Sunday, August 30, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--18

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--18


इधर कामया के बदन मे शोले भड़क रहे थे ! कामया की आँखों मे मदनलाल ने एक अजीब सा नशा देखा था ! ऐसा नशा जिस भी लड़की की चुदाई करते समय उसने उनकी आँखों मे देखा था वो सब उसकी दीवानी बन गई थी !यहाँ तक की शादी शुदा भी अपने घर वालों से छुप छुप कर उसका लॅंड खाने आती थी ! बाबूजी समझ गये क़ि बहू भी अब गयी काम से अब इसे दिन रात हमारा मूसल ही दिखाई देगा ! जैसे ही मदनलाल का लावा कामया की बच्चेदानी मे पड़ा वो उस खुशी को संभाल नही पाई और एक बार फिर झरझर कर बहने लगी ! उत्तेजना के चरम पर उसका पूरा बदन काँप रहा था सो उसने ज़ोर से मदनलाल को पकड़ लिया और छिपकली की तरह बाबूजी से चिपक गई !

अब आगे - - - - - -
मदनलाल बहू के उपर पड़े पड़े अपनी थकान उतारने लगा ! नीचे दबी कामया ने अब भी बाबूजी को भींच के रखा था उसने बाबूजी को बाहों मे भर रखा था और टाँगो को उनपर लपेट कर कैंची मार रखी थी ! कामया तृप्त आँखों से छत की ओर देख रही थी !आज जो उसने पाया था उसकी उसने कभी कल्पना भी नही की थी ! उसने जो पाया वो मन बुद्घि से परे था उस सुख का वर्णन करना जिव्हा के बस मे नही था ! उसे विश्वाश नही हो पा रहा था की ये मानवीय सुख था ! उसे आश्चर्य हो रहा था क़ि उसका शरीर उसे इतना सुख भे दे सकता है ! इस परम सुख ने उसके मन के कई शंकाओं का निवारण कर दिया था ! पहले जब वो सुनती थी क़ि फलाँ लड़की किसी लड़के के साथ भाग गई तो उसे लगता था क़ि कैसे कोई लड़की अपने माँ बाप परिवार को छोड़ कर ऐसा कर सकती है ! पर आज उसे इन सवालों का जवाब मिल गया था ! उसने सोचा हर भागने वाली लड़की ज़रूर भागने से पहले अपने आशिक से चुद चुकी होती होगी और फिर चुदाई की वो तड़प ,वो खुमार उसे भागने पर मज़बूर कर देता होगा ! सच भी तो है भला इस सुख को कौन त्यागना चाहेगा ! कई बार वो पेपर मे पड़ती थी क़ि तीन बच्चों की माँ प्रेमी संग भागी , सास दामाद को लेके भाग गई ! ऐसी खबरों को पड़कर उसका दिमाग़ चकरा जाता था ! लेकिन आज उसको हर सवालों का जवाब मिल गया था !ज़रूर ऐसी औरतों का पति भी सुनील जैसा कमज़ोर रहता होगा और जैसे ही उन्हे बाबूजी जैसा कोई असल मर्द मिलता होगा वो लोक लाज छोड़ कर जवानी का असल मज़ा लेने चल देती होंगी !

वो धीरे धीरे मदनलाल की पीठ सहला रही थी बीच - २ मे बाबूजी के नितंबों को भी सहला देती ! मदनलाल के लिए ये कोई नई बात नही थी उससे चुदने वाली हर औरत को उसपर ऐसा ही प्यार आ जाता था ,बस ये अलग बात थी क़ि बहूरानी के प्यार मे वो खुद भी गिरफ्तार हो गया था ! बहूरानी और स्त्रियों के समान केवल टाइम पास का सामान नही थी ! वो उसकी कुलवधू थी ,इसके वंश को आगे बड़ाने वाली थी ! इधर कामया सोच रही थी क़ि सचमुच ये कामानंद परम आनंद के सामान है तभी तो इसे ब्राहमानंद सहोदर कहते हैं ! स्त्री को यह परमानंद उसका पति प्रदान करता है शायद तभी शास्त्रों ने पति को पत्नी के लिए भगवान का दर्जा दे रखा है ! इस परमसुख को पाकर हर पत्नी अपने पति की दासी बन जाती है !कामया हौले -२ मदनलाल को सहला रही थी मदनलाल की भी अब थोड़ा ताक़त वापस आ गई तो वो भी धीरे धीरे बहू की मांसल जाँघो और नितंबों पर हाथ फेरने लगा था !उसने अब बहू की एक चुचि को अपने मुँह मे भर लिया और चूसने लगा ! कामया को अपनी चुचि चुसाई बड़ी ही आनंद दायक लग रही थी ! मदनलाल का मूसल अभी भी बहू की बुरमे धंसा पड़ा था !वो लॅंड को अंदर ही रहने देना चाहता था ! इधर कामया बाबूजी के बोझ तले दबे थोड़ा असहज हुई तो कसमसाई ! मदनलाल उसकी परेशानी समझ गया ! बहूरानी की कोमल काया काफ़ी देर से उसका बोझ सह रही थी ! उसने हटते हुए अपना मूसल बाहर निकाला ! लॅंड की रग़ड़ से कामया एक बार फिर तड़प उठी !
मदनलाल ने देखा क़ि उसके लॅंड मे काफ़ी सारा खून का निशान लगा था ! कामया ने भी देख लिया की बाबूजी के उसमे खून लगा है फिर उसने अपनी चुत की ओर देखा तो वहाँ भी खून सा लगा था उसने उत्सुकता वश बाबूजी से पूछ लिया
कामया :: बाबूजी ये खून कैसे लग गया ! मदनलाल समझ गया था क़ि बहूरानी लगभग छः महीने बाद चुदि है वो भी इतने बड़े मुलतानी लॅंड से इसलिए बहू की चूत अंदर से कई जगह रग़ड़ खा कर छिल गई होगी लेकिन उसने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा
मदनलाल :; जानू आज तुम्हारी सील टूटी है तो खून तो निकलेगा ही ना !
कामया :: बाबूजी लेकिन जब सुनील ने पहली बार किया था तब भी तो निकला था ? मदनलाल बहू को इंप्रेस करते हुए बोला
मदनलाल - - - जानू ,सुनील का छोटा सा था तो थोड़ी सी जगह बना ली होगी अपने जाने के लिए पर तुम्हारी पूरी सील नही टूटी थी ! आज जब हमारा असली मर्दाना लॅंड अंदर गया है तब तुम्हारी सील की धज्जियाँ उड़ी हैं ! आज तुम कली से फूल बन गई हो ! आज तुम लड़की से औरत बन गई हो ! ये खून तुम्हारे औरत बन जाने का एलान कर रहा है !
कामया बाबूजी की से बातें सुनकर शर्मा गई ! मदनलाल ने फिर बेड मे पड़ी बहू की पेंटी उठाई और उससे अपना लॅंड पोंछने लगा !
कामया बाबूजी को अपनी पेंटी से पोंछती देखती रही उसका मन तो कर रहा था कि अपने हाथ से बाबूजी के बदमाश को सॉफ कर दे आख़िर अब उसकी देखभाल करना और उसको तन्दरुस्त रखना उसकी की ज़िम्मेदारी थी ! जितना ये बदमाश हेल्ती रहेगा उतना ही अच्छी सेवा करेगा ! किंतु वो आगे बॅड्कर ऐसा कर ना पाई ! बाबूजी को छेड़ने के मूड से उसने कहा
कामया ::: छी !! हमारे कपड़े से क्यों पोंछ रहे हो ? अपने कपड़े से पोंछिए ना !
मदनलाल :: डार्लिंग तुम्हे तो मालूम है क़ि तुम्हारे रूम मे आते समय हम चड्डी नही पहनते !
कामया :: तो अपने पाजामा से पोंछिए
मदनलाल :: अच्छा ! सुबह शांति हमसे पहले उठ जाती है ! सुबह सुबह ये खून देखेगी तो क्या जवाब देंगे ! तुम बोल देना मम्मी हमारा है बाबूजी को कुछ मत कहिए !!
कामया :: हम क्यों कहेंगे ? आप की बीवी है आप जानो !
तबतक मदनलाल ने भी पोंछ कर पेंटी नीचे फेंक दी ! कामया ने उठने की कोशिश की जैसे ही वो उठने लगी तो उसके मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई ! आह उई माँ !!!!!
मदनलाल ::: क्या हुआ बहू ?
कामया ::: बाबूजी वहाँ बहुत दर्द दे रहा है ! मदनलाल जानता था उससे पहली बार चुदने वाली हर लड़की का यही हाल होता है ! उन लड़कियों की हालात देख कर तो उसे मज़ा आता था पर बहूरानी की हालत पर उसे दुख हो रहा था क़ि उसी के कारण बहू दुख सह रही है ! किंतु फिर उसने सोचा अगर बहू आज ये दुख नही सहती तो जिंदगी भर अपने औरत होने का लुत्फ़ नही उठा पाती ना ये जान पाती क़ि औरत के नसीब मे प्रकृति ने कितनी खुशियाँ भर रखी हैं !
मदनलाल :: बहू धीरे से उठो ! शुरू के दिन दर्द होता है बस एक दो दिन बाद देखना कैसे उछल उछल के मज़ा लोगि और बोलोगि बाबूजी और ज़ोर से पेलिए ,फाड़ डालिए हमारी !
कामया::: धत ! कुछ भी बोल देते हैं आप !! हम ऐसा कभी नही बोलेंगे जैसा आप बोल रहे हैं ! हमको आपने ऐसी वैसी लड़की समझ रखा है ?
मदनलाल :: डार्लिंग तो इसमे बुरा क्या है ? अपने हब्बी से ऐसा बोलना ग़लत थोडी है ! सेक्स मे खुल कर बोलने से ज़्यादा मज़ा आता है
कामया :: रहने दीजिए हमे नही चाहिए कोई मज़ा वजा !!
मदनलाल बहू की बात सुनकर दिल ही दिल मे बोला "" इंडियन औरतों की यही खसियत होती है जब तक चुत मे लॅंड घुसा रहता है और अंदर रगड़ता रहता है खूब अनाप शनाप बकती है हाय राजा बजा दो बाजा ,फाड़ डालो मेरी और जैसे ही कार्यक्रम ख़त्म हुआ तो ऐसा शरीफ बन जाती है जैसे जिंदगी मे कभी लॅंड देखा ही नहीं "" कामया धीरे -२ खिसकते हुए बेड के किनारे तक आई और खड़ी होने की कोशिश करने लगी ! जैसे ही उसने अपने को खड़ा किया दर्द के मारे वो लड़खड़ा गई और गिरने को हुई तभी मदनलाल ने अपनी मज़बूत बाहों मे उसे थाम लिया ! दोनो पूरी तरह नग्न एक दूसरी की बाहों मे चिपके हुए थे ! मदनलाल ने बहूरानी को अपनी ओर खींचा और अपने तपते होंठ कामया के रसभरे होंठों से लगा दिया ! कामया भी बाबूजी से लता की भाँति लिपट गई और मदनलाल के होंठो को चूसने लगी ! मदनलाल ने अपने हाथ बहू की गांद मे पहुँचा दिया और लगा उनसे खेलने ! बहू की इस कातिल नितंबों की जोड़ी से तो उसका दिल कभी भरता ही नही था ! कामया की चुचियाँ बाबूजी के कठोर सीने मे पिचक गई थी ! दोनो फिर से रोमांस मे लीन हो गये किंतु बाबूजी के अंग मे कोई हरकत नही हो रही थी ! सच भी था मदनलाल सीनियर सिटिज़न की उम्र का था और केवल पंद्रह मिनिट मे फिर से उसमे कठोरता आ जाना थोड़ा कठिन ही था इस बात को मदनलाल भी समझता था ! उसने कामया से पूछा !
मदनलाल :: फिर से करने का दिल कर रहा है क्या डार्लिंग ?
कामया :: बाबूजी अभी वहाँ बहुत दर्द से रहा है लेकिन आपका दिल है तो कर लीजिए !
मदनलाल ने अपने छोटू को बहू के हाथ मे पकड़ाते हुए कहा
मदनलाल :: नही बहू आज रहने दो जब तुम अपने इस नये दोस्त की अभ्यस्त हो जाओगी तो फिर दो तीन बार कर लिया करेंगे ! अभी फिर से करेंगे तो सुबह तुम्हे काफ़ी दर्द दे सकता है ! बस दो चार दिन की बात है जानू फिर देखना हम रात को यहाँ से जाया ही नही करेंगे !
कामया :: जान , आप जाएँगे भी तो हम आपको जाने नही देंगे लेकिन मम्मी को क्या बोलेंगे की आप सारी रात कहाँ रहते हो ?फिर इस बात पर दोनो हंस पड़े ! मदनलाल अपने कमरे मे चला गया और कामया बिस्तर पर पसर गई !अचानक कामया को कुछ याद आया वो उठी बाबूजी के वीर्य से सनी अपनी पेंटी को उठा कर किस करी और पहन ली !
रात की चुदाई का ऐसा असर हुआ क़ि कामया एकदम घोड़े बेच कर सो गई और सुबह नियत समय तक उसकी नींद ही नही खुली ! सुबह जब शांति ने देखा क़ि बहू नही उठी है तो दरवाजी से आवाज़ दी
शांति :: क्या हुआ बहू ?उठी क्यों नही ? अभी तो बीटुआ आया नही तो ये हाल है जब वो आ जाएगा तो क्या दिन भर सोती रहोगी ? सास की आवाज़ सुनकर कामया हड़बड़ाती हुई उठी ! उसकी कमर और टाँगों के जोड़ मे भयंकर दर्द हो रहा था और चलते समय पैर लड़खड़ा रहे थे !
कामया ने जल्दी से नहाने के कपड़े तौलिया आदि समेटा और कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगी ! शांति उस समय किचन मे थी और मदनलाल बरामदा मे दाँत सॉफ कर रहा था ! शांति ने देख क़ि बहू लंगड़ा कर चल रही है और उसके चेहरे मे दर्द की लकीर है! कामया की कमर मे जो एक विशेष प्रकार की लचक और ठसक थी उसे देख कर शांति के चेहरे मे एक रहस्यमयी मुस्कान आ गई!उसने बहू से पूछा
शांति :: क्या हुआ बहू ? लंगड़ा क्यों रही हो ? सब ठीक तो है
शांति के ऐसा पूछते ही मदनलाल और कामया दोनो को साँप सूंघ गया ! मदनलाल ने बात संभालते हुआ कहा
मदनलाल :: क्या हुआ बहू ? बुखार उखार है क्या ?
शांति :: अरे बुखार मे कोई लंगड़ाता है क्या ? कुछ और बात है !
तब तक कामया भी संभाल गई और उसने बहाना बनाते हुए कहा
कामया :: मांजी , पता नही कल रात कैसे हम बिस्तर से नीचे गिर गये उसी से कमर मे धमक लग गई है !
शांति :: अरे इतनी सी धमक से कोई लंगड़ाता है क्या ? तुम्हारी उम्र मे हम गाँव मे थे और पता नही रोज कितनी धमक लगती थी पर कभी लंगड़ाए नही ! क्यो सुनील के बाबूजी हम कभी बहू के समान लंगड़ा के चले हैं क्या ?
मदनलाल अब तक फिर सम्भल गया था सो बोला
मदनलाल :: अरी भागवान ! तुम्हारे जमाने की बात और है उस समय की खिलाई पिलाई ही कुछ और थी ! तुम ताज़ा दूध घी खाकर बड़ी हुई हो ! बहू तो पेकेट का दूध पीकर आई है तुम्हारी बराबरी कहाँ कर सकती है !
शांति :: ठीक है ठीक है ! जाओ बहू नहा धो लो और ज़्यादा तबीयत खराब हो तो आज आराम कर लो काम हम कर लेंगे ! और शांति एक बार फिर एक अनोखे तरीके से मुस्करा दी !


शांति के चेहरे के अजीबो ग़रीब भाव देख कर ससुर बहू दोनो सचेत हो गये ! दोनो पूरे दिन एक दूसरे से दूर दूर रहे ! बस मदनलाल ने एक बार चुपके से कामया को पेन किलर की गोली दे दी ताकि उसको थोड़ा आराम लग जाए ! लेकिन ज्यों ज्यों शाम गहराने लगी उनकी उमगें जागने लगी ! सालों के भूखे को छप्पन भोग की थाली मिल जाए तो फिर उस से संयम की उम्मीद करना बेमानी ही होगी ! रात का अंधियारा दोनो के सब्र का इम्तिहान लेने लगा ! हालाकी दोनो अब भी एक दूसरे से बात नही कर रहे थे लेकिन अब जब वो एक दूसरे की ओर देखते तो उनकी आँखों मे प्यास सॉफ दिखाई दे जाती ! कौन ज़्यादा प्यासा है कहना मुश्किल था ! कामया जवान थी उसके पास ज़्यादा गर्मी थी ,अंदर सुलगती आग थी और बरसो से अन्बुझि प्यास थी तो मदनलाल की बुडापे मे लॉटरी लग गई थी ! वैसे भी बुडापे का प्यार बहुत ख़तरनाक होता है
जब पूर्णिमा का चाँद पूरा निकल आया तो मदनलाल के लिए अपने को संभालना कठिन हो गया ! इंसान को एक चाँद ही रोमॅंटिक बना देता है फिर बाबूजी को तो दो दो चाँद एक साथ दिखाई दे रहे थे ! उपर से रात का समय ? रात और एकांत की दो विशेषता होती है ! रात आदमी के अंदर भय पैदा करती है वैसे ही एकांत का सन्नाटा भी आदमी को भयभीत कर देता है ! अगर कोई भरी दोपहर मे भी ऐसी जगह खड़ा हो जहाँ मीलों तक इंसान का नामों निशान नही हो तो दोपहर मे भी आदमी डरने लगता है ! लेकिन रात और सन्नाटा का एक गुण और भी है ये दोनो साथ हों और पास मे कोई हसीना हो तो ये माहौल आदमी को कामुक बना देता है ! एकांत शृंगार रस उत्पन करने की पहली शर्त है ! और रात का अंधियारा आदमी को दुस्साहस करने की प्रेरणा देने लगता है ! माहौल अब ससुर बहू दोनो के सिर चॅडकर बोलने लगा था ! सभी लोग टीवी देख रहे थे पर कामया और मदनलाल की नज़र एक दूसरे पर थी ! जब भी बहू ससुर की ओर देखती मदनलाल अपने हथियार को मसल कर अपने "" मन की बात "" उसे बता देता ! कामया भी अब ससुर को नशीली नज़रों से देख रही थी ! रात के दस बजे के करीब कामया उठ कर अपने रूम मे जाने लगी ,जाते समय उसने मदनलाल की ओर बहुत ही कामुक ,प्यासी और नशीली नज़रों से देखा मानों कह रही हो "" बाबूजी रात को आना ज़रूर !"" मदनलाल ने भी उसे इशारों मे समझा दिया क़ि ""बहू अब तुम्हे चोदे बिना हमे भी नींद कहाँ आएगी ""
कुछ देर बाद शांति भी अपनी दवाई खा कर सोने चली गई ! आज मदनलाल अपने कमरे मे काफ़ी देर तक लेटा रहा और अंदाज़ लगाता रहा क़ि शांति कहीं जागी तो नही है! कुछ ही देर मे शांति के खर्राटे चालू हो गये तो उसे पक्का हो गया क़ि शांति सो चुकी है वो उठा और अपनी प्राणप्यारी नई नई दुल्हनियाँ के कमरे की ओर चल दिया ! कमरे मे कदम रखते ही उसने जो देखा तो उसके प्राण हलक को आ गये ! कल सुहाग रात को जो कामया नख से सिर तक सोलह शृंगार मे सजी हुई थी वो आज केवल लिंगरी मे बिस्तर मे लेटी हुई थी ! आज की बहू कल की बहू से बिल्कुल अलग दुनिया की दिख रही थी ! मदनलाल आँख फाडे कामया के बेमिशाल हुश्न को देखने लगा !



ऐसा लग रहा था मानो संगमरमर की कोई मूरत लेटी हुई हो ! बाबूजी को यों मदहोश देख कामया अंदर ही अंदर गर्व से फूल गई और बड़ी नज़ाकत से बोली
कामया :: क्यों जी कैसी लग रही हूँ ? पिछली बार आपके लाड़ले साहब ये ड्रेस ले के आए थे !
अब मदनलाल क्या जवाब देता ! उसका ध्यान तो ड्रेस पर था ही नही वो तो ड्रेस से बची हुई बाकी जगह को ही देख रहा था ! कामया के जिस्म मांसलता ही ऐसी थी क़ि आदमी सब कुछ भूल जाता था ! मदनलाल तो शायद मरते समय प्राण छोड़ते समय भी बहू को नग्न आँखों के सामने देखना चाहेगा चाहे नरक ही क्यों ना जाना पड़े 


 स्त्रियाँ पुरुषों की इस साइकोलॉजी कभी नही समझ पाती क़ि उन्हे कपड़ों से,गहनो से मेकप से कोई मतलब नही रहता है !उन्हे तो कपड़ों के अंदर जो छुपा हुआ है उससे मतलब रहता है ! कोई पुरुष किसी पार्टी मे किसी सजी धजी स्त्री से मिले पंद्रह मिनिट बात करे लेकिन दो दिन उससे पूछो क़ि वो कौन से कलर की साड़ी पहनी थी तो सौ मे नब्बे पुरुष नही बता पाएँगे !लेकिन यही सवाल कोई स्त्री से पूछो तो वो छह महीने बाद भी बता देगी क़ि उस पार्टी मे फलाँ औरत ने कौन सी साड़ी पहनी थी और कौन से गहने पहने थे !
एक रोजमर्रा को होने वाला तथ्य बता रहा हूँ ! कोई औरत या लड़की घर से निकलने से पहले आधा पौन घंटा मेकप करती है उपर से नीचे तक लिपाई पुताई करती है क़ि जब बाहर निकलून्गि तो सब मेरी सुंदरता देखेंगे मगर जैसे ही वो सड़क पर पहुँचती है देखने वाले लड़के के मुख से सबसे पहले ये ही निकलता है ""वॉव क्या gaand है यार ""
मदनलाल भी छोटी सी पेंटी मे फँसी gaand ही घूरे जा रहा था ! कामया बाबूजी की नज़रों को देख कर समझ गई थी क़ि नये बलमा की नज़र कहाँ पर हैं !उसे मालूम था क़ि बाबूजी को हमारी गोलमटोल गद्देदार गांद बहुत पसंद हैं ! बाबूजी को चुप चाप उसके हुश्न का रसपान करते देख कामया ने फिर पूछा
कामया ::: जी आपने बताया नही कैसी लग रही हूँ इन कपड़ों मे ?
मदनलाल ::: जान कहने को शब्द नही है तुम इन कपड़ों मे गजब की सेक्सी लग रही हो ! पर एक बात और है
कामया :: क्या बात है बोलिए ?
मदनलाल ::: हमे तो तुम बिना कपड़ों मे ही सबसे सुंदर लगती हो !
कामया :: धत बेशरम कहीं के !!! आप मर्द तो चाहते ही हैं क़ि औरतें कपड़ा पहनना ही छोड़ दें ताकि आप लोगों का समय बच जाए !
मदनलाल :: समय बच जाए मतलब ?
कामया :: रहने दीजिए मतलब आप को सब मालूम है ज़्यादा बानिए मत !

मदनलाल भी अब ज़्यादा समय खराब करने के मूड मे नही था ! कल की चुदाई का सरूर अभी भी उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था और फिर सुबह शांति की शक्की नज़रों के कारण भी वो जल्दी से कामया को चोद कर निकल जाने के चक्कर मे था ! उसने कामया को जवाब देने की बजाय कुछ करने की सोची और लूँगी उतार बहू के उपर कूद पड़ा ! कामया तो पहले से ही भूखी प्यासी बैठी थी बाबूजी के नागराज को डोलते देख उसने लपक कर उसकी गर्दन पकड़ ली और लगी मसलने ! पाँच मिनिट के अंदर ही जो लिंगरी कामया के बदन पर होने का गर्व कर रही थी अब वो पलंग के नीचे पड़े पड़े अपनी किस्मत पर रो रही थी ! चूमा चाटी के दौरान बहू के मुख से दरद भरी सिसकारी निकल रही थी जिससे मदनलाल समझ गया क़ि बहू अभी भी पेन मे है और वो ये भी जानता था क़ि लगभग साप्ताह भर तो ऐसा होगा ही होगा ! मदनलाल ने नीचे हनीपॉट मे नज़र डाली तो वो अभी भी सूजन मे दिख रही थी ! ससुर ने धीरे से मुँह नीचे किया और पूरी की पूरी मुनिया को अपने मुँह मे भर लिया ! जवां चुत पे मर्द के होंठ लगते ही बहूरानी के पुर बदन मे आग लग गई ,उसके अंदर से शोले भड़क भड़क कर उसके चुत मे आने लगे जो मदनलाल के होन्ट से स्पर्श करते है विस्फोट कर देते !वो बड़बड़ाने लगी ---
कामया ::: आ आह यस हनी सक इट लीक इट .! गिव देम दा ट्रीटमेंट वॉट दे डिज़र्व ! युवर सन नेवर गिव अटेंसन टू माइ पुसी ! नाउ दिस पुसी इस यौर एक्सक्लूसिव प्रॉपर्टी ! जस्ट बेंग इट टू हेल ! आह आह उई माँ मर गई!!!! ओह माइ गॉड वॉट आ सुपर्ब् पुसी लिकर यू आर !!! हनी यू ड्राइव मी क्रेज़ी !!
मदनलाल ने अपनी लपलपाती जीभ का कमाल दिखाना चालू कर दिया ! चुत चूसाई मे अच्छी अच्छी लोंड़िया उसके सामने बेबस हो जाया करती थी फिर बहूरानी तो कल की छोकरी थी !
इधर बाबूजी की जीभ लपलपा रही थी उधर बहूरानी बिन पानी की मछली के समान मचल रही थी ! लोहा गरम देख मदनलाल ने अगली चोट कर दी उसने बहू का कौआ अपने मुँह मे दबा लिया और बीच की उंगली चुत के अंदर डाल जी स्पॉट पर आक्रमण कर दिया ! इस दुधारी तलवार पर चलना कामया जैसी नई नई रंगरूट के बस की बात नही थी वो मदनलाल के हमले के आगे टूट गई और कमर उछाल उछाल कर अपने आने का संकेत देने लगी ! कुछ ही देर मे वो झर झर कर झरने लगी और मदनलाल गट गट कर बहू की मठा पीने लगा !
कुछ देर आराम करने के बाद मदनलाल उपर आ गया और बहू के संतरों को चूसने लगा ! संतरे कामया की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी जब भी मदनलाल उन्हे मुँह मे लेता था बहूरानी तुरंत काम वासना के आगे बेबस हो जाती !



अभी दो मिनिट ही ससुर ने बहू के संतरे चूसे थे क़ि कामया बोल पड़ी --
कामया :::: बाबूजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
मदनलाल :: जान थोड़ा रुक जाओ इन बूब्स का मज़ा तो ले लेने दो !
कामया :: नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
मदनलाल ::: क्या बात है जान आज बहुत बैचेन हो ?
कामया :: हाँ जानू इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम रानी साहिबा कहते हुए मदनलाल ने बहू की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लॅंड बहू के अंदर कर दिया !


एक झटके मे पूरा लॅंड अंदर जाते है कामया के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि मदनलाल ने पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खूना खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई -कामया :: उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है
मदनलाल :: सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?
कामया :: अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई पटरी नही बिछी है!
मदनलाल को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हलाकी वो चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली बख्स तरीके से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि उसका दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था ! वरना सेक्स को वो हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था ! अब मदनलाल ने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीं दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे कामया की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे मदनलाल की थाप की आवाज़ भी आ जाती जब बहू की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे मदनलाल समझ गया क़ि कामया अब आने वाली है !इधर बहू का जिस्म अब कमान की भाँति ऐटने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब मदनलाल का मूसल उसकी योनि का मंथन करने लगता तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगते
कामया ::::: हाँ जानू ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! बाबूजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई ! और इसी के साथ कामया झरने लगी मदनलाल ने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और बहू के अंदर अपना माल उड़ेलने लगा !
माल निकालने के बाद ससुर बहूरानी के उपर ही पसर गया !लगभग दस मिनिट तक वो लॅंड को अंदर ही फ़साए रहा जिससे वीर्य बिल्कुल भी बाहर ना निकल पाए ! फिर वो हटा और चिट लेट गया और कामया को करवट का उसका सिर अपने कंधे मे रख दिया ! दोनो धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे ! कामया मदनलाल के चौड़े चकले सीनेको सहला रही थी तो मदनलाल अपने पसंदीदा फल बहू के खरबूजों को मसल रहा था !बड़ा ही रोमांटिक दृश्य था ऐसा लग ही नही रहा था क़ि दोनो ससुर और बहू है और दोनो मे पीढ़ी का गेप है ! ऐसा लग रहा था जैसे दोनो नव विवाहित हों और अपना हनीमून मना रहे हों ! दोनो को रोमॅन्स करते -२ आधा घंटा बीत गया तो मदनलाल उठा और लूँगी पहनने लगा ! जैसे ही वो जाने को हुआ कामया ने झट से उसका हाथ थाम लिया !
मदनलाल ::: क्या हुआ जान ? कुछ कहना है क्या ?
बहू ने बहुत ही प्यासी नज़रों से ससुर को देखा और कहा
कामया :: जानू प्लीज़ थोड़ा और रुकिये ना !
मदनलाल ने बड़े लाड़ से बहूरानी की आँखों मे देखा और कहा
मदनलाल ::: क्या बात है डार्लिंग आज बड़ी एमोशनल लग रही हो ?
कामया ने उसकी ओर प्यार भरी दृष्टि डाली और बोली
कामया ::: वो कल आ रहे हैं फिर पता नही पंद्रह दिन मौका मिले ना मिले प्लीज़ एक बार और करिए ना ! बहू की बात सुनकर मदनलाल भी भावुक हो गया ! कामया से विरह की बात सुनकर ही उसका सीना भारी हो गया ,वो वापस आकर बिस्तर मे बैठ गया ! कामया भी किनारे खिसक आई और उसकी पीठ सहलाने लगी !
मदनलाल :: जान हमारी भी इच्छा है क़ि तुम्हे और चोदे किंतु शांति की कहीं नींद ना खुल जाए इस लिए ज़रा जल्दी जाने की सोच रहे थे !
कामया :: तो जल्दी से कर दीजिए ना ! कामया ने फ़ौरन बोल दिया !
मदनलाल :: जानेमन हम कोई पच्चीस साल के लड़के नही हैं क़ि हमारा तुरंत खड़ा हो जाए ? तुम्हे कुछ करना होगा !
कामया :::: बोलिए ना हमे क्या करना है हम ज़रूर करेंगे !
मदनलाल :: करना क्या बस इसे खड़ा करना है ! लो खेलो इससे ! जितना दिल से खेलोगी उतना ही ये जल्दी तैयार होगा !
मदनलाल की बातें सुन कामया ने तुरंत उसका लॅंड पकड़ लिया और मसलने लगी ! मदनलाल धीरे से लेट गया जिससे बहूरानी अच्छे से अपना काम कर सके ! कामया के हाथों मे आते ही लॅंड मे फिर से जान आने लगी उसका आकर धीरे धीरे बढ़ने लगा ! ज्यों ज्यों लिंगराज का साइज़ बढ़ रहा था बहू और कौतूहल से उसको प्यार कर रही थी ! पाँच मिनिट मे ही मदनलाल के पप्पू ने अपना सिर उठा दिया लेकिन उसमे पहले जैसी कठोरता नही थी ! मौके का सही फ़ायदा उठाते हुए मदनलाल ने कहा ---
मदनलाल :: जान ये थोड़ा और ट्रीटमेंट माँग रहा है ! ज़रा इसको मुँह मे लेकर स्टीम दो उससे जल्दी तैयार हो जाएगा !
कामया :: अच्छा हम आपकी चालाकी समझ गये चुसवाना चाहते हो इसलिए बहाना कर रहे हो !लेकिन हम नहीं चूसंगे हम ने आप से पहले ही कह दिया था क़ि जब तक हम प्रेगञेन्ट नहीं हो जाएँगे हम इसको मुँह मे नही लेंगे भूल गये क्या ?
मदनलाल :: हमे सब याद है लेकिन आप भूल रहीं हैं ! आपने कहा था क़ि इसका पानी नही पिएँगे ये नही कहा था क़ि चूसेंगे नही !
कामया ::: वो सब एक ही तो बात है ! कहते हुए कामया ने लॅंड को ज़ोर से मसक दिया ! मदनलाल के मुख से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी !
मदनलाल :: एक बात थोड़ी है ! चूसोगी तो तुम इसको तैयार करने के लिए बाकी पानी तो हम अंदर ही गिराएँगे ! चलो चूस लो फिर पता नही कब चूसने को मिले !
बहू भी लॅंड चूसना चाहती थी किंतु ससुर को चिडाने के लिए ही कह रही थी लेकिन जैसे ही मदनलाल ने कहा की पता नही फिर कब मौका मिलेगा वो चौंक गई और तुरंत ही अपने फ़ेवरेट डेज़र्ट को मुँह मे भर लिया !
बहू के मुँह मे लॅंड जाते ही मदनलाल गनगना गया उसके मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी जो कामया को और होर्नि बना रही थी ! कामया भी पूरी तरह वाइल्ड हो गई वो ससुर के लॅंड को जितना हो सके अंदर तक निगलने लगी बीच - २ मे लॅंड मे दाँत भी गढ़ा देती ! अब मदनलाल के लिए अपने को संभालना मुश्किल हो गया ! पहले वाली बात होती तो वो बहू को अपना पानी पिला देता लेकिन अब तो पानी किसी खाश जगह ही डालना था इसलिए मदनलाल ने कामया को नीचे पटका और उस पर सवार हो गया ! उसने बहू की गोरी मांसल जांघों को चूमा फिर उन्हे उठाकर कंधे मे रख लिया ! टाँग कंधे मे आते ही कामया की कमर बिस्तर से छह इंच उठ गई और उसकी दुकान बाहर को निकल आई ! मदनलाल ने अपना कोबरा बहू की छेदे मे रखा और उसे बिल मे सरका दिया ! दो धक्के मे उसने पूरा लॅंड अंदर पेल दिया ! कामया बस आह उई ही करती रह गई ! मदनलाल ने अब लंबे लंबे शॉट मारना शुरू कर दिया ! हर धक्के के साथ कामया का नशा बढ़ता ही जा रहा था !पूरे कमरे मे उसकी सिसकारी गूँज रही थी कभी कभी वो ज़ोर से चीख पढ़ती ! चुत पहले से गीली पढ़ी थी इसलिए लॅंड सटासॅट अंदर जा रहा था ! मदनलाल ने अब तैश मे आकर तगड़े झटके मारने शुरू कर दिए जिस जिससे कमरे मे थप थप की आवाज़ गूंजने लगी ! कमरे मे वीर्य की गंध भी आ रही थी ! सेकेंड राउंड अब अपने पूरे चरम पर था ! दोनो खिलाड़ी एक दूसरे के स्टेमीना का टेस्ट ले रहे थे ! लेकिन इस टेस्ट मे मदनलाल को ही जितना था क्योंकि वो जानता था क़ि सेकेंड राउंड वो लंबा खींच सकता है जबकि बहू का सक्सेस्सिव ओर्गस्म जल्दी होगा ! और वही हुआ कामया अपनी गर्मी संभाल नही पाई और चीख मार कर झढ़ने लगी ! मदनलाल लंबी रेस के घोड़े की तरह दौड़ता रहा !
मदनलाल अब बीच - २ मे स्ट्रोक मारना बंद कर बहू के अंगों से खेलने लगता ताकि अपने आपको और देर तक बचा सके ! कामया को उसका ये प्यार भी अच्छा लग रहा था नीचे तो लॅंड अंदर तक धंसा पढ़ा ही था ! अचानक मदनलाल ने बहू से कहा --
मदनलाल :: जानू आओ अब तुम करो !
कामया :: हम करें मतलब ?
मदनलाल :: मतलब अब तुम उपर आ जाओ और खुद अपने से चोदो !
कामया :: धत ?? य्र काम हमारा नही है ! ये काम मर्दों का होता है !
मदनलाल :: जान आजकल सब चलता है ,वीडियो मे नही देखा कैसे उपर बैठ कर लड़कियाँ खुद करती हैं और कितना एंजाय करती हैं ! तुम भी एंजाय करो ! कम ऑन डार्लिंग टेक दा ड्राइविंग सीट !
कामया :: आपको किसने कह दिया क़ि लड़कियाँ उपर आकर एंजाय करती है ? कोई एंजाय वंजाय नही करती है
मदनलाल :: वीडियो मे तो दिखता है क़ि सब एंजाय करती हैं !
कामया :: वीडियो की छोड़ दीजिए वो तो पैसे के लिए करती है असल मे औरत मर्द के नीचे ही रहना पसंद करती हैं !
मदनलाल :: मतलब ?? जान कुछ क्लियर बताओ
कामया :: मतलब ये क़ि ""woman always like to feel being fucked by his man . she simply like to lie down under man and enjoy his efforts""
मदनलाल :: वॉव आइ नेवेर न्यू दिस सीक्रेट
कामया :: और आप करते समय हमारा बहुत ख्याल करते हैं अपना पूरा वजन अपने हाथों मे उठा लेते हैं! please feel free during banging me
मदनलाल ::: लेकिन जानू तुम पर वजन पड़ेगा ,तुम बहुत नाज़ुक हो एकदम फूल जैसी !!
कामया ::: dont worry about me . i love your weight . i love being crushed under you
मदनलाल :::ये तो और अच्छा है ! फिर तो मदनलाल ने अपना पूरा वजन अपनी फूल सी बहू के उपर डाल दिया और धकापेल धक्के लगाने लगा ! कमरे महा संग्राम छिड़ गया था जिसमे हर चोट के साथ बहू की चीखने की आवाज़ आती लेकिन ये चीख दर्द की नही बल्कि खुशियों की थी जिसे बहू ने अब जाना था ! मदनलाल ने अब जो चुदाई का नज़ारा पेश किया तो अपने झ़डनेसे पहले कामया को तीन बार झडा दिया ! दोनो चुदाई के बाद आधा घंटे तक एक दूसरे की बाँहों मे आराम करते रहे ! फिर मदनलाल उठा और अपने कमरे मे जाने लगा कामया नंगी ही उसे छोड़ने दरवाजे तक आई! इससे पहले क़ि मदनलाल चिटकनी खोलता वो ज़ोर से ससुर से लिपट गई और बाबूजी के होंठों को चूमने लगी !
पाँच मिनिट तक दोनो लिप लॉक मे रहे और एक दूसरे को स्मूच करते रहे जब स्मूचिंग छूटी तो मदनलाल ने कहा
मदनलाल :: जान मन भर गया की नही ?
कामया :: आपका भरा क़ि नही ? अगर नही भरा तो और कर लीजिए !
मदनलाल :: जानेमन मैं २८ साल का नही ५८ साल का हूँ अब दुबारा करने के लिए कम से कम दो घंटा चाहिए !
कामया ::: बाबूजी मम्मी पाँच बजे उठती है अगर आपका दिल करे तो सुबह चार बजे आ जाना और जल्दी से कर के चले जाना !
मदनलाल ने उसकी ओर देखा और चुपचाप बाहर निकल गया वो मन ही मन मे सोचने लगा "" हे भगवान इस जवान प्यासी लड़की के सामने टिक पाना अब इस उमर मे हमारे बस की बात नही है इस को तो अब दिन रात खूँटा चाहिए ""


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