदनलाल :: जानू क्या सोच रही हो हमे भी बताओ ना .
कामया :: कुछ नही बाबूजी .बस जो कुछ होने वाला है उसी के बारे मे सोच रहे थे .
मदनलाल ::जान लगता है तुम अभी भी दिल से हमे स्वीकार नही कर पा रही हो .
कामया :: नही बाबूजी ऐसी बात नही है .इतने दिनो से हमारे बीच जो कुछ चल रहा है उसके बाद भी आप ऐसा बोल रहे हैं .आप ने जब भी जो बोला हमने कभी आपको मना नही किया .हम तो आपको अपना सब कुछ देने को तैयार हैं .
मदनलाल :; तो फिर अब ये हिचक क्यों .वो क्या चीज़ है जो आपको सोचने पर मज़बूर कर रही है ?
कामया :: बाबूजी ये सच है हम आपको चाहने लगे हैं लेकिन इसका कारण वही था जो मधु या रीमा का था .अकेला जीवन गुजारना बहुत मुश्किल होता जा रहा था ठीक उसी समय आपने हमारी जिंदगी मे प्रवेश किया तो हम आपको अपना दिल दे बैठे .हम भी अकेले थे आप भी भी तन्हा टाइप की जिंदगी गुज़ार रहे थे इसलिए हमने सोचा आपका साथ हम दोनो की जिंदगी मे एक रस ले आएगा . लेकिन उस समय हमने कभी कल्पना भी नही की थी क़ि हमे अपने पति के अलावा किसी और से माँ बनना पड़ेगा .सो इसीलिए थोड़ा ध्यान भटक गया था .लेकिन आप निश्चिंत रहें मैं आपकी हूँ और हर पल आपका साथ दूँगी .
मदनलाल :: बहू तुम बिल्कुल सत्य कह रही हो हम दोनो का साथ हमारी जिंदगी मे रस ले आएगा .और रस ही तो जीवन है रस ही तो परमात्मा है . शास्त्र कहते हैं "" रसौ वै स:"" अर्थात परमात्मा रस स्वरूप है .लेकिन तुम्हारा इस तरह तनाव मे रहना आने वाली संतान के लिए हानिकारक हो सकता है .गर्भ धारण करने वाली स्त्री को सदा प्रसन चित रहना चाहिए . इसलिए हमारा ये कर्त्वय बन जाता है क़ि हम तुम्हारा ये तनाव दूर कर दें .और अब हम ऐसा ही करेंगे कामया :: बाबूजी आप चिंता मत कीजिए हमे कोई टेंसन नही है .लेकिन आप जो बोल रहे हैं क़ि आप टेंसन दूर करेंगे वो कैसे भला
मदनलाल :: वो हमे तुम्हे अभी बताते हैं .चलो उठो और ऐसा बोलते ही मदनलाल ने बहू के उपर की चादर एक झटके मे पूरी खींच दी .



चादर हटते ही मदनलाल ने जो देखा तो उसकी आँख फटी की फटी रह गई . चादर के नीचे बहू की कमसिन काया बेपर्दा पड़ी थी .बहू का मक्खन जैसा गोरा और संगमरमर जैसा चिकना बदन पूरे बिस्तर मे बलखाया सा पड़ा था बहू के बदन मे कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नही था .कामया की अल्हड़ जवानी को देख मदनलाल बौरा सा गया .उसकी नज़रों को देख कर लग रहा था कि वो अभी के अभी बहू का रेप कर बैठेगा .कितनी सुंदर थी उसकी बहू .बेहद खूबसूरत चेहरा ,नरम मुलायम सा पूरा बदन ,सुंदर से दो संतरे ,पतली सी लचकती कमर गोरी चिकनी मांसल जांघे .मदनलाल एक बार फिर बुदबुदाया सचमुच बहू ""कमर के नीचे कयामत"" ही है .वो एक टक बहू की कातिल जवानी मे खो गया .उसके पूरे शरीर मे फिर से जोश का संचार होने लगा .कामया उसकी ऐसी हालत देख कर मन ही मन गर्व महसूस करने लगी .अक्सर जब कोई चाहने वाला किसी स्त्री के हुश्न को देख कर पगला सा जाता है तो स्त्री अंदर अंदर बहुत खुश हो जाती है ये सोच कर . क़ि सामने वाला उसकी सुंदरता का दीवाना बन गया है .वो सोच रही थी अभी तो हमपलटे नही हैं नही तो बाबूजी अपने प्यारे तरबूजे देख कर तो पागल ही हो जाते
कामया :: क्या हुआ बाबूजी कहाँ खो गये . 


मदनलाल को कामया की बात सुनाई ही नही दी .वो तो भावातीत ध्यान मे डूबा हुआ था .उसे समझ नही आ रहा था क़ि क्या देखूं क्या छोड़ू .कभी कामया की मांसल गोरी चिकनी जांघों को देखने लगता तो कभी जाँघोंके जोड़ पर बने ट्राइअंगल को .उसका पूरा चेहरा वासना से भभक रहा था आँखों मे अजीब सी चमक आ गई थी .कामया उसके चेहरे के भाव को देखकर गर्व अनुभव कर रही थी . मदनलाल ने भी अपनी आँखे अब बहू के हनी ट्रॅप मे जमा दी थी .कामया की बुर पाव के सामान फूली हुई थी जिसमे से झाँकती झिर्री अब बाबूजी का पॉइंट ऑफ कॉन्सेंट्रेशन बन चुकी थी. प्रेम के अंतरंग क्षणो मे अपने पार्ट्नर की आँखों का वहसिपन भी स्त्रियो को अच्छा लगता है क्योंकि वो इसे अपनी सुंदरता की जीत मानती हैं . बाबूजी की नज़रो मे जो भूख. थी वो बहू को कामोन्मादित कर रही थी और वो जान गई थी क़ि आज बाबूजी उसे नही छोड़ेंगे .अब कुछ ही देर बाद वो बाबूजी के बलशाली शरीर के नीच दब जाएगी दबना क्या वो तो कुचल जाना चाहती थी
संत महात्मा पद्मासन लगाए जिस समाधि को नही लगा पाते उसे बाबूजी खुली आँखों से पा रहे थे शायद इसे ही चेतन समाधि या सहज समाधि कहते होंगे क्योंकि ये बिना प्रयास किए अनायास ही लग जाती है .मदनलाल जिस प्रकार आँख फाडे बहू की हनी पॉट की झिर्री को घूर रहा था उससे ऐसा लग रहा था मानो वो झिर्री पर त्राटक का अभ्यास कर रहा हो .कामया कुछ देर तक तो बाबूजी की दुर्दशा का मज़ा लेती रही फिर उसने सोचा बाबूजी की समाधि तो तोड़नी ही पड़ेगी हमेशा से ये काम हमारी जैसी मेनका का ही रहा है .हालाकी उसका मन तो कर रहा था की बाबूजी उसके उसकी बेपर्दा जवानी को इसी तरह घुरते रहे और वो उनके वासना से जलते मुँह को देखती रहे लेकिन आख़िरकार उसने खाँसते हुए कहा
कामया ::: क्या हुआ बाबूजी कहाँ खो गये ? और कहते ही उसने अपना हाथ हनी ट्रेप के उपर रख दिया .
बहू की बात तो मदनलाल ने नही सुनी क्योंकि कान तो उसके सुन्न पड़ गये थे लेकिन चुत के उपर हाथ रखने से जो ध्यान मे व्यवधयान आया था उससे उनकी चेतना लौटी और वो भोचक्के से बहू की ओर देखने लगे ;
कामया :::; बाबूजी आपको हो क्या गया है .आप कहाँ खो गये हैं .आप तो हमारी परेशानी दूर करने वाले थे लेकिन हमे तो आप खुद ही परेशान लग रहे हैं
अब तक मदनलाल भी सम्भल चुका था .अगर उसकी जगह कोई ऐसा ससुर होता जो जिंदगी मे पहली बार दूसरी चुत देख रहा होता तो शायद ही होश मे आ पाता मगर मदनलाल के लिए नई चुत देखना कोई दुर्लभ घटना नही थी बस ये ज़रूर था क़ि ऐसी कातिल चुत बड़ी मुश्किल से मिलती है उसने आज तक जितनी भी चुतो का दर्शन किया था उसमे निसंदेह बहू की चुत हॉल ऑफ फेम के लायक थी .उसने तुरंत अपने को संयत किया और अपने फाइनल एमोशनल अत्याचार के लिए तैयार हो गया.
मदनलाल ने एक बार फिर बहू की कातिल जवानी को घूर के देखा फिर अपने होंठों मे जीभ फिराई और बहू से बोला
मदनलाल :: बहू हाँ हम तुम्हारी परेशानी दूर करना चाहते हैं हम नही चाहते क़ि हमारा बच्चा जब गर्भ मे हो तुम किसी प्रकार की आशंकाओं मे घिरी रहो .लेकिन हम तुम्हारी परेशानी तभी दूर कर पाएँगे जब तुम उठ के हमारे पास आओगी इस तरह लेटी रहोगी तो कहीं हम तुम्हारी परेशानी और ना बड़ा दें और एक बार फिर उसकी नज़र बहू के गोल्डन ट्राइयंगल मे चली गई . कामया बाबूजी की परेशानी बड़ाने वाली बात का अर्थ समझ गई और शर्मा गई हालाकी वो तो उस परेशानी के लिए पलक पावाड़े बिछा के बैठी थी . कामया धीरे धीरे नज़ाकत के साथ उठी और पलंग के किनारे की ओर आने लगी .थोड़ी देर पहले वो बहुत दिलेरी दिखा रही थी लेकिन जैसे जैसे वो बाबूजी के पास पहुँच रही थी उसे अपने नंगी होने के कारण बहुत शरम आ रही थी .उसने अपनी नेजयर झुका के रखी थी .जैसे ही वो पलंग के किनारे पहुँची मदनलाल ने उसे पकड़ कर खींच लिया और वो सीधा मदनलाल के ताक़तवर शरीर से जा टकराई .उसकी दोनो चुचि बाबूजी के सीने मे पिचक गई जिससे उसके मुख से सिसकारी निकल गई .



कामया :: आई उई माँ बाबूजी क्या कर रहे हो मर गई .कितना ज़ोर से दबा दिए .सच मे आप हमारी परेशानी बड़ा रहे हो मदनलाल :: ठीक है तो अब तुम्हारी परेशानी कम कर देते हैं .और मदनलाल ने अपने होंठ बहू के होंठों मे रख दिए .उसके हाथ यन्त्र्वत से बहू की गांद से जा लगे .दोनो एक बार फिर वासना की खुमारी मे डूबने लगे .मदनलाल के हाथ कामया के नितंबों मे बड़ी चतुराई से फिर रहे थे और कामया को पागल बनाए जा रहे थे. और कामया के पागल पं का असर ये थे क़ि अक्सर निष्क्रिय सी रहने वाली बहू ने हाथ नीचे किया और बाबूजी के घातक हथियार थाम लिया .और आजकल वो हथियार केवल थामती ही नही थी बल्कि उस घातक हथियार को चलाने भी लगती थी . एक लंबे लिप लॉक के बाद जब उनके होंठ जुड़ा हुए तो कामया ने पूछा
कामया :: बाबूजी आप कुछ करने वाले थे

मदनलाल :: हां बोलो क्या करना है ?
कामया :: आप ही ने तो कहा था कि कुछ करेंगे तो आप ही करो ना
मदनलाल :: समझ मे नही आ रहा है क्या करें हमे तो आजकल सिर्फ़ एक ही चीज़ करते आता है .
कामया : क्या चीज़
मदनलाल :: तुम्हे प्यार करना बोलो करें ?
कामया :: धत कुछ भी बोलते रहते हैं .आप ने कहा था आप हमारा टेंसन दूर कर देंगे
मदनलाल :: अच्छा वो हाँ .एक काम करो तुम अपनी आँखे बंद करो और जब तक हम नही बोलें खोलना मत .तुम्हे हमारी कसम है अगर खोली तो . बाबूजी की बात सुनकर बहू रानी आँख बंद कर के खड़ी हो गई .पूरी तरह नंगी वो आँख बंद किए बहुत ही सेक्सी लग रही थी जैसे खुजराहो की कोई मूरत हो .मदनलाल उसकी ड्रेसिंग टेबल के पास पहुँचा और सब दराज़ चेक करने लगा जिसमे उसे एक छोटी सी मूँछ सेट करने वाली कैंची मिल गई .वो वापस आया कामया के पास खड़ा हुआ कुछ देर सोचता रहा फिर उसने कैंची की नोक अपनी ढहीने हाथ के पोर मे हल्का घोंप दिया तुरंत वहाँ से खून की बूँद टपकने लगी .उसकी आँखो मे एक विजयी मुस्कान आ गई ""इसे ही तो कहते हैं उंगली कटा के शाहिद बनना "".खून की ये चन्द बूँद अब बहूरानी को उसके चरनो की दासी बना देंगी .मदनलाल ने उंगली कामया की माँग मे रखी और धीरे धीरे खून टपकाने लगा .कामया की आँख बंद थी इसलिए उसे कुछ समझ नही आ रहा था जब उसे अपनी माँग मे से कुछ गरम सा टपकता हुआ महसूस हुआ तो उसने घबडा कर आँख खोल दी .
आँख खुलते ही कामया ने देखा क़ि बाबूजी की उंगली से खून बहा रहा है उसने रुआसी होकर पूछा
कामया :: बाबूजी ये क्या किया आपने ? ये खून कैसे निकल रहा है .
मदनलाल :: बहू तुम कहती थी ना क़ि तुमने कभी सोचा नही थी तुम्हे पाने पति के अलावा किसी और से माँ बनना पड़ेगा सो हमने आज अपने खून से तुम्हारी माँग भर दी अब कभी मन मे ऐसी बात मत लाना .आज से हम तुम्हे अपनी पत्नी स्वीकार करते हैं .बोलो अब तो बनोगी ना हमारे बच्चे की माँ ? बाबूजी की बात सुनकर कामया की आँखो से झर झर आँसू आने लगे वो घरघराती आवाज़ मे बोली
कामया :: बाबूजी क्या आप हमसे इतना प्यार करते हैं ? हमने तो सोच भी नही था क़ि आप हमे अपनी पत्नी का दर्जा दे देंगे
मदनलाल :: कामया मैं तुम्हे बता नही सकता क़ि मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ .तुम मेरी दिल की रानी हो .मेरी साँस साँस मे तुम बस चुकी हो मैं तो तुम्हे एक पल के लिए भी अपने से दूर नही रखना चाहता .जी करता है क़ि हर पल तुम्हे अपनी गोद मे लिए रहूं .
कामया :: बाबूजी जी !!! आज मैं आपको पाकर धन्य हो गई .मैं कितनी खुशनसीब हूँ क़ि मुझे दो दो इतना प्यार करने वाले पति मिले .आपके बच्चे की माँ बनकर मेरी जिंदगी का हर सपना पूरा हो जाएगा .  


कामया भावावेश मे आकर मदनलाल के पैर पड़ने के लिए झुकी लेकिन मदनलाल ने उसे बीच मे ही पकड़ लिया और अपने सीने से भींचते हुए बोला
मदनलाल :: हनी तुम्हारी जगह हमारे पैरों मे नही हमारे दिल मे है .जब भी हमपर प्यार आए हमारे सीने से लग जाया करो और उसी के साथ बाबूजी के हाथ अपनी चिरपरिचित बदमाशी करने लगे यानी कामया का नितंब मर्दन जिसका बहू को हमेशा इंतज़ार रहता था .बहू की चुचियाँ बाबूजी के चौड़े चकले सीने मे दबी पड़ी थी और वो बाबूजी की पीठ सहला रही थी कुछ देर यूँ ही दोनो की स्पर्श लीला चलती रही फिर कामया बोली
कामया :: बाबूजी आप हमेशा हमे यूँ ही प्यार करते रहेंगे ना
मदनलाल :: हनी सबसे पहले तो तुम ये बाबूजी बोलना बंद करो जब भी हम अकेले हों आप हमे बाबूजी नही कुछ और बोलना क्यूंकी अब हम आपके पति भी हैं
कामया :: तो हम आपको क्या बोलें ?
मदनलाल :: जो तुम्हारी मर्ज़ी वो बोलो मगर अकेले मे बाबूजी मत बोला करो .नाउ आइ आम यौर बिलव्ड हब्बी .
कामया :; ठीक है अब से हम आपको जानू बोला करेंगे .ओ के !
मदनलाल :; हाँ हम भी अब तुम्हे हनी ही बोला करेंगे .हनी आइ लव यू
कामया :: आइ लव यू टू ! जानू हम हमेशा ऐसे ही आपसे चिपके रहना चाहते हैं .अब हमे आपके और अपने बीच कोई दूरी बर्दास्त नही .सब दूरियाँ ख़त्म कर दीजिए
मदनलाल :; हनी हम भी यही चाहते हैं लेकिन एक प्राब्लम बीच मे आ जाती है
कामया :; कौनसी प्राब्लम जानू
मदनलाल ने धीरे से उसका हाथ अपने मूसल पर रखा और बोला
मदनलाल :: ये जो तुम्हारा खिलोना है ना ये हमारे और तुम्हारे बीच आठ इंच की दूरी बना देता है
कामया :: जानू इसका कोई इलाज़ नही है क्या .कामया ने मूसल को स्ट्रोक करते हुए कहा
मदनलाल :: इलाज़ तो है पर वो इलाज़ तुम्हे ही करना पड़ेगा
कामया ::: बोलिए ना जानू क्या इलाज़ है हम अभी कर देते हैं.
मदनलाल :: डार्लिंग हमारे बीच की ये आठ इंच की दूरी तभी दूर हो सकती है जब तुम इसे अपने अंदर ले लो .
कामया :: धत गंदे ? आप बहुत चालाक हो अपने हिस्से का काम भी दूसरे के माथे डाल रहे हो .
मदनलाल :: हनी इसका यही एक उपाय है .ये तो प्रकृति का नियम है कि जब स्त्री इसे अपने अंदर ले लेती है तभी मिलन पूर्ण होता है .तुम्हे इसके लिए जगह तो देनी ही होगी .
कामया :: जानू हम इसके लिए जगह तो देने को तैयार हैं लेकिन अंदर तो आप ही को करना पड़ेगा .तुम्हारा ये गुंडा हमसे काबू मे नही आएगा .ज़रा देखो अपने इस मुस्टंडे को खा खा के कितना मोटा हो गया है बदमाश कहीं का
और कामया फिर मदनलाल के मूसल पर पिल पड़ी वो उसे एक दम निचोड़ रही थी जिससे मदनलाल के मुख से आह आह निकल जाता .थोड़ी देर तक मूसल से खेलने के बाद अब कामया को धीरज रखना मुश्किल होता जा रहा था वैसे भी मदनलाल के माँग भरने के बाद उसकी सारी हिचक ख़त्म हो गयी थी सो वो बोल पड़ी
कामया :: जानू !! आपको जो करना है कर लो ना .
मदनलाल :: क्या करें बोलो .मदनलाल ने बनते हुए कहा
कामया :; अच्छा जी आपको नही मालूम क्या क़ि एक पति अपनी पत्नी के साथ क्या करता है .
मदनलाल :; वो सब छोड़ो तुम्हारे साथ क्या करना है बताओ ना ! अब जब कामया काबू मे आ ही गई थी तो मदनलाल भी मज़े लेने के मूड मे था .
कामया :: हम नही बताएँगे . आप को सब मालूम है .आप जानबूझ कर बन रहे हैं .
मदनलाल :: डार्लिंग मालूम तो है लेकिन हमे आपके मुख से सुनना है
कामया :: हे राम आप कितने बेशरम हो गये हैं .हम को गंदी बात बोलने के लिए मज़बूर कर रहे हैं .
मदनलाल :; डार्लिंग वो कोई गंदी बात नही है वो बहुत सुंदर बात है .इस संसार मे प्रेम ही सबसे सुंदर और पवित्र चीज़ है .तुम बोलो तो सही
कामया :: अब जब हमे अपनी पत्नी बना लिए हो तो सुहागरात नही मनाओगे क्या ?कामया ने लजाते हुए कहा .लाज के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था .
मदनलाल :: डार्लिंग तुम्हारे साथ सुहागरात मनाने के लिए तो हम कब से तड़प रहे हैं लेकिन हमारी एक फॅंटेसी है इसलिए सोच रहे हैं क़ि सुहागरात कल मनाए .
कामया :; जानू ऐसी क्या फॅंटेसी है जो आप हाथ आए मौके को छोड़ रहे हो ? ज़रा हमे भी तो बताइए .
मदनलाल :: हनी हमारी बड़ी इच्छा है क़ि जब हम सुहागरात मनाने तुम्हारे कमरे मे आए तो तुम पूरी तरह सजधज कर नई नवेली दुल्हन की तरह हमारा इंतजार करती मिलो .जैसा फ़िल्मो मे दिखाते हैं .
कामया :: ठीक है जानू आपकी ये दुल्हन कल पूरा सोलह शृंगार करके आपकी प्रतीक्षा करेगी .अब तो खुश हो ना .
मदनलाल :; बिल्कुल खुश हैं और हाँ .दूध का गिलास रखना मत भूलना .
कामया :: धत ! आपको दूध वूध की क्या ज़रूरत है .आप तो ऐसे ही हमारी जान निकाल देंगे .इसे देखो कितना ख़तरनाक दिखता है ये .कहते हुए कामया ने मदनलाल के मूसल को मसल दिया .
मदनलाल :: हनी ये दिखता बस ख़तरनाक है लेकिन है बड़ा प्यारा .देखना तुम्हे बहुत प्यार करेगा .और रही बात दूध की तो वो तो शगुन होता है .
उसके बाद मदनलाल ने अपनी लूँगी पहनी और जाने लगा .जैसे ही वो कामया के बाजू से निकला कामया ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ लिया .मदनलाल ने रुक कर उसकी ओर देखा और पूछा
मदनलाल ::क्या है डार्लिंग कुछ बोलना चाहती हो .
कामया :: हमारी माँग भरने के बाद आज ये पहली रात है अगर आप हमारे कमरे से ऐसे ही निकल जाएँगे तो अपशकुन होगा
मदनलाल :: तो फिर बोलो अपशकुन ना हो इस के लिए क्या कर सकते हैं .
कामया :: अब हम क्या बताए वो काम करने को तो आप कल बोले दिए हैं .आपका हमारे पास से यूँ खाली खाली जाना हमे अच्छा नही लग रहा .
मदनलाल :: तो एक काम कर दो जो हमारे इस बच्चू को भी बहुत पसंद है .इसे तुम्हारी लिप सर्विस बहुत अच्छी लगती है .हमेशा तुम्हारे होंठों के गुण गाता रहता है .
कामया :: इस बदमाश की छोड़ो इसे तो बस उल्टे सीधे काम ही अच्छे लगते हैं
मदनलाल :: हनी और कोई चारा भी तो नही है .लगे हाथ तुम भी सीरप पी लेना कल के लिए काम आएगा .अपने को और ज़्यादा एनर्जेटिक और फ्रेश फील करोगी .वैसे तुम्हे भी तो ये जूस पसंद है ना .
कामया :: छी हमे कोई जूस वूस पसंद नही है और हाँ आपको एक बात बता देते हैं आज आख़िरी बार आपका पानी हम पी रहे हैं .कल सुहाग रात के बाद जब तक हम गर्भवती नही हो जाते हमे आपका पानी अपने अंदर चाहिए . बच्चा ठहरने के बाद फिर आगे देखेंगे क्या करना है
मदनलाल :: जो आदेश मालकिन ! गुलाम आपके हर आदेश का पालन करेगा
कामया :: तो चलो अब चुपचाप बिस्तर मे लेट जाओ और हमे अपना काम करने दो .!! कामया ने कामुक नज़रों से मदनलाल को देखते हुए कहा .



मदनलाल जाकर बिस्तर मे लेट गया .आज पहली बार वो ओरल के समय निष्क्रिय रोल मे था वरना इस काम के लिए तो कामया के साथ थोड़ा ज़बरदस्ती करना पड़ता था कई बार उसके सिर को लॅंड तक ले जाना पड़ता था तब कहीं वो मुँह मे लेती थी लेकिन आज तो बहू का अंदाज़ ही निराला था .माँग क्या भरी वो तो बिल्कुल ही पत्नी के रोल मे आ गई थी .एक बात और थी आज पहली बार कमरे मे बहू मदनलाल के सामने बिल्कुल नंगी थी और उसे कोई खाश शर्म भी नही आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वो सुनील के ही साथ हो .कामया का जोश आज फिर देखने लायक था मदनलाल के लेटते ही वो बाबूजी के माँस के उस टुकड़े पर ऐसे टूट पड़ी जैसे बिल्ली चूहे पर टूट पड़ती है .वो अपने मुँह को लॅंड पर नीचे तक ले जाती और मुँह को अच्छे से बंद कर उपर की ओर आती उसके होंठ वाक्कुम क्लीनर की तरह काम कर रहे थे साथ ही साथ उसने बाबूजी के आंडो का भी बुरा हाल कर दिया था .
बहू के जोश ने तो आज अनुभवी ससुर के भी होश उड़ा दिए थे . बार बार मदनलाल की कमर कमान की तरह उपर उठ जा रही थी .पूरा कमरा उसकी सिसकारी से गूँज रहा था .कुछ देरऐसे हीघातक हमले के बाद कामया ने थोड़ा सा सीसफाइयर करने की सोची और लॅंड को मुँह से निकल कर हाथ से मसलने लगी .मदनलाल ने भी अपनी उर्जा बचाए रखने के लिए कामया से बात करनी शुरू कर दी ताकि अपना ध्यान भटका सके और कुछ देर और लड़ाई के मैदान मे टिक सके .
मदनलाल :: जानू एक बात बताओ .तुम्हे हमारा ये पसंद है ना . कामया ने उसकी ओर देखा और इठला के बोली
कामया :: जी नही हमे तो ये बहुत डरवाना लगता है . इसको तो देखने से ही डर लगता है .
मदनलाल :: तो फिर मधु, रीमा और पिंकी आदि तुम्हारी सभी सहेलियाँ इसे हमेशा अपने मुँह मे क्यों रखती हैं .
कामया :: उनकी वो जाने .हमे क्या मालूम
मदनलाल :: तो तुम क्यों चूस रही हो
कामया :: हम तो आपकी इच्छा पूरी कर रहे हैं वरना इस गुंडे से कौन बात करेगा और कामया ने एक बार फिर मूसल को मसल दिया .
मदनलाल :: प्लीज़ बताओ ना अच्छा लगता है या नही
कामया :: प्लीज़ हमको डिस्टर्ब मत करो .अभी इसने ऐसा कोई काम नही किया है क़ि इसकी तारीफ़ मे कशीदे पढ़े जाए .जब ये कुछ कर के दिखाएगा तब पूछना .अभी तो इतना बस है क़ि औरों से ज़रा बड़ा दिखता है इसलिए नज़र बार बार इसपर चली जाती है .
और कामया ने फिर एक बार बाबूजी के गुंडे को अपने होंठों के कब्ज़े मे ले लिया और तब तक नही छोड़ा जब तक क़ि उसने समर्पण नही कर दिया .
 











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