FUN-MAZA-MASTI
मैं, लीना और चाचा-चाची--5
gataank se aage............
चाचाजी अपने लंड पर मख्खन रगड़कर तैयार हुए तो लीना ने मुझे ओंधा पलंग पर पटक दिया. मेरा सिर उठाकर चाची की छाती पर रख दिया. "चाची, आप इसको अपनी चूंची चुसवा दो, याने मुंह बंद रहेगा इसका. चलो चाचाजी, डाल दो मेरे सैंया की गांड में अपना ये मूसल"
चाचाजी मेरे पीछे बैठकर अपना सुपाड़ा मेरे गुदा में पेलने लगे. मैंने गुदा ढीला छोड़ा तो जरा सा अंदर ढंस गया. "ऐसे ही बेटे, ढीला छोड़ तो अभी डालता हूं"
सुपाड़े से मुझको दर्द हो रहा था तो मैंने थोड़ा ’आह’ ’उफ़’ किया. चाची ने अपनी चूंची मेरे मुंह में ठूंस दी और बोली "डालो जी, अब ये चुप रहेगा"
चाचाजी ने जोर लगाकर सुपाड़ा मेरे छल्ले के पार कर दिया, मैं गों गों करने लगा. लीना चहक उठी "ये हुई ना बात, अब देखो कैसे तड़प रहा है, जब इसके उस दोस्त ने मेरी मारी थी तो मुझे भी दुखा था, तब ये हंस रहा था."
चाचाजी ने लंड पेल कर तीन चार इंच अंदर कर दिया. मैं सिर उठाने की कोशिश करने लगा, पर चाचीजी ने कस के उसे दबाये रखा.
"तेरी कसम बहू, बड़ी टाइट गांड है लौंडे की. अच्छा लग रहा है बेटे?"
लीना तुनक कर बोली "चाचाजी, उससे ने पूछो, मैं कह रही हूं कि बहुत मस्ती में है अनिल. आप तो पूरा डाल दो"
चाचाजी ने जोर लगाकर पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया. मैं हाथ पैर मारने लगा तो लीना मेरे हाथों पर बैठ गयी और चाचीने मेरी कमर कस के पकड़ ली. "मारो जी मारो, अभी मस्ती से गुटर गुटर करने लगेगा कबूतर जैसे"
चाचाजी लंड अंदर बाहर करने लगे. मुझे अब मजा आ रहा था. दर्द के साथ गांड में मस्त गुदगुदी हो रही थी. मैं कमर हिलाने लगा तो चाची बोलीं "बस बेटी, छोड़ दे, अब तो खुद मरवायेगा ये रंडी जैसा" मेरे मुंह से चूंची भी निकाल ली.
मैं ’आह’ ’ओह’ ’हां चाचाजी’ करने लगा. चाचाजी धीरे धीरे लंड पेलते हुए बोले "मजा आया बेटे"
"हां चाचाजी .... बहुत मस्त है आप का .... मारिये ना ... दर्द भी हो रहा है ... ये मार डालेगा मुझ को .... पर अच्छा लग रहा है चाचाजी ... हां ... आह ... और चाचाजी ... और ..." मैं बोला.
"ये बात हुई ना, ये लो बेटे" कहकर चाचाजी जोर से लंड पेलने लगे. लीना से बोले "वाकई मस्त टाइट गांड है तेरे पति की, बहुत शुक्रिया बेटी, तेरी वजह से मुझे ये गांड मिली"
"बदले में भी कुछ लूंगी चाचाजी" लीना बोली.
चाचाजी मस्ती में थे, झट से गले से चार तोले की सोने की चेन निकाली और दे दी. लीना ने लेकर रख ली और बोली "ये तो ठीक है चाचाजी, पर अब आज रात मुझे पूरा चोदना पड़ेगा, बस आप और मैं, एक मिनिट को नहीं छोड़ूंगी मैं आप को, और जो कहूंगी करना पड़ेगा"
चाचाजी हचक हचक कर मेरी गांड चोदते हुए बोली "तू जो कहेगी बेटी वो करूंगा"
"अब आप ऐसा करो को अनिल पर लेट जाओ और उसको बाहों में ले लो, ऐसे दूर से बैठे बैठे क्या मार रहे हो, आखिर आप का सगा भतीजा है, प्यार से बदन सटाकर मारो, चुम्मे ले लेकर मारो" लीना बोली.
चाचाजी को बात जच गयी, वे मेरे ऊपर लेट गये और अपने हाथों और पैरों से मेरे बदन को लपेट कर मेरी गर्दन चूमते हुए मेरी मारने लगे. फ़िर मेरा सिर घुमाकर मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. मैंने भी अपनी जीभ उनको दे दी चूसने को.
उधर चाची और लीना गरम होकर एक दूसरे की बुर चूसने लगीं. बुर चूसते हुए वे हमें देखती जातीं.
"बेटी देख ... वो अनिल की गांड कैसी चौड़ी होती है जब ये लंड बाहर खींचते हैं ... देखा ... ऐसा लगता जैसे अब फ़टी अब फ़टी"
"हां चाची ... पर मजबूत गांड है मेरे अनिल की, चाचाजी के लंड को आराम से खा लेगी. अनिल राजा .... मजा आ रहा है?"
मैं बोला "हां रानी ... बहुत मजा आ ... रहा है ... पेट तक जाता है लंड .... चाचाजी का .... जवाब नहीं ... और पेलिये चाचाजी .... कस के ... हां चाचाजी .... हां .... बहुत मस्त चाचाजी .... ओह ... ओह ... अब समझा लीना .... क्यों दीवानी है ... आपके लंड की .... चोद डालिये चाचाजी .... चोद डालिये मुझे .... आप का ही भतीजा हूं ... आप क्या प्यारा हूं चाचाजी .... मारिये चाचाजी .... चोदिये और ... आह ... ओह..."
"हां बेटे ... साले मादरचोद गांडू ... बहुत प्यारा है तू ... मुझे लगा था कि ... बस तेरी बहू ऐसी .... छिनाल है .... तू भी कम चोदू .... नहीं है ... साली क्या गांड पायी है .... लंड को ऐसे पकड़ रही है .... आह ... आह .... मजा आ गया मेरे बच्चे ... साले फ़ाड़ दूंगा आज तेरी चोद चोद के ... चौड़ा भोसड़ा बना दूंगा .... एकदम फ़ुकला कर दूंगा ... तेरी गांड की बुर बना दूंगा ... रंडी की बुर जैसी चौड़ी कर दूंगा ....आह ... ओह ..." और चाचाजी झड़ गये. जब वे हांफ़ते हांफ़ते मेरी पीठ पर लस्त पड़े थे तो मैं सिर घुमाकर उनके होंठ चूसने लगा. बड़ा मजा आ रहा था, अच्छा लग रहा था कि चाचाजी को मैंने इतना सुख दिया.
चुम्मा तोड़ के मैंने पूछा "कैसी लगी मेरी गांड चाचाजी? आप को सुख दिया कि नहीं इसने"
"तू तो मेरा जानेमन है, अनिल, मेरा प्यारा है .... मां कसम .... क्या लुत्फ़ आया तेरी गांड मारने में .... मैं निहाल हो गया मेरे बच्चे" चाचाजी जोर जोर से सांस लेते हुए बोले. मेरा लंड भी कस कर तन्ना गया था.
"अब इसका क्या करें" लीना ने मेरा मचलता लंड पकड़कर कहा.
चाची बोलीं "मैं तो अभी चूस लूं पर ये काम इनका है, क्योंजी, आप के भतीजे ने आप को इतना सुख दिया, उसका लंड नहीं चूसोगे.
"अभी चूस देता हूं मेरी जान, मैं तो खुद कहने वाला था." चाचाजी बोले.
"बाद में चूस लेना चाचाजी, अब आप की और आप के भतीजे की प्यार मुहब्बत शुरू हो ही गयी है तो ऐसा करते हैं कि अब मैं चाची को अपने कमरे में ले जाती हूं, देखती हूं कि आखिर इनकी बुर कितना पानी छोड़ती है दो घंटे में. और आप और अनिल मिल कर घंटे दो घंटे भर मस्ती कर लो" लीना बोली.
चाची को बात जच गयी. वे उठकर लीना के साथ चल दीं. मुड़ कर बोलीं "जरा अच्छे से प्यार करना मेरे बच्चे से, नहीं तो बस खुद चढ़े रहोगे और उसको कुछ नहीं करने दोगे"
"नहीं नहीं भाग्यवान, मैं अनिल का पूरा ध्यान रखूंगा" मेरे लंड को चूमते हुए चाचाजी बोले.
चाची और लीना जाने के बाद चाचाजी मुझसे चिपट कर मेरे चुम्मे लेने लगे. "यार अनिल, तू तो छुपा रुस्तम निकला, क्या गांड पायी है तूने, मां कसम, मैंने कई गांडें मारी हैं पर तेरे जैसी नहीं थी"
मैंने भी चाचाजी का लंड पकड़कर कहा "चाचाजी, आप को सच बताऊं, मैंने भी गांड मराई है, ज्यादा नहीं, दो तीन बार, जब मैं अपने दोस्तों के साथ होता हूं तो लीना बहक जाती है, जब वो दोस्त की बीवी के साथ इश्क करती है, तो मुझे बोलती है कि तुम लोग भी ऐसे ही मस्ती करके दिखाओ. अधिकतर हम लंड चूस कर काम चला लते हैं पर कभी कभी लीना मचल जाती है, बोलती है कि चलो एक दूसरे की गांड मारो, तब करना पड़ता है. बाद में मुझे मजा आने लगा पर फ़िर भी मैं नहीं मरवाता था, लीना हठ करे तो ही मरवाता था. पर आपला लंड देखा तब से गांड बहुत मचल रही थी, आज सुकून मिला"
"फ़िकर मत कर राजा, आज इतनी मारूंगा तेरी कि तेरी गांड को पूरा खुश कर दूंगा" कहकर चाचाजी मेरी जीभ चूसने लगे. चूमाचाटी से उनका फ़िर से खड़ा होने लगा. मेरे लंड को पकड़कर बोले "यार बहुत रसीला लगता है, चूसने का मन होता है"
"चूस लीजिये चाचाजी, आप का ही है पर ... आप ... याने बुरा मत मानें तो ... मैं आपकी गांड मारूं? बहुत जम के खड़ा है, आप अगली बार चूस लेना"
"मार ले मेरे बच्चे मार ले पर तुझे मजा आयेगा? तू लीना जैसी मस्त मुलायम गांडें मारता है तो मेरी तो जरा कड़क लगेगी तुझे"
"तभी तो मारनी है चाचाजी, आप के चूतड़ क्या कसे हुए हैं, कसरत से एकदम सख्त हो गये हैं, बहुत मन होता है मेरा"
"तो मार ले मेरी जान, पर झड़ना नहीं, मुझे स्वाद लेना है तेरी मलाई का" कहकर चाचाजी लेट गये. मैंने उनकी गांड को सहलाया, वाकई सख्त और मांस पेशियों से भरी हुई थी. मैंने मसला और दबाया और फ़िर जीभ से चाटा. चाचाजी कमर हिलाने लगे "अरे मेरे राजा .... मजा आ गया रे ... तेरी जीभ तो जादू करती है जादू ... चाट ना"
मैं जीभ रगड़ रगड़कर चाचाजी की गांड चाटने लगा. फ़िर जीभ की नोक लगा कर उनके छेद को गुदगुदाया. चाचाजी मस्ती से ऊपर नीचे होने लगा. मैंने मख्खन उंगली में लिया और चाचाजी की गांड में घुसेड़ दी. गांद एकदम टाइट थी.
"चाचाजी, ये तो टाइट है बहुत ... एक बात पूछूं चाचाजी .... आप ने मरायी है क्या कभी?" मैंने पूछा.
"नहीं बेटे, आज पहली बार है, वैसे गांड मारी है एक दो लौंडों की .... तेरी चाची जब मैके गयी थी तब गांव के एक लौंडे को पकड़ लिया था ... किसी औरत को पकड़ता तो तमाशा हो जाता ... बड़े प्यार से मरवाता था वो छोकरा .... पर साला बाद में गांव छोड़ के शहर चला गया पढ़ने ... उसके बाद नहीं मारी, तेरी चाची ही मरवाने को मान गयी.....मैके जाना भी बंद कर दिया .....तू मार ना ... तेरी जीभ ने बहुत मस्त किया है मेरी गांड को .... अब चोद डाल"
मैंने चाचाजी की गांड में और मख्खन लगाया और फ़िर अपना लंड डाल दिया. लंड का सुपाड़ा जाते ही चाचाजी "हां अनिल .... डाल बेटे .... पूरा डाल दे" करने लगे.
चाचाजी का गांड मस्त टाइट थी, शायद सच में पहली बार मरा रहे थे. पर मूड में थे इसलिये अपनी गांड ढीली कर कर के उन्होंने पूरा ले लिया.
"आ जा बेटे, चढ़ जा मुझ पे, ... आ और पास आ" चाचाजी बोले. मैं चाचाजी पर सो गया और अपने पैर और हाथ उनके बदन के इर्द गिर्द लपेट कर उनकी गांड मारने लगा.
"आहा .... बहुत अच्छे मेरे बेटे ... मजा आ रहा है रे ... साले गांडू छोकरे क्यों मराते हैं ... अब समझ में आ रहा है ... झड़ तो नहीं रहा है ना?"
"अभी नहीं चाचाजी .... अभी तो मस्त खड़ा है ... आप की गांड बहुत टाइट है चाचाजी ... कस के प्यार से पकड़े हुए है मेरा लौड़ा ... अरे ये क्या ... कर रहे हैं .... चाचाजी ... मैं ... मैं झड़ जाऊंगा ...." मैं मस्ती से चिल्लाया. अब चाचाजी अपनी गांड सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को गाय के थन जैसे दुह रहे थे.
चाचाजी हंस कर बोले "हो गया काम तमाम? बेटे, चल निकाल ले जल्दी दे, झड़ मत अंदर"
kramashah...............
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मैं, लीना और चाचा-चाची--5
gataank se aage............
चाचाजी अपने लंड पर मख्खन रगड़कर तैयार हुए तो लीना ने मुझे ओंधा पलंग पर पटक दिया. मेरा सिर उठाकर चाची की छाती पर रख दिया. "चाची, आप इसको अपनी चूंची चुसवा दो, याने मुंह बंद रहेगा इसका. चलो चाचाजी, डाल दो मेरे सैंया की गांड में अपना ये मूसल"
चाचाजी मेरे पीछे बैठकर अपना सुपाड़ा मेरे गुदा में पेलने लगे. मैंने गुदा ढीला छोड़ा तो जरा सा अंदर ढंस गया. "ऐसे ही बेटे, ढीला छोड़ तो अभी डालता हूं"
सुपाड़े से मुझको दर्द हो रहा था तो मैंने थोड़ा ’आह’ ’उफ़’ किया. चाची ने अपनी चूंची मेरे मुंह में ठूंस दी और बोली "डालो जी, अब ये चुप रहेगा"
चाचाजी ने जोर लगाकर सुपाड़ा मेरे छल्ले के पार कर दिया, मैं गों गों करने लगा. लीना चहक उठी "ये हुई ना बात, अब देखो कैसे तड़प रहा है, जब इसके उस दोस्त ने मेरी मारी थी तो मुझे भी दुखा था, तब ये हंस रहा था."
चाचाजी ने लंड पेल कर तीन चार इंच अंदर कर दिया. मैं सिर उठाने की कोशिश करने लगा, पर चाचीजी ने कस के उसे दबाये रखा.
"तेरी कसम बहू, बड़ी टाइट गांड है लौंडे की. अच्छा लग रहा है बेटे?"
लीना तुनक कर बोली "चाचाजी, उससे ने पूछो, मैं कह रही हूं कि बहुत मस्ती में है अनिल. आप तो पूरा डाल दो"
चाचाजी ने जोर लगाकर पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया. मैं हाथ पैर मारने लगा तो लीना मेरे हाथों पर बैठ गयी और चाचीने मेरी कमर कस के पकड़ ली. "मारो जी मारो, अभी मस्ती से गुटर गुटर करने लगेगा कबूतर जैसे"
चाचाजी लंड अंदर बाहर करने लगे. मुझे अब मजा आ रहा था. दर्द के साथ गांड में मस्त गुदगुदी हो रही थी. मैं कमर हिलाने लगा तो चाची बोलीं "बस बेटी, छोड़ दे, अब तो खुद मरवायेगा ये रंडी जैसा" मेरे मुंह से चूंची भी निकाल ली.
मैं ’आह’ ’ओह’ ’हां चाचाजी’ करने लगा. चाचाजी धीरे धीरे लंड पेलते हुए बोले "मजा आया बेटे"
"हां चाचाजी .... बहुत मस्त है आप का .... मारिये ना ... दर्द भी हो रहा है ... ये मार डालेगा मुझ को .... पर अच्छा लग रहा है चाचाजी ... हां ... आह ... और चाचाजी ... और ..." मैं बोला.
"ये बात हुई ना, ये लो बेटे" कहकर चाचाजी जोर से लंड पेलने लगे. लीना से बोले "वाकई मस्त टाइट गांड है तेरे पति की, बहुत शुक्रिया बेटी, तेरी वजह से मुझे ये गांड मिली"
"बदले में भी कुछ लूंगी चाचाजी" लीना बोली.
चाचाजी मस्ती में थे, झट से गले से चार तोले की सोने की चेन निकाली और दे दी. लीना ने लेकर रख ली और बोली "ये तो ठीक है चाचाजी, पर अब आज रात मुझे पूरा चोदना पड़ेगा, बस आप और मैं, एक मिनिट को नहीं छोड़ूंगी मैं आप को, और जो कहूंगी करना पड़ेगा"
चाचाजी हचक हचक कर मेरी गांड चोदते हुए बोली "तू जो कहेगी बेटी वो करूंगा"
"अब आप ऐसा करो को अनिल पर लेट जाओ और उसको बाहों में ले लो, ऐसे दूर से बैठे बैठे क्या मार रहे हो, आखिर आप का सगा भतीजा है, प्यार से बदन सटाकर मारो, चुम्मे ले लेकर मारो" लीना बोली.
चाचाजी को बात जच गयी, वे मेरे ऊपर लेट गये और अपने हाथों और पैरों से मेरे बदन को लपेट कर मेरी गर्दन चूमते हुए मेरी मारने लगे. फ़िर मेरा सिर घुमाकर मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. मैंने भी अपनी जीभ उनको दे दी चूसने को.
उधर चाची और लीना गरम होकर एक दूसरे की बुर चूसने लगीं. बुर चूसते हुए वे हमें देखती जातीं.
"बेटी देख ... वो अनिल की गांड कैसी चौड़ी होती है जब ये लंड बाहर खींचते हैं ... देखा ... ऐसा लगता जैसे अब फ़टी अब फ़टी"
"हां चाची ... पर मजबूत गांड है मेरे अनिल की, चाचाजी के लंड को आराम से खा लेगी. अनिल राजा .... मजा आ रहा है?"
मैं बोला "हां रानी ... बहुत मजा आ ... रहा है ... पेट तक जाता है लंड .... चाचाजी का .... जवाब नहीं ... और पेलिये चाचाजी .... कस के ... हां चाचाजी .... हां .... बहुत मस्त चाचाजी .... ओह ... ओह ... अब समझा लीना .... क्यों दीवानी है ... आपके लंड की .... चोद डालिये चाचाजी .... चोद डालिये मुझे .... आप का ही भतीजा हूं ... आप क्या प्यारा हूं चाचाजी .... मारिये चाचाजी .... चोदिये और ... आह ... ओह..."
"हां बेटे ... साले मादरचोद गांडू ... बहुत प्यारा है तू ... मुझे लगा था कि ... बस तेरी बहू ऐसी .... छिनाल है .... तू भी कम चोदू .... नहीं है ... साली क्या गांड पायी है .... लंड को ऐसे पकड़ रही है .... आह ... आह .... मजा आ गया मेरे बच्चे ... साले फ़ाड़ दूंगा आज तेरी चोद चोद के ... चौड़ा भोसड़ा बना दूंगा .... एकदम फ़ुकला कर दूंगा ... तेरी गांड की बुर बना दूंगा ... रंडी की बुर जैसी चौड़ी कर दूंगा ....आह ... ओह ..." और चाचाजी झड़ गये. जब वे हांफ़ते हांफ़ते मेरी पीठ पर लस्त पड़े थे तो मैं सिर घुमाकर उनके होंठ चूसने लगा. बड़ा मजा आ रहा था, अच्छा लग रहा था कि चाचाजी को मैंने इतना सुख दिया.
चुम्मा तोड़ के मैंने पूछा "कैसी लगी मेरी गांड चाचाजी? आप को सुख दिया कि नहीं इसने"
"तू तो मेरा जानेमन है, अनिल, मेरा प्यारा है .... मां कसम .... क्या लुत्फ़ आया तेरी गांड मारने में .... मैं निहाल हो गया मेरे बच्चे" चाचाजी जोर जोर से सांस लेते हुए बोले. मेरा लंड भी कस कर तन्ना गया था.
"अब इसका क्या करें" लीना ने मेरा मचलता लंड पकड़कर कहा.
चाची बोलीं "मैं तो अभी चूस लूं पर ये काम इनका है, क्योंजी, आप के भतीजे ने आप को इतना सुख दिया, उसका लंड नहीं चूसोगे.
"अभी चूस देता हूं मेरी जान, मैं तो खुद कहने वाला था." चाचाजी बोले.
"बाद में चूस लेना चाचाजी, अब आप की और आप के भतीजे की प्यार मुहब्बत शुरू हो ही गयी है तो ऐसा करते हैं कि अब मैं चाची को अपने कमरे में ले जाती हूं, देखती हूं कि आखिर इनकी बुर कितना पानी छोड़ती है दो घंटे में. और आप और अनिल मिल कर घंटे दो घंटे भर मस्ती कर लो" लीना बोली.
चाची को बात जच गयी. वे उठकर लीना के साथ चल दीं. मुड़ कर बोलीं "जरा अच्छे से प्यार करना मेरे बच्चे से, नहीं तो बस खुद चढ़े रहोगे और उसको कुछ नहीं करने दोगे"
"नहीं नहीं भाग्यवान, मैं अनिल का पूरा ध्यान रखूंगा" मेरे लंड को चूमते हुए चाचाजी बोले.
चाची और लीना जाने के बाद चाचाजी मुझसे चिपट कर मेरे चुम्मे लेने लगे. "यार अनिल, तू तो छुपा रुस्तम निकला, क्या गांड पायी है तूने, मां कसम, मैंने कई गांडें मारी हैं पर तेरे जैसी नहीं थी"
मैंने भी चाचाजी का लंड पकड़कर कहा "चाचाजी, आप को सच बताऊं, मैंने भी गांड मराई है, ज्यादा नहीं, दो तीन बार, जब मैं अपने दोस्तों के साथ होता हूं तो लीना बहक जाती है, जब वो दोस्त की बीवी के साथ इश्क करती है, तो मुझे बोलती है कि तुम लोग भी ऐसे ही मस्ती करके दिखाओ. अधिकतर हम लंड चूस कर काम चला लते हैं पर कभी कभी लीना मचल जाती है, बोलती है कि चलो एक दूसरे की गांड मारो, तब करना पड़ता है. बाद में मुझे मजा आने लगा पर फ़िर भी मैं नहीं मरवाता था, लीना हठ करे तो ही मरवाता था. पर आपला लंड देखा तब से गांड बहुत मचल रही थी, आज सुकून मिला"
"फ़िकर मत कर राजा, आज इतनी मारूंगा तेरी कि तेरी गांड को पूरा खुश कर दूंगा" कहकर चाचाजी मेरी जीभ चूसने लगे. चूमाचाटी से उनका फ़िर से खड़ा होने लगा. मेरे लंड को पकड़कर बोले "यार बहुत रसीला लगता है, चूसने का मन होता है"
"चूस लीजिये चाचाजी, आप का ही है पर ... आप ... याने बुरा मत मानें तो ... मैं आपकी गांड मारूं? बहुत जम के खड़ा है, आप अगली बार चूस लेना"
"मार ले मेरे बच्चे मार ले पर तुझे मजा आयेगा? तू लीना जैसी मस्त मुलायम गांडें मारता है तो मेरी तो जरा कड़क लगेगी तुझे"
"तभी तो मारनी है चाचाजी, आप के चूतड़ क्या कसे हुए हैं, कसरत से एकदम सख्त हो गये हैं, बहुत मन होता है मेरा"
"तो मार ले मेरी जान, पर झड़ना नहीं, मुझे स्वाद लेना है तेरी मलाई का" कहकर चाचाजी लेट गये. मैंने उनकी गांड को सहलाया, वाकई सख्त और मांस पेशियों से भरी हुई थी. मैंने मसला और दबाया और फ़िर जीभ से चाटा. चाचाजी कमर हिलाने लगे "अरे मेरे राजा .... मजा आ गया रे ... तेरी जीभ तो जादू करती है जादू ... चाट ना"
मैं जीभ रगड़ रगड़कर चाचाजी की गांड चाटने लगा. फ़िर जीभ की नोक लगा कर उनके छेद को गुदगुदाया. चाचाजी मस्ती से ऊपर नीचे होने लगा. मैंने मख्खन उंगली में लिया और चाचाजी की गांड में घुसेड़ दी. गांद एकदम टाइट थी.
"चाचाजी, ये तो टाइट है बहुत ... एक बात पूछूं चाचाजी .... आप ने मरायी है क्या कभी?" मैंने पूछा.
"नहीं बेटे, आज पहली बार है, वैसे गांड मारी है एक दो लौंडों की .... तेरी चाची जब मैके गयी थी तब गांव के एक लौंडे को पकड़ लिया था ... किसी औरत को पकड़ता तो तमाशा हो जाता ... बड़े प्यार से मरवाता था वो छोकरा .... पर साला बाद में गांव छोड़ के शहर चला गया पढ़ने ... उसके बाद नहीं मारी, तेरी चाची ही मरवाने को मान गयी.....मैके जाना भी बंद कर दिया .....तू मार ना ... तेरी जीभ ने बहुत मस्त किया है मेरी गांड को .... अब चोद डाल"
मैंने चाचाजी की गांड में और मख्खन लगाया और फ़िर अपना लंड डाल दिया. लंड का सुपाड़ा जाते ही चाचाजी "हां अनिल .... डाल बेटे .... पूरा डाल दे" करने लगे.
चाचाजी का गांड मस्त टाइट थी, शायद सच में पहली बार मरा रहे थे. पर मूड में थे इसलिये अपनी गांड ढीली कर कर के उन्होंने पूरा ले लिया.
"आ जा बेटे, चढ़ जा मुझ पे, ... आ और पास आ" चाचाजी बोले. मैं चाचाजी पर सो गया और अपने पैर और हाथ उनके बदन के इर्द गिर्द लपेट कर उनकी गांड मारने लगा.
"आहा .... बहुत अच्छे मेरे बेटे ... मजा आ रहा है रे ... साले गांडू छोकरे क्यों मराते हैं ... अब समझ में आ रहा है ... झड़ तो नहीं रहा है ना?"
"अभी नहीं चाचाजी .... अभी तो मस्त खड़ा है ... आप की गांड बहुत टाइट है चाचाजी ... कस के प्यार से पकड़े हुए है मेरा लौड़ा ... अरे ये क्या ... कर रहे हैं .... चाचाजी ... मैं ... मैं झड़ जाऊंगा ...." मैं मस्ती से चिल्लाया. अब चाचाजी अपनी गांड सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को गाय के थन जैसे दुह रहे थे.
चाचाजी हंस कर बोले "हो गया काम तमाम? बेटे, चल निकाल ले जल्दी दे, झड़ मत अंदर"
kramashah...............
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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