Sunday, April 6, 2014

FUN-MAZA-MASTI बुरी नज़र

FUN-MAZA-MASTI
 बुरी नज़र
हाई दोस्तों,
यह कहानी मेरी उस लड़की के साथ की है जिसका नाम प्रिया है और वो हमारे ही घर के एक कमरे में किराये पर रहने के लिए अपने माता – पिता के साथ आई हुई थी | मेरी नज़र कभी उसपर दूसरी तरीके से पड़ी ही नहीं थी, मैं तह हमेशा अपने काम से काम रखता पर जब मेरी पहली बार उसके कमरे में नज़र पड़ी तह मेरा रोम – रोम खड़ा रह गया | प्रिया अपने बिस्तर पर रात के हलके – फुल्के कपड़ों में झुककर बैठी हुई थी जिसमें से उसकी पुरे संतरे जैसे गोरे – गोरे चुचे दिखाई दे रहे थे बस उसके चुचक उसके कपड़े में सटे होने के कारण दिखाई नहीं दिए | मेरा तो जैसे मुंह ही खुला रह गया था तभी प्रिया ने एक – दम से मुझे देखा और डर कर सीधा होकर मुंह मुड़ा लिया | मेरे तो मन कर रहा था उसके चुचे निकालकर पी जाऊं | छोटी सी स्कर्ट होने की वजह से उसके कमर एवं जांघो साफ़ दिख रही थी | मैं उस वक्त अपने अरमानों कैसे रोक पाया यह तो बस मैं ही जानता था |
अब जब भी ही मुझे अकेले मौका मिलता तो हम बात कर लिया करते | एक दिन मैंने उससे पूछा,
मैं – क्या तुम्हारा कोई प्रेमी है . .?
प्रिया – ह्म्म्म . .. नहीं तो . . .पर क्यूँ . . ?
मैं – बस ऐसे ही . . . शायद मुझे तुमसे प्यार हो गया है . . ! !
तभी प्रिया पहले तो घबराई पर कुछ देर बाद वह मुस्कुराते हुए वहां से चली गई | मुझे अपना काम होता दिखाई दे रहा था | अब हम दोनों एक दूसरे को चोरी छिप्पे देखते थे | एक दिन मैं उसका अकेले मैं उसका हाथ पकड़ रोक लिया और अपना जवाब माँगा जिसपर प्रिया ने शरमाते हुए हामी भर दी | मैंने पहले उसके हाथों को चूमा फिर उसके होठों को भी चूम लिया | अब जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं प्रिया को अकेले में अपने से जकड लेता और कभी – कभी उसे सहलाते उसके छोटे – छोटे गोरे चुचों को दबा देता |
हम दोनों को प्रेम – संभंध में करीब कई सप्ताह बीत चुके थे और मेरी बेचैनी की काफी बढ़ चुकी थी | एक दिन प्रिया के माता – पिता किसी मंदिर में पूजा के लिए गए और वहाँ से शाम को वापस लौटने वाले | मेरे पिता रोज की तरह अपने कार्यालय में गए हुए थे और मेरी माँ तो पहले सी गॉंव गयी हुई थी | उस दिन मैं और प्रिया घर में अकेले ही थे |
उस दिन भी प्रिया ने वैसे ही कपड़े पहने थे जिनमें मैं उसे पहली बार देखकर ही मोहित हो गया था | वो आज मुझे कुछ ज्यादा ही हसीन लग रही थी | मैं सीधा उसके कमरे में गया और उसे अपनी बाँहों में भींच लिया | मैंने तभी उसके होठों को चूसते हुए अपने एक हाथ को उसके टॉप पर चुचों के उप्पर रख सहलाने लगा | उसने अपने अंगों के साथ हो रहे खिलवाड़ का मज़ा लेते हुए अपना सर को निचे झुका लिया | मैंने उसे एक झटका देते हुए निचे बिस्तर लिटा दिया और उसके गुलाबी और कोमल होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा | मुझे उसकी तेज चलती हुई गर्म साँसे महसूस हो रही थी |
प्रिया हवस के जोश में मुग्ध हो चुकी थी तभी मैंने उसके टॉप और स्कर्ट को उतार दिया जिससे कुछ ही देर में वो केवल पैंटी और गुलाबी ब्रा में लेटी हुई थी | मैंने धीरे – धीरे उसके ब्रा को भी खोल दिया और उसके चूचकों पर अपनी उँगलियों से सहलाता रहा | अब मैंने अपनी जीभ से उके चूचकों को चाटा फिर मैंने उन्हें अपने मुंह से बारी – बारी पीने लगा और दूसरी ओर से अपने हाथों से उसकी पैंटी के अंदर डाल उसकी चुत पर रगद रहा था | कुछ ही देर बाद मैं उसकी पैंटी को भी खोल दिया | प्रिया अब मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी | मैंने उसके होठों के रस चूसते हुए अपनी ऊँगली उसकी चुत फेरते हुए अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में डालनी शरू कर दी | अब जैसे ही मैंने अपनी उँगलियों की संख्या बढ़ाई, वैसे उसकी चुत ने पानी छोड़ दिया और पूरी चिकनी हो गयी | अब मैंने अपनी जीभ उसकी चुत पर रख चटाने लगा जिससे प्रिया की सिसकियों ने मेरा होंसला ओर बढ़ा दिया |
अबतक हम दोनों चुदम – चुदाई के खेल लिए पूरी तरह तैयार हो चुके थे | मैंने अब आखिरी बार अपनी ३ उँगलियाँ को चौडाते हुए उसकी चुत में बार अंदर – बाहर किया और तभी अपने लंड को उसकी चुत के पास पर टिका दिया | कुछ समय बाद मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया जिससे मेरा लण्ड उसकी चुत में पूरा के पूरा समां गया | प्रिया पहले से ही बेंगन से अपनी चुत के साथ हस्तमैथुन किया करती थी इसी वजह से उसकी चुत की झिल्ली पहले से फटी हुई थी पर मेरे लंड के उसकी चुत में तूफानी आगमन के कारण वो बुरी तरह छींक पड़ी थी | प्रिया की आंखों से आंसू बहने लगे थे तभी मैंने सब छोड़ उसको सहलाने लगा और उसके चुचों को मसलते हुए उसके होठों को चूसने लगा |
जैसे ही प्रिया ने दर्द को भूलाकर हवस के आग में कदम रखा तभी मैंने फिर अपनी उँगलियों को उसी चुत में देना शुरू करा दिया | तभी कुछ देर बाद मैंने अपना लंड फिर से संभाला और उसकी चुत पर टिकाते हुए हल्का – सा धक्का लगाया जिससे मेरा लंड अब फिसलता हुआ पूरा उसकी चुत में प्रवेश कर चूका था | अब मैंने भी धक्का लगना तेज कर दिया था जिससे प्रिया लेटे हुए मेरी कमर को पकड़ लंड को ले रही थी | प्रिया की आँखें बंद हो चुकी थी बस अब वो गर्म साँसें छोड़ती हुई सिसकियाँ भर रही थी | लगभग २५ मिनट तक हमारी चुदम – चुदाई के बाद अब मैं झड़ने वाला था | तभी मैंने अपना लंड निकाला और सारा वीर्य प्रिया के पेट की नाभि के चारों ओर गिरा दिया | मैंने अपना लंड निकाल लिया था पर उसके होठों को चूसते हुए उसकी चुत में हलकी –हलकी उँगलियाँ कर रहा था, जिससे थोड़ी देर में प्रिया ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया जिसे मैंने अपनी जीभ से सारा का सारा चाट लिया | अब हम पूरी रह से थक गए थे सो आखिर में हम एक के उप्पर एक निढाल होकर सो गए |
शाम को ५ बजे हम उठे तो मुझे पता चला की मेरी जांघों में असहनीय दर्द हो रहा था | प्रिया भी अछे से नहीं चल पा रही थी | जैसे – तैसे हम एक सप्ताह में सामान्य स्तिथि में आ गए | हमारे माँ – बाप को हमारे बीच चल रहे शारीरिक सम्बन्ध की कोई खबर नहीं थी | हमें जब भी मौका मिलता तो बेझिजक एक दूसरे से अपनी प्यास बुझा लिया करते |




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