Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--11

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--11

मधु के ससुर ने चार पांच फुहार मारी और हांफता हुआ अपनी प्यारी बहु के उपर ही पसर गया। मधु को इस वक़्त उसका भारी भरकम शरीर भी फूल सा हल्का लग रहा था। उनका बालों से भरा सीना उसे गुदगुदी पहुंचा रहे थे। तीन माह बाद ओर्गास्म का अनुभव मिलने पर मधु भी बेहद उत्तेजित थी उसने ससुर को बाँहों जकड़ा हुआ था और अपने पैरों से कमर को लपेट रखा था। दोनों अपनी साँसे कंट्रोल कर रहे थे। मधु छत की ओर देख कर सोचने लगी कि जो कुछ हुआ वो तो अवश्यम्भावी था लेकिन जिस तरह हुआ वैसा उसने नहीं सोचा था। उसने तो सोचा था कि पापा कई किश्तों में यहाँ तक पहुंचेंगे। शुरू में बहाने से उसे टच करेंगे ,फिर कभी बहाने से उसकी गाण्ड में हाथ फेरेंगे। कभी मौके पर चौका मारते हुए उसके बूब्स दबाएंगे और आखिर में फाइनल काम के लिए तो उसकी मान मनौवल करेंगे ,उससे रिक्वेस्ट करेंगे कि बहु प्लीज कर लेने दो ना। पर ऐसा तो कुछ हुआ ही नहीं ,पापा ने तो सीधा पटक के गेम कर दिया। अब उसे समझ आ गया कि लड़का लड़की को पटाने की कोशिश करे वो अलग बात है लेकिन लड़की अगर लड़के को लाइन देने लगे तो मर्द का डर गायब हो जाता है। पापा ने भी एक बार भी उससे नहीं पूछा और सीधे उसके उपर चढ़ बैठे। आज मधु ने एक बात और जान ली थी कि औरत चाहे जितनी भी उपर पहुँच जाए ,डॉक्टर इंजीनियर बन जाये ,कलेक्टर कमीशंनर बन जाये या बड़ी नेता बन जाये ,लेकिन बिस्तर में उसे मर्द के नीचे ही आना पड़ता है वो भी टांग उठा के। दोनों इसी तरह पंद्रह मिनिट तक चिपके पड़े रहे। ससुरजी का लण्ड ढीला पड़ गया था पर उन्होंने बाहर नहीं निकाला था। लण्ड अंदर रखे ही ससुर ने पूछा --
पापा :-- बहु ! तुम खुश तो हो ना। पापा की आवाज़ सुन कर मधु शर्म के मारे चुप रही तो ससुर ने फिर पूछा
पापा :-- बहु तुम खुश तो हो न ? मधु ने बिना उनकी तरफ देखे कहा
मधु :--- आप बहुत गंदे हो। कोई ऐसे जबरदस्ती करता है क्या
पापा :--- जबरदस्ती कहाँ की बहु। पिछले कई दिनों से हम तुम्हारी आँखों में प्यास देख रहे थे। जिस तरह तुम एक्सपोस कर रही थी और हमें seduce कर रही थी तो हम दोनों का बहकना तो तय था।
मधु :--- हम तो कम उम्र नादान हैं लेकिन आप तो सयाने हैं आप क्यों बहके ? मधु सारा दोष ससुर पर डाल दिया।
पापा : - बहु हमारे बहकने के दो कारण हैं। एक तो तुम ऐसे ही बहुत सुन्दर हो फिर तुम जिस तरह अपने जिस्म का जलवा दिखा रही थी वो तो एकदम क़यामत था। अगर कोई छक्का भी होता तो तुमको देख कर एक बार तुम्हे पाने की कोशिश जरूर करता फिर हम तो मर्द हैं। खाश कर तुम्हारी चिकनी -2 जांघे तो हमारी जान निकाल देती हैं. हम तो सोच रहे हैं कि इन लेग पीस की सुंदरता बनाये रखने के लिए हम रोज इनकी जॉनसन बेबी आयल से मालिश करें। ससुर ने फिर औरत की कमज़ोरी यानि उसकी सुंदरता की तारीफ़ कर दी।


मधु :-- आ हां हा। बड़े चालाक हो। हम सब समझ रहे हैं। मालिश के बहाने आप क्या करेंगे। और दूसरा कारण बताइये ? मधु ने शरमाते हुए पूछा
पापा :-- दूसरा हमें डर था कि अगर हम कोई रेस्पॉन्स नहीं देंगे तो तुम कहीं बाहर न बहक जाओ इसलिए काफी सोच कर विचार कर हमने आगे बढ़ने का निर्णय लिया। आखिर बाहर बहक जाती तो घर की बदनामी का भी तो डर था
मधु :-- पापा आप ने ये कैसे सोचा की हम बाहर कहीं बहक सकते हैं। हमारे लिए घर की इज्जत ही सब कुछ है .
पापा :-- बहु हम तुम पर शक नहीं कर रहे हैं लेकिन ये उम्र बहुत खतरनाक होती है।इस उम्र में इंसान को सिर्फ एक चीज़ ही दिखाई देती है। अच्छा हमें तुम से एक बात पूछना है ?
मधु :-- क्या
पापा :-- इस शहर में कॉलोनी में इतने handsome लड़के है फिर तुमने हमें क्यों चुना ?
मधु :-- पहला कारण तो आप वाला ही है घर की इज़्ज़त .
पापा :-- और दूसरा
मधु :-- पापा जब हमारी डोली इस घर में आई थी तभी से हम ने मान लिया था की हमारा तन मन धन सब इस घर का है इसलिए हम ने सोचा घर की दौलत बाहर क्यों लुटायें . फिर आप भी तो तनहा जिंदगी काट रहे थे . पापा हमने कुछ गलत तो नहीं किया ना .
पापा :-- नहीं बहु .तुमने घर की इज़्ज़त भी बचा ली और सबको खुशियां भी दे दी आज हम अपने को दुनिया का सबसे किस्मत वाला समझ रहे हैं। .हमारा दिल तो कर रहा है कि सारी जिंदगी ऐसे ही तुम्हारे उपर पड़े रहें .
मधु :-- धत ! कोई और काम नहीं है क्या . घर का काम कौन करेगा
पापा :-- अच्छा एक बात तो बताओ तुम खुश तो हो ना ?
मधु :-- हमें नहीं मालूम .बस इतना जानते हैं कि आप के प्यार ने उनकी कमी पूरी कर दी .मधु ने शरमाते हुए कहा
पापा :-- और जब मोहन आ जायेगा तब हमारा क्या होगा .
मधु :-- पापा आप बिलकुल चिंता मत करिये .हम आपको हमेशा खुशियां देंगे . अगर चांदनी रात आपके बेटे की होगी तो सुनहरी धूप आपकी होगी .हमें तो अब दोनों का प्यार चाहिए वो भी ढेर सारा . बोलिए देंगे ना हमें बहुत सारा प्यार।
पापा :-- बहु हम तुमको इतना प्यार देंगे कि दो साल तक तुम्हे मोहन की याद भी नहीं आएगी। और फिर जब वो आ जायेगा तो दोनों बाप बेटे तुम्हे दिन रात प्यार के समुन्दर में डुबो के रखेंगे। तुम्हारी किस्मत में आज से दोनों का प्यार लिखा है बोलो बहु दोनों का लोगी ना।
मधु :-- छिः ! बेशरम। पापा आप बहुत गन्दी गन्दी बात करते हो।

बस काम्या ये थी हमारी पापा के साथ पहली सुहागरात जो दिन दहाड़े मनाई गई।
काम्या :-- और फिर उसके बाद कब हुआ
मधु :-- उसके बाद क्या ? उस दिन से हम एक ही bed share करते हैं। पापा मेरे कमरे में ही सोते हैं। कभी उनका मन करता है तो मुझे नंगी ही गोद में उठकर अपने रूम में ले जाते है और वहीँ निपटा देते हैं। कहते हैं इस कमरे में प्यार करने से तुम्हारी सास खुश होगी कि बहु मेरे पति की खूब सेवा कर रही है।
काम्या :-- मधु तू तो गजब की चतुर नार निकली .
मधु :-- क्या करू यार .जब भूख लगती है तो इंसान का दिमाग तेज़ चलने लगता है
काम्या :-- हाँ . तेरे ससुर तो और तेज़ निकले . सर दर्द के साथ अपना बदन दर्द भी ठीक कर लिए
मधु :-- उनकी बात छोड़ दे . वो कुछ ज्यादा ही एक्सपेरिमेंटल हैं
काम्या :- एक्सपेरिमेंटल मतलब
मधु :-- एक्सपेरिमेंटल मतलब , बैडरूम ,हाल ,किचन ,बाथरूम आँगन ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ उन्होंने मेरा बाजा नहीं बजाया होगा . अगाडी पिछाड़ी सब बजा डाला .
काम्या :--अगाडी पिछाड़ी मतलब . मैं समझी नहीं .
मधु :-- अरे ये मर्द लोग को एक जगह से पूरा नहीं पड़ता .जब आगे से मन भर जाता है तो पिछला दरवाज़ा भी खोल देते हैं .समझी ना गाण्ड मांगने लगते हैं . मना करो तो मुंह बना लेते हैं . फिर देना ही पड़ता है अपनी जान को नाराज़ भी तो नहीं कर सकते ना .
काम्या :-- हे भगवान ! तू वहां भी डलवाती है। वहां तो बहुत दर्द होता होगा ना।
मधु :--- अभी नहीं होता। शुरू में हुआ था जब मोहन ने back door एंट्री की थी।
काम्या :-- मतलब तेरी back में मोहन ने शुरू किया था।
मधु :-- हाँ यार। first night तो मेरी गोवा में हुई थी। तीन दिन बाद वो पीछे की डिमांड करने लगा। मैंने बहुत मना किया तो वो नाराज़ हो गया। आखिर मैंने हाँ बोल दिया। उन्होंने बैग से तुरंत वैसलीन निकाल ली। जनाब पूरी तैयारी से आये थे। बस फिर क्या था चौथी रात को मेरी पड़ोसन की धज्जियाँ उड़ गई। रात भर में दो राउंड पिछला और एक राउंड अगला हुआ। बस तब से आज तक गाडी दोनों गेराज में खड़ी होती हैं। एक बात और पड़ोसन को तो मर्द लोग हमेशा कुतिया बना के पेलते हैं।
काम्या :-- वाह मधु तू तो हम सबसे आगे निकल गई। डबल मजा ले रही है
मधु :-- तू जल क्यों रही है। तू ट्रिपल मजा ले। तुझे एक बात बताना तो मैं भूल ही गई
काम्या :--- कौन सी बात। अब क्या बताना बचा है ?
मधु :-- आजकल मैं पीने भी लगी हूँ
काम्या ने सोचा मधु वही पीने की बात कर रही है जो वो आजकल बाबूजी का पीती है इसलिए उसके मुंह से निकल गया
काम्या :-- कौन सी नई बात है ,तू तो शादी से पहले भी पीती थी।
मधु :-- कमीनी क्यों बदनाम कर रही है। शादी से पहले मैंने कब पिया।
काम्या :-- क्यों तू ही तो बताती थी कि तेरा बॉय फ्रेंड तुझे चुसवाने के बाद अपना पानी भी पिला देता था।
मधु :-- अरे पगली ,मैं वो पीने की नहीं wine पीने की बात कर रहीं हूँ।
काम्या :-- क्या तू शराब पीने लगी है।
मधु :-- हाँ यार ,पापा कभी कभी पिला देते हैं। स्वाद में तो कड़वी होती है लेकिन जब सुरूर चढ़ता है तो चुदाई का मजा आ जाता है। लगता है बस सारी जिंदगी टांग फैला के लेटे रहो और चुदवाते रहो।
दोनों सहेलियों में लगभग एक घंटा बात चली जब काम्या ने फ़ोन रखा तो अपना हाल देख हैरान रह गई। उसकी लेग्गी उतरी पड़ी थी और दो उंगलिया चूत में घुसी हुई थी। आज पहली बार अनजाने में ही सही उसने अपने अंदर ऊँगली डाली थी।
मधु की कहानी सुनकर काम्या सोचने लगी कि मधु के ससुर ने सिर्फ पहली छुअन में ही उसे चोद डाला जबकि बाबूजी इतना आगे बढ़ने के बाद भी कितना सबर कर लेते हैं। अगर कभी बाबूजी प्यार के उन क्षणों में आगे बढ़ने लगे तो उन्हें रोकने का ना उसके पास नैतिक साहस बचा है ना इच्छा शक्ति। उसने सोचा जिस दिन भी बाबूजी का सबर उतर जायेगा उसी दिन उसके जिस्म से उसकी पैंटी भी उतर जाएगी। 



 शाम को तीनो चाय पी रहे थे शांति ने संस्कार चेनल लगा रखा था .कामया ने एक लो वेस्ट साड़ी पहनी थी लेकिन कामया का मूड चेनल मे बिल्कुल नही था . अचानक उसने मदनलाल की ओर देखा,दोनो कि नज़रे मिली तो कामया शर्मा गई .उसे मधु की कहानी याद आने लगी कि कैसे उसके ससुर ने उसे ज़बरदस्ती पटक के चोद डाला था . कैसे मधु ने अपने ससुर से कह दिया था की उसे बाप बेटे दोनो का प्यार चाहिए .जब उसे मधु की बात याद आई कि ससुर ने उसे पुर घर मे घुमा घुमा के चोदा है तो उसके गाल शर्म से लाल हो गये .उसकी साँसे तेज़ हो गई .उसे मधु की एक एक बात याद आने लगी की कैसे उसके पापा ने उसकी अगाड़ी पिछाड़ी सब बजा डाली .पिछाड़ी की याद आते ही कामया बहुत गरम हो गई और अपनी जांघे रगड़ने लगी .जब उसे याद आया की मधु के पापा उसे नंगी ही गोद मे उठा के ले जाते हैं तो उसने एक बार फिर बाबूजी की ओर देखा .बाबूजी उसे ही एक टक देख रहे थे दोनो की नज़र मिलते ही कामया ने शर्माकर नज़र नीचे कर ले और ज़मीन की ओर देखने लगी . मधु के एक एक शब्द उसके कान मे गूँज रहे थे .जब उसे मधु का डायलॉग याद आया की "" मर्द लोग पड़ोसन को कुतिया बना कर चोद्ते हैं"" तो उसकी पेंटी गीली हो गई उसने सोचा हमारे बाबूजी का तो कितना लंबा और मोटा है कही बाबूजी को हमारी पड़ोसन पसंद आ गई तो बाबूजी तो हमारी जान ही निकाल देंगे . वैसे भी बाबूजी की सबसे बड़ी कमज़ोरी तो हमारी पिछाड़ी ही है जिसके वो दीवाने हैं .हे भगवान बाबूजी का इतना बड़ा लंड पीछे लेना तो हमारे बस की बात नही .
मधु की बाते याद कर के कामया के चेहरे पर खून उतार आया .उसके मम्मे उपर नीचे होने लगे इधर मदनलाल बहू की हर हाव भाव को देख रहा था .उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा था .ऐसा तो बहू तब शरमाती थी जब उनके बीच आँख मिचोली चल रही थी लेकिन जब से उनके बीच संबंध बने थे बहू इस प्रकार नही शरमाती थी .पता नही ऐसा क्या हो गया है जो आज बहू इतने मूड मे है बहू की अदा देख वो भी गरम होने लगा था उसका बाबूलाल भी अंगड़ाई लेने लगा था .उसे लगा हो सकता है सुनील का फोन आया हो ,लेकिन सुनील का फोन तो अक्सर आता है बहू इतना उत्तेजित तो कभी नही होती .उसे कुछ समझ नही आ रहा था .चाय पीने के बाद शांति उठ कर पड़ोस मे चली गई .शांति के जाते ही मदनलाल फॉरन उठ कर बहू के पास सोफे मे चला गया .कामया ने जाने की कोशिश की लेकिन उसने उसे अपनी गोद मे बैठा लिया .गोद मे बैठते ही बाबूलाल कामया की पड़ोसन से टकरा गया .कामया का शरीर काप उठा .बाबूजी ने उसके नरम चिकान्य पेट को सहलाते हुए पूछा
मदनलाल :-- क्या बात है बहू बहुत मुस्करा रही हो
कामया :--- कुछ नही बाबूजी बस ऐसे ही
मदनलाल :-- नही बहू ज़रूर कोई बात है हमसे छुपाओ मत
कामया :-- कोई बात नही है ,वो मधु का फोन आया था उसी की बात याद आ रही थी
मदनलाल मधु की बात सुनकर चौंक गया .कामया ने उसे एक बार उसे बताया था क़ि मधु शादी के पहले अपने बॉय फ्रेंड को ब्लो करती थी सो उसने पूछा
मदनलाल :-- मधु क्या कर रही थी जो आप इतना शर्मा रही हैं
कामया :-- उसके हबी अमेरिका चले गये हैं दो साल के लिए
मदनलाल :-- तो फिर क्या हुआ
कामया ;-- जी वो बता रही थी की ------ --जी नही कुछ नही कह रही थी .उसने शरमाते हुए कहा .
मदनलाल :-- नही बहू ज़रूर मधु ने कुछ खास कहा है तभी तुम इतना शर्मा रही हो .तुम्हे बताना पड़ेगा .तुम्हे हमारी कसम .
कामया : बाबूजी कसम क्यों देते हो
मदनलाल :-- क्योंकि तुम जिससे प्यार करती हो उससे छुपाती हो .
कामया :-- जो वो कह रही थी कि मोहन के जाने के दो माह बाद उसका अपने ससुरजी से कॉंटॅक्ट हो गया है
मदनलाल कॉंटॅक्ट का मतलब समझ गया लेकिन उसने जानबूझ कर पूछा
मदनलाल :-- कॉंटॅक्ट मतलब . इसी के साथ अब उसने कामया के दोनो संतरों को पकड़ लिया वो जनता था की संतरे कामया की कमज़ोरी है इन्हे खेलने से वो तुरंत गरम हो जाएगी और उनके इशारे पर नाचने लगेगी .इसका असर भी हुआ
कामया :-- जी मधु कह रही थी कि की वो और उसके ससुर अब एक ही साथ सोते हैं और उनके बीच वो वाले संबंध बन गये हैं .
मदनलाल :-- कौन से वाले संबंध ?मदनलाल ने जानबूझकर पूछा .
कामया :-- जी वो औरत और मर्द वाले मतलब बिस्तर वाले संबंध
मदनलाल :-- वोव . हाउ लकी ही इस .कितना खुशनसीब है उसका ससुर . मदनलाल की बात सुनकर कामया बुरी तरह शर्मा गई .लेकिन ये हुआ कैसे .मदनलाल ने पूछा .तब कामया ने सारी बात संक्षेप मे बताना शुरू किया .ज्यों ज्यों वो बताती जा रही थी त्यों त्यों मदनलाल का बाबूलाल तनटनाता जा रहा था .जिसे कामया अपने पड़ोस मे फील कर रही थी .इसी दरमियाँ मदनलाल ने उसके संतरे छोड़ उसकी साड़ी उपर उठा दी और कामया के सेक्सी लेग पीस से खेलने लगा .मदनलाल की हरकतों ने कामया के तन बदन मे आग लगा दी थी .जाँघो से खेलते खेलते मदनलाल कामया की चूत को भी सहलाने लगा था .आख़िर मे मदनलाल से बर्दास्त करना मुश्किल हो गया उसका लंड दर्द देने लगा था . तो उसने कामया को उठा कर सोफे पर बैठाया और लूँगी से कोबरा को बाहर निकाल कर उसके होंठोंके सामने लहरा दिया और कहा
मदनलाल :-- लो इसको शांत करो
कामया ;-- बाबूजी अभी यहाँ .ये कोई समय है इन सब चीज़ो के लिए .
मदनलाल :-- हम कुछ नही जानते .तुमने ही ऐसी खबर सुनाकर इसको परेशान किया है अब तुम ही इसको ठंडा करो . कहते हुए मदनलाल ने कामया का सिर अपनी ओर खींचा जिससे उसका लंड बहू के होंठों से जा लगा .
होंठो पर लंड आते ही उससे निकलने वाली मर्दाना गंध कामया के नाक पर पहुँची और वो मदहोश होने लगी मर्द के लंड की गंध धीरे धीरे उसकी कमज़ोरी बन गई थी .मदनलाल ने फिर तोड़ा दबाव डाला तो कामया का मुँह खुल गया और सुपाड़ा सीधा अंदर चला गया .हीटेड कामया ने सुपाड़े को चूसना चालू कर दिया .मदनलाल उसका सिर पकड़े हुए था और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रहा था .उसकी सिसकारियाँ कामया के लिए इनाम की तरह थी और वो और ज़ोर ज़ोर से बाबूजी का लंड चूसने लगी . लण्ड चूसने में आजकल वो एक्सपर्ट हो गई थी। केवल दो मिनिट मे ही मदनलाल उबाल मारने लगा उसने बहू को अच्छे से पकड़ा और उसके मुँह मे ज़ोर ज़ोर से शॉट मारने लगा और अंत मे बहू के हलक मे ढेर सारा पुरुष रस भर दिया जिसे कामया ने भी चाव से पी लिया


वहां से उठ कर कामया किचन मे गई पहले एक ग्लास पानी पी और फिर अपने काम मे लग गई . .. .

मदनलाल सोफे मे बैठे बैठे सोचने लगा कि मधु की बात बहू ने हमे क्यों बताई वो छुपा भी सकती थी .कहीं ऐसा तो नही की इनडाइरेक्ट्ली उसने जता दिया क़ि आप भी वो सब कर सकते हैं .थोड़ी देर वो इन सब बातों के बारे सोचता रहा फिर उठ कर किचन मे चल दिया .बहू किचन मे झुकी काम कर रही थी जिससे उसके नायाब तरबूजे पीछे को उभर आए थे और मदनलाल को ओपन चॅलेंज दे रहे थे .लेकिन मदनलाल के लंड मे इस मनोहारी दृश्य को देख कर भी कोई हरकत नही हुई .इस उम्र मे इतने जल्दी दुबारा हरकत करना उसके कोबरा के वश मे नही था .मदनलाल ने पीछे से जाकर कामया को पकड़ लिया और उसके संतरों को मसलने लगा .कामया इठलाते हुए बोली
कामया :-- छोड़िए ना बाबूजी .इतनी देर तक तो दबाए हैं मन नही भरा क्या. .अब दर्द दे रहा है .
मदनलाल :-- बहू इनसे कभी मन नही भर सकता .ये ही तो अब हमारे जीने का कारण हैं .फिर उसने एक हाथ उसके चुतड़ों पर रख दिया और उनको सहलाते हुए बोला दूसरा कारण ये है.
कामया :-- अभी अभी तो आपका काम कर दिया फिर यहाँ क्यूँ आ गये हमे परेशान करने
मदानलाल :-- हम कुछ बात करने आए थे .
कामया :-- क्या बात ?
मदनलाल :-- हम सोच रहे हैं कि मधु ने ठीक ही किया .पहले भी वो शादी से पहले किसी से लगी हुई थी अगर अभी फिर किसी से लग जाती तो बदनामी होने का डर था .अच्छा हुआ उसने अपने ससुर को सिड्यूस कर लिया .
कामया :-- बाबूजी उसने सिड्यूस नही किया बल्कि उसके ससुर ने उसके साथ जबरदस्त की थी .मधु की खूबसूरती और उसका सेक्सी फिगर देख कर वो अपने पर कंट्रोल नही रखा पाए .
मदनलाल :-- बहू कोई भी अपनी बहू के साथ ज़बरदस्ती नही कर सकता जब तक बहू की मौन सहमति ना हो .मधु से हज़ार गुना सेक्सी बदन तो तुम्हारा है तो क्या हम ने तुमसे ज़बरदस्ती किया क्या ?
कामया :-- क्यों करने का इरादा है क्या? हमे तो आपका इरादा सही नही लगता .आप से तो बच कर रहना पड़ेगा कही कोई बदमाशी ना कर दे आप .मदनलाल खुश हुआ यह जानकार की बहू ज़बरदस्ती को भी बदमाशी कह रही है
मदनलाल :- - ये ही तो प्राब्लम है बहू . बदमाशी हम पे आती नही और शरीफताई हमसे जाती नहीं. हम तो तुम्हे तभी पा सकते हैं जब मधु जैसे तुम भी हमसे कहोगी कि हमे आपका ढेर सारा प्यार चाहिए . बोलो बहू लोगी ना हमारा ढेर सारा प्यार . इसी के साथ मदनलाल ने कामया की साड़ी कमर तक उठा दी और उसके नितंबो को मसलने लगा . मदनलाल की बात सुनकर कामया के पूरे बदन मे आग भड़कने लगी .बाबूजी हमसे कह रहे है कि हम उनसे कहे कि हमे प्यार करो . हे राम क्या कोई स्त्री कभी ऐसा अपने मुँह से बोल सकती है. ये तो मर्दों का काम है
मदनलाल :-- बहू बोलो ना बनोगी हमारी मधु .हम भी तुम्हे प्यार के समुंदर मे डुबाना चाहते हैं .
कामया :-- जी मधु के पापा तो अकेले हैं . आप तो मम्मी को समुंदर मे डुबोइए .
मदनलाल ने धीरे से अपने हाथ पेंटी की एलास्टिक के भीतर सरका दिया और बहू की गुदाज़ चूतड़ से खेलने लगा .ससुर के हाथों जादूका बहू को भी चड़ने लगा .अब वो अपना काम छोड़ मर्द के स्पर्स का आनंद लने लगी .उसकी आँखे बोझिल होने लगी .उसने अपना एक हाथ पीछे किया और बाबूजी का लंड पकड़ लिया जो अभी सोया पड़ा था .वो सोए शेर को जगाने लगी .उसने लूँगी के अंदर हाथ डाल दिया और साँप का मुँह पकड़ लिया .मदनलाल जानता था की बूढ़ा साँप अभी फन नही उठयेगा इसलिए उसने कहा .
मदनलाल :-- बहू अभी थका हुआ है .रात मे खेल लेना .तुम्हारा ही खिलोना तो है .
कामया ;-- हम इस बच्चू की थकावट दूर कर देते हैं .आप चिंता मत कीजिए .मदनलाल भी चुप चाप खड़ा हो गया .बकरी खुद हलाल होने को आ रही थी .कामया ने लूँगी से लंड बाहर निकाला और अपने मुँह मे भर लिया .उसे मालूम था की स्टीम बाथ से तुरंत फुर्ती आ जाती है .वो लंड को जीभ से चुभला भी रही थी .दोनो सेक्स मे खोने जा रहे थे कि तभी बाहर गेट खुलने की आवाज़ आई .और दोनो जल्दी से अलग हो गये 




शांति के आने से पहले ही मदनलाल छत पर चला गया .टहलते हुए वो आज की घटनाओ पर विचार करने लगा .आज जो कुछ हुआ था उससे एक बात तो उसे क्लियर हो गई थी की अगर वो बिना पूछे भी बहू को पेल देगा तो कोई परेशानी वाली बात नही है .बहू तो खुद ज़ोर ज़बरदस्ती चोद ने को बदमाशी कह रही थी .इसका मतलब क्लियर था की अगर वो कामया के उपर चढ़ बैठा तो वो उसे केवल हमारी शरारत समझेगी .और चुपचाप मज़ा ले लेगी. जिस प्रकार आज उसने मधु की कहानी बताई थी वो भी काफ़ी कुछ कामया के अंदर की इच्छा को सूचित कर रही थी .सबसे बड़ा चमत्कार तो आज किचेंन मे हुआ था .आज के पहले मदनलाल को कुछ भी करवाने के लिए कामया को मनाना पड़ता था लेकिन आज वो खुद अगग्रेस्सिव थी और अपनी तरफ से initiate कर रही थी .मदनलाल के बिना कहे ही उसने लूँगी मे लंड को पकड़ लिया था .तथा उसके ना कहने पर भी उसने मुस्कराते हुए मदनलाल लण्ड को गप्प से लील लिया .इसका मतलब तो यही था कि बहू भी लण्ड के लिए पागल हो रही है .आख़िर आज तक उसने सुनील के पिद्दी से लण्ड से खेला था मगर आज बाबूजी के अफ़गानी लण्ड से खेल रही थी .भला कौन सी औरत ऐसे मर्दाने लण्ड पर ना मर मिटेगी .फाइनली मदनलाल ने ये समझ लिया कि दिल्ली उसके कब्ज़े मे है बस झंडा गाड़ना ही बचा है.लेकिन मदनलाल इतनी आसानी से झंडा गाड़ने को तैयार नहीं था .उसने भी ठान लिया था कि बहू की पहली चुदाई तो तभी करेगा जब वो खुद अपने मुँह से कहेगी की बाबूजी प्लीज़ चोदिये मुझे .हमे आपका ये मूसल अपने अंदर चाहिए वो भी पूरा का पूरा इसी वक्त .बहू के मुँह से यह सुनने के लिए वो इंतज़ार कर सकता था .उसे कोई चिंता नहीं थी .मर्द के लिए असल मज़ा वीर्य स्खलन ही होता है .जो मदनलाल का रोज हो रहा था .बहू रोज उसका लॅंड चूस कर पानी निकाल देती थी सो कोई दिक्कत नहीं थी .अब काम बचा था कामया को लण्ड के लिए तड़पाना .तड़प तो उसको लग ही चुकी थी जो आज उसने जाहिर कर दिया था .उसे वो दृश्य याद आ रहा था जब बहू ने अपने हाथ से उसका लंड निकाल कर मुँह मे ले लिया था . लोहा गरम होने लगा था .इंतज़ार सिर्फ़ इतना गरम होने का था जब चोट मारी जा सके .अब मदनलाल सोचने लगा कि क्या किया जाए की बहू लण्ड खाने के लिए पागल हो जये.काफी के सोचने के बाद उसने अपना नेक्स्ट कोर्स ऑफ एक्सन तैयार किया . उस रात वो बहू के कमरे मे नही गया .जबकि कामया रात को उसका इंतज़ार कर रही थी .उसने सोचा था कि मधु की स्टोरी के बाद तो बाबूजी को चेन नही पड़ेगा वो तो ये सोची थी कि शायद आज ही उसका उधघाटन बाबूजी कर देंगे इसी इंतज़ार मे वो बैठी रह गई पर मदनलाल नही आया .

दूसरी रात मदनलाल बहू के रूम मे पहुँचा कामया बेड मे बैठी हुई थी .कुछ देर मे ही मदनलाल और कामया के कपड़े उनका साथ छोड़ने लगे .आख़िर मे कामया के जिस्म मे सिर्फ़ एक छोटी सी पेंटी बची थी जबकि मदनलाल आदमजात नंगा था .


दोनो एक दूसरे के बदन से खेलने लगे .आज कामया भी active थी उसने खुद बाबूजी का हथियार पकड़ लिया और हथियार चलाने की प्रॅक्टीस करने लगी .मदनलाल कुछ देर तक बहू के बूब्स चूस्ता रहा फिर अपना लंड उसके मुँह मे गले तक उतार दिया .बहू लपर लपर लंड चूसने लगी .आज कामया कुछ ज़्यादा ही मूड मे थी शायद उसे लग रहा था कि अब किसी भी दिन बाबूजी उसके उपर चढ़ाई कर देंगे .लेकिन मदनलाल कि तो कुछ और प्लॅनिंग थी .वो तो कामया को वासना की इंतहाँ तक तड़पाना चाहता था .सो उसने अपना लंड अचानक उसके मुँह से निकाल लिया .रोज बाबूजी उसे अपने लंड का पानी पिलाते थे सो आज आधे मे ही लण्ड बाहर खींचने से कामया आगे के बारे सोचने लगी .शायद आज बाबूजी अपना पानी हमारी गुड़िया को पिलाएँगे ..ये सोचकर की अब बाबूजी का मूसल उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर जाएगा उसने डर और कामुकता के कारण आँख बंद कर ली और आने वाली घटना का इंतज़ार करने लगी .हर पल उसकी बेचेनी बढ़ती जा रही थी क़ी अब लण्ड घुसेगा अब लंड घुसेगा .लेकिन ये क्या .अचानक बाबूजी ने उसे पलटा कर पट लिटा दिया और खुद उसके उपर लेट गये . बाबूजी का लंड अब उसकी मोटी उभरी हुई गाड के उपर था . बाबूजी ने धीरे धीरे उसकी पीठ पर चूमना चाटना चालू कर दिया .वो पूरी पीठ और गर्दन पर लव बाईट . बनाने लगे .लंड इनका अभी भी चूतड़ की दरार पर फँसा था .बाबूजी की इन हरकतों से कामया के तन बदन मे आग लग गई . उसने कभी सोचा भी नहीं था कि पीठ भी इतना सुख दे सकती है वो तो सिर्फ़ ये ही जानती थी कि स्त्री की जांघे ,बूब्स होंठ आदि ही कामोतेजक होते हैं .पर बाबूजी ने तो आज सुख का एक नया द्वार खोल दिया था .जिससे वो आज तक अंजान थी इधर लंड दबाव बनाता जा रहा था वो सोच रही थी कि कही बाबूजी पहले पड़ोसन को निपटाने चक्कर मे तो नही हैं. मदनलाल काफ़ी देर तक कामया की पीठ और गर्दन पर अपना कमाल दिखाता रहा लेकिन अब उसके लंड का भी धैर्य जवाब देने लगा .जब उसे लगा कि वो कभी भी झढ़ सकता है तो उसने बहू की पेंटी की साइड वाली इलास्टिक हटाई और अपना मूसल चूतड़ की दरार मे घुसा दिया और वहीं घिसने लगा ..नंगी गाण्ड मे लण्ड का एहसास होते ही कामया पानी छोड़ने लगी उसे पक्का यकीन हो गया की बाबूजी आज हमारी पड़ोसन का तिया पाँच करने वाले हैं उसने मारे भय के अपनी मुठियाँ भींच ली और आने वाले भयंकर दर्द के लिए अपने को तैयार करने लगी .मदनलाल कुछ देर तक बहू की गाण्ड मे अपने मूसल को रगड़ता रहा और फिर आख़िर मे उसने ढेर सारी मलाई बहू की गाण्ड मे उडेल दी .पूरी मलाई दरार मे भर गई और धीरे धीरे नीचे चूत की ओर जाने लगी .दस मिनिट तक मदनलाल बहू के उपर ऐसे ही लेटा रहा और फिर अपने कमरे मे चल दिया .दूसरे दिन भी यही कहानी चली कुछ देर अपना लॅंड चूसाने के बाद मदनलाल ने फिर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और कामया के बदन से खेलने लगा .आज कामया चित ही लेटी थी .मदनलाल बारी बारी से उसके दोनो बूब्स पी रहा था और अपने लण्ड को उसकी चूत के उपर रगड़ रहा था .फिर मदनलाल ने बहू की पेंटी खिसकाई और अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने मे रख दिया .चूत के उपर गरम गरम माँस का अहसास होते ही कामया की बुर पानी छोड़ने लगी लगभग पाँच महीने बाद उसकी चूत पर किसी लण्ड ने स्पर्श किया था वो भी इतना भयंकर लण्ड। मदनलाल ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और पूरी चूत मे रगड़ने लगा .कामया का वासना से बुरा हाल था .उसके पूरे बदन मे चिंगारी फूटने लगी . उसने ज़ोर से चादर पकड़ लिया और बिस्तर मे एडीया रगड़ने लगी .एक बार फिर बाबूजी ने सूपाड़ा चूत के मुहाने में फिट कर दिया .कामया ने सोचा अब बाबूजी लंड अंदर कर देंगे लेकिन मदनलाल केवल हल्का दबाव बना रहा था .कामया अब मन ही मन बाबूजी से प्रार्थना करने लगी "" बाबूजी प्लीज़ डाल दीजिए ना अंदर .हम कौन सा आपको रोक रहे हैं . अगर हम मना भी करे ती आपको रुकने की कोई ज़रूरत नही है .औरतों की तो आदत ही होती है हर बात पर ना करने की लेकिन असली मर्द तो अपनी मनमानी करके ही रहते हैं .आप भी कर लो ना अपने मन की .क्यों इतना तडपा रहे हो .आप को सब मालूम है क़ी हम आप से प्यार करते हैं और आपसे चुदना चाहते हैं तो फिर क्यो नही चोद देते अपनी प्यारी बहू को "" .मदनलाल बहू के चेहरे को पढ़ रहा था और उसकी तड़प देख रहा था यही तड़प तो वो चाहता था ताकि कामया उससे लंड की भीख माँगे .जब मदनलाल को लगा की अब कभी भी पानी छूट सकता है तो उसने टोपे को तोड़ा उपर किया और बहू की क्लिट का दही अभिषेक कर दिया .दही धीरे -२ पूरे चूत मे फैल गई और मदनलाल भी उठ के चल दिया .अब मदनलाल रोज यही करने लगा लंड तो वो चुसाता मगर माल उसकी पेंटी के अंदर वाले हिस्से मे ही गिराता मानो जतला रहा हो की अब इसका नंबर है . कामया की पेंटी अब एरिया ऑफ बेटल बन गई थी. ससुर चाहता था कि बहू चोदने के लिए बोले और बहू चाहती थी कि बाबूजी बोले कि हमे तुम्हारी चाहिए .मदनलाल को अपने फौलादी लंड पर भरोसा था तो कामया को भी अपनी खूबसूरती और अपने कातिल हुस्न पूरा भरोसा था .उसे पूर्ण विश्वास था कि उसकी जवानी के सामने बूढ़े बाबूजी ज़्यादा दिन तक टिक नही पाएँगे .एक और बात थी कि अपने मुँह से चुदने के लिए तो उसने आज तक सुनील से भी नही बोला था . अगले कुछ दिन यही चलता रहा .दोनो खिलाड़ी एक दूसरे के सामने झुकने को तैयार नही थे किंतु कामया नादान नही जानती थी कि ससुर का तो काम चल रहा है नुकसान तो उसका हो रहा है .इसी तारतम्य मे एक दिन तीनो सुबह बैठे थे
कामया बार बार कामुक नज़रो से बाबूजी को देख रही थी दरअसल वो पिछले चार दिनो से महीने से थी इस लिए बाबूजी उसके पास नही जा रहे थे .लेकिन जब आज वो प्यासी नज़ारो से बाबूजी को देखने लगी तो मदनलाल समझ गया की ग्रीन लाइट हो गई है .वो भी चार दिनो से मलाई स्टोर कर रहा था .हालाकी मदनलाल एक नंबर का चोदु था वो चुदाई के मामले मे औरत का धर्म जात रंग आकर कुछ नही देखता था . उसका सीधा नियम था "" चिलम चूना और चूत ,इनमे नही है छूत ."" जब भी चोदने का मौका मिलता वो दस काम छोड़ कर पहले चुदाई करता उसकी सिंपल थियोरी थी ""साँप और चूत जहाँ दिखे तुरंत मारो "" लेकिन इन सबके बावजूद वो थोड़ा धार्मिक किस्म का भी था इसलिए महीने के समय औरत को अपवित्र मानता था और उन्हे नही छूता था .सो ग्रीन लाइट मिलते ही वो खुश हो गया क़ी आज तो लंड का दर्द दूर हो जाएगा .दोनो ससुर बहू रात के ख्याल मे डूबे थे क़ी दरवाजे की घंटी बजी देखा तो कामया की सहेली रीमा अपने जेठ के साथ द्वार पर खड़ी थी. आपस मे अभिवादन के बाद रीमा ने बताया कि उसका बेंक क्लर्क का एग्ज़ाम यहाँ पड़ा है सो कामया की मम्मी ने कहा कि कामया के घर मे ही रुकना होटेल मे जाने की कोई ज़रूरत नही है .बस आज रात रुकना है कल पेपर देके शाम को ही चली जाएगी . रीमा कामया के माएके मे पड़ोस की बहू थी .वो कामया से करीब पाँच छः साल बड़ी थी .उसकी शादी कामया से दो साल पहले हो गई थी मोहल्ले मे आने के बाद रीमा और कामया की दोस्ती हो गई थी .उसी ने कामया को शादी के बाद होने वाली घटना के लिए ट्रेंड किया था .उसका पति एक MNC मे पूना मे नौकरी करता था किंतु किन्ही परिस्थतियों के कारण वो साथ नही जा पा रही थी .रीमा भी एक बेहद खूबसूरत औरत थी वो थोड़ा बस्टी फिगर की थी जिसके बूब्स औसत से कुछ ज़्यादा ही बड़े थे . 

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