FUN-MAZA-MASTI
ट्रेन में दोस्ती
|
दीपा सिंह 2008 में ऐसी ही लगती थी |
यह बात जनवरी
2000 कि है जब मैं इंदौर - हाबड़ा [क्षिप्रा एक्सप्रेस] से उज्जैन से
इलाहाबाद जा रहा था , मेरी सीट क्लियर नहीं हुई थी RAC का टिकट मिला था
मेरी ही सीट में आधी सीट इंदौर से इलहाबाद जाने वाली एक मेडम दीपिका सिंह
को भी मिली थी [मैंने उनका नाम रिजर्वेसन चार्ट में देखा था] जब रात में
ट्रेन उज्जैन पहुची तो ओ आराम से सो रही थी मैं उज्जैन में उनकी सीट पर
पाँव के पास बैठ गया तो ओ लेटे -लेटे ही आपत्ति उठाई और बोली ये मेरी सीट
है तो मैने उन्हें बताया कि ये सीट RAC है आधी आपकी और आधी
मेरी सीट है तो मानने को तैयार नहीं हुई तो मैं बोला टीक है आप सो जाए मैं
यही नीचे बैठ कर सफ़र कर लुगा तो ओ बोली कि नहीं आप यहाँ भी नहीं बैठेगे
और कही जाकर बैठिये तो मुझे भी गुस्सा आया और मैंने बोला मेडम जी ये सीट
आधी मेरी है पर मैं आपके लेडीज होने का कारन सम्मान करते हुए जिद नहीं किया
और आप है कि मेरी भावनाओ को नहीं समझ रही है ये तो गलत है , तब आसापास के
कुछ लोग उन्ही मेडम का सपोट करने लगे इतने में ट्रेन चल दिया और ट्रेन के
टी सी आया तो मैंने उन्हें बताया तो टी सी ने समझाया कि आधी आधी सीट में आप
दोनों बैठ कर जाए लेट नहीं सकती तब ओ मेडम अपनी पतली सी साल को समेटा और
बैठ गई मेरी तरफ घूरते हुए | [मेडम कि उचाई करीब 5 फिट 6 इंच के आसपास और
उम्र उस समय 25 वर्ष के आसपास रही होगी मांग में सिंदूर था समझ गया कि
इनकी सादी हो चुकी है गोरा रंग,मांसल शरीर , गोलमटोल सुन्दर सा चेहरा ,
सुन्दर से होठ , सुन्दर सी नाक , माथे पर छोटी से बिंदी गजब कि सुन्दर लग
रही थी ओ,बाए हाथ में पुखराज कि एक अगूठी पहन रखी थी , पर मैं भी कोई कम
नहीं था 35 वर्ष में भी मैं 30 का लग रहा था , मेरी हाइट करीब 6 फिट के
आसपास है मजबूत कद गोरा रंग पर फिर भी मेडम से कम गोरा था मैं] ट्रेन को
चले हुए 20 मिनट हुए होगे मेडम जी बैठे बैठे सोने लगी कुछ देर में नींद
में ही अपने टांगो को फैलाया और करवट लेते हुए सीट पर लेट गई अपने दोनों
टांगो को मेरे पास रखते हुए , उनकी टाँगे खुल गई थोड़ी से गजब कि चिकनी
चिकनी टाँगे थी उनके मैं उनकी टैंगो को देखने लगा तब तक ओ साल से अपनी
टाँगो को ढक लिया और सो गई कुछ देर में मुझे भी नींद आने लगी पर लेटने कि
कोई गुंजाइस नहीं थी इस कारण मैंने सीट के नीचे एक चादर डाला और अपना मोटा
सा कम्बल निकाल लिया और लेट गया और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला जब सुबह 3
बजे पेसाब लगी तो नींद खुली तो देखा कि मेडम जी ठण्ड के मारे कॉप रही थी
अपने घुटनो को मोड़ कर कापते हुए लेटी थी मुझे बहुत दया आई उनके ऊपर तो
मैंने धीरे से अपना कम्बल डाल दिया उनके ऊपर और मैं गेट के पास आकर खाली
जगह पर चादर ओढ़कर बैठ गया और बैठे बैठे सोने लगा कुछ देर में नींद आ गई
मुझे क्योकि मैंने स्वेटर और उसके ऊपर लेदर कि जर्किन डाल रखी थी इस लिए
ज्यादा ठण्ड नहीं लगी मुझे , सुबह 5 बजे मेडम जी वाथरूम के लिए आई और मुझे
इस तरह से बैठे हुए देखा तो बोली ''आप अपनी सीट छोड़कर यहाँ क्यों बैठ गए
'' तो मैंने बोला ''ओ तो आपकी सीट है '' तो ओ कुछ सकुचाई और बोली ''चलिए आप
अपनी सीट पर बैठिये '' तब मैंने बोला ''कोई बात नहीं मैं यहाँ आराम से
बैठा हु आप जाए अभी तो बहुत समय है सो जाइये '' तो ओ बोली नहीं ''आप उठिए
यहाँ से '' तो मैं फिर से मना कर दिया तो ओ जिद करने लगी और मेरा हाथ पकड़
कर उठाने लगी तो मैं उठ गया और सीट में आकर बैठ गया तो ओ मेरे कम्बल को
देखी और बोली ''ये तो आपका है मेरे पास कैसे आ गया '' तो मैंने उन्हें
बताया कि ''आपको जब ठंडी लग रही थी तो उस समय मैंने ही आपके ऊपर ये कम्बल
डाल दिया था '' तो मेरी तरफ बड़े ही प्यार से देखी और बोली ''थैंक्स '' मैं
बोला ''इट्स ओके'' इतना कह कर मैंने उन्हें कम्बल फिर से दिया और बोला ''आप
इसे ओढ़ लीजिये नहीं तो आपको ठंडी लग आयेगी '' तो ओ मेरी तरफ देखी और ले
लिया और आधा कम्बल ओढ़ते हुए आधा मेरी तरफ मुझे ओढ़ाते हुए बोली ''आप भी
इंसान हो लोहा नहीं आपको भी ठंढी लग जायेगी '' मैंने कम्बल ओढ़ लिया ओ मेरी
तरफ देखने लगी तो मैं संकोची स्वभाव अपने नजरे नीची कर लिया और झपकी लेने
कि कोशिस करने लगा पर सुबह सुबह कुछ ज्यादा ही ठण्ड थी नींद कहा लगे पर ओ
मेडम जी कुछ ही देर में फिर से बैठे बैठे सोने लगी 10 मिनट बाद ही ओ अपनी
दोनों टांगो को फैलाया और लेट गई कुछ देर बाद सोते सोते अपनी एक टाँग को
मेरी पाल्थी [घुटनो को आपसे में मोड़ कर बैठने से बनी जगह को पल्थी कहते
है] पर जांघो के ऊपर रख लिया और सोती रही कुछ देर में उनके दोनों पाँव मेरे
गोद में थे मैं उनको डिस्टर्ब किये बिना मैं भी बैठे बैठे सोता रहा सुबह
के 8 कब बज गए पता ही नहीं चला स्टेशन रुकी तो पता चला मेडम जी कि भी
नींद खुली तो उन्होंने देखा कि उनके दोनों पाँव मेरी गोद में रखे हुए है ,
ओ सरमा गई और सॉरी बोला तो मैंने कुछ नहीं बोला बस उनकी तरफ देखा और
मुस्कुरा दिया तो ओ सरमाते हुए उठी और अपनी बेग में से ब्रश मंजन निकालने
लगी , जब ओ झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उनके स्तनो के बीच
कि जगह दिखाई देने लगी ना उनकी सुंदरता को निहारने लगा मस्त मस्त माध्यम
साइज़ के उन्नत कैसे हुए स्तन थे सायद 32 नंबर की ब्रा पहनती होगी मैंने
अपलक उन्हें देखने लगा जब ओ साड़ी का पल्लू सम्हालने लगी तो मैं स्टेशन
के बाहर झाकने लगा ओ चली गयी ब्रुश करने जाते जाते बोली कि मेरी बैग को
ध्यान रखना मैं ने हां में गर्दन हिला दिया जब ओ ब्रश तो मैं भी ब्रश करने
चला गया और में बैठ गया और एक चाय वाले को बुलाया और उनके लिए भी चाय लिया
और दोनों चाय पीने लगे चाय पीने के बाद एक पेपर वाला आया तो मैंने एक
पेपर लिया और पढने लगा तो मैदान भी पेपर का कुछ हिस्सा ले लिया और पढने लगी
फिर ओ राजनीती कि बाते करने लगी , राजनीती से समाज पर फिर ना जाने कौन कौन
से मुद्दे लाकर बाते करने लगी उनके बातो में शालीनता और सौम्यता के साथ
साथ गहन ज्ञान भी दिखाई दे रहा था मुझे भी राजनीती में रूचि है , मैं भी
बहुत बाते किया उनके बातो से लगा कि ओ काफी पढ़ी लिखी महिला है पर मैंने
उनका परिचय नहीं पूछा उन्होंने भी मेरे बारे में कोई जानकारी नही लिया ये
भी नहीं पूछा कि कहा तक जायेगे , 10 बजते बजते कुछ सीटे खाली हो गई तो मैं
बगल कि ऊपर वाली सीट में अपना सामान रख लिया और एक नावेल निकाल लिया और
पढने लगा , नावेल पढते पढते मुझे नींद लग गई ,जब नींद खुली तो उस समय 1 बज
रहे थे मुझे भूख लग गई पर कोई स्टेशन नहीं था कि कुछ खा लू पेट दबाये लेटा
रहा 3 बजे एक स्टेशन आया वहा कुछ नास्ता किया और फिर आकर सीट पर बैठ गया ,
मैंने देखा कि मेडम जी खिड़की से बाहर कि तरफ झांक रही थी कभी कभी मेरी तरफ
भी देखती पर मैं उनकी तरफ नहीं देखने कि ऐक्टिंग करता पर तिरक्षी नजर से
देखता भी इसी ताकाझांकी में इलाहबाद आ गया और ओ उतर गई मैं भी ट्रेन से उतर
गया और भीड़ में खो गए |
मैं अपनी भाभी के घर इलाहबाद पहुच गया यहाँ रुकने के बाद फिर गाव जाता हु
, मैं दोपहर में छत पर घूम रहा था तो बगल के छत में ओ मेडम जी मुझे दिखाई
दी सर पर पल्लू लिए अपनी छत पर कपडे डाल रही थी , उन्होंने भी मुझे देखा
और बड़े आस्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी और पास आकर धीरे से बोली बोली ''आप
यहाँ कैसे '' तो मैंने उन्हें बताया कि ये मेरे भाभी का घर है तो ओ बहुत
खुस हुई और बोली '' आप सुनीता भाभी के देवर है क्या ''तो मैंने हां कहा तो
फिर से बोली '' आपने तो बताया नहीं था ट्रेन में '' तो मैंने तपाक से बोला
''आपने पूछा नहीं था ''तो ओ हसने लगी तो मैंने पूछ लिया आप यहाँ कैसे तो
बोली ''ये मेरी ससुराल है '' तो मैं पूछ लिया कि आप फिर कहा से आई थी उस
समय तो बोली '' इंदौर में मेरे मम्मी पापा रहते है '' तो मैंने पूछ लिया
क्या करते है आपके पापा, तो बताया कि इंजीनियर है इंदौर में पापा हम दोनों
कि बात हो ही रही थी कि इतने में भाभी आ गई और बोली किससे बात कर रहे है आप
, इतने में मेडम जी बोली ''दीदी नमस्ते '' तो भाभी बोली दीपा तु कब आई तो
बोली कि ''कल ही आई हु'' तो भाभी बोली तुम दोने कैसे जानते हो एक दूसरे को
तो मैंने बोला ''रात भर सीट के लड़ते आये हम दोनों'' तो भाभी हसने लगी ओ ओ
सरमा गई और कुछ नहीं बोली और नीचे चली गई मैं भी भाभी के साथ नीचे आ गया
रूम में , भाभी से उनके बारे में पूछा तो भाभी ने बताया कि ये तो अपनी ही
जाति के है और अनिता एक कालेज में प्रोफेसर है इसके पति बैंक में है अभी
तीन साल पहले ही सादी हुई है बहुत अच्छे स्वभाव कि है बहुत इज्जत करती है
मेरी फिर मैंने भाभी से पूछा कि ये यही के है या किसी गाव के है तो भाभी
बोली कि इनका गाव अपने गाव के पास ही है ३-4 किलोमीटर दूर तो मैंने भाभी से
पूछ लिया कि क्या नाम है इनके पति का तो भाभी ने बताया कि ''हर्षबर्धन
सिंह '' तो मैं पहचान नहीं पाया ''हर्षबर्धन सिंह'' को
जबकि ओ गाव के पास के है पर बहुत पहले देखा था जब ओ आठवी में पढता था
काला सा था भाभी से बोला कि वही कालू हर्ष तो भाभी हसने लगी और बोली हां तो
मैंने भाभी से बोला ''भाभी ओ तो बहुत काला था पहले '' तो भाभी बोली
''अब कौन सा गोरा हो गया अभी भी तो ओ भवरा जैसे ही है तो मैं भाभी
कि बात को नहीं समझा और बोला ''भवरा '' जैसे तो भाभी हस्ते हुए बोली हां
भवरे जैसे काला है तो मैंने भाभी से पूछा कि ये दीपा तो बहुत खूबसूरत है
कैसे सादी कर लिया इससे तो भाभी बोली कि ओ SBI बैंक में मैनेजर है गाव में
जमीन बहुत है अकेला लड़का है इसके बाप भी प्रिंसपल थे इस लिए हो गई होगी
खेती भी अच्छी है गाव में मैंने भाभी से बहुत सी बाते किया भाभी से और फिर
दोपहर बाद 3 बजे के बाद मैं गाव को जाने के लिए निकल लिया और गाव वाली बस
में बैठ गया बस चलने ही वाली थी कि ओ मेडम जी भी उसी बस में चढ़ी ,बस में
खूब भीड़ थी खड़े होने भी कि जगह नहीं थी ओ भीड़ में इधर -उधर बेग लिए हुए
धक्के खाते हुए खड़ी थी मेरे से उनके ये हालत नहीं देखी गई तो मैंने उन्हें
आवाज दिया '' ओ दीपा मेडम जी '' तो ओ मेरी तरफ घूमी और देख कर मुस्कुराई तो
मैंने बोला आप यहाँ बैठ जाए मैं खड़ा हो जाता हु तो थोड़ा ना नुकुर करी पर
मैंने जब समझाया तो मेरी सीट पर आकर बैठ गई मैं उठ गया सीट से , मेरी सीट
के बगल पर पहले से ही एक बुजुर्ग सज्जन बैठे हुए थे मैं खड़ेखड़े सफ़र करने
लगा गाव कि लोकल उत्तरप्रदेश पथ परिवहन कि खटारा बस बार बार रुकती तो
जितनी सवारी उतरती उससे ज्यादा चढ़ती
इस तरह भीड़ कम नहीं हुई और मैं खड़े खड़े तीन घंटे का सफ़र काट लिया इधर -उधर
धक्के खाते हुए और हमारा स्टाप आ गया उनका भी यही स्टाफ है ओ भी नीचे उतरी
मैंने उनका बेग पकड़ के नीचे रखा और बोला कैसा रहा गाव कि बस का सफ़र तो
हॅसते हुए बोली ''भगवान् बचाए गाव कि इन बसो से '' मैं बात ही कर रहा था कि
उनका छोटा देवर आया और उनका पाँव छुआ और हाल चाल पूछा और बेग उठाकर अपने
कंधे में रखा और बोला चलिए भाभी जी अपने रोड से कोई वाहन या तांगा मिल
जायेगा गाव के लिए और फिर ओ मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और धीरे से बोली
''आज आप नहीं होते तो क्या पता कितना कष्ट होता '' तो मैंने कुछ नहीं बोला
तो ओ मुस्कुराते हुए ''थैंक्स ''बोली और अपने देवर के साथ चली गई मैं अपने
गाव चला गया | पर मन में बहुत सी बाते थी जो घूम रही था , दीपा के पति
,ससुर ,जमीन जायजाद और ये मेडम जी अकेले गाव जा रही है बात कुछ हजम नहीं
हो रही थी पर अपने को क्या मतलब ये सोचते हुए मन से ये बात को निकाल दिया
और अपने गाव पहुच गया गाव में बड़े भाई से उन लोगो के बारे में पूछा तो
बहुत अच्छा रिस्पांस दिया भैया ने उन लोगो को |
जब
मैं वापस उज्जैन आने लगा तो भाभी के घर रुका और दीपा के घर वालो के बारे
में पूछ लिया कि इतने लोगो के होने के बाद भी ओ गाँव अकेले गई तो भाभी ने
बताया कि ''दीपा के ससुर कि तबियत टीक नहीं है ओ अस्प्ताल में भर्ती है
हर्ष अपनी ड्यूटी को माँ बाप बीबी से भी अधिक मानता है और कोई है नहीं घर
में इस लिए अकेली गई होगी'' फिर मैंने दीपा और उसके पति के बारे में पूछा
कि दोनों में पटती नहीं है क्या तो भाभी बोली ''क्या मालुम बाहर से तो ऐसा
कुछ नहीं लगता फिर'' मैंने भाभी से बोला कि भाभी हर्ष से मिलवाइए ना मुझे
बैंक कि जानकारी के बहाने तो भाभी हॅसते हुए बोली आप क्यों इतना इंटरेस्ट
ले रहे है कोई चक्कर है क्या तो मैंने बोला नहीं भाभी ऐसा कुछ नहीं है बस
गाव के पास के है इस कारण मिलना चाहता हु , तब भाभी बोली टीक है आज साम को
मिलवाती हु दोनों को बुलालूगी तब मैं साम इन्तजार करने लगा साम को 7 बजे
भाभी ने हर्ष को छत से आवाज दिया तो दीपा आई और बोली ''हां दीदी'' तो भाभी
बोली ''दीपा हर्ष कहा है'' तो दीपा बोली है ''घर में हे बाबू जी के पास
बैठे हुए है'' तो भाभी बोली '' हर्ष को भेज कुछ काम है मुझे''तो दीपा बोली
''टीक है'' भाभी से बाते करते समय दीपा मेरी तरफ तिरक्षी नजर से देख रही थी
मैं भी दीपा को देख लेता था बीच बीच में | करीब 15 मिनट बाद हर्ष और
दीपा आये दीपा गुलाबी रंग कि साड़ी में बला कि खूबसूरत लग रही थी दोनों
लिविंग रूम में बैठ गए तो भाभी ने हर्ष से कहा ''हर्ष पहचानता है इन्हे ''
तो हर्ष ने मना कर दिया तो भाभी बोली ये मेरे देवर है तो हर्ष उठा और मेरा
पाँव छुवा तो खड़ा हो गया और हर्ष के सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया हर्ष
लम्बाई मुस्किल से मेरे कंधे के नीचे तक भी नहीं थी मुझे ऐसा लगा जैसे हर्ष
5 फिट से ज्यादा नहीं हो ,पर खूब मोटा है गोल मटोल इस लिए कुछ बड़ा लगता
है हर्ष के पाँव छूने के बाद दीपा भी उठी और मेरा पाँव छू लिया , दीपा मेरे
कंधे से थोड़ा अधिक ऊची थी | हर्ष मेरे से 5 साल का छोटा है और दीपा करीब
10 साल कि छोटी है. दीपा और हर्ष कि जोड़ी कही से कही अच्छी नहीं लग रही थी
पर सम्पत्ति के लालच में दीपा के बाप ने इस ठिगने के साथ सादी कर दिया होगा
कुछ देर तक हर्ष बैठा रहा और फिर 10 मिनट बाद चला गया जबकि दीपा भाभी के
पास ही बैठी रही बाते करते , मैंने दीपा से पूछा कि अब कब इंदौर आओगी तो
दीपा सकुचाते हुए बोली अभी कुछ कहना मुस्किल है कालेज से छुट्टी नहीं मिलती
तो मैंने दीपा से कालेज के बारे में पूछा कि कौन सी सब्जेकट पढ़ाती हो तो
दीपा ने बताया कि ओ कालेज में ''इकोनॉमिक्स '' पढ़ाती है कुछ देर तक बाते
किया तब तक भाभी ने चाय बनाया तो दीपा ही चाय लेकर आई और मुझे चाय देने के
लिए झुकी तो दीपा का पल्लू उसके बूब्स के पास से खिसक गया तो उसके बूब्स के
बीच कि घाटिया दिखाई देने लगी मैं उन्हें देखने लगा तो दीपा धीरे से बोली
''चाय लीजिये '' तो झेप गया और चाय उठा लिया और धीरे से बोला ''आप बहुत
खूबसूरत है '' तो दीपा कुछ नहीं बोली और हल्की से मुस्कान बिखेर कर चली गई
फिर कुछ ही मिनट में दीपा और भाभी आई और चाय पीने लगी साथ में दीपा कि चाय
ख़तम ही नहीं हुई थी कि हर्ष ने भाभी को आवाज दिया तो भाभी दीपा से बोली
''तू जा '' हर्ष तुझे बुलाने के लिए ही आवाज दे रहा होगा तो दीपा जल्दी से
चली गई | मैं भाभी से बहुत सी बाते किया और ट्रेन के समय में ट्रेन पकड़ा और
उज्जैन आ गया |
दीपा को बहुत दिन तक याद किया फिर धीरे धीरे इस बात को मैं भूल चुका
था समय का चक्र चलते चलते 7 साल निकल गए पर जब भी ट्रेन का सफ़र करता तो
दीपा कि याद एक बार जरुर आती | दिसंबर 2006 कि बात है एक दिन ''दीपा सिंह '' नाम से गूगल आर्कुट में
मुझे फ्रेंड रिक्योस्ट आई जब मैं उस आई डी को चेक किया तो पता चला कि ये
तो इलाहाबाद वाली ओ मेडम ही है जो अब मोटी हो गई थी मैंने उन्हें अपने
दोस्तों में सामिल कर लिया और बात चीत का सिलसिला सुरु हुआ दीपा मुझे
पहचान गई थी तभी मेरे साथ जुडी दीपा ने अपने बारे में बहुत कुछ बताया दीपा
को एक लड़का ''हर्षित '' 5 साल का है और एक लड़की ''हर्षिता '' 2 साल कि है ,
दीपा ने अपनी कई फोटो मुझे भेजा तो पता चला कि दीपा पहले से कुछ मोटी हो
गई है इस कारण उनकी सुंदरता में चार - चाँद लग गया , दीपा ने ये भी बताया
कि ओ कई बार इंदौर आई पर मेरा पता नहीं होने कारण मेरे से नहीं मिल सकी और
भाभी से फोन नंबर नहीं मागा सर्म के कारण मैंने दीपा को अपना मोबाइल नंबर
दिया और अब हम दोनों अपने घर वालो से चोरी -चोरी खूब बाते करने लगे दीपा
ने मेरे कई फोटोग्राफ मागे जो मैंने उसे दे दिया तो दीपा मेरी खूब तारीफ
किया और बोली अब आप पहले से ज्यादा इस्मार्ट लगाने लगे अब खूब बाते करती
दीपा मेरे साथ और धीरे से यह दोस्ती फेसबुक में आ गई दीपा लाइव वीडिओ चैट
करती सभी से छिपकर | दीपा कि बातो बातो से लगने लगा कि दीपा अपने पति से
संतुष्ट नहीं है , दीपा धीरे धीरे चैट बॉक्स में सेक्सी बाते करना सुरु कर
दिया यहाँ तक कि मेरे कहने पर एक बार बेब कैम के सामने अपनी चुचिया भी
दिखाया, दीपा कि चुचिया आज भी नहीं लटकी हुई है आज भी दीपा कि चुचिया एक
दम से टाइट लगी मुझे , मैंने कंप्यूटर के
स्क्रीन पर ही दीपा कि चुचियो को छुआ और किस किया तो दीपा बेसर्मी के साथ
बोली अपना भी दिखाओ ना तो मैंने अपना 10 इंच लंबा और मोटा लण्ड दीपा को
दिखाया तो दीपा बोली ''ओ माई गाड ''आपका इतना लंबा और मोटा है और दीपा ने
अपने लैपटाप के स्क्रीन पर ही मेरे लण्ड को किस किया अब हम दोनों बिलुकल
बेसर्मी के साथ खूब बाते करने लगे दीपा ने बताया कि ये [पति का नाम लिया]
बहुत नीरस है इन्हे पैसे कमाने के सिवा और कुछ नहीं अच्छा लगता है ये कही
भी घूमने फिरने इंजॉय करने नहीं जाते बस बैंक और बैंक से घर यहाँ तक कि साथ
में शापिंग करने भी नहीं जाते और इनका ओ [लण्ड] भी छोटा सा है मजा ही
नहीं आता ये महीने में एकात दिन ही सम्भोग करते है मेरे साथ | इस तरह से
मैं और दीपा करीब एक साल से ज्यादा हो गए बात करते रहे , एक दिन दीपा ने
बताया कि इंदौर आ रही है तीन माह कि छुट्टी पर और बहुत खुस थी ये बताते
हुए और फिर एक दिन बोली कि मैं इंदौर आ रही हु क्षिप्रा एक्प्रेस से आप
मिलोगे क्या , तो मैंने बोला टीक है मिलता हु और फिर मैं 11 अप्रैल 2008 को
अनीता से रात को 1 बजे ट्रेन में AC कोच में मिला ,यह ट्रेन उज्जैन में
करीब 30 मिनट तक रुकती है , दीपा के बच्चे उस समय पर सो रहे थे , दीपा
सिर्फ अपने दोनों बच्चो के साथ आई थी , दीपा ट्रेन से उतरी और मेरे से हाथ
मिलाया , दीपा पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी है अब 33 साल के होते
हुए भी ओ आज भी 30 कि लग रही थी, दीपा ने कट बाल रखे हुए थी , कट बाह का एक
ब्लाउज और पिंक कलर कि साड़ी पहन रखी थी , दीपा कि गोरी गोरी चिकनी चिकनी
बाहे बहुत ही सेक्सी लग रही थी , दीपा ट्रेन से उतरते ही मेरा हाथ पकड़ा
और रेलवे स्टेशन के एक किनारे कि तरफ चलने के लिए बोली तो मैं चल दिया जिधर
कोई नहीं था वहा हम दोनों जैसे ही पहुचे मैंने दीपा को अपने सीने से लगा
लिया और खूब किस किया दीपा के स्तनो को मसल दिया कुछ देर खड़े खड़े बाते करते
रहे फिर एक कुर्सी पर बैठ गए तो दीपा मेरे कंधे पर हाथ रख कर चिपक गई और
गाल में एक किस कर लिया और बोली बहुत तड़पी आपके लिए आप बहुत ही नेक इंसान
है पहली बार मिली थी ट्रेन में तभी समझ गई कि आप बहुत ही नेक इंसान है, मैं
अनीता सिंह के हाथ को मेरे हाथ में पकड़ कर बड़े प्यार से बाते करता रहा
समय कब निकल गया पता ही नहीं चला जब ट्रेन का हार्न बजा तो मैंने दीपा को
बोला चलिए ट्रेन जाने वाली है तो दीपा बोली आपकी एक एक बात एक एक सब्द में
मेरे लिए प्यार और सम्मान दोनों रहता है तब मैंने उठिए मेडम जी नहीं तो
ट्रेन चली जायेगी तो दीपा भारी मन से उठी और चल दी तब तक ट्रेन रेंगने लगी
पटरियों पर तो मैंने दीपा का हाथ पकड़ा और दौड़ लगा दिया और दीपा के कोच में
दीपा को चढ़ा दिया दीपा गेट पर खड़े होकर हाथ हिलाती रही और नजरो से ओलझ हो
गई और मैं भारी मन से घर आ गया |
|
दीपा पहले से कुछ मोटी हो गई, 2008 मे पीछे से ऐसी ही लगती थी |
20
अप्रैल को दीपा का फोन आया पर बोली उज्जैन आ रही हु भोले बाबा का दर्शन
करने मिलेगे आप तो मैंने बोला टीक है आ जाओ आप मिल जाउगा तो दीपा दोपहर में
करीब 1 बजे उज्जैन आई अपने पापा कि कार खुद ही चलाकर, मैं मंदिर के बाहर
ही मिल गया और दीपा के दोनों बच्चे और मैं,दीपा साथ साथ दर्शन किये और
बहुत देर तक मंदिर के पास बैठे रहे , दीपा के दोनों बच्चे मंदिर के
प्रांगण में आसपास खेलते रहे, मैं और दीपा खूब सारी बाते किया फिर साम
को दीपा चली गई इंदौर और मैं घर वापस आ गया पर मोबाइल से रोज बाते होती
रहती मैंने दीपा को बोला कि एकात दिन प्लान बनाओ सिर्फ अपन दोनों कही चलते
है एकात दिन के लिए बाहर घूमने , तो दीपा बोली मैं भी यही सोच रही हु ,
फिर एक दिन दीपा ने फोन किया मुझे और बोली बना लिया प्लान कब और कहा चले तो
मैंने सब पूछा तो दीपा ने बताया कि मेरी एक फ्रेंड है इंदौर में उसे आगे
करके उसके साथ पिकनिक में जाने के लिए मम्मी से पूछ लिया कम से कम 5 दिन का
प्लान बना लिया मम्मी ने हां कर दिया है |अब आप बताओ कब चलू तो मैंने दीपा
से कहा कि रुको एक दो दिन में बताता हु , फिर मैंने 28 अप्रैल 2008 को
सोमवार के दिन चलने का प्लान बनाया और दीपा को बता दिया कहा मिलुगा तो दीपा
बोली कैसे चलेगे बस से या ट्रेन से तो मैंने दीपा को बोला कि मेरी कार से
चलूगा तो दीपा बोली टीक है |
फिर 28 अप्रैल 2008 को सोमवार के दिन
मैं, मेरी कार लेकर इंदौर पहुच गया जहा पर दीपा एक शापिंग माल के पास एक
बड़ा सा बेग लेकर मिली [दीपा इस समय एक ब्लू कलर कि साड़ी और सन कोट पहन रखा
था] तो दीपा को इसारा किया तो दीपा ने मुझे इसारा करके अपने पास बुलाया
जब मैं दीपा के पास पहुचा तो दीपा बोली कि आप कार को इसी माल की पार्किंग
में नीचे लगा दो मैं वही अपना सामान लेकर आपकी कार में बैठती हु यहाँ कोई
देख लेगा तो मैंने कार को पार्किंग में लगा दिया ,कुछ ही मिनट में दीपा
अपना बेग एक गार्ड के हाथ में लिवाकर आई मेरे पास और गार्ड को बोला कि कार
कि डिक्की में रख दो , गार्ड ने बेग रख दिया तो दीपा ने उसे 100 का नोट
पकड़ाया ,गार्ड ने सलूट मारा और चला गया तब दीपा बोली कहा चलने का प्लान है
अब बताये आप तो मैंने दीपा को बोला कि मैंने एक सप्ताह का बहना बनाया है
घर में तो दीपा बोली टीक है मैं रुक जाउगी आपके साथ इतने दिन तक मम्मी को
बोल दुगी कि दो दिन और लग जायेगे तो दीपा बोली कहा चले तो मैं बोला कुछ दूर
चलते है जहा पर हमें कोई नहीं जनता हो और मौसम भी बढ़िया हो तो दीपा
बोली कश्मीर चलते है तो मैंने बोला रिस्की तो दीपा बोली कहा चले तो मैंने
दीपा को बोला चलो पंचमढ़ी चलते है पास भी है और वहा का मौसम भी ठंडा रहता
है तो दीपा तैयार हो गई और कार में बैठ गए और चल दिए तो दीपा बोली कि कार
का सीसा बंद कर लो कोई देख नहीं पाये यहाँ बहुत लोग मुझे जानते है तब
मैंने कार का सीसा चढ़ा दिया और AC ऑन कर दिया और बाहर आ गए और सिटी से बहार
निकल कर भोपाल रोड पकड़ लिया और रास्ते भर बाते करते हुए कुछ ही दूर पहुचा
तो दीपा मेरे बारे में पूछने लगी कि आप क्या करते है तो मैंने दीपा को बोला
रुको अभी बताता हु तो दीपा बोली क्या करते हो बताइये ना तो मैं बोला बस
20 मिनट और रुको आप सब बता दुगा तब दीपा दुसरी बाते करने लगी तब तक मेरा
शिक्षण प्रतिस्ठान आ गया मैंने दीपा को अपनी बिल्डिंग दिखाया तो दीपा को
विश्वास ही नहीं हुआ दीपा बोली आप झूठ बोल रहे है तो मैंने दीपा को वहा का
लैंड लाइन नंबर दिया और बोला कि यहाँ फोन करके पता लगाओ किसका है और बड़े सर
का नंबर भी मागो तो दीपा वही किया तब जाकर उसे विश्वास हुआ और मेरी तरफ
प्यार भरी नजरो से देखी और बोली आप इतने बड़े आदमी होते हुए भी उस रात ट्रेन
में अपनी सीट छोड़कर ट्रेन कि फर्श में लेट गए आप बहुत अच्छे इंसान है मुझे
आज अपने पर घमंड हो रहा है कि मैंने एक बहुत ही अच्छे इंसान से प्यार किया
और इतना कहकर मुझे जोर से किस कर लिया , मैं उस समय कार चला रहा था कार
बहकने लगे तो मैंने बोला अरे छोड़ो ना, नहीं तो भीड़ जायेगे किसी से , तो मर
जाउगा तो दीपा मेरे मुह पर हाथ रखी और बोली ऐसा नहीं बोलिये और फिर बहुत
सी बाते करते हुए हम एक ढाबे में रुक गए और वहा खाना खाये दोनों और फिर
साम को 5 बजे भोपाल पहुच गए तो मैंने दीपा को बोला कि यहाँ 5 बज गए
पचमढ़ी पहुचते समय तक रात हो जायेगी तो दीपा बोली भोपाल में ही रुक जाते है
तो मैं बोला टीक है और फिर ''होटल अमर विलास''
में रुक गए |
|
दीपिका सिंह पंचमढ़ी में इस तरह से जींस और टी सर्ट पहन कर घूमती थी , गजब कि सेक्स अपील थी दीपा में |
जैसे ही होटल के अंदर घुसे
तो वेटर ने दीपा का बेग कमरे के अंदर रखकर चला गया तो मैंने दरवाजा
लगाया और दीपा को गले लगा लिया और खूब किस किया और दीपा को पकड़ कर बेड पर
बैठा दिया दीपा भी किस करने लगी मैंने दीपा कि बूब्स को दबाने लगा और बूब्स
दबाते दबाते बिस्तर लेट गए दोनों और आपस में ऐसे चिपक गए ऐसे चिपक गए एक
दूसरे से जैसे दो जिस्म एक जिस्म हो गए हो मैं दीपा के रशीले होठो का रसपान
करने लगा दीपा भी मेरे होठो को चूसने लगी हम दोनों चुदाई के लिए तैयार हो
गए इतने में वेटर ने वेल बजाया रूम का तो मैं उठा तो वेटर बोला आपको होटल
के मेंन काउंटर पर बुला रहे है , मैं उठकर चला गया तो काउंटर पर बोला गया
कि हमारे यहाँ
|
नंगी होने पर दीपा पीछे से ऐसी ही लगती है |
स्वीमिंग पुल है ,डिस्को डांस के लिए हाल है और बहुत से सुबिधाओ के बारे
में बताया मैंने बोला टीक है जरुरत के अनुसार उपयोग कर लुगा ये सब बाते
करते करते करीब 10 मिनट हो गए जब मैंने वापस रूम में गया बेल बजाया तो दीपा
एक टावेल लगाए हुए दरवाजा खोला,दीपा बाथरूम
से निकल कर आई तो एक दम से नंगी थी टावेल को अपनी चुचियो तक लपेट रखा था
मैंने दीपा के संगमरमर जैसे सफ़ेद -सुडौल जिस्म चमक रहा जिसेको देखा तो
आपा खो बैठा और पकड़ कर टावेल अलग कर दिया और दीपा को पकड़ लिया तो दीपा मेरे
हाथ से फिसल कर निकल गई [क्योकि दीपा का जिस्म तेल से गीला था] और बाथरूम
में घुस कर दरवाजा लगा लिया तो मैं भी कपडे उतार कर बाथरूम में घुस जाने का
प्लान बनाया और सिर्फ चढ्ढी पहन कर बाथरूम का दरवाजा खुलाने लगा तो दीपा
पहले तो दरवाजा नहीं खोली पर जब मैं बहुत गिड़गिडया तो दरवाजा खोली उस समय
दीपा बिलकुल नंगी थी दीपा का सेक्सी जिस्म देखकर मैं पगला गया और दीपा को
पकड़ लिया और दीपा कि चुचियो को चूसने लगा ,मसलने लगा , दीपा के वदन से तेल
कि चिकनाई धूल चुकी थी दीपा के वदन से पियर्स साबुन कि मादक खुसबू आ रही
थी ,मैं दीपा को सावर के नीचे ले गया और सावर को चालु कर दिया और और दोनों
नहाने लगे मैंने दीपा के वदन में साबुन लगा लगा कर नहलाने लगा दीपा कि
चुचियो में साबुन लगाया और चुचियो को सहलाने लगा इधर दीपा भी मेरे लण्ड को
चढ्ढी के ऊपर से पकड़ने लगी और कुछ देर में मेरी चढ्ढी को उतार दिया और
मेरे लम्बे -मोटे लण्ड को देखकर रोमांचित हो गई और झुककर किस कर लिया और
बोली आप ऊपर से लेकर तो नीचे तक अंदर से लेकर बाहर तक एक सच्चे मर्द है
आपका दिल भी अच्छा और ये तो उससे [लण्ड कि तरफ इसारा किया] उससे भी अच्छा
है इतना कहते हुए लण्ड को पकड़ लिया मेरा लंड़ दीपा सिंह कि बुर में घुसने
बेताब था पर बाथरूम में चोदने में मजा नहीं आयेगा ये सोचकर बढ़िया से नहला
धुलाकर गीले वदन दोनों होटल के बेडरूम में आ गए दीपा का गोरा धढ़िया रंग के
सेक्सी जिस्म पर पानी के बुँदे ऐसी लग रही रही जैसे सफ़ेद गुलाब की
पंखुड़ियों में ओस कि
बुँदे पडी हो मैंने दीपा से एक एक पानी कि बुँदे चाट गया दीपा बड़े प्यार
से मेरे कंधे -बाहो पर हाथ घुमाती रही दीपा कि मस्त मस्त टाइट चुचियो कि
निप्पल पर पडी पानी कि बुँदे चाटने लग्गा दीपा उत्तजित होने लगी और मेरे
लण्ड को पकड़ कर खिलाने लगी और मैं दीपा कि निप्पल को चूसने लगा दीपा उ ऊ उ
अ अ अ अ अ से सीईईए कि हलकी हलकी आवाज निकलने लगी और मुझे बेड के तरफ
लेकर चल दी मैं बेड पर दीपा को लिटा दिया दीपा पीठ की तरफ से उलटा होकर लेट
गई मस्त चुचिया तनी हुई ऊपर की ओर मुझे मसलने के लिए बुला रही थी मैं दीपा
के एक एक अंग को किस करने लगा तो देखा दीपा के पेट में कुछ टाँके लगे
हुए है तो दीपा से पूछ लिया तो दीपा बोली मेरे दोनों बच्चे आप्रेसन से हुए
थे उसके टाँके है ,[ये जानकार मैं खुस गया कि दीपा कि चूत सकरी होगी
चोदने में खूब मजा देगी]मैं दीपा को किस करते रहा दीपा भी मुझे प्यार करती
रही अपने हाथ मेरे सर पर मैंने दीपा कि चूत को चाटने के लिए मुह लगाया तो
बोली मत चाटो यार मुझे अच्छा नहीं लगता तो मैंने वोला कि हर्ष [दीपा के
पति का नाम है] नहीं चाटते थे तो दीपा बोली न ओ तो अभी तक कबके फुर्सत हो
जाते तब मैंने बोला चाटने दो फिर मजा देखना तब भी दीपा मना करती रही पर मैं
फिर भी दीपा कि क्लीन सेव चिकनी चूत को चाटने लगा तो कुछ ही पल में दीपा
सिंह चुदाई के लिए तैयार हो गई और मेरे हाथो को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी
तो मैंने दीपा को बैठा बेड पर और मैं भी उनके सामने बैठ गया ,
|
दीपा कि चुचिया इस तरह से उठी हुई थी एक दम से टाइट |
लौड़े को खड़ा करके और दीपा को बोला ये लो ये तो तैयार है जैसे लेना हो ले
लो तो दीपा अपने चूतड़ो को खासकया और अपनी चूत को मेरे लण्ड के पास लाइ और
अपने बुर को मेरे लण्ड के सुपाड़े से टिका दिया तो मैं थोड़ा सा अपने चूतड़ो
को खिसकाया और लण्ड को दीपा कि बुर के पास टिकाया और लण्ड को घुसाने लगा
पर दीपा कि चूत में लण्ड का सुपाड़ा नहीं घुसा तो मैंने दीपा को फिर से
लिटा दिया और बुर में हल्का से आवले का तेल लगाया और बुर को खूब चिकनी कर
दिया और दीपा कि दोनों टांगो को फैला दिया और कई बार दीपा कि बुर के ऊपर
लण्ड को पटका दीपा कि तरह भभकने लगी और बोली ''डाल दो यार क्यों तड़पा रहे
हो '' तो मैंने धीरे धीरे लण्ड के सुपाड़े को घुसेड़ने लगा दीपा कि बुर खूब
टाइट थी थोड़ा सा लण्ड सुपाड़ा घुसा तो दीपा हलके से कराही तो मैं रुक गया और
एक ढक्कन तेल निकाला और आधे घुसे सुपाड़े और बुर के बीच में डाल दिया तेल
बुर के आसपास फ़ैल गया तो उगली से कुछ तेल बुर के अंदर डाल दिया और लण्ड को
धीरे धीरे पूस करते हुए डालने लगा जब आधा लण्ड घुस गया तो दीपा बोली बस
करो यारा इतने में काम चल जाएगा और इतना कह कर मुझे अपनी तरफ खीच लिया तो
मैं दीपा के ऊपर पूरा बजन रखे बिना लेट गया अपने दोनों हाथो को दीपा के
अगल-बगल बिस्तर में और दोनों घुटनो के बिस्तर में टिका कर हलके हलके झटके
मारने लगा दीपा कि चूत में दीपा को मजा आने लगा तो एक बार पूरा का पूरा
लन्ड घुसेड़ दिया दीपा जोर से चीखी तो मैंने दीपा के मुह में हाथ रख कर चीख
को रोक लिया और प्यार से किस करने लगा तो कान में धीरे से बोली बहुत
निर्दई हो आप इस तरह से नहीं करते तो मैंने कहातुम हो ही इतनी सुन्दर कि
मैं रोक नहीं पाया और घुसेड़ दिया तो फिर बोली अब तो घुस गया पूरा और फिर
मैं दीपा को किस करते हुए झटके मारने लगा लण्ड के दीपा बड़े प्यार से चुदाने
लगी
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