Monday, August 17, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक परिवार ऐसा भी --4

FUN-MAZA-MASTI

 एक परिवार ऐसा भी --4  
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक परिवार ऐसा भी 
का चौथा  भाग लेकर हाजिर हूँ 
विजय धीरे से सुनीता के पास आया और उसे बिस्तर के पास झुका कर
घोड़ी बना दिया. फिर उसके गाउन को उपर करते हुए उसके उभरे हुए
चूतड़ पर थप्पड़ मारने लगा.

"चुदाई का पहला राउन्ड थोड़ा जल्दी करना है," ये कह कर उसने अपना खड़ा
लंड उसकी गीली चूत के मुँह पर रख दिया.

सुनीता थोड़ा पीछे को हुई तो विजय का लंड बड़े आराम से उसकी
चूत के अंदर घुस गया. सुनीता को शादी के बाद पहली बार ऐसा
लगा कि कोई लंड उसकी चूत के दीवारों को चीरते हुए अंदर घुस
रहा है. उसे हल्का दर्द भी हो रहा था पर उसे मज़ा भी बहुत आ
रहा था.

विजय एक अनुभवी चोदु की तरह अपनी बेहन के चुतताड पकड़ धीमे
धीमे धक्को से उसे चोद रहा था.

सुनीता के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लग रही थी. यही वो पल था
जिसकी उसे चाहत थी. राज तो एक अनाड़ी और जानवर की तरह उसे चोद
झाड़ कर अलग हो जाता था. उसकी यही इच्छा थी की कोई उसे इतने
प्यार से चोदे, और विजय वही कर रहा था. हर धक्के में विजय
का लंड उसकी चूत की और गहराई तक चला जाता. उसके अंडकोष जब
उसकी चूत की दरारों से टकराते तो सुनीता के मुँह से एक मादक
सिसकारी निकल पड़ती, `ओह आआआहह हाां."

सुनीता सोच रही थी कि उसने बेकार ही अपना समय राज के पीछे
बर्बाद किया. जब इसी घर की छत के नीचे इतना प्यारा लंड था तो
उसने विजय को पहले क्यों नही बहकाया. विजय ठीक उसके पति की तरह
था जिसके पास एक बड़ा और लंबा लंड था जिसे इस्तेमाल करना उसे
बखूबी आता था.

सुनीता ने अपना एक हाथ अपनी टाँगो के बीच अपनी चूत के नीचे इस
तरह रखा की जब भी विजय धक्का मारता तो उसके अंडकोष उसकी
उंगलियों से टकराते. विजय अब गहरी साँसे लेते हुए तेज़ी से धक्के
मार रहा था.

जोरों से चोदते हुए विजय अपने लंड को सुनीता की चूत के अंदर
बाहर होते देख रहा था. धक्के मारते हुए उसने सुनीता की चुतताड
को थोड़ा फैलाया और अपनी बेहन की गंद के भूरे छेद को देखने
लगा.

सुनीता की चूत मे बढ़ती गर्मी को उसने महसूस किया और उसे अच्छा
लग रहा था. शायद उसका छोटा भाई राज सुनीता को वो नही दे पाया
था जिसकी इसे ज़रूरत थी वो खुश था कि राज की जगह वो सुनीता
की चूत को वो सब कुछ दे रहा था.

विजय अपने साथी अफ्फ्सरों के साथ सहर के बाहर एक सेमिनार अटेंड
करने गया हुआ था, जहाँ उसने मौका निकाल कर अपनी मा की पुरानी
दोस्त और पड़ोसी से मिलने का समय निकाला. ये पड़ोसी जिसे वो आंटी
बुलाता था, इसी आंटी ने कई साल पहले उसका परिचय सेक्स से करवाया
था. इसी आंटी ने उसे सिखाया था की चुदाई मे किस तरह औरतों को
खुश किया जाता है और सही मायने मे चुदाई क्या होती है.

एक दिन वो जब उसके घर गया था तो उसने खुशी खुशी बाथरूम के
दीवार से सटकार उसके 8'इंची लंड को अपनी चूत मे ले लिया था, और
उसके पति और बच्चे हॉल मे बैठे टीवी देखते रहे. ठीक उसी तरह
आज भी दोपहर को उसने होटेल के बाथरूम मे आंटी को इसी तरह
चोदा था.

तीन दिन के इस सेमिनार मे उसने आंटी के परिवार के साथ होटेल मे
खाना भी खाया और यहाँ तक उसी के बेडरूम के बिस्तर पर उसकी
चुदाई भी की. फिर ठीक पुराने दिनो की तरह उसे बाथरूम मे घोड़ी
बनाकर चोदा. एक दिन तो शाम की चाय के वक़्त उसके घर चला गया
हॉल के सोफे पर बैठ उससे अपना लंड चुस्वाया.

तीन दीनो के उस चुदाई मेले ने उसे काफ़ी थका दिया था. पर जब उसने
राज को सुनीता को चोदते देखा तो उसे लगा कि उसके लंड की गोलियाँ
मे फिर से उबाल आ गया है और उसकी भी इच्छा हुई की वो अपनी बेहन
की चूत को अपने वीर्य से भर दे.

अब वो सुनीता की चूत को कस कस कर चोद रहा था. थोड़ी ही देर मे
उसने एक गहरी साँस ली और उसके चुत्डो को जोरो से से भींचते हुए
अपना लंड उसकी चूत मे गहराई तक पेल दिया और अपना पानी उसकी चूत
मे छोड़ दिया.

सुनीता ने अपना चेहरा बिस्तर मे दबा लिया और  विजय के लंड का
मज़्ज़ा ले रही थी. जब विजय ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला
तो वो बिस्तर पर लुढ़क गयी.

सुनीता की टाँगे हर बार की तरह कांप रही थी. जब भी उसकी चूत
पानी छोड़ती थी तो उसका शरीर जोरो से कांपता था. आज वो विजय के
लंड से दो बार झंडी थी. उसका दिल खुशी के मारे जोरों से धड़क
रहा था. आज वो दो बार झड़ी थी. कई दिनो बाद उसकी चूत की
प्यास बुझी थी.

विजय ने बाथरूम की कुण्डी खोल दी और राज को बाहर कमरे मे आने को
कहा जहाँ उसकी बेहन बिस्तर पर चुदवा कर निढाल पड़ी हुई थी. अब
भी उसकी चूत से विजय का वीर्य टपक रहा था.

विजय ने राज के पयज़ामे मे उसके खड़े लंड को देखा और कहा, "अपने
कपड़े उतारो और सुनीता के बगल मे लेट जाओ."

सुनीता अपने दोनो भाई विजय और राज को देखने लगी. राज नंगा
होकर उसके बगल मे आकर पीठ के बल लेट गया था.

विजय ने सुनीता को राज के उपर लेट जाने को कहा. सुनीता ने वैसे
ही किया. जैसे ही सुनीता उपर आई राज ने उसके झूलते मम्मो को
पकड़ लिया और अपनी बेहन के दूध से भरी निपल को चूसने लगा.

सुनीता थोड़ा उपर को हुई और राज के लंड को पकड़ कर अपनी चूत से
लगा लिया, फिर नीचे होते हुए उसके पूरे लंड को अपनी चूत मे ले
लिया.

विजय सुनीता को थोड़ी देर तक देखता रहा जो राज के लंड पर उपर
नीचे होते हुए चोद रही थी��कितना अच्छा नज़ारा था उसके भाई
बेहन आपस मे चुदाई कर रहे थे��.कितना मज़ा आ रहा था.

विजय बिस्तर पर सामने की तरफ आया और अपने फिर से खड़े लंड को
सुनीता के होठों पर रगड़ने लगा.

सुनीता ने नज़रें उठा कर विजय की ओर देखा, "अपना मुँह खोलो
जानू�..और मेरे लंड को बड़े प्यार से चूसो." विजय ने कहा.

ये सब देख राज ने नीचे से धक्के लगाने बंद कर दिया. उसने देखा
कि किस तरह सुनीता ने अपना मुँह खोला और विजय के लंड को अंदर
ले किसी लोलीपोप की तरह चूसने लगी.

राज हैरत भरी नज़रों से सुनीता को देख रहा था जो अपना पूरा
मुँह खोले विजय के पूरे लंड को अपने गले तक लेकर चूस रही थी.

सुनीता बड़े प्यार से विजय के लंड को चूस रही थी साथ ही उसकी
गोलियाँ को भी मसल रही थी, पर उसने राज के लंड को भी
नज़रअंदाज़ नही किया था, वो उसके लंड को पूरा अपने चूत मे लेकर
अपनी चूत घिस रही थी.

ये सब राज की नज़रों से कुछ इंच की दूरी पर हो रहा था. वो देख
रहा था कि किस तरह उनकी बेहन अपने भाई के लंड को बड़ी मस्ती से
चूस रही थी, किस तरह उसके लंड को मसालते हुए अपना मुँह आगे
पीछे कर चूस रही थी.

राज ने अपनी बेहन के दोनो चुतडो को पकड़ा और एक बार फिर तेज़ी
से अपने कूल्हे उछाल अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने
लगा.

विजय सुनीता को बड़े प्यार भरी नज़रों से देख रहा था जो प्यार
से उसके लंड को चूस रही थी, पर उसके दिमाग़ मे तो कुछ और था.

उसने थूक से भरे अपने लंड को सुनीता के मुँह से बाहर निकाला और
राज और सुनीता के पीछे की ओर आ गया. राज का लंड बड़ी तेज़ी से
उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था, सुनीता भी उछाल उछाल कर
धक्के लगा रही थी.

सुनीता ने देखा की विजय उसके बिस्तर पर उसके पीछे आ गया था
और उसकी गंद पर झुक गया��.वो समझ गयी कि विजय क्या चाहता
है, एक अजीब नशा उसके बदन मे दौड़ गया. ये सोच कर ही उसकी
चूत ने पानी छोड़ दिया और वहाँ विजय ने अपनी एक उंगली उसकी गंद
के छेद मे डाल दी.

विजय ने सुनीता की मदभरी आँखों की ओर देखा जैसे उससे कुछ
पूछ रहा हो. अपनी उंगली उसकी गंद मे डाल कर वो समझ गया था कि
सुनीता का पति इस छेद का भी मज़ा ले चुका है पर वो सुनीता की
सहमति चाहता था कि क्या वो तय्यार है दो लंड को एक साथ लेने के
लिए.

उसकी आंटी ने उसे समझाया था कि हमेशा गान्ड मारने से पहले वो
सामने वाले की रज़ामंदी ले ले कारण उसके मूसल लंड ने उस जैसी चुदी
चुदाई औरत को भी तकलीफ़ दी थी.

सुनीता ने कभी दो मर्दों से एक साथ नही चुदवाया था. उसने सुना
ज़रूर था कि दो लंड से चुदवाने मे काफ़ी मज़ा आता है, उसकी
सहेलिया बताया करती थी पर क्या आज वो दो लंड लेने के लिए तय्यार
है.

उसने ये मज़ा भी ले लेने की ठान ली और विजय को अपनी सहमति दे दी
पर फुसफुसते हुए कहा कि वो आराम से करे.

राज ने अपनी साँसे रोक ली और विजय को सुनीता की गंद के पीछे
देखने लगा.

विजय थोड़ा हिचकिचा रहा था, थोड़ी ही देर मे क्या कुछ हो गया
था, उसने पहले सुनीता की चुदाई की थी, फिर लंड चूस्वाया था
और अब वो उसकी गंद मारने जा रहा था. जैसे ही उसने अपना लंड
सुनीता की गान्ड  के छेद पर रखा उसे अपनी दूसरी बेहन शीला का
ख़याल आया.

क्या वो शीला को पा सकेगा, जिस तरह वो सुनीता को चोद रहा है
उस तरह शीला को भी चोद पाएगा. क्या राज भी.

विजय  धीरे और आराम से अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसाने लगा.
उसने उसके चुतताड कस कर पकड़ रखे थे. उसकी आंटी ने उसे
सिखाया था जब भी वो किसी की गान्ड मारे तो बड़े आराम से और प्यार
से मारे.

विजय ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और ढेर सारा थूक सुनीता
की गान्ड पर थूक दिया फिर अपने लंड को अंदर घुसाने लगा. आख़िर
उसका लंड उसकी गंद मे घुस गया.

सुनीता तो मज़े के नशे मे चूर था. उसने तो कभी सोचा भी नही
था कि वो इस तरह का मज़ा कभी ले पाएगी. उसके एक भाई का लंड
उसकी गंद मे घुसा हुआ था और दूसरा भाई नीचे से धक्के मार उसकी
चूत को चोद रहा था.

उसने महसूस किया की अब दोनो भाई अपने अपने छेद मे धक्के मार रहे
है. थोड़ी देर मे दोनो धक्के से धक्के मिला उसे चोद रहे थे.
विजय लंड बाहर खींचता तो राज का लंड उसकी चूत के गहराई तक
चला जाता और राज लंड बाहर की ओर खींचता तो विजय का लंड उसकी
गंद मे.

वो भी उछाल उछाल कर दोनो लंड का मज़ा ले रही थी. उसके मुँह से     
सिसकारिया फूट रही थी, "ओह हाँ चोदो मुझे ऑश ऊवू ज़ोर
से और जूऊर से."

सुनीता की सिसकारियाँ सुन कर तो जैसे दोनो भाई पागल हो गये और ज़ोर
ज़ोर से उसकी चूत और गंद मारने लगे. पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ो
और तीनो की सिसकारियों से गूँज रहा था.

तभी सुनीता के मन मे एक ख़याल आया. उसके दोनो छेद तो दो लंड से
भरे हुए थे, पर उसका मुँह खाली था, काश इस वक़्त उसका पति
यहाँ होता और अपना लंड मेरे मुँह मे देता तो कितना मज़ा आता.

और अगर उसके पति की जगह ये लंड उसके पिताजी का होता तो
..ओह क्या नज़ारा होता परिवारिक चुदाई का. दो भाई और बाप
मिलकर मुझे चोदते. सुनीता तो ख़याल से ही पागल सी हो गयी.

थोड़ी देर मे दोनो भाइयों ने अपनी जगह बदल ली. दोनो भाई उसकी
चूत और गंद को वीर्य से भरने लगे और उसकी चूत पानी पर पानी
छोड़ रही थी.

सुनीता चुदाई के नशे मे इतना खो गयी थी उसकी चुदाई इच्छा और
बढ़ गयी. पिताजी के लंड की वो कल्पना करने लगी.

राज ने सबसे पहले पहल की. अब वो अपने आप को रोक नही पा रहा
था, उसने सुनीता की चुचियों को ज़ोर से पकड़ते हुए मसला और तीन
धक्के उपर की ओर मारते हुए अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

सुनीता राज की छाती पर लुढ़क गयी, और सिसकने लगी. उसकी चूत
ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया था वहीं विजय अपने धक्कों की रफ़्तार
को तेज करते हुए अपना लंड उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा था
और आख़िर मे उसने भी अपना वीर्य उसकी गंद मे उंड़ेल दिया.

तीनो बिस्तर पर पसीने से लथपथ लुढ़क गये. तीनो की खुशी का
ठिकाना नही था इस सामूहिक चुदाई के बाद


क्रमशः ..............................
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