Monday, April 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --1

FUN-MAZA-MASTI

  मुझे कुच्छ कुच्छ होता है --1 
 दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर आपके लिए हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी दो सहेलियो और उनके दो दोस्तो की है अब आप कहानी का मज़ा लीजिए कहानी कुछ इस तरह है ...... 
मेरी उम्र 18 साल है, मैं कुँवारी युवती हूँ. मैने 12थ का एग्ज़ॅम दिया है. मैं अपने बारे में यह बताना ज़रूरी समझती हूँ कि मेरी फॅमिली काफ़ी अड्वान्स है, और मुझे किसी प्रकार की बंदिश नहीं लगाई जाती. मैं अपनी मर्ज़ी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से फॅशनबल कपड़े पहन-ना मेरा शौक है. और क्योंकि मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए किसी ने भी मुझे इस तरह के कपड़े पहन-ने से नहीं रोका. स्कूल आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मिली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मना करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी. 

स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी बाइक थी. मगर वो कभी कभी ही बाइक लेकर आता था, जब भी वो बाइक लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास बाइक नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का आनंद उठाती. ड्राइवर को मैने पैसे देकर मना कर रखखा था कि घर पर मम्मी या पापा को ना बताए कि मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फ़ायदा होता था, एक ओर तो उसे पैसे भी मिल जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मिल जाया करता था. दो बजे स्कूल से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब 6-7 बजते बजते घर पहुँच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था. 

मेरे दोस्त का नाम तो मैं बटन ही भूल गयी. उसका नाम शिवम है. शिवम को मैं मन ही मन प्यार करती थी और शिवम भी मुझसे प्यार करता था, मगर ना तो मैने कभी उससे प्यार का इज़हार किया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोइ झिझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है कि प्यार की शुरुआत भी मैने ही की थी जब हम दोनो बाइक में बैठ कर घूमने जा रहे थे. मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैने रोमांटीकबात करते हुए उसके गाल पर किस कर लिया. ऐसा मैने भावुक हो कर नहीं बल्कि उसकी झिझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झिझकता था. एक बार उसकी झिझक दूर होने के बाद मुझे लगा कि उसकी झिजाहक दूर करके मैने ठीक नहीं किया. क्योंकि उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी कि कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर गुस्सा. मगर कुल मिलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैने अपना तन मन उसके नाम कर दिया था. 
एक दिन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रहा था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अंधेरा और पेड पौधे हैं. मेरे ख़याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी. उसने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दिया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ़्त से आज़ाद हो कर बोली, “छ्चोड़ो, मुझे साँस लेने में तक़लीफ़ हो रही है.” उसने मुझे छ्चोड़ तो दिया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दिया. मैं समझ रही थी कि आज इसका मन पूरी तरह रोमॅंटिक हो चुक्का है. मैने कहा, “मैं तो उस दिन को रो रही हूँ जब मैने तुम्हारे गाल पर किस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे किस्स करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफ़ी समय से करता था. मगर उस दिन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहों, तुम हो ही इतनी हसीन की तुम्हे प्यार किए बिना मेरा मन नहीं मान-ता है.” 

वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्मम क्यों दबा रहे हो इसे? छ्चोड़ो ना, मुझे कुच्छ कुच्छ होता है.” “क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलिंग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्किल था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसल्ते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?” 

“उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं इस फीलिंग को कैसे व्यक्त करूँ. बस समझ लो की कुच्छ हो रहा है.” 

वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फिर मेरे होंठो को किस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुंबन से कुछ कुछ गर्म होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मिला था उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपड़ो को उतारने का उपक्रम किया. होंठ को मुक्त कर दिया था. मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैने उसका हौंसला बढ़ाने के लिए किया था. ताकि उसे एहसास हो जाए कि उसे मेरा सपोर्ट मिल रहा है. 

मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा. मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.” 

उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.” 

मैने मन में सोचा कि अभी तुमने मेरी जवानी को देखा ही कहाँ है. जब देख लोगे तो पता नहीं क्या हाल होगा. मगर मैं केवल मुस्कुराई. वो मेरे मम्मे को नंगा कर चुक्का था. दोनो चूचियों में ऐसा तनाव आ गया था उस वक़्त तक कि उसके दोनो निपल अकड़ कर और ठोस हो गये थे. और सुई की त्तरह तन गये थे. वो एक पल देख कर ही इतना उत्तेजित हो गया था कि उसने निपल समेत पूरी चूची को हथेली में समेटा और कस कस कर दबाने लगा. अब मैं भी उत्तेजित होने लगी थी. उसकी हर्कतो से मेरे अरमान भी मचलने लगे थे. मैने उसके होंठो को किस करने के बाद प्यार से कहा, “छ्चोड़ दो ना मुझे. तुम दबा रहे हो तो मुझे गुदगुदी हो रही है. पता नहीं मेरी चूचियों में क्या हो रहा है की दोनो चूचियों में तनाव सा भरता जा रहा है. प्लीज़ छ्चोड़ दो, मत दबाओ.” वो मुस्कुरा कर बोला, “मेरे बदन के एक ख़ास हिस्से में भी तो तनाव भर गया है. कहो तो उसे निकाल कर दिखाऊँ?” 

मैं समझ नहीं पायी कि वो किसकी बात कर रहा है. मगर एका एक वो अपनी पॅंट उतारने लगा तो मैं समझ गयी और मेरे चेहरे पर शर्म की लाली फैल गयी. वो किस्में तनाव आने की बात कर रहा था उसे अब मैं पूरी तरह समझ गयी थी. मुझे शर्म का एहसास भी हो रहा था और एक प्रकार का रोमांच भी सारे बदन में अनुभव हो रहा था. मैं उसे मना करती रह गयी मगर उसने अपना काम करने से खुद को नहीं रोका, और अपनी पॅंट उतार कर ही माना. जैसे ही उसने अपना अंडरवेर भी उतारा तो मैने जल्दी से निगाह फेर ली. 

वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए बोला, “छ्छू कर देखो ना. कितना तनाव आ गया है इसमें. तुम्हारे निप्पल से ज़्यादा तन गया है ये.” 

मैने अपना हाथ छुड़ाने की आक्टिंग भर की. सच तो ये था कि मैं उसे छ्छूने को उतावली हो रही थी. अब तक देखा भी नहीं था. छ्छू कर देखने की बात तो और थी. उसने मेरे हाथ को बढ़ा कर एक मोटी सी चीज़ पर रख दिया. वो उसका लंड है ये मैं समझ चुकी थी. एक पल को तो मैं सन्न रह गयी, उसका लंड पकड़ने के बाद. मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गयी कि खुद मेरे कानो में भी गूँजती लग रही थी. मैं उसके लंड की जड़ की ओर हाथ बढ़ाने लगी तो एहसाह हुआ कि लंड लंबा भी काफ़ी था. मोटा भी इस कदर की उसे एक हाथ में ले पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. 

वो मुझे गरम होता देख कर मेरे और करीब आ गया और मेरे निपल को सहलाने लगा. एका एक उसने निपल को चूमा तो मेरे बदन में खून का दौरा तेज़ हो गया, और मैं उसके लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. मेरे ऐसा करते हुए उसने झट से मेरे निपल को मूह में ले लिया और चूसने लगा. अब तो मैं पूरी मस्ती में आ गयी और उसके लंड पर बार बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगी. बहुत अच्छा लग रहा था, मोटे और लंबे गरम लंड पर हाथ फिराने में. 

एका एक वो मेरे निपल को मूह से निकाल कर बोला, “कैसा लग रहा है मेरे लंड पर हाथ फेरने में?” 

मैं उसके सवाल को सुनकर शर्मा गये. हाथ हटाना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर ही दबा दिया और बोला, “तुम हाथ फेरती हो तो बहुत अच्छा लगता है, देखो ना, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से और कितना तन गया है.” 

मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मुस्कुरा कर बोली, “मुझे दिखाई कहाँ दे रहा है?” 

“देखोगी ! ये लो.” कहते हुए वो मेरे बदन से दूर हो गया और अपनी कमर को उठा कर मेरे चेहरे के समीप किया तो उसका मोटा तगड़ा लंड मेरी निगाहो के आगे आ गया. लंड का सुपाड़ा ठीक मेरी आँखो के सामने था और उसका आकर्षक रूप मेरे मन को विचलित कर रहा था. उसने थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया. एक बार 
तो मेरे मन में आया की मैं उसके लंड को किस कर लूँ मगर झिझक के कारण मैं उसे चूमने को पहल नहीं कर पा रही थी. वो मुस्कुरा कर बोला, “मैं तुम्हारी आँखो में देख रहा हूँ कि तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रही हो. अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है, उसे पूरा कर लो.” 

उसके यह कहने के बाद मैने उसके लंड को चूमने का मन बनाया मगर एकदम से होंठ आगे ना बढ़ा कर उसे चूमने की पहल ना कर पायी. तभी उसने लंड को थोड़ा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दिया, उसके लंड के दहाकते हुए सुपादे का स्पर्श होंठो का अनुभव करने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और लंड के सुपादे को जल्दी से चूम लिया. एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झिझक काफ़ी कम हो गयी और मैं बार बार उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ कर सुपादे को चूमने लगी, एकाएक उसने सिसकारी लेकर लंड को थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मैने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोल दिया, और सुपपड़ा मूह में लेकर चूसने लगी. 

इतना मोटा सुपाड़ा और लंड था कि मूह में लिए रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था, मगर फिर भी उसे चूसने की तमन्ना ने मुझे हार मान-ने नहीं दी और मैं कुछ देर तक उसे मज़े से चूस्ति रही. एका एक उसने कहा, “हयाययीयियी तुम इसे मूह में लेकर चूस रही हो तो मुझे कितना मज़ा आ रहा है, मैं तो जानता था कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, मगर थोड़ा झिझकति हो. अब तो तुम्हारी झिझक समाप्त हो गयी, क्यों है ना?” 
क्रमशः............... 











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