FUN-MAZA-MASTI
दोस्त की मां
दोस्त की मां
हाई दोस्तों,एक दिन की बात हे में अपने दोस्त के घर गया हुआ
था, वो
घरपे नही था ये बात मुझे नही पता था | मैं गया तो उसके
घर का दरवाजा खुल्ला हुआ था, तो में ऐसे ही
उसके घर में घुस गया | वेसे में अपने घरसे जादा उसके घर में दिन निकालता
था और उसके घर आना जाना रहता था | सो क्या हुआ की में उसके घर में घुस गया
और सीधे उसके कमरे में चला गया | जब में उसके कमरे से गुजर
रहा
था तो उसके बगल वाले कमरे से मुझे छन छन की आवाज़ आ रही थी जेसे कोई पायल
या फिर कोई चूड़ी खनका रहा हो | में वापा पीछे को आया और खिडकी के बगल में
रुक गया और सुनने लगा, मुझे अंदर की आवाज़ ठीक से सुने तो नही दे रही थी पर इतना
दिमाग था की पहचान सकू की ये किस किस्म की आवाज़ हे | थोडा ध्यन दिया
आवाज़ की तरफ तो मेरा लंड एक दम से तन गया, अंदर से पेला
पेली की आवाज़ आ रही थी | मैं बहुत कोशिः
की अंदर झाकने की कोन हे, क्युकी इससे पहले भी मेरा
दोस्त अपने घर पे लड़की ला के खा चूका था, अगर मेरा दोस्त होता तो मुझे भी
मिल जाता पर और कोन हो सकता हे वो दखना था मुझे | मेने बहुत
कोशिः की और अंत में कामयाबी मिली तो देखा की मेरे दोस्त के मोम डैड थे,
मुझे
थोडा अजीब लगा पर ये सब चलता रहता हे | मेने देखा की अंकल आंटी के टांगो
को उठा के अपने कंधे पे रख के उनको शोट दे रहे थे | मैं कुछ देर वही खड़ा
रहा और देखता रहा, दस मिनट की चुदाई देख ली मेने उसके बाद जो हुआ तब मेरी
फट गयी |हुआ
ये की कस के हवा आई और खिडकी का अंदर का पर्दा उड़ गया और आंटी ने मुझे दख
लिया की में दख रहा हूँ, पर मुझे झटका तब लगा जब आंटी ने मुझे
दख के भी अनदेखा किया और अंकल से चुदवाती रही | अब मुझे लगा की
मेरा वहा खड़ा रहना खतरे से खली नही हे और में वहा
से कल्टी ले लिया | अगले दिन में फिरसे उनके
घर गया, पर
मुझे बहुत शर्म सी आ रही थी | इस बार मेने उनके घर की घंटी बजाई
और फिर अंदर गया जब मेरे दोस्त ने दरवाजा खोला | में अंदर गया
तो उसने मुझसे पूछा की आज क्या हुआ तुझे आज तुने घंटी बजाई | आज तू ठीक तो
हे न, आज
तुझे घंटी बाजने की क्या जरुरत पड गयी | तब उसकी माँ वही बगल से
निकल के गयी, और मुझे तिरछी नजर से देखा | मैं क्या बोलता उसे, मेने बोला
अरे घंटी बजानी चहिये इसे तमीज़ कहते हे | वो बोला आज तुझे पक्का कुछ हुआ
हे, चल
कोई बात नही आ चल कमरे में | मैं उसके साथ बैठ गया और उसके कंप्यूटर
में गेम खेलने लगा, कुछ देर के बाद वो बोला की तू खेल में नहा के आता हूँ और फिर
वो नहाने चला गया | मैं खेलता रहा तब तक उसकी मोम भी उसी कमरे में आ गयी,
और
मुझे पानी दी पीने को | मेने पानी लिया और पी के वही बाजू में रख
दिया | आंटी
अब भी वही कड़ी थी और फिर ग्लास लेने के झुकी और अपनी चुन्नी
गिरा दी, और
मुझे अपने चुचो के दर्शन करा दिए, मेरी फिरसे सुख गयी की ये हो
क्या रहा हे आज कल | अब आंटी मुझे देखने लगी और पूछी की क्या देख रहे हो |
मैं
क्या जवाब देता मेने बोला कुछ नही गलती से दिख गया | फिर आंटी
बोली की आज गलती से दिख गया और कल जो देखा वो भी क्या गलती थी ? मेने उन्हें
सोरी बोला, और फिर आँखे नीची कर के चुप बैठा रहा | वो बोली की कोई बात
नही पर अगली बार से ऐसा मत करना, अच्छी बात नही होती ये सब |कुछ देर के बाद
आंटी फिर से कमरे में आई और मुझे बोली की कल जो देखा और आज जो देखा किसी
को बताना मत, मेने कहा जी में ये सब नही करता किसी से और फिर आंटी चली गयी
| मैं
फिर थोड़े देर के बाद अपने घर चला गया आंटी को बोलके | घर जाके मुझे
याद आया की में उनके घर में अपना घडी भूल गया | शाम को में फिर
उनके घर गया और आंटी से दोस्त के लिए पूछा तो वो
बोली की वो दोपहर से कही गया हुआ हे, मेने कहा ठीक हे
| फिर
मेने आंटी को बोला की में अपनी घड़ी उसके रूम में भूल गया
हूँ, आंटी
बोली रुको ला के देती हूँ | आंटी फिर आई और बोली की तुम ही देख
लो मुझे नही मिल रहा हे, में फिर उसके रूम में गया और देखा की
मेरी घडी तो वही सामने रखी हुई हे, मेने घडी ली और फिर आंटी के कमरे में ये
बोलने के लिए गया की मेने घडी ले ली हे में जा रहा हूँ | पर जब में उनके
करमे में गया तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी | मेने देखा की
आंटी ब्लाउस और पेटीकोट में कड़ी हे और मेरी तरफ ही
देख रही हे | जेसे उन्हें मेरा ही इंतज़ार
था की में आऊंगा और उन्हें उस हाल में देखूंगा, मेने उन्हें
उस हाल में देख के मेने उन्हें बोला की आंटी ये क्या अभी तो आप सारी में
थी और ये अचानक कपडे कहा गए | आंटी बोली, तुम्हारे लिए
उतार दी | मैं बोला
आंटी में आपका मतलब नही समझा, वो बोली इतने भोले मत बनो आओ मेरे पास आओ,
और
कल तुमने क्या क्या सिखा मुझे बताओ | मैं आंटी की तरफ बड़ा और फिर आंटी
से चिपक गया और फिर आंटी ने भी मुझे कस के गले लगा लिया और मुझे चूमने लगी
| मेने
भी मोके को गवारा नही और उनके होठो को चूसने लग गया | पहली बार किसी
आंटी को चूम रहा था और मुझे आंटी को चूमने में काफी मज़ा आ रहा था | उनके होठ एक दम
किसी जवान लड़की की तरह थी, एक दम वही मज़ा मिल रहा था मुझे |अब आंटी ने मुझे
बिस्तर पे बिठा दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ गयी और फिर मेरे
पेंट की ज़िप खोलने लगी, मैं खड़ा हुआ और जल्दी से ज़िप खोल दिया
और उनके सामने मेने अपना लंड लटका दिया | औंटी बोली काफी अच्छा हे तुम्हारा
लंड और फिर उसे पकड़ के दबाने लग गयी | उनके दबाने से तो मेरे अंग अंग
में करंट सी दोड पड़ी, अब कुछ देर के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुह में ले लिया और
उसे कस कस के चूसने लग गयी | वो एक दम उनकी तरह चूस रही थी जेसे
ब्लू फिल्म में चूसते हे, एक दम सर को आगे पीछे कर कर के चूस रही थी |
में
बिस्तर पे लेट गया और वो मेरा लंड चुस्ती रही, कुछ देर के
चूसने के बाद उन्होंने मेरी पेंट और फिर शर्ट दोनों उतार
दी और फिर मेरे पुरे जिस्म को चूमने लग गयी
| वो
मेरे पुरे जिस्म को चूम रही थी और फिर एक हाथ से मेरे लंड को दबाए जा
रही थी | कुछ
देर के बाद मेने उन्हें लेटा दिया और फिर उनके चुचो को
उनके ब्लाउस के उपर से ही काटने लग गया, थोड़े देर काटने के बाद
उन्होंने खुद अपनी ब्लाउस उतार दी और फिर मुझे चूसने को कहा | में अब उनके
एक चुचे को चूसता तो दूसरे को मसलता रहता | दस मिनट तक में
उनकी चुचो को गर्म करता रहा और वो दस मिनट तक सिसकिय
भर्ती रही | मैं अब उठा और उनके पेटीकोट के अंदर
सर डाल दिया और उनकी पेंटी के उपर से ही उनके चुत को हल्के हल्के काटने लग
गया | उनकी
पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसमे से महक आ रही थी जेसे चुत
में से आती हे | में उनकी पेटीकोट के अंदर ही पगला गया और उनकी पेंटी के
साइड से उनकी चुत में ऊँगली करने लगा | पाँच मिनट के बाद
मेने
अपना सर बाहर निकला और उनकी पेटीकोट के साथ साथ उनकी पेंटी भी उतार दी | अब आंटी मेरे
सामने पूरी नंगी थी, उनकी चुत पे काफी बाल थे, पर मुझे उससे कुछ फर्क
नही पड़ा | मैं उनके चुचो पे टूट पड और उसे कस कस के चूसने
लगा,
वो
अब सिसकिय पे सिसकिय भरने लगी ओह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म क्या मज़ा आ रहा
हे और जोर से चूसो इसे, खा जाऊ इसे ऊओऊ ह्म्म्म्म्म्म्म येह्ह्ह्ह किये
जा
रही थी |मैं
उन्हें चुमते चुमते उनकी चुत की तरफ आ गया, और फिर उनके चुत
के बालो को एक तरफ किया और उनकी चुत में जीभ रगड़ने लग गया | उन्होंने मेरे
सर पे हाथ रखा और मुझे अपने चुत में कस के दबा ली, मेने उनकी चुत
को और कस के रगड़ने लग गया, मैं बिच बिच में
उनकी चुत की पंखडियो को अपने होठो से काटने लग गया,
और
उनकी चुत की छेद को में अपने जीभ से धकेल भी देता बिच बिच में |
जितने
बार उनकी छेद में जीभ से धक्का देता उतनी बार वो सिकोड़ जाती और
उफ्फ्फ्फ्फ़ आह करने लग जाती | आब वो बोली की और कब तक से चुदेग, जल्दी से अपना
प्यार लंड डाल दे, में और नही रुक सकती जल्दी कर | मैं उठा और
उनकी चुत पे लंड सटा दिया और धक्का दिया, पहले जब लंड घुसा तब वो हल्का चीखी
और फिर शांत हो गयी | मेने धक्का देना शुर्र कर दिया और कुछ ८-९ धक्को के
बाद वो भी अपना गांड उठा उठा के मुझे अपनी चुत देने लग गयी | उन्होंने मुझे
कस के पकड़ लिया, उनकी उंगलियो के नाख़ून मुझे चुबने लग गयी | में फिर भी
उन्हें कस कस के धक्का देता गया और वो अपना गांड उठा उठा के अपनी चुत देने
लग गयी और मेरा लंड जल्दी जल्दी लेने लग गयी | वो अब तक दो बार
झड चुकी थी | मेने उन्हें अब
घोड़ी होने के लिए बोला तो वो बोली की गांड नही दूंगी चुत मार
ले, मेने
कहा गांड नही मरना चुत ही मारूंगा मगर पीछे से | वो बोली
ठीक हे और फिर घोड़ी बन गयी, और मेने पीछे से उनकी चुत में लंड देने लग
गया, मेने
अब अपना लंड धीरे धीरे देने लगा, बहुत धीरे धीरे दिए जा रहा था |
मेने
फिर एक दम से रुक गया और एक ही झटके में मेने लंड चुत से हटा के गांड
में दे दिया और उनकी गांड फट गयी | वो एक दम से बुरी तरह सिख उठी और मुझे
गलिया देने लग गयी | बोली कुत्ते तुझे मना किया था न गांड में नही तो फिर
क्यों दिया, में उनकी बात नही सुना और गांड में देने लग गया | करीब दस मिनट
बाद वो खुद अब अपनी गांड पीछे की तरफ धकेलने लग गयी, में आगे की तरफ शोट
मरता और वो पीछे की तरफ शोट देने लग गयी | हम दोनों फूल तुस मज़ा ले रहे
थे, इसमे
भी वो एक बार झड गयी और फिर कुछ देर के बाद में भी उनकी गांड
में
झड गया | जब
में लंड निकला तो कुछ पलो के बाद उनकी गांड से मेरा मुठ निकलने लग गया,
उन्होंने
अपनी गांड में ऊँगली फेरी और मेरे मुठ को उंगलियो से लेके चाट गयी
| मेने
फिर उनके मुह में अपना लंड फिरसे दे दिया और फिर साफ़ करने को
बोला | वो
मेरे लंड को एक दम साफ़ कर दी, और फिर हम दोनों
एक दूसरे के उपर नंगे लेट के एक दूसरे को दस मिनट
चूमे और फिर मेने उन्हें कहा की अब में चलता
हूँ फिर काभी और करेंगे |मैं उठा और कपडे पेहेन लिए और वो भी
अपनी सारी पहनने लग गयी और फिर हम पाँच मिनट में ठीक ठाक हो गए | मेने आंटी
से पूछा की अंकल तो कल मस्त वला दे रहे थे फिर मेरी जरुरत क्यों पड़ी, आंटी बोली की
उनका तरीका सब मस्त हे पर जल्दी झड जाते हे और सिर्फ एक बार ही पलते हे और
फिर अगले हफ्ते पलते हे | मुझसे नही रहा जाता, एक तो जल्दी भी
झड जाते हे और एक हफ्ता बैठ के मुठ जमा करते हे | मैं उनको कुछ पल
तक देखता रहा और फिर एक चुम्मी देके चला गया |
अब
इसके बाद तो मेने आंटी को काफी बार पेल
चूका हूँ, ये
बात हम दोनों के बिच में ही रहती हे |
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