Tuesday, April 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI मामी की गदराई गांड-2

FUN-MAZA-MASTI

 मामी की गदराई गांड-2
 मामी को एक ही रास्ता नजर आ रहा था अब उनको उनकी चुदाई करने से रोकने का, उनका जल्द ही पानी निकाल देना और मुस्कराकर प्यार से यहाँ से निकलने के लिए उन्हें मजबूर करना।
उधर चाँद की रौशनी की बजह से मामीका का जो भी अंग दिख रहा था वो चमक रहा था। और चाचा की हालत बुरी कर रहा था। मामी भी अब मुंह चाचा की तरफ कर के उनके बाहोमे समां गयी. उनके पीठ को एक हाथ से सहलाते हुए वो उनके लंड को दुसरे हाथ से मसलने लगी। उनका सर चाचा के छाती पे टिका हुआ था।धीरे धीरे अब मामी चाचा के निप्पल पर अपनी जबान की टिप से सर्किल बनाने लग गयी। थोडा निचे उतरकर उनके बड़े पेट को चूमने लगी। चाचा के नाभि में अपनी जुबान को अंदर बाहर करने लगी। और धीरे धीरे वो चाचा के बड़े लंड की तरफ बढ़ने लगी।मामी को आते देखकर ही चाचा का लंड उंस भरने लगा। लेकिन मामीजीने लंड को बाईपास ही कर दिया। वो उनके लंड के निचले गोटियों को कुसल कर चाचा के गांड की तरफ बढ़ गयी। चाचा के गांड में मामीने अपना मुंह छुपा लिया और उनके दरार में अपनी नाक रगड़ ली। ये देखके चाचा तो बहोत नरम पड़ गए और मामीके गुलाम बनने ही बाकी रह गए। थोड़ी देर चाचा के गांड से खेलकर वो फिरसे आगे आके अपने घुटनों के बल चाचा के पैरों में बैठ गयी और लैंड को अपने हाथोंसे मसलने लग गयी। सुबह की मस्ती सब उतर गयी थी चाचा के लंड की।सुबह जिसने आधा घंटे मुश्किल से बाद अपना पानी छोड़ था,अभी वो दस मिनट में ही मामी के काबू आगया और धीरे धीरे उंस उंस कर अपना पानी छोड़ने लगा। मामीने वो पूरा चाचा के लंड से निकला गाढ़ा वीर्य अपने मुंह पे फैला दिया। अपने वीर्य से लतपत मामी को देखके चाचा तो अब ख़ुशी से पागल होने ही बाकी रह गए थे।
"उफ़ भाभिजान इतना सुकून किसीने भी नहीं दिया था जितना आपने दिया है इस लंड को मेरे, आपका तो शुक्रिया अदा करना चाहिए मुझे"
"कुछ मत करिए भाईजान ,सिर्फ मुझे जल्दी घर छोड़ दीजिये,अब तो में आपकी ही हूँ,जी चाहे तब इस मेरी गांड को मसल देना, आपकी ही रंडी बन कर रहूंगी में,लेकिन इधर नहीं। हमारे ही घर, इनके और मेरे बेड पे आप मेरे बदन को देखे ऐसी तमन्ना है मेरी"
मामी सब झूठ ही बोल रही थी। लेकिन यहाँ से निकलने के लिए कुछ तो करना था नहीं तो चाचा उधर ही गांड मार देते मामी की।
चाचा भी मान गए अब, और वो भी सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को काटना नहीं चाहते थे। और वैसे भी 4 फीट पे दुरी पर ही तो रहती है ये रांड ऐसे सोचते हुए उन्होंने आज के दिन केलिए आखरी बार, ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी मामी को अपने बहोमे थमा लिया और पेटीकोट के ऊपर से ही मामीकि गांड के दरार में अपना हाथ घुसा दिया। मामीने पैंटी पहनी हुयी थी इस्सलिये पूरा हाथ अंदर नहीं जा पाया। मामीने भी इस बात पर मुस्कराकर चाचा के निप्पल को काट दिया और चाचा के नंगे गांड के दरार में जो बहोत सारे बाल थे, उन्हें खीच लिया।चाचा जोर से चिल्लाये लेकिन वो भी फिर हँसते मामी को देखकर हंसने लग गए.
करीब ९ बज गए रात को मामी को मायके पोहोचने।२ दिन वहा रहके वापस वो आगई अपने ससुराल।अस्लम चाचा भी आगये ३ दिन बाद।उनकी बीबी बच्चे अभीभी नहीं आये थे वापिस।चाचा ने मामीको बता दिया था वो कब आने वाले थे।मामी अब अस्लम चाचा का बड़ा लंड अपने चूत में लेने के सपने देख रही थी। लेकिन कहा और कैसे ये बड़ा मुश्किल सवाल था।टेम्पो में ही चुद लिया होता तो बेहतर होता ऐसा अब उनको लगने लगा था। वैसे तो सुबह ६ बजे मामा खेत में जाते तो वो ८ बजे ही वापिस आ जाते थे।उसवक्त वो चाचा से चुद सकती थी लेकिन उसमे भी खतरा था। मेरे दुसरे मामा पास में ही रहते थे,उनके बच्चे मामीजी के पास आ जाया करते थे।मामी की देवरaनिया भी आ जाती थी।जितना आसन लग रहा था वो अब उतना ही मुश्किल बन गया था।चाचा भी इस बात को समझ रहे थे, और उनके बीबी बच्चे भी आगये थे, इस्सलिये वो भी रिस्क नहीं लेना चाहते थे। लेकिन दोनों एक दुसरे को चिढाते रहते।दोनों के घर के दरवाजे आमने-सामने ही थे और जैसे की मैंने बताया है उनमे सिर्फ ४-६ फीट की दुरी थी।और गाव में तो कोई दरवाजा बंद नहीं करता।दिनभर खुला ही रहता है।इस्सलिये जब भी दरवाजे पे मामी आ जाती चाचा उनको अपना तना हुआ लंड दिखा देते। मामी भी कभी कभी अपनी साड़ी ऊपर कर के अपनी मोटी और गोरी जांघे दिखा देती। कभी कभी तो अपनी पैंटी में लिपटी मोटी गांड भी दिखा देती। इन्शाल्ला कहके चाचा मामी के गांड को मसल कर आते।
ऐसे ही २ महीने गुजर गए।अस्लम चाचा उसमेसे बहोतसे दिन बाहर ही थे। मामी के चूत की प्यासभी अब बढती जा रही थी। वैसे तो मामा आज भी मामी से प्यार करते थे और रात को दोनों एक साथ ही सोते थे।लेकिन मामा को अब नया खिलौना मिल गया था और शादी के २५ साल बाद कितना चोदेंगे मामी को ये भी सवाल था।रात को जब मामी पास आजाती तो १-२ झटके लगाके दूर हो जाते थे और मामीसे ही अपना लंड चुसवा के सो जाते। अब मामीने ठान ही लिया कुछ भी हो अस्लम चाचासे जरूर चुदेंगी।और उनको वो मोका मिल गया।
उस दिन चाचा के घर कोई नहीं था,चाचा भी एक ही दिन पहले आगये थे। जैसे ही मामाजी सुबह ६ बजे खेत जाने निकले मामी जल्दी से तैय्यार होके अस्लम चाचा के घर चली गयी.दरवाजा बंद था इसीलिए मामीने जोरसे खटखटाया, अंदर से अस्लम चाचा आवाज की आई,
"कौन है "
"मैं हूँ भाईसाब"
"२ मिनिट भाभीजी नहा रहा हूँ"
"हाय राम उसमे क्या? जल्दी खोल दीजिये कोई देख लेगा"
चाचा वैसे ही नंगे भागकर आगये दरवाजा खोलने।मामी जल्दी सी अंदर चली गयी और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया अंदर से .
"अब क्यूँ तना हुआ है आपका भाईसाब? किसे याद कर रहे थे?"
"आप ही को तो कर रहा था भाभिजान, कितने दिन होगये अभी तक प्यासा रखा है हमें, कब मेहरबान होगी हम पे?"
"अब इंतज़ार ख़तम भाईसाब, अब तो मुझे भी नहीं रहा जा रहा, जल्दी से आपके इस मोटे लंड से मेरी चूत कि प्यास बुझा दो"
"हाय मेरी रानी, आज तो बड़े मूड में लग रही हो?"
"हाँ, अब जल्दी से नंगा करके मुझे मेरी चूत को ठंडा कर दो"
ऐसे कहके मामी लिपट गयी चाचा के शरीर को। मामी उनके छाती पे अपना मुंह मसल रही थी। थोडा निचे जाके उन्होंने अस्लम चाचा का लंड अपने हाथ में लिया और उसे घूरने लग गयी।
"दिन पे दिन और ही मोटा लगने लगता है आपका ये लंड, क्या राज है?
"आप ही के हाथोंका जादू है भाभिजान, जैसे आपके नाजुक हाथ इसे प्यार से दुलारते है तो फूल जाता है "
मामी मुस्कुराने लग गयी,
"आपको जो लेके रखने को कहा था वो है न?"
"हाँ, भाभीजी आपने कहा था वोही फ्लेवर लाया हूँ, स्ट्रोबेरी"
मामी मुस्कुराके बोली "ठीक है, अब जल्दी से पहनो, देखते है कैसा स्वाद होता है, अभी तक मेने कभी लिया नहीं है, टीवी पे दिखा रहते है ऐड ,ये तो कभी लेट नहीं, इसीलिए आप ही को बोल दिया"
मामी बहोत ही शातिर थी, उन्हें पता था चाचा कंडोम नहीं पहनेंगे इस्सलिये मामीने उन्हें फ्लेवर्ड कंडोम का स्वाद चखना है मुझे, प्लीज लेक रखना ऐसा कहके मना लिया था।
चाचा ने जल्दी से कंडोम पेहेन लिया, और मामी स्ट्रोबेरी का स्वाद लेने लग गयी। चूस चूसके मामीने अब बहोत खड़ा कर दिया था चाचा का लंड। चाचा अब जोर जोर से सास ले रहे थे। अब उन्होंने मामी को रोककर उनको खड़ा कर दिया और घूट्नोंपे बैठ के मामीके बडेसे साड़ी में लपटे पेट में अपना मुंह छुपा लिया। फिर धीरे धीरे वो मामी की साड़ी को उतर ने लगे।मामी गोल गोल घूमके अपनी साड़ी उतरने में चाचा की मदद कर रही थी। अब मामी सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में कड़ी थी।
"चड्डी पहेनी है क्या भाभीजी आपने?" मामीके नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए चाचा मामीके कान में पूछ रहे थे।
"पेटीकोट उतार कर, आप ही देख लीजिये " ऐसा कहके मामीने शरमाकर अपना मुंह छुपा लिया हाथोंसे।
चाचा ने पेटीकोट का नाडा खोल दिया। पेटीकोट मामी के कमर से उतर कर उनके पैरोमे गिर गया। मामीने निकर पहनी थी।अस्लम चाचाने मामीजीकोही निकर निकलने को कहा।मामीने धीरे धीरे अपनी फुलपत्ती वाली निकर निकाल दी।चाचा थोड़े दूर खड़े होक मामीजिके नंगे बदन का दीदार कर रहे थे और मामीजी सामने खड़ी थी शरमाकर। मामीका पेट बड़ा होने के कारन चाचा को अभीभी मामीकी मुनिया नहीं दिख रही थी ठीक तरहसे। उनको झुक कर मामीके मुनियाके दर्शन करने पड़े। मामीजी ने मुनिया के ऊपर के बाल नहीं निकाले थे बहोत दिनोंसे। मामीका गोरा बदन और बिच में त्रिकोणीय आकर का बालों का गुच्छा देखकर चाचा आह भर रहे थे।वैसे तो मामीजी मोटी थी, ('देवदास' फिल्म में शाहरुख़ खान के माँ का काम करने वाली स्मिता जयकर जैसे दिखती है मामीजी) लेकिन ज्यादातर मोटी औरतों की मुनिया बड़ी और लम्बी होती है वैसे मामी की नहीं थी।उनके मुनिया की लम्बाई कम थी। अस्लम चाचाने अब मामीके मुनिया के बाल हटाकर , उनके मुनिया के होठोंपे अपने होंठ रख दिए।अपनी जुबान से चाचाने मामिजीके मुनिया की दरार चाट ली। जैसे ही उन्होंने मामीजी के 'मदनमणी' (क्लिटोरिस) को मसल डाला मामीजी बहोत उत्तेजित होने लगी।जैसे ही चाचा मामीजीके मदनमणि को मसलते मामीके मुंह से किलकारी निकल जाती और वो "आई ग ... मेले मी" चिल्लाते अपने हाथोंसे चाचा के सिर को अपनी मुनिया पे दबाने लगती थी।मामीजी एक नए रोमांच और आनंद में डुब गयी थी। बहोत दिनोंसे इतना परमानन्द उन्हें मिल रहा था। उसी आनंद में मामीजी की सुसु की धार निकल गयी। मामीजी सुसु की धर सीधे चाचा के मुंह पर से छाती पर उतर कर बह रह थी। पूरा आधा मिनिट मामीका पानी निकल रहा था लेकिन रुक नाही रहा था। अब मामीने ही शरमाकर उसे रोक लिया अपनी मुनिया और गांड को सुकोड़कर।लेकिन चाचाजी अभीभी मामीजी के मदनमणि को मसल रहे थे। मामीजी को अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था, चाचा को रोककर वो वही जमीं पे पड़ी चटाई पे लेट गयी। चाचा फिरसे मामीजी के पैर फैलाकर मुनिया को चूसने लग गए। मामीजी अपने मोटे और गदराये जांघोसे चाचा का सर दबोच रही थी।अब पानी रोकना बहोत मुश्किल हो रहा था मामीजी को, वो जोर जोर से सिसकारिया ले रही थी। थोड़ी ही देर में मामी का बांध फुट गया और मामीने चाचा के बालोंको खीचकर उनका सर हटाकर अपनी धार छोड़ दी। पुरे दो फूट ऊँची उड़ रही थी मामीजी की सुसु। चाचा की आंखे फटी की फटी रह गयी वो नजारा देखकर। मामीको इतना आनंद कभी नहीं मिला था सुसु करते वक़्त। अब बड़े चैन से मामी लेटी थी। चाचा का बड़ा लंड अपने मुनिया में लेने के लिए बेक़रार हो रही थी। लेकिन चाचा को मामीके मुनिया से ज्यादा मामीके गांड में दिलचस्पी थी।
"भाभिजान अब पेट के बल सो जाओ, आपकी गांड तो देख लूँ जरा"
मामीजी जैसे ही पेट बल सो गयी मामीके गदरायी गांड के दर्शन होगये।
मामी जी की वो गोरी , गोल और गदरायी गांड देखकर चाचा की आंखे चमक रही थी।
"ला इल्लाह इल्लल्लाह!!!!!!!!! माशाल्लाह भाभिजान क्या तराशी हुयी है गांड आपकी। मानो संगमरमर में ही बनायीं हुयी हो। हाथो और घुटनों के बल हो जाओ भाभिजान, डॉगी पोजीशन में थोड़ी फैलाओ अपनी गांड को"
मामी डॉगी पोजीशन में होकर चाचा के सामने उन्होंने अपना खजाना खोल दिया। मामी की गांड बहोत ही टाइट थी,थोड़ी भी ढीली नहीं पड़ी थी। चाचाने ने अपनी नाक मामीजी के फैली हुयी गांड के दरार डाल कर सूंघ ली।
"क्या कर रहे हो भाईसाब, गन्दी होती है वो जगह"
"प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता मेरी जान, और ये तो जन्नत है, कितनी खुशबूदार है आपकी गांड, वाह"
चाचाने मामीकी गांड सूंघकर अपनी जबान से वो उसे चाटने भी लग गए।
अब चाचाने अंदर से शहद की बोतल लायी और थोडा शहद मामीजी के गांड के दरार में डाल दिया। और मामीजी के गांड के गालोंपर भी शहद से मसाज कर दी। और धीरे धीरे सारा शहद चाट चाट कर ख़त्म कर दिया।
मामीजी को अब डर लग रहा था कही चाचा उनकी गांड न मार दे। चाचा भी उसी मूड में थे। मामीजी का होल बड़ा ही टाइट था, मजा आ जाता मामीजी की गांड मारने चाचाको।
"भाभिजान बहोत दिल कर रहा है आपकी गांड में घुस जाने का , देखो कैसा फुरफुरा रहा है मेरा लंड तुम्हारी गांड में घुसने के लिए।'
"नहीं नहीं भाईजान, ऐसा मत करो, फट जाएगी मेरी"
"थोडा धीरज रखो भाभिजान, थोडा दर्द होगा लेकिन बाद में मजे लोगी"
"बाद में, आज नहीं, फाड़ डालोगे क्या मेरी?'
चाचा भी अब मान गए, और मामीजी चिल्लाने लगती तो बड़ा प्रॉब्लम हो जाता ये सोचकर
"ठीक है भाभिजान अब थोडा चूस लो मेरे लंड को"
मामीने चाचा के लंड के उपरसे कंडोम निकाल दिया, चाचा का लंड कंडोम के चिकनाई युक्त फ्लूइड से गिला होगया था। उसका स्वाद स्ट्रोबेरी का था, मामीने पूरा चाट कर उसे साफ़ कर दिया। चाचाने अब थोडा शहद उसपर दाल दिया और थोडा अपने छाती पे भी। मामीजी ने उसे भी चाटकर साफ़ कर दिया।
“भाईजान जल्दी से मेरी मुनिया की प्यास बुझा दो, अब रहा नहीं जाता, और बहोत देर भी हो रही है”
“हाँ हाँ भाभिजान, लेकिन गांड नहीं मारने दी आपने आपकी, तो इस्सकी सजा मिलेगी आपको”
“क्या सजा देनेवाले हो?”
चाचा एक खुर्ची पे बैठ गए, “पेट के बल मेरी जांघोपे सो जाओ, बताता हूँ”
मामीने वैसा ही किया जैसा अस्लम चाचा ने कहा था.. जैसे ही मामीजी चाचा के जांघो पे सो गयी, चाचा ने मामीजी की गांड को सहलाते सहलाते अपने हाथोंसे जोरसे एक थप्पड़ मार दिया.. चाचा मामीजी को spank करने वाले थे..
“क्या कर रहे हो? कितना जोर से मारा” मामीजी शिकायत तो कर रही थी लेकिन मुस्कुराते हुए.. उनको भी मजा आ रहा था.. ऐसे ही थोड़ी देर तक मार मार के चाचा ने मामी की गांड पूरी लाल कर दी.. मामी भी लेकिन उसका मजा ले रही थी..
“अब आ जाओ रानी , मेरे ऊपर चढ़ जाओ” इतना चाचा ने कहने की देरी थी के मामी झट से लेटे हुए चाचा के पेट पे बैठ गयी और पीछे सरक कर उनका मोटा लंड ठीक से अपने च्युत में डाल दिया, उससे पहले उन्होंने उनके लंड का अपने हाथोंसे मसाज करके उसके ऊपर नया कंडोम चढ़ा दिया, और जोर जोर से ऊपर निचे करने लग गयी. चाचा कभी उनके बड़े बड़े चुचोंको मसल रहे थे तो कभी उनके चूतडों को.. झड़ने से पहले चाचा ने अपना लंड बाहर निकाला और उसके उपरसे कंडोम निकालकर, मामी को निचे लिटाके उन्होंने अपने कम से मामी को नहा डाला..
आगे भी एक दो बार अस्लम चाचा से चुदी थी मामी लेकिन बाद में बाहर घर होने के बाद उनका मिलना कम होगया और अस्लम चाचा भी दुसरे गाव चले गए रहने के लिए..










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