Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI कोमल की कहानी --2

FUN-MAZA-MASTI

  कोमल की कहानी --2

 . तुमने नींद में मुझे छुआ और इसे पकड़ कर इतना खींचा की इसका जूस निकल गया"
"झूठ मत बोलो, मैंने सिर्फ तुम्हारे मुंह में चोकलेट डाली थी और कुछ नहीं किया" कोमल बोली,
"सच बताओ, तुमने मुझे पप्पी नहीं ली ? " मैंने अँधेरे में तीर मारा जो निशाने पर लगा, कोमल को काटो तो खून नहीं, " बस एक बार गाल पर" आँखें झुकाकर और चेहरा घुमा कर कोमल ने जवाब दिया, मैंने कोमल के गोरे गालों पर छोटी सी पप्पी जड़ थी, वो शर्म से बोल नहीं पा रही थी, मैंने उसे खींचा और सीने से लगा कर होठों को चूस लिया, उसने भी अब जवाब दिया और मेरे सर को पकड़ जोरों से मेरे होठ अपने मुहं में लेकर चूसने लगी, हम तन्मय थे, शरीर मैं चीटियाँ चल रही थी, जलन सी होने लगी, मैंने स्तनों को दबाया और कुर्ती के बचे हुए बटन खोल कुर्ती नीचे सरका दिया, वो पूरे समय आँखें झुकाए खड़ी रही मुझे थामे हुए, और मेरे लिंग को सहलाते हुए जो कोमल के सहलाने से फिर से गर्म हो कठोर होने लगा था,..................

.......बाँहों में मस्त जवान कली, गुदाज़ उरोजो का खुला निमंत्रण, हसीं चेहरा, गुलाबी होंठ जो वासना से थरथरा रहे थे, एक खूबसूरत उफनता हुआ स्त्री शरीर जो किसी को भी दीवाना बना दे, हम एक दुसरे के बाँहों में थे, कोमल के गोरे और चिकने स्तन उठान पर अपनी पूरी शान से जैसे किसी जवान होती लड़की........बाँहों में मस्त जवान कली, गुदाज़ उरोजो का खुला निमंत्रण, हसीं चेहरा, गुलाबी होंठ जो वासना से
थरथरा रहे थे, एक खूबसूरत उफनता हुआ स्त्री शरीर जो किसी को भी दीवाना बना दे, हम एक दुसरे के बाँहों में थे, कोमल के गोरे और चिकने स्तन उठान पर अपनी पूरी शान से जैसे किसी जवान होती लड़की के होते हैं, गुलाबी एरोला, मुहं में लेकर चूसने लगा, वो हल्की सिस्कारी भर रही थी, मेरे लिंग को दोनों हाथों से पकड़ सहला रही थी और अपनी योनी की और खींच रही थी, पूरा माहौल वासना की आग से भरा था, मुझे कुछ
होश था लेकिन कोमल पूरी तरह मदहोश, मैंने उसे चूम कर दूर हटाया, वो बहुत गर्म थी और मेरे हाथों को बुरी तरह खरोंच लिया दूर होते हुए, अपनी नाराजगी जाहिर की इस तरह, पर माँ-पिताजी आने वाले थे, मन में डर था. उसने याचना भरी आँखों से देखा जैसे कह रही हो क्यों छोड़ दिया, गालों को चूमते हुए कोमल के कानों में कहा " माँ-पिताजी आने वाले हैं, दोपहर में मिलेंगे" .... उसकी बेचैनी साफ़ दिख रही थी, मैंने सोचा भी नहीं था की एक नादान सी दिखने वाली लड़की का काम वासना से ये हाल होगा, मैं अपने कमरे में आया और आँखें बंद कर अपने भगवान को धन्यवाद् दिया जिसने ऐसा सुनेहरा मौका मुझे दिया था एक जवान मस्त लडकी को सम्भोग के लिए मेरे पास भेजा, कोमल का मस्ती भरा शरीर जैसे आँखों और दिमाग से हटने का नाम नहीं ले रहा था.... भगवान ने बहुत धैर्य और आराम से उसे बनाया था, रह रह कर उसकी बाहें , उसकी नशीली आँखें, उसके उरोजों को दबाने का आनंद, अत्यंत मस्त नितम्ब और हल्की मुस्कराहट , अभी तो उसे पूरा देखा भी नहीं था, मैं कल्पना कर रहा था उसकी
जवानी को मादरजात नंगी देखने का...,

अपने लिंग से काफी देर खेलता रहा, किसी तरह उसे समझाया की शांत रह, तुझे अभी वो चीज़ दूंगा की तू भी याद रक्खेगा ज़िंदगी भर...... और वही हुआ पाठकों, आज भी उस दिन को याद करता हूँ तो शरीर में एक तनाव भर आता है, कुछ ही देर में माँ-पिताजी आ गए.. किसी तरह मन पर लगाम लगते हुए मैं नहा कर तैयार हुआ और जब नाश्ते की टेबल पर आया तो देख कर दंग रह गया, कोमल पहले से बैठी थी, खूबसूरत मूर्ती सी, उसने सलवार कुर्ती की बजाय स्कर्ट और कमीज़ पहनी हुई थी, इन कपड़ो में उसकी जवानी फूट फूट कर बाहर आ रही थी, पूर्ण विकसित स्तन गज़ब समां बना रहे थे, स्कर्ट से नीचे घुटने और पैरों की आकर्षक पिंडलियाँ दिख रहीं थी, उसने मेरी और चिढ़ाने वाली नज़रों से देखा.. एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ जैसे कह रही हो .... अब बताओ क्या करोगे.... अब तो तुम्हे मेरे पास आना ही होगा... कमसिन लड़कियां कामाग्नी में जिस प्रकार पागल हो जाती हैं वैसा किसी उम्र में नहीं होतीं यह मैंने बाद में जाना, वो अपने आप को पूर्ण समर्पित करती हैं और आपसे भी वही चाहती हैं ...उनके लिए वासना एक तूफ़ान की तरह होती है, जबरदस्त आवेश, कभी कभी इस आवेश से डर लगने लगे, ऐसा उन्माद की आप सोचें वासना में पागल इस लड़की को कैसे शांत करूँ ... ऐसा ही कोमल और मेरे साथ हुआ, अब बात कुछ दूसरी ही थी, कोमल मुझे लुभाने में लग गयी, यहाँ तक की अपने स्वाभाविक शर्म को भी छोड़ दिया, उसे दोपहर का इंतजार भी नहीं था, ये एक उन्माद था,

कमसिन लड़कियां जिस प्रकार पागल हो जाती हैं वैसा किसी उम्र में नहीं होतीं यह मैंने बाद में जाना, वो अपने आप को पूर्ण समर्पित करती हैं और आपसे भी वही चाहती हैं ..उनके लिए वासना एक तूफ़ान की तरह होती है, जबरदस्त आवेश, कभी कभी इस आवेश से डर लगने लगे, ऐसा उन्माद की आप सोचे की वासना में पागल इस लड़की को कैसे शांत करूँ ... ऐसा ही कोमल और मेरे साथ हुआ, अब बात कुछ दूसरी ही थी, कोमल मुझे लुभाने में लग गयी, यहाँ तक की अपने स्वाभाविक शर्म को भी छोड़ दिया, उसे दोपहर का इंतजार भी नहीं था, ये एक उन्माद था, उसने आँखों से इशारा कर अपने बगल में बैठने को कहा, जैसे ही मैं बैठा उसने मेरे जांघों पर हाथ रख दबाया और मुस्कुरा दी, मैं अचंभित था, माँ हमें नाश्ता करा रहीं थी, मुझे डरथा की कहीं उन्होंने देख लिया तो, लेकिन कोमल को डर नहीं था, वो बार बार मुझे छेड़ रही थी, छूने और छेड़ने से लिंग पैंट में फटक रहा था, उसने मेरे जिप पर हाथ रक्खा और लिंग को पकड़ जोरों से दबा दिया, मुझे आर्डर देती हुई सी बोली नाश्ता कर जल्दी ऊपर आओ, तुमसे काम है. उसकी आवाज में रोबाब था, मेरे पर हुक्म चलाने जैसा, जबसे आई थी मैंने देखा था उसमे एक शान थी शायद अपने हुस्न और जवानी की ताकत का अंदाज़ा था उसे, और अब जब वो मेरे पीछे दिवानी थी तब भी वही अंदाज़, कोमल उठके ऊपर चली गयी, हमारे घर में छत पर दो कमरे हैं, नीचे मेरा और मेहमानों का कमरा है आँगन बैठक और रसोई है और ऊपर माँ-पिताजी का कमरा और एक कमरा है जो ख़ाली रहता है और बहुत बड़ी छत है, घर के चारों और खुली जगह और सामने गेराज और फुलवारी है , ऊपर छत पर कोई नहीं होता, माँ-पिताजी ज्यादा समय नीचे ही होते हैं बैठक में या फिर सामने बगीचे में. मैं कुछ कुछ कोमल के ऊपर छत पर बुलाने का मतलब समझ रहा था फिर भी विश्वास नहीं हो रहा था, मैं ऊपर छत पर आया तो देखा कोई नहीं, पानी टंकी के पीछे कोमल खड़ी थी, मुझे नजदीक बुलाया,

" सुबह क्या किया तुमने ?" कोमल बोली
"मैंने क्या किया, तुमने ही मेरे मुह में चोकलेट डाल दी नींद में "
"तो तुम भी मुहं में लगाते , वहां क्यों लगाया" कहकर कोमल ने
अपना हाथ स्कर्ट पर योनी की जगह रख इशारा किया,
"जैसे तुम्हारी वैसे मेरी मर्जी, कहीं लगाऊं, पर मैंने कुछ किया नहीं ? " अनजान बनता हुआ मैं बोला,
"बनो म़त, तुमने क्या किया दिखाऊँ ? " कहते हुए कोमल ने अपनी स्कर्ट ऊपर कर दी
ये क्या, मैं देखता रह गया, उसने पैंटी नहीं पहनी रक्खी थी, गोरी, चमकती सुनहरे
बालों के बीच की योनी मेरे सामने एकदम नंगी थी, दो जांघो के बीच की छोटीसी गद्देदार जगह, बीच में एक गुलाबी फांक, मैं सुन्न था, समझ में नहीं आया क्या बोलूँ, मैं देख रहा था और कोमल निःसंकोच मुझे अपनी नंगी योनी दिखा रही थी, उसकी आँखें में एक चंचल मुस्कराहट थी,
" देखो कैसी लाल कर दी तुमने" उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी योनी पर लगाया, मेरी हालत ख़राब थी, मैं उसकी योनी सहला रहा था और वो आँखें बंद कर जमीन पर बैठ गयी, योनी छिद्र पर हाथ लगा तो पाया बुरी तरह से पानी निकल रहा था, योनी चिकनी होकर गीली हो गयी थी, उसने हाथ बढ़ा कर मेरे जिप को खोल मेरा मोटा लिंग बाहर निकाल लिया और हसरत भरी नजरों से देखने लगी,

कोमल होशियार हो गयी थी, पुरी चमड़ी पीछे कर सुपाड़े को बाहर निकाला और अपने गालों और होठों से उसे छु कर प्यार करने लगी, लिंग भी गीला हो पानी छोड रहा था, उसने उसे चूस लिया और फिर अचानक ही पूरा सुपाडा मुहं में डाल चूसने लगी, यह मैंने सोचा भी नहीं था की कोमल ऐसा करेगी और बिना मेरे बोले हुए अपनी मर्जी से इतने मज़े में मेरा सुपाडा चूस रही थी, मैंने उसका सर पकड़ लिया लिंग को अन्दर बहार करने लगा, वो सुबह लंड को देख व्याकुल हो चकी थी और अब उसको अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं था, .............मेरा रस कोमल के मुहं में ही निकलने ही वाला था की मैंने उसे दूर किया, लेकिन लिंग का रस जोरों से फूट ही पड़ा और कोमल के गले और आँखों पर पिचकारी सा मारता हुआ बहने लगा, कोमल ने आँखें खोली, उसका चेहरा लाल था, पसीने की बूँदें चहरे पर और मासूमियत और ख़ूबसूरती बढ़ा रही थी, वो फिर भी लिंग के आकर्षण में बंधी उसे छोड़ने को तैयार नहीं औए कुछ कुछ स्तब्ध आश्चर्यचकित नज़रों से उसे देखे जा रही थी, ऐसा लग रहा था की इसके पहले उसने किसी युवक का लिंग इस प्रकार पूर्ण नंगा और रस निकालते हुए देखा नहीं था और सोचा भी नहीं होगा की पुरुष लिंग क्या ऐसा होता है, मैंने उसे उठाया, और सीने से लगा कर चूम लिया, वो पूर्ण रूप से समर्पित, अपने रूमाल से उसके चेहरे पर फैले वीर्य को साफ़ किया और उसके होठों और स्तनों को चूमते हुए उसे दोपहर में मिलने को कहा, वो चुपचाप थी, शर्म से नजर नहीं मिला रही थी, लेकिन मुझे छोड़ नीचे जाने को भी तैयार नहीं, किसी तरह उसे मना कर भेजा और तीन बजे उसे उसी जगह बुलाया, उस समय सभी सो जाते थे, मेरा लिंग अब शांत हो गया था, मैं भी थोड़ी देर बाद नीचे आया, कोमल बाथरूम में थी, मैं बाज़ार की और चला गया, कोमल और मेरे माँ-पिताजी शाम को किसी मित्र परिवार से मिलने जाने वाले थे और रात का खाना भी वहीं था, मेरा मन सातवें आसमान पर था, समझ में नहीं आ रहा था की क्या ये सचमुच मेरे साथ हो रहा था, मन कहीं नहीं लगा और मैं वापस एक बजे तक घर आगया, गर्मी का मौसम था, सभी दोपहर को सो रहे थे, मेरा खाना डाइनिंग टेबल पर लगा था, भाई भी बाहर था, आज सुबह से 2 बार वीर्य स्खलन हो गया था, कामुक मन शांत था, लेकिन दिल कहीं कोमल के पास था, देखा माँ और कोमल किचेन में थे, मुझे देखते ही कोमल बाहर आयी और मुझसे मुस्कुराते हुए खाना खाने को कह कर माँ से बोली " मैं रजत को खाना खिला देती हूँ ", उस समय कोमल ने खाना खिलाया, माँ रसोई में बना रही थी, खिलाते पूरे समय कोमल मेरे साथ बदमाशी करती रही, कभी मेरे पैर को अपने पैर से दबा देती, कभी मेरे गाल खींच लेती, एक बार तो मेरा कान ही जोरों से काट लिया, माँ खाना खिला कर ऊपर अपने कमरे में चली गयी, कोमल से कहा वो भी अपने माँ के कमरे में जा कर सो जाये शाम को बाहर जायेंगे , कोमल ने बड़ी सहजता से कहा "ठीक है आंटी" और मुझे आँखें दबा कर कुछ इशारा किया, नीचे मैं और कोमल अकेले रह गए थे, उसके माँ बाबूजी महमानों के कमरे में सो रहे थे, हम कुछ देर इधर उधर की बातें करते रहे, फिर कोमल ने कहा मैं आती हूँ और अपनी माँ के कमरे में देख कर आयी, कहा माँ-बाबूजी दोनों गहरी नींद में हैं, चलो हमलोग तुम्हारे कमरे में चलते हैं, मैंने कहा कोई जग जायेगा लेकिन कोमल बोली "कुछ नहीं होगा तुम डरपोक हो, एक दो घंटे कोई जगने वाला नहीं, मैं तो लड़की होकर भी नहीं डरती " और मेरा हाथ खींच कर मेरे कमरे में ले गयी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया, मुझे बेड पर धकेल मेरे ऊपर गिर पड़ी और मुझे दबा कर जोरों से होठों को चूमने लगी. अपने युवा स्तनों के दबाव से मुझे काबू में कर लिया, आज याद करता हूँ तो लगता है कोमल पागल हो गयी थी, मतवाली हथिनी की तरह, बेफिक्र और उन्माद में मस्त, उसे सिर्फ अब चाहिए था की मैं उसकी जवानी से खेलूँ और उसे आनंद दूं, उसने सारी शर्म और लज्जा किनारे कर दी थी, सुबह के अनुभवों ने उसे वासना के लिए लाचार कर दिया, सच पूछें दोस्तों तो मुझे अपनी जीत और उसकी लाचारी पर एक विजय भावना और अपनी ताकत का एहसास हो रहा था, वो पुरी तरह समर्पित थी, लेकिन साथ ही एक प्यार भी आ रहा था और उसकी गज़ब जवानी को रौंद देने का विचार भी...... पलट कर उसे अपने नीचे किया और उसके स्तनों को आजाद किया, दोस्तों इस कमसिन उम्र में लड़की के स्तनों का आनंद जैसा रसभरा होता है है वैसा सिर्फ एक बार और थोड़े समय के लिए जब वो नवजात बच्चे की माँ होती है तब होता है...,

कोमल ने अभी १५वे साल में कदम रक्खा ही था लेकिन शरीर का विकास जैसे कोई १८-१९ की कन्या हो, दोस्तों आपने देखा होगा की कमसिन कुंवारी लड़कियों में एक हल्का मोटापा होता है जिसे अंग्रेजी में पप्पी फैट कहते हैं, शरीर का हल्का मोटापा उन्हें बेहद आकर्षक बनाता है,, खासकर इससे लड़कियां जबरदस्त सेक्सी लगने लगती हैं और उनके सभी उभार मस्त हो कर दीखते हैं उन विशेष स्थानों जैसे उनके नितम्बों पर, उनके स्तनों पर, उनकी कमर और कूल्हे, उनकी पिंडलिया और जांघें, यहाँ तक की गाल भी फूल जाते हैं, बस पूछिए मत जिन लडकियों को अपने इन घातक अंगों की ताकत का एहसास हो जाता है वो लडकों को पागल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. और मैं भी ऐसा ही पागल बना बैठा था, उससे भी ज्यादा पागल थी कोमल जिसकी काम वासना में आँखें भी नहीं खुल रहीं थी, उसपर एक खुमार था, मैंने उसके उरोजों को शर्ट से बहार किया और चूसता हुआ एक हाथ उसकी जांघों पर गया और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी थी, मतलब था वो सुबह से घर में नंगी ही घूम रही थी अन्दर से..... मुझे उसकी हिम्मत पर आश्चर्य हुआ,
मैंने पुछा " यह क्या... कुछ पहना नहीं, ऐसे ही घूम रही हो, कोई देख लेता तो ? ".
उसने मुझे चिपका लिया और कहा " तुम्हे दिखाना था, तुमने तो देखा नहीं.. और कौन देखता ? " उसकी बातें मुझे उसे नंगा करने के लिया मजबूर कर रहीं थी, " तो अब दिखा दे न ? " " देख लो न , मैंने रोका क्या ? " और कमर उठा दिया, मैंने उसकी कमर से स्कर्ट के बटन खोले और नीचे सरका कर उसे नंगा कर दिया, उसकी शर्ट उतर कर उसके जोबन को भी नंगा कर दिया, वो पूरी तरह से मदर्जात नंगी थी.....
कोमल की आँखें बंद हो रहीं थी उसपर एक खुमार था, उसने अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया था, १५ वर्ष की खूबसूरत कली मेरे से सम्भोग के लिए तैयार और जैसे याचना कर रही हो की मुझे सुख दो, मुझे लूट लो, मेरे शरीर को रौंद दो, मेरे अन्दर समा जाओ. कोमल ने मेरे कंधो और हाथों पर जोरों से खरोंच लिया, वो वासना की आग में जल रही थी और अब उसकी मुंह से सिसकारी निकल रही थी, मैं हाथों को उसकी योनी पर लेगया , वासना के रस से गीली, मैंने अपनी अंगुली अन्दर घुसाई, काफी टाईट, वो चीखने लगी " बाहर निकाल , क्या कर रहा है...दर्द हो रहा है ....", पर मैंने अंगुली अन्दर डाल ही दी और उसकी योनी के अन्दर मसलने लगा, वो चिल्ला रही थी पर उसे आनंद भी आ रहा था, थोड़ी ही देर में बोलने लगी "हा हां हां अच्छा लग रहा है.....बहुत मजा आ रहा है....मेरे अन्दर कुछ हो रहा है....., ..डाल डाल घुसा दे पुरी अंगुली मेरे अन्दर ..." और बडबडाने लगी, कोमल सर पटक रही थी और मुझे नोचे जा रही थी, मेरे होठों को काट लिया, पुरी तरह नंगी मेरे नीचे दबी हुई, मस्त जवान स्त्री शरीर, मेरा मन भी बेकाबू हो रहा था पर मुझे कुछ होश था लेकिन कोमल सुब कुछ देने को तैयार, मैं नहीं चाहता था की कुछ ऐसा हो जाये की बाद में पछताना पड़े,

कोमल बेतहाशा सिसकार रही थी और मुझे गालों और कंधे पर कई जगह काट लिया और नाखूनों से नोच लिया था, उसकी बेचैनी मुझे मजबूर कर रही थी की सब भूल कर उसके साथ सम्भोग कर बैठूं, मैं होश खो रहा था, पर कही दिमाग रोक रहा था, किसी तरह उससे अपने आप को छुड़ाया और कहा अभी नहीं, शाम को मिलेंगे, उसकी आँखों में गुस्सा था, उसको होठों पर चूम कर किसी तरह मनाया और अलग किया, फिर भी उसकी नाराजगी दिख रही थी , उसने मुझे धक्का देकर कहा "अब मत आना मेरे पास" और कपड़े ठीक कर बाहर निकल गयी, मैंने देखा किचेन में जाकर सुबक रही थी, मुझे दुःख तो था पर मन में विश्वास की वो मेरे किये का सही मकसद समझ जायेगी, मैं घर से निकल कर यूं ही बाज़ार में घूमता रहा, शाम को करीब ६ बजे घर पहुंचा तो देखा की सभी लोग किसी मित्र परिवार से मिलने जाने को तैयार हो रहे थे, पिताजी ने मुझसे भी कहा मैंने इन्कार कर दिया, कोमल भी जा रही थी, मेरा मन था वो रुक जाये, मैंने कोमल को किनारे बुला धीरे से कहा तुम मना कर दो, मत जाओ, उसने बेरुखी से कहा " क्यों रुकूं, तुम्हें मेरी जरूरत नहीं" और मुहं फेर चली गयी. मैं घर में अकेला था, ... कोमल की बहुत याद आ रही थी, मन बेचैन था, बार बार उसके जबरजस्त मादक शरीर का ख्याल आ रहा था, उसका सुबकना वो कितनी भोली थी, पर साथ ही लगा की इतनी कामुक कैसे हो सकती है, क्या इसके पहले भी कभी उसने किसी से से शारीरिक सम्बन्ध बनाये थे ? बार बार मन में ये प्रश्न आता था, लेकिन लगता था की इतनी भोली और मासूम दिखने वाली लड़की ऐसा नहीं कर सकती, यह तो बाद में जाना की इस उम्र की लड़कियों पर वासना का भूत जब सवार होता है तो अच्छों अच्छों को शर्मिन्दा कर सकती हैं, खास कर उनके शुरुआती यौन व्यवहार में तो बेहद गर्म होती हैं.

मैंने सोच लिया था रात को आएगी तो छोडूंगा नहीं और उसमे कितना जोश है देखता हूँ और उसका दिमाग भी ठीक करना होगा..... पूरे समय ये ही सब सोचते बीत गया...रोक नहीं पाया तो अपने लिंग से खेलता रहा...रात करीब ११ बजे सभी वापस आये, कोमल ने मुझे देखा भी नहीं...मुहं फुला रक्खा था.... और कुछ ही देर बाद सभी सोने चले गए ...कोमल बाथरूम में गयी तो मैंने बात करने की कोशिस की लेकिन बिना कुछ कहे वो कपड़े बदल अपने कमरे में चली गयी... उसने एक ढीला सा घुटनों तक का पजामा पहना हुआ था और एक छोटी सी ढ़ीली सी कमीज बिना बाँहों की जिसमे उसका यौवन फूट पड़ रहा था, चेहरे पर एक गरूर.... मैं सोच रहा था कैसे इसके घमंड को चूर करूं लेकिन मन ही मन उसपर मर मिट भी रहा था...उसकी कांख के हलके भूरे बाल दिख रहे थे और उरोजों के तनाव से कमीज़ के बटन खिंच रहे थे, स्तनों की घुन्डियाँ कमीज़ पर जोर दे रही थी, साफ़ मालूम हो रहा था की उसने अपनी चोली खोल दी थी और उसके उन्नत स्तन कमीज़ के भीतर आज़ाद थे शायद हमें चिढ़ाने के लिए... एक नज़र हमारी ओर देख कोमल अपने कमरे में भागी... हम देखते रहे, मैंने कमरे में आकर सोने की कोशिश की लेकिन नीद नहीं आई , छोटा भाई बगल में सो रहा था.... कब समय बीत गया मालूम नहीं.. कोमल के कमरे में जाकर कई बार झाँका... वो गहरी नीदं में सोई हुई लगी.... उसकी बगल में उसकी मम्मी थी हिम्मत नहीं हो रही थी उसे छेड़ूँ, कोई जग गया तो क्या होगा .... रात करीब २-२.३० बजे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कमरे के सामने से निकला ..... अँधेरा था. बहुत धुंधली रोशनी में मैं उठ कर बाहर की ओर लपका, देखा कोमल थी जो बाथरूम जा रही थी.... उसने दरवाज़ा बंद किया .... मैं दरवाज़े के पास आया तो बाथरूम से कोमल के पेशाब करने की आवाज़ आ रही थी

मेरे लिंग में कुछ हलचल सी हुई, मैंने हल्के से दस्तक देकर पूछा "कौन है " ...."मैं हूँ" कोमल ने धीमे से कहा, मैं दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा, वहां अँधेरा था, .... कोमल कुछ क्षण में पैजामा बाँधती हुई बाहर निकली, मैंने झट उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसके होठों पर होठ दबा दिया, "छोड़ो मुझे .." उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा, " नहीं बात करनी, तुम क्या समझते हो.... " और जाने की कोशिस करने लगी, मैंने जोरों से उसकी कमर पकड़ फिर से उसे चूम लिया, वो मुझे धक्का दे रही थी, मैंने कहा " ठीक है, जाना है तो जाओ...." और उसे छोड़ दिया ...मेरा शरीर आवेश में गर्म हो रहा था , गुदाज़ स्तनों के स्पर्श से लिंग टाईट होकर खड़ा होगया , मन तो हो रहा था की उसे वहीं जमीन पर ही पटक दूं और उसकी सारी गर्मी मिटा दूं पर मैं चाहता था की वो अपनी ओर से पहल करे और खुद मेरी बाँहों में आये.................कोमल देखती रह गयी, कुछ क्षण रुकी, उसे उम्मीद नहीं थी मैं ऐसा कहूँगा, वो अपने कमरे की तरफ लौटने लगी लेकिन तभी कुछ सोच वापस मेरे नजदीक आयी और मेरा हाथ पकड़ अपने कमर पर लपेट लिया और उरोजों को मेरे सीने से दबा मुझे पीछे धकेल मेरे होठों को चूसने लगी, " तुम क्या समझे, मैं छोड़ दूंगी... क्यूं पहले छेड़ा मुझे ..." और लिपट गयी मुझसे.... वो चूम रही थी, मैं अवाक था उसका बदला रूप देख कर... मेरा लिंग उसकी योनी पर दबाव दे रहा था, उसे व्याकुल करने के लिए ये काफी था... उसने हाथ नीचे कर मेरे हाफ पैंट के उपर से लिंग को पकड़ लिया....
"मुझे सताते हो... अब बताती हूँ ..."
अभी भी गर्व था आवाज़ में, मैंने छेड़ते हुए कहा " अभी तक तो बहुत गुस्सा थी अब क्या हुआ..."
"अब तुम्हारी जान मारने आयी हूँ..." और लिंग को पैंट के अन्दर हाथ डाल जोरों से मरोड़ दिया....
"कोई आ जायेगा... चलो बैठक में चलते हैं... मैंने कहा ,
"वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा

....."वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा दिया ...
"सब गहरी नींद में हैं , कोई आने वाला नहीं....डरो मत... " कोमल बिलकुल निश्चिंत थी उसे कोई डर नहीं की कोई भी आ जाए...
मेरी उत्तेजना से हालत ख़राब थी उससे भी बुरा हाल कोमल का था, मेरे लिंग को हाथ में लेकर खींच रही थी और अपने पैजामा को नाड़ा खोल नीचे गिरा दिया, उसकी योनी नंगी थी अब, मैंने एक हाथ नीचे लगाया तो योनी एकदम गीली और चिकनी ,
ऐसा जैसे योनी से कोई गर्म हवा सी निकल रही हो, मैंने योनी द्वार पर उंगली लगाई तो जैसे अन्दर फिसल गयी,
" आह अह.. क्या कर रहा है ....आ आ ..बहोत अच्छा लग रहा है... और डाल ना अन्दर .." कोमल जैसे गिडगिडा रही थी,
"डाल न.. समझता नहीं क्या.....रगड़ दे उसे..." . कोमल गर्मी में बोले जा रही थी, मैं देखता रह गया, सोच रहा था ये लड़की एक दिन में ही बल्कि कुछ घंटो में ही कितनी खुल गयी थी और पहले जैसी शर्मीली नहीं थी, ....एक ही दिन में जवानी और वासना के आवेश ने उसे इतना पागल कर दिया था और बेशर्म भी, मैं उसकी योनी को रगड़ रहा था, वो आनंद में डूबी थी, मेरे लिंग को बार बार अपने हथेलियों से घेर कर महसूस कर रही थी और सिसकारी ले रही थी,
"क्या है ये...आ आ मस्त चीज़ है.....मन करता है खा जाऊं..." कोमल कहे जा रही थी, मैं भी उसकी मस्ती देख पागल सा था, लग रहा था लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ेगी, अपने पर काबू करना मुश्किल था, उसकी हथेली को लिंग से हटाया पर वो कहाँ मानने वाली थे, नीचे बैठ गयी और पैंट को नीचे खींच मुझे नंगा किया और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पीछे आगे दबाया और लिंग को अपने मुहं में निगल लिया, मैंने उसके
बालों से खेल रहा था, वो नीचे बैठी जैसे कोई लोलीपोप चूस रही हो ऐसे मेरे लिंग को मुहं में ले कर चूस रही थी, ... मेरे दोनों चूतड़ों को हथेलियों से दबाते हुए बड़े मजे से लिंग को मुहं में ले रक्खा था....चूसते हुए कई बार लिंग को काट लिया
" ये क्या... दर्द होता है... काटो मत ... " मैंने कहा तो हंसने लगी,
"पूरा काट लूंगी और तुम बिना इसके रह जाओगे ..."
मैं स्खलित नहीं होना चाहता था, अगर नहीं रोकता तो सुबह की तरह कोमल के मुहं में ही हो जाता,
कोमल को उठाया और चूमते हुए पुछा " इतना पसंद है....तो रख लो... "
"कैसे.." कोमल बोली..
" चलो ड्राइंग (बैठक) में..." मैंने उसके कान में कहा. हमने कपडे ठीक किये और बिना शोर किये बैठक में आ गए,
ड्राइंग में एकदम अँधेरा होता था लेकिन बाहर तरफ दरवाज़े पर रात को एक बल्ब जलता था और उसकी बहुत हल्की धीमी रोशनी ड्राइंग में आती थी, जिससे की अगर कोई ड्राइंग में हो तो बस एक छाया सी मालूम होती थी, मैंने कोमल को सोफे पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर उसको आगोश में लेते हुए चूमने लगा, वो भी मेरे मुहं में जीभ डाल कर मेरे चूमने का पूरा जवाब दे रही थी, रात का समय हम दोनों अकेले ड्राइंग में
अधनंगी अवस्था में, अन्दर से डर भी की कोई अगर अचानक आ गया तो क्या होगा, ...यूं तो कोमल को भी डर लग रहा था लेकिन हम दोनों ही
खतरा लेने को तैयार थे, हमें कुछ नहीं सूझ रहा था सिवाय एक दुसरे के साथ मजा लेने के,.............

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