FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम विक्रम है और मैं कॉलेज में पढता हु ,मैं शुरू से सेक्स का शौकिन रहा हूँ।मैंने आज तक बहुत सी देसी लड़की और देसी आंटी के साथ मजे लिए हैं और उनकी गीली चूत को अपने मुसल लंड से चोदा है।मेरे साथ हुई एक घटना आपको बताने जा रहा हूँ, घटना के सभी लोगों के नाम बदल कर आपके सामने रख रहा हूँ।मेरी उम्र 25 साल थी,ये उस टाइम की बात है जब मेरी शादी नहीं हुई थी ।एक दोस्त के माध्यम से एक मुस्लिम परिवार में
आना जाना था उनके परिवार में चार लोग थे । पति जावेद जिसको मैंने कभी घर पर नहीं देखा और न ही कभी उसकी शक्ल देखा था वो ड्राईवर था जो अक्सर घर से बाहर ही रहता था । पत्नी जमीला, कसा हुआ बदन पर रंग थोड़ा सांवला था,फिगर 32-27-37 ,उसकी उम्र उस समय 35-36 होगी ।उसकी दो लड़कियां थी, बड़ी लड़की शकीला की उमर 22 साल ,रंग साफ़ 31-27-35 का फिगर दिखने में साधारण और छोटी सलमा 18 साल की थी ।मैं एक बार उनके घर गया तो जमीला ने कहा कि घर पैसों की कमी रहती है इसलिए शकीला को कहीं नौकरी मिल जाए तो ठीक रहेगा। मैंने कहा मेरे पापा के ऑफिस में नौकरी करेगी ,तो मैं बात करूँगा , तैयार हो गई ,मैंने पापा से बात किया और पापा ने शकीला को नौकरी दे दिया।
मैं उस टाइम तक उसके बारे में नहीं सोचता था की इसकी चूत कभी चोदने को मिले ।करीब एक महीने तक उसने हमारे यहाँ नौकरी किया उसके बाद 3-4 दिन वो आई नहीं, हमलोगों ने ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैं रास्ते से जा रहा था तो मुझे शकीला अपने घर की तरफ जाती हुई मिली। मैंने अपनी गाड़ी उसकी तरफ़ ले जाकर रोका और उससे पूछा कि तुम ऑफिस नहीं आ रही हो क्या बात है?तो उसने बताया कि उसे बुखार हो गया था और अभी अगर आप मुझे अगर घर तक छोड़ देंगे तो अच्छा रहेगा ।मैंने शकीला को अपनी गाड़ी पर बिठा लिया, इससे पहले मैंने कभी उसे अपनी गाड़ी पर नहीं बैठाया था।वो दोनों तरफ पैर करके बैठ गई,उसके बैठते ही उसके चुंचे मेरी पीठ पर गड़ने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा।उसका घर दूर था हम बात करते हुए चल रहे थे, उससे पूछा कि सिनेमा देखना है रास्ते में ही सिनेमा हॉल था ?उसने कहा ठीक है।मैंने सोचा क्यों न अपने लंड को ठंडा कर लिया जाए जो उसके चुंचे के पीठ में गड़ने से खड़ा हो गया था।
सिनेमा हॉल में मुश्किल से 25-30 लोग भी नहीं थे। हमने कोने में जाकर सीट पर बैठ गए। सिनेमा चल रहा था कि तभी मैंने धीरे से शकीला का हाथ पकड़ लिया उसने मुझे नहीं रोका और कुछ बोली भी नहीं। मैंने ग्रीनलाइट समझ कर धीरे से शकीला के चुन्चो पर अपना हाथ रख दिया उसने उस पर भी कोई जबाब नहीं दिया ,चुपचाप बैठी रही और पिक्चर देखती रही मेरी हिम्मत बढ़ गई| इधर मेरे पैंट में मेरा लंड कड़क हो कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।मेरा धीरे -धीरे शकीला के चुंचे दबान शकीला को भी अच्छा लग रहा था। धीरे से मैंने उसके कुरते के अन्दर अपने हाथ ले जाकर उसकी ब्रा के ऊपर और अन्दर से उसके निप्पल और चुंचे सहला कर मज़ा लेने लगा लेकिन अभी भी मजा अधूरा था।
मैंने शकीला की सलवार में धीरे से हाथ घुसा दिया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही हाथ से मसलने लगा।वो शायद पहल करने में अभी भी शरमा रही थी पर अब उसको भी मजा आने लगा था मैंने अपने तगड़े हो चुके लंड को अपनी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया और मैंने अपने लंड पर शकीला का हाथ पकड़ कर रख दिया, वो इसी के इंतजार में बैठी थी।इधर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसा कर उसकी गीली चूत में उंगली डाल कर चोदने लगा। मैं कभी उसके चुंचे दबा रहा था और कभी उसकी चूत में उंगली कर रहा था ।वो भी मेरे लंड पर अपने कोमल हाथ डाल कर सहला रही थी। मुझे बिल्कुल भी अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे मैंने कभी इस नज़र से देखा ही नहीं था उस लड़की का सब कुछ ऐसे ही अचानक मुझे मिल जाएगा।शकीला का एक हाथ मेरे लंड को कायदे से सहलाये जा रहा था और जिस हाथ से मैं उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था उसको पकड़ कर जोर-जोर से अपना चूत चोदने लगी ।
शकीला ने अपने रुमाल से अपनी चूत को पोंछ लिया जो थोडी देर में ही पानी छोड़ चुकी थी। मैंने उसे मेरे खड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने के लिए बोला पर उसने नहीं लिया,थोड़ी देर समझाने के बाद वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ।कुछ देर लंड चूसने के बाद वो मेरी तरफ़ मुड़ गई मेरे मुंह में अपने चुंचे का निप्पल लगा दिया ।मैं उसके चुंचे को मुंह में लेकर चूसने लगा, इधर वो मेरे लंड को जोर से मसल रही थी,उपर -नीचे कर रही थी जिससे की मेरे लंड से वीर्य निकल जाए लेकिन मेरे लंड से पानी नहीं निकल रहा था।फिर मैंने उसकी सलवार का की नीचे सडका कर उतार दिया और पैंटी नीचे खिसका कर उसे भी बाहर निकाल दिया और उसे अपने खड़े लंड के उपर इस तरह से बैठाया कि मेरा लंड उसकी चूत में घुस जाए। मैंने उसे अपने उपर इस तरह बैठा कर नीचे से धक्का देना शुरू कर दिया,मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था, वो भी उछल-उछल कर मेरे लंड से चुदने का मजा लेने लगी और मैं अपने दोनों हाथों से उसके चुन्चो को मसल रहा था और जीभ से उसके गर्दन को चाट रहा था।
करीब तीन-चार मिनट तक उछल-उछल कर चुदाने के बाद उसने अपनी भरी गांड मेरे लंड को दबा दिया और मेरी जाँघों को जोर से अपने हाथ से पकड़ लिया। मुझे लगा की अब इसकी चूत से पानी निकलने वाला है,मैं भी शकीला की चूत में जड़ तक लंड पेलते हुए अपने लंड से वीर्य छोड़ दिया।दोनों पानी निकलने के कुछ देर बाद तक वो मेरी गोद में ही बैठी रही ।उसके बाद हमने अपने लंड और चूत को अपने-अपने रूमाल से साफ़ किया और अच्छे से बैठ गए।सिनेमा खत्म होने से कुछ देर पहले ही हमलोग बाहर निकल गए ।शकीला बोली-घर पर मेरा इंतज़ार हो रहा होगा काफी लेट हो गया है अब आप मुझे घर छोड़ दो फिर मैं उसको ले कर उसके घर की तरफ चल पड़ा,रास्ते में वो बोली कि घर पर मत बताना कि हम सिनेमा देखने गए थे।मैंने कहा ठीक है क्योंकि मुझे आगे भी उसका चूत चोदना था
शकीला के साथ मस्ती
मेरा नाम विक्रम है और मैं कॉलेज में पढता हु ,मैं शुरू से सेक्स का शौकिन रहा हूँ।मैंने आज तक बहुत सी देसी लड़की और देसी आंटी के साथ मजे लिए हैं और उनकी गीली चूत को अपने मुसल लंड से चोदा है।मेरे साथ हुई एक घटना आपको बताने जा रहा हूँ, घटना के सभी लोगों के नाम बदल कर आपके सामने रख रहा हूँ।मेरी उम्र 25 साल थी,ये उस टाइम की बात है जब मेरी शादी नहीं हुई थी ।एक दोस्त के माध्यम से एक मुस्लिम परिवार में
आना जाना था उनके परिवार में चार लोग थे । पति जावेद जिसको मैंने कभी घर पर नहीं देखा और न ही कभी उसकी शक्ल देखा था वो ड्राईवर था जो अक्सर घर से बाहर ही रहता था । पत्नी जमीला, कसा हुआ बदन पर रंग थोड़ा सांवला था,फिगर 32-27-37 ,उसकी उम्र उस समय 35-36 होगी ।उसकी दो लड़कियां थी, बड़ी लड़की शकीला की उमर 22 साल ,रंग साफ़ 31-27-35 का फिगर दिखने में साधारण और छोटी सलमा 18 साल की थी ।मैं एक बार उनके घर गया तो जमीला ने कहा कि घर पैसों की कमी रहती है इसलिए शकीला को कहीं नौकरी मिल जाए तो ठीक रहेगा। मैंने कहा मेरे पापा के ऑफिस में नौकरी करेगी ,तो मैं बात करूँगा , तैयार हो गई ,मैंने पापा से बात किया और पापा ने शकीला को नौकरी दे दिया।
मैं उस टाइम तक उसके बारे में नहीं सोचता था की इसकी चूत कभी चोदने को मिले ।करीब एक महीने तक उसने हमारे यहाँ नौकरी किया उसके बाद 3-4 दिन वो आई नहीं, हमलोगों ने ध्यान नहीं दिया, एक दिन मैं रास्ते से जा रहा था तो मुझे शकीला अपने घर की तरफ जाती हुई मिली। मैंने अपनी गाड़ी उसकी तरफ़ ले जाकर रोका और उससे पूछा कि तुम ऑफिस नहीं आ रही हो क्या बात है?तो उसने बताया कि उसे बुखार हो गया था और अभी अगर आप मुझे अगर घर तक छोड़ देंगे तो अच्छा रहेगा ।मैंने शकीला को अपनी गाड़ी पर बिठा लिया, इससे पहले मैंने कभी उसे अपनी गाड़ी पर नहीं बैठाया था।वो दोनों तरफ पैर करके बैठ गई,उसके बैठते ही उसके चुंचे मेरी पीठ पर गड़ने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा।उसका घर दूर था हम बात करते हुए चल रहे थे, उससे पूछा कि सिनेमा देखना है रास्ते में ही सिनेमा हॉल था ?उसने कहा ठीक है।मैंने सोचा क्यों न अपने लंड को ठंडा कर लिया जाए जो उसके चुंचे के पीठ में गड़ने से खड़ा हो गया था।
सिनेमा हॉल में मुश्किल से 25-30 लोग भी नहीं थे। हमने कोने में जाकर सीट पर बैठ गए। सिनेमा चल रहा था कि तभी मैंने धीरे से शकीला का हाथ पकड़ लिया उसने मुझे नहीं रोका और कुछ बोली भी नहीं। मैंने ग्रीनलाइट समझ कर धीरे से शकीला के चुन्चो पर अपना हाथ रख दिया उसने उस पर भी कोई जबाब नहीं दिया ,चुपचाप बैठी रही और पिक्चर देखती रही मेरी हिम्मत बढ़ गई| इधर मेरे पैंट में मेरा लंड कड़क हो कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था।मेरा धीरे -धीरे शकीला के चुंचे दबान शकीला को भी अच्छा लग रहा था। धीरे से मैंने उसके कुरते के अन्दर अपने हाथ ले जाकर उसकी ब्रा के ऊपर और अन्दर से उसके निप्पल और चुंचे सहला कर मज़ा लेने लगा लेकिन अभी भी मजा अधूरा था।
मैंने शकीला की सलवार में धीरे से हाथ घुसा दिया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही हाथ से मसलने लगा।वो शायद पहल करने में अभी भी शरमा रही थी पर अब उसको भी मजा आने लगा था मैंने अपने तगड़े हो चुके लंड को अपनी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाल लिया और मैंने अपने लंड पर शकीला का हाथ पकड़ कर रख दिया, वो इसी के इंतजार में बैठी थी।इधर मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसा कर उसकी गीली चूत में उंगली डाल कर चोदने लगा। मैं कभी उसके चुंचे दबा रहा था और कभी उसकी चूत में उंगली कर रहा था ।वो भी मेरे लंड पर अपने कोमल हाथ डाल कर सहला रही थी। मुझे बिल्कुल भी अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि जिसे मैंने कभी इस नज़र से देखा ही नहीं था उस लड़की का सब कुछ ऐसे ही अचानक मुझे मिल जाएगा।शकीला का एक हाथ मेरे लंड को कायदे से सहलाये जा रहा था और जिस हाथ से मैं उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था उसको पकड़ कर जोर-जोर से अपना चूत चोदने लगी ।
शकीला ने अपने रुमाल से अपनी चूत को पोंछ लिया जो थोडी देर में ही पानी छोड़ चुकी थी। मैंने उसे मेरे खड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने के लिए बोला पर उसने नहीं लिया,थोड़ी देर समझाने के बाद वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ।कुछ देर लंड चूसने के बाद वो मेरी तरफ़ मुड़ गई मेरे मुंह में अपने चुंचे का निप्पल लगा दिया ।मैं उसके चुंचे को मुंह में लेकर चूसने लगा, इधर वो मेरे लंड को जोर से मसल रही थी,उपर -नीचे कर रही थी जिससे की मेरे लंड से वीर्य निकल जाए लेकिन मेरे लंड से पानी नहीं निकल रहा था।फिर मैंने उसकी सलवार का की नीचे सडका कर उतार दिया और पैंटी नीचे खिसका कर उसे भी बाहर निकाल दिया और उसे अपने खड़े लंड के उपर इस तरह से बैठाया कि मेरा लंड उसकी चूत में घुस जाए। मैंने उसे अपने उपर इस तरह बैठा कर नीचे से धक्का देना शुरू कर दिया,मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था, वो भी उछल-उछल कर मेरे लंड से चुदने का मजा लेने लगी और मैं अपने दोनों हाथों से उसके चुन्चो को मसल रहा था और जीभ से उसके गर्दन को चाट रहा था।
करीब तीन-चार मिनट तक उछल-उछल कर चुदाने के बाद उसने अपनी भरी गांड मेरे लंड को दबा दिया और मेरी जाँघों को जोर से अपने हाथ से पकड़ लिया। मुझे लगा की अब इसकी चूत से पानी निकलने वाला है,मैं भी शकीला की चूत में जड़ तक लंड पेलते हुए अपने लंड से वीर्य छोड़ दिया।दोनों पानी निकलने के कुछ देर बाद तक वो मेरी गोद में ही बैठी रही ।उसके बाद हमने अपने लंड और चूत को अपने-अपने रूमाल से साफ़ किया और अच्छे से बैठ गए।सिनेमा खत्म होने से कुछ देर पहले ही हमलोग बाहर निकल गए ।शकीला बोली-घर पर मेरा इंतज़ार हो रहा होगा काफी लेट हो गया है अब आप मुझे घर छोड़ दो फिर मैं उसको ले कर उसके घर की तरफ चल पड़ा,रास्ते में वो बोली कि घर पर मत बताना कि हम सिनेमा देखने गए थे।मैंने कहा ठीक है क्योंकि मुझे आगे भी उसका चूत चोदना था
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