FUN-MAZA-MASTI
भाभी ने कहा अच्छा तो तू बड़ा सयाना बनता है रे ? तूने ही अपनी माँ का दूध पिया है क्या ? अगर तू मेरी चूत में लगाएगा रंग तो मैं भी तेरे लण्ड को रंग दूँगी . तेरे पेल्हड़ रंग दूँगी . तेरी गांड में घुसेड दूँगी रंग . तुझे नंगा करके और तेरे सारे बदन पे रंग लगाकर ही भेजूंगी यहाँ से ? मैं तेरे इस मादर चोद लण्ड से डरती नहीं हूँ . मैं पहले भी कई लण्ड रंग चुकी हूँ .ऐसा रंग लगाऊंगी तेरे लण्ड में की तू महीनो अपना लण्ड ही धोता रहेगा .
मैंने मन में सोचा बड़ी जबरदस्त है मेरी भाभी इसे चोदने में तो वाकई बड़ा मज़ा आएगा .
बस मेरा मन गुनगुनाने लगा :-
चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में .
भाभी की बुर होली में, मेरा लौड़ा होली में .
लौड़ा चूसो होली में, चूत चुदाओ होली में.
चूंची मसलों होली में, लौडा पेलो होली में .
इतने में मैंने देखा की भाभी ने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया . अब घर में केवल मैं और भाभी . मेरी नीयत तो भाभी पर पहले ही खराब हो चुकी थी . मेरा लण्ड पैजामा के नीचे गुलाचे मार रहा था . मैंने कहा भाभी मैं तुम्हे एक कविता सुनाता हूँ . मैंने यही कविता भाभी को सुना दी तो वह बोली मैं इसमें कुछ और जोड़ देती हू
. चूंची चूसो होली में, लण्ड हिलाओ होली में
झांट बनाओ होली में, चूंची चोदो होली में
भाभी के मुह से यह सुन कर तो मेरा लण्ड आपे से बाहर हो गया . भाभी जैसे ही मेरे पास आयी मैं उसके चेहरे पर रंग लगाना चाहता था . मैंने हाथ बढाया तो उसने हाथ रोक लिया . मैंने कहा भाभी ये क्या ? बभी ने कहा अबे भोषड़ी के मादर चोद अगर मुझे मुह में रंग लगवाना होता तो मैं दरवाजा क्यों बंद करती ? मुझे अपनी चूत में रंग लगवाना है . अपनी चूंचियों में रंग लगवाना है . चल लगा पहले मेरी चूंचियों पर रंग . भाभी मेरे सामने खड़ी हो गयी . मेरा हाथ ही नहीं बढ़ रहा था . तब भाभी बोली अरे क्या हुआ रे क्या तेरी गांड फट रही है . चल खोल न मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरी ब्रा . फिर बाद में जो कुछ फाड़ना हो फाड़ते रहना . मैंने उसका ब्लाउज खोला . और फिर ब्रा खोल दी . उसकी नंगी चूंचियां दखी तो मेरे तन बदन में आग लग गयी . मैं पहली बार किसी औरत की नंगी चूंचियां देख रहा था .
मैंने हाथ बढाया और चूंचियां मसलने लगा . चूमने लगा चूसने लगा चूंचियां . मैं मस्त होने लगा . मैंने थोडा रंग लगाया और फिर खूब सहलाया चूंची . उसके बाद मैंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया . भाभी बिलकुल नंगी हो गयी . उसकी चूत बिना झांट की थी . मेरे तो होश उड़ गए . पहली बार बुर देख रहा था . मैंने हाथ लगाया तो भाभी ने कहा अरे साले पहले रंग लगा .
आज रंग दो मेरी बुर चोदी बुर को .
मैं जब रंग लगाने लगा तो भाभी बोली अबे साले चूत में रंग अपना लौडा खोल कर लगाया जाता है . बस भाभी ने मेरी कमीज फाड़ डाली और मेरा पैजामा खोल दिया . मैं बिलकुल नंगा हो गया . मेरा लण्ड पकड़ लिया भाभी ने . लण्ड साला बढ़ने लगा . जब खूब टन्ना गया तो भाभी बोली हाय दईया कितना बड़ा है तेरा लण्ड ? ये तो भोषड़ी चोदने वाला हो गया है . मोटा भी है रे . इसका सुपाडा एकदम मुर्गी का अंडा लगता है . भाभी ने जैसे ही लण्ड चूमा तो मेरा बदन जलने लगा . उसने मुझे सोफा पर बैठा दिया और नीचे बैठ कर मेरा लण्ड मुह में ले लिया . मेरा लण्ड चूसने लगी भाभी .
दोस्तों, ये है मेरी नेहा भाभी औरमैं हूँ इसका देवर राकी . नेहा भाभी मेरी सगी भाभी नहीं है लेकिन सगी से भी बढ़कर है . मेरे मोहल्ले में रहती है . मुझसे उम्र में २ साल बड़ी है . मैं इनके घर बहुत दिनों से आता जाता था . मैं काफी घुलमिल गया था नेहा भाभी से . उसका सारा काम कर देता था . भाभी किसी भी काम के लिए केवल मुझे ही याद करती थी . हमारी नजदीकियां बढाती गयी . मैं उसकी ओर खिंचता चला गया . मैं जवान हो गया तो भाभी को मन ही मन प्यार करने लगा . चाहने लगा भाभी को . मुझे उसकी उभरी हुई चूंचियां और उभरी हुई गांड बड़ी अच्छी लगती थी . उससे भी ज्यादा अच्छी लगती थी उसकी प्यारी प्यारी बातें . धीरे धीरे भाभी मजाक करने लगी . मैं भी उसी लहजे में जबाब देने लगा . सही बात तो यह है की मेरा लण्ड भाभी के नाम से खड़ा होने लगा . मेरी इच्छा होने लगी की भाभी किसी दिन मेरा लण्ड पकड़ें ? मैं उसकी चूंचियां पकडूँ . लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई . मैं भाभी के नाम का सड़का मारने लगा . उसका नाम ले ले कर मुठ्ठ मारने लगा . मुझे मज़ा आता था . मैं भाभी की चूंचियां देखना चाहता था . भाभी की मैं बुर देखने के लिए मैं तड़प रहा था . मैं भाभी को चोदना चाहता था .
एक दिन किसी काम से भाभी मेरे कमरे पर आ गयी . मैं अकेले ही रहता था . मैंने अपना लैपटाप खोल रखा था . मैं एम् टी वी का वीडियो देख रहा था और उसकी गालियाँ सुन रहा था . मुझे मज़ा आ रहा था . आवाज़ पूरी खोल रखी थी . मैं काम भी करता जा रहा था और गालियाँ भी सुनता जा रहा था . भूल से दरवाजे की सिटकनी खुली रह गयी . अचानक भाभी आ गयी . मैं उस समय बाथ रूम में था . भाभी भी मजे से गालियाँ सुनने लगी . मैं जब बाहर आया तो भाभी को देख कर अवाक रह गया . लैपटाप बंद कर दिया .
मैंने कहा भाभी, आप ? इस समय ? मुझे बुला लिया होता ?
भाभी बोली :- अगर बुला लिया होता तो ये गालियाँ कहाँ सुनने को मिलती ? खोलो खोलो इसे मैं गालियाँ और सुनना चाहती हूँ .
मैंने कहा :- भाभी मुझे क्यों शर्मिंदा कर रही है आप ?
भाभी बोली :- जल्दी खोलो नहीं तो मैं तेरी गांड मारूँगी .
मैंने कहा :- सॉरी भाभी अब आगे से ऐसा नहीं होगा ?
भाभी बोली :- अरे तेरी गांड क्यों फट रही है . अब तू खोल दे नहीं तो मैं भी उसी की तरह तेरी माँ चोदूंगी . भाभी ने यह बात बड़ी सेक्सी अंदाज़ में और आँख मार कर कहा . मेरा लण्ड टन्ना गया . मैंने दरवाजा बंद किया और आवाज़ खोल दी . भाभी ने सारी गालियाँ सुनी और बोली राकी आज से तुम मुझसे गालियों में ही बात करोगे . मैं गालियों में जबाब दिया करूंगी . बड़ा मज़ा आएगा यार ?
यह कह कर भाभी चली गयी . लेकिन मेरा लण्ड खड़ा था और खड़ा ही रह गया .
दो दिन बाद मैं भाभी के घर गया .
भाभी बोली :- आओ भोषड़ी के राकी, कहाँ से गांड मरा के आ रहे हो ?
मैंने कहा :- नहीं भाभी मैं सीधे घर से ही आरह हूँ .
भाभी बोली :- मैंने कुछ सुना नहीं ? पहले गाली दो फिर बात कहो . नहीं तो तेरी मेरी खुट्टी ?
मैंने कहा :- अरे मेरी बुर चोदी भाभी, मैं तो खुद ही किसी की गांड मारने गया था लेकिन उसने उलटे मेरी गांड मार दी .
भाभी बोली :- अबे साले गांडू, तू पहले मुझसे गांड मारना सीख ले . बुर चोदना सीख ले नहीं तो बिना बुर चोदे ही रह जायेगा ज़िन्दगी भर .
मैंने कहा :- भाभी मैं तेरी बुर से ही बुर चोदना सीखूंगा .
भाभी बोली :- अबे माँ के लौड़े, पहले अपना लण्ड तो बुर चोदना वाला बना . मैं बड़े बड़े लण्ड से चुदवाती हूँ किसी छोटे लण्ड से नहीं ?
भाभी ने ऐसा कह कर मेरे सामने अपनी चूंचियां तान कर खड़ी हो गयी . मैंने उसकी चूंचियों पर हाथ रख दिया . सहलाने लगा चूंचियां . भाभी ने मेरे लण्ड पर हाथ मारा . ऊपर से लण्ड दबा कर कहा अरे यार तेरा लौडा तो खड़ा है . इसको बाहर निकालो मैं अभी देखूँगी तेरा लण्ड ? मैं पैंट खोलने ही वाला था की भाभी के मोबाईल की घंटी बज गयी . वह फोन पर बातें करने लगी . कुछ गंभीर मसला था . भाभी ने कहा राकी तुम शाम को आना .मैं अपना मन मसोस कर चला गया . दूसरे दिन अचानक मुझे नौकरी के लिए बहार जाना पड़ा . मैं भाभी से बगैर मिले चला गया और बाद में भाभी को टेलीफोन से बताया . भाभी ने कहा :- राकी तुम्हारे जाने से मुझे बहुत तकलीफ हो गयी है . अब तुम जल्दी ही वापस आ जाओ . मैं तो तेरा लण्ड भी नहीं देख सकी . उस दिन मैं बड़े मूड में थी . मैं तो चूत खोल कर चुदाने वाली थी लेकिन क्या करती मादर चोद फोन आ गया . और मैं उसी में उलझ गयी
.ख़ुशी की बात यह रही की एक साल बाद मेरा ट्रांसफर वापस यही हो गया . मैंने भाभी को बताया तो वह बहुत खुश हो गयी . हम दोनों और नजदीक आ गए . एक हफ्ते बाद होली आ गयी और मैं भाभी के साथ होली खेलने उसके घर आ गया .
तो दोस्तों, मैं सोफा पर बैठे हुए अपना लण्ड भाभी को चूसा रहा था . भाभी की मस्ती बढती जा रही थी . वह मुझे बेड पर ले गयी . मुझे चित लिटा दिया और मेरे मुह पर अपनी चूत रख कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी . खुद झुक कर मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं भी इधर उसकी चूत चाटने लगा . मेरा यह पहला मौका था बुर चाटने का . भाभी तो मेरे लण्ड की निकलती हुई लार बार बार चाट लेती थी .मैं फिर घूम गया और भाभी के ऊपर हो गया . मैंने दोनों हाथों से उसकी टाँगे फैलाई और चूत में मुह घुसेड दिया . उसे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था . इधर मैंने लण्ड पूरा का पूरा उसके मुह में डाल दिया था . मैं धीरे धीरे उसका मुह ही चोदने लगा .
थोड़ी देर में भाभी उठ बैठी और मुझे खड़ा कर दिया . खुद नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी . पेल्हड़ चाटने लगी . जब भाभी एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर लण्ड चूस रही थी तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा . मैंने कहा भाभी अब मैं झड जाऊंगा . भाभी लण्ड मुह से निकाल लो . नहीं तो मैं मुह में ही झड जाऊंगा . भाभी ने इशारा किया झड जाओ कोई बात नहीं . तेरा लण्ड बड़ा मस्त हो गया है . मैं लण्ड पीना नहीं छोडूंगी . थोड़ी देर में मैंने कहा भाभी प्लीज मेरा मुठ्ठ मार दो . तब भाभी ने लण्ड मुह से निकाला और मुठ्ठी से पकड़ कर लगाने लगी दनादन्न सड़का . वह जिस तरह से मुठ्ठ मार रही थी उससे लग रहा था की भाभी कई लण्ड का मुठ्ठ मार चुकी है . मैंने कहा हां भाभी जल्दी जल्दी मारो, और तेज और तेज हां भाभी तेरे हाथ में लण्ड बड़ा मज़ा कर रहा है . ऊई , ओ' ओहो, आ, ऊ , हूँ, आ, आहा ओ हो, उई लो भाभी मैं झड गया . भाभी जबान निकाल कर मेरा लण्ड चाटने लगी
.मैंने कहा लो भाभी, मैं तेरी बुर अभी चोद नहीं पाया ? भाभी बोली ऐसा पहली बार होता ही है . बुर तो दूसरी बार ही लण्ड खड़ा करके चोदी जाती है पगले ? अब नंबर आएगा बुर चोदने का ?
उस दिन मैंने तीन बार चोदा भाभी को . मैंने कहा हां अब आया है मज़ा होली का . होली में लण्ड और चूत दोनों बड़ी मस्ती में होते है .होली में बुर सबको अच्छी लगती है . .
यह सही बात है-- भाभी की बुर होली में
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चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में
भाभी, आज मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा, आज तो मैं तेरे सारे बदन पर रंग लगा कर रहूँगा . चाहे तू मुझसे नाराज़ हो जाये, चाहे मुझे डांटे, चाहे मुझे अपने घर से निकाल दे, लेकिन आज मैं तेरे ब्लाउज के अन्दर हाथ दाल कर तेरी मस्त मस्त और इन बड़ी बड़ी चूंचियों पर रंग जरुर लगाऊंगा . फिर पेटीकोट के अन्दर हाथ घुसेड कर तेरी चूत में रंग लगाऊंगा . आज मैंने ठान लिया है की भाभी की चूत और चूंचियां रंग कर ही आऊँगा .भाभी ने कहा अच्छा तो तू बड़ा सयाना बनता है रे ? तूने ही अपनी माँ का दूध पिया है क्या ? अगर तू मेरी चूत में लगाएगा रंग तो मैं भी तेरे लण्ड को रंग दूँगी . तेरे पेल्हड़ रंग दूँगी . तेरी गांड में घुसेड दूँगी रंग . तुझे नंगा करके और तेरे सारे बदन पे रंग लगाकर ही भेजूंगी यहाँ से ? मैं तेरे इस मादर चोद लण्ड से डरती नहीं हूँ . मैं पहले भी कई लण्ड रंग चुकी हूँ .ऐसा रंग लगाऊंगी तेरे लण्ड में की तू महीनो अपना लण्ड ही धोता रहेगा .
मैंने मन में सोचा बड़ी जबरदस्त है मेरी भाभी इसे चोदने में तो वाकई बड़ा मज़ा आएगा .
बस मेरा मन गुनगुनाने लगा :-
चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में .
भाभी की बुर होली में, मेरा लौड़ा होली में .
लौड़ा चूसो होली में, चूत चुदाओ होली में.
चूंची मसलों होली में, लौडा पेलो होली में .
इतने में मैंने देखा की भाभी ने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया . अब घर में केवल मैं और भाभी . मेरी नीयत तो भाभी पर पहले ही खराब हो चुकी थी . मेरा लण्ड पैजामा के नीचे गुलाचे मार रहा था . मैंने कहा भाभी मैं तुम्हे एक कविता सुनाता हूँ . मैंने यही कविता भाभी को सुना दी तो वह बोली मैं इसमें कुछ और जोड़ देती हू
. चूंची चूसो होली में, लण्ड हिलाओ होली में
झांट बनाओ होली में, चूंची चोदो होली में
भाभी के मुह से यह सुन कर तो मेरा लण्ड आपे से बाहर हो गया . भाभी जैसे ही मेरे पास आयी मैं उसके चेहरे पर रंग लगाना चाहता था . मैंने हाथ बढाया तो उसने हाथ रोक लिया . मैंने कहा भाभी ये क्या ? बभी ने कहा अबे भोषड़ी के मादर चोद अगर मुझे मुह में रंग लगवाना होता तो मैं दरवाजा क्यों बंद करती ? मुझे अपनी चूत में रंग लगवाना है . अपनी चूंचियों में रंग लगवाना है . चल लगा पहले मेरी चूंचियों पर रंग . भाभी मेरे सामने खड़ी हो गयी . मेरा हाथ ही नहीं बढ़ रहा था . तब भाभी बोली अरे क्या हुआ रे क्या तेरी गांड फट रही है . चल खोल न मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरी ब्रा . फिर बाद में जो कुछ फाड़ना हो फाड़ते रहना . मैंने उसका ब्लाउज खोला . और फिर ब्रा खोल दी . उसकी नंगी चूंचियां दखी तो मेरे तन बदन में आग लग गयी . मैं पहली बार किसी औरत की नंगी चूंचियां देख रहा था .
मैंने हाथ बढाया और चूंचियां मसलने लगा . चूमने लगा चूसने लगा चूंचियां . मैं मस्त होने लगा . मैंने थोडा रंग लगाया और फिर खूब सहलाया चूंची . उसके बाद मैंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया . भाभी बिलकुल नंगी हो गयी . उसकी चूत बिना झांट की थी . मेरे तो होश उड़ गए . पहली बार बुर देख रहा था . मैंने हाथ लगाया तो भाभी ने कहा अरे साले पहले रंग लगा .
आज रंग दो मेरी बुर चोदी बुर को .
मैं जब रंग लगाने लगा तो भाभी बोली अबे साले चूत में रंग अपना लौडा खोल कर लगाया जाता है . बस भाभी ने मेरी कमीज फाड़ डाली और मेरा पैजामा खोल दिया . मैं बिलकुल नंगा हो गया . मेरा लण्ड पकड़ लिया भाभी ने . लण्ड साला बढ़ने लगा . जब खूब टन्ना गया तो भाभी बोली हाय दईया कितना बड़ा है तेरा लण्ड ? ये तो भोषड़ी चोदने वाला हो गया है . मोटा भी है रे . इसका सुपाडा एकदम मुर्गी का अंडा लगता है . भाभी ने जैसे ही लण्ड चूमा तो मेरा बदन जलने लगा . उसने मुझे सोफा पर बैठा दिया और नीचे बैठ कर मेरा लण्ड मुह में ले लिया . मेरा लण्ड चूसने लगी भाभी .
दोस्तों, ये है मेरी नेहा भाभी औरमैं हूँ इसका देवर राकी . नेहा भाभी मेरी सगी भाभी नहीं है लेकिन सगी से भी बढ़कर है . मेरे मोहल्ले में रहती है . मुझसे उम्र में २ साल बड़ी है . मैं इनके घर बहुत दिनों से आता जाता था . मैं काफी घुलमिल गया था नेहा भाभी से . उसका सारा काम कर देता था . भाभी किसी भी काम के लिए केवल मुझे ही याद करती थी . हमारी नजदीकियां बढाती गयी . मैं उसकी ओर खिंचता चला गया . मैं जवान हो गया तो भाभी को मन ही मन प्यार करने लगा . चाहने लगा भाभी को . मुझे उसकी उभरी हुई चूंचियां और उभरी हुई गांड बड़ी अच्छी लगती थी . उससे भी ज्यादा अच्छी लगती थी उसकी प्यारी प्यारी बातें . धीरे धीरे भाभी मजाक करने लगी . मैं भी उसी लहजे में जबाब देने लगा . सही बात तो यह है की मेरा लण्ड भाभी के नाम से खड़ा होने लगा . मेरी इच्छा होने लगी की भाभी किसी दिन मेरा लण्ड पकड़ें ? मैं उसकी चूंचियां पकडूँ . लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई . मैं भाभी के नाम का सड़का मारने लगा . उसका नाम ले ले कर मुठ्ठ मारने लगा . मुझे मज़ा आता था . मैं भाभी की चूंचियां देखना चाहता था . भाभी की मैं बुर देखने के लिए मैं तड़प रहा था . मैं भाभी को चोदना चाहता था .
एक दिन किसी काम से भाभी मेरे कमरे पर आ गयी . मैं अकेले ही रहता था . मैंने अपना लैपटाप खोल रखा था . मैं एम् टी वी का वीडियो देख रहा था और उसकी गालियाँ सुन रहा था . मुझे मज़ा आ रहा था . आवाज़ पूरी खोल रखी थी . मैं काम भी करता जा रहा था और गालियाँ भी सुनता जा रहा था . भूल से दरवाजे की सिटकनी खुली रह गयी . अचानक भाभी आ गयी . मैं उस समय बाथ रूम में था . भाभी भी मजे से गालियाँ सुनने लगी . मैं जब बाहर आया तो भाभी को देख कर अवाक रह गया . लैपटाप बंद कर दिया .
मैंने कहा भाभी, आप ? इस समय ? मुझे बुला लिया होता ?
भाभी बोली :- अगर बुला लिया होता तो ये गालियाँ कहाँ सुनने को मिलती ? खोलो खोलो इसे मैं गालियाँ और सुनना चाहती हूँ .
मैंने कहा :- भाभी मुझे क्यों शर्मिंदा कर रही है आप ?
भाभी बोली :- जल्दी खोलो नहीं तो मैं तेरी गांड मारूँगी .
मैंने कहा :- सॉरी भाभी अब आगे से ऐसा नहीं होगा ?
भाभी बोली :- अरे तेरी गांड क्यों फट रही है . अब तू खोल दे नहीं तो मैं भी उसी की तरह तेरी माँ चोदूंगी . भाभी ने यह बात बड़ी सेक्सी अंदाज़ में और आँख मार कर कहा . मेरा लण्ड टन्ना गया . मैंने दरवाजा बंद किया और आवाज़ खोल दी . भाभी ने सारी गालियाँ सुनी और बोली राकी आज से तुम मुझसे गालियों में ही बात करोगे . मैं गालियों में जबाब दिया करूंगी . बड़ा मज़ा आएगा यार ?
यह कह कर भाभी चली गयी . लेकिन मेरा लण्ड खड़ा था और खड़ा ही रह गया .
दो दिन बाद मैं भाभी के घर गया .
भाभी बोली :- आओ भोषड़ी के राकी, कहाँ से गांड मरा के आ रहे हो ?
मैंने कहा :- नहीं भाभी मैं सीधे घर से ही आरह हूँ .
भाभी बोली :- मैंने कुछ सुना नहीं ? पहले गाली दो फिर बात कहो . नहीं तो तेरी मेरी खुट्टी ?
मैंने कहा :- अरे मेरी बुर चोदी भाभी, मैं तो खुद ही किसी की गांड मारने गया था लेकिन उसने उलटे मेरी गांड मार दी .
भाभी बोली :- अबे साले गांडू, तू पहले मुझसे गांड मारना सीख ले . बुर चोदना सीख ले नहीं तो बिना बुर चोदे ही रह जायेगा ज़िन्दगी भर .
मैंने कहा :- भाभी मैं तेरी बुर से ही बुर चोदना सीखूंगा .
भाभी बोली :- अबे माँ के लौड़े, पहले अपना लण्ड तो बुर चोदना वाला बना . मैं बड़े बड़े लण्ड से चुदवाती हूँ किसी छोटे लण्ड से नहीं ?
भाभी ने ऐसा कह कर मेरे सामने अपनी चूंचियां तान कर खड़ी हो गयी . मैंने उसकी चूंचियों पर हाथ रख दिया . सहलाने लगा चूंचियां . भाभी ने मेरे लण्ड पर हाथ मारा . ऊपर से लण्ड दबा कर कहा अरे यार तेरा लौडा तो खड़ा है . इसको बाहर निकालो मैं अभी देखूँगी तेरा लण्ड ? मैं पैंट खोलने ही वाला था की भाभी के मोबाईल की घंटी बज गयी . वह फोन पर बातें करने लगी . कुछ गंभीर मसला था . भाभी ने कहा राकी तुम शाम को आना .मैं अपना मन मसोस कर चला गया . दूसरे दिन अचानक मुझे नौकरी के लिए बहार जाना पड़ा . मैं भाभी से बगैर मिले चला गया और बाद में भाभी को टेलीफोन से बताया . भाभी ने कहा :- राकी तुम्हारे जाने से मुझे बहुत तकलीफ हो गयी है . अब तुम जल्दी ही वापस आ जाओ . मैं तो तेरा लण्ड भी नहीं देख सकी . उस दिन मैं बड़े मूड में थी . मैं तो चूत खोल कर चुदाने वाली थी लेकिन क्या करती मादर चोद फोन आ गया . और मैं उसी में उलझ गयी
.ख़ुशी की बात यह रही की एक साल बाद मेरा ट्रांसफर वापस यही हो गया . मैंने भाभी को बताया तो वह बहुत खुश हो गयी . हम दोनों और नजदीक आ गए . एक हफ्ते बाद होली आ गयी और मैं भाभी के साथ होली खेलने उसके घर आ गया .
तो दोस्तों, मैं सोफा पर बैठे हुए अपना लण्ड भाभी को चूसा रहा था . भाभी की मस्ती बढती जा रही थी . वह मुझे बेड पर ले गयी . मुझे चित लिटा दिया और मेरे मुह पर अपनी चूत रख कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी . खुद झुक कर मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं भी इधर उसकी चूत चाटने लगा . मेरा यह पहला मौका था बुर चाटने का . भाभी तो मेरे लण्ड की निकलती हुई लार बार बार चाट लेती थी .मैं फिर घूम गया और भाभी के ऊपर हो गया . मैंने दोनों हाथों से उसकी टाँगे फैलाई और चूत में मुह घुसेड दिया . उसे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था . इधर मैंने लण्ड पूरा का पूरा उसके मुह में डाल दिया था . मैं धीरे धीरे उसका मुह ही चोदने लगा .
थोड़ी देर में भाभी उठ बैठी और मुझे खड़ा कर दिया . खुद नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी . पेल्हड़ चाटने लगी . जब भाभी एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर लण्ड चूस रही थी तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा . मैंने कहा भाभी अब मैं झड जाऊंगा . भाभी लण्ड मुह से निकाल लो . नहीं तो मैं मुह में ही झड जाऊंगा . भाभी ने इशारा किया झड जाओ कोई बात नहीं . तेरा लण्ड बड़ा मस्त हो गया है . मैं लण्ड पीना नहीं छोडूंगी . थोड़ी देर में मैंने कहा भाभी प्लीज मेरा मुठ्ठ मार दो . तब भाभी ने लण्ड मुह से निकाला और मुठ्ठी से पकड़ कर लगाने लगी दनादन्न सड़का . वह जिस तरह से मुठ्ठ मार रही थी उससे लग रहा था की भाभी कई लण्ड का मुठ्ठ मार चुकी है . मैंने कहा हां भाभी जल्दी जल्दी मारो, और तेज और तेज हां भाभी तेरे हाथ में लण्ड बड़ा मज़ा कर रहा है . ऊई , ओ' ओहो, आ, ऊ , हूँ, आ, आहा ओ हो, उई लो भाभी मैं झड गया . भाभी जबान निकाल कर मेरा लण्ड चाटने लगी
.मैंने कहा लो भाभी, मैं तेरी बुर अभी चोद नहीं पाया ? भाभी बोली ऐसा पहली बार होता ही है . बुर तो दूसरी बार ही लण्ड खड़ा करके चोदी जाती है पगले ? अब नंबर आएगा बुर चोदने का ?
उस दिन मैंने तीन बार चोदा भाभी को . मैंने कहा हां अब आया है मज़ा होली का . होली में लण्ड और चूत दोनों बड़ी मस्ती में होते है .होली में बुर सबको अच्छी लगती है . .
यह सही बात है-- भाभी की बुर होली में
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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