Tuesday, April 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI कोमल की कहानी --4

FUN-MAZA-MASTI

  कोमल की कहानी --4

 " किसने बताया तुम्हें .." मैंने पूछा, "हमलोग बातें करतें हैं मेरी दोस्त और हम सब .. एक दिन हम सबने एक फ्रेंड के यहाँ विडियो भी देखी थी.. उसमे इसको लगाकर हीरो हीरोइन को फक करता है " कोमल ने रबर की तरफ इशारा करके कहा, मेरा दिमाग घूम गया, कोमल इतनी नादाँ नहीं थी जितना मैं समझता था, मैं जान गया अब उसे कुछ समझाने की जरूरत नहीं, गर्म होगी तो खुद ही तैयार हो चुदवाएगी , बस उसको गर्म कर मजबूर कर दूं की खुद ही मेरे लिंग को पकड़ अन्दर घुसाने को तैयार हो जाये....लेकिन अब उसका मूड ठीक नहीं था और मैं भी ठंडा हो गया था उसकी बातें सुनकर, मैंने कोहिनूर का पैकेट और किताबें अन्दर रक्खीं और कोमल से कहा की कपड़े पहेन ले, मैंने भी कपड़े पहने और बाहर निकल आया, अब मूड नहीं था. हम दोनों सोफे पर बैठ कुछ देर टीवी देखते रहे, कुछ देर बाद ही माँ भी आ गयीं. शाम को पिताजी और कोमल के पिताजी भी आ गए, तब तक कोमल और मैं दोनों ही नोर्मल हो गए थे. रात को खाना खाकर कोमल से पूछा की बाहर मेरे साथ चलोगी तो उसने इशारे में हाँ कहा, मैंने कोमल की मम्मी से आज्ञा मांगी तो उन्होंने जाने की इज़ाज़त दे दी की जल्दी आजाना, घर में किसीको को भी बिलकुल ना ही शक था और ना कोई अंदेशा की मेरे और कोमल के बीच में क्या चल रहा है, हम दोनों स्कूटर पर बाज़ार की ओर चल दिए, कुछ देर इधर उधर घुमते रहे, कोमल मेरे से सैट कर बैठी थी, उसके उरोजों का दवाब मेरे पीठ पर पड़ रहा था, मदमस्त बिलकुल नर्म और गुदाज़, वो भी निःसंकोच थी, मुझे समझ में आया अब वो पूरी तरह नोर्मल थी, एक जगह हम आइसक्रीम खाने रुके,
वहां पूछ ही बैठा " मेरे से गुस्सा हो..."
"नहीं तो .." कोमल ने कहा " गुस्सा होती तो तुम्हारे साथ आती क्या ..."
" फिर उस समय क्यों नहीं साथ दिया..." मैंने कहा
" किस समय... मैं तो तुम्हारे साथ ही थी... तुम्हीने अपना मूड ख़राब कर लिया और मेरा भी ..."
" अच्छा... तो एक बात बताओ... रात को आओगी.." मैंने डरते हुए पुछा कहीं वो मुझे फिर गलत न समझले
" मुझे डर लगता है... मैं कुछ नहीं करनेवाली जो तुम समझ रहे हो..." कोमल बोली
" सिर्फ एक बार.. हम सिर्फ बातें करेंगे और थोडा सा प्यार और कुछ नहीं ...रात को सब सो जांए तो मेरे कमरे में आना या बैठक में..." मैंने कहा
" नहीं...मेरे से नहीं होगा .. बहोत रिस्क है.. कोई जग जायेगा.. और तुम्हारे साथ रिक्कू (मेरा छोटा भाई) भी तो सोता है.." कोमल ने कहा..
"वो बच्चा है, उसे कुछ पता नहीं और सोता भी है घोड़े बेच कर ... तुम मत डरो..." मैंने कहा
"देखूंगी... पर मैं कुछ करने वाली नहीं हूँ .. फिर मत कहना की साथ नहीं दिया "..." कोमल ने जैसे दुबारा खुलासा किया..
"आना तो .." मैंने कहा
कोमल ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन मुझे विश्वास था वो आयेगी, उसका मेरे साथ आना, उसका स्कूटर पर मुझे जोरों से पकड़ कर बैठना, अपने उरोजों को जान बूझ कर दबाना, मेरे लिंग को छूने और चूसने के लिए उसका जबरदस्त सम्मोहन और इस समय जब मैं सिर्फ उससे बातें ही कर रहा था उसकी साँसे तेज हो गयीं, और दिख रहा था की स्तन समीज के अन्दर साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, साफ़ था बातों ने ही उसे बेचैन कर दिया था... हम कुछ ही देर मैं घर लौट आये, पूरे रस्ते कोमल ने मुझे जोरों से पकड़ रक्खा था, स्तनों से दबा मुझे मजे देती रही, और एक दो बार तो मेरे गर्दन पर चूमा भी. माँ बाबू जी और कोमल के माता पिता सबलोग बातें कर रहे थे, मैं कमरे में आकर सोने का बहाना कर लेट गया, कहीं मन नहीं लग रहा था अब सिर्फ इंतजार था, न जाने कब सब लोग अपने कमरों में चले गए, मुझे भी नींद आ गयी.. रात दो तीन बार नीदं खुली तो देखा कोमल अपने कमरे में सो रही थी....मेरी हिम्मत नहीं उसे जगाऊँ... फिर सोचा वो खुद आयेगी..शायद नीदं आ गयी उसे...उसे भी तो मेरे जैसे ही बैचैनी होगी...कैसे मुझे स्कूटर पर चूम रही थी... मैं सोच कर हैरान था, लंड तनाव से खड़ा हो गया..... सिर्फ १५ साल की छोकरी लेकिन गरम कैसे होती है बिलकुल किसी कुतिया की तरह, यह तो दोपहर में मैं ही रुक गया वरना तो वो गर्मी में आकर मुझे अपना सब कुछ देने ही वाली थी... और अभी कहती है मैं कुछ नहीं करूंगी.. एक बार आने तो दे फिर देखता हूँ .. मैं यह ही सब उधेड़ बुन में था..आयेगी या नहीं.... लेटा लेटा सोच रहा था...कल की ही तरह रात के २.३० बज गए... फिर ३ लगा अब वो नहीं आयेगी, तभी कुछ आवाज़ सी आयी, लगा कोई धीमे क़दमों से बाथरूम की ओर गया, शायद कोमल ही हो ऐसा मन सोच रहा था.. मैं सांस थामे लेटा रहा.... कुछ मिनटों बाद ही देखा अँधेरे में एक साया कमरे के दरवाज़े पर खड़ा था और मुड मुड कर बाहर की ओर देख रहा था.. फिर धीरे से सरक के अन्दर आया, ये कोमल ही थी... मैं जान कर चुप चाप आँखें हल्की खोल कर पड़ा रहा, अँधेरे में उसे मालूम नहीं की मैं उसकी हरकतें देख पा रहा हूँ, कोमल ने नाईट ड्रेस की बजाय एक छोटा फ़्रोक पेहेन रक्खा था, मेरे पलंग के नजदीक आकर खड़ी हुई, उसकी जांघें बिलकुल मेरे से सट कर लगी थीं, कुछ देर वो देखती रही फिर बैठ गयी पलंग के किनारे और हाथ बढ़ा उसने मेरे गालों को छुआ, अँधेरे सन्नाटे में मैं उसकी तेज और भारी साँसों को नजदीक से सुन रहा था, मुझे सोता देख उसने मेरा हाथ उठा कर अपनी गोद में रक्खा और अपने हाथों से मेरे सीने को सहलाती हुए अपने हाथ मेरी जांघों तक ले आयी, मेरा लिंग अब बर्दास्त नहीं कर सकता था और बिलकुल कठोर हो उछालें लगा रहा था, मैंने थोडा सा जांघों को अलग किया, कोमल कुछ देर तक मेरी जांघों को सहलाती रही, उसकी अंगुलिया कई बार मेरे अंडकोष को छु रही थी, वो शायद मेरी प्रतिक्रिया का इन्तेजार कर रही थी पर मैंने भी सोचा था की आज तुम्हारे मन की बात जान कर ही रहूँगा, मैं यूं ही पड़ा रहा...कोमल आगे सरकी और अपनी योनी से मेरे हाथ को छूने लगी, मेरे हाथों को कोमल की योनी का गुदाज़ भाग महसूस हो रहा था, मेरे लिए इस स्थिती को सहन करना मुश्किल था, जैसे स्वाभाविक नींद में हुआ हो इस प्रकार मैंने थोड़ा करवट लिया और आगे सरक गया अब मेरा हाथ बिलकुल उसकी फ़्रोक के ऊपर उसकी योनी को दबा रहा था, उसने फ़्रोक को खींचा, मेरा हाथ अब उसकी नग्न योनी को छु रहा था जो गीली हो रक्खी थी , उसने पैंटी नहीं पहनी थी, अंडकोष से उसने हाथ बढ़ा अब लिंग को थाम लिया और उसे मरोड़ने लगी, अब उसे शायद लगा मैं नाटक कर रह हूँ, वो झुक कर कान में फुसफुसाई " बहुत हुआ...अब उठो भी ... मैं आ गयी हूँ बोलो क्या चाहते हो..."
मैं यही चाहता था सुनना, मैंने उसे खींच उसके होठों को काट लिया " तू बहुत बनती है... अब तेरी चुदाई करूंगा..."
"यहीं करोगे क्या ... चलो बाहर.." कोमल ने दबी आवाज़ में जवाब दिया
हम धीरे से उठ बाहर आये, कमरे में ही मैंने कोमल की फ़्रोक खोल गिरा दी और वो एकदम नंगी ही कमरे से बैठक तक आयी, पूरे घर में घुप अँधेरा था, सिवाय बैठक के जहाँ खिड़की से आते सिर्फ एक हलके उजाले का आभास भर था, उसने भी मेरे हाफ पैंट के बटन खोल लिंग को खींच बाहर किया .....हम कुछ देर तक एक दुसरे के बदन को महसूस करते रहे.. तनाव बढ़ता जा रहा था, तभी कुछ याद आया, कोमल को बैठक में छोड़ मैं कमरे में आया और तकिये के नीचे रात को रक्खे कोहिनूर के पैकेट को ले वापस बैठक में आया
" कहाँ गए थे.." कोमल ने पुछा,
"यूं ही.. "
"झूठ, तुम कंडोम का पैकट लेने गए थे ना...सच बोलो .. " कोमल बोली, चोरी पकड़ा गयी,
"हाँ..."
" इतनी आसानी से नहीं मिलेगा तुम्हें...." कोमल बोल उठी, लेकिन वो आग में झुलस रही थी,
"देखेंगे..." मैंने कहा और हम लिपट पड़े.....

सन्नाटा था, सभी गहरी नींद में से सो रहे थे एर्कोंडिसन की ठंढक में , मैं और कोमल आग में झुलस रहे थे, हम सोफे पर एक दुसरे को चूम चाट रहे थे बेखबर, कोमल नंगी मेरे आगोश में थी, मैंने भी पैंट उतार दिया था, हम दोनों एक सोफे पर ऊपर नीचे पड़े महसूस कर रहे थे एक दुसरे के निजी अंगों से खेलते हुए प्यार करते हुए उत्तेजना के शिखर पर थे, कोमल की सांसें तेज थीं, उसके स्तन सांसों के साथ हिलते हुए एक समां बना रहे थे, हल्की रोशनी में कोमल का शरीर गज़ब का सेक्सी लग रहा था, कोमल को लिंग से खेलना बहुत अच्छा लगता था, वो बार बार मेरे लिंग को पकड़ उसे खींचती, मोड़ती और मुहं में लेकर चूस लेती, कोमल के स्पर्श और मस्तियों से लिंग से जैसे पानी फूट पड़ने को तैयार था, हम 69 की अवस्था में हो गए, वो मुझे चूस रही थी, मैंने उसके नितम्बों को हाथों से घेर अपनी जीभ को उसकी योनी में पूरा घुसेड दिया, योनी की दीवार को चूसने और काटने का मज़ा ही बेमिसाल था, मुझे कोमल की कराहने की धीमी आवाज़ सुन रही थी,
"आह आह्ह... और करो और करो..." वो मुझसे फुसफुसाते हुए सी आवाज़ में कह रही थी और साथ ही मेरे लंड और अन्डकोशों को सहलाते हुए अपनी जीभ से गीला करने लगी, कभी उन्हें चूसती, कभी खींचती , कभी दांतों से काट लेती, धीरे धीरे वो आपे से बाहर हो रही थी, उसने मुझे नाखून से नोचना शुरू कर दिया, मेरे जांघों को काट लिया और अपने नितम्बों को हिला हिला कर अपनी योनी को मेरे मुहं पर जोर से दबाने लगी, योनी को मेरे मुहं पर मारने लगी और अब गालियाँ भी दे रही थी, बार बार मुझे गुंडा और कुत्ता कह रही थी,
"तुमने मुझे क्या समझा... मैं तुमसे कुछ करवाऊंगी ? ...." कोमल के मुहं से पहली बार इस तरह की बात सुन मैं हैरान था,
"तुम घूमना मेरे पीछे..तुम्हें रुलाऊंगी .. मुझे क्या कर सकते हो देखती हूँ.... " वो बकने लगी आवेश में, जैसे मुझे कुछ करने के लिए जोश दिला रही हो, उसके शब्द मुझे गर्म कर रहे थे और सम्भोग के लिए उत्तेजित भी कर रहे थे, मन कर रहा था उसके बदन को रगड़ कर ठंडा कर दूं,
"क्या करूंगा ? तुम बताओ.. ? " मैंने छेड़ते हुए पुछा जान कर,
"वही..जो तुम सोच रहे हो... इसको अन्दर घुसाना चाहते हो न ..सच बताओ. .? कोमल ने लंड को सहलाते हुए कहा, अब वो खुल कर बोलने लगी थी, उसकी झिझक कम हो गयी थी,
" हाँ.. घुसाना है... देखता हूँ कैसे बचती हो...? " मैंने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया,
" मुझे डर लगता है..... " कोमल के लिए अब बर्दास्त करना मुश्किल था, वो मेरे लंड से खेलते हुए अपने नितम्बो को जोर जोर से आगे पीछे कर रही थे, उसकी योनी रस से सरोबर चिकनी हो गयी और वो कराह रही थी जैसे दर्द हो रहा हो...कोमल ने अपनी पोजीसन बदली और पलट कर मेरी ओर मुहं कर मुझे चूमने लगी, वो तैयार थी पूरी तरह अपने आपको न्योछावर करने, मेरा लंड उसके योनी को दबा रहा था,
" मैं तुझे चोदना चाहता हूँ, तू तैयार है देने को..." मैंने अब उसे प्यार करते हुए खुल कर पुछा
".. कुछ हो जायेगा तो........." कोमल ने कुछ चिंता से कहा , हम दोनों के बीच में जैसे कोई दीवार थी शर्म की वो खत्म हो गयी, कोमल को मजा आ रहा था, हम दोनों उत्तेजित हो रहे थे, मैंने तो सोचा भी नहीं था लेकिन कोमल तो जैसे खुल कर बातें करने के लिए बेताब ही थी,
" कुछ नहीं होगा... तुम कुछ मत सोचो ...हम तो प्यार कर रहे हैं और क्या.." मैंने कोमल को समझाते हुए उसके डर को मिटाने की कोशिश की...
"ठीक है... पर दर्द मत करना.... " कोमल बोली....हम दोनों बेखबर मस्त थे, मैं उसके स्तनों को चूस रहा था और उसकी योनी में अंगुली सटा पुत्तियों को खींच रहा था जो गीली हो गयी और मेरे पुरी अंगुली को ही अन्दर लेने को तैयार थीं, कोमल मेरे होठों को काट रही थी, उसकी हालत जैसे किसी शराबी की सी हो गयी, बेसुध, बेखबर....
"तेरे इससे कितना रस निकल रहा है... .बहुत अजीब लग रहा है... मेरी सुसु को जोरों से अंगुली से रगड़.... ....." कोमल बोली,
"बुद्धू... अब इसको सुसु मत बोल... " अब मैंने को कोमल के साथ खुले शब्दों को प्रयोग करने का मन किया जिससे वो और ज्यादा उत्तेजित हो और मुझे भी अच्छा लग रहा था...
"तो क्या बोलूँ..." उसने धीमे से हँसते हुए पुछा.....
" अब ये सिर्फ सुसु करने के लिए नहीं है... इसमें मैं अभी कुछ करने वाला हूँ.... यह अब बड़ी हो गयी इसको बूर कहते है.... मालूम है.." मैंने उसे दबाते हुए और कान में फुसफुसा कर कहा,
" तुम गुंडे हो....मुझे मालूम है... पर नहीं बोलूंगी...." वो हंस रही थी...
"एक बार बोल तो....सिर्फ एक बार..." मैंने छेड़ते हुए कहा..
"अच्छा तुम्हारे वाले को क्या कहते है...... लंड ...है ना ? कोमल हँसने लगी, मैं हैरान... कितनी आसानी से उसने कह दिया...
"तुम्हें मालूम है....." मैंने आश्चर्य से कहा...
"तो क्या... नहीं मालूम होगा...इतनी भी अनजान नहीं हूँ जितना समझते हो ..."
"कहाँ से जाना ये सब..." मैंने उत्सुकता से पुछा तो बोली " पीछे बताऊंगी.. अभी तो मस्ती करने दे...." और मेरे ऊपर चढ़ बैठी.
हमारी प्यास बढ़ रही थी, कोमल मेरे ऊपर लेटी थी, मेरा लंड उसकी योनी से सटा अन्दर जाने को बेताब सा था, तभी कोमल ने अपने हाथ से लंड को पकड़ योनी के मुहं पर लगाया....
" इसको ..अन्दर... कर न...." वो बोली जैसे याचना कर रही थी, उसका गला सूखा था और आवाज़ उखड़ी हुए निकल रही थी...
"रुक.. एक मिनट...." मैंने कोहिनूर पाकेट हाथ में लेकर खोला और एक कोंडोम निकाला, कोमल ने मेरे हाथों से छीन लिया और बड़े गौर से उसे अँधेरे में ही देखने लगी...
" इसे कैसे यूज करोगे ..."
"बताता हूँ " कहकर मैंने उसे इशारो में समझाया , मैंने और कोमल ने मिलकर कोंडोम को लंड पर चढ़ाया और खोल दिया....कोमल को आश्चर्य हो रहा था.. उसने लंड को सहलाया...
"वाह... अब ये सेफ (safe) हो गया न...." उसने तसल्ली के लिए पुछा....
"हाँ अब जो चाहें करो... मैंने उसे पयर करते हुए कहा...वो निश्चिंत दिखी....
कोमल ने लंड को पकड योनी के पास लगाया, वो बेताब थी लंड को लेने के लिए .. हम दोनों अब रोक नहीं पा रहे थे... मैंने भी सोचा अब वो बिलकुल गर्म है...
"कोमल... एक बात बताऊँ ... जब लंड अन्दर जायेगा तो तुम्हें एक बार दर्द होगा लेकिन थोड़ी देर में दर्द ख़तम हो जायेगा और बहुत मज़ा आएगा.. तुम घबराना नहीं..." मैंने जान बूझ कर उसे खून निकलने की बात नहीं बताई...वो डर जाती...मुझे भी पूरी तरह मालूम नहीं था..ये सब सुना सुनाया था...और कुछ सेक्स की किताबों में पढ़ा था सो कह दिया... .
" मुझे कुछ कुछ मालूम है.. पर ज्यादा दर्द मत करना....अब अन्दर तो डाल " कोमल की सांसे तेज चल रही थी.. मेरी भी... हम दोनों पहली बार सम्भोग की दुनिया में जा रहे थे... .और दोनों ही अनाड़ी थे...सच पूछिए तो मुझे भी बहुत डर लग रहा था....






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