Sunday, April 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI तन मन धन सब तुम्हारा है-1

FUN-MAZA-MASTI

तन मन धन सब तुम्हारा है-1

इस कहानी की मुख्य पात्र है रश्मि खन्ना जिसे सब राशि के नाम से ही
बुलाते थे। वो एक छोटे से शहर में पैदा हुई थी और एक मध्यम वर्ग परिवार
से थी। दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई के बाद उसे आगे की पढ़ाई के लिए अपने शहर
से दूर दूसरे शहर में जाना पड़ा। माँ बाप की इच्छा थी कि उनकी बेटी पढ़ लिख
कर कुछ बन जाए ताकि कल जब उसकी शादी हो तो कम दहेज से काम चल जाए।
राशि पढ़ाई में अच्छी थी पर जब वो अपने छोटे से शहर से निकल कर बड़े शहर
में गई तो वहाँ की हवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। वो सरकारी बस
में बैठ कर जाती थी। जो लोग ऐसी बसों में सफर करते हैं उनको पता है कि उन
बसों में भीड़ कितनी होती है। इन्ही बसों की भीड़ में राशि को अपने बदन पर
पराये लोगों के हाथों का स्पर्श पहली बार महसूस हुआ था।
कमसिन जवान लड़की के बदन पर जब इन हाथों का स्पर्श हुआ तो बदन एक अलग सी
अंगड़ाई लेने लगा था। शुरू शुरू में तो राशि को यह अजीब लगा पर फिर धीरे
धीरे उसे भी इन सब में मज़ा आने लगा। बस की भीड़ में अक्सर कोई ना कोई मर्द
जब राशि से चिपक के खड़ा होता तो राशि में बदन में बेचैनी होने लगती। कभी
कभी कोई मजनूँ जब उसकी गांड में ऊँगली लगा देता तो वो उचक पड़ती थी। पहले
पहले तो वो अक्सर इन सब हरकतों से बचने की कोशिश करती रहती थी पर अब उसे
ये अच्छा लगने लगा था। अब जब कोई मर्द उस से चिपक कर अपना लण्ड उसकी गांड
से सटा कर खड़ा हो जाता तो वो अपनी गांड पीछे कर के उस लण्ड का पूरा एहसास
अपनी गांड पर महसूस करने की कोशिश करती। इन सब में उसे अब बहुत मज़ा आता
था।
शहर में भी बहुत से लड़के उसके आगे पीछे उस से दोस्ती करने के लिए घूमने
लगे थे पर वो किसी को घास नहीं डालती थी। पर फिर इस कमसिन कबूतरी की
जिंदगी एक अलग मोड़ लेने लगी।
और एक दिन...
वो दिन राशि की जिंदगी बदल गया। उस दिन उसका अठारहवां जन्मदिन था। शहर
में उसकी एक महिला अध्यापिका (जिसका नाम रेखा था) ने अपने घर पर राशि का
जन्मदिन मनाने का प्रबन्ध किया। और फिर आधी छुट्टी के बाद वो राशि और
उसकी एक दो दूसरी सहेलियों को लेकर अपने घर चली गई। वह पर उन सबने मिल कर
राशि के जन्मदिन का केक काटा और सबने खाया और फिर नाच गाना हुआ।
उसके बाद रेखा ने उन सबको डीवीडी पर एक फिल्म दिखाई। फिल्म जैसे ही शुरू
हुई सब लड़कियाँ शर्म के मारे एक दूसरे का मुँह देखने लगी। यह एक अश्लील
फिल्म थी जिसमे दो नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए वासना के समंदर में
गोते लगा रहे थे। एक मर्द जो बिल्कुल नंगा होकर अपने लंबे से और मोटे से
लण्ड को एक बिल्कुल नंगी लड़की की चूत में डाल कर बहुत जोर जोर से
अंदर-बाहर कर रहा था। वो लड़की भी मस्ती के मारे आहें भर रही थी।
यह देख कर सब लड़कियाँ पानी पानी हो रही थी। पर रेखा ने उनको समझाया कि
जिस उम्र में वो सब हैं, उन्हें इस सब का ज्ञान होना बहुत जरुरी है। फिर
रेखा ने उन सबको विस्तार से लण्ड, चूत और चुदाई के बारे में बताया।
उस दिन जब राशि अपने घर वापिस आई तो बहुत बेचैन थी। रह रह कर उसकी आँखों
के सामने फिल्म के वही चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। सोच सोच कर उसकी चूत
बार बार गीली हो रही थी। ऐसा नहीं था कि पहले कभी राशि की चूत गीली नहीं
हुई थी पर आज जितनी गीली कभी नहीं हुई थी। रात को सोने के बाद भी वही सब
कुछ आँखों के सामने घूमता रहा और ना जाने कब राशि का हाथ अपनी चूत पर चला
गया और वो उसको सहलाने लगी। चूत को सहलाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
कुछ ही देर बाद उसकी चूत में कसमसाहट सी होने लगी और बदन अकड़ने लगा तो वो
जोर जोर से अपनी चूत को अपनी उंगली से रगड़ने लगी और फिर पहली बार राशि की
चूत से मस्ती का झरना बह निकला। बदन एकदम से हल्का हो गया और फिर वो नींद
के आगोश में खो गई।
उस दिन के बाद से राशि की चूत में बहुत खुजली होने लगी। अब उसकी नजरें
लड़कों की पेंट में कैद लण्ड को ताकती थी। उसका दिल करने लगा था कि कोई
आये और अपना लण्ड फिल्म की तरह से उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत की खुजली
मिटा दे। पर दिल के किसी कोने में एक डर था जो उसे यह सब करने से रोक रहा
था।

रेखा मैडम अब बहुत अच्छी लगने लगी थी और अब वो रेखा मैडम से हर बात कर
लेती थी। एक दिन बातों बातों में ही राशि ने रेखा को बता दिया कि जब से
उसने वो फिल्म देखी है उसके नीचे बहुत खुजली रहने लगी है। रेखा यह सुन कर
बहुत खुश हो गई। फाइनल पेपर जल्द ही होने वाले थे तो रेखा ने राशि के
पापा के पास फोन करके उसको पेपर होने तक अपने पास रख कर पेपर की तैयारी
करवाने की बात कही। रोज आने जाने की दिक्कत और बिना पैसे की ट्यूशन दोनों
ही मतलब की बात थी। राशि के पापा ने हाँ कर दी। और फिर राशि शहर में रेखा
के पास ही रहने लगी।
रेखा... वो एक तीस-बतीस साल की तलाकशुदा औरत थी। रेखा का बदन एकदम भरा
भरा सा था। बड़े बड़े चूचे, नीचे पतली कमर और फिर नीचे मस्त गोल गोल गाण्ड।
खूबसूरत बदन की मालकिन रेखा की शादी छ: साल पहले हुई थी पर चार साल की
विवाहित जिंदगी में रेखा ने कोई सुख नहीं देखा था। फिर दो साल पहले उसके
पति ने एक दूसरी औरत के लिए रेखा को तलाक दे दिया। तब से रेखा अकेली ही
रह रही थी और स्कूल में नौकरी करके अपना गुज़ारा कर रही थी। राशि के आने
से रेखा का अकेलापन दूर हो गया था।
पहली ही रात रेखा ने राशि को फिर से वही ब्लू फिल्म दिखाई और फिर कपड़े
उतार कर राशि को बाहों में भर कर बिस्तर पर लेट गई। राशि को तो कुछ पता
नहीं था पर उसकी मास्टरनी रेखा पूरी माहिर थी। बेड पर लेटते ही रेखा ने
राशि के बदन को चूमना चाटना शुरू कर दिया। रेखा राशि के बदन को अपनी जीभ
से चाट रही थी। और राशि के बदन में कीड़े दौड़ने लगे थे। बदन में सरसराहट
सी हो रही थी। रेखा ने राशि के होंठ चूमे, उसकी चूचियों को अपने होंठो से
चूमा और अपने दांतों से राशि के चूचकों को काटा तो राशि की चूत में
ज्वालामुखी भड़क उठा।
राशि का बदन उबलने लगा था। ऐसा एहसास की चूत में पानी का दरिया बहने लगा
था। रेखा ने राशि की नाभि को चूमते हुए जब जीभ को गोल गोल घुमाया तो राशि
की चूत बिना लण्ड के फटने को हो गई। रेखा ने राशि की नाभि से होते हुए जब
जीभ नीचे राशि की चूत पर लगाई तो राशि अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं रख पाई और
झड़ गई। उसकी चूत ने जवानी का रस रेखा के मुँह पर फेंक दिया। रेखा को जैसे
बिन मांगी मुराद मिल गई। वो जीभ घुमा घुमा कर सारा यौवन रस चाट गई।
ऐसे ही एक डेढ़ महीना दोनों मज़े करती रही। रेखा खुद भी राशि की चूत चाट
चाट कर उसका रस निकालती और फिर राशि से अपनी चूत चटवा कर अपना पानी
निकलवाती। अब राशि की चूत लण्ड का मज़ा लेने के लिए बेचैन होने लगी थी।
उसने अपने मन की बात रेखा को बताई तो रेखा उस से नाराज हो गई। रेखा
मर्दजात से नफरत करती थी। तलाक के बाद से ही रेखा को मर्द दुश्मन जैसा
दिखने लगा था। उसको तो लेस्बियन सेक्स में ही आनंद आता था। राशि को उसने
इसी काम के लिए तैयार किया था। पर राशि को तो अब अपनी चूत में लण्ड लेने
की लालसा बढ़ती जा रही थी।
जल्दी ही राशि के पेपर हो गए और राशि फिर से अपने शहर आ गई। अपने शहर में
आते ही राशि को बेहद खालीपन महसूस होने लगा। उसको रेखा के साथ का मज़ा
सताने लगा। चूत का कीड़ा उसको अब बेहद बेचैन रखता था। उसकी निगाहें अब
सिर्फ लण्ड देखने को बेचैन रहती थी। वो उस आग में जल रही थी जिसे सिर्फ
और सिर्फ एक मस्त लण्ड ही ठंडी कर सकता था। वो हर रात अपनी पैंटी उतार कर
अपनी चूत रगड़ती और अपना पानी निकालती।

ऐसा करने पर उसे ओर उसकी चूत को शांति तो मिल जाती थी पर लंड लेने की कसक
अभी तक उसके दिल मे फँसी हुई थी बार बार उसके सामने वही फिल्म घूम जाती
थी. बार बार उसकी इच्छा होती थी की कोई आए ओर उसकी चूत मे अपना लंड पूरा
दल दे ओर उसे मस्त कर दे पर अपने गाओं मे उसे ये काम रिस्की लग रहा था.
इस कारण वो कॉलेज के फिर से चालू होने की बाट देख रही थी. जैसे तैसे करके
कॉलेज की छुट्टियाँ ख़त्म हुई
वो फिर एक बार सहर मे थी ओर बस के सफ़र ने फिर से उसके दिल मे लंड की चाह
बढ़ा दी थी. कॉलेज के पहले ही दिन उसकी टक्कर एक लड़के से हो गई जो अपने
दोस्त को कुछ बताता हुआ उसके अंदर ही घुसा चला आया था. वो खुद भी नीची
नज़रें किए हुए चल रही थी इस कारण उसे वक़्त पर देख नही सकी ओर दोनो की
टक्कर हो गई. टक्कर लगने के कारण वो दोनो ही संभाल नही पाए ओर राशि नीचे
गिर पड़ी ओर वो लड़का उसके उपर आ गिरा. गिरने से खुद को बचाने के चक्कर
मे लड़के के दोनो हाथ सामने आ गये ओर सीधे राशि के चूंचो पर आ गये थे.
पहले तो वो भूचक्का रह गया पर फिर उसने मौका देखते हुए हल्के से एक चूंची
दबा दी. चूंची के दब्ते ही राशि के मूह से एक सिषकारी निकल गई. पर तभी वो
संभाल गई ओर ज़्यादा आवाज़ नही निकली. ओर उसे खड़ा होने को कहने लगी. वो
जब खड़ा होने लगा तो उसकी चूत पर उसके लंड की रगड़ लग गई. यानी इस बीच
उसका लंड खड़ा हो गया था.
राशि को लगा की अगर कॉसिश की जाए तो इस लड़के से चूद जा सकता है. खड़े
होते ही राशि ने कहा सॉरी मेरा ध्यान कही ओर था इस करम मैं आपको देख नही
सका.
नही नही ऐसी कोई बात नही है. मैं खुद ही कहीं ओर देख कर चल रहा था इस
कारण टक्कर हो गई आप क्यू सॉरी बोल रही है सॉरी तो मुझे बोलना छाईए.
नही ग़लती तो है ही.
खैर जाने दीजिए. ही. मेरा नाम जय है मैं B. A. फाइनल मे पढ़ता हू.
ही मेरा नाम रश्मि खन्ना है. मैं B.A. सेकेंड येअर मे पढ़ती हू.
गुड. यानी हम दोनो ही एक ही स्ट्रीम के है ओर हमारी मुलाकर आज हो रही है
वो भी इस तरह. चलो कॉफी पीते है. रश्मि तो चाहती ही ये थी की वो किसी तरह
से उससे दोस्ती कर ले ओर जल्द से जल्द चुद ले जिससे उसे पता चल सके की
लंड का एहसास कैसा होता है.
दोनो कॉलेज कॅंटीन मे आ गए ओर जे ने कॉफी का ऑर्डर दे दिया ओर साथ मे
स्नॅक्स का भी. दोनो बहूत देर तक बाते करते रहे. इस बीच उसने राशि से
पूछा की तुम रहती कहाँ हो तो राशि ने कहा की मैं तो गाव से अप डाउन करती
हू.
क्यू यही रह जया करो ना. तुम्हारा गाव तो बहुत दूर है.
नही पापा अफोर्ड नही कर पाते है. अप डाउन ही ठीक है.
लास्ट येअर क्या किया था पुर साल अप डाउन किया था किया था क्या.
नही लंस्ट एअर हाफ सेशन तो अप डाउन किया था फिर रेखा मेडम ने अपने पास रख लिया था.
वो तो बहुत चंडाल ओरात है तू कहाँ फँस गई उसके चुंगल मे.
क्यू ऐसा क्या है.
क्यू तुझे नही मालूम जय ने राशि को घूरते हुए पूछा उसने तेरे साथ कुच्छ
नही किया क्या.
क्या नही किया
जय राशि को नाराज़ नही करना चाहता था इस कारण उसने उसे ज़्यादा कुरेदने
की जगह रेखा मेडम की सच्चाई बताने मे ही भलाई समझी.
अरे वो मेडम तो लेज़्बीयन है. लड़कियों के साथ पता नही क्या क्या करती रहती है.
पर मेरे साथ तो कुछ नही किया उन्होने.
हो सकता है तुम या तो मेडम को पसंद नही आई होगी या तुम्हे ट्रेन करने की
फ़ुर्सत नही मिली होगी वरना अभी तक वो तुम्हे भी लेज़्बीयन बना चुकी
होती.
राशि ने सोचा की जय को कुछ ओपन किया जाए. उसने अंजान बनते हुए पूछा "वैसे
ये लेज़्बीयन क्या होता है"
पहले तो जे बहुत हंसा फिर उसने राशि को अविस्वसनीयता से देखा ओर कहा जाने दे.
नही यार मुझे सच मे नही पता अब बता ना क्या होता है.
अरे यार वो लड़की लड़की के साथ करती है ना उसे लेज़्बीयन कहते है.
लड़की लड़की के साथ क्या करती है? उसने फिर अंजान बनने की कोशिश की.
वही जो लड़की को लड़के के साथ करना चाहिए.
यार पहेली मत बुझाओ सॉफ सॉफ बताओ. लड़की लड़के ले साथ क्या करती है?
"अरे यार अब तू सुनना ही चाहती है तो सुन, सेक्स".
छि छि कितने गंदे हो तुम लड़की के साथ ऐसे बात करते है क्या.
अरे इतनी देर से ढके छुपे शब्दों मे बता रहा हू तो समझती नही है ओर जब
बताया तो कहती है ऐसे कहते है क्या.
पर यार वो करने के लिए तो ल..!
क्या?
कुच्छ नही.
"अरे तुम कुछ कह रही थी" अब जे उसके मज़े ले रहा था.
कहा ना कुछ नही. अब मैं जा रही हू.
अरे बैठो एक बार.
अगर मैं तुम्हारे रहने की समस्या हाल कर दू तो.
कैसे. राशि ने इंटेरेस्ट लेते हुए उसकी तरफ देखा.
करता हू कुछ. तुम ऐसा करो अपना मोबाइल नंबर मुझे दे दो. मैं कुछ करता हू.
राशि सोच रही थी साले तू कुच्छ कर्त्ता ही तो नही है. मेरी पॅंटी कब से
गीली हो रही है. चल मोबाइल नंबर तो ले. कुछ गंदे SMS ही भेजेगा

राशि वहाँ से चल पड़ी. दिन भर क्लासस मे बिज़ी रही ओर उसके बाद वापस घर
की तरफ चल दी दिन भर की घाग दौर मे उसे इस बात का भी ध्यान नही रहा की
उसने जे को कुच्छ कम बताया था ओर उसका फोन या स्मस आ सकता है. घर
पहुँचटगे ही माँ ने पुच्छ आ गई बेटा.
जी माँ आ गई.
चल बेटा नहा धो ले मैं तेरे लिए कुच्छ पका देती हू तक गई होगी मेरी बेटी.
नही मान भूख नही है.
क्यू नही है भूख कुच्छ कहा तो होगा नही तूने वहाँ पर
आप लोग परवाह करते है क्या मेरी. रोज इतनी दूर बस मे धक्के खाती हुई शहर
जाती हू ओर आती हू. क्या क्या सहन करना पड़ता है मुझे. बस की भीड़. यहाँ
वहाँ छूते हुए हाथो का एहसास. ओर दिन भर भूखे रहना.
तो बेटा क्या कर सकते है यहाँ हमारे गाव मे तो कॉलेज है नही. जो हम
तुम्हे शहर ना भेजें. ओर पढ़ने की ज़िद भी तो तुम्हारी ही थी हम तो
तुम्हे खुश देखना चाहते है. बोलो तुम क्या चाहती हो हम तो वैसे ही कर
लेंगे तुम बताओ क्या करना चाहती हो मैं तुम्हारे पिताजी को माना लूँगी.
माँ मैं शाहर मे ही रह कर पढ़ना चाहती हू. रोज इतना लंबा सफ़र मुझसे नही
होता. वो भी इतनी भीड़ मे.
वहाँ कहाँ रहेगी. मेरी बेटी रहनी की सलीके की जगह भी तो होनी चाहिए.
मेरी एक सहेली रहती है कमरा ले कर उसके पिताजी भी चाहते है की वो किसी
दूसरी लड़की के साथ रहे. दोनो लड़कियाँ साथ रह लेंगी. मैने आज पहली बार
माँ से झूठ बोला क्यूंकी मैं हर हालत मे शहर मे रहना चाहती थी. अगर लड़की
का नाम ना लेती तो घर वाले रहने की इजाज़त नही देते. पिछली बार जब मैं
रेखा मेडम के साथ रहने गई थी तब घर से किसी ने जा कर देखने की ज़रूरत नही
समझी थी. राशि ने सोचा की लड़की का नाम लूँगी तो घर वाले इस बार भी बिना
देखे उसे रहने की इजाज़त दे देंगे. वैसे भी जय ने कहा तो था ही की वो कोई
जुगाड़ लगाएगा. तो हो सकता है वो किसी ना किसी लड़की के साथ ही रहने का
जुगाड़ लगाए. तो घर पर पहले बताने मे ऐतराज ही क्या है.
ठीक है बेटा मैं तुम्हारे बाबूजी से बात कर लूँगी. पर बेटी लड़की तो
अच्छे घर की है ना.
हन माँ अच्छे घर की ही है मेरी तो अच्छी सहेली है साथ ही पढ़ती है मेरी
तय्यरी भी हो जाएगी.
शाम को जब राशि आराम कर रही थी तब उसने ऐसे ही खेलते हुए मोबाइल ओताया तो
देखा उसमे एक स्मस नये नंबर से था.
ये किसका स्मस है. सोचते हुए राशि ने स्मस खोल लिया.
अरे ये तो जय का स्मस है.
स्मस मे लिखा संदेश पढ़ कर राशि के माथे पर बल पड़ गये. संदेश था "राशि
मैं बहुत घुमा यहाँ वहाँ पर तुम्हारे लिए किसी कमरे का इंतज़ाम नही हो
सका है. मैं तुम्हारे रहने का इंतज़ाम मेरी किसी जानने वाली लड़की के साथ
करना चाहता था पर ज़्यादातर लड़कियाँ आजकल आज़ाद रहना चाहता है. सब के
बाय्फ्रेंड होते है वो वो अपनी आज़ादी के साथ समझौता नही करना चाहती. अगर
तुम्हारे अर्जेंट है शहर मे रहने की तो मुझे एक मिस कॉल करो हम बात कर
लेते है.
पहले तो मैने सोचा की कॉल करू या ना करू घर से ही अप डाउन कर लू. पर उसी
समय चूत ने कहा साली अपना ही सोच रही है मेरा क्या होगा. चल शहर चल. कर
कॉल.
मैने भी फोन उठ कर कॉल कर दिया. उसने तो लिखा था की मिस कॉल कर देना पर
मैने कॉल ही किया दूसरी तरफ से जे की मदमाती आवाज़ आई"हेलो"
"हेलो, जय बोल रहे हो क्या"

“हां, जय बोल रहा हू, बोलो राशि” दूसरी तरफ से आवाज़ आई.
तुमने स म स किया था.
हां दरअसल तुम्हारे लिए रूम का इंतज़ाम नही हो सका है. इस लिए ही मैने
तुम्हे स म स किया था. वैसे कुछ दिन तुम मेरी एक दोस्त के पास तुम्हारे
रहने का इंतज़ाम कर सकता हू. अगर तुम चाहो तो.
पर उससे क्या होगा.
अरे होगा क्या अभी कुछ दिन तुम उसके साथ रह लो फिर जब तुम्हारे लिए रहने
की व्यवास्था हो जाएगी तो तुम उस रूम को छोड़ कर अपने रूम मे रहने लगना.
पर इस तरह तो घरवाले नही मानेंगे. क्या कहूँगी उनसे की मेरे पास रहने का
इंतज़ाम नही है पर फिर भी मैं हर हाल मे शहर मे रहना चाहती हू. मैं ऐसे
नही कर सकती.
अरे तुम्हे ये सब कहने की आवास्यकता ही कहाँ है. तुम वहाँ तब तक रह सकती
हो जब तक तुम चाहो. जीतने दिन भी तुम्हारे रहने का इंतज़ाम ना हो सके
उतने दिन तुम आराम से वहाँ पर रहो. मेरी दोस्त शहर मे ज़्यादा रहती ही
नही है. तो तुम्हे ज़्यादा तकलीफ़ भी नही होगी.
पर ऐसी कौन दोस्त है तुम्हारी.
अरे है यार. पक्की दोस्त है तुम्हे रहना हो तो बता देना मैं उससे बात कर लूँगा.
अच्छा ठीक है तुम उससे बात कर लो अगर वो हां करती है तो मैं घरवालो से
बात कर लूँगी ओर वहाँ पर सिफ्ट हो जाऊंगी. मैं मन ही मन खुश हो रही थी की
चलो इसकी दोस्त ज़्यादातर शाहर मे नही रहती है वरना मुझे तो लग रहा था की
अगर इसकी दोस्त के साथ रही तो मुझे इसके नज़दीक आने का मौका ही नही
मिलेगा. पर जब दोस्त आती जाती रहती है तब तो मौका ही मौका है.
कुच्छ देर बाद मैं मान के पास गई ओर बोली माँ मैने तुम्हे कहा था ना की
पापा से बात कर लेना. बात की क्या तुमने.
अरे बेटी तुम्हारे पापा तो दिन भर कम करके अभी घर आए है. तुम बेफ़िक्र
रहो मैं उनसे रात मे बात कर लूँगी. तुम शहर मे रह लेना पर अपना ख़याल
रखना ओर लड़कों से दूर ही रहना ये लड़के लड़कियों को खराब कर देते है.
तुम अभी बच्ची हो तुम्हे दुनियादारी का कुछ पता नही है. हमेशा अपनी सहेली
के साथ ही रहना. ओर हां तुम्हारे पापा पहले तुम्हारे साथ तुम्हारी सहेली
से मिल कर आएँगे फिर उसके बाद ही भेजेंगे तसल्ली करके. वैसे अच्छी लड़की
तो है ना वो तुम्हारी सहेली.
मैं मन ही मान सोच रही थी. मम्मी हमेशा रात मे ही पापा से बात क्यू करती
है जब कोई इंपॉर्टेंट बात करनी होती है. ओर मम्मी हमेशा ऐसा क्यू समझती
है की मुझे दुनिया दारी का पता नही है मुझे सब पता है ओर इस दुनियादारी
को सीखनी ही तो मैं शहर जा रही हू. अगर हो सका तो जे से मैं दुनियादारी
पूरी तरह से सीख कर ही आउन्गी. सहेली का इंतज़ाम तो जे कर ही देगा फिर
चाहे पापा देख कर आए या मम्मी देख कर आए क्या फ़र्क़ पड़ता है आराम से
तसल्ली करें उसके बाद मुझे खुल्ला छोड़ें. पिछली बार रेखा मेडम के साथ
कुछ ज़्यादा मज़ा नही आया क्यूंकी वो तो हमेशा चूत ही चटवाती रहती थी पर
मुझे तो एक कड़कड़ाता लॅंड चाहिए. ओर इस बार मुझे लगता है की मेरी हसरत
पूरी होगी. क्यूंकी अब मैं शहर मे रहने जा रही हू. बस मे तो लंड को अपनी
गांद पर कपड़ों के उपर से ही महसूस करके रह जाना पड़ता था. अब आराम से
चूत के अंदर तक महसूस करूँगी.

चल खाना खा ले.
“आअँ क्या कहा.”राशि एक दम से जैसे नींद से जागी. वो जागते जागते पता नही
कहाँ खो गई थी ओर मान के खाना खाने की बात पर वापस धरातल पर आ गई थी. पर
ये सब सोचते सोचते उसने महसूस किया की उसे जांघों के बीच फिर एक बार
कुच्छ गीला महसूस हो रहा है. “हाए कब तक इस गीली चूत को तरसना पड़ेगा”
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क्रमशः....................




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