Friday, April 4, 2014

FUN-MAZA-MASTI बुझे ना हवस की आग-2

FUN-MAZA-MASTI

 बुझे ना हवस की आग-2

 

तभी श्रीनगर में ही मैं पति के दफ्तर में काम करने वाले क्लर्क की तरफ खिंची चली गई और मौका पाकर उसका मोटा लंबा लौड़ा चूत में डलवाया। यह जब भी गाड़ी के साथ जाते, मैं दोनों बच्चों को सुला देती और उस क्लर्क के साथ रासलीला रचाने लगी।

उसका तबादला हो गया तो मैंने अपनी प्यास बुझाने के लिए घर में काम करने आने वाले नौकर बिट्टू को पटाना चाहा वो मेरे घर में दूध देने आता और सुबह, दोपहर, रात का खाना बनाने के लिए आता।

एक रात जब वो खाना बनाने आया, वैसे तो वो जान चुका था कि मैं क्या चाहती हूँ लेकिन वो डरता था कि उसके साहब की बीवी हूँ, कहीं इधर उधर से उनको भनक पर गई तो उसका तबादला करवा देंगे क्यूंकि उसका परिवार वहीं था, वो वहीं का रहने वाला था, पीछे से कहीं उसकी बीवी भी किसी और का लौड़ा लेने लग गई तो ! बस वो डरता था।

एक दिन मैंने रात को बच्चों को जल्दी सुला दिया, सेक्सी सी पारदर्शी नाईटी पहन ली, वो लगभग काम ख़त्म कर चुका था बस मेरे लिए टेबल लगाने के बाद रसोई को संभाल रहा था, वो अपनी धुन में खड़ा थोड़े बर्तन धो रहा था, मैंने पीछे से जाकर उसको जकड़ लिया।

वो डर गया, हैरान था !

मैंने उसको और कसते हुए आगे पजामे पर से ही उसके लुल्ले को पकड़ लिया था, वो कुछ बोल न सका, उसकी मालकिन थी मैं !

मैंने जोर जोर से उसके लौड़े को दबाया, उसको अपनी तरफ घुमाया और घुटनों के बल ही बैठ कर उसका नाड़ा खोला, पजामा गिर गया मैंने जल्दी से उसके कच्छे को खींचा।

हाय मेरी अम्मा ! इतना बड़ा लौड़ा था उसका सोया हुआ लौड़ा भी फौलाद था, काले रंग के उसके मतवाले को देख मेरी चूत फुदकने लगी !

"मेमसाब जाने दो ना ! यह सब क्यूँ? मेरी नौकरी खतरे में डलवाओगी?"

"चुप कर कमीने ! बक मत !"

मैंने उसके सुपारे को मुँह में भर लिया और चूसने लगी। देखते ही उसका लौड़ा आकार लेने लगा।

"कितना बड़ा है तेरा औज़ार ! तेरी बीवी की तो पाँचों घी में रहती होंगी?"

वो मुस्कुराने लगा।

"चल हरामी मेरे कमरे में चल ! आज की रात यहीं रुकना होगा तुझे ! सुबह चार बजे निकल जाना !"

मैंने उसके सामने अपनी नाईटी उतार दी, काली ब्रा पैंटी में मुझे देख उसका और खड़ा होने लगा। मैंने रसोई की बत्ती बुझाई और सभी दरवाज़े बंद कर बच्चों को देखने गई।

वे सो रहे थे, मैंने उसके लौड़े को खूब चूमा-चूसा, खूब चाटा।

खूबसूरत मालकिन को नंगी देख उसका मर्द पूरा जाग गया, उसने अब कमान अपने हाथों में ले ली, मेरे बालों को जोर से नोंचते हुए बोला- कुतिया ! साली छिनाल, बहुत आग है तेरी चूत में? आज भोसड़ा बना दूँगा !"

वो उठा, मेरे पति की अलमारी से रम निकाली और मोटा पैग खींचा, एक और मोटा पैग खींचा और मुझे रंडी बना दिया। मेरे मम्मे मसल मसल लाल कर दिए, आखिर मैंने उसको कह दिया- अब कुछ करेगा भी या शोर ही मचाता रहेगा?

"साली ले मेरा लौड़ा !" कह उसने मेरी टांगें उठवा दी और हल्ला बोलने लगा। उसका मोटा लंबा काला लौड़ा मेरी चूत में धीरे धीरे घुसने लगा।

उसने एक ऐसा झटका लगाया जिससे मेरी हिचकी निकल गई- साले, प्यार से मार मेरी चूत को !

"कुतिया, बक मत !" उसने जोर जोर से मुझे रौंदना शुरु कर दिया।

मुझे अब उसका लौड़ा पसंद आने लगा था, वो जोर जोर से पेलने लगा।

"हाय और मार मेरी ! हाँ कुत्ते, चोद दे कुतिया को !"

"तेरी बहन की चूत साली ! यह ले ! ले ले !"

करीब आधा घंटा मुझे चोद चोद कर उसने मेरा कचूमर निकाल दिया, कभी घोड़ी बनवाता कभी खड़ी करके मारता, जब वो छूटा उसका पूरा लौड़ा मेरे अंदर था मेरे ऊपर लुढ़क गया, धीरे धीरे से उसका लौड़ा निकलता गया, वो गया नहीं, वहीं था, उसने उठकर एक मोटा पैग लगाया, मैंने उसके लौड़े से दुबारा खेलना चालू कर दिया। जल्दी ही वो तैयार होने लगा, बीस मिनट में उसका पूरा पूरा लौड़ा खड़ा हो गया था, मैं चूसने लगी।

वो अबकी बार मेरी चूत चाटना चाहता था, उसने यह काम शुरु कर दिया।

"कमीने आज मेरी गांड का छेद भी चोद !"

"बहुत दर्द होगा मेमसाब !"

"कुत्ते, कहा ना ! गाण्ड मार !"

मैंने काफी थूक गांड पर लगा उसमे उंगली घुसा दी, नशे ने मुझे पक्की रंडी बना दिया था। थूक थूक कर उसका लौड़ा गीला कर दिया।

उसने कहा- चल घोड़ी बन !

जैसे मैं घोड़ी बनी, उसने घोड़े जैसा मोटा लौड़ा उसमे धकेलना शुरु किया, मैंने दर्द को सह लिया लेकिन दर्द तेज़ था, मैंने उठकर एक मोटा पैग खींचा, उसने भी खींचा, थोड़ी देर चूसने के बाद जब नशा हुआ तो मैं फिर घोड़ी बन गई और उसने झटके से लौड़ा घुसा दिया। मेरी गांड को फाड़ता हुआ उसका लौड़ा घुस गया।

"जोर जोर से चोद !"

उसने वैसे ही किया, करीब दस मिनट गांड मारने के बाद उसने मेरी चूत में घुसा दिया। उस रात उसने मुझे जम कर पेला, बोला- मेमसाब, आपने बहुत मजा दिया है।

"और तेरी बीवी तेरा इंतज़ार तो नहीं कर रही होगी?"

छोड़ो ना उसको ! कहाँ आप जैसी बला की हसीन औरत ! कहाँ वो काली साली ! सिर्फ घुसवाती है, ना चूसती, ना गांड मरवाती है !" लगातार एक पूरा हफ्ता जब तक पति नहीं लौटे वो हर रात मेरे बिस्तर में सोने लगा। इस एक हफ़्ते में उसने मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ा दी, चूत फैला दी, मुझे लगता था मैं उससे कहीं फिर से पेट से ना हो जाऊँ।

अभी कहानी बाकी है, मेरी हवस की आग इतनों से भी नहीं बुझी।








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