Sunday, April 20, 2014

FUN-MAZA-MASTI मालती एक कुतिया --11

FUN-MAZA-MASTI

 मालती एक कुतिया --11

 उधर अफरोज़ अपने काम में बिजी था.... वो अकेले ही मालती की सारी हिस्ट्री पता लगा रहा था! पर मालती को इसकी भनक तक नहीं थी! और अब लल्लन से चुदने के बाद मालती ने ठाकुर को भी इग्नोर करना शुरू कर दिया था! उसे पता था कि ठाकुर उसे सजा देगा इसकी पर उसने ठाकुर और लल्लन के बीच लल्लन को ज्यादा प्रियोरिटी दी! इलेक्शन की भागा दौड़ी के बीच जब मौका मिलता लल्लन और मालती एक दूसरे के जिस्म के मजे लेते! मालती को जैसे नई जिंदगी मिल गई हो... लल्लन के मन करने के बाद उसने कभी सफ़ेद साड़ी नहीं पहनी!
उसे प्यार हो गया था लल्लन से...लल्लन के औजार से... और लल्लन के अन्दर के जानवर से!
और लल्लन भी उसके सारे मजे ले लेना चाहता था... कहाँ कहाँ किस किस पोज़ में चोदा था उसने मालती को बीते 10 दिनों में खुद मालती को भी याद नहीं था...
उसने जाने अनजाने में ही सही, पर खुद को लल्लन की रखैल कबूल कर लिया था! लल्लन ने कभी जिक्र नहीं किया... पर मालती दिल से उसे अपना जिस्म और जान सौप चुकी थी! वो खुद को भूल चुकी थी, अब वो एक नई कहानी का हिस्सा थी! लल्लन की कहानी का... जिसमे सारी स्टोरी लल्लन की लिखी होती थी! कलम लल्लन का लौड़ा था और पेज मालती का जिस्म!
लल्लन जी का मोटा हथियार उसे रोज जन्नत की सैर कराता था अब! एक बार फिर से वो सैर पर निकल चुकी थी... लल्लन जी के साथ, सब कुछ भुला कर !
ऑफिस में भी मालती की वाही जगह थी जो अफरोज की थी... लल्लन की क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं, क्या खाते हैं, किससे मिलते हैं... मालती को सब पता होता था, ‘पर्सनल’ सेकेटरी जो थी लल्लन की!
बिस्तर तो बहुतों ने गरम किया था लल्लन जी का... पर मालती में जो बात थी वो औरों में नहीं थी... मालती आग लगा देती थी दिलो जिस्म में, और यही कारण था कि मालती ने इतनी जल्दी लल्लन जी के दिल में अपनी जगह बना ली थी!
ऐसा नहीं था कि मालती ठाकुर को भुला चुकी थी... ठाकुर भी 10-15 दिन में मालती की लेने आता था! और मालती ठाकुर से भी चुद्वाती थी...! ठाकुर और मालती के बीच क्या रिश्ता है ये लल्लन जी समझते थे, पर उन्हें इसी में मजा आ रहा था, किसी और की माल जब अपना बिस्तर गरम करे तो मजा बढ़ ही जाता है!
आज सन्डे था, मतदान कल हो चुका था, और अब बस जीत की घोषणा होने का इंतज़ार हो रहा था... 15-20 दिनों के बाद आज फुर्सत मिली थी लल्लन जी को फुर्सत से मजे लेने की! सुबह सुबह ही लल्लन जी ने गाड़ी उठाई और निकल लिए मालती के घर की ओर! मालती नहा रही थी...
लल्लन जी ने मालती के घर पहुच कर उसे फोन किया... पर मालती ने फोन नहीं उठाया... वो बाथरूम में थी... अभी अभी अपनी झांटे शेव की थी उसने... और अब बाथटब में लेटी यादों में खोई हुई थी!
“टिंग-टोंग... टिंग टोंग” लल्लन जी ने डोरबेल बजाई....
“उफ्फ्फ.... कौन होगा इस समय... सुबह सुबह आ जाते हैं लोग भी....” मालती बुदबुदाई.... और फिर टब से निकलकर बाथरोब लपेटा और दरवाजा खोलने चल दी... दरवाजा खोलते ही वो शर्मा गई....
“बड़ी लम्बी उमर है आपकी...आपको ही याद कर रही थी मैं”
“नहाते हुए?”लल्लन बोला!
मालती शर्मा गई,मालती ने अपनी नजरें नीचे झुकाई...और बाथरोब आगे से खोल दिया! उफ्फ्फ..... लल्लन ने मालती को अन्दर धकेला और जल्दी से दरवाजा बंद कर मालती पर झपट पड़ा.... मालती के भीगे बदन पर लल्लन ने चुम्बनों की बौछार लगा दी... अपने पैजामे का नारा भी खींच दिया और लंड निकाल कर सीधे मालती की चूत में पेल दिया! औह... ओह माय गॉड... हाई रामा... मालती को लल्लन ने अपने लंड पर उठा रखा था... और ऐसे ही हवा में उठाकर मालती को चोद रहा था! मालती चरम पर थी... उफ्फ्फ... आह... और... यस...लल्लन जी... आह.... यूं ही चोदते चोदते वो मालती को बिस्तर तक ले गया और फिर मालती को बेड पे पटक दिया, उसके ऊपर खुद भी कूद गया! “आउह.... लल्लन जी....कितने ज़ालिम हैं आप.... आराम से करिए न....” मालती आहें भरती हुई लल्लन के नीचे लेटी लल्लन के बदन को सहला रही थी... लल्लन ने सट्ट से अपना हथियार मालती की चूत में सरका दिया...”आऊउह....” मालती ने अपनी गाब्द ऊपर उचकाई और लल्लन का लौड़ा पूरा अपनी चूत में निगल गई... “उम्म्ह लल्लन जी... केला बड़ा सख्त है आपका...” “अरे मेरी अनारकली.... अब तुझ जैसी माल के लिए सख्त नहीं होगा तो क्या तेरी नानी के लिए सख्त होगा” और फिर लल्लन जी ने धक्के लगाने शुरू और फिर लल्लन जी ने धक्के लगाने शुरू किये...
आज लल्लन जी कुछ जादा ही जोश में थे...हर धक्के में मालती बिस्तर पे दो इंच ऊपर सरक जाती... लल्लन जी आज किसी भेडिये से कम नहीं थे...आज वो मालती को इस तरह छोड़ रहे थे मानो लैब्राडोर कुत्ता किसी पामेरियन कुतिया को चोद रहा हो! “आह लल्लन जी... हाँ और तेज़.... आह... औह...” एक्साईटमेंट में मालती लल्लन की पीठ पर नाखूनों को गडा रही थी... “आऔउह... लल्लन जी.... आह.... औह....मालती लल्लन के गले को चांट रही थी, वो शायद चरम पर पहुच चुकी थी, फिर अचानक उसने लल्लन जी के कन्धे में अपने दांतों से काटती हुई झड़ गई... आह लल्लन जी के जिस्म से लिपटी मालती अभी भी चुद रही थी... क्योंकि झड़ी वो थी लल्लन जी नहीं... लल्लन जे ने उसे पलटा और अब पीछे से ही उसकी चूत में अपना खूटा अन्दर बाहर कर रहे थे... लल्लन जी का लौड़ा अब उसकी चूत में फिसल रहा था.... ज्यादा देर तक लल्लन जी खुद को संभाल नहीं पाए और फिर मालती की चूत में उनका ज्वालामुखी फूट गया.. और इसके बाद मालती को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ कर रिलैक्स हो गए!
“उम्म्ह...” “म्म्म्ह...” दोनों मस्ती में आहें भर रहे थे...
“इतनी सुबह सुबह... वो भी यहाँ...” मालती ने धीरे से पूछा!
“हाँ मेरी गरम गोदाम... तू चीज़ ही ऐसी है... रहा नहीं गया हमसे...”
“हेहे... आप भी न...”
लल्लन पीछे से मालती के जिस्म को सहलाए जा रहा था... उसकी साँसे मालती अपने कानों में महसूस कर रही थी...!
“वैसे ठाकुर ने घर अच्छा दे रखा है तुझे... क्या कीमत देती है उसे इस घर की”
“ओह लल्लन जी... मैनेजर हूँ मैं उनके होटल की...”
“मैनेजर ही है या फिर....? शक होता है हमें तुम पर... कभी कभी...”
लल्लन की बात को सुन कर मालती सहम सी गई... उसे समझ नही आ रहा था क्या जवाब दे.....
“आपका तो दिमाग ही खराब हो गया है लल्लन जी.... कुछ भी बोलते हैं... ठाकुर दोस्त था मेरे पति का... छी छी मैं तो सोच भी नहीं सकती” मालती थोड़ी नाराज होती हुई बोली!
“अरे अरे नाराज काहे होती हो... हम तो मजाक कर रहे थे...” लल्लन बोला!
और फिर मालती ने मुस्कुराते हुए लल्लन के सीने पर अपना सर रख दिया!
“चिंता मत करो अब... अब तुम हमारी हो... कमी नहीं खलने देंगे किसी चीज़ की तुम्हे...” लल्लन ने मालती की नंगी पीठ को सहलाया!
“ब्रेकफास्ट किया आपने?”
“हाँ... अभी अभी तो किया...” लल्लन ने आँख मारी!
“ओहो... आपको तो हर समय शरारत सूझती है बस”
लल्लन मुस्कुराया- “चल एक पेग दारू लेकर आ...”
“जी दारु तो नहीं है घर पर”
“ये क्या बात हुई साला... रुको अभी मंगवाते हैं”
“उम्म्ह लल्लन जी... आज रहने दीजिये न...मेरे लिए”
“चल फिर रहने दिया”
मालती मुस्कुराई.... कितने अच्छे हो आप....
“पर तू कमीनी है साली...” मालती की गांड पर बने टैटू पर उंगलियाँ फिराते हुए लल्लन बोला...
मालती लल्लन जी के थोड़ा और करीब आ गई..और अपनी एक टांग लल्लन जी की दोनों टांगो के बीच में घुसेड़ दी.... अब उसकी जांघ लल्लन जी के अन्डुओं को छू रही थी... अन्डुओं में मालती जी जांघ छूते ही लल्लन जी के लंड ने हरकत की.. और अगले ही पल उनका हथियार एक बार फिर से लोड हो चूका था!
“ले फिर से खड़ा कर दिया तूने इस कमबख्त को..”
“हीही... मालती खिलखिलाते हुए हंसी”
“हंस मत साली... अबकी बार है तेरी गांड की बारी..”
“उई माँ...शेरो-शायरी??”
“पलटो रानी... वरना हम पलटाये तो पड़ जाएगा भारी”
मालती मुस्कुराते हुए पलट गई....
“कितने बेरहम हो आप... जान निकल जाती है जब पीछे से लेते हो”
“साली टैटू एक्सटेंड करवा ले अब... “शुक्रिया” के आगे हमरा नाम भी गुदवा ले...” इस बार लल्लन ने टैटू पर अपना लंड रगड़ा! मालती की कमर पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठा दिया... इशारा पाते ही मालती घोड़ी बन गई....
“जानती हो घुड़सवारी के चैम्पियन हैं हम...”
“उम्म्ह... सच्ची...”
“हां मेरी जान... वैसे अभी पता चल जाएगा तुझे...”
और लल्लन जी ने पास में पड़ा ल्यूब मालती की गांड में भर दिया...
“चट” .... “चट्ट” दोनों चुत्ताडों पर लल्लन की उंगलियाँ छप चुकी थीं...
“आउच.... धीरे से लल्लन जी...”
“चुप कर साली....” मालती के बाल अब लल्लन के हाथों में थे...
धीरे से लल्लन ने उसके बालों को खीचा.... आह निकल गई बेचारी के मुह से... मुह के साथ साथ गांड भी खुल गई, और मौका पाते ही लल्लन जी ने अपना हथियार अन्दर डाल दिया...
इतने घाटों का पानी पीने के बाद भी मालती की गांड एकदम कसी हुई थी...
अब लल्लन जी मालती के बाल पकड़ कर उसकी गांड मार रहे थे... वो बस आह-ऊह के साथ हर स्ट्रोक का मजा ले रही थी... मालती सातवें आसमान में थी... और लल्लन जी तो मानो स्वर्ग में ही थे... लल्लन का लंड भी मालती के आगे टिक नहीं पा रहा था... एक बार फिर से वो वीर्य उगलने के लिए उतावला हो रहा था... लल्लन जी ने मालती को कास के अपनी बाहों में भींच लिया और फिर थरथराते हुए मालती की गांड में अपना पानी छोड़ दिया!
मालती भी रिलैक्स हुई और लल्लन जी क लौड़े से अपनी गांड को अलग किया!
तभी मालती का फोन बजा-
फोन मालती की बेटी मानसी का था...
“हेल्लो...”
“हेल्लो मम्मा ... कैसी हो...”
“अच्छी हू बेटा... तू ठीक है?”
“हाँ मम्मा मैं भी एकदम मस्त हूँ...”
“और कोलेज में अच्छा लगता है अब?”
“अच्छा? बोहोत अच्छा लगता है मम्मा.... फ्रेंड्स भी अच्छे मिल गए हैं... मुझे यहाँ...”
“ये तो और भी अच्छी बात है...” लल्लन अभी भी मालती के बूब्स सहला रहा था!
“मम्मा... वो हमारे कॉलेज में फेस्ट होने वाला है... तो उसके लिए शौपिंग करनी थी मुझे...”
“ओह तो इसलिए याद आई मम्मा की...” मालती ने टान्ट मारा!
“ओहो मम्मा.... आई लव यू....”
“चल ठीक है... कल मैं पैसे पडवा दूँगी अकाउंट में... खुश??”
“थैंक यू सो मच मम्मा....”
“और तू घर कब आएगी?”
“छुट्टी तो होने दो मम्मा...”
“ओके बाबा.... ठीक है... मिस करती हूँ तुम्हे मैं..”
“मैं भी मम्मा.... लव यू... कभी वरुन को लेकर आओ न मिलने..”
“हाँ आती हूँ... जल्दी ही आउंगी बेटा...”
“ओके मम्मा... बाय.... टेक केयर..”
“यू टू बेटा” और फिर फोन डिसकनेक्ट हो गया
“तो मानसी बिटिया थी फोन पे....” लल्लन ने जांघ पर हाथ फिराते हुए पूछा..
“हाँ.... मानसी थी... 6 महीने हो गए मिले उसे...”
“6 महीना तो बड़ा समय है... मिल आओ जाके किसी दिन..”
“ह्म्म्म.... मैं भी वही सोच रही हूँ..... बोल रही थी फेस्ट होने वाला है ... शौपिंग करनी है”
“अच्छा तो पैसे चाहिए... अकाउंट नंबर बता दे हमें, हम अभी ट्रान्सफर किये देते हैं...”
“अरे मैं कल बैंक से कर दूँगी...”
“अरे एहसान नहीं कर रहे हैं... समझी... हम तो ये कह रहे थे कि आज सन्डे है... बिटिया शौपिंग कर लेगी जाके... नहीं तो फिर बंक करके जायेगी शौपिंग करने...”
“ह्म्म्म... सही कह रहे हैं आप लल्लन जी...”
मालती उठी और एक डायरी में से मानसी का बैंक अकाउंट नंबर देख कर लल्लन जी को बताया...लल्लन जी ने बीस हज़ार रुपये तुरंत मानसी के अकाउंट में ट्रान्सफर कर दिए! “लो जी पहुच गए पैसे”
थोड़ी देर में फिर से मानसी का फोन आया...
“मम्मा... यू आर ग्रेट... लव यू सो मच”
“लव यू टू बेटा..” लल्लन की ओर देखती हुई मालती बोली!
और फिर मानसी ने फोन काट दिया!
“खुश है न मानसी बिटिया...”
“हाँ बहोत खुश है.... आप सच में कितने अच्छे हो... आज मुझे मानसी के पापा की याद आ गई...” मालती थोड़ी भावुक होती हुई बोली!
“अरे मेरी जान... कमी खलने नहीं देंगे हम तुम्हे मिश्रा जी की...और फिर कम थोड़े हैं उनसे किसी मामले में..”
“कम... हेहे... वो उन्नीस थे तो आप बीस हैं...”
“हाँ तो कमर पे गुदवा ले..हमारे नाम का टैटू भी...”
मालती शर्मा गई... “आप भी न...कुछ भी बोलते हैं”
“कुछ भी नहीं मेरी पंडिताइन... चुनाव का पाणिनाम आने तक ये काम हो जाना चाहिए वरना... हम खुद बना देंगे टैटू...” सिगरेट की ओर निशाना करते हुए लल्लन ने कहा!
लल्लन जिद्दी था... मालती ये बात अछि तरह से जानती थी... जो ख्वाहिश लल्लन ने की थी अब मालती के पास उसे पूरा करने के अलावा कोई चारा नहीं था...
“अच्छा बाबा ठीक है...पर मेरी भी एक शर्त है...”
“क्या शर्त है मेरी जान...”
“चुनाव के बाद मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी दीजियेगा....देंगे न?”
“अरे तेरी गांड की खातिर कुछ भी देंगे तुझे... हाहाहा...”
“लल्लन जी.... प्लीज़....प्यार करने लगी हूँ आपसे मैं”
“हम भी तो वही कर रहे हैं तुमसे.... प्यार...” लल्लन चुटीले अंदाज में बोला!
और मालती फिर से लल्लन के जिस्म के नीचे थी...
“कितना चोदियेगा आज....?” मालती ने शिकायत भरे अंदाज में पूछा!
“तुम्हरी बुर का भोसड़ा बना के जायेंगे आज....बूझी...” और फिर लल्लन ने उसके बाएं चूचे को अपने मुह में भर लिया और अपना लोहा मालती की चूत में डाल दिया!
मालती एक बार फिर जंगली घोड़े के नीचे थी... चुदने को तैयार...
लल्लन जी ने इस बार भी कोई कसर नहीं छोड़ी... गहरे गहरे धक्के मालती की मादकता को मर्दानगी का चरम आनंद दे रहे थे....
कुछ देर के बाद लल्लन जी एक बार फिर से मालती के ऊपर निढाल होकर गिर गए.... मालती उनके नीचे उनके जिस्म से लिपटी पड़ी थी!
“ट्रिंग ट्रिंग... ट्रिंग ट्रिंग... ट्रिंग ट्रिंग...”
किसकी अम्म्मा मर गई... साला फुर्सत से दो पल भी नहीं जीने देते... लल्लन फोन पर बडबडाया... और मालती को अपने नीचे से थोड़ा ढीला छोड़ा... मालती ने थोड़ा खिसक कर लल्लन जी का मोबाइल उठाया और लल्लन को दिया....


 “अब्दुल भाई...इसको आज हमरी याद कैसे आ गई”
“हलो....फरमाइए अब्दुल जी....”
“अल्ला हाफिज़ लल्लन सिंह जी.... नमस्कार आपको”
“नमस्कार भाई नमस्कार...”
अब्दुल: “और सब खैरियत?”
लल्लन: “हाँ ऊपर वाले की दया से सब खैरियत से निपट गया... अब तो बस फुर्सत में बिस्तर गरमा रहे हैं”
अब्दुल: “इंशा अल्ला जीत आपकी ही हो”
लल्लन: “अरे इसमें भी कोई शक है...पिछले पंद्रह सालों में हरा पाया है हमको कोई?”

अब्दुल: “जी ये बात तो सौ टका सच है आपकी... बस आपसे इसी सिलसिले में थोड़ी मदद चाहिए थी”
लल्लन: “हम कैसी मदद कर सकते हैं आपको... हो सकेगी तो जरूर करेंगे...”
अब्दुल: “भाईजान काप्म्पेनिंग का लास्ट फेज़ चल रहा है.... अगर आप हमारे इलाके में आके एक दिन हमारे साथ एक छोटी सी सभा कर देते तो... हमारी भी जीत बस पक्की ही हो जाती....”
लल्लन: “हाहाहा.... क्या भाई अब हमको आना पड़ेगा क्या...सुने थे भौकाल है तुम्हारा बहुत... क्या हुआ?”
अब्दुल: “जी भौकाल तो है पर आपके जितना कहाँ... और फिर बाहुबली हैं आप... चुनाव बाद जिसकी सरकार बनवाइएगा... आपके साथ ही रहेंगे हम...”
लल्लन मालती की जुल्फों से खेल रहा था...
लल्लन: “ठीक है बताते हैं हम शाम तक... हमारी सेकेटरी बात करेगी आपसे...” मालती की ओर मुस्कुराया!
अब्दुल: “धन्यवाद लल्लन जी....”
और फिर लल्लन ने फोन काट दिया!
“बड़ी डिमांड है आपकी...” मालती अपने अंदाज में बोली...
“अरे आज हम इनके काम आयेंगे तभी न कल को ये हमरे काम आयेंगे.... यही कुदरत का उसूल है”
“चल अब तैयार होजा... मुजरा देखना है हमको तुम्हरा...”
“मुजरा... हाय रामा... मैं कोई कोठे वाली नहीं हूँ...”
“तो बन जाओ.... आज के लिए... हमरे लिए...”
मालती मुस्कुराई....
“क्यों लंड की गर्मी शांत हो गई क्या?”
“हरामन... हमरे लौड़े में अभी भी इतनी गर्मी है की तेरा पूरा खानदान पेट से कर दें.... समझी....”
“ओये होए ... मर जावा....”
लल्लन ने धीरे से मालती की गांड पर चांटा मारा... “चल जा... पहन ले कपडे...”
“ओहो लल्लन जी... कपडे क्यों... नंगी भी तो कर सकती हूँ मुजरा...”
“बेहेन की लौड़ी... समझ नी आरी तेरे को....” एक और चटाक मारा!
मालती मुस्कुराई... और लल्लन के मुरझाये लौड़े को चूम कर बाथरूम में घुस गई.... जल्दी से शावर लिया और फिर टॉवल से अपना बदन पोंछती हुई बाहर आ गई.... लल्लन जी को बेचैन करने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती थी वो...
टॉवल लल्लन जी के पास फेंक दी...लल्लन जी उस टॉवल को अपने मुह से लगा कर मालती की खूबसूरती को निहार रहे थे... मालती उनकी ओर देखती और हल्की सी मुस्कान देती, तो लल्लन जी बस तड़प कर रह जाते... मालती ने फिर अल्मिरा खोली.... अल्मिरा से उसने एक घाघरा चोली बाहर निकाली... मालती ने घाघरा ऊपर से अपने जिस्म पर डाला और नारा बाँधा... और फिर लल्लन जी की आँखों में देखते हुए घाघरे को कमर से नीचे सरका दिया.... आये हाए क्या लग रही थी वो उस मैरून- सुनहरे घाघरे में.... फिर मालती ने चोली उठाई और उसे पहन लिया.... अब बारी थी चोली के पीछे की डोरी बाँधने की...
“हेल्प करेंगे थोड़ी...”
“जरूर करेंगे.... औरतों की हेल्प करने में हमें वैसे भी बहुत मजा आता है...”
“तो ये डोरी बाँध दीजिये न आके...”
“हाहा... डोरियाँ तो बस खोलना जानते हैं हम... ये नहीं होगा हमसे...”
“कितने कमीने हैं आप”
“वो तो हैं....” लंड पर तौलिया मसलते हुए लल्लन जी बोले!
फिर मालती के पास और कोई चारा बचा भी नहीं था.... थोड़ी कोशिश के बाद उसने डोरी बाँध ली...! ऊपर एक हलकी चुन्नी डाल कर मालती पूरी तरह तैयार थी...
“बोलिए जी... कैसे गाने पसंद करेंगे...”
“अरे मेरी अनारकली... बिन मदिरा मुजरा... कुछ जमेगा नहीं.... अब तुम पहली बार हमारे लिए नृत्य करोगी... शराब तो होनी ही चाहिए....” लल्लन अपने सीने के बालों में उंगलियाँ फिराते हुए बोला!
“ओहो लल्लन जी... क्या मुझमे इतना नशा नहीं? मेरे होते हुए आपको शराब की कमी... मर क्यों नहीं गई मैं ये सुनने से पहले...” मालती ड्रामाक्वीन की तरह बोली....
“अरे मेरी अनारकली... तेरे जिस्म की लत तो ऐसी लगी है कि पूछो मत...”
मालती मुस्कुराई.... लल्लन ने फिर से उसे देखते हुए अपना लौड़ा खुजाया...

“इतनी खुजली मच रही है तो मैं ही खुजा देती हूँ....” मालती ने चुटकी ली...

“आह मेरी जान तेरी इसी अदा का तो दीवाने हैं हम....” ये कहते हुए लल्लन जी बिस्तर से उठे, और अपने कपडे ढूँढने लगे...
मालती लल्लन जी को कपडे ढूँढ़ते देख घबरा गई.... उनके पास आई... और पैरों पर बैठ गई.... ”क्या कोई गलती हो गई मुझसे.... लल्लन जी.... क्या हुआ...”
“हाहा... अरे ऐसी कोई बात नहीं है.... वो तो हमने सोंचा कि तुम तैयार हो गयी हो तो हम भी तैयार हो जाते हैं... देखो हमारा कुरता कहाँ पड़ा है...”
मालती मुस्कुराई.. और उठकर लल्लन जी को उनका कुरता दिया... लल्लन ने कुरता पहना और बिस्तर पे पड़े चादर को लुंगी की तरह नीचे लपेट लिया!

“चलो” लल्लन जी ने झटके में कहा!
“कहाँ?” मालती थोड़ी सरप्राइज़ होती है!
“अरे अब आपका नृत्य तो फार्महाउस में ही न देखेंगे....यहाँ तुम्हारे बेडरूम में तो नहीं न देखेंगे...और फिर मदिरा भी तो नहीं है यहाँ”
“आप नहीं मानेगे...मुझे पता होता तो मैं पहले ही शराब मंगाकर रख लेती ” मालती शिकायत भरे अंदाज में बोली!
लल्लन ने मालती की कमर को अपने बाएं हाथ से पकड़ा और उसे अपने करीब ले लिया और उसे लेकर बाहर निकल गया... मालती को गाड़ी में बैठाया और गाड़ी सीधा फार्महाउस की ओर मोड दी!
पर ये क्या... ये रास्ता तो नया है... “कहाँ चल रहे हैं हम लल्लन जी? आपका कोई और भी फार्महाउस है क्या?”
“अरे मेरी अनारकली... एक सरप्राइज है तुम्हारे लिए...”
“सरप्राइज़.... वाओ...”
“हाहा... तुम छोरियों को सरप्राइज़ बड़े पसंद होते हैं” लल्लन बोला!
मालती को किसी ने बड़े दिनों के बाद छोरी बोला था...वो शर्मा गई... कॉलेज में एक जाट-बॉयफ्रेंड था उसका जो उसे चोदते समय छोरी ही बोलता था!
“क्या सरप्राइज़ है लल्लन जी... बताइये न... प्लीज़..”
“अरे सरप्राइज़ बता दिया तो सरप्राइज़-सरप्राइज़ कहाँ रह जाएगा!” मालती की जांघ पर हाथ मरते हुए लल्लन जी बोले!
गाड़ी वापस रस्ते पर आ चुकी थी... ये शोर्टकट था जो मालती ने कभी नहीं देखा था... थोड़ी देर बाद फार्हाउस आ गया!
“क्या सरप्राइज़ है लल्लन जी....?”
लल्लन जी मालती को लेकर अपने गैराज पहुचे... “वो लाल रंग की मर्सडीज़ देख रही हो? तुम्हारी है आज से... नौकर के हाथ से चाबी लेकर मालती के हाथ में थमा दी....”
“ओह माय गॉड.... लल्लन जी.... you are so great.... मुझे समझ नहीं आ रहा कि कैसे थैंक्स बोलूं आपको... लॉन्ग ड्राइव पे चलें?”
“हाहा... शुक्रिया की कोई जरूरत नहीं है मेरी जान... ये ईनाम है तुम्हारा... इतना मेहनत जो की हो इलेक्शन में”
मालती मुस्कुराई... और लल्लन जी का हाथ पकड़ कर उन्हें कार के अन्दर बैठाया... और फिर खुद ड्राइविंग सीट पर आ कर बैठ गई...
गाड़ी अगले ही पल हाईवे पर थी... लल्लन जी मालती को निहार रहे थे... मालती गाड़ी चला रही थी... मुस्कुरा रही थी... खुश थी वो इस तोहफे से... ये सच में एक सरप्राइज़ था उसके लिए!
“तो फिर आज का मुजरा कैसल..?” लल्लन ने मालती के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा!
“अरे ऐसे कैसे कैंसल लल्लन जी... आज तो आपके लिए स्पेशल मुजरा होगा,,,” मालती चहकती हुई बोली!
“तू चुदेगी... बहोत बुरा चुदेगी मुझसे....हाहाहा....” लल्लन ने हवसी अंदाज में अपने इरादे बयाँ किये!
हेहे... मालती तो थी ही चुदने को बेकरार....
“अरे इधर- इधर बस यहीं से मोड़ना था...”
“ओहो... पहले बताना चाहिए था आपको....” मालती ने गाड़ी बैक की और फिर लल्लन के बताये रास्ते पर गाड़ी बढ़ा दी....
“हा... आगे से लेफ्ट....”
मालती ने आगे से लेफ्ट लिया...
थोड़ी देर के बाद सामने एक खँडहर सा दिखा.... “बस यहीं किनारे लगा ले...”
लल्लन जी पूरे हक से बोले!
“ये कहाँ ले आये आप मुझे?”
“अरे अन्दर चल- जन्नत दिखाते हैं तुमको आज...” मालती की चुन्नी हटाते हुए लल्लन जी बोले!
मालती मुस्कुराई.... “आप भी न लल्लन जी...”
दोनों गाड़ी से बाहर निकले.... लल्लन ने मालती से चाबी ली और पीछे डिग्गी खोली... और उसमे रखी शराब की पेटी को बाहर निकाला...
“ले मेरी जान... इसे उठा और लेकर चल अन्दर...”
मालती को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि लल्लन के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है... वो था ही सनकी... पर मालती को मजा आ रहा था इस खेल में... उसने शराब की पेटी उठाई... पेटी काफी वजन थी... और उसे उठाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी मालती को... और फिर आखिर उसने किसी तरह पेटी को उठाया और खँडहर के अन्दर चल दी... लल्लन ने गाड़ी स्टार्ट की और गाड़ी को सीधे खँडहर के अन्दर तक ले गया....
और फिर अन्दर ले जाकर गाड़ी खड़ी की और गाड़ी से बाहर निकला... मालती भी बेचारी शराब की पेटी लेकर धीरे धीरे अन्दर पहुच ही गई....
“ये कौन सी जगह है लल्लन जी... कहाँ ले आये मुझे...”
“अरे मेरी जान... आज तो तुम्हारा मुजरा हम यहीं देखेंगे...” लल्लन जी लुंगी ऊपर उठाते हुए बोले...
लल्लन की हवस आज सातवें आसमान पर थी... और इस हवस की जिम्मेदार और कोई नहीं मालती खुद थी...
इस खँडहर से लल्लन की पुरानी यादें जुडी हैं...
(बात आज से करीब 18 साल पहले की है... आज जो दबदबा लल्लन का है पहले वो दबदबा पुरोहित जी का हुआ करता था...पुरोहित जी अच्छे आदमी थे... हर कोई मानता था उन्हें.. पर लल्लन के परिवार और पुरोहित जी के परिवार में कभी नहीं बनी थी.. रेत का काला घंधा करते थे पुरोहित जी... और अवैध रेत यहीं इसी खँडहर में रखते थे! सबमे मिलीभगत रहती थी इसलिए कोई कुछ बोलता भी नहीं था...ये खँडहर लल्लन के पुरखों की हवेली हुआ करती थी... पुरोहित जी ने धोके से कब्ज़ा कर लिया था...और अपने काले धंधों का अड्डा बना कर रखा था!
लल्लन बचपन से ही खुराफाती था... अपने परिवार की ये बेज्जती उसे कतई रास नहीं आती थी.... कॉलेज से जब वो ग्रेजुएशन करके वापस आया तो पहला काम उसने अपने परिवार को उसकी खोई शान वापस दिलाने का किया! उसने गहरी चाल चली! पुरोहित की बेटी कामिनी लल्लन के साथ ही कॉलेज में पढ़ती थी.... वो भी बेचारी लल्लन के पौरुष की दीवानी हो ही गई... और लल्लन ने मौका न गवाते हुए उसे अपने प्रेमजाल में फँसा लिया! वहाँ कोल्लेज में उसने पुरोहित की बेटी के खूब मजे लिए... और फिर जब कॉलेज ख़तम हुआ तो वापस आकर पुरोहित की बेटी के काले कारनामों को फैला दिया,,, फिर आप तो जानते हैं ऐसी बातें छुपती नहीं... कामिनी को बदनाम होते देर नहीं लगी... लल्लन चटकारे लगा लगा के कामिनी के किस्से अपने चेलों को सुनाता था... होली की छुट्टी में जब कामिनी घर आई तो मौका देखकर लल्लन ने बहाने से उसे उसी खँडहर में बुला लिया... और फिर अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसका बलात्कार किया... दूसरी तरफ कुछ मजदूरों को पैसे देकर पुरोहित के खानदान के सारे मर्दों का क़त्ल करवा दिया! पुरोहित जी का पूरा खानदान ख़तम हो चूका था... कामिनी को भी जिन्दा नहीं छोड़ा था! सबका जड़ थी ये हवेली... जो खँडहर बन चुकी थी...! उस घटना के बाद से ही लल्लन का दबदबा लोगों के बीच बना था...और ये हवेली... टैब से अब तक ऐसे ही खँडहर बनी पड़ी है... कभी कभार चोदम-चुदाई के लिए लोग लौंडिया लेकर आ जाते है वरना यहाँ मूतने भी नहीं आता कोई... अभी भी पुरोहित जी की वो रेत यहीं पड़ी हुई है जो वो अवैध रूप से जमा करते थे यहाँ)

अट्ठारह साल पहले जो हुआ था आज फिर से यादें ताजा हो चुकी थी... लल्लन के अन्दर का खून गरम था... “अरे राण्ड... साली.... खड़ी क्या है? शो चालू कर....”
गुस्से में लल्लन बोला!
मालती को लल्लन के गुस्से का कारण समझ नहीं आ रहा था... पर उसकी आवाज की मर्दानगी ऐसी थी कि अगर थोड़ा और हड़क देता तो मालती का मूत निकल जाता...
मालती सहमी हुई ठुमकना चालू की... वो नाचती हुई गाड़ी के पास गई और म्यूजिक लाउड किया.... “राणा जी माफ़ करना... गलती म्हारे से हो गई...”
म्यूजिक की बीट पर मालती अपने चुत्तड हिला हिला कर नाच रही थी....
लल्लन ने शराब की एक बोतल खोली और मालती के ऊपर उड़ेल दी...
मालती नाच रही थी.... लल्लन को खुश करने की कोशिश में हर कोशिश कर रही थी पर लल्लन के चेहरे की गंभीरता कम नहीं हो रही थी! एक और बोतल खोली और मालती के जिस्म पर उड़ेल दी...लल्लन जी थोड़ी सी पीते और फिर मालती के जिस्म पे उड़ेल देते!
एक एक करके पूरी पेटी मालती के जिस्म पर उड़ेल दी... मालती नाचे जा रही थी... हवा में शराब की महक घुल चुकी थी... और लल्लन जी भी नशे के सुरूर में हवस को काबू करने में खुद को नाकाम पा रहे थे.... अबकी बार मालती नाचते हुए लल्लन जी के करीब आई तो लल्लन जी ने उसे फिर दूर नहीं जाने दिया... उसके जिस्म को चांटने लगे... मालती की बेचैनी बढती जा रही थी... लल्लन जी के स्पर्श से उसके घुटने कमजोर पड़ चुके थे... लल्लन जी ने कब उसके कपडे उतार दिए उसे पता भी नहीं चला...
“आऊउच..... आह.....” गाड़ी की पिछली सीट पर मालती झुकी ही थी कि.. पीछे से लल्लन जी ने अपना लौड़ा उसकी गांड में घुसेड़ दिया!
और फिर गाड़ी का उदघाटन हो ही गया... मालती की आहें पूरे खँडहर में गूँज गई... लल्लन जी का सारा क्रोध- सारी यादें... उनके लंड को और भी ताकतवर बना रही थी.... लल्लन जी ने अपना लौड़ा जब गांड से निकाला तो मालती ने थोड़ी राहत की सांस ली... वो सांस ले ही पाई थी की लौड़ा उसकी चूत में घुस चूका था.. लल्लन जी आज पूरे सुरूर में थे... फच्च.. फच्च.... आह उई... पूरे 40 मिनट घंटे तक लल्लन जी के लौड़े ने उनका साथ दिया और फिर वो निढाल हो कर बैक सीट पर ही मालती के ऊपर गिर गए!
लौड़ा अभी भी मालती की चूत में ही था... वो भी एकदम तना हुआ... लोड डिस्चार्ज करने के बाद भी...
“लल्लन जी....आपने तो जान ले ली थी अभी मेरी”
मालती की आवाज सुनते ही एक बार फिर से लल्लन जी शुरू हो गए... “हाय रामा... मर गई.... ऊह...आह... फक मी... आह...” मालती लल्लन जी को उकसा रही थी... लल्लन जी ने फिर स्पीड पकड़ी और इस बार अपनी मर्दानगी से मालती मिश्रा की मानो जान ही ले ली... मालती बार बार झड रही थी... पर लल्लन जी... उनका लौड़ा तो किसी फौलाद की तरह चोदे जा रहा था..
आह... ऊओह... बस... मर गई... मालती एक बार फिर झड़ी... फिर लल्लन जी भी संतुष्टि तक पहुच ही गए... और अपना वीर्य मालती की योनि में दाग दिया!
कपडे वही बाहर पड़े रहे... लल्लन जी ने गाड़ी स्टार्ट की.. और सीधे फार्महाउस पहुचे.... मालती साइड सीट में नंगी ही बैठी थी... रास्ते में दोनों ने एक शब्द भी नहीं बोला...मालती की हिम्मत नहीं हो रही थी... और लल्लन ख्यालों में डूबा हुआ था...
फार्महाउस पहुच कर गाड़ी पार्क की... और मालती को छोड़कर लल्लन अन्दर चला गया! फिर मालती भी नंगी ही भागती हुई अन्दर गई... फार्महाउस के सारे नौकर और एक दो छोटे-मोटे नेताओं- चेलों ने इस नज़ारे से नयन-सुख प्राप्त किया! सबकी आँखे चमक उठी मालती मैडम को नंगा देखकर... वो भी भागती हुई... हाय उसकी हिलती गांड तो मानो सबको बेडरूम का इनविटेशन दे गई थी.... पर सब अपनी औकात जानते थे... और फिर लल्लन जी के माल के बारे में सोचना... न बाबा न...!





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