Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--15

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--15


 दूसरे दिन सुबह से ही कामया ने साड़ी पहनी हुई थी .मदनलाल को तड़पाने के लिए उसने साड़ी को बहुत ही कामुक ढंग से बाँधा था .साड़ी उसकी नाभि से करीब चार इंच नीचे बँधी हुई थीजिसमे से उसका गोरा नाज़ुक सा पेट बहुत ही उत्तेजक तरीके से दिख रहा था .ब्लाउस भी डीप कट था जिससे उसके उरोज़ आधे झलक रहे थे .ब्लाउस से झाँकती घाटियों को देख देख कर मदनलाल बौराया जा रहा था साड़ी का कपड़ा भी सिल्क का था जो उसके शरीर मे एक दम चिपक गया था जिस कारण उसके नितंब अपने पूरे शेप मे दिख रहे थे और मदनलाल की नज़र बार बार नितंबों पर जाकर ठहर जाती जो बहू भी नोट कर रही थी . .खुद कामया के चेहरे पर बहुत ही लाज और हया की झलक थी .हो भी क्यों ना कल ही तो उसकी माँग भरी गई थी और .माँग भरने वाले ने तो अभी माँग भराई भी नही वसूला था .घर के काम करते करते जब भी कामया की नज़र मदनलाल से टकरा जाती वो शरम के मारे सिर नीचे कर लेती .आज वो मदनलाल से बहुत शर्मा रही थी रात को मदनलाल को उसके साथ सुहाग रात जो मनानी थी .मदनलाल भी अब थोड़ा और बेशरम बन रहा था .जब भी कामया की नज़र उससे मिलती वो तुरंत लूँगी के उपर से कामया को दिखाकर अपने मूसल को सहलाने लगता बेचारी कामया लाज से गढ़ जाती .फिर कामया सब के लिए चाय ले कर आई .सब बैठ कर चाय पीने लगे .बहू को बहुत दिन बाद साड़ी मे देखकर शांति बोली



शांति :: क्या बात है बहू बहुत दिन बाद साड़ी पहनी हो .
कामया :: जी मांजी ऐसे ही बहुत दिनो से पहने नही थे तो आज मन कर गया .
शांति :: अच्छा किया .आजकल तो बहुएँ साड़ी पहनती ही नही हैं और हाँ एक बात और तुम साड़ी मे बहुत सुंदर दिखती हो ..क्यों सुनील के पापा मैं ग़लत बोल रही हूँ क्या
मदनलाल :: तुम बिल्कुल सही कह रही हो . वैसे तो हमारी बहू मॉडर्न कपड़ों मे भी सुंदर दिखती है लेकिन साड़ी की तो बात ही क्या? .सच बहू तुम इस साड़ी बहुत ही सुंदर लग रही हो .कहते कहते मदनलाल ने फिर अपना मूसल मसल दिया और बहू के मादक गद्देदार नितंबों को घुरने लगा .कामया चुपचाप बाबूजी की हरकतों को देख रही थी और मांजी से छिप छिप कर मुस्करा रही थी .चाय पीने के बाद कामया काम करने के लिए किचन मे चली गई .थोड़ी देर बाद शांति भी पूजन कक्ष मे चली गई .जैसे ही शांति पूजा के कमरे मे गई मदनलाल लपक कर किचन मे घुस गया .कामया ने उन्हे आता देखा तो सिर झुका लिया उसे मालूम था क़ि बाबूजी पक्का आएँगे उन्हे चैन नही पढ़ने वाला .मदनलाल ने अंदर घुसते ही कामया को पीछे से पकड़ लिया .उसका मूसल सीधा बहू की गांद से जा लगा .मदनलाल ने अपने दोनो हाथ मे बहू के एक एक संतरे थाम लिए और लगा मसलने .मदनलाल की हरकतों से कामया गरम होने लगी उसके शरीर मे झनझनाहट होने लगी .मदनलाल बावला सा हुआ ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा और पीछे से उसकी गर्दन को चूमने लगा .कामया को अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था .उसकी पेंटी के अंदर हलचल मच गई थी .लेकिन वक्त का तक़ाज़ा अभी संयम रखने का था सो उसने छूटने का नाटक करते हुए कहा
कामया :: जानू प्लीज़ छोड़िए ना ये कोई समय है
मदनलाल :: डार्लिंग प्यार का कोई समय नही होता .तुमने गाना नही सुना हेरोइन कहती है "" सुबह से लेकर शाम तक मुझे प्यार करो ""
कामया :; जानू ये घर है कोई फिल्म नही है और मैं कोई हेरोइन नही हूँ . ये सब काम रात का है
मदनलाल :: डार्लिंग मेरी हेरोइन तो तुम्ही हो .और वो नीचे से कामया की साड़ी उठाने लगा .कामया ने तुरंत मदनलाल का हाथ पकड़ते हुए कहा
कामया :: जानू प्लीज़ आप जाइए यहाँ से .मम्मी घर मे है खाँमख़ाँ लफड़ा मत करिए .
. मदनलाल :: डार्लिंग प्लीज़ ज़रा छू लेने दो .और कुछ नही करेंगे !! बोलते बोलते वो कामया की मांसल और गुदाज जांघों पर हाथ फेरने लगा .
कामया :: यार प्लीज़ तंग मत करो ना .रात को तो सुहाग रात मनाओगे ही ना .अभी तोड़ा सबर नही कर सकते .मांजी को कहीं कुछ आवाज़ आ गई तो .
मदनलाल :: यार सबर ही तो नही हो रहा .इस साड़ी मे तुम इतनी सेक्सी लग रही हो क़ि अगर तुम्हारी ये मांजी नही होती तो यही दिन दहाड़े किचन मे ही सुहाग रात मना लेता . .
कामया :; चुप करो !! बड़े आए किचन मे सुहाग रात मनाने वाले .आ उई माँ ?? प्लीज़ अपना हाथ हटाओ वहाँ से .मुझे काम करना है .
मदनलाल :; तो तुम अपना काम करो ना हमे अपना काम करने दो .
कामया :: अच्छा यही है ना आपका काम ? सी सी सी !! आह क्या कर रहे हो ? प्लीज़ यार वहाँ उंगली मत डालो .आह आह उई माँ शी शी .ओह ओह आह . अरे यार उंगली निकालो ना वहाँ से .छी खाना बनाते समय हमे गंदा मत करो .आपको तो कुछ गंदा वन्दा लगता नही है हमको भी खराब कर दोगे .चलो जाओ यहाँ से नही तो मैं जा रही हूँ .
मदनलाल :; कहाँ जाओगी ? जहाँ भी जाओगी हम वहीँ पहुँच जाएँगे "" तेरा पीछा नही छोड़ेंगे सोणिये ""
कामया :: हम सीधा मांजी के पास जाकर बैठ जाएँगे फिर देखती हूँ ना आपकी सब दिलेरी .
मदनलाल :: डार्लिंग ये तो ग़लत बात है अपने चाहने वाले को ऐसे नही तड़पाते . अच्छा प्लीज़ एक बार हमारे इसको चुम्मि दे दो
.कामया :: नो नो नो !! जस्ट लीव दा किचन राइट नाउ . ज़्यादा परेशान करोगे तो समझ लेना रात का प्रोग्राम भी केन्सल हो जाएगा .
मदनलाल :: अरे बाप रे ऐसा ज़ुल्म नही करना जानेमन .हमारी तो जान ही निकल जाएगी .
फिर कामया ने बड़ी अदा से मदनलाल का कान पकड़ा और किचन के दरवाजे तक उसको खींच कर लाई और बोली
कामया :; जहाँपनाह अब अपनी तसरीफ का टोकरा यहाँ से ले जाइए और हाँ रात तक हमारे करीब मत आना वरना अच्छा नही होगा .मगर कामया जानती थी क़ि उसका ये नया आशिक एक घंटे भी अपने को रोक नही पाएगा और फिर उसके आस पास चक्कर लगाने लगेगा . 


दिन भर दोनो के बीच ऐसी ही छेड़छाड़ चलती रही .मदनलाल थोड़ी थोड़ी देर मे कामया के पास पहुँच जाता और उसके नाज़ुक अंगो से खिलवाड़ करने लगता .वो बड़ी मुश्किलसे उसे भगाति .कामया का हाल ये था क़ि अगर मदनलाल एक घंटे उसके पास नही पहुँचता तो वो खुद बैचेन हो जाती और तान्कझाँक करने लगती क़ि बाबूजी कहाँ हैं .शाम तक ऐसा ही चलता रहा .शाम को मदनलाल कुर्ता पायजामा पहन कर बाज़ार गया .जब लौटा तो उसने कपड़े नही बदले आज वो भी दूल्हे के रूप मे ही रहना चाहता था .थोड़ा अंधेरा होने के बाद कामया ने किचन से मदनलाल को छत मे जाते देखा तो कुछ देर बाद वो भी छत मे गई .वहाँ मदनलाल शराब पी रहा था .
कामया :: ये क्या है आप पी क्यों रहे हैं .
मदनलाल :; कुछ नही यार बस ज़रा मूड बना रहे हैं .
कामया :; अच्छा .इससे कोई मूड वूड नही बनता .ये नशे की चीज़ है .
मदनलाल :: तुम क्यो परेशन हो रही हो .बस ज़रा सा ही तो नशा होगा .
कामया :: अच्छा अगर हमारे रहते आपको कोई और नशे की ज़रूरत पड़ रही है तो हमे परेशानी तो होगी ना .कामया ने मुँह बनाते हुए कहा .
मदनलाल :: अरे मेरी जान तुम्हारे नशे के सामने इस साली शराब मे कोई नशा नही है .ये तो मैं तुम्हारे लिए ही पी रहा हूँ .
कामया :; चुप करो सिवा झूट के आपको कुछ बोलना नही आता .मेरे लिए क्यों पी रहे हो .पियोगे आप तो मुझे क्या होगा मदनलाल :; जानू बात ये है क़ि शराब पीने के बाद आदमी की सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है और उसका ध्यान ज़्यादा नही भटकता है .बस ज़रा सुरूर चॅड जाए फिर ध्यान सिर्फ़ तुम पे ही लगा रहेगा हम चाहते हैं की आज की रात हमारी नज़रों मे सिर्फ़ तुम ही तुम दिखो सिर्फ़ तुम तुम तुम और सिर्फ़ तुम !!!! मदनलाल ने मक्खन मारते हुए कहा. भोली भाली कामया पर उसकी बातों का असर भी हो गया वो लाजाते हुए बोली
कामया :: ठीक है लिमिट से पीना अगर ज़्यादा हो गई तो बिस्तर मे जाते ही बेहोश हो जाओगे फिर मना लेना अपनी गोल्डन नाइट??? .और हाँ मैं जा रही हूँ जल्दी ये लपड पंचायत ख़त्म करो और नीचे आ जाओ .
शांति मदनलाल और प्यारी बहूरानी डिनर कर रहे थे .मदनलाल पर नशा हावी होने लगा था .वो बार बार घूर कर कामया को देखने लगता .जिससे कामया डर जाती .उसे डर था क़ि कहीं मांजी को कोई शक ना हो जाए .लेकिन शांति अपने सीरियल मे ही खोई हुई थी .खाना खाने के बाद कुछ देर यूँ ही सब बैठे रहे फिर शांति ने अपनी दवाइयाँ खाई और सोने चली गई .शांति के जाने के बाद मदनलाल कामया की ओर लपका लेकिन बहूरानी ने उसे बीच मे ही रोक दिया और कहा
कामया :: थोड़ा सबर करो बेसबरे सैंया !! मैं रूम मे जा रही हूँ मुझे तैयार होने मे आधा घंटा लगेगा .तब तक आप टी वी देखो या छत मे घूम आओ .आधे घंटे बाद ही आना.
मदनलाल :: आधा घंटा ??? इतनी देर क्या करोगी ?
कामया :: आप ही की तो फॅंटेसी है क़ि दुल्हन बनू तो ब्राइडल मेकप मे टाइम तो लगता है ना .और उसने जीभ निकाल कर मदनलाल को चिड़ाया और अपने रूम की ओर भाग गई . मदनलाल अपने कमरे मे गया एक नज़र शांति पर मारी फिर उसने एक गोली खाई और छत मे चला गया. छत मे वो टहल रहा था लेकिन उसका मन मिचे कामया पर ही लगा था .दारू भी अपना असर दिखा रही थी ,उसका मूसल है की थमने का नाम ही नही ले रहा था और नब्बे डिग्री मे बाहर को निकाला हुआ था .उसे बार बार मूसल को मसल मसल कर शांत करना पड़ रहा था  


कमरे मे आते ही कामया ने अपनी पहनी हुई साड़ी ब्लाउस पेटिकोट सब उतार दिया और आईने के सामने खड़ी हो गई .ब्रा पेंटी मे वो गजब की सेक्सी लगा रही थी आईने मे देख कर वो खुद पर ही मोहित हो रही थी फिर उसने ब्रा और पेंटी भी उतार दी और बिल्कुल मादरजात नंगी होकर अपने ""बर्थ डे सूट"" मे आ गई .अपनी खूबसूरती और जवानी को देख कर वो बुदबुदाई "" जब हम औरत होकर खुद अपने शरीर पर फिदा हो रहे हैं तो उनका तो हाल ना जाने आज क्या होगा ,अगर हमारा कचूमर निकाल दिया तो भी उनको दोष देना नही चाहिए .कौन मर्द होगा जो ऐसा हुश्न देख कर होश मे रह सकेगा ,आज तो हमारा क्या होगा राम जाने "" बाजू मे उसके मोबाइल पर ग़ज़ल बज रही थी "" होश वाले क्या जाने बेखुदी क्या चीज़ है ""वो सीधा नहाने चली गई आज उसने माल माल कर अपने को डोव साबुन से रगड़ा .उसके पूरे बदन से जवानी की महक गनगना रही थी जिससे बच के निकलना किसी भी मर्द के लिए नामुमकिन था .नहा धो के वो अपने कमरे मे आई टवल उतारकर एक बार फिर अपने को नंगी कर के निहारा फिर उसने नई पारदर्शी पेंटी और ब्रा पहनी सुनील के साथ सुहाग रात के दिन जो साड़ी पहनी थी वो पहनी अपना मेकप किया और बेड मे बैठकर अपने नये दूल्हे का इंतज़ार करने लगी उसे इंतज़ार किए अभी दस मिनिट ही हुए थे क़ि मदनलाल अंदर दाखिल हुआ
कमरे मे घुसते ही मदनलाल ने कामया का जो रूप देखा तो वो पलक झपकाना ही भूल गया .कामया साक्षात काम की देवी का अवतार लग रही थी .



कामया नख से सिख तक सजी हुई थी मेरून रंग की साड़ी मे वो बहुत ही उत्तेजक लग रही थी .साड़ी के रंग का इंपरेसन उसके चेहरे पर पड़ रहा था जिससे वो और गुलाबी दिख रही थी . माथे मे बिंदिया, माँग मे माँग टीका , कानो मे बाली हर अंग का गहना पहना हुआ था उसने .नाक मे बड़ी सी नथनी पहनी हुई थी मानो आज ही नत उतरवाई होने वाली हो .गले मे बड़ा सा मंगल सूत्र भी पहना था क्योंकि आज कुछ ज़्यादा बड़ा मिलने वाला था .मदनलाल की नज़र उसके गुलाबी रसीले होंठो पर ठहर गई .कितना रस भर था उसकी बहू के होंठों मे .नज़र और नीचे गई तो सामने मदर डेरी के दो टेंकर दिखाई देने लगे .पोस्टिकता से भरपूर ताज़ा दूध !!.लचकती कमर बेहद ही चिकनी और गोरी थी जिसमे एक बड़ी सी नाभि दिखाई दे रही थी जैसे किसी खजाने की कुंजी हो . ? सिल्क की साड़ी मे लिपटी उसके नितंब को देखकर मदनलाल अपने भाग्य को सराहने लगा वो मन ही मन सोच रहा था कितना किस्मत वाला हूँ मैं जो इस बुढ़ापे मे इतनी कमसिन हसीन और सेक्सी बीवी मिली है .जिसे बची खुचि सारी जिंदगी भोगुंगा
कामया ने सिर पर हल्का सा घूँघट किया था लेकिन वो काफ़ी पीछे था और उसका खूबसूरत चेहरा पूरा खुला हुआ था .मदनलाल अपनी नई बीवी के हुश्न मे ऐसा खो गया क़ि एकटक उस अदभुत सुंदरी के रूप का आँखों से पान करने लगा. मदनला को यों होशो हवाश खोते देख कामया बोली
कामया :: क्या हुआ केवल देखते ही रहना है क्या रात भर ?
मदनलाल :; जान तुम दुल्हन के लिबास मे इतनी खूबसूरत लग रही हो क़ि जी चाह रहा है क़ि बस ऐसे ही देखता रहूं .
कामया :: केवल देखना ही था तो हमारी माँग क्यों भरी वो तो आप ऐसे भी देख सकते थे .देखने मे तो कोई रुकावट नही थी .
मदनलाल :; तो फिर क्या करें बोलो ?
कामया :; वो सब आपको मालूम है दो दो बच्चे पैदा कर चुके हो आप
मदनलाल :: क्या बोल रही हो यार अभी तुम्हे छुआ भी नही और दो दो बच्चे कहाँ से आ गये .
कामया :: धत बदमाश कहीं के मैं अपनी बात नही कर रही हूँ .
मदनलाल :; जान आज केवल अपनी बात करो बीच मे और किसी को मत लाओ
कामया :: ठीक है तो मनाओ ना सुहाग रात जिसके लिए कब से हमारे पीछे पड़े थे
मदनलाल ने भी अब कामया को ज़्यादा टीस करना उचित नही समझा. दरअसल बात तो ये थी क़ि अब खुद उससे सबर नही हो रहा था वो जल्दी जल्दी इस अल्हड़ गरमा गरम जवानी को कपड़ों के बोझ से मुक्त कर देना चाहता था ताकि बेचारी को ज़रा बाहर की सॉफ सुथरी हवा लग सके .
मदनलाल आगे बड़ा उसने कामया का खूबसूरत चेहरा उपर किया और अपने तपते होंठ कामया के प्यासे मगर रसीले होंठों से लगा दिए .कामया के सारे शरीर मे सिहरन होने लगी .वो लगातार कामया को चूमे जा रहा था जबकि उसके हाथों ने अपना काम करना शुरू कर दिया था .कुछ पल मे ही कामया की साड़ी पेटिकोट से जुदा होकर अपनी किस्मत को कोस रही थी
मदनलाल ने अब कामया के पूरे चेहरे गर्दन कंधे पर चुंबनो की बौछार कर दी इस दौरान उसके हाथों ने कामया का ब्लाउस को उतार के फेंक दिया .बेड से नीचे पड़ा ब्लाउस अपनी मालकिन की दुर्दशा को चुपचाप देखने लगा .बाबूजी के हाथ अब बहूरानी के संतरों पर जम गये फिर तो जैसे संतरों की शामत ही आ गई .मदनलाल ने उन्हे बुरी तरह से निचोड़ना चालू कर दिया पूरे कमरे मे कामया की मादक सिसकारियाँ गूंजने लगी .शराब के नशे मदनलाल कुछ ज़्यादा ही जालिम हो गया था .कुछ देर ब्रा के उपर से खेलने के बाद उसने बहूरानी की ब्रा भी उतार कर दूर उछाल दी. ब्रा के हटते ही कामया के कबूतर मदनलाल के सामने फड़फड़ाने लगे .सफेद कबूतरों को फड़फड़ाता देख मदनलाल के अंदर का बाज जाग गया उसने एक झपट्टा मारा और अगले ही पल एक कबूतर उसके मुँह मे थे .मदनलाल लगा ज़ोर ज़ोर से चाबने .कामया के मुख से दर्द और आनंद की मिली जुली सिसकारी निकालने लगी .मदनलाल अपने हाथ से बहू की जांघे भी सहला रहा था जब उसका हाथ कामया की चूत की तरफ जाता तो वो चिहुनक उठती
कामया बोली
कामया :; आ आह प्लीज़ धीरे करो दरद दे रहा है प्लीज़ चूसो काटो मत यार . उई माँ मर गई हे भगवान आपको क्या हो गया है कैसे जंगली बन गये हो!! इसीलिए कह रही थी दारू मत पियो अब मुझे भुगतना पड़ रहा है
मदनलाल नशे मे दाँत भी चला रहा था जिससे कामया को दर्द हो रहा था .कुछ देर अल्फानसो आम चूसने के बाद मदनलाल नीचे को हुआ तो उसके सामने कामया का सबसे कीमती खजाना आ गया .मेरून पेंटी मे फँसा कारू का खजाना 


बहू की कमर के नीचे की कयामत को देखते ही मदनलाल उपर का सब कुछ भूल गया वैसे भी उपरी माले मे वो पिछले कई महीने से विज़िट कर रहा था इसलिए आज उसने नीचे ही पूरा ध्यान लगाने की सोची .मदनलाल ने पेंटी मे उंगली फसाई और नीचे खींचने लगा कामया ने भी थोड़ा कमर उपर की और पेंटी पैर से बाहर हो गई .मदनलाल जांघों के जोड़ मे छुपी बहूरानी की चुत को आँख फाडे देखने लगा ..कामया की चुत बिल्कुल मदनलाल की ड्रीम चुत थी हल्के हल्के रोआ वाले झांट के बाल था जो मदनलाल को बहुत पसंद थे .उसे बुर मे हल्के बाल अच्छे लगते थे .बाबूजी को अपनी गुड़िया को यूँ घूरते देख कामया ने अपना मुँह अपने हाथों से ढक लिया .कितनी सुंदर थी बहू की बुर .छोटी सी अनचुई सी. दोनो पंखुड़ीयाँ आपस मे चिपकी हुई थी जो एलान कर रही थी की ये अभी अनयूज़्ड हैं .बुर के उपरी सिरे पर काजू दाना लटक रहा था जो शायद बहू का मेन स्विच था बहू की चुत को देख कर मदनलाल के मुँह से बरबस ही निकल गया "" धरती मे अगर कहीं स्वर्ग है तो सिर्फ़ स्त्री की जांघों के बीच मे है जांघों के बीच मे है जांघों के बीच मे है ."" अब मदनलाल ने बहू की टाँगों को मोड़ कर दोनो तरफ़ फैला दी और खुद बहू की टाँगो के बीच मे आ गया




.इतनी देर से बाबूजी को कुछ ना करता देख कामया ने आँख खोलकर कनखियों से देखा तो उस समय मदनलाल अपनी जीभ निकाल कर उसकी चुत की ओर झुक रहा था जिसे देख कर कामया काँप सी गई "" हे राम बाबूजी पूसी लिकिंग करेंगे क्या जैसा पॉर्न वीडियो मे दिखाते हैं!!!! ओह माइ गॉड ,बाबूजी इस सो फनी अंड नॉटी ""
 
 



 मदनलाल ने बहू की दोनो टाँग दूर कर दी और अपलक कुदरत की उस बेमिशाल खूबसूरती को निहारने लगा .जाँघोंके बीच से झाँकती बहू की झिर्री ने उसको मदहोश कर दिया था जब वो और बर्दास्त नही कर पाया तो उसने अपनी जीभ बुर के सबसे नीचे लगाई और उपर की ओर चाटता चला गया .गर्म चिपचिपी जीभ का अपनी योनि मे स्पर्श लगते ही कामया थरथरा गई और उसके मुँह से सिसकारी निकल गई
कामया ::; आह आह .उई माँ .वो ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगी
मदनलाल अब लगातार नीचे से उपर की ओर उसकी बुर को चाट रहा था उसकी जीभ जैसे ही कामया के क्लिट को छूती कामया के शरीर के अंदर चिंगारियाँ भड़क उठती .शातिर लुगाईबाज़ मदनलाल अपने सालों के अनुभव से पहचान गया की क्लिट बहू का कमजोर पॉइंट है सो उसने हमले को उसी पर केंद्रित करने निश्चय कर लिया .अब वो अपनी जीभ को कामया के क्लिट के उपर ही घुमाने लगा .कामया के लिए अपने को रोक पाना मुश्किल हो गया था .आज तक कभी उसकी चुत चाटी नही गई थी .सुनील ने तो उसे कभी ढंग से देखा भी नही था और इधर बाबूजी थे क़ि अपना सारा प्यार मुनिया पर लुटाए जा रहे थे जवानी से भरपूर कामया का शरीर वक्त के साथ बहता चला जा रहा था उसकी क्लिट फूल कर पौन इंच की हो गई . मदनलाल ने लोहा गरम देखा तो तुरंत हथोड़ा मार दिया उन्होने अचानक कामया की क्लिट अपने होंठों के बीच ले लिया और ऐसे चूसने लगे जैसे निपल चूस रहे हों . क्लिट की चुसाई ने कामया के संयम के बाँध को तोड़ दिया वो बुरी तरह बिस्तर मे मचलने लगी उसने दोनो हाथों से तकिया पकड़ लिया और सिर को दाँये बाँये करने लगी .मदनलाल बहू की हालत पर नज़र रखे हुए था जब उसने कामया को यों मचलते हुए देखा तो वो समझ गया क़ि बहू अब खुद लॅंड की भीख माँगेगी सो उसने अपना ट्रीटमेंट जारी रखा .
मदनलाल ने अब क्लिट मे हल्का दाँत गाड़ना भी चालू कर दिया. इस नये हमले ने कामया को हिला के रख दिया .उसके शरीर और दिमाग़ का लिंक अब टूट गया वो सिसीकारी लेते हुए बोली
कामया :: उई माँ .आह उईईईई .शीईईइ .यस लिक इट हनी .वाउ यू आर मेकिंग मे क्रेज़ी .वॉट आ प्लेज़र दिस इस
यस सक इट एस आइ सक यौर कॉक. जानू यू आर अमेज़िंग . और कामया की कमर अपने आप उपर उठने लगी और वो एकदम कमान की तरह हो गई .और जब कामया चरम पर पहुँचने लगी तो शरम हिचक सब भूल गई उसने बाबूजी का सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया .मदनलाल ने भी मौका देख चौका मार दिया उसने कामया की पूरी की पूरी चुत को ही अपने मुँह मे भर लिया अब कमरे मे केवल कामया की सिसकारी और उसके मचलने की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी .कुछ देर यूँ ही बहू की चूत चाटने के बाद ससुर ने कुछ और आगे बढ़ने की सोची .उसने बहू की चुत को उंगली से दोनो ओर फैला दिया .सामने थी कामया की गुलाबी नाज़ुक प्रेम गुफा . शायद दुनिया की सबसे संकरी लेकिन सबसे ज़्यादा विज़िट की जाने वाली गुफा .
चुत की नरम त्वचा ,सुर्ख गुलाबी रंग और उसमे से निकालने वाली फेरोमेंस की सुगंध अब मदनलाल को भी मदहोश किए जा रही थी . कामया के मचलते बदन को देखते हुए वो जानता था क़ि बहू कभी भी अपना यौवन रस छोड़ सकती है इसलिए उसने उस अमृत को पीने के लिए अपनी जीभ बहू की गुलगुली चुत के मुहाने मे लगा दिया




1 comment:

gaurav said...

what a lovely story i love it...write make a net through words, no body brake it...very lovely writing script....

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