Tuesday, April 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI अब तो लेनी ही पड़ेंगी

FUN-MAZA-MASTI


अब तो लेनी ही पड़ेंगी


वैसे तो वो मेरे चाचा की लड़की हैं लेकिन मैं उसे बचपन से ही सगी बहन की तरह समझता था. और मेरा वो भ्रम शर्दी की एक रात में टूट गया. उस रात उसने मुझ से गांड संभोग और चूस सेक्स करवाया था. विनीता नाम हैं उसका और अभी तो बी.एड. में पढाई कर रही हैं. यह बात तब की हैं जब वो बी.कोम में थी सेकण्ड इयर में और मैंने 12वी की एग्जाम दे रखी थी. विनीता के घर से मेरा घर कुछ दो किलोमीटर दूर था. उस दिन शाम में उसके पास कुछ काम से गया था. मुझे उसे पूछना था की 12वी के बाद अब कहाँ पे दाखिला लूँ. रात होने को थी और विनीता भी घर पे अकेली थी इसलिए उसने मुझे कहा की मैं वही रुक जाऊं कुछ देर के लिए. उसने मेरे सामने मोम को फोन किया और कहा की मैं यही रुकुंगा. अंकल आंटी किसी की बर्थ डे पार्टी में गए थे और उनका रात लेट आना एक्स्पेक्टेड था. विनीता ने मेगी बनाई जिसे खा के हम उसके कमरे में ही बैठे थे. ठंडी की वजह से मुझे नींद आने लगी और मैं कब सो गया मुझे खुद को अंदाजा नहीं रहा. विनीता ने ठंडी से बचने के लिए पाँव पे रजाई डाल रखी थी और रूम के सभी खिड़की दरवाजे भी बंध ही रखे थे.

 

अब मेरी किस्मत में शायद कुछ मस्ती लिखी होंगी तभी मैं सो गया. जब मुझे नींद में लगा की मेरी जांघ के ऊपर कुछ नरम नरम हैं तब मैंने धीरे से अपनी आँख खोली. माय गॉड विनीता मेरे आगे सोई हुई थी. पहले मुझे लगा की शायद वो गलती से इधर सो गई होंगी और यह एकदम सहज बात हैं. और मैंने अपनी आँखों जो थोड़ी सी खुली थी उसे वापस बंध कर दी. लेकिन ये क्या, विनीता तो जैसे की मेरी तरफ अपनी गांड को घिस रही थी. क्या यह मेरा भ्रम था या फिर मैं सपने में था. मैंने सोचा की सो जा बेटे यह तेरा भ्रम मात्र हैं, क्या teri बहन तुझ से गांड संभोग करवाएंगी…! मन में अभी भी कई सवाल गूंज रहे थे की  क्या सच में विनीता मुझ से गांड संभोग करवा सकती हैं? क्या उसकी चूत भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के ली उतावली और तैयार हो सकती हैं…! और मेरी उम्र भी तो कमबख्त ऐसी थी जिसमे पिसलना मुमकिन ही था. 18 के हुए मुझे कुछ हफ्ते बीते थे और बाथरूम में मूठ मार मार के मैं भी हैरान था.
इसलिए मैंने सोचा की अगर वो अपनी गांड अगर घिसती हैं तो घिसने दो, आगे आगे देखते हैं होता हैं क्या. विनीता रुकी नहीं वहाँ पे ही. उसने अपने एक हाथ को धीरे से पीछे खिसकाया और मेरे लंड के पास ला के रख दिया. मैं समझ गया की बहना को चुदवाने का मन हुआ हैं. मैंने अपनी आँखे बंध ही रखी और उसके नखरों को देखने लगा. मैंने देखा की वो धीरे धीरे अपनी गांड को मेरी तरफ खिसका रही थी और उसका हाथ भी अब पीछे बढ़ रहा था. उसने हाथ को अब धीरे से मेरे लंड से घिस के हटा लिया. मैं तो आँखे बंध किये हुए बहन से गांड संभोग करने के लिए कब से रेडी ही था. जैसे ही उसने हाथ को घिसा मेरे बदन से जैसे की करंट पास हो गया. इसके पहले मैंने चूत और गांड संभोग की काफी स्टोरी और वीडियो का अनुभव लिया था लेकिन जिन्दगी में कभी छेद में घुसने का मौका नहीं मिला था. और शायद इसी वजह से मेरी उत्तेजना कुछ ज्यादा ही थी.
विनीता तो धीरे धीरे लंड के आगे बढती ही जा रही थी. और आखिर उसने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया. मैं जैसे कुछ नहीं हुआ हैं वैसे ही आँखे बंध किये हुए लेटा रहा. विनीता ने हाथ को लौड़े पे रखा और वही रहने दिया. उसके छूते ही लंड के अंदर जैसे एक जोश आ गया था और उसकी गर्मी मैं पेंट के अंदर भी महसूस कर सकता था. विनीता ने धीरे से जैसे की लंड को सहला के देखा की मैं सो रहा हूँ या जाग रहा हूँ. मैं हिला नहीं इसलिए उसकी हिम्मत और भी बढ़ गई. उसने लंड को धीरे से दबाया, और उसकी सख्ती उसे जरुर महसूस हुई होंगी.विनीता ने अब धीरे से लंड को सहलाना चालू कर दिया. मैंने मनोमन सोचा की बहना एक बार कह दो की चलो चोद दो मुझे फिर कोई दिन गांड संभोग और चूत चोदन के लिए यह नाटक नहीं करने पड़ेंगे तुम्हे. मैं अभी भी विनीता की एक्टिंग ही देख रहा था.उसने अब अपनी गांड को और पीछे किया, उसके कुल्हें और मेरे लंड के बिच में अब 1 इंच से भी कम स्पेस थी. और उसने एक ही पल में वो स्पेस भी पूरी कर दी. विनीता की गांड के ऊपर मेरा लंड था और वो उसे हलके हलके से घिस रही थी. मुझ से अब जरा भी रहा नहीं जा रहा था.

 

मैंने सोचा की थोड़ी देर बाद करूँ या अभी विनीता की चूत तो लेनी ही हैं. मैंने फट से अपने हाथ को उसकी चुंचियो पे रख के दबा दिया. विनीता कुछ नहीं बोली बल्कि उसने मेरे हाथ को पकड के अपने चुंचो पे जोर से दबा दिया. ठन्डी ठन्डी चुंचियो को छूने से मेरे बदन में जैसे की आग लग रही थी. विनीता ने अब अपने हाथ को मेरे लंड पे घिसना चालू किया. मैंने अपने मुहं को उसके कान के पास ले जाके उसके कान में फुंसफुंसाया, “दीदी इतना नाटक करने की क्या जरुरत थी हमें एक बार कह दिया होता. आप की जो भी दबी हुई चूत चुदाई या गांड संभोग की इच्छाएं थी उसे हम पूरा किये देते.”
विनीता ने मेरे माथे को अपनी तरफ घुमाया और अपने रसिलें होंठो को मेरे होंठो से लगा दिया. मैंने भी उसके होंठो को अपने होंठो के बिच में जोर से दबा दिया. मैं जान गया था की चूत चुदाई और गांड संभोग वाली बात उसे भी बहुत पसंद आई थी. मैंने अपनी पतलून की ज़िप खोली और नन्हे शैतान को बहार निकाल दिया.



मैंने अपने हाथ को विनीता दीदी की बड़ी गांड के ऊपर रख के उसे अपनी और खिंचा. दीदी क्यूंकि अब मेरी तरफ घूमी हुई थी, उसके चुंचे मेरे बदन के साथ टकरा गएँ. मैंने फट से अपने हाथ को उन चुंचो पर दे मारा और जोर जोर से दबाने लगा. दीदी की साँसे फुल गई थी और वो मुझे और भी जोर जोर से चूमने लगी थी. मैंने धीरे से अपनी पेंट की क्लिप खोली और दीदी ने यह देखा. उसने अपने हाथों को आगे बढाया और मेरी पेंट निचे उतार दी. मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था इसलिए मेरा देसी लंड तुरंत बहार आ गया. दीदी ने चुम्मे को छुड़ाया और वो बोली, “तूने कभी सेक्स किया हैं? तुझे पता हैं चूस सेक्स क्या होता हैं?”
मैंने जानबूझ के अनजान बनते हुए ना में सर हलाया. दीदी ने अपने कपड़ों को उतारते हुए कहा, “फिर मैं तुझे आज चूस सेक्स और सेक्स का मतलब समझाती हूँ.” इतना कह के उसने तुरंत अपनी चूत को मेरे सामने खोला और मेरे मुहं को खिंच के उसके चूत के ऊपर सेट कर दिया. मैं समझ गया की चुदाई की प्यासी मेरी दीदी मुझे पहला लेसन चूस सेक्स का ही देना चाहती हैं. मैंने भी अपनी जबान को उसके चूत के ऊपर लगा के हिलाना चालू कर दिया. विनीता दीदी ने मेरे कंधे के ऊपर अपनी एक टांग रख दी जिस से मैं उसकी चूत में चूस सेक्स का और भी अच्छी तरीके से मजा दे सकूँ. मैं समझ गया की दीदी आज जबरदस्त चुदवाने के मुड मैं लग रही हैं इसलिए ही शायद उसने मुझे यही रोक रखा था.
मेरी जबान दीदी के चूत के दाने के ऊपर थी और मैं उसे जोर जोर से रगड़ रहा था. विनीता दीदी ने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत के उपर और भी जोर से दबा दिया. मुझ से साँस भी ली नहीं जा रही थी लेकिन चूस सेक्स के नशे में मैं सबकुछ भूल चूका था. डोबरमेन कुत्ते के जैसे मैं अपनी जबान को बहार निकाल के जोर जोर से चूत को चाटता जा रहा था. विनीता दीदी के मुहं से आह आह ओह ओह की आवाजें निकल रही थी. वो अपनी टांगो को और भी फैला के मुझे अपनी चूत के अंदर घुसने का जैसे की न्योता दे रही थी. भला मैं फिर इस मौके को कैसे छोड़ देता. मैंने भी अपने मुहं को उसकी चूत के अंदर तक डाल के उसे चूस सेक्स का एक अलग ही आयाम दिखा दिया. विनीता दीदी के चूत के ऊपर के हलके हलके बाल मेरी चुसाई को और भी रंगीन बना रहे थे.
अब मुझे भी मन हुआ की दीदी मेरा लंड चूस के दे. मैंने अपने मुहं को विनीता दीदी के मुहं के पास से हटा दिया और मैं उठ खड़ा हुआ. दीदी ने मेरे सामने देख के अपनी आँखे बड़ी कर के कहा, “अरे इतनी जल्दी क्यों छोड़ रहे हो इसे.”
“दीदी आप अकेले ही मजा ले रही मुझे भी कुछ करवाना हैं आप से.” मैंने दीदी को कहा.
दीदी ने कहा, “अरे फिर हम 69 पोजीशन बना लेते हैं. आजा तू मेरी चूत चाट के मुझे चूस सेक्स का मजा दे. और उस वक्त मैं तेरे लंड को अपने मुहं में ले के तुझे मजे देती हूँ.”
और दीदी मुझे निचे लिटा के अपनी चूत को मेरे मुहं के ऊपर सेट करने लगी. उसने सीधे अपनी चूत के छेद को मुहं में डाल दिया. मैंने अब अपने लंड को हिलाना चालू किया. और तभी विनीता दीदी ने बाजी अपने हाथ में ले ली. उसने अपने होंठो को सीधे मेरे लंड के सुपाडे के ऊपर रख दिए. वाऊ क्या जोरदार फिलिंग थी वो. और फिर धीरे से दीदी ने आधे से ज्यादा लौड़े को अपने मुहं में लप से ले लिया. जो मजा आया उसकी तो कोई सीमा ही नहीं थी. दीदी ने मेरे अन्डो को अपने हाथ में लिया और उसे धीरे से दबा दिया. और उसने धीरे से पुरे लंड को अपने मुहं में ले लिया. मैंने दीदी को अपने लंड का मजा और भी जोर से देने के लिए मैंने (दीदी की तरह ही) दीदी के मुहं को अपने लंड के ऊपर दबा दिया. ऐसा करने से मेरा लंड दीदी के गले तक चला गया. लेकिन दीदी भी किसी मंजे हुए बेट्समेन की तरह डटी रही और लंड को मस्त चूस दिया.


मैं अब वापस दीदी की चूत की तरफ बढ़ा और उसके अंदर अपनी जबान को चलाने लगा.दीदी की चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसे अपने गले के निचे उतारता जा रहा था. दीदी भी मेरे सुपाडे को मस्त जबान घुमा घुमा के मजे दे रही थी. दीदी के मुहं से आह आह ओह ओह की आवाजें निकल के मेरे लंड के ऊपर मर रही थी. मेरा लंड अब चुटके छेद को मसलना चाहता था. मैंने दीदी की चूत में आखरी चुम्मा दिया और अपने मुहं को दीदी के छेद से दूर किया. लेकिन दीदी तो अभी भी लंड से लड़ने के अंदाज में ही थी. वो मेरे लंड को मुहं में ऐसे घिस रही थी जैसे दांतों में टूथब्रश लपेड रही हो. और उसने उसे छोड़ा आखिरकार.
मैं अब उसकी टांगों को खोला और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा. विनीता दीदी की चूत चूस सेक्स के बाद मस्त लाल और चिकनी हो चुकी थी. मैंने उसकी चूत को खोला और धीरे से अपने लंड को अंदर डालने की पेरवी करने लगा. दीदी ने अपनी दो ऊँगली से चूत के होंठो को खोला और मेरी मदद करने लगी. चूत के अंदर की लाली लंड को जैसे और भी खड़ा कर रही थी…! मैंने एक झटका लगाया और मेरा लंड आधा दीदी के भोसड़े में खूंप गया. दीदी के मुहं से एक जोर की आह निकल पड़ी….!और उसने मुझे अपने गले से चिपका लिया. दीदी की मस्त बड़ी चुंचिया मेरे बदन से लड़ रही थी जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.
दीदी ने अपने होंठो को मेरे कंधे के ऊपर लगाया और वो वहाँ पे प्यारभरे चुम्मे देने लगी. मैंने विनीता दीदी को जोर से अपने हाथो में दबोचा और लंड को दीदी की चूत के अंदर बहार करने लगा. दीदी की चूत से पानी निकल के मेरे लंड के ऊपर आ रहा था. मैंने भी उसकी गांड के ऊपर अपना हाथ रखे हुए उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बहार करना चालू कर दिया था. विनीता दीदी अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी जिसकी वजह से मेरा लंड और भी मस्ती से चूत के अंदर बहार हो रहा था. विनीता दीदी की चूत जैसे किसी अप्सरा का भोसड़ा था क्यूंकि जितने बड़े उसके चुंचे थे उतनी ही टाईट उसकी चूत थी. पहली नजर में उसके भरे हुए बदन को देख के कोई यही सोचेंगा की उसकी चूत फैली हुई और खुली होंगी लेकिन उसमे लंड डालने के बाद मुझे कुछ और ही अनुभव मिल रहा था. मैंने ऐसे मस्ती से उसकी चूत को 5 मिनिट बजाया और फिर दीदी के कहने पे मैंने चुदाई को रोक के लंड को बहार कर दिया.

 

अब दीदी निचे फर्श में उलटी हो के लेट गई और उसने अपनी गांड को ऊपर उठा लिया. मुझे लगा की दीदी मुझे कह रही हैं की मेरी गांड में दो लेकिन उसका मतलब वो नहीं था. उसने अपने एक हाथ से अपनी चूत को खोला जो अभी मस्त लाल हो चूकी थी. मैं उसके पीछे आ के खड़ा हो गया. मैंने दीदी की चूत में अपना लंड रख दिया और धीरे से झटका दे दिया. एक ही झटके में अब की मेरा लंड अंदर घुस गया. मैंने आह आह कर के दीदी को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया. विनीता दीदी भी अपने कूल्हों को हवा में उछाल उछाल के मुझे मजे दे रही थी. मैं अपने पुरे लौड़े को चूत से बहार निकाल रहा था और फिर एक ही झटके में उसे अंदर डाल रहा था. यह सब कुछ एक हसीन सपने के जैसे हो रहा था जिसकी मैंने जिन्दगी में आजतक कभी उम्मीद नहीं की थी.
तभी दीदी जरा रुकी और उसने अपना मुहं मेरी और किया. और उसके बाद वो जो बोली उसे सुनके तो मुझे और भी मजा आ गया. दीदी ने कहा, “पीछे गांड में लंड डालना चाहोंगे मेरी?”
अब यह तो वही बात हुई की नेकी और पूछ पूछ. मैंने एक ही झटके में अपने लंड को चूत से बहार कर लिया. दीदी ने अपने कूल्हों को एक हाथ से फैला दिया. दीदी का पिछवाडा बहुत ही काला था और दिखने में वो किसी गुफा के बंध छेद के जैसा ही लग रहा था. मैंने हिम्मत कर के उस छेद के ऊपर ढेर सारा थूंक निकाल दिया. दीदी कुछ नहीं बोली यह देख के मैंने थोडा और थूंक भी निकाल दिया. दीदी ने अब मेरे थूंक को छेद के ऊपर मलना चालू कर दिया. मैंने भी दीदी को ऐसा करने में मदद की. फिर मैंने धीरे से अपने कांपते हुए लंड को दीदी की गांड के ऊपर सेट किया. ऊपर से देखने में तो लग रहा था की इस सख्त छेद में लौड़ा जाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं. लेकिन फिर दीदी ने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और मुझे लगा की वही मेरी मदद करेंगी.

गांड में देने की मजा ही कुछ और हैं

दीदी ने थूंक से भीगे छेद के ऊपर लंड को दबाया और मैंने भी ऊपर से थोडा प्रेशर डाला. गांड की गुफा में मुहं में लंड का सुपाड़ा मुझे अंदर जाता हुआ दिखा. और इस गुदा प्रवेश के साथ ही दीदी के मुहं से आह निकल गई. मैंने दीदी के कूल्हों को दोनों साइड से पकड लिया ताकि लौड़ा बहार ना आ सके. दीदी ने लंड को थोडा और दबाया और इस बार आधा लंड अंदर गया और दीदी की सिसकियाँ निकल पड़ी. चूत के छेद के मुकाबले यह छेद बहुत टाईट और गरम था; लेकिन उसमे लंड देने का अपना मजा था.
मैंने एक झटका दिया और दीदी की सांसे ही बंध हो गई जैसे.उसने अपने हाथ को हटा दिया और दोनों हाथो से उसने फर्श को दबा दिया. मैंने एक दो झटका और दिया और दीदी की हलकी हलकी सिसकियाँ रूम में फ़ैल गई. लेकिन इतने दर्द के बाद भी दीदी गांड मरवाने को मना नहीं कर रही थी. वो अपनी गांड को ऊपर से हिला हिला के मुझे उत्तेजना दे रही थी. और भला क्या चाहियें मुझे, मैंने भी गांड को दबा के अपने झटके देना चालू कर दिया. विनीता दीदी की आह आह आह अब दर्द की जगह पे मजे वाली बन गई. मैं अपने झटको को और भी तेज कर रहा था और दीदी भी उतने ही जोर से अपने कूल्हों को मार रही थी. मैंने दीदी के कूल्हों पे एक चमाट लगाई और तभी मुझे लगा की लंड रोने वाला हैं.
अभी यह सोच ही रहा था की मेरे लंड से सफ़ेद मलाई निकल के गांड में गिरने लगी. दीदी ने अपने कूल्हों को दबा के सभी वीर्य को पिछ्वाडे में भर लिया. मैंने गांड से जैसे लंड को निकाला उसके ऊपर वीर्य की बुँदे देखी जा सकती थी. तभी विनीता दीदी ने पाद छोड़ी जिसके साथ कुछ बुँदे वीर्य उसके छेद से बहार आया. मैं वही निचे लेट गया. दीदी भी मेरे पास लेट गई. उसने मुझे कहा की मैं रात में उसके कमरे में ही सो जाऊं. साथ में उसने यह भी कहा की जब अंकल आंटी आयें तो मैं सोने का नाटक करूँ ताकि वो मुझे दुसरे कमरे में ना ले जाएँ. वो पूरी रात मेरे लंड के मजे अपनी चूत और गांड में ले सकें.







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