FUN-MAZA-MASTI
अब मैं किससे प्यार करूँ-1
यह मेरी अपनी कहानी है जो सच्ची है और यह घटना कुछ महीने पहले ही घटी है...
वैसे यह कहानी मैं लिख तो रहा हूँ पर आपको बता दूँ कि मैं नारी जाति का बड़ा सम्मान करता हूँ।
तो चलिए शुरू करते हैं !
मेरी उम्र 26 साल की है, दिल्ली का रहने वाला हूँ, लम्बा कद, सांवला चेहरा, दिखने में ठीक हूँ।
बात तब की है जब मैं मुंबई के एक कॉल सेण्टर में काम करता था, वहाँ काम करते करते मुझे 3 महीने बीत गए पर मेरा कोई दोस्त नहीं बना, वो इसलिए क्योंकि मैं ज्यादातर चुप रहना पसंद करता हूँ और फालतू की बात नहीं करता, बस अपने काम से काम।
मुझे कंपनी के तरफ से 3 महीने में ही 2 बार प्रोमोशन मिला। जब मैंने ज्वाइन किया था तो डेढ़ महीने में मेरे अच्छे काम की वजह से मुझे एजेंट से सीनियर एजेंट बना दिया गया और अगले डेढ़ महीने में मेरे धमाकेदार सेल की वजह से मुझे टीम लीडर बना दिया क्योंकि जो हमारी टीम लीडर थी वो काम करती नहीं थी, या करना नहीं चाहती थी, यह मुझे नहीं पता पर उसकी वजह से उस प्रोसेस को बहुत घाटा हुआ था।
खैर मैं खूब मन लगाकर काम करता था।
अचानक एक दिन हमारे ऑफिस बोर्ड पर एक नोटिस चिपका हुआ मिला- मिस नैना तिवारी हमारी मैनेजर की पोस्ट पर आ रही हैं।
एक हफ्ते के बाद नैना मैडम ने ज्वाइन किया हमारी कंपनी में। वो मेरे सामने से गुजरी पर मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि उस वक़्त मैं काम कर रहा था और काम के समय मुझे कुछ याद नहीं रहता सिवाय काम के !
अपने ऑफिस में मैं अपने एक और चीज के लिए मशहूर था वो यह कि जिस वक़्त मैं काम करता था कोई आकर मुझे डिस्टर्ब नहीं करता था, मेरे बॉस की भी हिम्मत नहीं होती थी कि आकर डिस्टर्ब कर जाये मुझे।
खैर मैंने सोचा कि कोई हूर थोड़े है कि उसे देखूँ "माँ चुदाये जो भी हो !" कोई अलग चीज थोड़े ही लगी है उसके अन्दर।
दिन बीतते गए इसी तरह और 5 महीनों में भी मेरा कोई दोस्त नहीं बना।
एक दिन क्या हुआ कि हमारे ऑफिस के सारे सीनियर स्टाफ को किसी इम्पोर्टेंट मीटिंग के लिए बुलाया गया। उसमें मैं भी था। मीटिंग रूम में हमारे जो कंपनी के सीईओ थे, उन्होंने कहा- हमें कंपनी के कुछ स्टाफ को निकलना पड़ेगा और कास्ट कटिंग करके कंपनी को फ़ायदा देना पड़ेगा।
यह बात मुझे बड़ी बुरी लगी, मैंने कहा- सर, आपको पता है हमारे प्रोसेस में जितने भी लड़के-लड़कियाँ हैं वो पिछले 1-2 साल से काम कर रहे हैं, वो भी बाकी कॉल सेण्टर के लड़के लड़कियों की तरह जॉब छोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं, बल्कि अपना समय, अपनी मेहनत दी कंपनी को, आप कैसे निकल सकते हैं उनको?
सर- संजय, मैं आपके विचारों की क़द्र करता हूँ पर अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान होगा और कम्पनी बंद हो जाएगी फिर हम सबकी नौकरी चली जाएगी।
मैं- तो इसका मतलब यह है कि आप लड़ना नहीं चाहते इस मुसीबत से? कोई और रास्ता नहीं है?
सर- है ! अगर कंपनी को कोई दूसरा प्रोजेक्ट मिल जाये तो यह स्टाफ हम उसमें ट्रान्सफर कर सकते हैं और हमारे नए प्रोजेक्ट के लिए हमें एक्स्ट्रा एम्प्लोयी नहीं रखने पड़ेंगें, इस तरह कास्ट कटिंग भी हो जाएगी और हमारा इस साल कोई प्रोफिट नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा।
मैं- तो प्रॉब्लम क्या है? नया प्रोजेक्ट ले आइये हम जी जान लगा कर काम करेंगे।
सर- बेटा, प्रोजेक्ट ही तो नहीं मिल रहा है ना, कहाँ से ले आऊँ?
मैं- हम्म्म, तो सर कब तक निकाल रहे हैं आप?
सर- उसी लिए तो मीटिंग बुलाई है, देखो क्या होता है...
तक़रीबन 2 घंटे मीटिंग चलती रही और अन्त में फैसला लिया गया कि अगले एक महीने कंपनी देखेगी अगर उसे कोई प्रोजेक्ट मिल जाता है इस बीच में तो कोई भी कही नहीं जायेगा और अगर नहीं मिलता है तो...
मैं बड़ा मायूस होकर बाहर आया।
तभी मुझे मेरे दोस्त विनोद की याद आई जो एक कंपनी में था। मैंने उसे फ़ोन किया और सारी बात बताई।
मैंने कहा- भाई तेरे पास कोई प्रोजेक्ट है क्या?
उधर से विनोद की आवाज आई- कल शाम को आ जा ! बैठ कर बात करते हैं।
मैंने कहा- भाई, मैं तो नहीं आ पाऊँगा, एक काम कर, तू आ जा ऑफिस !
उसने कुछ कहा नहीं, फ़ोन रख दिया। अगले दिन वो 6 बजे शाम को आया ऑफिस मेरे से मिलने, मैंने दिल खोल कर उसका स्वागत किया। सीधे आते ही मुझसे पूछा- सीईओ का केबिन किधर है?
मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- चल लेकर पहले !
हम दोनों चल पड़े, फिर वो अन्दर चला गया और मैं बाहर उसका इंतजार कर रहा था। वो 2 घंटे बाद बाहर आया और कहा- मैं चलता हूँ, रात को तेरे से बात करूँगा फ़ोन पर..
और विनोद चला गया।
एक घंटे के बाद मेरे सुपर बॉस यानि की कंपनी के सीईओ का फ़ोन आया, बोले- बेटा मेरे केबिन में आना।
मैं हैरान ! मेरी समझ में ना आए कि मैं क्या करूँ।
मैं हिम्मत करके अन्दर गया तो बॉस ने कहा- कांग्रचुलेशन मिस्टर संजय ! आपको नए प्रोजेक्ट का मैनेजर बनाया जा रहा है।
अब मेरी समझ में ना आये कि खुश होऊं या पागल हो जाऊँ यह न्यूज़ सुन कर।
तभी सर ने कहा- आपके दोस्त विनोद की यह फरमाइश थी कि उनकी कंपनी का प्रोजेक्ट आपके अंडर में चलेगा क्योंकि आप उनके दोस्त है इसलिए वो सबसे ज्यादा आप पर भरोसा करते हैं।
मैं ख़ुशी से पागल और बॉस ने यह न्यूज़ बाहर भी जाकर डिक्लेयर कर दिया और साथ ही साथ एक छोटी सी पार्टी रात को रख दी। पार्टी के समय सब लोगों ने मुझे आ आकर बधाई दी और एन्जॉय करने लगे।
बॉस ने मुझे बुलाया और एक शराब का ग्लास पकड़ा दिया, कहा- आज तुम्हारे नाम !
मैंने कहा- सर, मैं पीता नहीं हूँ।
तो सर ने कहा- अरे पागल ! ख़ुशी का दिन है ! आज पी लो कल से मत पीना।
खैर मैंने नाक बंद करके शराब पी ली तो मुझे हल्का हल्का सुरूर हो गया। फिर मैंने थोड़ी थोड़ी करके बहुत ज्यादा पी ली। अब नशे में मैं सोचने लगा कि घर कैसे जाऊँ और लड़खड़ाता हुआ नीचे उतरने लगा कि तभी पीछे से नैना मैडम आ रही थी, उन्होंने पूछा- क्या बात है संजय? क्या हुआ?
मैंने कहा- मैडम, सर के कहने पर मैंने पी ली, अब सोच रहा हूँ घर कैसे जाऊँ?
"नशा बहुत तेज हो रहा है?" मैडम ने कहा- तो मैं ड्रॉप कर देती हूँ ! चलो !
उन्होंने मुझे सहारा देकर अपनी गाड़ी में बैठाया और मुझे घर तक छोड़ा लेकिन मुझे होश था नहीं उस वक़्त बस इतना ही याद है कि मैंने घर का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर गया, फिर कुछ याद नहीं।
सुबह उठा तो सर दर्द से फट रहा था, किसी तरह दवा लेकर ऑफिस पहुँचा तो एंट्री करते वक़्त ही नैना मैडम मिल गई....
कहा- क्या बात है? सर दर्द कर रहा है क्या?
मैंने कहा- हाँ ! धन्यवाद कल रात घर तक छोड़ने के लिए !
और वो हंस कर आगे निकाल गई, मैं अपनी सीट पर गया तो देखा कोई और बैठा था वहाँ।मैंने कहा- भाई साहब, यह मेरी सीट है, आप कहीं और जाकर बैठिये और मुझे काम करने दीजिये।
तो उसने कहा- सर मैं आपका नया टीम लीडर हूँ और आपकी सीट यहाँ नहीं आपको कंपनी की तरफ से केबिन मिला है, आज से आप वहीं बैठोगे।
उसने इशारे से केबिन का रास्ता बताया।
मैं अन्दर गया तो देखा केबिन काफी सजाया हुआ था। मैं वहाँ बैठ गया और सोचने लगा- केबिन तो दे दिया लेकिन काम बॉस ने बताया नहीं कि आज से करना क्या है।
तभी नैना मैडम हाथ में चाय लेते हुए आई और कहा- संजय, इसे पी लो तबियत हल्की हो जाएगी।
मैंने कहा- अरे मैडम ! आपने तकलीफ क्यों की?तो नैना ने कहा- अरे यार ! यह मैडम मैडम क्या लगा रखा है? मुझे नैना बुलाया करो।
मैंने कहा- ठीक है...
फिर नैना ने मुझे डिस्प्रिन की एक गोली दी, कहा- ये खा लो चाय के साथ, तबियत ठीक हो जाएगी और मुबारकबाद इस प्रोमोशन के लिए।
मैंने भी धन्यवाद किया। फिर हम अपना अपना काम करने लगे। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।
अगला दिन रविवार था तो मैं कुछ कपड़े खरीदने मॉल चला गया, काफी सारी शौपिंग के बाद जैसे ही काउंटर पर गया देखा, नैना वहीं खड़ी थी, मैंने कहा- अरे नैना तुम यहाँ?
कहा- हाँ मैं तो अक्सर यहाँ आती हूँ ! आप कहाँ से जनाब?
तो मैंने कहा- नहीं नहीं ! मैं घर पर बोर हो रहा था, सोचा शौपिंग कर लूँ और कपड़े भी ख़त्म हो रहे थे मेरे !
तो उसने कहा- ओ के !
फिर हम उधर ही टहलते रहे, काफी बातें की हमने। मुझे वो अच्छी लगने लगी, उसकी सोच, उसकी बातें, उसका मुस्कुराना सब कुछ। मैंने कहा- नैना, बहुत दिनों बाद मैंने किसी से इतनी देर बात की है, कुछ शेयर किया है, थैंक यू वैरी मच !
तो उसने कहा- लाइन मार रहे हो?
मैंने कहा- अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो यही समझो !
हम दोनों हंसने लगे। बोली- अच्छा चलो मुझे कुछ काम है, मैं अब चलती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है।
फिर हम चल पड़े अपने अपने घर।
शाम को नैना का फ़ोन आया, उसने कहा- मूवी देखने चलोगे?
मैंने कहा- चलो ! फिर हम लोग अपने निर्धारित समय पर सिनेमा हॉल पर मिले और टिकट खरीदने चल पड़े। पर मायूसी हाथ लगी सारे टिकट बिक चुके थे।
मैंने कहा- क्या करें?
तो नैना ने कहा- खाना खाते हैं और घर चलते हैं।
तभी हमारे पीछे एक लड़का था, उसने कहा- भाई साहब टिकट चाहिए क्या?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने अपनी जेब से दो टिकट निकाल कर कहा- ये ले लो, बॉक्स की टिकट हैं ये ! मेरी गर्लफ्रेंड आई नहीं ! कम से कम आप लोग एन्जॉय करो !
उसने ये शब्द एन्जॉय ऐसे कहा कि मुझे अजीब लगा। खैर मैंने टिकेट ली और नैना के साथ हॉल में गया जहा बॉक्स की सीटें थी। हमने देखा कि वहाँ सही में हर जोड़े के लिए बॉक्स की तरह साईड लगा रखी थी जो सिर्फ सामने की तरफ खुली हुई थी।
मैं और नैना अपनी सीट पर जाकर बैठे तो मूवी शुरु हो रही थी। वो कोई हॉलीवुड मूवी थी जो हिंदी में डब की हुई थी।
शुरू होते ही हॉट सीन शुरू हो गया तो मैंने कनखियों से देख कि नैना ने अपना सर नीचे झुका रखा था और और बीच-बीच में चोर नज़रों से सीन देख रही थी। पूरे हाल में सेक्स सीन की मादक आवाज गूंज रही थी और पास की सीट के जोड़े आपस में किस्सिंग वगैरा कर रहे थे।
तो नैना ने कहा- सॉरी संजय ! यह तो एक्शन फिल्म थी इसलिए मैंने सोचा...!!
मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा- मेरी तरफ देखो...
तो उसने हल्के से मेरी तरफ देखा और फिर..
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अब मैं किससे प्यार करूँ-1
यह मेरी अपनी कहानी है जो सच्ची है और यह घटना कुछ महीने पहले ही घटी है...
वैसे यह कहानी मैं लिख तो रहा हूँ पर आपको बता दूँ कि मैं नारी जाति का बड़ा सम्मान करता हूँ।
तो चलिए शुरू करते हैं !
मेरी उम्र 26 साल की है, दिल्ली का रहने वाला हूँ, लम्बा कद, सांवला चेहरा, दिखने में ठीक हूँ।
बात तब की है जब मैं मुंबई के एक कॉल सेण्टर में काम करता था, वहाँ काम करते करते मुझे 3 महीने बीत गए पर मेरा कोई दोस्त नहीं बना, वो इसलिए क्योंकि मैं ज्यादातर चुप रहना पसंद करता हूँ और फालतू की बात नहीं करता, बस अपने काम से काम।
मुझे कंपनी के तरफ से 3 महीने में ही 2 बार प्रोमोशन मिला। जब मैंने ज्वाइन किया था तो डेढ़ महीने में मेरे अच्छे काम की वजह से मुझे एजेंट से सीनियर एजेंट बना दिया गया और अगले डेढ़ महीने में मेरे धमाकेदार सेल की वजह से मुझे टीम लीडर बना दिया क्योंकि जो हमारी टीम लीडर थी वो काम करती नहीं थी, या करना नहीं चाहती थी, यह मुझे नहीं पता पर उसकी वजह से उस प्रोसेस को बहुत घाटा हुआ था।
खैर मैं खूब मन लगाकर काम करता था।
अचानक एक दिन हमारे ऑफिस बोर्ड पर एक नोटिस चिपका हुआ मिला- मिस नैना तिवारी हमारी मैनेजर की पोस्ट पर आ रही हैं।
एक हफ्ते के बाद नैना मैडम ने ज्वाइन किया हमारी कंपनी में। वो मेरे सामने से गुजरी पर मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि उस वक़्त मैं काम कर रहा था और काम के समय मुझे कुछ याद नहीं रहता सिवाय काम के !
अपने ऑफिस में मैं अपने एक और चीज के लिए मशहूर था वो यह कि जिस वक़्त मैं काम करता था कोई आकर मुझे डिस्टर्ब नहीं करता था, मेरे बॉस की भी हिम्मत नहीं होती थी कि आकर डिस्टर्ब कर जाये मुझे।
खैर मैंने सोचा कि कोई हूर थोड़े है कि उसे देखूँ "माँ चुदाये जो भी हो !" कोई अलग चीज थोड़े ही लगी है उसके अन्दर।
दिन बीतते गए इसी तरह और 5 महीनों में भी मेरा कोई दोस्त नहीं बना।
एक दिन क्या हुआ कि हमारे ऑफिस के सारे सीनियर स्टाफ को किसी इम्पोर्टेंट मीटिंग के लिए बुलाया गया। उसमें मैं भी था। मीटिंग रूम में हमारे जो कंपनी के सीईओ थे, उन्होंने कहा- हमें कंपनी के कुछ स्टाफ को निकलना पड़ेगा और कास्ट कटिंग करके कंपनी को फ़ायदा देना पड़ेगा।
यह बात मुझे बड़ी बुरी लगी, मैंने कहा- सर, आपको पता है हमारे प्रोसेस में जितने भी लड़के-लड़कियाँ हैं वो पिछले 1-2 साल से काम कर रहे हैं, वो भी बाकी कॉल सेण्टर के लड़के लड़कियों की तरह जॉब छोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं, बल्कि अपना समय, अपनी मेहनत दी कंपनी को, आप कैसे निकल सकते हैं उनको?
सर- संजय, मैं आपके विचारों की क़द्र करता हूँ पर अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान होगा और कम्पनी बंद हो जाएगी फिर हम सबकी नौकरी चली जाएगी।
मैं- तो इसका मतलब यह है कि आप लड़ना नहीं चाहते इस मुसीबत से? कोई और रास्ता नहीं है?
सर- है ! अगर कंपनी को कोई दूसरा प्रोजेक्ट मिल जाये तो यह स्टाफ हम उसमें ट्रान्सफर कर सकते हैं और हमारे नए प्रोजेक्ट के लिए हमें एक्स्ट्रा एम्प्लोयी नहीं रखने पड़ेंगें, इस तरह कास्ट कटिंग भी हो जाएगी और हमारा इस साल कोई प्रोफिट नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा।
मैं- तो प्रॉब्लम क्या है? नया प्रोजेक्ट ले आइये हम जी जान लगा कर काम करेंगे।
सर- बेटा, प्रोजेक्ट ही तो नहीं मिल रहा है ना, कहाँ से ले आऊँ?
मैं- हम्म्म, तो सर कब तक निकाल रहे हैं आप?
सर- उसी लिए तो मीटिंग बुलाई है, देखो क्या होता है...
तक़रीबन 2 घंटे मीटिंग चलती रही और अन्त में फैसला लिया गया कि अगले एक महीने कंपनी देखेगी अगर उसे कोई प्रोजेक्ट मिल जाता है इस बीच में तो कोई भी कही नहीं जायेगा और अगर नहीं मिलता है तो...
मैं बड़ा मायूस होकर बाहर आया।
तभी मुझे मेरे दोस्त विनोद की याद आई जो एक कंपनी में था। मैंने उसे फ़ोन किया और सारी बात बताई।
मैंने कहा- भाई तेरे पास कोई प्रोजेक्ट है क्या?
उधर से विनोद की आवाज आई- कल शाम को आ जा ! बैठ कर बात करते हैं।
मैंने कहा- भाई, मैं तो नहीं आ पाऊँगा, एक काम कर, तू आ जा ऑफिस !
उसने कुछ कहा नहीं, फ़ोन रख दिया। अगले दिन वो 6 बजे शाम को आया ऑफिस मेरे से मिलने, मैंने दिल खोल कर उसका स्वागत किया। सीधे आते ही मुझसे पूछा- सीईओ का केबिन किधर है?
मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- चल लेकर पहले !
हम दोनों चल पड़े, फिर वो अन्दर चला गया और मैं बाहर उसका इंतजार कर रहा था। वो 2 घंटे बाद बाहर आया और कहा- मैं चलता हूँ, रात को तेरे से बात करूँगा फ़ोन पर..
और विनोद चला गया।
एक घंटे के बाद मेरे सुपर बॉस यानि की कंपनी के सीईओ का फ़ोन आया, बोले- बेटा मेरे केबिन में आना।
मैं हैरान ! मेरी समझ में ना आए कि मैं क्या करूँ।
मैं हिम्मत करके अन्दर गया तो बॉस ने कहा- कांग्रचुलेशन मिस्टर संजय ! आपको नए प्रोजेक्ट का मैनेजर बनाया जा रहा है।
अब मेरी समझ में ना आये कि खुश होऊं या पागल हो जाऊँ यह न्यूज़ सुन कर।
तभी सर ने कहा- आपके दोस्त विनोद की यह फरमाइश थी कि उनकी कंपनी का प्रोजेक्ट आपके अंडर में चलेगा क्योंकि आप उनके दोस्त है इसलिए वो सबसे ज्यादा आप पर भरोसा करते हैं।
मैं ख़ुशी से पागल और बॉस ने यह न्यूज़ बाहर भी जाकर डिक्लेयर कर दिया और साथ ही साथ एक छोटी सी पार्टी रात को रख दी। पार्टी के समय सब लोगों ने मुझे आ आकर बधाई दी और एन्जॉय करने लगे।
बॉस ने मुझे बुलाया और एक शराब का ग्लास पकड़ा दिया, कहा- आज तुम्हारे नाम !
मैंने कहा- सर, मैं पीता नहीं हूँ।
तो सर ने कहा- अरे पागल ! ख़ुशी का दिन है ! आज पी लो कल से मत पीना।
खैर मैंने नाक बंद करके शराब पी ली तो मुझे हल्का हल्का सुरूर हो गया। फिर मैंने थोड़ी थोड़ी करके बहुत ज्यादा पी ली। अब नशे में मैं सोचने लगा कि घर कैसे जाऊँ और लड़खड़ाता हुआ नीचे उतरने लगा कि तभी पीछे से नैना मैडम आ रही थी, उन्होंने पूछा- क्या बात है संजय? क्या हुआ?
मैंने कहा- मैडम, सर के कहने पर मैंने पी ली, अब सोच रहा हूँ घर कैसे जाऊँ?
"नशा बहुत तेज हो रहा है?" मैडम ने कहा- तो मैं ड्रॉप कर देती हूँ ! चलो !
उन्होंने मुझे सहारा देकर अपनी गाड़ी में बैठाया और मुझे घर तक छोड़ा लेकिन मुझे होश था नहीं उस वक़्त बस इतना ही याद है कि मैंने घर का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर गया, फिर कुछ याद नहीं।
सुबह उठा तो सर दर्द से फट रहा था, किसी तरह दवा लेकर ऑफिस पहुँचा तो एंट्री करते वक़्त ही नैना मैडम मिल गई....
कहा- क्या बात है? सर दर्द कर रहा है क्या?
मैंने कहा- हाँ ! धन्यवाद कल रात घर तक छोड़ने के लिए !
और वो हंस कर आगे निकाल गई, मैं अपनी सीट पर गया तो देखा कोई और बैठा था वहाँ।मैंने कहा- भाई साहब, यह मेरी सीट है, आप कहीं और जाकर बैठिये और मुझे काम करने दीजिये।
तो उसने कहा- सर मैं आपका नया टीम लीडर हूँ और आपकी सीट यहाँ नहीं आपको कंपनी की तरफ से केबिन मिला है, आज से आप वहीं बैठोगे।
उसने इशारे से केबिन का रास्ता बताया।
मैं अन्दर गया तो देखा केबिन काफी सजाया हुआ था। मैं वहाँ बैठ गया और सोचने लगा- केबिन तो दे दिया लेकिन काम बॉस ने बताया नहीं कि आज से करना क्या है।
तभी नैना मैडम हाथ में चाय लेते हुए आई और कहा- संजय, इसे पी लो तबियत हल्की हो जाएगी।
मैंने कहा- अरे मैडम ! आपने तकलीफ क्यों की?तो नैना ने कहा- अरे यार ! यह मैडम मैडम क्या लगा रखा है? मुझे नैना बुलाया करो।
मैंने कहा- ठीक है...
फिर नैना ने मुझे डिस्प्रिन की एक गोली दी, कहा- ये खा लो चाय के साथ, तबियत ठीक हो जाएगी और मुबारकबाद इस प्रोमोशन के लिए।
मैंने भी धन्यवाद किया। फिर हम अपना अपना काम करने लगे। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।
अगला दिन रविवार था तो मैं कुछ कपड़े खरीदने मॉल चला गया, काफी सारी शौपिंग के बाद जैसे ही काउंटर पर गया देखा, नैना वहीं खड़ी थी, मैंने कहा- अरे नैना तुम यहाँ?
कहा- हाँ मैं तो अक्सर यहाँ आती हूँ ! आप कहाँ से जनाब?
तो मैंने कहा- नहीं नहीं ! मैं घर पर बोर हो रहा था, सोचा शौपिंग कर लूँ और कपड़े भी ख़त्म हो रहे थे मेरे !
तो उसने कहा- ओ के !
फिर हम उधर ही टहलते रहे, काफी बातें की हमने। मुझे वो अच्छी लगने लगी, उसकी सोच, उसकी बातें, उसका मुस्कुराना सब कुछ। मैंने कहा- नैना, बहुत दिनों बाद मैंने किसी से इतनी देर बात की है, कुछ शेयर किया है, थैंक यू वैरी मच !
तो उसने कहा- लाइन मार रहे हो?
मैंने कहा- अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो यही समझो !
हम दोनों हंसने लगे। बोली- अच्छा चलो मुझे कुछ काम है, मैं अब चलती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है।
फिर हम चल पड़े अपने अपने घर।
शाम को नैना का फ़ोन आया, उसने कहा- मूवी देखने चलोगे?
मैंने कहा- चलो ! फिर हम लोग अपने निर्धारित समय पर सिनेमा हॉल पर मिले और टिकट खरीदने चल पड़े। पर मायूसी हाथ लगी सारे टिकट बिक चुके थे।
मैंने कहा- क्या करें?
तो नैना ने कहा- खाना खाते हैं और घर चलते हैं।
तभी हमारे पीछे एक लड़का था, उसने कहा- भाई साहब टिकट चाहिए क्या?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने अपनी जेब से दो टिकट निकाल कर कहा- ये ले लो, बॉक्स की टिकट हैं ये ! मेरी गर्लफ्रेंड आई नहीं ! कम से कम आप लोग एन्जॉय करो !
उसने ये शब्द एन्जॉय ऐसे कहा कि मुझे अजीब लगा। खैर मैंने टिकेट ली और नैना के साथ हॉल में गया जहा बॉक्स की सीटें थी। हमने देखा कि वहाँ सही में हर जोड़े के लिए बॉक्स की तरह साईड लगा रखी थी जो सिर्फ सामने की तरफ खुली हुई थी।
मैं और नैना अपनी सीट पर जाकर बैठे तो मूवी शुरु हो रही थी। वो कोई हॉलीवुड मूवी थी जो हिंदी में डब की हुई थी।
शुरू होते ही हॉट सीन शुरू हो गया तो मैंने कनखियों से देख कि नैना ने अपना सर नीचे झुका रखा था और और बीच-बीच में चोर नज़रों से सीन देख रही थी। पूरे हाल में सेक्स सीन की मादक आवाज गूंज रही थी और पास की सीट के जोड़े आपस में किस्सिंग वगैरा कर रहे थे।
तो नैना ने कहा- सॉरी संजय ! यह तो एक्शन फिल्म थी इसलिए मैंने सोचा...!!
मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा- मेरी तरफ देखो...
तो उसने हल्के से मेरी तरफ देखा और फिर..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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