FUN-MAZA-MASTI
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एक परिवार ऐसा भी --6
गतान्क से आगे.........
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक परिवार ऐसा भी का
छठा भाग लेकर हाजिर हूँ आशा करता हूँ कि ये कहानी आपको पसंद
आ रही होगी---राज ने तो एक बार सुनीता से भीक भी माँगी, गिड़गिडया भी कि वोउसके लंड को चूस कर शांत कर दे.
"जा हरामी," सुनीता ने हंसते हुए कहा था, "जाकर मूठ मार लो
में तो नही चूसने वाली."
विजय राज की हालत देख कर हँसने लगा था, जिस तरह राज गिड़गिदा
रहा था, पर वो राज की तरह सुनीता के आगे नही गिड गिडाएगा.
"राज रहने दे जब इसके चूत मे आग लगती है तो साली पूरे मोहल्ले
से चुद्वा लेगी," विजय ने राज से कहा, "आज हम कह रहे है तो
साली नखरे दीखा रही है, इसकी चूत मे आग लगने दे तब इसे
बताएँगे."
विजय शीला के पीछे पीछे घर मे आ गया देखा कि शीला अपने
कमरे मे जा रही थी.
गीले कपड़े विजय के बदन से पूरी तरह चिपक हुए थे, विजय
शीला को देखे जा रहा था और अपने लंड को पैंट के उपर से मसल
रहा था.
शीले ने विजय की ओर देखा और मुसकुरूते हुए अपने कमरे मे चली
गयी, विजय ये सोच कर ही पागल हुए जा रहा था कि शीला अब अपने
गीले कपड़े उतारेगी. उसे ये विश्वास था कि शीला ने अभी तक किसी
से चुदवाया नही है, वो पूरी तरह कुँवारी है और इस सोच ने उसके
बदन मे और आग लग गई.
विजय शीला को अपने कमरे मे जाते हुए देखता रहा. उसके गीले
कपड़े बदन पर इस तरह चिपके हुए थे कि उसके बदन का हर कटाव
सॉफ दिखाई दे रहा था. विजय अपने बदन की गर्मी से अपने आपको रोक
ना सका और अपने खड़े लंड को पैंट के उपर से ही मसलने लगा.
विजय जल्दी से शीला के कमरे पर आया तो देखा की दरवाज़ा खुला
हुआ है, वो कमरे के अंदर आ गया.
शीला अपने गीले बालो को सूखा रही थी, उसके गीले कपड़े अब भी
उसके बदन से चिपके हुए थे. शीला को इस तरह खड़े देख विजय का
लंड पैंट के अंदर फूंकर मारने लगा.
शीला तो खुद विजय का इंतेज़ार कर रही थी, इसलिए वो उसे देख
चौंकी नही बल्कि सोच मे पड़ गयी की उसका भाई अब क्या करेगा.
विजय ने अपने होठों पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए कमरे का दरवाज़ा बंद
कर दिया और शीला से कहा, "खाने मे क्या है?"
शीला को उम्मीद थी विजय उसके पीछे पीछे आएगा. उसका मन कर
रहा था कि आज फिर विजय शवर के नीचे नहाने जाए तो उसे एक
बार फिर उसके लंड की झलक देखने को मिल जाए. कितने महीनो से वो
इस पल का इंतेज़ार कर रही थी. इस सोच ने ही उसकी चूत मे खुजली
मचा दी और गीली हो गयी.
शीला के बदन मे हलचल मची हुई थी. वो विजय को देख रही थी,
उसकी साँसे तेज हो गयी थी और सोच रही थी कि उसे क्या करना
चाहिए. उसका दिल तो कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर विजय की बाहों
मे समा जाए. उसे चूमे और अपने से चिपका ले. उसके दिमाग़ मे वो
सीन आ रहा था जब दो प्रेमी मिलते है तो क्या क्या करते है.
पर विजय उसका सगा भाई था. अपने भाई के बारे मे ऐसा सोचना पाप
था पर वो अपने दिल के हाथों मजबूर थी. विजय की आँखे भी यही
कह रही थी की वो भी उसे चाहता है और उसे पाना चाहता है, खाने
के लिए पूछना तो एक बहाना था.
विजय को उकसाने के लिए वो क्या करे. वैसे तो वो भी पहला कदम
बढ़ा सकती थी, पर उसे शरम आ रही थी. उसने हिम्मत करके अपनी
कमीज़ उठाई और अपनी शलवार का नाडा ढीला कर दिया. शलवार उसके
टाँगो पर फिसल का नीचे खिसक गयी.
वो सोच रही थी उसकी इस हरकत पर विजय क्या करेगा, उसे थप्पड़
मारेगा, उसपर चिल्लाए गा या उसे बाहों मे भर कर प्यार करेगा.
विजय शीला की हरकत देख रहा था, उसकी आँखों मे भी वही कुछ
था जो उसने हमेशा अपनी प्रेमिकाओं की आँखों मे देखा था. शीला
भी उसे पाना चाहती है. विजय आगे बढ़ा और शीला को अपनी बाहों
मे भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख उन्हे चूमने लगा.
शीला को आछा लगा कि उसकी सोच सही थी. विजय ने ना तो उसे
थप्पड़ मारा था और ना ही उस पर गुस्सा हुआ था बल्कि उसे बाहों मे
भर चूम रहा था. वो आज जिंदगी मे पहली बार किसी मर्द की बाहों
मे थी.
विजय थोड़ी देर तो उसे चूमता रहा फिर उसे अलग कर जल्दी से अपने
गीले कपड़े उतार नंगा हो गया. उसका तन्नाया हुआ लंड खूँटे की
जैसे खड़ा था.
"आओ मेरी जान" कहकर विजय ने उसका हाथ पकड़ा और बिस्तर पे ले
आया.
"क्या तुमने पहले कभी लंड नही देखा? ज़रा तुम्हारा हाथ देना……"
कहकर विजय ने शीला का हाथ अपने लंड पर रख दिया. शीला की
ठंडी उंगलिया और हथेली विजय के गरम लंड को सहलाने लगी.
"ओह्ह्ह भैया ये कितना गरम है! इतना मोटा और लंबा भी है……मेने
तो सोचा भी नही था कि आपका लंड ऐसा होगा." शीला ये कहकर अपनी
जिंदगी के पहले लंड को मसलने लगी और भींचने लगी.
विजय फिर धीरे धीरे शीला के कपड़े उतारने लगा. जब वो पूरी
तरह नंगी हो गयी तो उसने उसके चुचियों को अपने हाथों मे भर
मसालने लगा. फिर उसने उसके निपल को मुँह मे लिया और जोरों से
चूसने लगा.
"ऑश भैया……कितना मज़ाअ एयेए रहा है….ऑश हाआँ चूवसो भैया…"
शीला भी मस्त मे सिसकने लगी.
शीला ने विजय के सिर को पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबा दिया,
उत्तेजना मे उसकी टाँगे काँप रही थी. उसने अपनी टाँगो को और विजय
की टाँगो से चिपका दिया और अपनी चूत को उसके खड़े लंड पर
रगड़ने लगी.
विजय ने उसकी चुचि को चूस्ते हुए अपना हाथ नीचे को किया और
शीला की गीली चूत पर रख दिया. अब वो बड़े प्यार से उसकी चूत
को सहला रहा था, और वो साथ ही उसकी गर्दन चूमने लगा फिर वो
उसके कानो की लाउ पर अपनी ज़ुबान फिराने लगा.
जैसे जैसे विजय की उंगलियाँ उसकी चूत को सहला रही थी, शीला
की साँसे और तेज होने लगी. उसके बदन मे एक अजीब सी मस्ती छाने
लगी थी.
विजय ने शीला को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके उपर आ गया. वो
उसकी पूरे बदन को चूमने लगा. शीला उसके नीचे उसका लंड लेने
को तैयार थी. वो जानता था कि अगर आज उसने इसे नही चोदा तो एक दिन
राज ज़रूर उसकी चूत फाड़ देगा.
विजय का लंड ये सोच कर और तन गया कि वो राज से पहले शीला की
चूत मारेगा. किस तरह राज ने सुनीता की चूत मारी थी. आज वो
दिन था की उसने राज को शीला के मामले मे हरा दिया था. शीला की
चूत मार के वो राज से सुनीता का बदला ले लेगा.
विजय उसकी टाँगो के बीच आ गया और धीरे से उसके कान मे
फुसफुसाया, "अपनी टाँगे खोलो मेरी प्यारी बहना आज में तुम्हे
लड़की से औरत बना दूँगा."
"हाँहाँहन……..भैया आज मुझे चोद दो." शीला भी उत्तेजित स्वर मे
बोली.
जिस तरह से शीला ने चोदो शब्द कहा था, विजय के चेहरे पर
मुस्कान आ गयी. उसकी बेहन को कॉलेज मे अच्छी शिक्षा मिली है.
उसने अपने खड़े लंड को हाथ मे पकड़ा और शीला की चूत को थोड़ा
फैलाते हुए उसके मुँह पर रख दिया.
"थोड़ा दर्द सहन करना मेरी जान, शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी पर
जब लंड अंदर चला जाएगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा," कहकर
विजय उसके होठों को चूसने लगा और अपना लंड उसकी चूत मे
घुसाने की कोशिश करने लगा.
विजय को अपना लंड शीला की कुँवारी चूत मे घुसाने मे बड़ी
तकलीफ़ हो रही थी, और शीला भी दर्द के मारे रोने लगी थी.
शीला दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी, सुनीता ने उसे
बताया था कि पहली बार थोड़ा दर्द होगा पर बाद मे बहुत मज़ा
आएगा.
दो तीन कोशिश के बाद विजय अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत मे
घुसाने मे कामयाब हो गया.
"ऑश….भैया….बहुत दर्द हो रहा है…… प्लीज़ इसे बाहर निकाल लो
में बर्दाश नही कर पाउन्गि." शीला दर्द के मारे चीख पड़ी,
उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे.
विजय ने उसकी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और दो तीन ज़ोर से
धक्के मार्कर उसकी चूत की झिल्ली फाड़ दी और अपना लंड उसकी चूत
मे पूरा का पूरा घुसा दिया.
शीला ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और अपने दर्द को सहन
करने की कोशिश करने लगी. उसकी आँखों से तर तर आँसू बह रहे
थे. चूत मे दर्द इतना हो रहा था कि वो अपनी टाँगे पटक रही थी.
पर धीरे धीरे उसका दर्द कम होता गया और उसकी चूत विजय के
लंड को सहन करने लगी. उसे विजय का लंड बहुत ही मोटा लग रहा
था, उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मूसल उसकी चूत मे घुस
गया है.
शीला सोचने लगी की क्या विजय का लंड सबसे बड़ा लंड है या इससे
भी बड़े लंड दुनिया मे होते है. जब उसकी शादी हो जाएगी तो क्या
उसके पति का लंड भी ऐसा होगा या इससे बड़ा? या इससे पतला और
छोटा. वो इन्ही ख़यालों मे खोई हुई थी. तभी उसने विजय के होठों
को अपने होठों पर महसूस किया जो उसके होठों को चूसने लगा था.
शीला ने आज पहली बार लंड का स्वाद चखा था. उसने सुना तो बहुत
था चुदाई के बारे मे पर आज वास्तव मे हक़ीक़त मे वो चुदवा रही
थी. वो भी किसी और नही से बल्कि अपने सगे चुड़क्कड़ भाई से.
विजय अब उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथो मे लेकर मसलने लगा
था, कभी अपनी जीब उसके निपल पर फिराता तो कभी उसके निपल को
अपने दाँतों के बीच लेकर हौले से काट लेता.
विजय चाहता था कि शीला की चूत उसके लंड के धक्के सहने के
काबिल हो जाए, वो शीला को इतना गरमा देना चाहता था कि वो उसके
धक्को को सहन कर सके. विजय को अपने आप पर काबू रखना बहुत
मुश्किल हो रहा था कारण शीला की चूत इतनी ज़्यादा कसी और गरम
थी की बड़ी मुश्किल से वो अपने आप को रोक रहा था.
विजय ने जब देखा कि शीला थोड़ा शांत पड़ गयी तो उसने धीरे
धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया. वो बड़े प्यार से
उसे चूमते हुए और उसकी चुचियों को सहलाते हुए धक्के मार रहा
था. शीला उसकी बेहन थी और उसकी इच्छा थी शीला अपनी पहली
चुदाई का पूरा लुफ्त उठाए.
विजय इतने प्यार से उसे चोद रहा था कि वो चाहता था कि शीला इस
चुदाई को हमेशा याद रखे और वो बार बार उसी से चुदवाये.
शीला को दर्द तो थोड़ा थोड़ा अभी हो रहा था पर अब उसे मज़ा भी
आने लगा था. वो भी अब अपने कूल्हे उठा कर विजय के धक्कों का
साथ देने लगी.
विजय ने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी. शीला भी अब उसका पूरा
साथ देने लगी और सिसकने लगी, "ऑश भैया हाँ चूऊओदो मुझे
ऑश अयाया बड़ा मज़ाअ रहा है."
विजय का लंड अब उसकी चूत की गहराइयों तक जा रहा था, विजय को
भी बड़ा मज़ा आ रहा था, "ऑश मेरी प्यारी बहाना तेरी चूओत तो
मुझे इतनाअ मज़्ज़ा दे रही है हाआँ ले ले अपने भाई का लंड अपनी
चूत मे ऑश."
दोनो ने एक दूसरे को कस कर अपनी बाहों मे भींच रखा था और ताल
से ताल मिला कर चुदाई कर रहे थे.
तभी विजय ने देखा की शीला ने अपनी टाँगे उठा कर उसकी कमर से
लपेट ली है और अपने कूल्हे और आगे को कर उसका लंड अपनी चूत मे
और अंदर तक ले रही है. उसके मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी वो
समझ गया की शीला की चूत ने पानी छोड़ने वाली है.
"ऑश भाइया ये मेरी चूत को क्या हो रहा है ऐसा लग रहा है कि
जैसे कुछ निकल रहा है ऑश माआ."
विजय समझ गया कि शीला की चूत ने पानी छोड़ दिया है. उसके
भी लंड मे तनाव आने लगा था. विजय ने अपना लंड बाहर निकाला
और उसे रगड़ते हुए अपना वीर्य शीला के पेट पर छोड़ दिया.
विजय लुढ़क कर शीला के बगल मे बिस्तर पर लेट गया. दोनो की तेज
सांसो की आवाज़ कमरे मे गूँज रही थी. विजय शीला के पसीने से
भरे बदन को सहलाते हुए अपनी उखड़ी सांसो को काबू मे करने की
कोशिश कर रहा था.
विजय बिस्तर पर लेटा शीला को देख रहा था. उसकी छोटी और प्यारी
बेहन चुदाई के बाद और सुंदर दीख रही थी. उसे बड़ा प्यार आ
रहा था अपनी इस बेहन पर. सुनीता की चूत से भी बड़ी प्यारी
चूत थी शीला की.
उसने राज से बदला ले लिया था. राज ने पहले सुनीता की चूत मारी
और उसने पहले शीला की. पर वो राज से ज़्यादा खुशनसीब था कि उसे
कुँवारी चूत चोदने को मिली. कुँवारी चूत चोदने का ये उसका पहला
अनुभव था.
थोड़ी देर सुसताने के बाद विजय बिस्तर से उठा और बाथरूम की ओर
बढ़ गया. शीला उसे बाथरूम जाते देखती रही. उसका मुरझाया हुआ
लंड भी उसे लंबा लग रहा था. उसकी चूत मे अभी भी हल्का सा
दर्द था पर जो आनंद उसे चूत मरवा कर मिला था इस समय उठ रहे
दर्द से कहीं अच्छा था. वो मन ही मन खुश थी कि आज वो एक लड़की
से औरत बन गयी थी.
विजय ने बाथरूम मे जाकर अपने लंड को देखा. उसका लंड उसके और
शीला के वीर्य के साथ साथ शीला की चूत से निकले खून से भी
भरा हुआ था. उसने रगड़ रगड़ कर अपने लंड को साबुन से अच्छी
तरह धोया और बाहर आ गया. उसने देखा की शीला बिस्तर पर पेट
के बल लेटी हुई है.
विजय तो शीला की उभरी और फूली हुई गंद देखता ही रह गया. उसकी
गान्ड को देखते ही उसका लंड एक बार फिर तंन गया और फूँकार मारने
लगा.
विजय सोचने लगा कि जब वो एक बार शीला की कुँवारी चूत तो चोद
चुका है तो क्यों ना आज उसकी कुँवारी गान्ड भी मार दी जाए. उसने
ड्रेसिंग टेबल पर देखा और पॉंड्स क्रीम की शीशी उठी ली.
क्रीम की शीशी खोलने के बाद वो उसमे से क्रीम निकाल अपने लंड पर
मलने लगा. वो क्रीम इस तरह लगा रहा था कि उसका लंड पूरी तरह
से चिकना हो जाए.
फिर विजय अपनी बेहन शीला के पास बिस्तर पर आया जो खून के
धब्बों से भारी चादर पर लेटी थी.
"शीला मेरी जान मज़ा आया ना तुम्हे?" विजय ने उसकी गान्ड पर हाथ
फिराते हुए कहा.
शीला ने करवट बदली और विजय को देखने लगी, "हाँ भैया, बहुत
मज़ा आया, मुझे नही मालूम था कि चुदाई मे इतना मज़ा मिलता
है."
विजय झुका और उसकी गर्दन और कंधों को चूमने लगा साथ ही वो
उसकी गान्ड की दरार मे हाथ फिरा रहा था और उसकी गान्ड के छेद को
कुरेद भी रहा था.
क्रमशः....................... ...
गतान्क से आगे.........
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक परिवार ऐसा भी का
छठा भाग लेकर हाजिर हूँ आशा करता हूँ कि ये कहानी आपको पसंद
आ रही होगी---राज ने तो एक बार सुनीता से भीक भी माँगी, गिड़गिडया भी कि वोउसके लंड को चूस कर शांत कर दे.
"जा हरामी," सुनीता ने हंसते हुए कहा था, "जाकर मूठ मार लो
में तो नही चूसने वाली."
विजय राज की हालत देख कर हँसने लगा था, जिस तरह राज गिड़गिदा
रहा था, पर वो राज की तरह सुनीता के आगे नही गिड गिडाएगा.
"राज रहने दे जब इसके चूत मे आग लगती है तो साली पूरे मोहल्ले
से चुद्वा लेगी," विजय ने राज से कहा, "आज हम कह रहे है तो
साली नखरे दीखा रही है, इसकी चूत मे आग लगने दे तब इसे
बताएँगे."
विजय शीला के पीछे पीछे घर मे आ गया देखा कि शीला अपने
कमरे मे जा रही थी.
गीले कपड़े विजय के बदन से पूरी तरह चिपक हुए थे, विजय
शीला को देखे जा रहा था और अपने लंड को पैंट के उपर से मसल
रहा था.
शीले ने विजय की ओर देखा और मुसकुरूते हुए अपने कमरे मे चली
गयी, विजय ये सोच कर ही पागल हुए जा रहा था कि शीला अब अपने
गीले कपड़े उतारेगी. उसे ये विश्वास था कि शीला ने अभी तक किसी
से चुदवाया नही है, वो पूरी तरह कुँवारी है और इस सोच ने उसके
बदन मे और आग लग गई.
विजय शीला को अपने कमरे मे जाते हुए देखता रहा. उसके गीले
कपड़े बदन पर इस तरह चिपके हुए थे कि उसके बदन का हर कटाव
सॉफ दिखाई दे रहा था. विजय अपने बदन की गर्मी से अपने आपको रोक
ना सका और अपने खड़े लंड को पैंट के उपर से ही मसलने लगा.
विजय जल्दी से शीला के कमरे पर आया तो देखा की दरवाज़ा खुला
हुआ है, वो कमरे के अंदर आ गया.
शीला अपने गीले बालो को सूखा रही थी, उसके गीले कपड़े अब भी
उसके बदन से चिपके हुए थे. शीला को इस तरह खड़े देख विजय का
लंड पैंट के अंदर फूंकर मारने लगा.
शीला तो खुद विजय का इंतेज़ार कर रही थी, इसलिए वो उसे देख
चौंकी नही बल्कि सोच मे पड़ गयी की उसका भाई अब क्या करेगा.
विजय ने अपने होठों पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए कमरे का दरवाज़ा बंद
कर दिया और शीला से कहा, "खाने मे क्या है?"
शीला को उम्मीद थी विजय उसके पीछे पीछे आएगा. उसका मन कर
रहा था कि आज फिर विजय शवर के नीचे नहाने जाए तो उसे एक
बार फिर उसके लंड की झलक देखने को मिल जाए. कितने महीनो से वो
इस पल का इंतेज़ार कर रही थी. इस सोच ने ही उसकी चूत मे खुजली
मचा दी और गीली हो गयी.
शीला के बदन मे हलचल मची हुई थी. वो विजय को देख रही थी,
उसकी साँसे तेज हो गयी थी और सोच रही थी कि उसे क्या करना
चाहिए. उसका दिल तो कर रहा था कि वो आगे बढ़ कर विजय की बाहों
मे समा जाए. उसे चूमे और अपने से चिपका ले. उसके दिमाग़ मे वो
सीन आ रहा था जब दो प्रेमी मिलते है तो क्या क्या करते है.
पर विजय उसका सगा भाई था. अपने भाई के बारे मे ऐसा सोचना पाप
था पर वो अपने दिल के हाथों मजबूर थी. विजय की आँखे भी यही
कह रही थी की वो भी उसे चाहता है और उसे पाना चाहता है, खाने
के लिए पूछना तो एक बहाना था.
विजय को उकसाने के लिए वो क्या करे. वैसे तो वो भी पहला कदम
बढ़ा सकती थी, पर उसे शरम आ रही थी. उसने हिम्मत करके अपनी
कमीज़ उठाई और अपनी शलवार का नाडा ढीला कर दिया. शलवार उसके
टाँगो पर फिसल का नीचे खिसक गयी.
वो सोच रही थी उसकी इस हरकत पर विजय क्या करेगा, उसे थप्पड़
मारेगा, उसपर चिल्लाए गा या उसे बाहों मे भर कर प्यार करेगा.
विजय शीला की हरकत देख रहा था, उसकी आँखों मे भी वही कुछ
था जो उसने हमेशा अपनी प्रेमिकाओं की आँखों मे देखा था. शीला
भी उसे पाना चाहती है. विजय आगे बढ़ा और शीला को अपनी बाहों
मे भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख उन्हे चूमने लगा.
शीला को आछा लगा कि उसकी सोच सही थी. विजय ने ना तो उसे
थप्पड़ मारा था और ना ही उस पर गुस्सा हुआ था बल्कि उसे बाहों मे
भर चूम रहा था. वो आज जिंदगी मे पहली बार किसी मर्द की बाहों
मे थी.
विजय थोड़ी देर तो उसे चूमता रहा फिर उसे अलग कर जल्दी से अपने
गीले कपड़े उतार नंगा हो गया. उसका तन्नाया हुआ लंड खूँटे की
जैसे खड़ा था.
"आओ मेरी जान" कहकर विजय ने उसका हाथ पकड़ा और बिस्तर पे ले
आया.
"क्या तुमने पहले कभी लंड नही देखा? ज़रा तुम्हारा हाथ देना……"
कहकर विजय ने शीला का हाथ अपने लंड पर रख दिया. शीला की
ठंडी उंगलिया और हथेली विजय के गरम लंड को सहलाने लगी.
"ओह्ह्ह भैया ये कितना गरम है! इतना मोटा और लंबा भी है……मेने
तो सोचा भी नही था कि आपका लंड ऐसा होगा." शीला ये कहकर अपनी
जिंदगी के पहले लंड को मसलने लगी और भींचने लगी.
विजय फिर धीरे धीरे शीला के कपड़े उतारने लगा. जब वो पूरी
तरह नंगी हो गयी तो उसने उसके चुचियों को अपने हाथों मे भर
मसालने लगा. फिर उसने उसके निपल को मुँह मे लिया और जोरों से
चूसने लगा.
"ऑश भैया……कितना मज़ाअ एयेए रहा है….ऑश हाआँ चूवसो भैया…"
शीला भी मस्त मे सिसकने लगी.
शीला ने विजय के सिर को पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबा दिया,
उत्तेजना मे उसकी टाँगे काँप रही थी. उसने अपनी टाँगो को और विजय
की टाँगो से चिपका दिया और अपनी चूत को उसके खड़े लंड पर
रगड़ने लगी.
विजय ने उसकी चुचि को चूस्ते हुए अपना हाथ नीचे को किया और
शीला की गीली चूत पर रख दिया. अब वो बड़े प्यार से उसकी चूत
को सहला रहा था, और वो साथ ही उसकी गर्दन चूमने लगा फिर वो
उसके कानो की लाउ पर अपनी ज़ुबान फिराने लगा.
जैसे जैसे विजय की उंगलियाँ उसकी चूत को सहला रही थी, शीला
की साँसे और तेज होने लगी. उसके बदन मे एक अजीब सी मस्ती छाने
लगी थी.
विजय ने शीला को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके उपर आ गया. वो
उसकी पूरे बदन को चूमने लगा. शीला उसके नीचे उसका लंड लेने
को तैयार थी. वो जानता था कि अगर आज उसने इसे नही चोदा तो एक दिन
राज ज़रूर उसकी चूत फाड़ देगा.
विजय का लंड ये सोच कर और तन गया कि वो राज से पहले शीला की
चूत मारेगा. किस तरह राज ने सुनीता की चूत मारी थी. आज वो
दिन था की उसने राज को शीला के मामले मे हरा दिया था. शीला की
चूत मार के वो राज से सुनीता का बदला ले लेगा.
विजय उसकी टाँगो के बीच आ गया और धीरे से उसके कान मे
फुसफुसाया, "अपनी टाँगे खोलो मेरी प्यारी बहना आज में तुम्हे
लड़की से औरत बना दूँगा."
"हाँहाँहन……..भैया आज मुझे चोद दो." शीला भी उत्तेजित स्वर मे
बोली.
जिस तरह से शीला ने चोदो शब्द कहा था, विजय के चेहरे पर
मुस्कान आ गयी. उसकी बेहन को कॉलेज मे अच्छी शिक्षा मिली है.
उसने अपने खड़े लंड को हाथ मे पकड़ा और शीला की चूत को थोड़ा
फैलाते हुए उसके मुँह पर रख दिया.
"थोड़ा दर्द सहन करना मेरी जान, शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी पर
जब लंड अंदर चला जाएगा तो तुम्हे बहुत मज़ा आएगा," कहकर
विजय उसके होठों को चूसने लगा और अपना लंड उसकी चूत मे
घुसाने की कोशिश करने लगा.
विजय को अपना लंड शीला की कुँवारी चूत मे घुसाने मे बड़ी
तकलीफ़ हो रही थी, और शीला भी दर्द के मारे रोने लगी थी.
शीला दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी, सुनीता ने उसे
बताया था कि पहली बार थोड़ा दर्द होगा पर बाद मे बहुत मज़ा
आएगा.
दो तीन कोशिश के बाद विजय अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत मे
घुसाने मे कामयाब हो गया.
"ऑश….भैया….बहुत दर्द हो रहा है…… प्लीज़ इसे बाहर निकाल लो
में बर्दाश नही कर पाउन्गि." शीला दर्द के मारे चीख पड़ी,
उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे.
विजय ने उसकी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और दो तीन ज़ोर से
धक्के मार्कर उसकी चूत की झिल्ली फाड़ दी और अपना लंड उसकी चूत
मे पूरा का पूरा घुसा दिया.
शीला ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और अपने दर्द को सहन
करने की कोशिश करने लगी. उसकी आँखों से तर तर आँसू बह रहे
थे. चूत मे दर्द इतना हो रहा था कि वो अपनी टाँगे पटक रही थी.
पर धीरे धीरे उसका दर्द कम होता गया और उसकी चूत विजय के
लंड को सहन करने लगी. उसे विजय का लंड बहुत ही मोटा लग रहा
था, उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मूसल उसकी चूत मे घुस
गया है.
शीला सोचने लगी की क्या विजय का लंड सबसे बड़ा लंड है या इससे
भी बड़े लंड दुनिया मे होते है. जब उसकी शादी हो जाएगी तो क्या
उसके पति का लंड भी ऐसा होगा या इससे बड़ा? या इससे पतला और
छोटा. वो इन्ही ख़यालों मे खोई हुई थी. तभी उसने विजय के होठों
को अपने होठों पर महसूस किया जो उसके होठों को चूसने लगा था.
शीला ने आज पहली बार लंड का स्वाद चखा था. उसने सुना तो बहुत
था चुदाई के बारे मे पर आज वास्तव मे हक़ीक़त मे वो चुदवा रही
थी. वो भी किसी और नही से बल्कि अपने सगे चुड़क्कड़ भाई से.
विजय अब उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथो मे लेकर मसलने लगा
था, कभी अपनी जीब उसके निपल पर फिराता तो कभी उसके निपल को
अपने दाँतों के बीच लेकर हौले से काट लेता.
विजय चाहता था कि शीला की चूत उसके लंड के धक्के सहने के
काबिल हो जाए, वो शीला को इतना गरमा देना चाहता था कि वो उसके
धक्को को सहन कर सके. विजय को अपने आप पर काबू रखना बहुत
मुश्किल हो रहा था कारण शीला की चूत इतनी ज़्यादा कसी और गरम
थी की बड़ी मुश्किल से वो अपने आप को रोक रहा था.
विजय ने जब देखा कि शीला थोड़ा शांत पड़ गयी तो उसने धीरे
धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया. वो बड़े प्यार से
उसे चूमते हुए और उसकी चुचियों को सहलाते हुए धक्के मार रहा
था. शीला उसकी बेहन थी और उसकी इच्छा थी शीला अपनी पहली
चुदाई का पूरा लुफ्त उठाए.
विजय इतने प्यार से उसे चोद रहा था कि वो चाहता था कि शीला इस
चुदाई को हमेशा याद रखे और वो बार बार उसी से चुदवाये.
शीला को दर्द तो थोड़ा थोड़ा अभी हो रहा था पर अब उसे मज़ा भी
आने लगा था. वो भी अब अपने कूल्हे उठा कर विजय के धक्कों का
साथ देने लगी.
विजय ने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी. शीला भी अब उसका पूरा
साथ देने लगी और सिसकने लगी, "ऑश भैया हाँ चूऊओदो मुझे
ऑश अयाया बड़ा मज़ाअ रहा है."
विजय का लंड अब उसकी चूत की गहराइयों तक जा रहा था, विजय को
भी बड़ा मज़ा आ रहा था, "ऑश मेरी प्यारी बहाना तेरी चूओत तो
मुझे इतनाअ मज़्ज़ा दे रही है हाआँ ले ले अपने भाई का लंड अपनी
चूत मे ऑश."
दोनो ने एक दूसरे को कस कर अपनी बाहों मे भींच रखा था और ताल
से ताल मिला कर चुदाई कर रहे थे.
तभी विजय ने देखा की शीला ने अपनी टाँगे उठा कर उसकी कमर से
लपेट ली है और अपने कूल्हे और आगे को कर उसका लंड अपनी चूत मे
और अंदर तक ले रही है. उसके मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी वो
समझ गया की शीला की चूत ने पानी छोड़ने वाली है.
"ऑश भाइया ये मेरी चूत को क्या हो रहा है ऐसा लग रहा है कि
जैसे कुछ निकल रहा है ऑश माआ."
विजय समझ गया कि शीला की चूत ने पानी छोड़ दिया है. उसके
भी लंड मे तनाव आने लगा था. विजय ने अपना लंड बाहर निकाला
और उसे रगड़ते हुए अपना वीर्य शीला के पेट पर छोड़ दिया.
विजय लुढ़क कर शीला के बगल मे बिस्तर पर लेट गया. दोनो की तेज
सांसो की आवाज़ कमरे मे गूँज रही थी. विजय शीला के पसीने से
भरे बदन को सहलाते हुए अपनी उखड़ी सांसो को काबू मे करने की
कोशिश कर रहा था.
विजय बिस्तर पर लेटा शीला को देख रहा था. उसकी छोटी और प्यारी
बेहन चुदाई के बाद और सुंदर दीख रही थी. उसे बड़ा प्यार आ
रहा था अपनी इस बेहन पर. सुनीता की चूत से भी बड़ी प्यारी
चूत थी शीला की.
उसने राज से बदला ले लिया था. राज ने पहले सुनीता की चूत मारी
और उसने पहले शीला की. पर वो राज से ज़्यादा खुशनसीब था कि उसे
कुँवारी चूत चोदने को मिली. कुँवारी चूत चोदने का ये उसका पहला
अनुभव था.
थोड़ी देर सुसताने के बाद विजय बिस्तर से उठा और बाथरूम की ओर
बढ़ गया. शीला उसे बाथरूम जाते देखती रही. उसका मुरझाया हुआ
लंड भी उसे लंबा लग रहा था. उसकी चूत मे अभी भी हल्का सा
दर्द था पर जो आनंद उसे चूत मरवा कर मिला था इस समय उठ रहे
दर्द से कहीं अच्छा था. वो मन ही मन खुश थी कि आज वो एक लड़की
से औरत बन गयी थी.
विजय ने बाथरूम मे जाकर अपने लंड को देखा. उसका लंड उसके और
शीला के वीर्य के साथ साथ शीला की चूत से निकले खून से भी
भरा हुआ था. उसने रगड़ रगड़ कर अपने लंड को साबुन से अच्छी
तरह धोया और बाहर आ गया. उसने देखा की शीला बिस्तर पर पेट
के बल लेटी हुई है.
विजय तो शीला की उभरी और फूली हुई गंद देखता ही रह गया. उसकी
गान्ड को देखते ही उसका लंड एक बार फिर तंन गया और फूँकार मारने
लगा.
विजय सोचने लगा कि जब वो एक बार शीला की कुँवारी चूत तो चोद
चुका है तो क्यों ना आज उसकी कुँवारी गान्ड भी मार दी जाए. उसने
ड्रेसिंग टेबल पर देखा और पॉंड्स क्रीम की शीशी उठी ली.
क्रीम की शीशी खोलने के बाद वो उसमे से क्रीम निकाल अपने लंड पर
मलने लगा. वो क्रीम इस तरह लगा रहा था कि उसका लंड पूरी तरह
से चिकना हो जाए.
फिर विजय अपनी बेहन शीला के पास बिस्तर पर आया जो खून के
धब्बों से भारी चादर पर लेटी थी.
"शीला मेरी जान मज़ा आया ना तुम्हे?" विजय ने उसकी गान्ड पर हाथ
फिराते हुए कहा.
शीला ने करवट बदली और विजय को देखने लगी, "हाँ भैया, बहुत
मज़ा आया, मुझे नही मालूम था कि चुदाई मे इतना मज़ा मिलता
है."
विजय झुका और उसकी गर्दन और कंधों को चूमने लगा साथ ही वो
उसकी गान्ड की दरार मे हाथ फिरा रहा था और उसकी गान्ड के छेद को
कुरेद भी रहा था.
क्रमशः.......................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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