FUN-MAZA-MASTI
उकसाकर यूँ ना लो मेरी जान . .! !
नमस्कार दोस्तों,
आखिर किसी ना किसी बहाने मैंने अपनी पड़ोसन रंजीता की आह्ह भी सुनी ही ली | दोस्तों रंजीता कोई मामूली लड़की नहीं थी वो एक अच्छी – खासी कंपनी में काम का रही थी और मना की मई उसकी जिस्म का बहुत बड़ा दीवाना था पर उसकी चुत कोई मंदिर का घंटा भी ना थी | दोस्तों, वो मेरी हवसी कई सालों पेहले पहचान चुकी थी पर जानबूझ कर मुझे तरसाती हुई जब भी अपने घर के बहार निकलती तो झाड़ू लगा रही होती थी जा कभी बोछा जिसे कभी मुझे उसकी मोटी बनती हुई गांड यह मोटे तरबूज जैसे चुचे दिखा जा या करते | मैं उन्हें देखकर ही अपने लंड को मसल तडपता ही रे जाया करता और रोज उप्पर वाले से प्रर्थन करता की कबी इसके बदन पर सवार होने का एक मौका मुझे भी दे |
ऊपर वाले ने मेरी सुनी ली भले ही कुछ देरी से पर मज़े एँ किसी भी उम्मीद की कमी ना थी | दोस्तों ऐसे तो वो मुझे जब भी दिखती पीछे पलट जाया करती और अपनी गांड को दिखाकर उठक – बैठक सी मारा करती जिस वक्त मुझे ऐसा लगता की काश मेरा लंड उसकी गांड के नीचे होता | एक दिन जब मैं मुठ मारता – मारता थक चूका था तो घर के बहरा बैठा ही उसका इन्तेज़ार करने लगा | वो आज भी झाड़ू लगाने के काम से आयो और उसने मैक्सी पहनी हुई थी | उसने मुझे जैसे ही देखा तो मैक्सी को नीचे को सरका लिया जिससे उसके चुचे फिर मुझे गरम कर रहे थे और पीछे को मुड गयी जिससे गांड तो यारो क्या लाजवाब लग रही थी |
उस वक्त कोई मुझे गोली भी मारने वाला होता तो मैं शायद ना रूकता और मैं उठकर पीछे से उससे लिपट गया और उसकी गाडं पर अपने लंड का जोर आजमाते हुए उसके चुचों को आगे से मसलने लगा | वो मेरी धासू प्रतिक्रिया पर मुझे कुछ ना बोली और जब कुछ देर बाद मैंने उसकी शक्ल पर ध्यान दिया तो वो धीमे – धीमे मुस्कान दे रही थी और कहने लगी, मेरे राजा कितनी देर लगा दि मेरी उकार सुनने में . ..और आज हिममत आई है तो बस रुकना मत . . | मैं अब बस सर पर चड चूका था गौरं उसके झाड़ू को गिराकर वहीँ पीछे सीडियों पर ले गया | मैंने वहाँ पहले कई देर उसकी मैक्सी को निकल चुचों को चूसा फिर उसकी पैंटी को भी नीचे खींच दिया |
मैं पहले उसकी एक टांग को उप्पर वाली एक सीडी परा रखा और कुछ पल उसकी चुत पर अपनी जांघ को रगड़ते हुए उसकी चुत को अपने लंड को निकाल ज़बरदस्त तरीके से चोदने लगा | मैं बस अन्धादुन्ध उसकी चुत मारे जा रहा जिसपर वो मेरे राजा .. आह्हहः हह्ह्ह्ह्ह हहह्हहः करके चिल्ला रही थी | मैंने करीब क्चुह देर झड गया तो उसकी चुत में ऊँगली करते हुए वहीँ झुका दिया जैसे की वो झाड़ू लगाते वक्त झुका करती थी | अब मैंने पीछे से उसकी गांड में अपने लंड को धकेलने लगा जिसपर उसे और ज्यादा दर्द हो रहा था पर मैं रुकने का नाम नहीं ले रहा था और बस उसकी गांड को छोड़ते हुए मैंने चीर दिया जब तक की उसकी चुत का पानी भी ना बह गया | उस दिन के बाद से मैंने उसकी गांड कभी अपने घर पर नहीं तो हर बार वहीँ सीडियों पर मारी |
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मैं पहले उसकी एक टांग को उप्पर वाली एक सीडी परा रखा और कुछ पल उसकी चुत पर अपनी जांघ को रगड़ते हुए उसकी चुत को अपने लंड को निकाल ज़बरदस्त तरीके से चोदने लगा | मैं बस अन्धादुन्ध उसकी चुत मारे जा रहा जिसपर वो मेरे राजा .. आह्हहः हह्ह्ह्ह्ह हहह्हहः करके चिल्ला रही थी | मैंने करीब क्चुह देर झड गया तो उसकी चुत में ऊँगली करते हुए वहीँ झुका दिया जैसे की वो झाड़ू लगाते वक्त झुका करती थी | अब मैंने पीछे से उसकी गांड में अपने लंड को धकेलने लगा जिसपर उसे और ज्यादा दर्द हो रहा था पर मैं रुकने का नाम नहीं ले रहा था और बस उसकी गांड को छोड़ते हुए मैंने चीर दिया जब तक की उसकी चुत का पानी भी ना बह गया | उस दिन के बाद से मैंने उसकी गांड कभी अपने घर पर नहीं तो हर बार वहीँ सीडियों पर मारी |
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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