Sunday, August 30, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--190

  FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--190


हमला





रीत कबर्ड में कपड़ों के पीछे छुपी दबी खड़ी थी। न वह कुछ सोच रही थी , न तैयारी , बस एकदम सन्नद्ध। उसकी हर इन्द्रियां ,खुली, सचेत, सजग, हमले को तैयार।

बिना देखे उसे पता चल गया की कब दोनों खिड़की के पास खड़े हुए।

उसके कान जरा सी हरकत को सुनने के लिए तैयार थे और जब चाकू से शीशे के काटने की बहुत हलकी सी आवाज आई और शीशे की गिरने की वो भी उसने सुनी।

लेकिन हर चीज पता करने के लिए सुनना देखना जरूरी नहीं होती।

महा विद्याओं का आशीर्वाद, योग की शिक्षा या दीक्षा , उसकी पूरी देह आँख भी थी कान भी। शीशे के हटते ही जो हवा का झोंका आया बस उससे उसे अंदाज लग गया की बस अब खिड़की खुल गयी है और हमला होने वाला है।

बहुत हलकी सी रोशनी जो बाहर से आ रही थी , उस के अवरुद्ध होने से रीत को ये भी पता चल गया की वो अंदर आ गया है और उसकी लोकेशन कहाँ है।

वह कबर्ड और पलंग के बीच खड़ा था।

और आते ही उसने जो पहला हमला किया उसके लिए रीत और करन दोनों तैयार थे , और न तैयार होते तो तो पहली बाजी क्या पूरा मैच हार जाते।

दो स्टन ग्रेनेड , एम 84 पहले तो घुसते ही उसने पलंग की ओर फेंके।

इनका असर तेज फ्लैशिंग लाइट और धमाकेदार आवाज (जो १७०-१८० डेसीबेल की रही होगी ) -हुआ। और , नॉर्मली , लोग ऐसी तेज आवाज में करीब आधे मिनट से एक मिनट तक अपना ओरिएनेटशन खो देत्ते हैं ,कुछ करने की हालत में नहीं रहते है। बैलेंस समाप्त हो जाता है और कुछ दिखाई पड़ना भी मुश्किल होता है।

इतने समय में अटैक करने वाले को सिचुएशन पूरी तरह कंट्रोल करना आसान होता है।

लेकिन रीत ने इसकी तैयारी पूरी कर रखी थी।

कबर्ड में पड़े क्विल्ट से उसने अपने चेहरे ,कान को अच्छी तरह ढक रखा था , खुद टंगे हुए कपड़ों के पीछे खड़ी थी और कबर्ड एक झिर्री के अलावा पूरी तरह बंद था , इसलिए कबर्ड , कपड़ों और क्विल्ट ने स्टन ग्रेनेड के असर से उसको अच्छी तरह इन्सुलेट कर दिया।

हाँ फायदा ये हुआ की अटैकर की लोेकशन अब उसे पूरी तरह कन्फर्म हो गयी थी।

पलंग के नीचे छुपे करन और मीनल को पलंग का पूरा प्रोटेक्शन तो मिला ही , जो उन्होंने रजाई खींच रखी थी नीचे तक उसने भी ब्लाइंडिंग फ्लैश और साउंड को अब्सॉर्ब कर लिया। इसके साथ ही रजाई से निकाल कर करन ने रुई अपने और मीनल के कान में ठूंस रखी थी , दोनों हाथों से कान जोर से बंद कर रखे थे और अपने को फर्श से चिपका रखा था।

लेकिन हमलावर ने स्टन ग्रेनेड का असर खत्म होने के पहले ही स्मोक ग्रेनेड एक पलंग के ऊपर और दूसरा पलंग के नीचे की ओर लांच किया।

लेकिन उनका असर शुरू हो उसके पहले तेजी से कबर्ड का दरवाजा खुला , कपड़ों का एक बण्डल सीधे उसके ऊपर और जबतक वह सम्हले रीत सीधे उसके कंधो पर।

स्मोक में नाइट विजन गॉगल्स के बावजूद हमलावर के लिए देखना मुश्किल था।

लेकिन रीत को किसी नाइट विजन की कभी जरूरत नहीं पड़ी।

काली अँधेरी रात में घने जंगल में चीता शिकार की घात में बैठा रहता है , और तेजी से भागते सारंग को जिस झटके से दबोच लेता है , या सुंदरबन में जंगलों और सागर के बीच नाव पर बैठे शिकार को जिस तरह झपट्टा मार कर बंगाल का बाघ अपना शिकार बना लेता है , सिर्फ अपनी शक्ति, स्वभाव और प्रकृति के कारण बस वही हालत रीत की थी।

महाविद्या स्त्रोत और महाविद्या कवच का पाठ अभी उसने किया था , और बस सब का आशीर्वाद सब की शक्ति ले कर उतरी थी , विनाश की दूती बन कर। सीधे वह उसकी पीठ पर चढ़ी थी , बायां हाथ सीधे काल का फन्दा बना उस हमलावर के गले में लिपटा था और दायें हाथ की कुहनी ने , उस हाथ पर पूरी ताकत से चोट की , जिसमे उसने एच & के ( हेकलर एंड कोच ) यूनिवर्सल मशीन पिस्टल पकड़ रखी थी और उसकी उँगलियाँ ट्रिगर पर थीं।

कुहनी के साथ पैर की पूरी ताकत भी उसी हाथ की कुहनी पर पड़ी , और अचानक हुए इस हमले का लाभ ये हुआ की गन उसके हाथ से छूट गयी और फर्श पर गिर पड़ी।


रीत






कुहनी के साथ पैर की पूरी ताकत भी उसी हाथ की कुहनी पर पड़ी , और अचानक हुए इस हमले का लाभ ये हुआ की गन उसके हाथ से छूट गयी और फर्श पर गिर पड़ी।

ये नेवल सर्विस ग्रूप का फेवरिट हथियार था और बहुत ही घातक , खास तौर पे शार्ट रेंज पे। और उसको और घातक बनाता था ,. ४५ एसीपी कार्ट्रिज।

ये गोलियां अपनी बड़ी साइज के कारण ,पेन्ट्रेशन और एक्सपैैंशन दोनों ही में तेज और बड़ा असर करती हैं। इससे रक्तस्त्राव तेज होता है और मारक क्षमता बहुत अधिक है। यह सेमी आटोमेटिक ,ऑटोमेटिक दोनों ही तरह से सेट हो सकती है लेकिन अभी सेमी आटोमेटिक मोड़ में थी।

इससे बचने का सिर्फ एक तरीका था की ये दुश्मन के हाथ में न रहे और अब इस का मालिकाना बदल चुका था। क्राल करके बिस्तर के नीचे से निकले करन ने बन्दूक पर अब कब्ज़ा कर लिया था और अब ट्रिगर पर उसकी उंगलियां थीं।

ऐसा बहुत कम होता है की रीत का पहला हमला निर्णायक न हो , लेकिन इस बार ऐसा न हुआ।

हाँ एक बहुत बड़ा फायदा ये मिला की गन हमलावर के हाथ से निकल कर कर करन के हाथ में पहुँच गयी थी और मुकाबला अब फायर आर्म्स से हट कर अनआर्म्ड कॉम्बैट में बदल चुका था।


और इस लिए भी था की अनआर्म्ड कॉम्बैट में अमेरिकन नेवी सील के साथ जब वह ट्रेनिंग में था तो हर मुकाबले में पहले या बहुत रेयरली दूसरे नंबर पे रहता था और फिर कराते और जूडो की ट्रेनिंग चाइनीज स्पेशल आॅप्रेशन फोर्सेज की मरीन ब्रिगेड के साथ उसने की थी और ज्वाइंट एक्सरसाइज में भी पार्टिसिपेट किया था।

इस लिए वह रीत से मुकाबले में २० तो नहीं लेकिन १७ भी नहीं था , हाँ १८ ,१९ जरूर रहा होगा।


दूसरे उसके पास अभी भी उसकी पिस्टल और कॉम्बैट नाइफ तेह जिसकी तेज धार का एक हमला काफी होता था।

भले ही उसके दाहिने हाथ ने एच & के पिस्टल से पकड़ छोड़ दी हो लेकिन वो हथियार बन गया था और उसकी कुहनी ने एक पिस्टन की तरह सीधे उसकी पीठ लदी रीत के पेट में वार किया।

कोई दूसरी होती तो उसकी स्प्लीन बर्स्ट हो गयी होती और पेट के अंदर के कई अंगो से इंटरनल हैमरेज चालू हो जाता।

लेकिन रीत की रक्षा तो खुद काशी के कोतवाल कर रहे थे और उसने कवच धारण कर रखा था महा विद्या के मन्त्र और आशीर्वाद का।

अपने आप उसकी सांस गहरी हो गयी ,पेट अंदर खिंच गया और उसकी देह गेंद की तरह मुड़ गयी , और हमले का असर बस नाम मात्र के लिए हुआ।


कोई दूसरा होता तो शायद ये 'नाम मात्र ' बेहोश करने के लिए काफी था।

लेकिन रीत रीत थी।

हाँ इसका असर ये जरूर हुआ की हमलावर रीत की पकड़ से पल भर के लिए छूट गया।

और हमलावर को मुड़ कर अब रीत को फेस करने का मौका मिल गया था , लेकिन ये मौका इतना भी नहीं था की वो कमांडो नाइफ निकाल सकता। उसने मुक्के का सहारा लिया की पल भर अगर वो रीत को डिस्ऑरिएंट कर पाता तो फिर एक बार चाक़ू उसके हाथ में आने की बस देरी थी।


हमलावर ने मुड़ते ही दुहरा हमला किया , पैर की किक सीधे रीत के घुटने पे नी कैप को टारगेट करके। और एक जोरदार मुक्का रीत के चेहरे पे।

कोई दूसरा होता तो शायद बत्तीसी बाहर होती और घुटना , नी रिप्लेसमेंट के लिए तैयार हो जाता।
और ऊपर से उसके जूतों में लोहे के कैप लगे थे।

और रीत के लिए भी मुश्किल था बचना , लेकिन रक्षा की जिम्मेदारी तो उसने कोतवाल के जिम्मे कर रखी थी , और बस अपने आप उसका शरीर उछला और हवा में ही मुड़ा , नतीजा ये हुआ की मुक्का बजाय चेहरे पे लगने के उसके कंधे पे लगा और पैर का वार खाली गया।

हमलावर को भी ये अंदाज नहीं था , और उससे बढ़ कर ये अंदाज भी उसे नहीं था की उसका मुक्के वाला हाथ रीत की गिरफ्त में होगा।

रीत की गिरफ्त की ताकत भी उसे तभी पता चली।

लोहे की सँडसी मात थी।

उस कोमल कलाई में , पल भर में कलाई तोड़ देने की ताकत थी।

और रीत ने यही किया , एक बार एंटी क्लॉक वाइज और दुबारा क्लॉक वाइज।

एक बार और एंटी क्लॉक वाइज करने पर कलाई के सारे लिगामेंट टूट जाते और वो हाथ पूरी तरह बेकार हो जाता।


रीत उसके पैरों का हमला देख चुकी थी और उसकी निगाह काउंटर अटैक के लिए उसके पैरों पर थी ,पर रीत को यह नहीं अंदाज था की , वो सव्यसाची था दोनों हाथों से बराबर का वार करता था।

और हमलावर कराते में ब्लैक बेल्ट था। जो हाथ दस ईंटों को एक साथ तोड़ सकता था रीत की कलाई पर बिजली की तेजी से पड़ा।

बल्कि पड़ने वाला था ,और रीत ने उसके पहले ही झटके से हमलावर की कलाई छोड दी।

पूरी तरह दूटने से उस हमलावर की दायीं कलाई तो बच गयी लेकिन दो चार लिगामेंट तो टूट ही गए और अब वह करीब ७०% बेकार हो चुकी थी।

दूसरे रीत का हाथ हटने से कराते का हमला पूरी तरह बेकार हो गया लेकिन उस की उँगलियों का अगला भाग जो रीत के हाथ को छूता निकल गया , लगा जैसे बिजली का करेंट लगा हो और किसी दूसरे के हाथ को बेकार करने के लिए काफी था।

लेकिन ये रीत थी।

और हमले से बचते समय भी अगला हमला करने के लिए तैयार थी। उसकी निगाह अभी भी उस दुष्ट के पैरों पर टिकी थी और वो जानती थी अगला हमला यहीं से आएगा।

और हुआ भी यही।

बायां पैर हवा में लहराया , टारगेट रीत की रिब्स।

और रीत हलके से मुस्कराई। अब हमलावर पहले से तयशुदा स्क्रिप्ट पर आ गया था और उसको पढ़ना ज्यादा आसान था।
रीत न सिर्फ साइड में सरकी ,बल्कि अबकी उसके दोनों हाथों ने बाएं पैर को जूते के ठीक ऊपर जोर से पकड़ लिया और वही क्लॉक वाइज , एंटी क्लॉक वाइज और फिर क्लॉक वाइज।

एक पैर फंसा हो तो दूसरे पैर से हमला करना मुश्किल था। ऊपर से दायें होते में लिगामेंट टूटने से होने वाले दर्द ने उसे थोड़ा डिस्ऑरिएंट भी कर दिया था। इसलिए बायां हाथ भी अब थोड़ा स्लो हो चूका था।

बायां पैर ५ सेकेण्ड में रीत ने बेकार कर दिया ,सारी कार्टिलेज टूट चुकी थी और उसी के साथ रीत ने जोर से हेड बट किया ,उसके एक्सपोज्ड पेट की ओर ,

बचो बचो , मीनल और करन दोनों की घबड़ाई आवाज तेजी से आई।

करन के हाथ में दुश्मन की गन थी और वो उसकी ओर ट्रेन किये हुए था लेकिन मुश्किल ये थी की रीत और हमलावर एक दूसरे से इस तरह गूंथे हुए थे की फायर करना इम्पॉसिबल था।


डेडलॉक , रीत ,हमलावर ,करन



बचो बचो , मीनल और करन दोनों की घबड़ाई आवाज तेजी से आई।

करन के हाथ में दुश्मन की गन थी और वो उसकी ओर ट्रेन किये हुए था लेकिन मुश्किल ये थी की रीत और हमलावर एक दूसरे से इस तरह गूंथे हुए थे की फायर करना इम्पॉसिबल था।


रीत की निगाह जब हमलावर के बाएं पैर पर लगी थी और पूरी ताकत से वह उसे तोड़ रही थी , हमलावर का दायां हाथ वो बेकार कर चुकी थी. आलमोस्ट। उसी समय दर्द से जूझते , हमलावर ने समझ लिया था की सामने वाला उससे २० है और अनआर्म्ड कॉम्बैट में उसके पास ज्यादा वक्त नहीं है , उसने दो काम किया।

अपने हेड फोन से अपने साथी को एस ओ एस किया और किसी तरह झुक कर अपनी डुंगरी से कमांडो नाइफ निकाली और पूरी ताकत से ,


रीत हेड बट्ट के लिए झुकी थी और उसकी गर्दन पूरी तरह एक्सपोज्ड थी।

ये उसके लिए सबसे बढ़िया मौका था , पूरी ताकत से सीधे कारटायड आर्टरी पे , सीधे गर्दन पे।



डर कर मीनल ने आँख बंद कर ली।

करन की सांस रुकी हुयी थी , सेकेण्ड का दसवां हिस्सा रहा होगा , और रीत पर लग रहा था कोई दैवीय शक्ति सवार हो गयी।

बिना उंसके पैरों को छोड़े उसने पैतरा बदला और जैसे हवा में नाच गयी हो। उसके लम्बे बाल खुल गए और पूरा चेहरा जैसे काली अमावस की रात में ढँक गया।

जब उसके हाथों ने पैर छोड़ा तो वो पूरी तरह टूट चूका था।

और ऊपर से ही रीत ने चाकू वाले हाथ को दबोच लिया।

जोर की चिग्घाड़ निकली रीत के गले से और अब उसके हाथों में जो शक्ति थी , वो उसकी नहीं थी। अबकी बायां हाथ जिसमें चाक़ू था उसके कब्जे में था और वो उसे मरोड़ रही थी। वह सब कुछ भूल चुकी थी और उसकी पूरी देह की ताकत उस हाथ को तोड़ने में लगी थी।

वैसे भी उस हमलावर का दायां हाथ लगभग बेकार हो चुका था , बायां पैर टूट गया था , इसलिए काउंटर अटैक के चांसेज कम ही थे और अब वह उसे खत्म ही करना चाहती थी।

जैसे ही उस हमलावर ने चाक़ू छोड़ा वह रीत के हाथ में पहुँच गया।

लेकिन उसके साथ ही साथ हमलावर के साथी ने खुली खिड़की से इंट्री मारी , रीत की पीठ उसकी ओर थी।
,
करन ने उसे अपने गन पे निशाने पे लेने की कोशिश की , लेकिन उसके पहले ही वो रीत के ठीक पीछे था , और उसका एक हाथ रीत की गर्दन में फंसा था , और दूसरे हाथ में पिस्तौल सीधे रीत की गर्दन पर।

और उस पिस्टल का दबाव रीत के साथ करन भी महसूस कर रहा था।

पहला हमलावर तो गिर गया था। उसका एक हाथ और पैर एकदम बेकार हो चुके थे और बाकी दोनों भी सिर्फ २० % काम कर रहे थे। १०-१२ हड्डियां ,लिगामेंट ,कार्टिलेज टूट चुके थे , और वह अब किसी काम का नहीं रह गया था।

लेकिन दूसरे हमलावर का पिस्टल का दबाव अब रीत के गर्दन के पिछले भाग पर बढ़ता जा रहा था।

रीत के हाथ से चाक़ू छूट का बिस्तर के नीचे गिर गया था।

लेकिन करन के हाथ में जो गन थी उसका निशाना भी सीधे दूसरे हमलावर के माथे के बीच था , और २०० फिट से करन का निशाना नहीं चुकता था यहाँ तो यह मुश्किल से ६-७ फीट की दूरी पर रहा होगा।

और ये बात हमलावर भी जानता था , एक साथ एक बार में वह रीत और करन को एलिएमनेट नहीं कर सकता था , जैसे उसकी पिस्टल चलेगी वो जानता था करन की गोली भी चल निकलेगी। यह सिर्फ रीत थी जो उसके और उसकी मौत के बीच में थी।



स्टेलमेंट।

करन को भी मालूम था की इस हमलावर को मौत का डर नहीं और वह रीत पर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था

एक पल का गलत फैसला और,… मौत।

रीत भी जानती थी उसके पीछे खड़ा मौत का सौदागर ,प्रोफेशनल है और उसका कोई भी वार कुहनी का , घुटने का सिर्फ एक रिएक्शन करायेगा। वो ट्रिगर दबा देगा और पिस्टल एकदम उसके गले पर सरवाइकल वर्टिब्रा के ठीक ऊपर उसने सटा रखी थी। हलकी सी चोट भी दिमाग से जोड़ने वाली सारी धमिनयों , शिराओं और नर्व्स को तोड़ देता साथ ही ट्रेकिया को भी। डेथ इन्सटनटेनियस होती।


हमलावर अपने पिस्टल से करन को इशारा कर रहा था था की वो अपनी गन जमीन पर फ़ेंक दे वरना रीत पर गोली चल जायेगी।

उस काली रात की चादर में लिपटे कमरे में तीनो सिर्फ सिलयुहेट से लग रहे थे।

उस हमलावर को कमरे में घुसे एक मिनट भी मुश्किल से हुआ होगा लेकिन लग रहा था की युग बीत गया।

बिना कुछ बोले , वो एक दूसरे को चैलेन्ज कर रहे थे , और दिमाग पढ़ रहे थे।

करन ने देखा की हमलावर की भौंहे तनती जा रही हैं , उसका चेहरा और कड़ा हो गया है।

इसका मतलब उसने फैसला ले लिया है। और वह फैसला एक ही हो सकता है ,उसने रीत को शूट करना तय कर लिया है।


करन ने अपनी आँखों में थोड़ा डर पैदा किया और हमलावर को इशारा किया की वो अपनी गन नीचे कर रहा है।

करन जानता था की जैसे ही उसकी गन जमींन छूएगी , हमलावर की पिस्टल पहले रीत का शिकार करेगी फिर उसका।



मुस्कराकर हमलावर ने उसकी बात मान ली और रीत की गर्दन पर से हाथ और पिस्टल का दबाव कुछ कम किया।

लेकिन वह नहीं देख पाया की रीत और करन ने क्या बात की , सिर्फ हलके से मुस्कराकर।


और फिर बिजली की तेजी से कई घटनाएं हुईं।

रीत ने आँख बंद कर स्मरण किया और एकदम से अपनी साँस रोक ली।

उसकी देह एकदम लकड़ी सी हो गयी और सरककर वह दो इंच नीचे हो गयी।

अपनी गरदन भी उसने झुका ली , और उसी समय


करन के गन से गोली निकली। रीत के बालों को रगड़ती सीधे हमलावर के दोनों आँखों के बीच।

हमलावर ने जिस हाथ से रीत को पकड़ रखा था वो थोड़ी और ढीली हुयी और रीत सरक कर नीचे।

उसे मालूम था की गोली की आवाज सुनते ही रिएक्शन के तौर पर वह ट्रिगर दबा देगा , और यही हुआ।

हमलावर की दो गोलियां रीत से आधे इंच बगल से गुजरीं।

लेकिन करन का निशाना , पहली गोली ने जो छेद किया था दूसरी गोली भी उसी में लगी।

और रीत ने गिरते हुए उस हमलावर के डूंगरी से कमांडो नाइफ निकाल ली थी।








No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator