Monday, August 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--13

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--13


 मदनलाल :--अच्छा बोलो एंजाय किया कि नही . मदनलाल बैठे बैठे उसकी गांद मे हाथ फेरते हुए बोला .
रीमा :-- एंजाय तो हम फुल किए हैं .इट इस जस्ट आ लाइफ टाइम अचीवमेंट .अगर हम कुंवारे होते तो अभी चल के घर नही जा पाते .कितना तो मोटा है आपका ये बदमाश . बाबूजी आपका स्टॅमिना भी बहुत है .कितनी देर तक ताबड़तोड़ हमला किया है आपने .ऐसी घनघोर चुदाई अगर रोज हो जाए तो औरत के लिए तो यहीं स्वर्ग है .फिर दोनो घर की ओर चल दिए .रीमा ने अपनी चुचि मदनलाल की पीठ से चिपका दी थी और उसकी जांघों मे हाथ रख दिया .जैसे ही थोड़ा ट्रफ़िक कम हुआ उसने बाबूजी के साँप को नचाना शुरू कर दिया और बोली
रीमा : - बाबूजी बताइए ना पार्क मे कितने बार किए है आप .
मदनलाल :-- ज़्यादा नही किए .और ये तो बहुत पुरानी बात है .आज तो हम पाँच साल बाद तुम्हे चोदे हैं .इसलिए बहुत मज़ा आया.
रीमा :-- लड़की का इंतज़ाम कौन करता था .आप की वो गार्ड
मदनलाल : माल का इंतज़ाम तो वो ही करता था ..क्या है क़ी आजकल की लड़कियों के शौक बहुत हो गये हैं इसलिए जेब खर्च के लिए यहाँ आ जाती हैं .कॉलेज की लड़कियाँ, गर्ल्स होस्टल की लड़कियाँ, वर्किंग वुमन होस्टल की लड़कियाँ यहाँ आती रहती हैं गार्ड सबको पहचानता है .सो दिला देता है .लड़कियों के लिए भी अच्छा है मज़े भी लो और पैसा भी कमा लो है ना अच्छा धन्दा .
रीमा :-- छी ये कोई धनदा है .शरीर बेच के पैसा कमाना और रीमा ने बाबूजी के मूसल को मसल दिया .
मदनलाल :-- आ मार डालोगी क्या .
रीमा :- हाँ इसकी तो बहुत पिटाई करनी है इतने दिन क्यों नही मिला ये .अच्छा बाबूजी आगे कोई बाज़ार है क्या ?
मदनलाल :- हाँ बोलो क्या दिला दें
रीमा : - बस मेडिकल स्टोर से एक आइ पिल दिला दीजिए .दोनो बार आपने हमे अंदर ही भर दिया कहीं कुछ गड़बड़ हो गई तो .
मदनलाल :-- तो क्या हुआ .हमारी निशानी समझ के रख लेना .
रीमा :-- अच्छा बड़े आए .पाच महीने से वो आए नही हैं .उनको क्या बोलूँगी कि "" गंगा मैया दीन्ह हैं ""
मदनलाल :-- अरे कुछ ऐसा लगे तो उसे अरजेंट कॉल करके बुला लेना और थोड़ा उसे भी खेल खिला देना
रीमा :-- आप तो चुप रहिए कुछ भी बोल देते हैं . अच्छा एक बात बताइए हमारे शहर आ रहे हैं कि नही
मदनलाल :-- क्यों अभी मन नही भरा क्या .एक काम करो कुछ दिन यहीं रुक जाओ रोज पार्क घूमने चलेंगे .
रीमा :-- नहीं पार्क मे ज़रा दहशत रहती है इसलिए खुलके मज़ा भी नही ले पाए .जब आप घनघोर कुटाई कर रहे थे तब हमारा बहुत आवाज़ करने का मन कर रहा था लेकिन पब्लिक प्लेस होने के कारण चिल्ला भी नहीं पा रहे थे .
मदनलाल :-- अच्छा हुआ नही चिल्लाई नही तो इतनी पब्लिक आ जाती कि रात तक तुम्हे टाँग उठा के रखना पड़ता .
रीमा :-- छी गंदी बात मत किया करो .प्लीज़ बाबूजी हमारे वहाँ ज़रूर आना हमको तबीयत से मज़ा लेना है अभी तो हमने आपका माल पिया भी नही ज़रा टेस्ट तो देखें इस बच्चू का .कहते हुए उसने फिर फन मसल दिया .
दोनो घर पहुँच गये शाम तक एक दूसरे को निहारते रहे .जाते समय रीमा कई बार बोली बाबूजी हमारे शहर ज़रूर आना .उसके जाने के बाद कामया के मुख से निकल पड़ा ""बाबूजी हमारे यहाँ ज़रूर आना बाबूजी हमारे यहाँ ज़रूर आना बोल रही है, लगता है दो खसम से भी पूरा नही पड़ रहा कमीनी को जो मेरा घर देख रही है "" बाबूजी चुपचाप सुनते रहे और सोचने लगे ""कितनी सच बात है नारी ना मोहे नारी के रूपा .""
रात होते ही कामया अपने रूम मे चली गई उसने हल्का सा मेक अप भी कर लिया . उसने सोचा बाबूजी पाँच दिन से भूखियाए बैठे हैं और उपर से रीमा का खेल भी देख लिए हैं आज ज़रूर हमारे कमरे मे ज़लज़ला आएगा .आज पहली बार उसने भी अपने आप को लहरों मे बह जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लिया था .उसने सोचा मधु भी ऐश कर रही है ,रीमा दो दो ख़सम बना के रखी है ,पिंकी के ससुराल के तो सभी मर्द उसके ख़सम बन गये होंगे उसको एक से कहाँ पूरा पड़ने वाला .आख़िर हम ही क्यों सूखी जिंदगी बिताएँ . कामया ने पक्का कर लिया कि अगर बाबूजी आज आगे नही बढ़े तो वो खुद बाबूजी से कह देगी कि हमको चोदिये हमे आपका लॅंड अपने अंदर चाहिए .बहुत शरीफ बन के देख लिया अब "" शराफ़त गई तेल लेने "" अगर ऐसे ही शराफ़त दिखाती रही तो सारी जिंदगी लंड के लिए तरस जाउंगी . कामया बिस्तर मे जाकर लेट गई और आने वाले तूफान का इंतज़ार करने लगी .लेटते हो उसे याद आया कि जब बाबूजी उसके साथ मस्ती करते हैं तो उसको पूरी नंगी नही करते पेंटी तो उतारते ही नही हैं .कामया ने अब इस पेंटी रूपी सौतन से भी छुटकारा पाने का फ़ैसला कर लिया और पेंटी उतारकर फेंक दी और बुदबुदाई अब जब बाबूजी मेक्सी उतारेंगे और हमे पूरी वैसी देखेंगे तब देखती हूँ इनके जोश से बच के कहाँ जाएँगे कहते हुए उसने अपनी निगोडी गांद को सहला दिया .उसके चेहरे पर हया की लाली छा गई थी आख़िर आज वो बाबूजी से चुदने जो वाली थी .


उधर मदनलाल हाल मे बैठकर टीवी देख रहा था .सुबह दो बार रीमा को निपटा चुका था इसलिए अंदर से कोई ज़ोर भी नही आ रहा था .बुढ़ापे मे इतना भी जोश नही था कि दिन मे तीन तीन बार ताल ठोंक दे . हालाकी कामया का यौवन ऐसा था कि अगर वो उसके पास चला गया तो बंदूक फिर फाइरिंग के लिए तैयार हो जाने वाली थी .मगर उसने सोचा आज पाँचवा दिन है बहू को और तड़पने दो . जब तडपेगी तो ही तो भड़केगी. जब अंदर आग भड़केगी तभी तो हमारे पास गिड़गिडाएगी कि बाबूजी पेल दो हमे जैसे रीमा पिलवा रही थी अपने जेठ से .मदनलाल बुदबुदाया ""हम तो चोदने के लिए तैयार ही बैठे हैं बस एक बार बोले तो कि बाबूजी चोदिये हमे , डाल दीजिए अपना मूसल हमारी ओखली मे और कूट डालिए दनादन."" फिर मदनलाल उठा और अपने रूम मे सोने के लिए चल दिया .कामया को रूम मे आए लगभग एक घंटा हो गये थे पर मदनलाल के नही आने से वो निराश हो गई .वो सोचने लगी ""हमारी किस्मत मे शायद जवानी का सुख है ही नही .आज जब हम अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार बैठे हैं तो बाबूजी ही नही आ रहे . हाय रे मेरी किस्मत.""
उधर मदनलाल बिस्तर मे लेटा ज़रूर था पर नींद उससे कोसों दूर थी. कहते हैं जब दो लोग आपस मे प्यार करने लग जाते हैं तो उनकी सोच भी एक होने लगती है .शायद टेलिपैथी शुरू हो जाती है .मदनलाल सोचने लगा कि हमारी ये ज़िद कि जब बहू बोलेगी तभी हम चोदेन्गे बहुत ग़लत है आख़िर वो हमसे ऐसा कैसे बोल सकती है .जब हमारी बीवी पिछले तीस सालों मे कभी हमसे नही बोली की हमे चोदो तो भला बहू हमसे कैसे ये बोल सकती है .ये तो बहुत नाइंसाफी है बहूरानी के साथ .नही नही हम ग़लत कर रहे हैं .ऐसा संकल्प कर तो हमने बहूरानी के सुख के सारे द्वार बंद कर दिए हैं .पिछले कई महीनो से वो केवल हमारी सेवा कर रही है जबकि बदले मे उसको कुछ नही मिल रहा है . एक पराई लड़की रीमा तक हमसे लाइफ टाइम एक्सपीरियेन्स ले कर चली गई जबकि बहूरानी सिंगल टाइम एक्सपीरियेन्स के लिए तरस रही है .उसे पिछली घटनाएँ याद आने लगी कि कैसे वो कामया से ब्लो जॉब करवाता था सारा माल उसके बदन मे छिड़क कर अपना तो शांत हो जाता लेकिन बहूरानी को प्यासा छोड़ के आ जाता था .अपनी करतूतों पर मदनलाल पछताने लगा और बहूरानी के दुखों को याद कर उसका मन द्रवित होने लगा .उसने सोचा हम इस बुढ़ापे मे सेक्स के लिए इतना तड़प रहे हैं तो भरी जवानी मे बहूरानी पता नही कैसे अपनी रात काटती होगी .हमारे इतने बड़े लॅंड से खेलने के बाद उस बेचारी को तो रात रात भर नींद नही आती होगी . हमसे बहुत पाप हो गया है .उसने निश्चय कर लिया कि कल ही वो बहूरानी को उसके हिस्से का आनंद प्रदान करेगा अर्थात कल ही वो कामया का उधघाटन कर देगा .वो बोलती नही है तो क्या लेकिन हम तो जानते हैं कि वो कब से इंतज़ार कर रही है कि बाबूजी उसको पेल दें वरना जब हम उसकी पेंटी के किनारे से उसकी चूत मे अपना माल गिराते थे तो वो हमे रोक सकती थी .उस दिन रीमा की खिड़की के बाहर भी जब हमने उसको नीचे से नंगा करके अपना हथियार उसकी गांद मे फेरा था तो वो खुद अपनी चूत का छेद हमारे सुपादे मे फिट कर दी थी .अब और कैसे कहेगी क्या ढोल पीट कर बोलेगी की आओ बाबूजी चढ़ जाओ हमारे उपर . औरतों का जो कहने का ढंग होता है उस तरीके से तो पहले दिन से ही हमसे कह रही है जब पहली बार उसने हमे हेंड जॉब दिया था .कोई औरत किसी पराए मर्द का लॅंड पानी मर्ज़ी से पकड़ ले तो ये क्लियर हो जाता है कि उसे वो पसंद है और चाहिए है .आख़िर मदनलाल ने फ़ैसला कर लिया कि कल वो हर हाल मे बहूरानी को चोदेगा चाहे वो थोड़ा बहुत ना नुकुर भी करे लेकिन हंगामा तो कल होकर रहेगा और फिर उसने अपने मूसल को पकड़ा और बोला "" बेटा कल तेरी परीक्षा की घड़ी है कल तुझे अपनी मालकिन की सेवा करनी है ऐसीसेवा करना कि वो तेरी मुरीद बन कर रह जाए .रात दिन सुबह शाम सिर्फ़ तुझे ही याद करे और एक पल भी तुझे अपने से दूर ना होने दे.उधर कामया अपने बिस्तर पर तड़प रही थी कभी अपनी चुचि दबाती तो कभी अपनी चूत मे हाथ फेरने लगती. अब तक तो वो किसी तरह सह रही थी पर रीमा का सीधा प्रसारण देख कर बाजी अब उसके हाथ से निकल चुकी थी .अब उसे हर हाल मे बाबूजी का लॅंड चाहिए था चाहे उसके लिए उसे बाबूजी से लॅंड की भीख ही क्यों ना माँगनी पड़े .वो बिस्तर मे इधर से उधर पलट रही थी और अपने बदन को शांत करने की कोशिश कर रही थी तभी अचानक मोबाइल बज उठा वो तुरंत लपकी कि शायद बाबूजी आने की खबर दे रहे हैं .लेकिन देखा तो फोन बाबूजी का नही बल्कि छोटे बाबू अर्थार्थ सुनील का था . उसने बेमन से फोन उठाया सुनील ने कुछ घर बार की बात पूछी फिर सेक्स की बात करने लगा लेकिन कामया को इस वक्त टेलिफॉनिक सेक्स नही बल्कि रियल हार्ड कोर सेक्स की ज़रूरत थी .वो ये सुनना नही चाहिति थी कि अब मेरा तुम्हारी चूत मे जा रहा है बल्कि उसे अभी एक मोटा तगड़ा असली लंड चाहिए था जो उसकी चूत मे जाकर सारी खुजली मिटा दे उसकी ऐसी धकापेल चुदाई करे कि उसकी सारी गर्मी निकल जाए. वो बेमन से सुनील की हाँ मे हाँ मिलाने लगी तभी सुनील ने एक और बॉम्ब छोड़ दिया कि वो अगले हफ्ते छुट्टी लेकर घर आ रहा है ऐश करने के लिए .सुनील का इस वक्त आना कामया के लिए वज्रपात के सामान था .अब जब उसने बाबूजी से चुदने का फ़ैसला कर लिया था तो फिर एक विघ्न सामने आ गया था .लेकिन कामया इस बार द्रिड संकल्पित थी चुदना है तो चुदना है चाहे सुनील के घर मे रहते ही चोरी छुपे चुदना पड़े .वैसे भी सुनील दिन भर तो अपने दोस्तों के साथ घर से बाहर ही रहता है फिर क्या चिंता करना .आने दो सुनील को भी दिन मे सांड़ से भिड़ूँगी तो रात को बकरे को खेल खिला दूँगी .




 दूसरे दिन सुबह मदनलाल और शांति हॉल मे बैठे हुए थे तभी कामया चाय ले के आई . मदनलाल ने देखा कि बहूरानी का चेहरा कुछ उदास है और उसकी आँखे सूनी सूनी सी हैं उसे लगा कि कल रात को उसके नहीं जाने से लगता है कि बहू रानी नाराज़ हो गई है .लेकिन कामया के चेहरे मे नाराज़ी के भाव नही थे बल्कि उदासी के भाव थे मदनलाल इस का कारण नही समझ पा रहा था कि बहू किस बात से खिन्न दिख रही है .मर्दों से जो नाराज़ी औरत दिखाती है वैसे भाव तो नही दिख रहे .वो समझने की कोशिश कर ही रहा था कि अचानक कामया बोल पड़ी
कामया :-- मांजी . कल उनका फोन आया था .
शांति :-- किसका सुनील का . क्या बोल रहा था बिटुवा .
कामया :- जी वो कहे रहे थे कि अगले हफ्ते छुट्टी लेकर आ रहे हैं .
शांति :-- ये तो अच्छी बात है .इस बार जल्दी आ रहा है .लगता है वहाँ उसका मन नही लगता है .
मदनलाल :- अरी भागवान जब बहूरानी यहाँ है तो उसका वहाँ मन कैसे लगेगा. मदनलाल ने तिरछी नज़रों से कामया की ओर देखते हुए कहा .कामया ने भी बाबूजी की ओर देखा दोनो की नज़रे मिली ऐसा लगता था जैसे कामया इस बार सुनील के आने की खबर से खुश नही थी .मदनलाल इस का कारण जानता था कि बहू अब उसे चाहने लगी है और सुनील जैसे कमज़ोर आदमी उसे अब नापसंद हो गया है .ये बात उसके प्लान के लिए तो बहुत अच्छी थी पर सुनील के आने पर बहू का खुश ना होना उसे अंदर ही अंदर कहीं कचोट गया आख़िर सुनील उसका बेटा था .बेटे को बहू का प्यार ना मिले ये भी उसे मंजूर नही था .खैर उसने सोचा एक बार बहू को अपना बना ले फिर बेटे के लिए भी उसे मना लेगा .तभी शांति फिर बोली
शांति :-- बहू शादी को तीन साल हो गये अब हमे पोते का मुँह कब दिखाओगि. तीन साल बहुत होते हैं खेल कूद के लिए अब घर मे किल्कारी गूँजे इस के लिए भी कुछ सोचो . हमे इस घर का वारिस भी तो चाहिए .सुनील से कह देना मस्ती बहुत हो गई अब कुछ सीरीयस हो जाए .
कामया कुछ नही बोली बस चुपचाप सुनती रही तब शांति फिर बोली
शांति :-- बहू हमारी बात समझ रही हो या नही .
कामया :-- जी मांजी .
शांति :-- आप सुन रहे हो या नही .कुछ बोलते क्यों नही बहू को . शांति ने मदनलाल की ओर मुखातिब होते हुए कहा .
मदनलाल :-- हाँ हाँ क्यों नही अब तो बच्चा आ ही जाना चाहिए घर मे ताकि हमारा भी मन लगा रहे . कब तक पड़ोसियों के बच्चों को खिलाते रहेंगे .बहू अब तो हम भी चाहते हैं कि हमारा बच्चा पैदा हो घर मे .मदनलाल ने कामया की ओर कामुक नज़रो से देखते हुए बोला .कामया ने उन्हे देखा और उनकी बातों का अर्थ समझ कर नज़रे नीची कर ली .दिन भर घर का वातावरण कुछ बोझिल सा रहा .रात को कामया अपने कमरे मे बैठी थी उसे विश्वास था कि बाबूजी आज तो नही रुक पाएँगे और ऐसा ही हुआ उसका भरोसा बाबूजी ने नही तोडा .कामया बिस्तर मे लेटी हुई थी आज भी उसने गाउन के अंदर कुछ नही पहना था तभी दरवाजा खुलने की आवाज़ आई बाबूजी अंदर आ रहे थे .कामया तुरंत उठ बैठी .उसकी आँखों मे अभी भी उदासी थी .मदनलाल ने माहौल को सरल बनाने के लिए कहा
मदनलाल :-- क्या बात है बहू हमसे कोई ग़लती हुई है क्या जो आज सुबह से हम पर गुस्सा हो
कामया :-- जी नही बाबूजी हम आप पर गुस्सा नही हैं .हम आप पर तो कभी गुस्सा हो ही नही सकते .हम तो अपनी किस्मत पर गुस्सा हैं
मदनलाल :- किस्मत की चिंता क्यों करती हो किसी बात की कमी है क्या इस घर मे .या सास ससुर के प्यार मे कोई कमी हो तो बताओ .शांति की तो हम नही जानते लेकिन हम अपनी बात कर रहे हैं बस एक बार कुछ बोल के तो देखो
तुम्हारी हर इच्छा तुरंत पूरी कर देंगे. ज़्यादा बड़े बोल तो नही बोलते पर इतना समझ लो कि तुम्हे हमेशा खुश रखना ही हमने अब अपनी जिंदगी का मक़सद बना लिया है. अच्छा बोलो क्या परेशानी है हमारी प्यारी बहूरानी को .फिर मदनलाल ने कामया के दोनो हाथ अपने हाथ मे ले लिए और उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोला "" कामया तुम्हारे लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूँ ये वादा है हमारा " आज पहली बार मदनलाल ने बहू को उसके नाम से पुकारा था .इस डायलॉग का असर भी तुरंत हुआ कामया की आँखे भर आई और उसने बाबूजी को ज़ोर से अपनी बाहों मे भीच लिया .
आज कई दिन बाद दोनो एक दूसरे को स्पर्श कर रहे थे इसलिए दोनो बहुत भावुक हो गये थे दोनो ने एक दूसरे की पीठ को ज़ोर से पकड़ लिया .कामया की नंगी चुचियाँ मदनलाल के सख़्त सिने मे पिस सी गई थी जिस के कारण कामया बहुत गरम होने लगी थी .गंभीर माहौल मे भी मदनलाल का स्पर्श कामया को बहकाने लगा था .उधर मदनलाल उसकी पूरी पीठ को सहला रहा था .फिर उसके हाथ नीचे गये और वो अपने सबसे पसंदीदा फल बहू के तरबूजे सहलाने लगा .तरबूजे को मसलते ही जो बात मदनलाल ने सबसे पहले नोट की वो ये थी कि उसे पता चल गया कि बहू आज नीचे से भी नंगी है .ये अहसास होते ही उसका मूसल बग़ावत पर उतर आया .उसका मूसल पूरा तन गया और कामया के पेट पर हमला करने लगा उसने मन ही मन कहा हम सही सोच रहे थे बहू हर तरीके से हमे इत्तला कर रही है कि हम सब कुछ देने के लिए तैयार हैं .बहू को मालूम है कि हम पेंटी उतारने मे हिचक रहे हैं तो वो खुद ही आज अपनी पेंटी उतार बैठी है .अब कोई माथे मे लिख के तो रखेगी नही कि आओ पेल दो हमे .आज उसे कामया के उपर बहुत प्यार आने लगा . उसने कामया की मादक गुदाज और मक्खन सी चिकनी अपनी सबसे प्यारी संपत्ति कामया की गाण्ड को धीरे धीरे सहलाते हुए एक हाथ से बहू की थोड़ी उठाई और उसकी आँख मे झाँककर पूछा
मदनलाल :-- कामया मेरी जानेमन मेरी प्राणप्रिया .हमारी एक बात का सच्ची उत्तर दोगि ?
कामया :-- आप जो पूछेंगे मैं उसका सच्ची सच्ची जवाब दूँगी .पूछिए क्या पूछना है ?
मदनलाल :-- आज तुम सुबह से कुछ दुखी थी प्लीज़ हमे कारण बताओ .तुम्हे दुखी देख कर सुबह से हमारा कलेजा मुँह को आ रहा है
कामया :-- बाबूजी इस के दो कारण हैं पहला तो जिंदगी मे पहली बार हम सुनील के आने से इतना खुश नही थे फिर दूसरा कारण मम्मी की बात थी .
मदनलाल :-- क्या शांति ने तुम्हे कुछ उल्टा पुल्टा कहा क्या .
कामया :-- नही नही बाबूजी उन्होने कुछ नही कहा .हम तो बात कर रहे हैं जो उन्होने आप के सामने ही कही थी .बच्चे वाली
मदनलाल :-- शांति ठीक ही तो कह रही थी अब घर मे बच्चा भी तो चाहिए .तुम भी तो माँ बनना चाहती होगी .
शांति :-- बाबूजी दुनिया की हर औरत माँ बनना चाहती है हम भी चाहते हैं .लेकिन हम कसम से बोल रहे हैं हमने कभी भी फॅमिली प्लॅनिंग की कोशिश नही की ना ही सुनील ने की है कुछ हो ही नही रहा है तो हम क्या करें. वो तो हमेशा अपना हमारे अंदर ही गिराते हैं ऐसा कहकर कामया बुरी तरह शर्मा गई .शरम से रक्ताभ उसका का चेहरा और भी सेक्सी दिखने लगा था . लज्जा से भरा उसका शवाब देख कर मदनलाल मचल उठा और वो प्यार से बोला
मदनलाल :-- हनी चिंता मत करो कई बार गर्भ देर से ठहरता है तुम्हारी सास भी दो साल बाद गर्भवती हुई थी . टेंसन मत लो मैं हूँ ना . और एक बार फिर मदनलाल ने कामया के रसभरे होंठों को अपने प्यासे होंठों मे ले लिया .कामया भी लता की तरह बाबूजी से लिपट गई मानो बहू ना हो पत्नी हो . दोनो बरसो के बिछड़े प्रेमी की तरह एक दूसरे के अधरामृत का पान करने लगे .मदनलाल ने पीछे से उसके कपड़े को उठाना चालू किया और कुछ ही देर मे बहू की नंगी गांड उसके पंजों मे थी कामया की मांसल भारी गांद हाथ मे आते ही मदनलाल बेकाबू हो गया .वो ज़ोर ज़ोर से उन्हे मसलने लगा .उसकी इस हरकत से कामया भी सिसकारी लेने लगी और मदनलाल के होंठों को काटने लगी .मदनलाल इतनी ज़ोर से मसल रहा था कि कामया को दर्द भी होने लगा था लेकिन वो चुपचाप रही आज तो वो इससे भी भयंकर दर्द को सहने के लिए भी तैयार थी .मदनलाल कामया के जिस्म के मज़े भी ले रहा था पर साथ ही साथ उसका दिमाग़ कुछ और भी सोच रहा था .कामया ने कहा था कि ""सुनील अपना माल अंदर ही गिराता है कुछ हो ही नही रहा है तो हम क्या करें"" और ये बात मदनलाल ने भी देखी थी .पिछले बार जब सुनील आया था तो मदनलाल ने दो बार खिड़की से उनका कार्यक्रम देखा था दोनो ही बार सुनील ने अंदर ही अपना पानी छोड़ा था .बहू की बात बिल्कुल सच थी . मदनलाल समझ गया कि कमज़ोरी सुनील मे ही है .कामया जैसी मस्त पद्*मिनी प्रजाति की स्त्री को अगर सही बीज मिल जाए तो वो दर्जनो बच्चे पैदा कर सकती है .मदनलाल समझ गया की कामया को माँ बनाना भी अब उसी की ज़िम्मेदारी है और इस के लिए उसे कामया से बात करनी ही पड़ेगी .हालाकी उसे पूरा भरोसा था कि वो कामया को इस बात के लिए मना लेगा जब वो चुदने के लिए तैयार है तो उससे बच्चा भी पैदा करवा ही लेगी .उसने तय किया की अभी बहूरानी कुछ ज़्यादा ही प्यार जता रही है और काफ़ी भावुक भी है इस लिए अभी ही बात कर लेना चाहिए .
बहू से बात करने के पहले उसने उसे कुछ और गरम करने की सोची ताकि काम और आसान हो जाए .उसने अपना एक हाथ दोनो के चिपके शरीर के बीच से नीचे डाला और सीधा कामया की चूत के उपर रख दिया .नंगी चुत पर बाबूजी का हाथ लगते ही कामया के मुख सी सिसकारी निकल गई आज पहली बार बाबूजी ने ने काम्या की नंगी चूत में हाथ लगाया था जिससे काम्या के पुरे बदन में चिंगारी छूटने लगी। मदनलाल अब अपने हाथ को उसकी पूरी चुत मे चलाने लगा और यहाँ कामया के लिए बर्दास्त करना मुश्किल हो गया .उसके मुख से बार बार शी शी की आवाज़ निकल रही थी .जब उससे संभला नही गया तो उसने भी नीचे हाथ किया और सीधा मदनलाल के तननाए लॅंड को पकड़ कर मसलने लगी .मदनलाल की लूँगी कब नीचे गिर गई थी किसी को पता ही नही चला था .और वैसे भी वो आजकल बहू के कमरे मे आने से पहले चड्डी उतार देता था .दोनो ससुर बहू एक दूसरे के कामाँगो से खेल रहे थे कि अचानक मदनलाल ने अपनी उंगली दरार के अंदर कर दी जिससे कामया उतेजना के मारे चिहुन्क पड़ी और उसने बाबूजी के मूसल को बुरी तरह से जकड़ कर मसल दिया


कामया ने इतनी ताक़त से मदनलाल के लॅंड को दबाया था कि वो तो मदनलाल का फौलादी लॅंड था सो झेल गया अगर उसकी जगह सुनील का मरियल सा लॅंड होता तो उसे प्राण के लाले प़ड़ जाते . दोनो ससुर बहू एक दूसरे के कामाँगो से मस्ती कर रहे थे .कामया बीच बीच मे बाबूजी के अंडों को भी सहला रही थी .आज उसे बाबूजी के अंडों पर बहुत प्यार आ रहा था मानो उसका अंतर्मन उसकी सहजवृत्ति ये जानती ही कि उसकी बंजर भूमि उर्वर बनाएंगे। .कभी वो एक अंडे को सहलाती तो कभी दूसरे को फिर कभी दोनो को एक साथ पकड़ कर खेलने लगती .फिर कभी बाबूजी के हथियार को स्ट्रोक करने लगती .मदनलाल बहू की इस सेवा से बेकाबू होता जा रहा था .कामया की चुत पूरी तरह से उसके लिसलिसे पदार्थ से चिपचिपी हो गई थी और अंदर से दहक रही थी .
मदनलाल बहू की चुत की गर्मी देख कर ताज्जुब मे आ गया आज से पहले उसने इतनी गरम बुर पहले कभी नही देखी थी .बहू की गर्मी देख वो खुश हो गया उसे पक्का यकीन हो गया कि आज बहू किसी भी काम के लिए मना नही कर सकती .दोनो अभी भी लिप लॉक मे थे .गर्दन उँची करे रहने के कारण कामया को दरद होने लगा तो उसने अपना मुँह नीचे किया और बाबूजी के एक चुचक को अपने होंठों मे ले लिया .इस बार तड़पने की बारी मदनलाल की थी .उसने अपनी जिंदगी मे कई औरतो के साथ गेम बजाया था लेकिन आज पहली बार कोई स्त्री उसके चुचक को अपने मुँह मे ले रही थी .ये उसके लिए नया अनुभव था वो स्तब्ध सा इस नये अनुभव को फील करने लगा और उसकी उंगली कामया के चीरे मे और तेज़ी से चलने लगी .बाबूजी आज पहली बार बहू की गुड़िया से खेल रहे थे इस वजह से कामया को अपने आप को संभालना मुश्किल होता जा रहा था .वो हर पल बहकती जा रही थी .उसकी मुनिया आज उसे सुख के नये द्वार दिखा रही थी और बाबूजी भी एक मंझे हुए संगीतकार की तरह बहू का गिटार बजा रहे थे .
गिटार की मस्त तरंगे कामया के बदन मे धूममचाने लगी तो अचानक उसने बाबूजी के चुचक को ज़ोर से होंठों से दबा दिया .मदनलाल के मुख से सिसकारी निकल गई
मदनलाल :-- आह जान ये क्या कर रही हो दर्द दे रहा है
कामया :-- अच्छा जी जब हमारा इतनी ज़ोर से चुसते थे तब कुछ नही .हम कितना बोलते भी थे प्लीज़ बाबूजी धीरे करिए तो बड़े कहते थे ज़ोर से तो मज़ा आता है .अब हम भी मज़ा लेंगे तब आपको पता चलेगा कि मर्द औरतों को कितनी तकलीफ़ देते हैं .
मदनलाल :-- औरतो की बात अलग है उनका वो उसी लिए बना होता है इस लिए वो ज़ोर से मसलने मे भी एंजाय करती हैं .हमारा वैसा थोड़ी है .
कामया :-- ठीक है फिर आपके उसको देख लेते हैं कहकर कामया ने मदनलाल के हथियार को ज़ोर से मसल दिया .मदनलाल के मुख से एक बार फिर सिसकारी निकल गई .
मदनलाल :-- अरे मेरी जान वो दबाने के लिए नही बना है
कामया :-- तो बताइए ना किस लिए बना है .
मदनलाल :-- वो अंदर बाहर करने के लिए बना है .
कामया :-- धत बदमाश कहीं के .और उसने एक बार फिर मदनलाल के चुचक को चाब दिया .इस बार का चाबना इतना तेज था कि मदनलाल उछल पड़ा और उछलने से उसका अंगूठा बुर मे दो इंच अंदर धँस गया .बुर मे अंगूठे के जाते ही कामया ने एक जोरदार सिसकारी ली और उत्तेजना मे अपना सिर बाबूजी के चौड़े चकले सीने मे टिका दिया .मदनलाल का अंगूठा सुनील के लॅंड के बराबर मोटा था कामया को लगा की बाबूजी ने अपना पेल दिया है .वो बोली
कामया :: ओह नो !!! बाबूजी आपने बिना बताए ही अंदर डाल दिया . गंदे कहीं के
मदनलाल :: बहू इसमे बताने की क्या बात है अंदर डाला ही तो जाता है .
कामया :: जी आपने हमे वचन दिया था कि बिना हमसे पूछ कभी अपना वो नही डालेंगे . झूठे कहीं के. यू आर आ चीटर
मदनलाल :: बहू आज तुम कुछ बहकी बहकी सी बात कर रही हो . लगता है तुमने जोश मे होश खो दिया है .जो तुम कह रही हो हमने वो नही डाला है उसको तो तुम अभी भी हाथ मे पकड़ कर खेल रही हो . नीचे तो हमारा अंगूठा है . कामया ने नीचे देखा तो सच मे उसका सबसे प्रिय खिलोना तो उसके हाथ मे ही था .उसने सोचा "" बाप रे जब बाबूजी का अंगूठा ही इतना टाइट जा रहा है तो वो कैसी तबाही मचाएगा "" उधर मदनलाल ने फिंगर फक्किंग चालू कर दी .आज कई महीने बाद कामया की प्रेम गुफा मे कोई चहलकदमी कर रहा था .नये मेहमान की चहलकदमी से कामया बैचेन होने लगी और वो मदनलाल के लंड पर किसी भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी .



 इधर मदनलाल कामया की बुर मे अपने अंगूठे से आग बरसा रहा था तो उधर कामया भी अपनी कोमल नाज़ुक उंगलियों से बाबूजी के लॅंड मे ज़लज़ला ला रही थी . लेकिन जवान खून की गर्मी ज़्यादा होती है इसलिए कामया के लिए अब सहना मुश्किल होता जा रहा था .वैसे भी पाँच महीने बाद उसकी गुड़िया की मालिश हो रही थी जबकि बाबूजी को वो रोज ही ट्रीटमेंट देती थी .जवानी की इस लड़ाई मे आख़िर बहु हार गई और उसकी प्रेम गुफा ने प्रेमरस का झरना बहा दिया और वो निढाल होकर मदनलाल के कंधो मे झूल गई .बेखुदी के इस आलम मे भी उसने बाबूजी के हथियार से अपनी पकड़ ढीली नही की और लगातार बाबूजी को झटके पे झटके देती रही .आज मदनलाल भी कामया के इस अग्रेसिव नेचर से हैरान था .कहाँ तो वो कामया को गरमाने आया था कहाँ खुद ही बावला बन बैठा .उसका लावा भी अब फुट पड़ने को तैयार था .सो मदनलाल ने सोचा बाते बाद मे करेंगे पहले तो ये टेनशन रिलीस करना ज़रूरी है सो बहू से बोला
मदनलाल :: कामया मेरी जान अब बर्दास्त नही हो रहा प्लीज़ कुछ करो .जल्दी से हमारा माल निकलवा दो .
कामया :: जानू कर तो रहे हैं बस निकलने ही वाला है .
मदनलाल :; जान हाथ से नही मुँह मे लो ना
कामया :: आप ने भी तो हमारा हाथ से ही निकाला है हम भी हाथ से ही निकालेंगे कामया ने इठलाते हुए कहा .आज कामया ने इनडाइरेक्ट्ली कह दिया कि उसे भी अब हाथ नही कुछ और भी चाहिए वरना तुम भी तड़पोगे .
मदनलाल :: जान सारा माल नीचे गिर जाएगा .कूदरत के इस अनमोल खजाने को ऐसे बेकार ना बहाओ .ये तुम्हारे सेहत के लिए भी अच्छा है चलो जल्दी करो मल्टी विटामिन प्रोटीन है ये कम ऑन सक इट बेबी .
कामया भी बाबूजी को ज़्यादा तड़पाना नही चाहिती थी उसने अपने "" मन की बात " तो कह ही दी थी सो उसने बाबूजी के चोकोबार को अपने मुँह मे ले लिया और लपर लपर चूसने लगी. भीषण गर्मी के इस मौसम मे उसे ये आइस्क्रीम बहुत अच्छी लगती थी जो उसे तुरंत शीतल कर देती थी . उसने मदनलाल की गांद को सपोर्ट के लिए पकड़ा और जबरदस्त सकिंग करने लगी .आज वो अपना १०० % पर्फॉर्मेन्स देना चाहती थी पिंकी और रीमा का जो एक्सन उसने अपनी आँखों से देखा था उससे भी बेहतर वो कर दिखाना चाहिती थी .उसने सोचा क्या मैं कोई उनसे कम टेलेंटेड हूँ.पीछे से वो मदनलाल की गांद को भी सहला रही थी और बीच बीच मे दोनो बच्चों को भी प्यार दे देती .इस डबल डोस को मदनलाल झेल नही पा रहा था और उसके मुँह से मरते हुए भेंसे की डकार जैसी आवाज़ आने लगी .जब बात बर्दास्त से बाहर हो गई तो उसका फ़ौज़ी रूप बाहर निकल आया उसने कामया का सिर पकड़ा और धकापेल माउत फक्किंग करने लगा .अब कामया घबडा गई .बाबूजी अपना पूरा लॅंड उसके गले मे उतार दे रहे थे .वो सॉफ सॉफ उसे अपने गले के नीचे जाता महसूस कर रही थी .अगर बाबूजी अंदर एक मिनिट रुक जाते तो वो तो निपट ही जाती लेकिन बाबूजी इस खेल के शातिर खिलाड़ी थे और नपा तुला स्ट्रोक मार रहे थे .आख़िर दो मिनट के घमासान के बाद मदनलाल ने अपना पूरा माल बहू के पेट मे उतार दिया . सारा माल कामया को पिलाते ही मदनलाल धड़ाम से बिस्तर पर बैठ गया और मेराथन रेसर की तरह हाँफने लगा . कामया उसके करीब आई और उसके सिर को अपने सीने मे चिपका कर बालों मे हाथ फेरने लगी .कुछ आराम लगते ही मदनलाल लेट गया और बहू को भी उसने खींच कर अपने बाजू मे लेटा दिया दोनो आजू बाजू लेट कर अभी अभी गुज़रे तूफान के बाद की शांति को महसूस करने .लगभग पंद्रह मिनिट तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे और खोई हुई ताक़त को फिर से बटोरने मे लगे रहे . जब मदनलाल को कुछ शक्ति का फिर से अनुभव हुआ तो उसने कामया की तरफ करवट बदली और उसे अपने से चिपका लिया .कुछ देर यूँ ही पड़े रहने के बाद उसने एक बार फिर अपने प्यासे होंठ बहू के लीची के समान रसीले होंठो पर लगा दिया मदनलाल का एक हाथ यंत्रवत सा बहू के तरबूजों पर पहुँच गया . कामया के गद्देदार मखमली नितंब केवल मदनलाल की ही कमज़ोरी नही थे बाबूजी की हरकतों ने अब कामया को भी दीवाना बना दिया था .बाबूजी का हाथ अपनी गांद मे लगते ही वो बहकने लगती और उसे कुछ कुछ होने लगता . कुछ देर तक बाबूजी तरबूजों की सेवा करते रहे फिर अपने हाथ को बहू की दोनो जांघों के बीच से लाकर कामया की गुलाब की पंखुड़ियों से खेलने लगे
पंखुड़ियों पर बाबूजी का हाथ लगते ही कामया बिस्तर पर अपने पैर रगड़ने लगी .मदनलाल अभी अभी फारिग हुआ था इसलिए बड़े आराम से सितार के तारों को छेड़ रहा था जिससे राग कामलहरी निकल रही थी .प्रेम मार्ग का प्रेम पथिक मदनलाल एक बार फिर कामया को मदनानंद के रास्ते पर ले कर जाने लगा ..बहू की साँसे फिर तेज़ होने लगी उसके मुख से बार बार सिसकारी निकल जाती .कामया ने अपनी आँखे बंद कर ली और काम लहरों पर सवार होने लगी .सितार बजाते बजाते मदनलाल ने बीन बजाने की भी सोची और बहू की एक चुचि को अपने मुख मे ले लिया .पूर्ण उन्नत वक्ष स्थल से सम्पन कामया चुचि पर मुँह लगते है बलखाने लगी और उसने बाबूजी के कोबरा को पकड़ लिया .जब बीन बज ही रही थी तो कोबरा को नचाना जायज़ था .दोनो ससुर बहू एक बार फिर दुनिया के सबसे आदिम खेल मे लीन हो गये .जैसे जैसे कामया की पकड़ बाबूजी के लॅंड पर सख़्त होती जा रही थी वैसे वैसे बाबूजी आगे का प्लान बनाते जा रहे थे .
जब बहू का चेहरा काम वासना से भभकने लगा तो मदनलाल ने धीरे से पूछा
मदनलाल :: क्या बात है जानेमन आज तो तुम बहुत जोश मे हो ऐसा प्यार तो तुमने पहले कभी नही दिया .
कामया :: जानू आपने भी हमे ऐसा प्यार पहले कभी नही किया .जैसा प्यार आप कर रहे हैं वैसा ही आप पा रहे हैं .
मदनलाल :: जान हम तो हमेशा ही ऐसा प्यार करते हैं कहते हुए मदनलाल ने मिडिल फ़िंगर बहू की अमृत कुंड के अंदर सरका दी. कामया ज़ोर से सिसक पड़ी और बाबूजी के हथियार को मसलने लगी . फिर कामया ने अपना एक हाथ बाबूजी के फ़िंगर फक्किंग वाले हाथ के उपर रखा और बोली.
कामया :; जानू आज के पहले आप छोटे मोटे बटन दबाते थे लेकिन आज तो आपने मेन स्विच ही ऑन कर दिया है और उसने बाबूजी के उस शरारती हाथ पर चिकोटी काट दी .
जिस प्रकार बाघिन अपने शिकार को मारने के बाद खाने से पहले कुछ देर उसको उल्टा पुल्टा करके खेलती है उसी तरह कामया भी बाबूजी के माँस के उस टुकड़े को अल्टा पलटा कर खेल रही थी ..मदनलाल ने जब महसूस किया कि लोहा गरम है और चोट कर देनी चाहिए तो उसने बहू से कहा
मदनलाल :; जान हम तुमसे कुछ कहना चाहते हैं लेकिन डर रहे हैं कि कहीं तुम बुरा ना मान जाओ .उसने ऐकटिंग करते हुए कहा
कामया :: बाबूजी इस दुनिया मे मैं ही एक औरत हूँ जिससे आपको नही डरना चाहिए . जिस तरह मैं आपके पास पड़ी हूँ उस तरह पड़े रहने वाली औरत से क्या डरना .बस ये समझिए कि मैं आपकी दासी हूँ आपकी चेरी हूँ .
मदनलाल :: बहू एक बार तुमने बताया था कि सुनील का बहुत कम माल निकलता है और वो ज़रा देर ही टिक पता है .
कामया :; हां बाबूजी और कामया बाबूजी की आँखों मे देखने लगी
मदनलाल :: बहू हमे लगता है क़ि कमी सुनील मे ही है इसलिए तुम माँ नही बन पा रही हो .
कामया :: बाबूजी हम किसी डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज़ भी तो करा सकते हैं .मदनलाल इस उत्तर के लिए भी तैयार था सो तुरंत बोला
मदनलाल :: बहू लेकिन इसमे एक ख़तरा है
कामया :: क्या ख़तरा है बाबूजी .कामया ने आश्चर्य से देखते हुए कहा .
. मदनलाल :: बहू अगर डॉक्टर ने एक बार कह दिया किया कि सुनील बाप नही बन सकता तो फिर तुम जिंदगी भर माँ नही बन सकती क्योंकि फिर माँ बनने का मतलब है कि सुनील ये समझ जाएगा कि वो इस बच्चे का बाप नही है .जबकि जब तक सुनील डॉक्टर के पास नही जाता तब तक तुम्हारे पास माँ बनने और इस घर को कुलदीपक देने का चान्स है .
कामया :: वो कैसे बाबूजी .हम समझ नही पा रहे
मदनलाल :: बहू समझने की कोशिश करो हम क्या कहना चाह रहे हैं .
कामया :: बाबूजी साफ साफ बताइए हमे कुछ समझ नही आ रहा .कामया ने कन्फ्यूज़ होते हुए कहा .
मदनलाल :: बहू इस घर को उत्तराधिकारी देने के लिए और इस घर का सम्मान बनाए रखने के लिए तुम्हे किसी और से माँ बनाना होगा .
कामया :: बाबूजी ??? आप ये क्या कह रहे हैं .हम ऐसा नही कर सकते .ये अधर्म है ,ये पाप है .
मदनलाल :: कामया इसमे कुछ भी अधर्म नही है और तुम अभी धर्म अधर्म के बारे मे जानती ही क्या हो .? हज़ारों साल से ऐसा होता आया है . हमारे शस्त्र भी इस बात का समर्थन करते हैं .
कामया :: क्या ? बाबूजी आप ये क्या कह रहे हैं कि हमारे शास्त्र भी इस बात का समर्थन करते हैं .हमे कुछ समझ नही आ रहा है .
मदनलाल :: बहू हज़ारों साल पहले ही हमारे ऋषियों ने ये समझ लिया था कि किसी स्त्री के लिए माँ बनना प्रकृति की सबसे महत्व पूर्ण घटना है मातृत्व के बिना वो अधूरी है .इसलिए उन्होने ""नियोग प्रथा "" की व्यवस्था की .
कामया :: नियोग प्रथा ?? ये नियोग प्रथा क्या है बाबूजी ?
मदनलाल :: बहू पुराने जमाने मे जब कोई विवाहिता स्त्री अपने पति की कमज़ोरी के कारण माँ नही बन पाती थी तो समाज मे ऐसी व्यवस्था थी की वो अपने परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ संयोग करे और मातृत्व के परम आनंद को प्राप्त करे . इस संबंध मे उसे पूरी स्वतंत्रता होती थी की वो पुरुष अपनी मर्ज़ी से चुने केवल इतना ही बंधन था कि वो परिवार से बाहर का सदस्य ना हो ताकि रक्त परंपरा दूषित ना हो .
कामया :: बाबूजी आप जो कह रहे हैं हमे विश्वास नही हो रहा है .हमने कभी ऐसा नही सुना .
मदनलाल :: कामया मैं जो कह रहा हूँ वो परम सत्य है .इतिहास ऐसे उधाहरणो से भरा पड़ा है .
कामया :; एक दो नाम बताइए ज़रा .हमे भी तो पता चले कि आप झूठ बोल रहे हैं या सच .
मदनलाल :: बहू पाँचो पांडव और कर्ण कोई भी अपने जैविक पिता की संतान नही थे . उनके पूर्वज पांडु और धृतराष्ट्र भी वेद व्यास की संतान थे जो रिस्ते मे उनके ताउ लगते थे .
कामया :: ओह माइ गॉड ? हमने तो इस बारे मे कभी सोचा ही नही था. और वो आँख फैला के सोचने की मुद्रा मे विचार करने लगी . मौका देख मदनलाल ने कहा
मदनलाल :: कामया अब तुम्हे निर्णय लेना है कि तुम्हे माँ बनना है या नही ? अगर हां कहोगी तो माँ भी बनोगी और इस घर को खुशियों से भर दोगि .वरना
कामया :: वरना क्या बाबूजी
मदनलाल :: वरना अगर तुम इनकार कर दोगी तो ना तुम खुद माँ बनोगी ना हम दादा बन पाएँगे और ना ही इस घर को कभी दिया जलाने वाला मिल पाएगा .
कामया :; बाबूजी जब से हम इस घर मे आए है हमारा सब कुछ आपका है आप जो बोलेंगे हम वो ही करेंगे .इस संबंध मे भी निर्णय आप को लेना है .बोलिए आप क्या चाहते हैं .
मदनलाल :: बहू मैं तो यही चाहता हूँ क़ि आप इस घर को कुलदीपक दो और इस तरह दो कि सुनील को कुछ पता भी ना चले
कामया :: बाबूजी लेकिन ये होगा कैसे ? हम कहाँ किसी को ढूँढने जाएँगे .
मदनलाल :: अरे ढूँढने की क्या ज़रूरत है .तुम ज़रा सा इशारा कर दोगी तो दरवाजे मे उम्मीदवारों की लाइन लग जाएगी और हम भीड़ संभालते रह जाएँगे .
कामया :: धत गंदे कहीं के .हमको ऐसी वैसी लड़की समझा है क्या कि किसी से भी लग जाएँगे .
मदनलाल :: फिर तो एक उपाय और है
कामया :; वो कौन सा उपाय है ?
मदनलाल :: तुम्हारे परिवार मे सुनील के अलावा एक और पुरुष भी है न.
कामया :: वो कौन बाबूजी ? कामया ने चकित होकर पूछा
मदनलाल :: क्यूँ हमको क्या मर्द नही मानती .मदनलाल ने अदा से पूछा .
कामया :: ओह अब समझ आया .आप इतनी देर से अपने चक्कर मे सब कहानी सुना रहे थे .बड़े चालाक हैं आप .बहू को पटाना चाहते हैं .वाह जी वाह
मदनलाल :: अरे तो हम कोई दबाव नही बना रहे हैं .आप किसी और के साथ संजोग बनाना चाहिती हैं तो आप की मर्ज़ी हैं हम कुछ नही बोलेंगे .
कामया :: चुप रहिए बाबूजी कामया ने कुछ गुस्से मे कहा .क्या हम किसी और का बच्चा पैदा कर लेंगे तो आप उसे अपना प्यार दे पाएँगे .उसे बच्चे मे इस घर का कुछ अंश होगा क्या ?
मदनलाल :: अरे तुम तो वही बात कर रही हो क़ि चित भी मेरी पट भी मेरी और घंटा मेरे बाप का बाहर वाले से तुम संजोग बनाना नही चाहिती .हम तुमको पसंद नही हैं . फिर ऐसे मे कैसे काम चलेगा ?
कामया :: अच्छा हमने कब कहा क़ि "" हम आपको पसंद नही करते "" कामया ने कामुक नज़रों से मदनलाल को देखते हुए कहा
मदनलाल :: तो हां भी तो नही बोल रही हो ?
कामया :: इतना बड़ा निर्णय लेने के लिए हमे थोड़ा सोचने का समय भो तो दो
मदनलाल :: ठीक है लेकिन कितना समय चाहिए?.सुनील भी आ रहा है अगर जल्दी फ़ैसला कर लो तो उसके आने के इस समय का उपयोग किया जा सकता है नही तो फिर छह महीने रुकना पड़ेगा .
कामया :; ठीक है आप उपर छत मे पंद्रह मिनिट घूम के आइए तब तक हम फ़ैसला कर लेंगे . कामया ने लजाते हुए कहा





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